महिलाएं वास्तव में बहुत जागरूक हो चुकी हैं-अमित सिंगले

अमित सिंगले

एमडी ऐंड सीईओ, एशियन पेंट्स

हर घर कुछ कहता है’ इस टैग लाइन के साथ पिछले 29 सालों से एशियन पेंट्स लिमिटेड के साथ जुड़ चुके एशियन पेंट्स लिमिटेड के एमडी ऐंड सीईओ अमित सिंगले ने हमेशा घर के डैकोर को व्यक्ति के इमोशन से जोड़ा है. यही वजह है कि कंपनी आज सब से बड़ी पेंट और डैकोर कंपनी के नाम से उभरी है. इस में उन्होंने ग्राहकों की जरूरतों, पर्सनल इंटीरियर डिजाइन और बजट पर हमेशा खास ध्यान दिया है. उन की रिसर्च और संबंधित उत्पाद का तालमेल हमेशा कंज्यूमर के मन को भाया है. कंपनी ने अपनी इस नीति की वजह से दिनोंदिन प्रगति के रास्ते पर चलते हुए अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है.

कई सालों की रिसर्च के बाद कंपनी ने ‘ब्यूटीफुल होम सर्विस’ को लौंच किया, जिस का मकसद एक सुरक्षित और हाइजीन घर से सब को परिचित कराना है. इस में कंपनी ने कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों में जो डर की भावना फैली है, उस का ध्यान रखते हुए प्रशिक्षित कर्मचारी, हाइजीन और सोशल डिस्टैंस को कायम रखते हुए टीम का निर्माण किया है ताकि ग्राहक बिना किसी घबराहट और परेशानी के अपने घर का मेकओवर कर इस उत्सव में अपने परिवार के साथ आनंद उठा सकें. अमित सिंगले से उन की जर्नी और चुनौती के बारे में बात हुई. पेश हैं कुछ अंश:

इतने सालों में लोगों के रंगों के प्रति रुझान में किस तरह के बदलाव पाते हैं?

देखा जाए तो लोगों की सोच और दृष्टिकोण में काफी अंतर आया है. घर की सजावट के बारे में अगर बात करें तो लोग नईनई चीजों को घर में शामिल करने लगे हैं. इंटरनैट के चलन की वजह से लोग घर में बैठ कर पूरी दुनिया में कहां किस तरह की सजावट हो रही है, उस से अपनेआप को जोड़ रहे हैं. इस से लोगों की चाह अधिक बढ़ गई है और जब वे किसी ब्रैंड के पास जाते हैं तो वे आधुनिक, सब से अच्छी और नई चीज खोजते हैं. ऐसे में हर साल किसी भी ब्रैंड को अगर आगे रहना है तो नईनई शोध के द्वारा नईनई सजावट के साधनों को लाने की लगातार जरूरत होती है. यही सब से बड़ी चुनौती किसी ब्रैंड के लिए होती है. मैं ने इतने सालों में बहुत बदलाव देखा है. मैटीरियल से ले कर घर की सजावट के नए आइटम टैक्सचर जो दीवारों पर आए हैं, वे सब काबिलेतारीफ हैं.

नई चीज को लौंच करते समय आप की टीम किस प्रकार की रणनीति या रिसर्च करती है ताकि हर घर उसे अपना लें?

इस के लिए पूरे भारतवर्ष में एक मजबूत रिसर्च रखते हैं, जो देश के हर रीजन में पहुंची है, क्योंकि देश के हर राज्य की एक अलग पसंद, अलग अपेक्षा, अलग संस्कृति और रीतिरिवाज होते हैं. उस के हिसाब से करीब

6 महीने की रिसर्च रहती है, जिस में टीम हर जगह लोकल ऐक्सपर्ट से मिल कर उन के साथ बातचीत करने के लिए कई मीटिंग्स रखती है. उस के आधार पर कौन सी नईर् चीज लोगों को प्रेरित कर रही है, उन की चाह क्या है आदि सभी विषयों पर बारीकी से जानकारी हासिल की जाती है. इस के बाद उस रिसर्च के माध्यम से किन नई चीजों को घरों में आना चाहिए, किस तरह के पर्सनलाइजेशन का दौर और सजावट लोग चाहते हैं उस का एक प्रेजैंटेशन रखा जाता है. इस में सारे डिजाइनर और आर्किटैक्ट को शामिल किया जाता है. इस से ट्रैंड का पता चलता है और उस के आधार पर नई चीजों को बाजार में लाया जाता है.

आजकल बाजार में कई प्रकार के पेंट्स मिलते हैं, ऐसे में आप को किस तरह की समस्या खुद के उत्पाद को घरों तक पहुंचाने में होती है?

सब से अधिक चुनौती ग्राहकों को अपने साथ भावनात्मक तरीके से जोड़ने की होती है. आज जब ग्राहक घर की सजावट के बारे में सोचता है तो उस का लगाव उस घर के साथ अधिक होता है क्योंकि घर को बनाने में उस ने अपनी इमोशनल ऐनर्जी को लगाया है. उस की पर्सनैलिटी के आधार पर उसे जोड़ना सब से अधिक चुनौती होती है. कई बार ग्राहक नए और बैस्ट रंगों का कौंबिनेशन अपने बजट के आधार पर सब से बैस्ट चाहता है, जिस में वह वैल्यू फौर मनी भी खोजता है, तो उसे संतुष्ट करना पड़ता है. इस में सेल्स पर्सन और ऐक्सपर्ट की सहायता ली जाती है. इस में मीडिया के माध्यम का भी सहयोग लिया जाता है.

आज की महिलाएं काफी जागरूक हो चुकी हैं. घर की सजावट में उन की भी अहम भूमिका होती है. वे औनलाइन माध्यम का आसानी से उपयोग कर उत्पाद की जांच करती हैं. ऐसे में उन्हें आप कैसे खुश कर पाते हैं?

महिलाएं वास्तव में बहुत जागरूक हो चुकी हैं और हमारे ग्राहकों की सूची में उन का स्थान सब से ऊपर है, क्योंकि घर की सजावट में अगर महिला जुड़ी नहीं है, तो उस की सजावट सही नहीं हो सकती. घर के लुक को सुंदर बनाने में उन का काफी श्रेय है. घर कैसा दिखना चाहिए, सजावट कैसी होनी चाहिए आदि में उन का बहुत योगदान होता है और इस के लिए हम उन से जुड़ कर काम करने की कोशिश करते हैं. उन की मांग बजट में ही कुछ अलग दिखने की अधिक होती है, जिस से सोशल सर्किल में उन की इमेज अच्छी बने.

रंग और सजावट सही दाम में मिलना किसी भी महिला के लिए सब से बड़ी प्राथमिकता होती है.

महिला सशक्तीकरण की दिशा में आप की कंपनी क्याक्या करती है?

पेंटिंग का एरिया पुरुषप्रधान है, क्योंकि सारे पेंटर्स पुरुष हैं. एशियन पेंट्स लिमिटेड पूरे भारत में 11 कलर ऐकैडमी चलाती है, जिन में हर शहर में महिलाओं की टीम बनाने की कोशिश की गई है, जो पेंटिंग करने के साथसाथ नईनई डिजाइनें और टैक्स्चर भी साथ में शामिल करें. महिलाओं की एक नैचुरल पावर क्रिएटिविटी के क्षेत्र में है. ऐसी महिलाओं की पहली फोर्सेज बनाई गई है ताकि वे किसी भी घर में जा कर कुछ नया क्रिएट करें. महिलाओं को सपोर्ट करना हमारा मुख्य उद्देश्य हमेशा से रहा है. इस के लिए उन्हें प्रशिक्षण दे कर उन्हें बिजनैस लीड देना सिखाया गया है. वर्क फोर्स और शौप्स में भी कलर ऐक्सपर्ट के रूप में 90% महिलाएं हैं.

घर की कलरिंग कितने दिनों में करवा लेनी चाहिए?

पहले लोग 7-8 साल बाद घर की पेंटिंग करते थे, पर आज 4-5 साल में रंग करवा लेते हैं, जिस में वाटरपू्रफिंग और घर की मैंटेनैंस भी हो जाती है. एशियन पेंट्स कंपनी इस दिशा में एक कोशिश यह भी कर रही है कि लोग किसी भी अवसर पर, मसलन एनीवर्सरी, बर्थडे या शादी पर घर के किसी एक भाग या दीवार का लुक बदलना चाहें, जिस से घर की सजावट बदल जाए, करवा सकते हैं.

आप के उत्पाद की यूएसपी क्या है?

हम गुणवत्तापूर्ण मैटीरियल, जो वैल्यू फौर मनी हो, उसे बनाए रखते हैं और यह रेंज की हर आइटम पर लागू रहता है. सजावट की दुनिया में लेटैस्ट चीजों को हम ग्राहकों के सामने रखते हैं. इस के अलावा ग्राहक इस ब्रैंड पर ट्रस्ट रख सकते हैं, क्योंकि यह उन के लिए हमेशा नईनई खुशियां ले कर आएगा.

रंग ने आप की जिंदगी को कितना प्रभावित किया और कैसे?

रंगों की दुनिया में रहने के बाद मैं ने सफेद रंग नहीं देखा है. कलरफुल घर और औफिस में मैं हमेशा रहा. कोशिश यह रही कि पब्लिक को भी नए रंगों से हमेशा परिचित करवाएं. स्ट्रीट आर्ट एजेंसी के साथ मेरी कंपनी जुड़ी है, पब्लिक दीवारों को पेंट कर उन्हें नए रंगों और संस्कृति से परिचित करवाते हैं. दिल्ली में पूरे लोधी डिस्ट्रिक्ट को पेंट कर डिजाइन डिस्ट्रिक्ट बनाया है. रविवार को लोग वहां आते हैं. दीवारों और रंगों का मजा लेते हैं. कोशिश रहती है कि लोग रंगों को और उन की दुनिया को ऐंजौय करें और इस से मुझे खुशी मिलती है.

कोरोना संक्रमण में रंगों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर कितना पड़ा और इस पैंडेमिक ने व्यवसाय को कितना प्रभावित किया?

कोरोना की वजह से मार्केट में काफी बदलाव आया है, पर कोरोना कहर में लोगों का जुड़ाव घर से अधिक हुआ भी है, क्योंकि लोग अब घर में अधिक से अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं. सोशलाइजिंग और वर्क फ्रौम होम काफी हो रहा है. यह कल्चर हमारे लिए अच्छा है, क्योंकि नई चीजों की मांग बढ़ी है. कोरोना के डिप्रैशन को भी नए रंग और सजावट कम करने में सफल होती है.

घरों की कलरिंग करते समय 5 टिप्स क्या हैं?

– घर पर अपनी छाप कैसे छोड़ें इस पर विचार करें, मसलन बच्चों का कमरा, बैडरूम, ड्राइंगरूम आदि कैसे हों.

– छोटे घरों में लाइट और रंगों के मिश्रण पर ध्यान दें ताकि जगह बड़ी दिखे.

– अधिक प्रयोग में आने वाले एरिया में ऐंटीस्टेन और अच्छी क्वालिटी के पेंट प्रयोग करें.

– आजकल कलर कौंबिनेशन बहुत बढ़ चुका है, इसलिए हर कमरे में अलग कलर रखें, इस से उत्साह और खुशी बनी रहती है.

– जो भी रंग चुनें उस की प्रेरणा अंदर से होनी चाहिए ताकि आप खुश रहें.

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