Arranged Marriage में दिलदार बनें, रिश्ता तय करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

यदि किसी कारणवश युवा अपना भावी जीवनसाथी खुद न ढूंढ पाए या ढूंढना ही न चाहे और अपने मातापिता के सहयोग से ही विवाह बंधन में बंधने का निर्णय ले, तो आज के समय में पेरैंट्स के लिए अपने बच्चे की मैरिज करना खासा पेचीदा होता जा रहा है.

पेरैंट्स व बच्चों की किसी रिश्ते में किसी एक बिंदु पर सहमति बनना कोई आसान बात नहीं होती. वहां भी जैनरेशन गैप साफ दिखाई देता है और उस पर जब अधिकतर युवा लव मैरिज करने लगे हैं तो अरैंज्ड मैरिज के लिए विवाहयोग्य लड़केलड़कियों का जैसे अकाल सा पड़ने लगा है. और फिर बच्चे साथ में न रह कर दूसरे शहरों में या विदेश में हों तो वैवाहिक रिश्तों के बारे में चर्चा करना कठिन ही नहीं असंभव भी हो जाता है.

सुधा थपलियाल जो एक उच्च शिक्षित गृहिणी हैं, बताती हैं कि बेटी के लिए रिश्ते आते हैं पर जब फोन पर बेटी से रिश्तों के बारे में चर्चा करना चाहती हूं तो सुबह वह जल्दी में होती है, शाम को थकी होती है और छुट्टी के दिन आराम के मूड में होती है. विवाह के बारे में आखिर चर्चा करूं तो किस से करूं.

सावी शर्मा भी एक उच्च शिक्षित गृहिणी हैं. चर्चा छिड़ने पर कहती हैं कि मैं ने बेटे की अरैंज्ड मैरिज की लेकिन मुझे इतनी दिक्कत नहीं आई, क्योंकि बेटे ने पूरी तरह सब कुछ मुझ पर छोड़ दिया था. इसलिए जो रिश्ते मुझे पूरी तरह ठीक लगे, उन्हीं लड़कियों को मैं ने बेटे से मिलवाया और एक जगह बात फाइनल हो गई.

पेरैंट्स की मुशकिल समझें युवा:

अरैंज्ड मैरिज में आजकल पेरैंट्स की सब से बड़ी मुश्किल है बच्चों की कल्पना को धरातल पर उतारना, जोकि नामुमकिन होता है. साथ ही पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक पृष्ठभूमि को देखते हुए सही तालमेल वाले रिश्ते ढूंढना जिस में बच्चे बहुत कम सहयोग देते हैं.

कई युवा सोचते तो बहुत कुछ हैं पर विवाह को ले कर पेरैंट्स के साथ संवादहीनता की स्थिति कायम कर देते हैं, जैसे कि पेरैंट्स को पहली ही बार में उन की कल्पना को धरातल पर उतार देना चाहिए था और ऐसा नहीं हुआ तो यह उन की गलती है. लेकिन युवाओं को समझना चाहिए कि किसी की भी कल्पना धरातल पर नहीं उतरती.

सहज बातचीत से सामने से आए रिश्ते के माइनसप्लस पौइंट्स पर विचार किया जा सकता है. लव मैरिज में जहां बिना कुछ आगापीछा जानेबूझे, सोचेसमझे प्यार हो जाता है, मतलब कि प्यार की भावना ही प्रधान होती है वहीं अरैंज्ड मैरिज में आप के गुण, दोष, कमी, नौकरी, पैसा, सैलरी, खूबसूरती, सामाजिक रूतबा, घरपरिवार शिक्षा बगैरा देख कर ही रिश्ते आते हैं.

इसलिए यदि युवा स्वयं मनचाहा जीवनसाथी न ढूंढ पाए हों और भावी जीवनसाथी ढूंढने के लिए पेरैंट्स पर निर्भर हों तो पेरैंट्स के साथ सहयोग करें ताकि वे आप के लिए सुयोग्य जीवनसाथी का चुनाव कर सकें.

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बच्चों की मुश्किलें समझें पेरैंट्स:

दूसरी तरफ पेरैंट्स को भी चाहिए कि अरैंज्ड मैरिज में भी थोड़ा लव मैरिज वाला लचीलापन लाएं और दिलदार बनें. वर्षों से चली आ रही लकीर को न पीटें. जाति, जन्मपत्री, प्रथाएं, गोत्र, धर्म, रीतिरिवाज जैसी चीजों में उलझने के बाद जो रिश्ते छन कर बचते हैं वे शिक्षा व विचारों के लिहाज से आप के लाडले व लाडली के साथ कितने फिट बैठते हैं यह देखने व सोचने की जहमत भी उठाएं.

इसलिए अरैंज्ड मैरिज में भी इस तयशुदा चारदीवारी से बाहर आ कर थोड़ा उदार रवैया अपनाएं. खुद की सड़ीगली मान्यताओं को एकतरफ रख कर, जो बच्चों के साथ फिट बैठ सके, ऐसे साथी के बारे में सोचें. आजकल के समय में लड़कियों के लिए भी हर तरह का समझौता करना सरल नहीं है. इसलिए उन के लिए भी अरैंज्ड मैरिज करना कोई आसान बात नहीं रह गई.

अरैंज्ड मैरिज की मुश्किलें:

अरैंज्ड मैरिज में बिचौलिए, मातापिता या रिश्तेदार किसी रिश्ते के लिए भावनात्मक दबाव बनाने लगते हैं. यह सही नहीं है. इस के अलावा लड़कालड़की को एकदूसरे को समझने के लिए समय नहीं मिल पाता, यह मुश्किल तब और बड़ी हो जाती है जब वे अलगअलग शहरों में या उन में से एक विदेश में हो.

लव मैरिज में युवा एकदूसरे को लंबे समय तक जाननेसमझने के बाद विवाह का फैसला लेते हैं, इसलिए उन्हें अपने फैसले पर विश्वास होता है. लेकिन अरैंज्ड मैरिज में उन्हें फैसला लेने में घबराहट होती है. आजकल के युवा उम्र व मानसिक रूप से परिपक्व होने के कारण हर किसी के साथ सरलता से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते हैं.

लव मैरिज में जहां प्रेम गुणदोषों को साथ ले कर चलता है वहीं अरैंज्ड मैरिज में सब कुछ विवाह के बाद की स्थिति पर निर्भर करता है. लव मैरिज में जहां युवा आपसी सहमति से भविष्य की योजना बनाते हैं वहीं अरैंज्ड मैरिज में कई बार इन सब भावी फैसलों पर पारिवारिक दबाव बन जाता है और लड़कालड़की अपने साथी का मंतव्य ठीक से समझ नहीं पाते.

साथी से मिलें कुछ इस तरह:

जब यह तय है कि साथी मातापिता ही ढूंढेंगे तो उन पर भरोसा कीजिए. उन के फैसले के साथ अपनी पसंद भी मिलाइये और भावी साथी के साथ कुछ इस तरह मिलिए:

– साथी को अपने सामने खुलने का अवसर दें. स्थिति में तनाव को दूर करने की कोशिश करें. दोनों में से कोई भी सहज बातचीत शुरू कर के साथी को कंफर्टेबल कर सकता है. आप का उन के बारे में जो भी खयाल बने, अपने परिवार वालों को स्पष्ट तौर पर बताएं.

– गलत निर्णय लेने से अच्छा है देर से निर्णय लेना या फिर नहीं लेना. पर पेरैंट्स के साथ विवाह की चर्चा को ले कर सहज बातचीत या सकारात्मकता बनाए रखें ताकि वे आप के लिए सुयोग्य जीवनसाथी का चयन कर सकें.

– एकदूसरे का इतिहास जानने की कोशिश न करें, बल्कि भविष्य की योजनाओं, रूचियों, स्वभाव बगैरा समझने की कोशिश करें. अपनी नौकरी, वर्किंग आवर, टूरिंग, व्यस्तता, सैलरी आदि के विषय में स्पष्ट जानकारी देना व लेना एकदम सही रहेगा ताकि बाद में कोई विवाद न हो. इस के अलावा एकदूसरे के पुरुष व महिला मित्रों के बारे में रवैया और हद जान लेना भी सही रहेगा.

– खर्चे की बात भी साफ हो जानी चाहिए, क्योंकि अधिकतर लड़कियों की सोच होती है कि पति का पैसा तो सब का लेकिन उन का पैसा सिर्फ उन का. इस के अलावा आजकल की कामकाजी लड़कियां ऐसे लड़कों को पसंद करती हैं जो उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि घरपरिवार, बच्चे सिर्फ उन की जिम्मेदारी नहीं हैं.

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अरैंज्ड मैरिज में भी जगाएं लव मैरिज वाला जज्बा:

अब जब विवाह तय हो गया है और आप ने स्वयं को अरैंज्ड मैरिज के लिए तैयार कर लिया है तो एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताइए, चाहे एक शहर में हों या अलग या फिर विदेश में.

काम के बोझ तले यदि मन बेताब नहीं भी हो पा रहा है, दिल में कई सशंय घूम रहे हैं और साथी के प्रति इतना आकर्षण महसूस नहीं कर पा रहे हैं, तब भी बेताबी जगाइए. आकर्षण पैदा कीजिए एकदूसरे के लिए. सोचिए कि कुदरत ने उन्हें सिर्फ आप के लिए ही बनाया है. फ्लर्टिंग कीजिए, हंसिएहंसाइए, छोटेछोटे सरप्राइज दीजिए और महसूस कीजिए कि आप का प्यार बस अभीअभी शुरू हुआ है व आप को इसे कैसे जीत कर मंजिल तक पहुंचाना है.

अपने लिए साथी भले ही आप ने खुद नहीं ढूंढ़ा है पर पसंद तो आप ने ही किया है. इसलिए उस के प्रति भी वही जज्बा जगाइए जो प्रेम विवाह में होता है. चाहें तो छिपछिप कर मिलें या प्रेम का इजहार करें. फिर  देखिए कैसे अरैंज्ड मैरिज में भी लव मैरिज जैसा लुत्फ आता है.

संबंध को टेकेन फार ग्रांटेड लेंगी तो पछताना ही पड़ेगा

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक सुखी दांपत्य के लिए क्या जरूरी है? इस बात से जरा भी इनकार नहीं किया जा सकता कि दांपत्य जीवन के लिए हेल्दी फिजिकल रिलेशन जरूरी है. अलबत्त, यह जरूरी नहीं कि इसके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है जो संबंध को हमेशा सजीव रखता है.हग, स्पर्श, प्यार , कद्र, सम्मान और संवाद कभी संबंध को सूखने नहीं देते.

शबाना आजमी से एक इंटरव्यू में पूछा गया था कि जावेद साहब इतनी सारी कविताएं, गीत और गजल लिखते हैं तो आप पर भी रोजाना एक गीत या गजल लिखते होंगें? शबाना आजमी ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि जावेद साहब मेरे ऊपर कविता या गीत नहीं लिखते, इतने लंबे वैवाहिक जीवन में मेरे ऊपर गिनती की 3-4 कविताएं लिखी होंगीं. पर सच बात तो यह है कि मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है. क्योंकि उनके व्यवहार में मैं अपने प्रति भरपूर स्नेह देखती हूं. मेरी छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना, मेरी हर बात को शांति से सुनना, मेरी कोई प्राब्लम हो तो उसे हल करना, रोजाना प्रेम से हग करना,  यह सब मेरे लिए कविता से विशेष है. मैं अपने प्रति उनके स्नेह को आज भी वैसा ही अनुभव कर रही हूं, जो मेरे लिए कविता से बढ़ कर है. शबाना आजमी की पूदी बात में आखिरी बात बारबार  पढ़ने और समझने लायक है कि ‘मैं इतने सालों बाद भी उनके अपने प्रति स्नेह को उनके व्यवहार में अनुभव कर सकती हूं.’ यही सब से महत्वपूर्ण बात है.

पूरे दिन की दौड़भाग के बाद घर आने पर मिलने वाला पत्नी का प्रेम भरा एक हग दिन भर की थकान उतार सकता है. यह वाक्य हम न जाने कितनी बार पढ़ या सुन चुकी होंगीं, शादी के बाद शुरू के दिनों में कुछ समय तक पति-पत्नी के बीच यह घटनाक्रम चलता है. पर जैसेजैसे समय बीतता जाता है, वैसेवेसे यह आदत छूटने लगती है. अलबत्त, पति थक कर आया हो, पूरे दिन घर और घर के सदस्यों की देखभाल करने वाली पत्नी की भी इच्छा होती है कि उसका भी कोई ख्याल रखे. जिस तरह पति आफिस से थकामांदा आता है और पत्नी के हाथ की गरमामरम चाय पी कर उसकी थकान उतर जाती है, उसी तरह रोज सवेरे जल्दी उठ कर नाश्ता तैयार करने वाली पत्नी को भी किसी दिन आराम दे कर पति नाश्ता बनाए तो पत्नी के लिए इससे बढ़कर खुशी की बात दूसरी नहीं होगी.

डेप्थ अफेक्शन और एट्रेक्शन का खेल

यह समय ऐसा है कि संबंधों में डेप्थ मुश्किल से ही देखने को मिलता है. युवा अफेक्शन और एट्रेक्शन के बीच की पतली रेखा को भूलते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप एट्रेक्शन को प्रेम मान लेने की गलती कर रहे हैं. एट्रेक्शन कुछ समय बाद कम होने लगता है, इसलिए एक समय जो व्यक्ति बहुत अच्छा लग रहा होता है, वही व्यक्ति कुछ समय बाद जीवन की भूल लगने लगता है. यहां महिला या पुरुष,  किसी एक गलती नहीं कही जा सकती, महिला और पुरुष दोनों की ओर से अब ऐसा होने लगा है. मार्डर्न कल्चर को मानने वाले युवाओं में यह चीज खास कर देखने को मिलती है. ये बहुत जल्दी किसी की ओर आकर्षित हो जाते हैं. यह आकर्षण फिजिकल होता है, इसलिए कुछ दिनों बाद वह आदमी बोर लगने वगता है. फिर उस आदमी की बातें, विचार और पसंद अच्छी नहीं लगतीं.मन में उसे छोड़ कर भाग जाने का मन होने लगता है.

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 प्रेम को शारीरिक संबंध की बाऊंड्री में न लाएं

सेक्सुअल रिलेशन हम सब की जरूरत है. आदमी की बेसिक जरूरत में एक जरूरत है. पर प्रेम केवल शारीरिक संबंधों की बाऊंड्री में नहीं आता. प्रेम इस सब से परे है. हम जब अपने पार्टनर से जुड़ते हैं, तो शारीरिक रूप से खुश रखने के साथसाथ मानसिक रूप से भी खुशी देने के वचन का हमेशा पालन करना चाहिए. क्योंकि शारीरिक खुशी कहीं न कहीं स्वखुशी भी होती है. जबकि पार्टनर को दिया जाने वाला प्रेम, लगाव, स्नेह और अपनेपन की भावना पूरी तरह पार्टनर की खुशी के लिए किया गया कार्य है.

 छोटे स्टेप्स भी ध्यान देने लायक

ऐसा कहा जाता है कि प्रेम करने वाला व्यक्ति आप द्वारा की गई छोटी से छोटी बात पर ध्यान रखता है और यह बात उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. जेसेकि पति उठे तो उसके लिए गरम पानी तैयार रखना, इससे पति को आप की केयरिंग का आभास होगा. पार्टनर की छोटी से छोटी बात का ध्यान रखने की आदत, रास्ते में जा रहे हों और पार्टनर को ठंड लगने पर अपनी जैकेट उतार कर ओढ़ाने की आदत, कार में जा रहे हों, पार्टनर जहां उतरे उसे हग कर के सीआफ करने की आदत, थोड़ा समय निकाल कर पार्टनर को सरप्राइज देने की आदत, सुबह उठने तथा रात को सोने के पहले उसी तरह बाहर से आने पर तुरंत स्नेहिल हग करने की आदत, पार्टनर को उसके कार्यस्थल से पिकअप करने की आदत, लांग ड्राइव पर गए हों तो पार्टनर की पसंद के गाने बजाने की आदत, जैसे छोटेछोटे काम भी आपको प्रेम करने के लिए अति महत्वपूर्ण हो सकते हैं. क्योंकि आपकी यही आदतें आपको अनुभव कराएंगी कि आप उसके लिए महत्वपूर्ण हैं.

 समय समय पर संबंध को पोसना जरूरी है

खैर, आप कहेंगे कि नयानया संबंध बना है तो सभी ऐसा करते हैं. यह बात सौ प्रतिशत सच है, नया संबंध बना हो, एकदूसरे को इम्प्रेश करने की शुरुआत हो तो इस तरह की तमाम छोटीछोटी चीजें एकदूसरे के लिए पार्टनर्स करते रहते हैं. पर जैसेजैसे समय गुजरता जाता है, वैसेवैसे ये चीजें भुलाती जाती हैं. कहो कि पार्टनर एकदूसरे को टेकेन फार ग्रांटेड लेना चाहते हैं. यह टेकेन फार ग्रांटेड लेने की आदत ही संबंधों में गैप लाने की शुरुआत करती है. ‘बारबार थोड़ा प्रेम जताना हो’?’ ‘यह तो पता ही हो न?’ ‘संबंध को कितना समय हो गया, अब यह बहुत अच्छा नहीं लग रहा’, ‘यह लपरझपर हमें नहीं आता’, ‘यह सब नयानया संबंध बना था तो किया था, अब हमेशा के लिए यह अच्छा नहीं लगता’, आदमी की यही मानसिकता संबंध में गैप लाने का काम करती है. एक सीधासादा उदाहरण देखते हैं. हम घर में एक पेड़ उगाते हैं. शुरूशुरू में उसकी खूब देखभाल करते हैं. उसमें खाद डालते हैं  पानी डालते हैं. थोड़ेथोड़े दिनों में उसकी गुड़ाई कर के उसे हराभरा रखने की कोशिश करते हैं. जब तक यह सब करते रहते हैं, तब तक पेड़ खूब हराभरा रहता है. उसमें सुंदर फूल भी आते हैं. पर जैसेजैसे समय गुजरता जाता है, पेड़ भी बड़ा हो जाता है, देखने में सुंदर लगने लगता है, तब उसकी देखभाल कम कर देते हैं. ऐसा करने से कुछ दिनों में पेड़ सूख जाएगा. संबंधों में भी ऐसा होता है. संबंध भी जतन मांगते हैं. इन्हें टेकेन फार ग्रांटेड लेने के बदले इनका जतन करें. संबंध में भी स्नेह, प्रेम लगाव की खाद और पानी डालते रहें. इस तरह करने से वह हमेशा हराभरा रहेगा.

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 जतन सब से ज्यादा जरूरी

लड़केलड़की के बीच संबंध बनता है तो सेक्सुअली क्लोजनेस आ ही जाती है, यह स्वाभाविक भी है. पर शारीरिक निकटता के साथ संबंध में स्नेह और मानसिक निकटता भी बनाए रखें, पार्टनर की छोटीछोटी बात का ध्यान रखें, यहां केवल लड़का या लड़की ही नहीं, दोनों की बात है. दोनों ही एकदूसरे के लिए ज्यादा समय न निकाल सकते हों तो भी छोटेछोटे काम से एकदूसरे के लिए लगाव फील कराएं, जैसेकि सुबह उठ कर एकदूसरे को स्नेह भरा हग करें, लंच बनाते समय एक साथ समय गुजारें, एकदूसरे की तमाम चीजों का ख्याल रखें, एकदूसरे को दिन में बारबार आई लव यू कहें, पूरे दिन क्या किया, रात को एकदूसरे से जानें, मन में क्या चल रहा है, एकदूसरे से शेयर करें. पार्टनर फ्रस्ट्रेट हो तो उस पर गुस्सा होने के बजाय उसे संभालें. छोटीछोटी सरप्राइज दें. जैसा पहले बताया कि संबंध भी हरेभरे पेड़ की तरह है. इसे टेकेन फार ग्रांटेड लेने के बजाय इसका जतन करना जरूरी है.

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