Winter Special: सर्द हवाओं से रहें संभल कर

खुशगवार सर्दी का मौसम अपने साथ हैल्थ से संबंधित समस्याएं भी लाता है. इस का सब से बड़ा कारण बदलते मौसम की अनदेखी करना है. बदलते मौसम की वजह से वायरल, गले का इन्फैक्शन, जोड़ों में दर्द, डेंगू, मलेरिया, निमोनिया, अस्थमा, आर्थ्राइटिस, दिल व त्वचा से संबंधित समस्याएं अधिक बढ़ जाती हैं. अगर इस मौसम का लुत्फ उठाना है, तो अपनी दिनचर्या को मौसम के अनुरूप ढालना बेहद जरूरी है.

सर्दियों में किसी भी तरह के बुखार को अनदेखा न करें. छाती का संक्रमण हो या टाइफाइड अथवा वायरल, इस की जांच जरूर कराएं. मलेरिया का शक हो तो पीएच टैस्ट करवाएं. ये सभी जांचें बेहद सामान्य हैं तथा किसी भी अस्पताल में आसानी से हो जाती हैं.

सर्दी के शुरू होते ही आर्थ्राइटिस यानी जोड़ों के दर्द की समस्या काफी बढ़ जाती है. इस के मरीज कुनकुने पानी से नहाना शुरू कर दें. हाथपैरों को ठंड से बचा कर रखें. सुबह के समय धूप में बैठें. इस से शरीर को विटामिन डी मिलता है. प्रोटीन और कैल्सियमयुक्त डाइट लें और ठंडी चीजों का सेवन न करें.

गरमी के बाद एकदम सर्दी आने पर हड्डियों, साइनस और दिल से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ जाती हैं. हाई ब्लडप्रैशर और दिल के रोगियों के लिए यह मौसम अनुकूल नहीं होता. ऐसे में बेहद जरूरी है कि बाहर के बदलते तापमान के अनुसार शरीर के तापमान को नियंत्रित रखा जाए. जरूरत से ज्यादा खाने से भी बचें, क्योंकि सर्दियों में फिजिकल वर्क कम हो जाता है, जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है. सादा और संतुलित भोजन लें और नमक का कम प्रयोग करें. तनाव व डिप्रैशन से दूर रहने के लिए खुद को अन्य कामों में व्यस्त रखें. छाती में किसी भी कारण दर्द महसूस हो या जलन बनी रहे तो इसे हलके में न लें. डाक्टर को जरूर दिखाएं.

सांस से संबंधित बीमारियां भी इस मौसम में अपना असर दिखाने लगती हैं. एहतियात के तौर पर सांस की बीमारियों के मरीजों को बंद कमरे में हीटर आदि नहीं चलाना चाहिए, इस से हवा में औक्सीजन कम हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है. तेज स्प्रे, कीटनाशक, धुआं या कोई गंध जिस से सांस में तकलीफ हो, उस से भी दूर रहें. परेशानी ज्यादा बढ़ने पर डाक्टर की सलाह लें.

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त्वचा और केशों से जुड़ी समस्याएं भी सर्दियों से अछूती नहीं हैं. हथेलियों और एडि़यों में दरारें पड़ना, नाखूनों का कमजोर पड़ना, होंठों के फटने और सूखने की समस्या, सिर में खुश्की और रूखापन तथा केशों के झड़ने की समस्या सर्दियों में हो सकती है.

बीमारियों से बचाव के टिप्स

बच्चों के कपड़ों आदि का पूरा ध्यान रखें. उन के हाथपैरों और सिर को ढक कर रखें. उन्हें गीले कपड़ों में न रहने दें. ठंडी चीजें न खिलाएं और ठंडी हवा में बाहर न जाने दें. बच्चों के लिए थोड़ी सी भी सर्दी हानिकारक हो सकती है.

अस्थमा से पीडि़त और बुजुर्ग धुंध छंटने के बाद ही बाहर निकलें. दवाएं और इनहेलर वक्त पर लेते रहें.

हाथपैरों को फटने और नाखूनों को टूटने से बचाने के लिए उन्हें रात को हलके गरम पानी में नमक डाल कर धोएं, फिर अच्छी तरह सुखा कर कोई कोल्ड क्रीम लगाएं. होंठों पर ग्लिसरीन लगाएं.

ऐलर्जी से पीडि़त लोग साबुन, डिटर्जैंट और ऊनी कपड़ों के सीधे संपर्क से बचें.

कभी खाली पेट घर से बाहर न निकलें, क्योंकि खाली पेट शरीर को कमजोर करता है. ऐसे में वायरल इन्फैक्शन का डर ज्यादा रहता है.

मौसमी फलसब्जियां जरूर खाएं. बासी खाना या पहले से कटी हुई फलसब्जियां न खाएं.

अगर मौर्निंग वाक की आदत है तो हलकी धूप निकलने के बाद ही बाहर टहलने निकलें.

जिन्हें ऐंजाइना या स्ट्रोक हो चुका हो, उन्हें इस मौसम में नियमित रूप से दवा लेनी चाहिए और सर्दियां शुरू होते ही एक बार चैकअप करा लेना चाहिए. डाक्टर की सलाह से जरूरी दवा साथ रखें.

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ठंडे, खट्टे, तले व प्रिजर्वेटिव खाने के सेवन से इस मौसम में संक्रमण की आशंका कहीं अधिक बढ़ जाती है. इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फलों एवं ताजा दही का सेवन करें. हरी पत्तेदार सब्जियों के साथसाथ फाइबरयुक्त भोजन को भी अहमियत दें.

इस मौसम में त्वचा पर भी काफी प्रभाव पड़ता है. त्वचा में रूखापन बढ़ जाता है. इसलिए अधिक मसालेदार और तलाभुना खाना न खाएं, क्योंकि यह त्वचा को खुश्क बनाता है.

सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पानी पीना कम न करें. इस मौसम में आमतौर पर लोग पानी कम पीते हैं, जो सही नहीं है. इस से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिस कारण कई दिक्कतें आती हैं.

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