मुझे याद है जब मैं ये सोचा करती थी कि ये प्यार, मोहब्बत सब बेकार है, ये सब कुछ नहीं होता. मैं हमेशा यही सोचती थी कि अपनी जिंदगी में कभी प्यार नहीं करूंगी लेकिन वो कहते हैं न शायद की प्यार करते नहीं हो जाता है. बस ऐसा ही हुआ था कुछ मेरे साथ. वो दिन याद है मुझे जब उन्होंने पहली बार मुझसे बात की थी, मैंने भी बस ऐसे ही हाय-हैल्लो कर लिया.लेकिन ये नहीं सोचा था कि एक दिन इसी इन्सान का मुझे साथ मिलेगा.जब उन्होंने मुझे प्रपोज किया था तो कोई एहसास ही नहीं था मन में बस मैंने मजाक में ले लिया उसे फिर मामला थोड़ा गम्भीर समझ में आया और मैंने सीधा मना कर दिया.
तकरीबन एक महीने तक मुझे मनाने में लगे थे वो और मैं यही बोलती की नहीं मेरे घर वाले नहीं मानेंगे.. मेरा एक ही प्यार होगा जिससे मैं शादी करूंगी. मेरे घर में लव मैरेज की कोई इजाजत नहीं देगा.लेकिन उनके मनाते-मनाते मैंने सोचा कि क्या एक मौका देना चाहिए और फिर क्या था मैंने एक दिन उन्हें हां बोल दिया…हां याद है मुझे जब मैंने हां की थी तो हम दोनों औटो में थे और वो मुझे छोड़ने के लिए मेरे घर तक आये थे हालांकि औटो से उतरे नहीं लेकिन घर तक छोड़ कर गए.
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जब मैंने हां कहा था तब कोई उतना प्यार नहीं था मुझे उनसे ना ही कोई अट्रैक्शन था.ऐसा सुना था मैंने कि लोगों का रिलेशन 6 महीने,5 महीने या ज्यादा से ज्यादा 1 साल ही चलता है फिर ब्रेकअप और फिर कोई दूसरा आ जाता है जिंदगी में लेकिन मेरे साथ उल्टा हुआ मुझे रिलेशन में आने के 5 से 6 महीने बाद तो प्यार हुआ था.हम अक्सर मिलते थे…उनके पास स्कूटी थी लेकिन फिर भी मेरे लिए वो औटो से आत थे और रोज मुझे औटो से छोड़ने जाते थे. बहुत खयाल रखते थें…
आज भी रखते हैं.औटो में ही प्यार की कहानियां बन गई और कुछ यादें जब हम बातें करते हुए जाया करते थें. औटो से मुझे गोलगप्पे खिलाने के लिए कहीं भी जाने को तैयार होते थे..उन्हें पता हैं की मुझे गोलगप्पे-चाट बहुत पसंद हैं इसलिए मेरी पसंद का खयाल रखते हैं वो. आज भी मैं मिलती हूं तो गोलगप्पे साथ खिलाने ले जाते हैं हां पहले से काफी कम हो गया क्योंकि दूर हूं. गोलगप्पे खिलाना औटो से छोड़ने जाना…ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक साथ ही एक शहर में थे.लेकिन फिर जिंदगी में आगे भी बढ़ना था और कुछ करना था ,अपने पैरों पर खड़े होना था.
मैं पढ़ाई करने बाहर आ गई और वो वहां अपनी लाइफ सेट करने लगे आखिर उनको भी तो जिंदगी में कुछ करना था. अब तो गोलगप्पे अकेले ही खा लेती हूं.आज हम दूर हैं अलग-अलग शहर में फिर भी हमारा प्यार बना हुआ है.
दोनों एक-दूसरे को समझते हैं,सहयोग करते हैं,आपस में सुख-दुख भी फोन करके बांट लेते हैं,उदास होते हैं तो बात करते हैं,कुछ महीनों में ही सही मिल भी लेते हैं.लेकिन आज भी जब मैं औफिस से घर औटो में जाती हूं उनको मिस करती हूं. मुझे नहीं पता की मेरी शादी होगी उनसे या नहीं….हम साथ होंगे या नहीं लेकिन इतना यकीन है की प्यार नहीं कम होगा. मेरी जिंदगी में उनकी जगह कोई नहीं ले पाएगा. लेकिन काश ऐसा ही हो की हम साथ रहें हमेशा और हमारा वो औटो वाला प्यार हमेशा रहे..