मत बरसो इंदर राजाजी: क्या भाइयों ने समझा ऋतु का प्यार

भाई की चिट्ठी हाथ में लिए ऋतु उधेड़बुन में खड़ी थी. बड़ी  प्यारी सी चिट्ठी थी और आग्रह भी इतना मधुर, ‘इस बार रक्षाबंधन इकट्ठे हो कर मनाएंगे, तुम अवश्य पहुंच जाना…’

उस की शादी के 20 वर्षों  आज तक उस के 3 भाइयों में से किसी ने भी कभी उस से ऐसा आग्रह नहीं किया था और वह तरसतरस कर रह गई थी.  उस की ससुराल में लड़कियों के यहां आनाजाना, तीजत्योहारों का लेनादेना अभी तक कायम था. वह भी अपनी इकलौती ननद को बुलाया करती थी. उस की ननद तो थी ही इतनी प्यारी और उस की सास कितनी स्नेहशील.  जब भी ऋतु ने मायके में अपनी ससुराल की तारीफ की तो उस की मंझली भाभी उषा, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ रहती थीं, कहने लगीं, ‘‘जीजी, ससुराल में आप की इसलिए निभ गई क्योंकि आप की सासननद अच्छी हैं, हमारी तो सासननदें बहुत ही तेज हैं.’’

उषा भाभी को यह भी ज्ञान नहीं था कि वह किस से क्या कह रही थीं और छोटी बहू अलका मुंह में साड़ी दबा कर हंस रही थी.

ऋतु अंगरेजी साहित्य से एमए कर के पीएचडी कर रही थी कि उस का विवाह अशोक से हो गया था. अशोक एक निजी कंपनी में इंजीनियर था. उसे अच्छा वेतन मिलता था. पिता भी मुख्य इंजीनियर पद से जल्दी ही सेवानिवृत्त हुए थे. ऋतु देखने में सुंदर, सुसंस्कृत व परिष्कृत विचारों की लड़की थी. उस से चार बातें करते ही उस के भावी ससुर ने ऋतु के पिता से उसे मांग लिया था, ‘‘मेजर साहब, हमें आप की लड़की बहुत पसंद है…’’

इतना संपन्न परिवार पा कर ऋतु के मातापिता तो फूले नहीं समाए और फिर ऋतु बहू बन कर अशोक के घर आ गई.

ऋतु अपनी ससुराल में सुखी थी. वह जब भी मायके जाती तो एक न एक कटु अनुभव अपनी झोली में भर ले आती. उस के पिता ने सेवानिवृत्त होतेहोते एक घर बना लिया था. न जाने क्यों उस की मां की इच्छा एक बड़ा सा घर बनाने की रही और पिता ने अपनी सारी जमा पूंजी उस में लगा दी. रहीसही रकम सब से छोटी बहन उपमा की शादी में खर्च हो गई.

पिताजी कहा करते, ‘‘मेरे 3-3 बेटे हैं, दहेज तो मैं ने लिया नहीं, बुढ़ापा इन्हीं के सहारे कट जाएगा. मरूंगा तो लाखों की जायदाद इन्हें सौंपूंगा,’’ और गर्वपूर्वक अपनी दोमंजिली इमारत निहारा करते. शुरूशुरू में पिताजी की पैंशन और तीनों लड़कों का कुछ न कुछ सहारा रहा, पर धीरेधीरे उन के उत्तरदायित्वों का दायरा बढ़ गया और उन के हाथ सिमट गए.

बड़े भाई अच्छी जगह पर थे, पर उन की बीवी बेहद खर्चीली थी. जब देखो तब घर में खर्चे को ले कर कलह…भाई अम्मा से कहते, ‘‘तुम्हीं पसंद कर के लाई थीं…गोरे रंग पर लट्टू हो कर…’’

भाभी को शिकायत होती, ‘‘मैं गंवारों की तरह रहना पसंद नहीं करती.’’ इशारा मेरठ जैसे छोटे शहरवासियों की ओर था. भाभी का मायका दिल्ली में था. भाई की मोटी तनख्वाह भाभी की फरमाइशों की सूची के सामने कम पड़ जाती. सोने पर सुहागा बेटा पढ़ाई में जीरो, पर मोटरसाइकिल उसे 9वीं कक्षा में ही चाहिए थी और अब 20वें साल में पहुंच कर तो मारुति के बिना शान कम.

मंझला भाई फौज में कर्नल था पर भाभी मगज से कुछ फिरी हुई थी, वह अपनी ससुराल में कभी 2 दिन से ज्यादा ठहरी ही नहीं…या तो मां घर के बाहर अनशन पर या बहू टैक्सी ले कर मायके रवाना हो जाती.

शुरूशुरू में बेटे का मन करता कि उस की पत्नी मांबाप की सेवा करे, सो कहसुन कर छुट्टियों में घर ले आता, पर आते ही घर में जो महाभारत छिड़ती तो मां कहतीं, ‘‘मेरी सेवा का खयाल छोड़…तू अपनी बीवी को ले कर जा.’’

हताश भैया बिना खुला बोरियाबिस्तर ढो कर चल देते. 5-7 वर्ष प्रयत्न किया फिर लगभग लाना ही छोड़ दिया. भाभी आतीं तो बस इतनी देर को मानो पड़ोसियों से मिलने आई हों.

कुसूर मां का भी था, उन का परहेज उन्हें डरा देता, ‘‘और तो सब मंजूर है पर यह गंदे कपड़ों में ठाकुरद्वारे में घुस कर मेरा धरम खराब कर देती है. तब रहा नहीं जाता,’’ ऋतु के सामने मां कहतीं.

इतना सुनते ही उषा भाभी बिफर पड़तीं और कुछ अंगरेजी में तो कुछ हिंदी में भैया से कहतीं. भाभी की बेशर्मी मां को आगबबूला कर देती और भैया उन्हें ले कर चले जाते.

अकसर ऋतु मां को समझाती, ‘‘अम्मा, इन्हें अपनाने से ही घर में सुख मिलेगा. तुम और पिताजी यहां अकेले रहते हो…बहू और बच्चे आएंगे तभी तो चहलपहल होगी.’’

कोशिश तो दोनों पक्ष करते, आगे बढ़ते, पर कहते हैं कि जब संस्कार ही मेल न खाते हों तो कोई क्या कर सकता है.

छोटी बहू ऋतु से लगभग 10 साल छोटी थी. ऋतु उसे छोटी बहन के समान प्यार करती. छोटा भाई डाक्टर था और अच्छी- खासी प्रैक्टिस जमी थी. पैसे का अभाव नहीं था. मेरठ से कुल 1 घंटे का रास्ता था. मोदीनगर में उस का अपना दवाखाना था. पिताजी ने चाहा था कि मोहन मेरठ में प्रैक्टिस करे पर उस की पत्नी अलका वहीं स्थानीय कालेज में प्रवक्ता थी, अत: वहीं पर किराए का एक मकान ले कर रहता था. उस की 2 प्यारी सी बेटियां थीं जो बड़ी बूआ की लाड़ली थीं.

ऋतु का स्नेह इस परिवार से कुछ अधिक ही था. ये लोग यदाकदा आ भी जाते थे और अपने बच्चों को भेज भी देते थे. बड़े भाई के बेटे को तो शायद ठीक से अपनी दोनों बूआ के बच्चों के नाम व उम्र भी ज्ञात नहीं थी. मंझले भैया फौजी नौकरी में कभी पूना, कभी असम तो कभी कश्मीर, इतने छितर गए थे कि 5-5 साल हो जाते भाईबहनों को मिले.

सब से छोटी थी बहन उपमा, जो शादी के हफ्ते भर बाद ही अमेरिका चली गई थी. उस के ससुराल वाले भी वहीं जा बसे थे. जब तक पिताजी जिंदा थे, ऋतु को मायके की इतनी चिंता नहीं थी, पर 2 साल पहले वे चल बसे. इतने बड़े घर में मां अकेली रह गईं. ऋतु अपने पिता की सब से चहेती संतान थी और ऋतु के आंसू आज तक सूखे नहीं थे.

समय की रफ्तार ने मां को एकाकी बना दिया और मोहन व अलका में अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया था. पैसा कमाने की अंधी भूख ने डाक्टर मोहन का समय खा लिया था. 30 वर्ष की उम्र में ही सिर के सारे बाल पक गए थे, उधर अलका बेटियों के लिए धन से खुशियां खरीदने की खातिर रुपयों की चिनाई कर रही थी. उस का तर्क था, ‘‘अपनी बेटी को संपन्न घर व योग्य वर दिलवाने में कम से कम 5-10 लाख तो चाहिए ही. डाक्टरों के बेटेबेटी के विवाह में इतना ही खर्च आता है, अपने स्तर के अनुकूल ब्याहना…’’

यह दलील मां को अरुचिकर लगती और ऋतु के कानों में सीसा उड़ेल जाती. बेटी तो उस की भी 2 हैं पर उस ने तो 10-5 लाख न जोड़े हैं न जोड़ेगी. वह अलका से कहती, ‘‘विवाह स्नेह बंधन है, व्यापार नहीं. बेटी के लिए घरवर खरीदा नहीं, तलाशा जाता है.’’

ऋतु आजकल सारा दिन उद्विग्न रहती. उसे बेचैन व छटपटाता देख कर अशोक व उस की सास कहते, ‘‘जाओ, मेरठ हो आओ,’’ पर वह कम से कम मेरठ जाती. पिछली बार जब वह गई तो 2 पीढ़ी से काम कर रही आया की लड़की शकु उस के पैरों के पास आ कर बैठ गई थी. अम्मा ने ऊपर का हिस्सा किराए पर चढ़ा दिया था. हजार रुपए वह और पिताजी की आधी पेंशन, अम्मा के नियमित जीवन के लिए काफी थी. अभाव था तो स्नेह बेल के फूलों की महक का, जो उस चारदीवारी से रूठ गई थी.

आया का परिवार वहीं गैरेज में रहता था, वही उन का घर था. बूढ़ी आया तो मर गई थी, पर उस की बेटी शकुंतला, दामाद कन्हैया अम्मा की सेवाटहल किया करते थे. यही दोनों अब अम्मा की आंख, कान, हाथ और पैर थे.

शकु ने बताया, ‘‘जीजी, इस बार बड़े भैया गैरेज खाली करने को कह गए हैं.’’

ऋतु तो सकते में रह गई यह सुन कर. शकु और बाहर जमा हुआ जामुन का पेड़ एक ही उम्र के थे. उन सब ने मिल कर खट्टी कमरख, मीठे लंगड़े आम के बिरवे रोपे थे. उन्हें यहां से निकालने का अर्थ… ऋतु ने साफ समझा…गैरेज के सामने ईंटों की सड़क के नीचे तक जमी जड़ें उखाड़ने में कोठी की नींव हिल जाएगी.

‘‘मां से कहा,’’ ऋतु ने पूछा.

‘‘नहीं जीजी, मैं ने तो उन्हें कुछ नहीं बताया. तुम्हारा इंतजार कर रही थी…’’

‘‘अच्छा, मैं बात करूंगी,’’ आश्वासन दे दिया था ऋतु ने.

बड़े भैया से जिक्र किया तो वे बोले, ‘‘जानती हो 200 गज जमीन पर पैर फैलाए बैठे हैं ये लोग, हथिया लेंगे. मां तो कुछ देखती ही नहीं, नुकसान तो हमारा होगा…’’ इतनी हमदर्दी जमीन के टुकड़े से और मां के बचेखुचे जीवन के प्रति कितने उदासीन. ऋतु का मन फट गया. पिताजी के दुख में जब उपमा अमेरिका से आई थी तो चलतेचलते उस ने रोरो कर कहा था, ‘‘देख लेना जीजी, हमारे भाई मां के दिल पर बोझ ही बोझ डालेंगे.’’

उपमा मुंहफट थी. जब भी अमेरिका से आती भाईभाभियों से कहासुनी हो ही जाती. पिताजी के जीतेजी एक बार जब वह सपरिवार आई तो मां ने उसे लाड़प्यार से, उपहारों से लाद दिया. सूटकेस में कपड़े सजाते हुए बडे़ भाई व भाभी को मां की दी साड़ी दिखा कर बोली, ‘‘यह सिल्क की साड़ी देख कर मेरी सहेलियां जल जाएंगी, हाय कितनी सुंदर है,’’ पर बड़ी भाभी के मुख पर छिटक आई नफरत की बदली ऋतु ने देख ली थी.

भाई ने अचानक कह दिया, ‘‘मां को चाहिए कि दीवाली की साड़ी सिर्फ अपनी बेटियों को न दे कर तीनों बहुओं को भी दिया करें.’’

उपमा के हाथों से साड़ी गिरतेगिरते बची. सहज हो कर उस ने कटाक्ष किया, ‘‘तब तो मां ने जो 3 हिस्सों में जेवर बांटा है हमें भी मिलना चाहिए था.’’

‘‘उपमा, बड़े भाई से ऐसे बात की जाती है?’’ ऋतु ने डांटा था.

‘‘बड़ा भाई भी छोटी बहन को मां से मिली स्नेहगठरी पर तीर नहीं चलाता,’’ और उपमा ने अच्छाखासा हंगामा खड़ा किया. बात मां तक जातेजाते बची वरना मां बहुत गरममिजाज थीं. हवाईअड्डे पर उपमा बहुत रोई थी, ‘‘जीजी, मां की याद आती है…’’

और अभी कुछ दिन पहले उपमा की चिट्ठी ने ऋतु का सुखचैन छीन लिया था. उस ने लिखा था, ‘‘जीजी, पिछले साल की राखी और भैयादूज दोनों पर टीके भेजे पर किसी भाई ने जवाब नहीं दिया. मां भी न रहीं तो मैं तो वैसे ही विदेशी हूं. मेरा बचपन, मेरा घरआंगन छिन जाएगा. तुम मेरी तरफ से मां से कहना कि बराबर का हिस्सा नहीं लेकिन एक कमरा और बाथरूम मेरे नाम लिख दें, मेरे तो ससुराल वाले भी घर और खेत बेच कर अमेरिका आ गए हैं. मैं नहीं चाहती कि भारत से मेरी जड़ें ही उखड़ जाएं.’’

ऋतु जितनी बार यह चिट्ठी पढ़ती, उतनी बार बेचैन हो उठती. वह जानती थी कि मां चाहें अपनी बेटियों को कितना भी प्यार करें पर जहां तक पुश्तैनी मकान व पिता की संपत्ति का संबंध है, वहां उत्तराधिकारी उन के बेटेपोते ही हैं. जायदाद में हिस्सा मांगने वाली बेटी, अम्मा के समाज में ‘नालायक’ समझी जाती है.

पड़ोस वाली चाची कह तो रही थीं एक दिन. वे सदैव ऋतु से बातें करती थीं, ‘‘कैसा जमाना आ गया है, 20 नंबर वाले राजन बाबू की चारों बेटियों ने बाप से हिस्सा मांग लिया. यह भी नहीं सोचा कि इकलौता भाई दिल का मरीज है, 4-4 बच्चों का बाप, ऊपर से स्कूल के अध्यापक की तनख्वाह… बेचारा, बाप के मकान के सहारे जिंदगी गुजार रहा था.’’

‘‘सच, यह तो बड़ा बुरा किया राजन बाबू की लड़कियों ने. चारों इतने रईस घर गई हैं, एकएक पर दोदो कारें हैं,’’ ऋतु को राजन बाबू के लड़के पर बड़ी दया आई. भाई के समान ही तो थे बस्ती के सभी लड़के. पासपड़ोस की बातें करते ऋतु को यह भी याद नहीं रहा कि दीमक तो इस घर में भी लग रही है. आखिर उस ने मेरठ जाने का मन बना ही लिया.

इलाहाबाद से मेरठ तक ऋतु खयालों में डूबतीउतराती रही. शकु की बेटी जो ऋतु की बेटी अनु की हमउम्र थी, उस ने अनु से कहा था, ‘‘अनु, पता है, मंझली उषा भाभी क्या कहती थीं…कहती थीं, बड़ी ननद अपनी मां को इसलिए मक्खन लगा रही हैं कि बेटेबहुओं का पत्ता साफ कर यह कोठी हजम कर जाएं.’’

‘‘अनु, नौकरों की बात न सुनने की होती है और न विश्वास करने योग्य,’’ ऋतु ने अपनी बेटी के मुख से सुनी बात पर डांटा था. उषा भाभी फौजी की पत्नी हो कर मक्खन की लिपाई से आगे सोच ही क्या सकती हैं? ऋतु का मन आक्रोश से भर गया. पर कहते हैं न कि बिना आग के धुआं नहीं होता, अवश्य कुछ तो सुलग रहा था इस घर में. उपमा की चिट्ठी तो इस आग में घी का काम करेगी.  और मां बारबार ऋतु से कहतीं, ‘‘बैठ कर इस घर के हिस्से बंटवा जा, तेरे भाईबहन तो किसी काम के हैं नहीं.’’  उधर अशोक की हिदायतें कि मायके वालों के जमीनजायदाद के बीच मत पड़ना, वरना तुम्हारा मेरठ जाना बंद. करे तो क्या करे?

मेरठ पहुंची तो मन खुशी से भर गया. स्टेशन पर भाईभाभियां, भतीजेभतीजियां सभी आए थे. उपमा होती तो पूछ लेती, ‘‘क्या मामला है, आज गाड़ी में पैट्रोल क्या मां ने डलवाया है, वरना इतनी मेहरबानी कैसे?’’  पर ऋतु उस स्नेह की छाया में तृप्त हो गई. आज पहली बार पिताजी के बिना घर घर लग रहा था. थकेहारे बुढ़ापे के सहारे की जगह नहीं. खूब फलमिठाई और बरसों से संभाल कर रखी मां की कटलरी क्रौकरी से खाने की मेज सजी. उपमा की राखी भी मेरठ के पते पर पहुंच गई थी.  रात को सब के सोने के बाद अम्मा चुपके से ऋतु को उठा कर अपनी पूजा की कोठरी में ले गईं. घर के बंटवारे की चिंता मां को सोने नहीं देती थी.  पूजाघर में मां ने जो एक प्रस्ताव बना कर कागज पर लिखा था, उसे देख कर ऋतु को जैसे बिच्छू ने डंक मार दिया हो.

‘‘यह क्या मां, 3 की जगह, बराबर- बराबर 5 हिस्से. नहींनहीं, मुझे तुम्हारी संपत्ति का कोई हिस्सा नहीं चाहिए.’’

‘‘अशोक क्या कहेंगे? मेरे ससुर ने अपने ताऊ से करोड़ों की भागीदारी में भी कुछ नहीं कहा, उन्होंने उन्हें मकान का बाहरी हिस्सा दिया. वे उसी में रहते रहे… सेवानिवृत्त होने तक.’’

ऋतु का चेहरा फक पड़ गया, ‘‘तब तो पगली भाभी की बात ठीक निकली…नहीं मां, इसे तुम बेटों में ही बांटो…’’

‘‘अरी, मुझ से ही माल लेंगी और मुझ से ही सीधे मुंह बात नहीं करेंगी.’’

‘‘जो भी हो, वे ही तुम्हारे वंशज हैं. हां, चाहो तो उपमा को…’’ और ऋतु ने उपमा  की चिट्ठी के अंश मां को सुना दिए.

‘‘ठीक है, बेटी मां से नहीं मांगेगी तो किस से मांगेगी.’’

रात भर मां और ऋतु यादों की गंगायमुना में तैरती रहीं. पिताजी को याद कर दोनों रोती रहीं. अपनी शादी से आज तक के खट्टेमीठे अनुभव याद करतेकरते कब भोर हो गई पता ही नहीं चला. पौ फटने से पहले ऋतु ने बंटवारे के कागजों का रुख मोड़ दिया था. उपमा के लिए बाहर का एक कमरा व बरामदा तथा शेष पूरा घर, दिल्ली की जमीन तीनों भाइयों में बराबर बंट गई.

‘‘और तू?’’ मां ने पूछा.

‘‘मुझे तुम्हारी यह गोद मिली रहे…और मां, मैं चाहती हूं कि जब मेरी बेटियों का ब्याह हो और औरतें मंगलाचार गाएं तो मेरे घर की दहलीज पर भाईभाभी, भतीजे- भतीजियों की बरात लग जाए. मैं भी औरतों की टोली में बैठ कर गा सकूं, ‘मत बरसो इंदर राजाजी, मेरी मां का जाया भीजै’.’’

अगले दिन, राखी टीके से पहले भाई ने ऋतु से ‘अपना हिस्सा न मांगने वाले’ कानूनी दस्तावेज पर दखत करा लिए, दस्तखत करते हुए उसे कहीं से एक राहत भरी गहरी निश्वास सुनाई पड़ी. तीनों भाभियों ने राखी के उपलक्ष्य में ऋतु को सुंदर साडि़यां भेंट कीं. उपमा की राखी भी ऋतु ने बांध दी थी. उपमा के हिस्से वाली बात मांबेटी छिपा गई थीं, इस डर से कि कहीं विदेशी बहन के भेजे स्नेहधागे तिरस्कृत न हो जाएं.

अनुपमा: ‘किंजल-समर’ से लेकर ‘बा-मामा जी’ तक, बेहद पॉपुलर है भाई-बहन की ये 5 जोड़ियां

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ TRP चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं सीरियल में रिश्तों में दिखने वाली बौंडिग के भी सभी कायल हैं. इसी बीच रक्षाबंधन के मौके पर हम आपको अनुपमा के सितारों की रियल और रील लाइफ बौंडिग की झलक दिखाएंगे, जिसके फैंस कायल हैं. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल अनुपमा के पौपुलर भाई बहन की जोड़ी…

बा-मामा जी

 

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अनुपमा सीरियल में बा और मामाजी की भाई-बहन की जोड़ी काफी मजेदार है. दोनों हर कदम पर एक-दूसरे का साथ देते हैं और मजाक मस्ती की ये जोड़ी फैंस को काफी एंटरटेन भी करती है, जिसके कारण दर्शक इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं.

किंजल-समर

देवर और भाई की ये जोड़ी फैंस के बीच काफी पौपुलर है. अनुपमा में समर हर कदम पर किंजल का साथ देता है, जिसके कारण फैंस इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं. वहीं सोशलमीडिया पर भी रियल लाइफ में काफी अच्छे दोस्त हैं, जिसके चलते यह अपनी काफी फोटोज मस्ती करते हुए फैंस के साथ शेयर करते हैं.

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तोषू-समर-स्वीटी

तोषू और समर अपनी छोटी बहन स्वीटी यानी पाखी पर जान छिड़कते हैं. हां कभी-कभी तीनों की लड़ाई भी फैंस को देखने को मिलती हैं. लेकिन वह बाद में फिर एक साथ हो जाते हैं. भाई बहन की यह तिगड़ी साथ में अक्सर मस्ती करती हुई नजर आती है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

वनराज- डॉली

 

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सीरियल अनुपमा में भाई-बहन की जोड़ी में नजर आ रहे वनराज और डौली की जोड़ी भी काफी पौपुलर है. सोशलमीडिया पर दोनों की फोटोज साथ में अक्सर वायरल होती है, जिसके चलते शो में भी इनकी जोड़ी काफी दर्शकों को पसंद आती है.

अनुपमा-डॉली के पति

 

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सीरियल में अनुपमा की जिंदगी में कई परेशानियां आती हैं. हालांकि डौली के पति एक भाई की तरह उनका हर कदम पर साथ देते हैं, जिसके चलते फैंस इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं. हालांकि कुछ दिनों से दोनों की जोड़ी को काफी मिस कर रहे हैं. लेकिन जल्द ये जोड़ी फैंस को देखने को मिलेगी.

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Top 10 Best Raksha Bandhan Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रक्षा बंधन कहानियां हिंदी में

Raksha Bandhan Stories in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Raksha Bandhan Stories in Hindi 2021. इन कहानियों में भाई-बहन के प्यार और रिश्तों से जुड़ी 10 दिलचस्प कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेगी और जिससे आपको रिश्तों का नया मतलब जानने को मिलेगा. इन Raksha Bandhan Stories से आप कई अहम बाते भी जान सकते हैं कि आखिर भाई-बहन के प्यार की जिंदगी में क्या अहमियत है और क्या होता है जब किसी की जिंदगी में ये प्यार नही होता. तो अगर आपको भी है संजीदा कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Raksha Bandhan Stories in Hindi.

1. समय चक्र- अकेलेपन की पीड़ा क्यों झेल रहे थे बिल्लू भैया?

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शिमला अब केवल 5 किलोमीटर दूर था…य-पि पहाड़ी घुमाव- दार रास्ते की चढ़ाई पर बस की गति बेहद धीमी हो गई थी…फिर भी मेरा मन कल्पनाओं की उड़ान भरता जाने कितना आगे उड़ा जा रहा था. कैसे लगते होंगे बिल्लू भैया? जो घर हमेशा रिश्तेदारों से भरा रहता था…उस में अब केवल 2 लोग रहते हैं…अब वह कितना सूना व वीरान लगता होगा, इस की कल्पना करना भी मेरे लिए बेहद पीड़ादायक था. अब लग रहा था कि क्यों यहां आई और जब घर को देखूंगी तो कैसे सह पाऊंगी? जैसे इतने वर्ष कटे, कुछ और कट जाते.

कभी सोचा भी न था कि ‘अपने घर’ और ‘अपनों’ से इतने वर्षों बाद मिलना होगा. ऐसा नहीं था कि घर की याद नहीं आती थी, कैसे न आती? बचपन की यादों से अपना दामन कौन छुड़ा पाया है? परंतु परिस्थितियां ही तो हैं, जो ऐसा करने पर मजबूर करती हैं कि हम उस बेहतरीन समय को भुलाने में ही सुकून महसूस करते हैं. अगर बिल्लू भैया का पत्र न आया होता तो मैं शायद ही कभी शिमला आने के लिए अपने कदम बढ़ाती.

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2. चमत्कार- क्या बड़ा भाई रतन करवा पाया मोहिनी की शादी?

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‘‘मोहिनी दीदी पधार रही हैं,’’ रतन, जो दूसरी मंजिल की बालकनी में मोहिनी के लिए पलकपांवडे़ बिछाए बैठा था, एकाएक नाटकीय स्वर में चीखा और एकसाथ 3-3 सीढि़यां कूदता हुआ सीधा सड़क पर आ गया.

उस के ऐलान के साथ ही सुबह से इंतजार कर रहे घर और आसपड़ोस के लोग रमन के यहां जमा होने लगे.

‘‘एक बार अपनी आंखों से बिटिया को देख लें तो चैन आ जाए,’’ श्यामा दादी ने सिर का पल्ला संवारा और इधरउधर देखते हुए अपनी बहू सपना को पुकारा.

‘‘क्या है, अम्मां?’’ मोहिनी की मां सपना लपक कर आई थीं.

‘‘होना क्या है आंटी, दादी को सिर के पल्ले की चिंता है. क्या मजाल जो अपने स्थान से जरा सा भी खिसक जाए,’’ आपस में बतियाती खिलखिलाती मोहिनी की सहेलियों, ऋचा और रीमा ने व्यंग्य किया था.

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3. भैया- 4 बहनों को मिला जब 1 भाई

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कीर्ति ने निशा का चेहरा उतरा हुआ देखा और समझ गई कि अब फिर निशा कुछ दिनों तक यों ही गुमसुम रहने वाली है. ऐसा अकसर होता है. कीर्ति और निशा दोनों का मैडिकल कालेज में दाखिला एक ही दिन हुआ था और संयोग से होस्टल में भी दोनों को एक ही कमरा मिला. धीरेधीरे दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.

कीर्ति बरेली से आई थी और निशा गोरखपुर से. कीर्ति के पिता बैंक में अधिकारी थे और निशा के पिता महाविद्यालय में प्राचार्य.

गंभीर स्वभाव की कीर्ति को निशा का हंसमुख और सब की मदद करने वाला स्वभाव बहुत अच्छा लगा था. लेकिन कीर्ति को निशा की एक ही बात समझ में नहीं आती थी कि कभीकभी वह एकदम ही उदास हो जाती और 2-3 दिन तक किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

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4. तोबा मेरी तोबा- अंजली के भाई के साथ क्या हुआ?

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मेरे सिगरेट छोड़ देने से सभी हैरान थे. जिस पर डांटफटकार और समझानेबुझाने का भी कोई असर नहीं हुआ वह अचानक कैसे सुधर गया? जब मेरे दोस्त इस की वजह पूछते तो मैं बड़ी भोली सूरत बना कर कहता, ‘‘सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है, इसलिए छोड़ दी. तुम लोग भी मेरी बात मानो और बाज आओ इस गंदी आदत से.’’

मुझे पता है, मेरे फ्रैंड्स  मुझ पर हंसते होंगे और यही कहते होंगे, ‘नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली. बड़ा आया हमें उपदेश देने वाला.’ मेरे मम्मीडैडी मेरे इस फैसले से बहुत खुश थे लेकिन आपस में वे भी यही कहते होंगे कि इस गधे को यह अक्ल पहले क्यों नहीं आई? अब मैं उन से क्या कहूं? यह अक्ल मुझे जिंदगी भर न आती अगर उस रोज मेरे साथ वह हादसा न हुआ होता.

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5. रेतीला सच- शिखा की बिदाई के बाद क्या था अनंत का हाल

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‘तुम्हें वह पसंद तो है न?’’ मैं  ने पूछा तो मेरे भाई अनंत  के चेहरे पर लजीली सी मुसकान तैर गई. मैं ने देखा उस की आंखों में सपने उमड़ रहे थे. कौन कहता है कि सपने उम्र के मुहताज होते हैं. दिनरात सतरंगी बादलों पर पैर रख कर तैरते किसी किशोर की आंखों की सी उस की आंखें कहीं किसी और ही दुनिया की सैर कर रही थीं. मैं ने सुकून महसूस किया, क्योंकि शिखा के जाने के बाद पहली बार अनंत को इस तरह मुसकराते हुए देख रही थी.

शिखा अनंत की पत्नी थी. दोनों की प्यारी सी गृहस्थी आराम से चल रही थी कि एक दर्दनाक एहसास दे कर यह साथ छूट गया. शिखा 5 साल पहले अनंत पर उदासी का ऐसा साया छोड़ गई कि उस के बाद से अनंत मानो मुसकराना ही भूल गया.

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6. मेरे भैया- अंतिम खत में क्या लिखा था खास

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सावनका महीना था. दोपहर के 3 बजे थे. रिमझिम शुरू होने से मौसम सुहावना पर बाजार सुनसान हो गया था. साइबर कैफे में काम करने वाले तीनों युवक चाय की चुसकियां लेते हुए इधरउधर की बातों में वक्त गुजार रहे थे. अंदर 1-2 कैबिनों में बच्चे वीडियो गेम खेलने में व्यस्त थे. 1-2 किशोर दोपहर की वीरानगी का लाभ उठा कर मनपसंद साइट खोल कर बैठे थे.  तभी वहां एक महिला ने प्रवेश किया. युवक महिला को देख कर चौंके, क्योंकि शायद बहुत दिनों बाद एक महिला और वह भी दोपहर के समय, उन के कैफे पर आई थी. वे व्यस्त होने का नाटक करने लगे और तितरबितर हो गए.

महिला किसी संभ्रांत घराने की लग रही थी. चालढाल व वेशभूषा से पढ़ीलिखी भी दिख रही थी. छाता एक तरफ रख कर उस ने अपने बालों को जो वर्षा की बूंदों व तेज हवा से बिखर गए थे, कुछ ठीक किए. फिर काउंटर पर बैठे लड़के से बोली, ‘‘मुझे एक संदेश टाइप करवाना है. मैं खुद कर लेती पर हिंदी टाइपिंग नहीं आती है.’’

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7. तृप्त मन- राजन ने कैसे बचाया बहन का घर

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पिछले दिनों से थकेहारे घर के सभी सदस्य जैसे घोड़े बेच कर सो रहे थे. राशी की शादी में डौली ने भी खूब इंज्वाय किया लेकिन राजन की पत्नी बन कर नहीं बल्कि उस की मित्र बन कर.

अमेरिका में स्थायी रूप से रह रहे राजन के ताऊ धर्म प्रकाश को जब खबर मिली कि उन के भतीजे राजन ने आई.टी. परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है तो उन्होंने फौरन फोन से अपने छोटे भाई चंद्र प्रकाश को कहा कि वह राजन को अमेरिका भेज दे…यहां प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण के बाद नौकरी का बहुत अच्छा स्कोप है.

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8. राखी का उपहार

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इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

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9. स्लीपिंग पार्टनर- मनु की नजरों में अनुपम भैया

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मनु को एक दिन पत्र मिलता है जिसे देख कर वह चौंक जाती है कि उस की भाभी यानी अनुपम भैया की पत्नी नहीं रहीं. वह भैया, जो उसे बचपन में ‘डोर कीपर’ कह कर चिढ़ाया करते थे.

पत्र पढ़ते ही मनु अतीत के गलियारे में भटकती हुई पुराने घर में जा पहुंचती है, जहां उस का बचपन बीता था, लेकिन पति दिवाकर की आवाज सुन कर वह वर्तमान में लौट आती है. वह अनुपम भैया के पत्र के बारे में दिवाकर को बताती है और फिर अतीत में खो जाती है कि उस की मौसी अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ दिन सपरिवार रहने आ रही हैं. और सारा इंतजाम उन्हें करने को कहती हैं.

आखिर वह दिन भी आ जाता है जब मौसी आ जाती हैं. घर में आते ही वह पूरे घर का निरीक्षण करना शुरू कर देती हैं और पूरे घर की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले लेती हैं. पूरे घर में उन का हुक्म चलता है.

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10. मत बरसो इंदर राजाजी

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भाई की चिट्ठी हाथ में लिए ऋतु उधेड़बुन में खड़ी थी. बड़ी  प्यारी सी चिट्ठी थी और आग्रह भी इतना मधुर, ‘इस बार रक्षाबंधन इकट्ठे हो कर मनाएंगे, तुम अवश्य पहुंच जाना…’

उस की शादी के 20 वर्षों  आज तक उस के 3 भाइयों में से किसी ने भी कभी उस से ऐसा आग्रह नहीं किया था और वह तरसतरस कर रह गई थी.  उस की ससुराल में लड़कियों के यहां आनाजाना, तीजत्योहारों का लेनादेना अभी तक कायम था. वह भी अपनी इकलौती ननद को बुलाया करती थी. उस की ननद तो थी ही इतनी प्यारी और उस की सास कितनी स्नेहशील.  जब भी ऋतु ने मायके में अपनी ससुराल की तारीफ की तो उस की मंझली भाभी उषा, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ रहती थीं, कहने लगीं, ‘‘जीजी, ससुराल में आप की इसलिए निभ गई क्योंकि आप की सासननद अच्छी हैं, हमारी तो सासननदें बहुत ही तेज हैं.’’

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Raksha Bandhan 2021: एक अटूट बंधन है राखी

हर रिश्ते का कोई ना कोई नाम होता है, ठीक उसी प्रकार एक पावन रिश्ता भी होता है एक औरत और आदमी के बीच. वो रिश्ता सब से पवित्र और अनूठा होता है, जिसे हम भाई बहन का रिश्ता कहते है. यह रिश्ता हर रिश्ते से मीठा होता है ,और सच्चा होता है, यह रिश्ता केवल धागे से बंधी डौर पर ही निर्भर नही करता, उस डौर में छुपा होता है एक अटूट विश्वास और स्नेह. यह रिश्ता भले ही कच्चे  धागे से बंधा हो लेकिन इसकी मिठास दोनों के दिलो में पक्के विश्वास से बंधी होती है. जो हर रिश्ते से मजबूत डौर होती है. यही प्यार रक्षाबंधन के दिन भाई को अपनी बहन के पास खीच लाता है. राखी के अटूट बंधन पर प्रकाश डाल रहे है –

सभी त्यौहार में रक्षाबंधन एक अनूठा त्यौहार है. यह केवल त्यौहार ही नही बल्कि हमारी परम्पराओ का प्रतीक है, जो आज भी हमें अपने देश,, परिवार व संस्कृति से जोड़े रखे हुए है. चाहे भाई विदेश में हो या बहन लेकिन वह राखी के इस त्यौहार पर एक दुसरे को याद जरुर करते है. बहन  राखी भी भेजना नही भूलती. यही सब त्यौहार आज भी हमें अपने देश की मिटी से जोड़े हुए है.

रक्षाबंधन बहन की प्रतिबद्धता का दिन है, जिस दिन भाई अपनी बहन को हर मुसीबत से बचाने का  वचन देता है. उसका साथ निभाने का और उसका ख्याल रखने का वचन देता है. साल भर बहन   अपने भाई से मिलने के लिए इस दिन की रहा तकती है, क्योंकि जब बहन की शादी हो  जाती है या भाई कही दूर रहता है तो उनके मिलन का दिन यही होता है. इस दिन वो सब काम छोड़ कर एक दुसरे  से मिलते है, और बहन  भाई की कलाई पर राखी बांध कर अपने रिश्ते को और भी मजबूत  बनती है और भाई सदा उसका साथ निभाने का वादा करता है.

कब और कैसे मनाते है राखी का त्यौहार

यह त्यौहार श्रवण मास की पूर्णिमा (जुलाई -अगस्त ) को मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बंधती है और उसके माथे पर रोली का तिलक लगाती  है और उसे मीठा खिलाती है तथा सदैव  उसकी दीर्घ आयु की कामना करती है व विजयी होने  की कामना करती है. भाई अपनी लाडली बहन को कोई ना कोई तोहफा या पैसे देता है ,लेकिन असल तोहफा  उसका वह  वचन ही होता है कि वह हर प्रकार के अहित से उसकी रक्षा करेगा और अपनी बहन का सदैव ख्याल रखेगा और हर दु:ख सुख मे उसका साथ निभाएगा.

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गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने 1905 में शान्तिनिकेतन रक्षाबंधन की शुरुआत की थी.  और यह परम्परा आज भी शांति निकेतन  मे चल रही है, लेकिन वहा भाई बहन के बीच राखी नही बल्कि मित्रो के बीच यह त्यौहार मनाया जाता है. ताकि उनके बीच मधुर सम्बन्ध  बने रहे.

बदलता ट्रेंड

इस साल यह त्यौहार 03 अगस्त को मनाया जायेगा. हर साल दुकानों पर नये नये डिजाईन की राखी आती है, जो सभी बहनो को खूब लुभाती है.  सभी बहन चाहती है कि वो अपने भाई को ऐसी राखी बांधे जो सब से सुन्दर हो और मजबूत हो जो पुरे साल उसके भाई की कलाई पर सजी रहे. बाज़ार मे रेशम के धागे से लेकर सोने चांदी की राखी उपलब्ध है और अब तो हीरे   की राखी भी बजारों मे मिल रही है. वैसे देखा जाये तो असल राखी कलावे की होती है. लेकिन आज-कल नई  चीजो का दौर  है, तो त्यौहार को ही क्यों ना नये जमाने के चार चाँद लगाएं.  पहले बहन   मिठाई का डब्बा दिया करती थी, लेकिन अब वो  अपने भाई को चाकलेट, अप्पी, फ्रूटी ,बिस्कुट के पक्केट भी देने लगी है क्योंकि आज कल के लोगो को स्नैक्स  जैसी चीजे अधिक पसंद होती है, इसलिए वो भी चाहते  है की जो उनके भाई को पसंद हो और यही नया ट्रेंड बनता जा रहा है.

मुहबोली बहन अथवा भाई बनाने का फैशन ही भाई बहन के पवित्रता से बने  रिश्ते को संदेहस्पद  बनाता है. बहनों और भाइयों दोनों को रिश्तों कि नाजुकता को ध्यान मे रखना चाहिये, नये पीढ़ी अभी इन बातों से वंचित है कि भावनओं का अनादर एवं विश्वास के साथ घात अशोभनीय है.

इतिहास के पन्नो में 

रक्षा बंधन का जिक्र इतिहास की कहानियों में भी मिलता है महाभारत में द्रौपदी ने श्री क्रषण के हाथ में अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था. जब श्री कृष्ण ने खुद को घायल कर लिया था और उनके हाथों से खून बहने लगा था. तब द्रौपदी ने ही अपना पल्ला फाड़ कर बांधा इसी प्रकार उन दोनों के बीच भाई- बहन का रिश्ता विकसित  हुआ. श्री कृष्ण  ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था. इस त्यौहार को विश्वास की डौर ने परस्पर आज भी बांधा हुआ है. रक्षा का अर्थ होता है- बचाव करना.

हुमायूँ के समय  मे चित्तोड़  की रानी कर्मावती ने दिल्ली   के मुग़ल बादशाह हुमांयू को राखी भेज कर भाई बनाया था. उस समय चित्तोड़ पर गुजरात के राजा ने आक्रमण किया था. तब कर्मावती ने हुमांयू को राखी भेज कर मद्दद की गुजारिस की थी.  इस राखी से भावुक हुआ हुमायूँ फ़ौरन रानी की मदद के लिये पहुचा और राखी की इज्ज़त  और सम्मान के लिये गुजरात के बादशाह से युद्ध किया.

पुरु बने ग्रीक की रानी के भाई

300 बीसी में अलेक्ज़ेन्डर की पत्नी ने भारत में राखी के महत्व को जानकर पुरु को अपना भाई बनाया था. जो की पश्चिमी  भारत के एक महान युधा  थे. उन्हे राखी बांधी और अलेक्ज़ेन्डर पर हमला ना करने की गुजारिश की. पुरु ने भी ग्रीक की रानी को बहन मानते हुए उनके सुहाग की रक्षा की और उनकी राखी का सम्मान किया.

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राजपूतों का इतिहास

कहा जाता है कि जब राजपूत युद्ध के लिए निकलते थे, तो पहले औरते उनके माथे पर तिलक और हाथों  मे कलाई पर रक्षा का धागा बंधती थी.   यह धागा जीत का शुभ चिन्ह माना जाता था. कई बार राजपूत और मराठी रानियों ने मुस्लिम राजाओं को अपना भाई बनाया था, जिससे वो उनके पति के खिलाफ युद्ध  करने से रुक जाएँ. वो उस  धागे को  भेज कर राजाओं से भाई बनने की पेशकश करती थी  और उन्होने अपने सुहाग की रक्षा की गुहार लगाई.

भाई बहन का लगाव व स्नेह  ताउम्र बरकरार रहता है, क्योंकि बहन कभी बाल सखा तो कभी माँ तो कभी पथ प्रदर्शक बन भाई को सिखाती है. हमेशा उसकी विपत्ति मे, उसको हर मुश्किल का सामना करना सिखाती है, उसे जिन्दगी मे आगे बढऩा सिखाती है.  इस उत्सव का मुख्य उदेश्य  परिवारों को जोडऩा है हमेशा रिश्ते बनाये रखना है.

Raksha Bandhan Special: ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं सत्तू चीज बॉल्स

आजकल के दिन बड़े होते हैं, दोपहर का भोजन किये भी 3-4 घण्टे हो जाते हैं ऐसे में शाम को भूख लगना स्वाभाविक सी बात है. हर दिन तला भुना खाना भी सेहतमंद नहीं होता तो क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए कि वह सेहतमंद भी हो और सबको पसन्द भी आये. आज हम आपको ऐसे ही एक स्नैक के बारे में बता रहे हैं जिसे हमने सत्तू से बनाया है. सत्तू भुने चने और भुने गेहूं व जौ से बना खाद्य पदार्थ है जो बहुत सेहतमंद और लो कैलोरी वाला होता है. यह बिहार, उड़ीसा और उत्तरप्रदेश में बहुत प्रयोग किया जाता है चूंकि इसमें नाममात्र की कैलोरी होती है इसलिए यह वजन को संतुलित रखने में भी कारगर है. तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए           6

 बनने में लगने वाला समय    30मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

सत्तू का आटा                  1 कप

बारीक कटा प्याज             1

कटी हरी मिर्च                   4

मोटी किसी गाजर              1

बारीक कटी शिमला मिर्च     1

किसा अदरक                      1 इंच

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नमक                             स्वादानुसार

जीरा                                 1/4 टीस्पून

हल्दी पाउडर                       1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर                 1/2 टीस्पून

गरम मसाला                        1/4 टीस्पून

अमचूर पाउडर                     1/2 टीस्पून

कटा हरा धनिया                   2 टेबलस्पून

चीज क्यूब्स                         3

ब्रेड क्रम्ब्स                           1/2 कप

कॉर्नफ्लोर                           2 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

सत्तू को एक बाउल में डालकर सभी मसाले व सब्जियां डाल दें. इन्हें हाथ से अच्छी तरह मिलाएं. अब पानी की सहायता से इसे रोटी के आटे जैसा गूंध लें. चीज को किसकर 6 छोटे छोटे बॉल्स बना लें. अब तैयार सत्तू के मिश्रण में से 1 टेबलस्पून मिश्रण लेकर हथेली पर फैलाएं.बीच में चीज की बॉल रखकर चारों तरफ से दबाकर गोल कर लें. इसी तरह सारे बॉल्स तैयार करें. अब कॉर्नफ्लोर को 1 टेबलस्पून पानी में घोल लें. तैयार बॉल्स को कॉर्नफ्लोर में डुबोकर ब्रेड क्रम्ब्स में लपेट लें. गरम तेल में डालकर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गर्मागर्म बॉल्स को टोमेटो सॉस या हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व करें.

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चुने नौन कोमेडोगेनिक प्रोडक्ट

अकसर औयली स्किन वालों को ही पोर्स के क्लोग होने की दिक्कत होती है और जब पोर्स क्लोग होते हैं तो वे बड़े होने के साथ ज्यादा नजर आने लगते हैं. ऐसे में आप अपने चेहरे पर जो भी ब्यूटी प्रोडक्ट अप्लाई करें, देखें कि वह नौनकोमेडोगेनिक व औयल फ्री हो यानी वह प्रोडक्ट पोर्स को क्लोग नहीं करता हो.

स्किन पर किसी भी तरह का कोई भी दागधब्बा किसी को भी पसंद नहीं होता है. लेकिन दागधब्बे तो दूर स्किन पर जब बड़ेबड़े ओपन पोर्स दिखाई देने लगते हैं तो स्किन का अट्रैक्शन कम होने के साथ ही वह भद्दी ही दिखने लगती है. साथ ही और ढेरों स्किन प्रौब्लम्स जैसे ऐक्ने, ब्लैकहेड्स जैसी समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं.

वैसे तो इस समस्या से निबटने के लिए मार्केट में ढेरों सौलूशंस उपलब्ध हैं, लेकिन हम आप की स्किन को कैमिकल्स से दूर रख कर आप को कुछ ऐसी होममेड रेमेडीज के बारे में बताएंगे, जो उपलब्ध होने में आसान होने के साथ ही आप की स्किन को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी.

आइए, इस संबंध में जानते हैं कौस्मैटोलौजिस्ट पूजा नागदेव से:

आइस क्यूब (Ice Cube)

क्या आप जानते हैं कि बर्फ में स्किन टाइटनिंग प्रौपर्टीज होती हैं, जो बड़े पोर्स को छोटा करने व ऐक्सैस औयल को कम करने का काम करती है, साथ ही यह फेशियल ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव कर के स्किन की हैल्थ को भी इंप्रूव करने का काम करती है, इसे अप्लाई करने के कुछ देर बाद ही स्किन स्मूद व सौफ्ट नजर आने लगती है. इस के लिए आप एक साफ कपड़े में बर्फ को ले कर उस से कुछ देर चेहरे की अच्छे से मसाज करें या फिर बर्फ के ठंडे पानी से स्किन को वाश कर सकती हैं. ऐसा आप एक महीने तक रोजाना कुछ सैकंड तक करें, फर्क आप को खुद दिखाई देने लगेगा.

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ऐप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar)

ऐप्पल साइडर विनेगर में ऐंटीइनफ्लैमेटरी व ऐंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज होने के कारण यह ऐक्ने के ट्रीट करने के साथ स्किन के पीएच लैवल को भी बैलेंस में रखता है. साथ ही बड़े पोर्स को छोटा कर के स्किन टाइटनिंग का भी काम करता है.

इस के लिए आप एक बाउल में 1 छोटा चम्मच ऐप्पल साइडर विनेगर ले कर उस में 2 छोटे चम्मच पानी मिलाएं. फिर रुई की मदद से तैयार मिक्स्चर को फेस पर अप्लाई कर के 5-10 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर फेस को धो कर उस पर मौइस्चराइजर अप्लाई कर लें. ऐसा आप कुछ महीनों तक हफ्ते में 2-3 बार करें. इस से बड़े पोर्स श्रिंक होने लगेंगे और आप का खोया अट्रैक्शन फिर लौटने लगेगा.

शुगर स्क्रब (Sugar Scrub)

वैसे तो आप ने यही सुना होगा कि अगर आप के चेहरे पर बड़ेबड़े पोर्स हैं तो आप को स्क्रबिंग को अवौइड ही करना चाहिए. लेकिन आप को बता दें कि हफ्ते में एक बार स्क्रबिंग हर किसी के लिए जरूरी है क्योंकि इस से स्किन में जमी हुई गंदगी व जर्म्स निकल जाते हैं.

अगर बात करें शुगर स्क्रब की तो यह स्किन को बहुत ही अच्छे तरीके से ऐक्सफौलिएट कर पोर्स से अतिरिक्त औयल व गंदगी को रिमूव करने का काम करता है. यह स्किन के पोर्स को भी कुछ ही हफ्तों में छोटा करने में मदद करता है. इस के लिए आप नीबू के छोटे टुकड़े पर शुगर लगाएं.

फिर इसे हलके हाथों से चेहरे पर रब करते हुए जूस व शुगर क्रिस्टल्स को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगा छोड़ दें, फिर धो लें. महीने भर में आप को स्किन में सुधार नजर आने लगेगा.

बेकिंग सोडा (Baking Soda)

बेकिंग सोडा में स्किन के पीएच लैवल को बैलेंस में रखने की क्षमता होती है. इस में ऐंटीइनफ्लैमेटरी व ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज होने के कारण यह ऐक्ने और पिंपल्स को ट्रीट करने का काम करता है. इस के लिए बस आप को  2 बड़े चम्मच बेकिंग सोडे में 2 बड़े चम्मच पानी मिला

कर इस मिक्स्चर से चेहरे की सर्कुलर मोशन में मसाज करें.

फिर इसे चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगा छोड़ दें और फिर ठंडे पानी से चेहरे को क्लीन कर लें.

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टोमैटो स्क्रब (Tomato Scrub)

टमाटर में ऐस्ट्रिंजेंट प्रौपर्टीज होने के कारण यह स्किन के अतिरिक्त औयल को कम करने के साथसाथ स्किन को टाइट कर बड़े पोर्स को श्रिंक करने का काम करता है, साथ ही टमाटर में बड़ी मात्रा में ऐंटीऔक्सीडैंट्स होने के कारण यह ऐजिंग प्रोसैस को भी धीमा करता है. इस के लिए आप 1 चम्मच टमाटर के रस में 3-4 बूंदें नीबू के रस की डाल कर इस पेस्ट को चेहरे पर 20 मिनट तक अप्लाई करें, फिर ठंडे पानी से धो लें.

आप को एक ही यूज के बाद अपने चेहरे पर ग्लो नजर आने लगेगा और बड़े पोर्स की प्रौब्लम भी

1-2 महीनों में ठीक हो जाएगी. लेकिन इस के लिए आप को इस पैक को हफ्ते में

3 बार जरूर अप्लाई करना होगा.

Raksha Bandhan Special: मेकअप से ऐसे पायें नेचुरल निखार

आज के समय में हर लड़की नेचुरली खूबसूरत दिखना चाहती है. जिसका सबसे बेस्ट तरीका है न्यूड मेकअप. आज के ब्यूटी ट्रेंड की बात करे तो न्यूड मेकअप लुक को ज्यादा पसंद किया जा रहा है. टीनेजर्स से लेकर ब्राइड तक इस लुक को बखूबी पसंद कर रही हैं.

न्यूड मेकअप लुक में आपका चेहरा बहुत नैचुरल और ग्लोइंग दिखता है. इस लुक की खास बात है दिन हो या रात आप इस न्यूड मेकअप लुक को कभी-भी कैरी कर सकती हैं.

न्यूड मेकअप लुक आपको न सिर्फ नेचुरल ब्यूटीफुल बल्कि यंग लुक भी देता है. अगर आप भी न्यूड मेकअप लुक चाहती हैं, तो आजमाएं ये कुछ खास टिप्स.

सेलिब्रिटी हो या कौलेज गर्ल न्यूड मेकअप लुक हर लड़की की डिमांड बन चुका है. न्यूड मेकअप आपकी स्किन को इवन टोन और एट्रेक्टिव लुक देता है. बस जब भी आप ये मेकअप ट्रिक अपनाएं अपनी स्किन टोन का खास ध्यान में रखें.

1. फेस मेकअप                               

न्यूड मेकअप के लिए बेस हमेशा लाइट यूज किया जाता है. ध्यान रखे बेस जितना न्यूट्रल रहेगा आप उतनी ही खूबसूरत दिखेंगी. बेस लगाने से पहले चेहरे पर मौइस्चराइजर लगाना न भूले. स्किन को ज्यादा सौफ्ट और ग्लोइंग बनाने के लिए आप बेस में फेस सीरम को मिला कर लगा सकती हैं. ज्यादातर लोग नेक कवर करना भूल जाते हैं, इससे उनका मेकअप बहुत भद्दा लगने लगता है, इसलिए फाउंडेशन लगाते वक्त गले पर भी फाउंडेशन लगाएं.

2. न्यूड आई मेकअप

चेहरे की आधी खूबसूरती आंखों में छुपी होती है, अगर आंखे खूबसूरत हों तो चेहरा अपने आप खूबसूरत लगने लगता है. न्यूड मेकअप में सबसे जरूरी है की आंखे नेचुरल रूप से खूबसूरत दिखें. आई मेकअप के लिए हमेशा ऐसे आइशेडो को चुनें जो आपकी स्किन से मिलता हो और एक बेहतरीन न्यूड लुक दे. न्यूड लुक के लिए आप हलका औरेंज, पीच, चौको, ब्राउन शैड के आईशेडो इस्तेमाल कर सकती हैं.

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3. लाइनर और मसकारा

आंखो को और आकर्षित बनाने के लिए आप लाइनर और मसकारा का इस्तेमाल करना न भूले. आईशेडो के बाद आंखो पर लाइनर लगाएं. ध्यान रखें लाइनर न ज्यादा मोटा हो न ज्यादा पतला. पलकों को खूबसूरत दिखाने के लिए डार्क कलर का मसकारा लगाएं और उन्हें कर्ल कर लें. इससे आपकी पलकें नेचुरल खूबसूरत दिखेंगी.

4. नेचुरल-न्यूड ब्लश

ब्लशर लगाना हर लड़कियों को पसंद होता है. नेचुरल-न्यूड शैड के लिए आप पिंक, पीच, ब्राउन ब्लश यूज कर सकती हैं. ब्लश यूज करते वक्त अपने होंठों के रंग का जरूर ध्यान दें. ब्लश जब भी लगाएं ऊपर से नीचे की ओर लगाएं. ब्लश लगाते समय ध्यान रखें ब्लश मौइस्चराइजर समान लगा हो.

5. हाईलाइटर का यूज

हाईलाइटर न्यूड लुक को और भी अट्रेक्टिव बना देता है. आपने गालों को नेचुरली हाइलाइट करने के लिए अपने स्किन टोन से मैच हाईलाइटर का इस्तेमाल करें ध्यान रखें हाइलाईटर जरूरत से ज्यादा न लगाएं.

6. न्यूड लिप कलर

न्यूड लुक में सबसे ज्यादा ध्यान लिप कलर पर दिया जाता है. अगर आपने पूरा मेकअप लाइट और न्यूड किया है, लेकिन आपकी लिपस्टिक डार्क शैड की हैं, तो यकीन मानिये आपका मेकअप परफेक्ट नहीं लगेगा. न्यूड लिपशैड के लिए आप पीच शैड, पीच प्लेजर, राइट रेड ब्राउन बेब, बेबी पिंक, बोल्ड औरेंज, प्रीटी पिंक को यूज कर सकती हैं.

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Raksha Bandhan Special: इस रक्षा बंधन पर अपनी बहन को दें ये खास गिफ्ट

अक्सर ये देखा जाता है कि रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों को गिफ्ट्स दे कर खुश करने की कोशिश करते हैं और जब भाईयों को कुछ समझ नही आता कि उन्हे क्या देना चाहिए तो वे उन्हे कैश दे देते हैं ताकि उन्हे जो पसंद हो वे खुद लें. हर भाई चाहता है कि वे अपनी बहन को हमेशा खुश रख सके और बहनों की खुशी के लिए वे हर वो चीज़ सोचते है जो कोई और नही सोच सकता.

ज्यादातर लोग रक्षा बंधन के दिन अपनी बहनों के लिए या तो चौक्लेट्स खरीदते हैं या फिर कुछ मिठाइयां. आज हम आपको बताएंगे कि अपनी बहनों को क्या गिफ्ट देना चाहिए जिससे कि उनके चहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ सके.

1. इयरिंग्स करें गिफ्ट

एसा देखा जाता है कि लड़कियां छोटी-छोटी चीजों से काफी खुश हो जाती हैं और ज्यादा तब जब वो चीज़ उनका खुद का भाई ले कर आए. लड़कियों को ज्वैलरी पहनने का बहुत शौक होता है और खासकर इयरिंग्स पहनना. इस रक्षा बंधन आप भी अपनी बहनों को इयरिंग्स गिफ्ट कर खुश कर सकते हैं.

 

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2. कस्टमाइज्ड टी-शर्ट है ट्रेंड

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आजकल लड़कियों को टी-शर्ट पहनना बेहद अच्छा लगता है और खासकर तब तब टी-शर्ट पर उनके मन पसंद का कुछ लिखा हो. जी हां अब एसी बहुत सी वेब-साइट्स और दुकानों पर इस तरह की सुविधा उप्लब्ध है जहां आप अपनी मर्ज़ी का डिज़ाईन या टैक्सट टी-शर्ट पर लिखवा सकते हैं. तो आप इस रक्षा बंधन अपनी बहन के पसंदीदा डिज़ाईन और टैक्सट के अनुसार उन्हे टी-शर्ट गिफ्ट कर सकते हैं.

3. कौस्मेटिक आइटम्स रहेगा बेस्ट औप्शन

 

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हर उम्र की महिला को मेक-अप करने का शौक जरूर होता है फिर चाहे वे आपकी बहन हो या पत्नी. महिलाओं के अनुसार मेक-अस उनकी सुंदरता को और निखार देता है तभी उन्हे मेक-अप करना बहुत अच्छा लगता है. इस रक्षाबंधन अपनी बहन को उनकी पसंदीदा मेक-अप किट या कौस्मेटिक आइटम्स गिफ्ट कर सकते हैं.

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4. फिटनेस बैंड से रहेगी हेल्थ फिट

आजकल हर कोई अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखता है फिर चाहे वे पुरूष हो या महिलाएं. स्मार्ट वौच और फिटनेस बैंड के जरिए हम कहीं भी अपनी हेल्थ की जानकारी रख सकते है. इस बैंड के जरिए हम अपनी ‘हार्ट-बीट’, ‘कैलरीज’ ‘कार्डियो स्टैप्स’ जैसी बहुत सी चीज़े देख सकते हैं. तो अगर आपकी बहन भी है फिटनेस फ्रीक और अपनी हेल्थ का काफी ध्यान रखती हैं तो उन्हे फिटनेस बैंड जैसा गिफ्ट जरूर दें.

written by karan manchanda

Raksha Bandhan Special: फैमिली के लिए बनाएं दाल कचौड़ी विद आलू भाजी

फेस्टिव सीजन में अगर आप अपनी फैमिली को टेस्टी रेसिपी ट्राय करवाना चाहती हैं तो दाल कचौड़ी विद आलू भाजी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये बनाने में आसान है, जिसके चलते आप फेस्टिव सीजन में मेहमानों की वाहवाही पा सकती हैं.

सामग्री कचौड़ी की

– 200 ग्राम मैदा

– 2 बड़े चम्मच घी मोयन के लिए

– आटा गूंधने के लिए पर्याप्त कुनकुना पानी

– कचौडि़यां तलने के लिए रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

– 50 ग्राम धुली मूंग दाल

– 2 बड़े चम्मच बेसन

– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

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– 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

– 2 छोटे चम्मच बारीक कटी अदरक व हरीमिर्च

– चुटकीभर हींग पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री आलूभाजी की

– 250 ग्राम उबले व हाथ से फोड़े आलू

– चुटकी भर हींग पाउडर

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 कप फ्रैश टमाटर पिसे हुए

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

विधि कचौड़ी बनाने की

मैदे में गरम घी का मोयन व नमक डाल कर गूंध लें. आधा घंटा ढक कर रख दें. धुली मूंग दाल धो कर 1 कप पानी में 5 मिनट उबालें. दाल गल जानी चाहिए पर फूटनी नहीं चाहिए. पानी निथार लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के हींग पाउडर, अदरक व हरीमिर्च पेस्ट भूनें. फिर बेसन डाल कर 1 मिनट सौते करें. दाल व सभी मसाले डाल कर 3-4 मिनट तक मिक्सचर भून लें. भरावन तैयार है. मैदे की नीबू के आकार की लोइयां लें. थोड़ा थपथपा कर बड़ा करें. बीच में एक बड़ा चम्मच मिक्सचर भरें और बंद कर के हलका सा बेल दें ताकि कचौड़ी थोड़ी बड़ी हो जाएं. गरम तेल में धीमी आंच पर कचौड़ी बना लें. इन्हें 1-2 दिन पहले भी बना कर रखा जा सकता है. ओवन या एअरफ्रायर में गरम कर आलू की भाजी के साथ ब्रेकफास्ट में सर्व करें.

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विधि आलू की भाजी की

एक प्रैशरपैन में तेल गरम कर के हींग व जीरे का तड़का लगाएं फिर टमाटर पेस्ट व अन्य सूखे मसाले डाल कर भूनें. जब मसाले भुन जाएं तब हाथ से फोड़े आलू डालें, साथ ही तरी के लिए 2 कप कुनकुना पानी भी डालें. 1 सीटी लगाएं या 5 मिनट खुले में पकाएं. धनिया पत्ती डाल कर सर्व करें.

Raksha Bandhan Special: ट्राय करें 5 फेस्टिव Beauty Hacks

फेस्टिवल्स का समय हो और महिलाएं मेकअप न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता. इस समय तो हर महिला स्टाइलिश एथनिक ड्रेसेस और जूलरी के साथ ब्राइट मेकअप लुक को तरजीह देती है. मगर फेस्टिवल्स के दौरान काम भी बहुत बढ़ जाता है. ऐसे में स्वाभाविक है कि मेकअप के दौरान कुछ गलतियां या चूक हो जाती हैं, जिस से खूबसूरती निखारने के बजाय बिगड़ भी सकती है. आइये ऐल्प्स ब्यूटी क्लिनिक की फाउंडर भारती तनेजा से जानते हैं कि ऐसी गलतियों से कैसे बचा जा सकता है;

ट्रेंडी बनें

गलती 1 : फेस्टिव सीजन के हिसाब से ट्रेंडी ड्रेस और मेकअप सेलेक्ट न करना .

समाधान : फेस्टिव मेकअप करते समय सब से बड़ी गलती जो हम अक्सर कर जाते हैं वह ये कि हम बहुत डार्क और हेवी मेकअप कर लेते हैं. पर जरुरी यह है कि मेकअप करते समय हमें लेटेस्ट ट्रेंड की जानकारी हो. आप महफिल में आउट आफ प्लेस नज़र न आएं इस के लिए मेकअप हमेशा ट्रेंड के हिसाब से ही करें.

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स्किन के मुताबिक करें मेकअप

गलती 2 : स्किन के मुताबिक मेकअप नहीं करने से मेकअप का रिजल्ट कम दिखाई देता है

समाधान : प्रोडक्ट्स खरीदते समय स्किनटोन ही काफी नहीं, इस के लिए स्किन टाइप को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है. अगर आप की स्किन औयली है तो फेस पाउडर ऐसा चुनें जिस में सिर्फ टैल्क या टैलकम हो क्यों कि यह चेहरे से औयल अब्जौर्ब कर आप को परफेक्ट फिनिश देता है. वहीं ड्राई स्किन वालों को हाइड्रोनिक एसिड और हाइड्रेटिंग प्रॉपर्टीज़ के साथ आने वाले फेस पाउडर का चुनाव करना बेहतर रिजल्ट देता है. यदि आप की त्वचा ड्राइ है तो फेस क्लीनिंग के लिए हमेशा क्लींजिंग मिल्क का प्रयोग करें. साथ ही मेकअप के लिए क्रीमी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर सकतें हैं. जबकि ऑयली स्किन  वालों को फेस क्लीन करने के लिए एसिट्रंजेंट का प्रयोग करना चाहिए और मेकअप के लिए वाटर बेसड प्रोडक्ट इस्तेमाल करें.

ब्लशर का प्रयोग ज्यादा न हो

गलती 3 : ब्लशर के ज्यादा होने से सुंदरता बढ़ने के बजाय घट जाती है.

समाधान : अगर ब्लशर करने के बाद आपको महसूस हो कि यह ज्यादा दिख रहा है तो एक साफ ब्लश-ब्रश से एक्स्ट्रा ब्लश साफ कर दें. टिश्यू पेपर से स्क्रब न करें, इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है. ब्लश इस्तेमाल करना हो तो फाउंडेशन जरूर लगाना च‍ाहिए. ब्लशर लगाते हुए यह पता होना चाहिए कि इसकी सही मात्रा क्या है और फिर इसे मेकअप बेस के साथ ब्लेंड करने के लिए क्लौकवाइज और एंटीक्लौकवाइज लगाये. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कौम्पेक्ट के साथ मिलने वाले ब्रश छोटे होते हैं. हमेशा फुल साइज ब्लश ब्रश का इस्तेमाल करें.

अंडर आई डार्क सर्कल के लिए कंसीलर

गलती 4 : काले घेरों को छिपाने के लिए कंसीलर लगाना स्वाभाविक नहीं लगता.

समाधान: आई क्रीम या आंखों का सीरम आवश्यक है लेकिन कंसीलर लगाने से पहले इसे त्वचा में अब्जॉर्ब होने देना चाहिए.वरना कंसीलर जल्दी क्रीज हो कर अन-नैचुरल लगने लगता है. आंखों के नीचे कंसीलर को रगड़ना नहीं थपथपाना चाहिए. रंगडने से यह चारों और फैल जाता है.

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विंग्ड आईलाइनर का सही प्रयोग

गलती 5 : आंखों की सुंदरता को कम कर देता है टेढा-मेढा आईलाइनर लगना.

समाधान: आजकल विंग्ड आईलाइनर लगाना फैशन में है. अधिकतर महिलाएं विंग्ड आईलाइनर लगाना पसंद करती हैं, लेकिन इसे लगाने में थोड़ी दिक्कत और सावधानी की भी ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में विंग्ड आईलाइनर लगाने में आप का काफी समय बर्बाद होता है. कई बार तो इसे लगाना बहुत ही मुश्किल भरा लगता है और बाद में आप अपना आईलाइनर सामान्य तरीके से ही लगा लेते हैं. लेकिन आप की इस समस्या का भी समाधान है. आप बौबी पिन के उपयोग से विंग्ड आईलाइनर आसानी से लगा सकते हैं. बौबी पिन के अंतिम सिरे पर आईलाइनर लगाएं और अपनी आखों के छोर पर रखें. आईलाइनर के इस्तेमाल से विंग को भरें और इस के बाद आगे से सामान्य तरीके से आईलाइनर लगाएं.

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