Judiciary और एजेंसी के जाल में फंसे Aryan Khan, पढ़ें खबर

बुरी लत चाहे ड्रग्स की हो या किसी दूसरे चीज की….कानून के हिसाब से सबकुछ होने की जरुरत है…… नामचीन व्यक्ति……क्रिकेट और हिंदी सिनेमा जगत के सेलेब्रिटी को जनता का प्यार बहुत मिलता है……उन्हें एक घड़ी पहनने का ब्रांड 5 करोड़ देती है……क्यों दे रही है?….जनता के लिए ही दे रही है, क्योंकि जनता उसे ही पहनना चाहेगी….और ब्रांड का काम बन जाता है ……एक आम इंसान को कोई ब्रांड5 करोड़ तो क्या 5 रुपये तक नहीं देती ….. अगर ब्रांड का फायदा सेलेब्रिटी को मिलता है, तो आपके बारें में जनता जानना भी चाहती है….इसे टाला नहीं जा सकता…क्योंकि आपने अगर इंडोर्समेंट का फायदा उठाया है, तो आपके जीवन में किसी का हस्तक्षेप न हो, ऐसा संभव नहीं. ऐसे ही कुछ बातों को कह रही थी, मुंबई हाईकोर्ट की वकील, सोशल एक्टिविस्ट और फॉर्मर ब्यूरोक्रेट आभा सिंह. व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने बात की और कहा कि कोर्ट का आर्यन खान को बेल न देना,मेरी समझ से बाहर है.

अंधा नहीं है कानून

आभा सिंह कहती है कि कानून कभी अंधा नहीं होता, जो सबूत सही ढंग से पेश न कर तोड़-मरोड़ कर रख दिया जाता है और जज उसी सबूत के आधार पर अपना निर्णय देता है. कई बार न्याय देने में देर हो जाती है, क्योंकि 50 प्रतिशत सीट कोर्ट में खाली है, जिसे अभी तक भरा नहीं गया. कानून अंधे होने की बात के बारें में गौर करें, तो आर्यन खान के पास से न तो ड्रग मिली और न ही उसके ब्लड टेस्ट में भी ड्रग लेने की कोई सबूत मिला, लेकिन 20 दिनों से वह जेल में है. इसलिए अबसबको लगने लगाहै कि सरकारी तंत्र किसी को कभी भी फंसा सकता है. अगर न्यायतंत्र इन एजेंसियों के आगे हल्की पड़ जाती है और एजेंसी की बातों को सही ढंग से नहीं परखती, तब लोग समझने लगते है कि कानून वाकई अंधा है.

न्यायतंत्र को परखने की है जरुरत

वकील आभा का कहना है कि इस देश में तो अब ये लगता है कि अगर आप एक नामचीन इंसान है, तो कुछ भी गलत किसी के साथ होने पर पूरा परिवार उसे भुगतता है. एजेंसी सही ढंग से कानून नहीं लगाती, इसलिए न्यायतंत्र को परखने की जरुरत है. कोई भी एजेंसी अगर गलत कानून लगाती है, तो उनपर कार्यवाई की जानी चाहिए, ताकि जनता को लगे कि कानून उनको सुरक्षा देने के लिए है, न कि दुरूपयोग कर अत्याचार करने की है.

ये भी पढ़ें- कहीं खतना तो कहीं खाप… कब समाप्त होंगे ये शाप

पोलिटिसाइज़ हो गई है एजेंसिया

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वी एम कनाडे, जो मुंबई की लोकायुक्त है और पिछले 40 साल से कानून के क्षेत्र में काम कर रहे है. उन्होंने आर्यन के बेल के बारें में कहा कि आर्यन के वकील ने हाई कोर्ट में फिर से एप्लीकेशन दिया है, जो हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी. कानून के बारें आज जनता का विश्वास क्यों उठने लगा है पूछने पर न्यायमूर्ति कनाडे कहते है कि अगर आशा के अनुसार न्याय नहीं मिलता, तो लोग कानून में विश्वास नहीं रखते और आशा के अनुसार न्याय मिलने पर लोग न्याय पर विश्वास जताते है, लेकिन ये भी सही है कि जुडीशियरी लास्ट रिसोर्ट होती है और लोग उसपर सबसे अधिक विश्वास रखते है. मेरा अनुभव ये कहता है कि आज पोलिटिकल लड़ाई बहुत चल रही है. किसी भी निर्णय को पॉलिटिक्स के हिसाब से देखी जा रही है, यह सही नहीं है. मैं 16 साल जज रहा हूँ. नॉर्मली हम राजनीति में नहीं जाते, कानून के हिसाब से निर्णय देते है. इसके अलावा आज न्यायालयों में जजों और वकीलों की संख्या बहुत कम है, खाली स्थानों को जल्दी भरने की बहुत जरुरत है.

न्यायतंत्र पर विश्वास कम होने की वजह लॉयर आभा सिंहबताती है कि 84 वर्ष के स्टेन स्वामी की मृत्यु जेल में ही हो गयी, लेकिन उन्हें बेल नहीं मिला. मुझे लगता है कि पुलिस और कई एजेंसियां राजनीतिकरण का हिस्सा बन चुकी है. ये इस तरह के केस बनाती है. पिछले कुछ दिनों पहले एक बात सामने आई थी कि प्रधानमंत्री मोदी को किसी ने जान से मारने की धमकी दी है, फिर पता चला कि लैपटॉप पर ये मेसेज आया है.सबको पता है कि आज लोग मेल हैक कर क्या-क्या कर लेते है. ये बातें कितनी झूठी और बनावटी हो सकती है, ऐसे में आर्यन के व्हाट्स एप मेसेज को इतनी तवज्जों क्यों दी जा रही है? राईट टू लिबर्टी को बचाने केलिए सुप्रीम कोर्ट को नयी गाइडलाइन्स लानी पड़ेगी. आज देश के सारे हाई नेटवर्क वाले लोग देश छोड़कर चले जा रहे है,ऐसे में देश, एक अच्छा देश कैसे बन सकता है? हर नेता चाहते है कि पुलिस उनके सामने घुटने टेके, लेकिन न्यायतंत्र को देखना चाहिए कि पुलिसवाला क्या गलत कर रहा है? अगर अरेस्ट करने का पॉवर पुलिस को मिला है, तो कोर्ट बेल दे सकती है, लेकिन जुडीशियरी अगर अपने कानून को न देखकर दूसरी तरफ देखने लगे, तो अराजकता फैलती है.

सहानुभूति की है जरुरत

इसके आगे आभा का कहना है कि आर्यन को बिना किसी प्रूफ के जेल में डाले हुए है. असल में नारकोटिक ड्रग्स एंड साईकोट्रोपिक सबस्टेन्स (NDPS) एक्ट 1985 के तहत बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस कोतवाल ने रिया चक्रवर्ती को बेल तो दिया था, लेकिन उस समय NDPSएक्ट को उन्होंने नॉन बेलेबल कहा था. इसलिए आर्यन को बेल नहीं मिल रही है, लेकिन ये भी सच है कि पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई छोटा अमाउंट पर्सनल यूज़ के लिए कंज्यूम करता है, तो उसे बेल दे दी जाय, क्योंकि आपको उस इन्सान से सहानुभूति रखनी है, उसके एडिक्शन को छुड़ावाना, इलाज करवाना आदि की जरुरत है. यहाँ आर्यन के पास केवल 13 ग्राम ड्रग ही मिला है,जबकि हमारे देश में होली पर लोग चरस, गांजा आदि के प्रयोग कर ठंडाई बनाते है. अगर ड्रग को रोकना है, तो उन्हें ड्रग बेचने वाले पेडलर और  ड्रग सिंडिकेट को पकड़ने की जरुरत है. उन्हें पकड़ न पाने की स्थिति में बॉलीवुड और कॉलेज के बच्चों को पकड़ रहे है, जो सॉफ्ट टारगेट होते है और उन्हें पकड़कर मीडिया में तमाशा कर रहे है. जबकि ये बच्चे ड्रग सिंडिकेट के शिकार है और उनका परिवार बच्चों की इन आदतों से परेशान है. इंडिया में ड्रग, दवाइयों और कुछ खास चीजों के लिए लीगल है, जबकि कई देशों में इसे लीगल कर दिया गया है. इस तरह से अगर बच्चे अरेस्ट होने लगे, तो आधी जनता जेल में होगी. मेरा सुझाव है कि जब आर्यन के बेल की बात आगे हाई कोर्ट में सुना जाएँ, तो जस्टिस कोतवाल के बात को अलग रखकर, उस बच्चे को बेल दी जाय. NDPS एक्ट 1985 की सेक्शन 39 में लिखा हुआ है कि बच्चे के उम्र और पिछले आचरण को देखते हुए,उसे बेल दीजिये. नॉन बेलेबल का कोई सवाल नहीं उठता.

ये भी पढ़ें- हमारे देश की महिलाएं पुरुषों की कितनी हमकदम?

सरकार की दोहरी नीति

23 साल के आर्यन को बेल न मिल पाने की वजह से फेंस और हिंदी सिनेमा जगत से जुड़े सभी लोग परेशान और दुखी है. एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ कहते है कि ड्रग्स कई प्रकार के होते है और क्राइम भी उसी हिसाब गिना जाता है. चरस और गांजा दो हज़ार सालों से साधु संत, व्यापारी और मेहनत करने वाले किसान,बदन दर्द को कम करने के लिए, सोने से पहले एक चिलम मारते है,उसे  ड्रग्स नहीं कहा जा सकता. जो नैचुरल पदार्थ ओपियम को प्रोसेस कर बनाया जाता है,वह ड्रग कहलाता है. ऐसे कई गांजा और चरस के ठेके को सरकार लाइसेंस देती है. फिर ये ड्रग कैसे हो सकती है?ये एक प्रकार की हिपोक्रेसी हुई. एक हाथ से सरकार गांव खेड़े में, साधु संत और अखाड़े वालों को मादक पदार्थों के सेवन की पूरी छूट देती हैऔर दूसरी तरफ कॉलेज जाने वाले एक बच्चे के पॉकेट से 10 ग्राम की कुछ भी मिलने पर पोलिटिकल एफिलियेशन के अनुसार छोड़ते है या जेल भेज देते है. इस प्रकार कानून की कोई पॉवर नहीं है. इससे जो कोई भी पॉवर में आएगा, वह दूसरे के पीछे पड़ेगा. यहाँ आर्यन खान से अधिक शाहरुख़ खान के पीछे सब पड़े है.ये एक प्रकार की दुश्मनी है,जिसे वे इस तरीके से निकाल रहे है,क्योंकि जिस चीज को 2 हज़ार साल से लोग प्रयोग करते आ रहे है, उसे गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता.एनसीबी और सीबीआई सब सरकार के टट्टू है. एक 23 साल के बच्चे को जेल में डाल दिया और जो रियल में क्रिमिनल है, जिसने 4 लोगों को कुचल दिया, वह आराम से घूम रहा है. बिगड़ी हुई न्याय व्यवस्था को जनता महसूस कर रही है, क्योंकि सरकार दोहरी निति पर चल रही है, अपनों के लिए अलग कानून और दूसरों के लिए अलग कानून बनाए है.

बिके हुए है न्यूज़ चैनल्स

न्यूज़ चैनेल टीआर पी के लिए कुछ भी तमाशा कर रही है. आर्यन एडल्ट है, उसने जो किया, खुद से किया है. शाहरुख़ का नाम क्यों आ रहा है, जबकि अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा के पेरेंट्स को कोई सामने नहीं ला रहे है. उन्होंने भी तो अपराध किया है. इसका अर्थ ये हुआ की मिडिया भी इसी गेम में फंसी हुई है, बिकीहुई है, तभी किसी पर कीचड़ उछाल रही है. मिडिया को सही बातें रखने की आवश्यकता है. जब दो हज़ार करोड़ ड्रग के साथ अदानी पोर्ट पर पकड़ा गया, उसे एक छोटी सी जगह पर पेज में छुपा हुआ न्यूज़ आइटम दिखा. जबकि आर्यन खान के साथ शाहरुख़ को जोड़कर न्यूज़ चैनेल हेड लाइन बनाती है. मुझे दुःख इस बात से है कि देश की न्यायतंत्र आज सरकार के टट्टू बन चुके है, जबकि उन्हें कानून के अनुसार निर्णय देना चाहिए. कानून के सामने सब बराबर है, टीआरपी के लिए टीवी चैनेल्स फेवरिटीज्म नहीं दिखा सकती.

इस प्रकार तथ्य यह है कि क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में आर्यन खान अभी भी जेल में है. सेशंस कोर्ट ने बुधवार 20 अक्तूबर को आर्यन की जमानत याचिका खारिज कर दी. आर्यन के साथ ही अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका खारिज कर दिया गया है. दरअसल आर्यन को 2 अक्टूबर को मुंबई से गोवा जा रही क्रूज पर रेव पार्टी में छापेमारी के बाद एनसीबी ने पहले हिरासत में लिया और फिर गिरफ्तार कर लिया. इसमें आर्यन के साथ 8 लोगों को भी ग‍िरफ्तार किया गया. आर्यन फिलहाल मुंबई के आर्थर रोड जेल में 14 दिनों की न्‍याय‍िक हिरासत में कैद है.अगली सुनवाई 26 अक्तूबर को होगी, अब देखना है कि आर्यन खान को बेल मिलेगी या नहीं.

ये भी पढ़ें- महिलाओं के खिलाफ नया हथियार रिवेंज पोर्न

कानूनी दांव-पेंच में बुरे फंसे किंग खान के बेटे Aryan Khan

2 अक्तूबर को अभिनेता शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan ) को मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज में चल रही ड्रग्स पार्टी (Drugs Party) मामले में एनसीबी (NCB) (नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो) ने गिरफ्तार किया. मामले में आर्यन के अलावा गिरफ्तार दो अन्य अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को मुंबई के किला कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को 7 अक्टूबर तक कस्टडी में रखने का फैसला सुनाया गया. पता चला है कि आर्यन के पास भी ड्रग्स मिले है. इस मामले में इन तीनों के अलावा 5 अभियुक भी गिरफ्तार किये गए है, जिनसे पूछताछ जारी है. आज आर्यन खान को बेल मिलेगी या नहीं इसपर कोर्ट में बहस चल रही है. इस मामले की चर्चा में आने के बाद देशभर में रेव पार्टी की जमकर आलोचना हो रही है. लोग जानना चाहते है, आखिर रेव पार्टी में कई बार मॉडल्स और सेलेब्रिटी किड्स ही क्यों पकडे जाते है और इसमें होता क्या है? आइये जाने रेव पार्टी की शुरुआत कहाँ और कैसे हुई.

दम मारो दम…….’ वर्ष 1971 की इस गाने को शायद सभी जानते होंगे, क्योंकि उस दौर की इस गाने को यूथ ने बहुत पसंद किया था. ये गाना फिल्म ‘हरे कृष्ण हरे राम’ की रेव पार्टी का ही है, जिसमें सभी यूथ ड्रग्स लेते हुए मौज-मस्ती करते हुए दिख रहे है और अभिनेता देवानंद अपनी बहन और अभिनेत्री जीनत अमान को वहां से घर ले जाने की कोशिश कर रहे है. दरअसल रेव पार्टी होती ही ऐसी है, जहाँ आने वाले लोग सब भूलकर मौज मस्ती में डूब जाते है और वहां उन्हें एक अनुभूति होती है.

कब हुई शुरुआत

रेव पार्टी (Rave Party) की शुरुआत यूरोप के देशों में 60 के दशक में होने वाली पार्टियां शराब और शवाब तक सीमित थी, लेकिन 80 के दशक में इसका स्वरूप बदलने लगा और इसने रेव पार्टी का रूप ले लिया. 90 के दशक के शुरुआत में कई देशों में रेव पार्टियां होने लगी.‘रेव’ शब्द का अर्थ एक डांस पार्टी से है, जो रातभर चलती रहती है. इसमें एक डीजे गाना बजाता है और उसमे लोग संगीत की धुन पर थिरकने के साथ-साथ खूब मौज-मस्ती करते है. ये पार्टिया अधिकतर बंद कमरे में कम रौशनी में चलती है. इसकी जानकारी केवल उसमे आने वाले चंद लोगों को ही होती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bollywood Pap (@bollywoodpap)

अमेरिकी कानून विभाग कहता है कि 80 के दशक की डांस पा​र्टीज से ही रेव पार्टी की शुरुआत हुई. डांस पार्टीही धीरे-धीरे रेव पार्टी में बदल गई. इसमें संगीत की धुन के साथशौक और ड्रग्‍स जुड़ते चले गए, इससे यूथ में रेव पार्टियों की लोकप्रियता बढ़ती गई.

भारत में इसकी शुरुआत गोवा से हुई, जहाँ हिप्पियों ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब ये हिमाचल की कुल्लू घाटी, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई आदि कई शहर रेव हॉटस्पॉट बनकर उभरे है.

ये भी पढ़ें- Udaariyaan: जैस्मिन के सामने आएगा कैंडी का सच, क्या तेजो को कर देगी घरवालों से दूर?

रेव पार्टी में होता क्या है

रेव पार्टियों में डांस, मस्ती, धमाल, शराब, ड्रग्स आदि की पूरी छूट होती है. ये पार्टियां रात-रात भर चलती हैं. इन पार्टियों में जाने वाले लोगों को मोटा फीस के तौर पर मोटा पैसा देना पड़ता है. पार्टियों में अंदर लाऊड संगीत बजते रहते हैं और युवा मस्ती और नशे में चूर होते है. खाना-पीना, ड्रिंक्स, शराब, सिगरेट आदि के अलावा कोकीन, हशीश, चरस, एलएसडी(लिसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड)आदि ड्रग्‍स का इंतजाम रहता है.

कुछ रेव पार्टियों में सेक्स के लिए ‘चिल रूम्‍स’ भी होते है. एनसीबी के अधिकारियों की मानें तो रेव पार्टियां केवल पार्टी सर्किट से जुड़े हुए कुछ चुनिंदा लोगों के लिए आयोजित की

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bollywood Pap (@bollywoodpap)

क्या है रिश्ता दोनों से

आर्यन के साथ दो नाम जिनकी कस्टडी 7 अक्तूबर तक है, उसमें मुनमुन धमेचा और अरबाज़ मर्चेंट का नाम जुड़ा है, आखिर ये दोनों है कौन और आर्यन के साथ इनका रिश्ता क्या है?

39 वर्षीय मुनमुनधमेचा फैशन जगत की एक चर्चित मॉडल है, जो मध्यप्रदेश के सागर जिले की है, लेकिन सागर में उनके परिवार का कोई भी नहीं रहता. व्यवसायी परिवार की मुनमुन ने पिछले साल अपनी माँ और इससे पहले अपनी पिता को खो चुकी है. उनका एक भाई प्रिंस धमेचा है, जो नौकरी की वजह से दिल्ली में रहते है. इस मॉडल की इन्स्टाग्राम पर 70 हज़ार से अधिक फैन फोलोवर्स है, जबकि अरबाज़ खान एक अभिनेता है और फिल्मों में काम के लिए संघर्ष कर रहा है उसकी पहचान आर्यन खान और सुहाना खान दोनों के अलावा कई स्टार किड्स के साथ है,इन्स्टाग्राम पर अरबाज़ की तस्वीरें कई बार अभिनेत्री पूजा बेदी की बेटी अलाया फ़र्निचरवाला के साथ देखी गयी, जिन्हें वह डेटिंग कर रहा था. अरबाज़ के पिता असलम मुंबई में एक वकील है और लकड़ी की व्यवसाय भी सम्हालते है. उनके नाना मुंबई हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज है, जो बांद्रा में रहते है. आर्यन खान और अरबाज़ मर्चेंट दोनों स्कूल फ्रेंड है.

फिल्मों में आने की थी तैयारी

ये सही है कि ये पार्टियाँ काफी महँगी होती है, इसलिए इसमें आने वाले सभी पैसे वाले घरों से होते है. हालाँकि अभिनेता शाहरुख़ खान ने अपने बेटे को अच्छी परवरिश के लिए इंडस्ट्री से दूर विदेश में रखा था, लेकिन गलत संगत और नशे के आदी होने की वजह से जेल की हवा खानी पड़ रही है. बॉलीवुड सितारे या उनके बच्चे कानून और पुलिस के लिए सॉफ्ट टारगेट होते है, इसलिए इन्हें पकड़ने पर लोगों में चर्चा अधिक होती है और उन्हें इसका हर्जाना भुगतना पड़ता है. इसके कई सबूत है, जिसकी वजह से बॉलीवुड के कई सितारे बदनाम हुए, उनका कैरियर बर्बाद हो गया. आर्यन खान अब फिल्मों में उतरने के लिए तैयार हो रहे है, ऐसे में इस तरह की बदनामी उनकी फ़िल्मी कैरियर पर असर अवश्य डालेगी.

ये भी पढ़ें- वनराज की जलन देख भड़केगी काव्या तो बा सुनाएगी अनुपमा को खरी खोटी

रहना पड़ेगा जेल में

आर्यन खान की एनसीबी कस्टडी आज 7 अक्टूबर को खत्म होने वाली थी. आज उनके वकील उनकी जमानत के लिए अर्जी भी दी थी,लेकिन आज देर शाम फैसला आया है कि आर्यन जेल जाएंगे, हालांकि बेल के लिए उनके वकील ने अर्जी दी थी, पर जज ने आर्यन खान और 7 अभियुक्तों को जेल भेजने को कहा है, लेकिन परिवार वालों को सभी अभियुक्तों से मिलने की अनुमति भी दी है, जिसके परिणामस्वरुप गौरी खान अपने बेटे आर्यन से मिलने एनसीबी दफ्तर पहुंची है. आज रात ये सभी 8 अभियुक्त एन सी बी के दफ्तर के लॉकअप में न्यायायिक हिरासत में रहेंगे, क्योंकि इन सभी ने कोविड 19 का टेस्ट नहीं करवाया है और जेल अधिकारी ने इन्हें जेल में रखने से इनकार कर दिया है.

कितनी घातक होती है ये पार्टियाँ

ड्रग का ये धंधा विश्वव्यापी है, इसमें फंसने वाले अधिकतर यूथ ही होते है. बॉलीवुड ही नहीं, देश के अधिकतर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में खासकर होस्टल में रहने वाले यूथ इसकी चपेट में आते है, जिन्हें पेरेंट्स काफी पैसे खर्च कर उच्च शिक्षा के लिए भेजते है, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं होती. इस धंधे का फायदा इन ड्रग्स माफियाओं को होता है और नशे की आदी से यूथ खुद को नहीं निकाल पाते और इस दलदल में फंसते जाते है, इससे उनकी शिक्षा उनका भविष्य सब बेकार हो जाती है, क्योंकि ये बदनाम हो जाते है और आम लोगों के बीच अपनी जिंदगी नहीं बिता पाते, जिससे असामयिक मृत्यु और कई जानलेवा बीमारी के शिकार हो जाते है. ड्रग्स के विरुद्ध हर देश में कानून सख्त है, लेकिन इन ड्रग सप्लायरों का काम चलता रहता है, वजह समझना मुश्किल है, पर एक यूथ का भविष्य बेकार हो जाता है.

ये भी पढ़ें- Ramayana के रावण Arvind Trivedi ने कहा दुनिया को अलविदा तो ‘लक्ष्मण’ और ‘सीता’ ने दी श्रद्धांजलि

Instagram Credit- Viral Bhayani

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें