कहर पर कहर. कहर दर कहर. कोरोना कहर, गरीबी कहर, मजदूरी कहर, मजबूरी कहर, बेरोजगारी कहर, पलायन कहर और अब तो घरवापसी भी एक कहर सा है. ये सारे कहर प्रवासी मजदूर परिवारों पर टूट पड़े हैं.
पेट के लिए रोटी, तन के लिए कपड़ा और रहने के लिए मकान बनवाने के सपने को पूरा करने के लिए अतिगरीब ग्रामीण अपनी झोंपड़ी से निकल बड़े शहरों को पलायन करते रहे हैं. रोटी, कपड़ा और मकान के उनके सपने किसी हद तक पूरे होते भी रहे हैं और वे सकुशल, सुरक्षित व प्रेमभाव के साथ घरवापसी करते रहे हैं.
समय की मार झेलनेसहने वाले इस तबके पर अब एक असहनीय कहर ढाया गया है जो जारी भी है. और वह कहर है – लौकडाउन. देशभर में प्रवासी मजदूर महानगरों से अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं क्योंकि लौकडाउन के कारण महानगरों में उनका जिंदा रहना मुश्किल हो गया है.
देशव्यापी लौकडाउन वैसे तो पूरे देशवासियों के लिए एक कहर सा है लेकिन गरीब तबके, विशेषकर प्रवासी मजदूरों, के लिए तो यह कहरपरकहर जैसा है. इस दौरान उन्हें हर तरफ से व हर तरह से घोर प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है.
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इस संबंध में सभी को काफीकुछ मालूम है. ताजा कहर का जिक्र करते हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली
के लाजपत नगर में कोरोना की मैडिकल स्क्रीनिंग के लिए अपनी बारी के इंतजार में खड़े प्रवासी मजदूरों पर दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी ने इन्फ़ैक्शन से बचाने वाले कैमिकल यानी जीवाणुनाशक का छिड़काव कर दिया. इन प्रवासी मजदूरों को श्रमिक स्पैशल ट्रेनों से अपने गांवघर को वापस जाना था. ट्रेन पर चढ़ने से पहले यह स्क्रीनिंग कराना नियमानुसार आवश्यक है.
सोशल मीडिया के इस युग में इस घटना का वीडियो वायरल हो गया. श्रमिक स्पैशल ट्रेन पकड़ने के लिए मैडिकल स्क्रीनिंग टैस्ट करवाने के लिए प्रवासी मजदूर लाइन में खड़े थे कि तभी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी टैंकर के साथ वहां पहुंचे और उन पर जीवाणुनाशक कैमिकल का छिड़काव कर दिया. टैंकर में 4 कर्मचारी थे.
निगम कर्मियों ने यह भी नहीं देखा कि वहां कई बूढ़े, महिलाएं व बच्चे भी हैं. यह घटना दिल्ली के पौश इलाके लाजपत नगर के हेमू कलानी सीनियर सैकंडरी स्कूल के बाहर घटी.
दिल्ली के एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपाशासित नगर निगम के 4 कर्मचारियों में से एक कर्मचारी स्कूल के आगे की सड़क को संक्रमणमुक्त करने के लिए छिड़काव कर रहा था, तभी उसने जीवाणुनाशक कैमिकल का पाइप मजदूरों की ओर मोड़ दिया.
इस दौरान दूसरा कर्मचारी उसे ऐसा करने को कह रहा था कि पाइप से सीधे उन्हीं प्रवासियों पर जीवाणुनाशक डालो. कैमिकल पड़ते ही कई मजदूर खांसने लगे और वहां से भागने लगे.
कुछ लोगों ने भागकर स्टील के पिलर के पीछे बच्चों और महिलाओं को बचाया, कुछ ने अपने को अपने बैग या किसी सामान से ढका.
प्रवासियों ने बताया कि वे लोग वहां पिछले 48 घंटों से इंतजार कर रहे हैं ताकि बिहार और यूपी जाने के लिए ट्रेन में एक सीट हासिल कर सकें. बाटला हाउस से पैदल चलकर पहुंचे तौफीक (30 साल) नाम के एक प्रवासी का कहना था, “हमें बिहार के समस्तीपुर जाना है. हमने पहले चिलचिलाती धूप सही, पुलिस का भेदभावपूर्ण रवैया झेला और अब कैमिकल.
“अब हम पर कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें घर जाना है. लेकिन हमें यह मालूम भी नहीं कि हमारी ट्रेन निर्धारित समय पर है भी या नहीं. मैं यहां कल रात से ही इंतजार कर रहा हूं. आगे और इंतजार करने को तैयार हूं ताकि किसी तरह मुझे ट्रेन में सीट मिल सके.”
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने अपने कर्मचारी के बचाव में सफाई दी है कि ऐसा ग़लती से हुआ क्योंकि कर्मचारी मशीन से पाइप पर लगने वाले प्रैशर को नहीं संभाल सका और इस वजह से पाइप ग़लत दिशा में मुड़ गया. नगर निगम के अधिकारियों ने इसके लिए प्रवासियों से माफ़ी भी मांगी है.
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मालूम हो कि इससे पहले मार्च में उत्तर प्रदेश के बरेली से ऐसा ही एक वीडियो सामने आया था जिसमें घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को एक जगह बैठाकर उन पर जीवाणुनाशक कैमिकल का छिड़काव किया गया था. इसका वीडियो सामने आने पर लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर घेरा था.