प्यार से संवारें बच्चे का कल

आज की व्यस्त जीवनशैली में मातापिता अपने काम व जिम्मेदारियों के बीच अपने शिशु के छोटेछोटे खास पलों को महसूस करने से वंचित रह जाते हैं. दरअसल हर दिन की छोटीछोटी गतिविधियां नवजात शिशु के विकास में मदद करती हैं और उन में आत्मविश्वास, जिज्ञासा, आत्मसंयम और सामाजिक कौशल की कला का विकास करती हैं.

यहां हम एक खास उम्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह से बातचीत के माध्यम से नवजात शिशु में सामाजिक, भावनात्मक ज्ञान का विकास किया जा सकता है. यह मातापिता और शिशु के बीच की एक विशेष पारस्परिक क्रिया है जो हर पल को खास व सुंदर बनाती है.

स्तनपान के समय

जब आप अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं तब आप उसे केवल आवश्यक पोषण प्रदान करने के अलावा भी कुछ खास करती हैं, जो उसे उस की दुनिया में सुरक्षा का एहसास कराता है. शिशु को भूख लगने पर स्तनपान कराना उसे शांत महसूस करने में मदद करता है. आप के चेहरे को देख कर, आप की आवाज सुन कर और आप के स्पर्श को महसूस कर के वह महत्त्वपूर्ण काम पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनता है. जब वह देखता है कि वह संचार करने के प्रयास में सफल हो रहा है तो आप उस की भाषा की कला विकसित करने में उस की मदद करती हैं. जब आप उसे स्तनपान कराएं तब उस से धीरेधीरे बात करें, उस का शरीर हाथों से सहलाएं और उसे आप के स्पर्श का अनुभव करने दें.

नवजात को आराम दें

जब आप अपने शिशु को आराम देती हैं तब आप उसे बताती हैं कि दुनिया एक सुरक्षित जगह है जहां कोई है जो उस की परवाह करता है, उस का ध्यान रखता है. शिशु जितना ज्यादा आराम महसूस करता है उसे दूसरों से जुड़ने में उतनी ही मदद मिलती है और वह सीखता है कि उस के आसपास की दुनिया कैसे काम करती है. जब आप का शिशु रोता है तब आप तुरंत जवाब दे कर उसे सिखाती हैं कि आप उस की हमेशा देखभाल करेंगी. यह सोच कर परेशान न हों कि आप तुरंत जवाब दे कर उसे बिगाड़ रही हैं. दरअसल, शोध बताते हैं कि जब बच्चे रोते हैं, तब तुरंत प्रतिक्रिया करने पर वे कम रोते हैं, क्योंकि इस से वे सीखते हैं कि उन का ध्यान रखने वाला आ रहा है. जब आप उसे आराम देती हैं तब आप उसे उस के तरीके से खुद को शांत रहना सिखाती हैं.

जब आप का शिशु रोता है या आप उसे परेशान देखती हैं तब अलगअलग चीजों पर ध्यान दें जैसे उसे भूख तो नहीं लगी है, उसे डकार तो नहीं लेनी, उस का डायपर चैक करें. अलगअलग तरीके से गोद में लें, गाना गाएं, प्यार से बात करें.

शिशु के संकेतों को समझें

नवजात शिशु कई तरह की नईनई चीजें करते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं, लेकिन इन संकेतों को समझ कर उन के विकास में मदद की जा सकती है. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर शिशु एक ही तरह का संकेत दे. आप को यह बात समझने की जरूरत है कि हर शिशु अलग होता है और सब की सीखने की क्षमता अलगअलग होती है. आप के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना उस के सीखने की कला, स्वास्थ्य और विकास की नींव है इसलिए अपने शिशु के व्यवहार और विकास में हर बदलाव में ध्यान दें और शिशु चिकित्सक के संपर्क में रहें.

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