एक अच्छी पत्नी, अच्छी मां तो बन गई थी स्वर्णिमा लेकिन अपने मन की दबी भावनाओं को दबा कर तृप्त जीवन तो नहीं जिया जा सकता. इसलिए शायद स्वर्णिमा ने अपना नया आयाम चुन लिया था.