गांरटीड नौकरी चाहिए तो करियर को दें अप्रेंटिस का कवच

अगर आपने हाल में ही 10 वीं या 12वीं पास की है या पहले से ही ग्रेजुएट हैं.लेकिन नौकरी न मिलने से परेशान हैं तो यह लेख आपके लिए ही है.यूं तो कहा जा सकता है कि इस भीषण बेरोजगारी के दौर में नौकरी मिलने की गारंटी किसी भी डिग्री या डिप्लोमा में नहीं है और यह सच भी है है.लेकिन इस बड़े सच के परे भी एक सच है.वह यह कि अगर आपने अपरेंटिस की हुई है तो समझिये नौकरी की गारंटी है.दूसरे शब्दों में अगर गारंटीड नौकरी चाहिए तो 10 वीं के बाद कभी भी किसी अपरेंटिस प्रोग्राम का हिस्सा बन जाइए नौकरी हर हाल में मिलेगी.

बेरोजगारी के इस भीषण दौर में भी अपरेंटिस किये लोगों को 100 फीसदी रोजगार मिल रहा है. 24 जून 2021 तक रेलवे में करीब 4000 अपरेंटिस की भर्ती होने जा रही है.एक रेलवे ही नहीं मई और जून के महीने में ऐसी दर्जनों सरकारी, गैर सरकारी, सार्वजनिक उपक्रम और मल्टीनेशनल कंपनियां तक अपरेंटिसशिप की रिक्तियां निकालती हैं. अपरेंटिसशिप का मतलब होता है एक किस्म का ट्रेनिंग प्रोग्राम.इस कार्यक्रम के तहत बिल्कुल नये लोगों को किसी क्षेत्र विशेष के काम की ट्रेनिंग दी जाती है.

लेकिन यह ट्रेनिंग विद्यार्थियों के सरीखे नहीं मिलती. यह ट्रेनिंग दरअसल ट्रेंड लोगों के साथ पूरे समय नियमित कर्मचारियों की तरह किये जाने वाले काम के रूप में मिलती है.यहां इन ट्रेनीज से पूरे समय एक नियमित कामगार के तौरपर काम कराया जाता है. जिस संस्थान में अपरेंटिसशिप होती है वहां इन ट्रेनीज पर वही नियम लागू होते हैं,जो नियमित कामगारों पर लागू होते हैं सिवाय वेतनमान के.अपरेंटिस संस्थान के नियमित कर्मचारियों की तरह ही भीकाम में आते हैं और उन्हीं की तरह उनकी भी छुट्टी होती है.

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अपरेंटिसशिप छह महीने से लेकर चार साल तक के लिए होती है.अलग अलग संस्थानों में,इसके अलग अलग नियम हैं. मगर आमतौर पर रेलवे, स्टील ऑथोरिटी आफ इंडिया[सेल] भारत हैवी इलेक्ट्रिक्ल लिमिटेड(भेल), जैसे संस्थानों में तीन से चार साल तक की अपरेंटिसशिप ट्रेनिंग होती है.इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में प्रवेश पाने के लिए भी यूं तो बहुत मारामारी है,लेकिन अगर आप सेलेक्ट हो गए हैं तो समझिये अब नौकरी मिलनी की गारंटी है.

दरअसल कोई भी कंपनी अकुशल कामगार चुनेगी ही नहीं यदि यदि विकल्प के रूप में उसके सामने कुशल कामगार मौजूद होंगे.अपरेंटिसशिप करने के बहुत फायदे हैं.एक तो सही मायनों में एक सामान्य व्यक्ति उस काम विशेष की कुशलता हासिल कर लेता है, चार साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी जो इंजीनियर नहीं हासिल कर पाता. क्योंकि भारत में कितने अच्छे तकनीकी संस्थान हों हर जगह प्रैक्टिकल की सुविधा वैसी है ही नहीं जैसी होनी चाहिए.लेकिन अपरेंटिसशिप में बिलकुल परफेक्ट ट्रेनिंग होती है.

इसीलिये अपरेंटिसशिप के बाद नौकरी मिलनी  लगभग गारंटीड होती है.भले अपरेंटिसशिप के दौरान इसका कोई लिखित आश्वासन न दिया जाता हो.लेकिन रेलवे करीब करीब 100 फीसदी अपने अपरेंटिस को अपने यहां नौकरी में रख लेता है.यही बात अपरेंटिसशिप कराने वाले दूसरे संस्थानों में भी लागू होती है.लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप जहां अपरेंटिस करें वहीं परमानेंट नौकरी करें.यह आपकी मर्जी है. दूसरे अनगिनत प्राइवेट संस्थान भी अपरेंटिसशिप किये लोगों को भागकर नौकरी देते हैं.अपरेंटिस किये लोगों को हमेशा तमाम संस्थान अपने दरवाजे खोलकर रखते हैं.

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अपरेंटिसशिप का एक फायदा यह है कि आप काम तो सीखते ही हैं, इस दौरान नियमित तौरपर हर महीने एक वेतन भी मिलता है, जो आमतौर पर 5000 रुपये से ऊपर और 9 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह तक होता है. कई जगहों पर कुछ ज्यादा भी मिलता है. कहने का मतलब यह है कि अपरेंटिसशिप एक ऐसा सुनहरा मौका होता है, जो आपको किसी क्षेत्र विशेष का प्रैक्टिकल नाॅलेज तो देता ही है, इस दौरान के काम के पैसे भी देता है और भविष्य की स्थायी नौकरी के लिए एक मुकम्मिल गारंटी भी इससे मिलती है.आपने अकसर देखा होगा कि कई कंपनियां किसी फ्रेशर को नौकरी देती ही नहीं है.वास्तव में वह इन्हीं अप्रेंटिसों की बदौलत बिना फ्रेशर को नौकरी दिये अपनी जरूरत पूरी कर लेती हैं. क्योंकि हर साल लाखों की तादाद में अपरेंटिस खत्म करने वाले युवा भी नौकरी पाने वालों की होड में होते हैं जाहिर है,उन्हें सबसे पहली प्राथमिकता दी जाती है. तो उम्मीद है आपने अपरेंटिसशिप के फायदे अच्छी तरह से समझ लिए होंगे.

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