आर्टिस्ट कृपा शाह से जानें कैसे भरे जीवन में रंग

कोविड 19 की महामारी नेबच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी को प्रभावित किया है. लगातार लॉकडाउन से घर में कैद रहकर व्यक्ति को कुछ करने की इच्छा भी धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है, ऐसे में संगीत, कला, पेंटिंग्स, डांस, योगा आदि का सहारा लेने से ये चीजें, व्यक्ति कीबेरंग जिंदगी में कुछ रंग भरने का काम कर सकती है. बॉलीवुड की कई कलाकारों ने भी इसका सहारा लिया है. इस कड़ी में सबसे पहले अभिनेता सलमान खान आते है, उन्होंने अपनी बोरियत को कम करने के लिए कई पेंटिंग्स बनाए है. इसके अलावा अनन्या पांडे, जान्हवी कपूर, सनी लियोनि आदि सभी कलाकार पेंटिंग्स बनाकर अपनी उदास जिंदगी में रंग भरने की कोशिश कर रहे है.

अवसाद दूर करती है कलर्स

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रंग हमेशा किसी व्यक्ति के जीवन मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, क्योंकि फ्रेश चित्र पर लगाये गए रंग आपकी क्रिएटिविटी के साथ-साथ, मानसिक अवसाद से भी राहत देती है. आर्टिस्ट कृपा शाह ने भी अपने पेंटिंग्स में वाईब्रेंट कलरकॉम्बिनेशन और शार्प ब्रश स्ट्रोक्स से एक कहानी को कैनवास पर उतारने में सफल हुई और कई अवार्ड भी जीती. एब्सट्रैक्ट पेंटिंग बनाने में माहिर कृपा शाहने आर्ट की शिक्षा मुंबई से ली और जब भी समय मिलता परिवार के साथ कैनवास पर पेंटिंग करती गयी. कृपा शाह आर्टिस्ट होने के साथ-साथ एक जन हितैषी भी है. कृपा का कहना है कि इस पेंडेमिक की वजह से मेरा मन बहुत उदास रहता है, क्योंकि बहुत सारे लोगों ने कोविड से अपनी जान गवा दी है. इसलिए अभी मैं कुछ महीनों से सबको ऑक्सीजन, बेड, फ़ूड आदि जो भी संभव हुआ मदद करती जा रही हूँ. मेरे लिए अमीर हो या गरीब सब एक जैसे है, जिसे भी मेरी जरुरत होती है, मैं मदद करती हूँ. मेरे परिवार के और कई जानने वालों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोडा है. इसलिए जो लोग कोविड से ठीक होते है, उन्हें मैं एक पेड़ देकर उसे ग्रो करने की सलाह देती हूँ, क्योंकि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए जंगलों के पेड़ काँटे और जानवरों का शिकार किया है, जिसका परिणाम पूरा विश्व भुगत रहा है. अभी परिस्थिति ऐसी हो गयी है कि व्यक्ति मरना नहीं चाहता, लेकिन मरने के लिए बाध्य हो रहे है.  इसलिए क्रिएटिव पर्सन होने की वजह से मैंने अधिक से अधिक पेड़ ग्रो करने का सिद्धांत लिया है.

बेकार पड़ी वस्तुओं को दें क्रिएटिविटी

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कृपा ऑनलाइन पेंटिंग्स सिखाती है, जिसे बच्चे, बुजुर्ग और अकेले रहने वाले व्यक्ति भी सीख सकें. इसमें उन्हें रंग और रंगों के मिश्रण से बनने वाले अलग-अलग कलर का परिचय करवाती है. कृपा कहती है कि एक वृद्धाश्रम में भी मैंने कुछ क्रिएटिव सिखाने के लिए मोबाइल व्हाट्स एप का सहारा लिया है. इसमें 4 से 5 व्यक्ति साथ मिलकर तरह-तरह की चीजे बनाते है और आईडियाज शेयर करते है. उन्हें पेंटिंग्स नहीं सिखा पाती, क्योंकि उनके पास रंग नहीं होता और वे वयस्क है. किसी को वहां जाकर रंग पहुँचाने नहीं दिया जाता, ऐसे में मैंने उन्हें बिना कैची के अख़बार फाड़कर अलग-अलग चीजे बनना सिखाई है.उन्हें स्टेपलर और सेलोटेपआसानी से मिल जाता है.अखबार से महिलाओं और पुरुषों ने पंखा, गणपति, पक्षी, टोकरी आदि कई वस्तुएं बनाई है, इस कला से मैं उनके मायूस जिंदगी में थोड़ी ख़ुशी देने की कोशिश मैंने कर रही हूँ.रंगों के बिना घर पर ऐसे कई सामान पड़ी होती है, जिसे लेकर एक क्रिएटिव चीज बनायीं जा सकती है.इतना ही नहीं छोटी उम्र में अचानक विधवा हुई महिलाओं को भी ट्रोमा से निकालने का प्रयास मैं मनोवैज्ञानिक तरीके से करती हूँ.

मिला परिवार का सहयोग

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आर्टिस्ट कृपा शाह को बचपन से ही पेंटिंग का शौक था, जिससे उन्होंने 25 साल बाद सबसे परिचित करवाई. छोटी उम्र से ही उन्होंने बड़े-बड़े कैनवास पर बिना डरे पेंटिंग्स बना चुकी है. कृपा कहती है कि मुझे पेंटिंग और गरबा डांस का शुरू से शौक था. रंगों के साथ खेलना अच्छा लगता था. कम उम्र में शादी हुई और बच्चे भी हो गए, लेकिन मैंने पेंटिंग करना जारी रखा, क्योंकि इससे मुझे सकारात्मक सोच मिलता रहा. तब नई आइडियाज को कैनवास पर उतारते हुए रंगों की गहराई में जाना और स्केचिंग करना पसंद था.  पहले मेरे पेंटिंग्स रियलिटी से जुडी हुई होती थी, जिसमें प्रकृति से जुड़ी महिलाएं, पुरुष, बच्चे, जानवर आदि होते थे. चिनिया चोली पहनी हुई सिर पर मटकी रखकर पानी भरने के लिए जाती गांव की महिला, पेड़-पौधे,पालतू जानवरआदि जिसे असल जिंदगी में देख पाते है. मैंने उसे कैनवास पर जगह दिया था. दूसरा बच्चा होने के बाद मेरे परिवार वालों ने मेरे सारें पेंटिंग्स, मेरे घर भेजवा दी. यहाँससुराल पक्ष और पति के सहयोग से मैंने एक बार फिर पेंटिंग्स के क्षेत्र में आई. इस काम में मेरी माँ माया शाह, पति संदीप शाह और तीनों बेटियों का बहुत सहयोग रहा है. सबसे छोटी बेटी नताशा शाह पेंटिंग करती है और प्रदर्शनी से मिले फण्ड को कैंसर पेशेंट को डोनेट करती है. मेरी बड़ी बेटी वंशिका शाह और दूसरी काव्या शाह है, जो अलग क्षेत्र से जुडी हुई है. मैंने अपने परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित कर कैरियर बनायीं है, क्योंकि मैं खुद की आइडेंटिटी चाहती हूँ. हर महिला को इसे बनाये रखना जरुरी है, क्योंकि जब तक महिला खुद को रेस्पेक्ट नहीं करेगी, उसे कोई सम्मान नहीं देगा.

करना था कुछ अलग

मैं अब रीयलिस्टिक पेंटिंग्स से हटकर कुछ यूनिक करना चाहती थी. मैंने एब्सट्रैक्ट यानि निराकार पेंटिंग पर जानकारी हासिल की. ये कठिन था, पर मैंने धीरे-धीरे एक कहानी को कैनवास पर उतारने की कला मेरे अनुभव से आने लगी, जिसे सभी पसंद करने लगे. फलस्वरूप मैंने कई शो किये,जिससे मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ता गया. मुझे कई अवार्ड मिले, मेरा एक सिग्नेचर पेंटिंग हो गया. मैंने कैनवास पर रंगों और शंख को मिलाने के बाद की सकारात्मकता को पेंटिंग्स के द्वारा दिखाया है. शंख भी प्रकृति में पानी के अंदर अलग-अलग रूपों में पाया जाता है, जिसे बहुत कम लोगों ने देख पाते है. मैंने स्कूबा डाइविंग के जरिये पानी के नीचे जाकर देखा है. इससे शंख की जो छवि मेरे अंदर आई, उसे मैंने कैनवास पर उतारा. पेंटिंग्स में मेरे शंख का नाम अबिस्का है. मैंने अलग-अलग आकार केशंख की जोड़ी बनाई है, जो एक इमोशनल टच माँ-बेटी, पति-पत्नी, सास-ससुर, माता-पिता, माँ-बेटे आदि के रिश्तो केसंबंधो को मैंने कैनवास पर उतारा है, जो हॉट और कोल्ड दोनों से बना है. उसके आसपास जिस रंग को फैलाया गया है,वह उस रिश्ते की  मजबूती को दिखाती है और कैनवास के द्वारा इसी मेसेज को लोगों तक पहुंचाती हूँ. मैंने अपने पेंटिंग्स में ऑरेंज, पीला और हरे रंगों का अधिक प्रयोग किया है, जो उर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा नीला रंग शांति और हरा रंग लक्जरी का अनुभव कराती है, जो महंगे जगह पर नहीं समुद्र या नदी के किनारे भी मिल सकती है.

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