#coronavirus: ऐप में ऐब

वायरसरूपी इस वैश्विक महामारी से निबटने के लिए वैश्विक एकजुटता की पैरवी तो की जा रही है लेकिन विश्व एकजुट नहीं है. बल्कि, इसको लेकर महाशक्तियों के मध्य तलवारें खिंची दिख रही हैं.

इधर भारत में महामारी को फैलने से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच सरकार ने आरोग्य सेतु नाम से जो ऐप पेश की, उसके कुछ फायदे हैं तो गंभीर नुकसान ज्यादा हैं. विपक्ष ही नहीं, सत्ताधारी भाजपा से जुड़ाव रखने वाले संगठनों ने भी इस सरकारी ऐप में ऐब निकाले हैं. वहीं, इस ऐप को अनिवार्य किए जाने को कानूनविद अवैध ठहरा रहे हैं.

देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के संरक्षक माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े  स्वदेशी जागरण मंच ने आरोग्य सेतु ऐप का यह कह कर विरोध किया है कि इससे विदेशी कंपनियों को मदद मिलती है और यह गैरकानूनी है.

केंद्र की भाजपा सरकार आरोग्य सेतु ऐप को खूब बढ़ावा दे रही है. इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इस ऐप को नोएडा और ग्रेटर नोयडा में अनिवार्य घोषित कर दिया है और कहा है कि स्मार्टफोन में यह ऐप न होना कानूनी अपराध है.

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स्वदेशी जागरण मंच ने इसी ऐप के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की शिकायत की है. मंच ने शिकायतीपत्र में प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से कहा है कि अमिताभ कांत इस ऐप के जरिए विदेशी ई-मैडिसिन कंपनियों की गैरकानूनी तरीके से मदद कर रहे हैं.

आरोग्य सेतु ऐप की खूबी यह है कि यह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों पर निगरानी रखती है. लेकिन इसके साथ ही यह रोगियों को औनलाइन स्वास्थ्य सलाह देती है, जाँच के बारे में बताती है और ई-फार्मेसी कंपनियों से जोड़ती है.

स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि ऐप से जुड़ी कुछ ई-फार्मेसी कंपनियां विदेशी हैं और इस प्रकार यह ऐप उन विदेशी कंपनियों की मदद कर रही है. मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने एक न्यूज पोर्टल से कहा कि अमिताभ कांत गैरकानूनी तरीके से विदेशी ई-फार्मेसी की मदद कैसे कर सकते हैं? करोड़ों भारतीयों ने इस ऐप को डाउनलोड कर लिया है और उन तक इन विदेशी कंपनियों की पहुंच हो गई है.

आरएसएस से जुड़ी एक और संस्था लघु उद्योग भारती भी आरोग्य सेतु ऐप और नीति आयोग प्रमुख अमिताभ कांत के विरोध में है. लघु उद्योग भारती का कहना है कि भारतीय कंपनियों और लघु व सूक्ष्म उद्यमों की मदद की जानी चाहिए जबकि इस ऐप के जरिए विदेशी कंपनियों की मदद की जा रही है.

इधर, उत्तर प्रदेश सरकार के पहले केंद्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को जरूरी कर दिया था. सरकार का यह निर्देश सभी विभागों, मंत्रालयों, कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है. आदेश में कहा गया है कि ये मंत्रालय और विभाग सभी स्वायत्त व वैधानिक संस्थाओं तथा पीएसयू को भी ये निर्देश भेज सकते हैं. ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए) 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी किए गए थे.

कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण ने सरकार द्वारा आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल की अनिवार्यता को अवैध बताया है. जस्टिस श्रीकृष्ण पर्सनल डेटा प्रोटैक्शन बिल के पहले मसौदे के लिए बनी कमिटी की अध्यक्षता कर चुके हैं. उन्होंने एक इंग्लिश डेली से बातचीत में कहा, ‘किस कानून के तहत आप इसे किसी पर भी अनिवार्य करते हैं? अब तक यह किसी भी कानून द्वारा समर्थित नहीं है.’

जस्टिस श्रीकृष्ण ने कहा कि आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए दिशानिर्देशों को पर्याप्त कानूनी समर्थन है, ऐसा नहीं माना जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘कानून के ये टुकड़े (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम) एक विशिष्ट कारण के लिए हैं. मेरे विचार में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एक वैधानिक निकाय नहीं है.’

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उधर, स्वेदशी जागरण मंच के पहले कांग्रेस पार्टी ने आरोग्य सेतु का विरोध किया था, लेकिन उसका कारण दूसरा था. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसको लेकर  ट्वीट किया, ‘यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी औपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है. इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा को गंभीर खतरा होने की आशंका है. प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए.’

गौरतलब है कि यह ऐप ब्लूटूथ और लोकेशन डाटा के आधार पर ऐप का प्रयोग करने वाले की स्थिति पर निगरानी रखती है और यह भी कि वह किनकिन व्यक्तियों के संपर्क में आया है.

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