2017 में पति अरबाज खान से तलाक ले चुकी फिल्म अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा ने हाल ही में अपने 17 वर्षीय बेटे अरहान का जन्मदिन मनाया. 46 वर्षीय मलाइका फिलहाल अपने बौयफ्रैंड अर्जुन कपूर के साथ रिलेशनशिप में हैं और दोनों जल्द ही शादी प्लान करने की सोच रहे हैं.
एक वैबसाइट को दिए इंटरव्यू में मलाइका ने बताया कि तलाक के बाद दोबारा प्यार पाना उन के लिए बहुत खास है. उन के मुताबिक यह एक कमाल की फीलिंग है क्योंकि जब शादी टूट रही थी, वे नहीं जानती थीं कि दूसरी बार उन्हें इस रिश्ते में जाना है या नहीं. बहरहाल उन्हें खुशी है कि उन्होंने अपनेआप को दोबारा यह मौका दिया और सही फैसला लिया. उन के अनुसार तलाक के बाद दूसरी शादी एक औरत का नितांत निजी निर्णय है जिस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
यह सही है कि तलाक के बाद किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव आ जाता है खासकर औरतों की जिंदगी तो लगभग पूरी तरह से बदल जाती है क्योंकि संबंधविच्छेद द्वारा पति की ओर से मिलने वाली तकलीफों से तो वे आजाद हो जाती हैं परंतु दूसरी परेशानियां इस कदर बढ़ जाती हैं मानो ंिंजदगी में कोई भूचाल आ गया हो. ऐसे में तलाकशुदा स्त्री अगर दूसरी शादी के बारे में सोचती है तो यकीनन उस की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं.
आज के दौर में तेजी से होते तलाक इतना गंभीर विषय नहीं जितना कि इस के बाद तलाकशुदा स्त्री की जिंदगी में होने वाली परेशानियां हैं. निम्न केस इस मसले पर महत्त्वूपर्ण प्रकाश डाल सकते हैं:
नीरा के तलाक को 2 साल हो चुके हैं. पति की बेवफाई ने उसे जिंदगी के मझधार पर ला कर खड़ा कर दिया है. 15 वर्षीय बेटी शैली की मां नीरा को अब बेटी के साथ ही अपने भविष्य की भी चिंता सता रही है. तलाक की कानूनी प्रक्रिया में उलझ कर उस ने एक तरफ जहां समय की बरबादी झेली है वहीं दूसरी ओर अपना मानसिक सुकून भी खोया है. फिलहाल वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर रही है. लेकिन भविष्य की असुरक्षा कई बार उस के मन को बेचैन कर देती है. वह दूसरी शादी की इच्छुक है, मगर जानती है कि दूसरी शादी का यह सफर उतना आसान भी नहीं.
पिंक सिटी जयपुर की निवासी कोमल गुप्ता के तलाक की मुख्य वजह उस के पति का हिंसक रवैया था. यहां तक कि अंतरंग पलों में भी उसे अपने पति के वहशीपन को झेलना पड़ता था. तलाक की बोझिल प्रक्रियाओं से गुजरती कोमल भीतर ही भीतर टूट चुकी है. उसे अब किसी सहारे की दरकार है. मगर 8 साल के बच्चे आशू के साथ उसे कोई अपना सकेगा, इस पर उसे संशय है.
नीरा और कोमल की तरह कई महिलाएं हैं, जो किसी न किसी मजबूरी के चलते पति से तलाक ले कर अलग तो हो गई हैं, किंतु आगे की जिंदगी का सफर उन के लिए बेहद दुष्कर प्रतीत होता है. वे बच्चों के भविष्य के साथसाथ अपने भविष्य के प्रति भी शंकित हैं.
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तलाक के बाद होने वाली परेशानियां
हेयदृष्टि वाली सामाजिक मानसिकता:
भले ही हमारा सामाज आज तकनीकी ज्ञान व रहनसहन, पहनावे आदि से काफी आधुनिक हो चुका है पर सच तो यह है कि उस की सोच आज भी सदियों पुरानी है. यही कारण है कि तलाकशुदा महिलाओं को आज भी हेयदृष्टि से देखा जाता है फिर चाहे वह किसी भी वर्ग से क्यों न हो. उसे तेजतर्रार, बेशर्म व चालाक औरत की पदवी दी जाती है मानो उस ने बड़ी खुशी से अपने पति से तलाक का चुनाव किया हो.
व्यक्तिगत जीवन में ताकझांक:
समाज में स्त्रीपुरुष के दोहरे मानदंड के चलते अकसर स्त्रियों को ही तलाक के लिए पूर्णरूपेण दोषी करार दिया जाता है. उन की तकलीफ समझना तो दूर लोग उन पर तंज कसने से भी बाज नहीं आते. तलाक को ले कर गाहेबगाहे उन्हें पासपड़ोस, नातेरिश्तेदारों के कटाक्षों का सामना करना पड़ता है. वैसे भी हमारा तथाकथित सभ्य समाज एक पुरुष के मुकाबले स्त्री के व्यक्तिगत जीवन में ज्यादा दिलचस्पी रखता है. ऐसे में जाहिर सी बात है उस की पर्सनल लाइफ में लोगों की ताकझांक अधिक कुतूहल और चर्चा का विषय बन जाती है.
आर्थिक निर्भरता:
चूंकि आज भी ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से पति पर ही निर्भर हैं लिहाजा तलाक के बाद भी अपने भरणपोषण के लिए उन्हें अपने पति की ओर देखना पड़ता है. कोर्ट द्वारा पति से दिलवाया गया गुजाराभत्ता कई बार उन के खर्चों के लिए नाकाफी होता है.
शारीरिक व मानसिक शोषण:
तलाकशुदा औरतों का उन के वर्कप्लेस पर शारीरिक व मानसिक शोषण होने की बहुत गुंजाइश होती है. पुरुषप्रधान समाज होने से बिना मर्र्द वाले घर की औरतें सभी के लिए आसान शिकार मानी जाती हैं, जिन्हें थोड़ी सी हमदर्दी दिखा कर कोई भी बड़ी सहजता से हासिल कर सकता है. लिहाजा घर में नातेरिश्तेदार तथा बाहर बौस की ललचाई नजरें तलाकशुदा स्त्री पर विचरती ही रहती हैं. इस तरह महिलाओं को हर कदम फूंकफूंक कर रखना पड़ता है.
बढ़ती जिम्मेदारियां:
जिस तरह 2 पहियों की गाड़ी अपने बोझ को आसानी से उठा पाने में सक्षम होती है उसी तरह पतिपत्नी भी मिल कर सहजता से अपनी गृहस्थी की गाड़ी को चला लेते हैं जबकि अकेली स्त्री के लिए गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारियां संभालना इतना आसान नहीं है. घरबाहर के काम, बच्चों की परवरिश, आमदनी का जुगाड़ करतेकरते उस की हालत खराब होने लगती है. ऐसे में बढ़ती जिम्मेदारियों का दबाव उस के तलाकशुदा जीवन को मुश्किलों में डाल देता है.
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दूसरी शादी में आने वाली अड़चनें:
पुरुषवादी सोच का गुलाम हमारा समाज आज भी तलाकशुदा स्त्री को संदेह की नजर से देखता है. इसलिए उस के साथ वैवाहिक संबंध जोड़ने से पहले अपने स्तर पर तलाक के कारणों की जांचपड़ताल की जाती है कि तलाक का जो कारण था वह वाजिब था या नहीं. ऐसे में तलाकशुदा महिला के चरित्र पर भी कई सवाल उठ खड़े होते हैं जिन से उस की परेशानियां बढ़ जाना लाजिम है.
मगर कहते हैं जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों की क्या गिनती यानी जब तलाक लेने का तय कर ही लिया तो उस के बाद आने वाली मुश्किलों से घबराना कैसा.
शादी के 7 सालों बाद अपने पति से तलाक ले चुकी रीना तलाक के बाद की जिंदगी पर खुल कर अपने विचारों को साझा करती है. उस के मुताबिक तलाक के बाद का जीवन कठिन है पर नामुमकिन नहीं. वैसे भी तलाक से पहले उस का जीवन एक दर्दभरी दास्तां के अलावा कुछ नहीं था. पति और ससुराल वालों ने उस का व बच्ची का जीना मुहाल कर रखा था. वह कभी अपने पति के पास लौटने को तैयार नहीं है. अपनी 6 साल की बच्ची के साथ अपने जीवन को खुशीखुशी जीना चाहती है. रीना दूसरी शादी की भी इच्छा रखती है बशर्ते उस की बच्ची को पिता का प्यार मिले. पर शादी के नाम पर अपनी स्वतंत्रता को गिरवी रख देना अब उसे गवारा नहीं है.
तलाकशुदा होना कोई गुनाह नहीं. किसी वाजिब कारण से यदि आप ने तलाक ले ही लिया है तो जिंदगी को बदनुमा दाग की तरह नहीं बल्कि प्रकृति की अनमोल देन मान कर जीएं. अपने सकारात्मक रवैए से आने वाली चुनौतियों का हंस कर मुकाबला करें और अबला नहीं बल्कि सबला बन कर समाज में अपने वजूद, अपनी गरिमा को बनाएं. निम्न उपाय इस काम में आप की सहायता कर सकते हैं:
भविष्य की प्राथमिकताएं तय करना:
बिना किसी दबाव के अपने भविष्य की प्राथमिकताओं को तय करें. याद रखें जिंदगी आप की है तो उसे जीने का सलीका और तरीका भी आप का ही होगा. सोचसमझ कर जिंदगी को दूसरा मौका दें और बिना घबराए अपने लक्ष्य की ओर चलने का प्रयास करें.
सकारात्मक सोच हो भविष्य की:
कभीकभी ऐसा होता है कि 2 व्यक्ति एकसाथ नहीं रह पाते, मगर इस का मतलब यह तो नहीं कि जिंदगी खत्म हो चुकी है. जिंदगी हमेशा दूसरा मौका देती है और वह भी पहले से बेहतर. अत: लोग क्या कहेंगे इस बात को दिल से निकाल दें और उन के द्वारा की जा रहीं टीकाटिप्पणियों पर ध्यान न दें क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना. अत: सकारात्मक हो कर जीवन को नए सिरे से जीने की कोशिश करें.
आत्मनिर्भर बनें:
आर्थिक रूप से अपने आप को मजबूत बनाने की कोशिश करें. अपनी पढ़ाई व प्रतिभा अनुसार रोजगार के अवसर तलाशें और अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करें.
बच्चे के साथ मजबूत ब्रैंड:
कितनी भी परेशानियां हों बच्चे को नजरअंदाज न करें. उस के साथ खुशियों भरे पल जरूर बिताएं. इस से बच्चे के साथ आप का रिश्ता भी मजबूत होगा और आप स्वयं सकारात्मक ऊर्जा से भर उठेंगी. कोईर् भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले बच्चों को विश्वास में लेना जरूरी है अन्यथा उन का रोष या उदासीनता आप के किसी भी निर्णय पर भारी पड़ सकती है. अत: बच्चों के साथ मजबूत बौंड बनाएं.
आत्मविश्वास बढ़ाएं:
आप ने कुछ गलत नहीं किया बल्कि आप के साथ जो गलत हो रहा था आप ने उस का विरोध कर अपना मानसिक बल दिखाया है. भले ही समाज कुछ देर से आप के नजरिए को सही माने मगर आप स्वयं हमेशा अपने साथ खड़ी रहें अर्थात अपने को बेवजह के आरोपों और दोषों से मुक्त कर खुली हवा में सांस लें और अपने हर फैसले पर विश्वास रखें.
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करिए वही जो आप को लगता है सही:
तलाक के बाद अकेले रहना है या खुद को दूसरा मौका दे कर शादी करनी है आप का अपना फैसला होना चाहिए. कठिनाइयों के डर से पीछे न हटें बल्कि पूरी मुस्तैदी से उठ खड़ी हों अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने हेतु क्योंकि लोग भी उन्हीं का साथ देते हैं जो अपने लिए खड़े होने का जज्बा रखते हैं. इसलिए यदि आप हैं तैयार तो आसान होगा तलाक के बाद दूसरी शादी का सफर भी.