क्या आप को हैरानी हुई है कि छरहरी महिलाएं भी कमजोर और अस्वस्थ क्यों हो जाती हैं?
क्या आप ने कभी सोचा है कि सब का खयाल रखने वाली परिवार की कोई सदस्य अकसर बीमार क्यों पड़ जाती है?
एक दशक पहले तक हैजा, टीबी और गर्भाशय का कैंसर महिलाओं को होने वाली सेहत से जुड़ी मुख्य समस्याएं थीं. इन दिनों नई बीमारियां, जैसे कार्डियो वैस्क्यूलर डिजीज, डायबिटीज और आस्टियोआर्थराइटिस जैसे रोग 30 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की युवा महिलाओं में फैले हुए हैं.
आर्थराइटिस फाउंडेशन की ओर से हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि 2013 तक देश में लगभग 3.6 करोड़ लोग आस्टियोआर्थराइटिस रोग से प्रभावित हो जाएंगे. कम आमदनी वाले वर्ग की 30-60 वर्ष की भारतीय महिलाओं के बीच हुए एक अध्ययन में अस्थि संरचना के सभी महत्त्वपूर्ण जगहों पर बीएमडी (अस्थि सघनता) विकसित देशों में दर्ज किए गए आंकड़ों से काफी कम थी, जिस के साथ अपर्याप्त पोषण से होने वाले आस्टियोपेनिया (52%) और आस्टियोपोरोसिस (29%) की मौजूदगी ज्यादा थी. अनुमान है कि 50 वर्ष से अधिक की 3 में से 1 महिला को आस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का अनुभव होगा.
इन दिनों कम शारीरिक सक्रियता वाली जीवनशैली की वजह से दबाव संबंधी कारक और मोटापा जोखिम पैदा करने वाले कुछ ऐसे कारक हैं जिन का संबंध आस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं से माना जाता है. इसलिए, यदि कोई स्वस्थ जीवन जीना चाहता है तो जरूरी है कि वह अपनी हड्डियों की देखभाल पर विशेष ध्यान दे. आस्टियोआर्थराइटिस की रोकथाम और काम व जीवन के बीच स्वस्थ संतुलन कायम करने के लिए यहां ऐसे टिप्स बताए जा रहे हैं, जिन पर महिलाओं को ध्यान देना चाहिए.
1. भोजन के सही विकल्प
सब्जियों, जैसे लहसुन, प्याज और हरे प्याज से भरपूर आहार तकलीफदेह आस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में मदद कर सकता है. ऐसा भोजन लें जो विटामिन ई से भरपूर हो, जैसे स्ट्राबैरी, बैगन, गोभी, पालक, बंदगोभी और खट्टे फल संतरा, मौसमी आदि.
2. जीवनशैली में बदलाव
कई बार महिलाएं ऊंची एड़ी के या गलत किस्म के सैंडल पहनती हैं, जिस के नतीजे के तौर पर घुटनों के जोड़ पर दबाव पड़ता है. घुटने के आस्टियोआर्थराइटिस से बचने के लिए, डाक्टरों द्वारा अंदरूनी सोल वाले विशेष जूते पहनने की सलाह दी जाती है, जो जल्दीजल्दी चलनेफिरने के लिए शरीर को जरूरी सहारा दे सकते हैं.
3. सुडौल शरीर
यह देखा गया है कि महिलाओं में आस्टियोआर्थराइटिस का प्रमुख कारण मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली है. इसलिए महिलाओं के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे गंभीरता से वजन घटाने के उपाय अपनाएं और उन्हें अपनी दैनिक जीवनशैली में शमिल करें. योग, हलके व्यायाम, जैसे पैदल चलना और बोलिंग (एक खेल) करना आदि बेहतर विकल्प हो सकते हैं. रोगग्रस्त महिला को बागबानी, सीढि़यां चढ़ने आदि जैसे कामों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये काम घुटनोें के जोड़ों पर भार डालते हैं.
4. घरेलू उपाय
कोई भी महिला खुद की देखभाल के तरीकों को भी अपना सकती है, जैसे गरम सिंकाई वाला पैड इस्तेमाल करना, गरम पानी से स्नान या जोड़ों के दर्द से राहत के लिए बर्फ के टुकड़ों से सिंकाई करना.
5. उपचार के वैकल्पिक तरीके
कई लोग रोग से जुडे़ दर्द, अकड़न, दबाव और बेचैनी से राहत पाने के लिए उपचार के वैकल्पिक तरीके, जैसे 5 इंजैक्शन का उपचार या विस्को सप्लीमैंटेशन अपनाते हैं. आस्टियोआर्थराइटिस के विरुद्ध भी हाएलगन जोड़ों के बीच घुटने में इंजैक्शन देना एक ऐसा तरीका है, जो रोगियों में आस्टियोआर्थराइटिस की शुरुआत और प्रगति को रोकता है. यह आस्टियोआर्थराइटस के उपचार के लिए दर्दमुक्त, गुणवत्ताशाली निदान विधि है. हाएलगन थेरैपी में 1 सप्ताह के अंतराल में 5 इंजैक्शन शामिल होते हैं, जिन्हें जोड़ों में सामान्य द्रव का लचीलापन व लुब्रिकेशन जैसी खूबियां दोबारा पैदा करने के लिए सीधे घुटने के जोड़ों में लगाया जाता है. हाएलगन आस्टियोआर्थराइटिस की 1-3 अवस्था के रोगियों के लिए एक आदर्श उपचार है.
6. अंतिम विकल्प
जब दर्द सहन से बाहर हो जाए और जब अवस्था में घुटने काम करने लायक न रहें तो पीडि़त व्यक्ति को घुटना बदलवाने की शल्यचिकित्सा करवानी पड़ती है. यह तब की जाती है जब दूसरे उपचार काम नहीं करते हैं. इस अवस्था में जोड़ों में हुई टूटफूट को एक्सरे में देखा जा सकता है.
– डा. ए.वी. शर्मा, प्रमुख आर्थोपैडिक सर्जन, आर. के. हौस्पिटल