उस दिन माया बहुत परेशान थी. वह पति और 4 महीने की बच्ची के साथ अपनी कार में मायके जा रही थी. लंबा सफर तय करना था. दिल्ली से मायके यानी इलाहाबाद पहुंचने में 7-8 घंटे लग गए थे. उस पर बारिश का मौसम था. बेटी को ठंड न लग जाए इस
वजह से 2-3 ऐक्स्ट्रा कपड़े भी पहना रखे थे. बेटी आधे रास्ते तो सोती हुई गई, मगर फिर परेशान करने लगी. वह कसमसा रही थी और रोने भी लगी थी. घर पहुंच कर माया ने देखा कि उस की स्किन में कई जगह लाल चकत्ते और दाने से हो गए हैं.
जब माया की मां ने बच्ची को गोद में लिया तो कहने लगीं कि लगता है इसे घमौरियां हो गई हैं. टाइट कपड़ों या नमी वाले मौसम में लंबी यात्रा से छोटे बच्चों में पसीने की वजह से यह प्रौब्लम हो जाती है. उन्होंने तुरंत बच्ची के टाइट कपड़ों को उतार कर ढीले और आरामदायक कपड़े पहनाए और थोड़ा बेबी पाउडर भी लगाया. फिर दूध पिला कर उसे सुला दिया. सुबह जब उठी तो उसे नौर्मल देख कर माया की जान में जान आई.
दरअसल, बच्चे की स्किन वयस्कों की तुलना में 3 गुना ज्यादा सैंसिटिव और कोमल होती है. यही वजह है कि उन की स्किन पर अकसर रैशेज, दाने या ड्राइनैस की समस्या आ जाती है. मां के गर्भ के बाहर आने के बाद बच्चे की स्किन नए वातावरण में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश कर रही होती है. इसी वजह से शिशुओं की स्किन को अतिरिक्त देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है.
ऐसे में बेबी की स्किन की केयर करने में कई बातों का खास ध्यान रखना होता है जैसे:
सूरज की रोशनी
जन्म के शुरुआती दिनों में बेबी को डाइरैक्ट सनलाइट में ले कर नहीं आना चाहिए. इस से बच्चों को सनबर्न हो सकता है. अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और बच्चा लंबे समय तक धूप में रहने वाला है तो उसे पूरी बांह के कपड़े, फुल पैंट पहनाएं और कैप लगाएं, साथ ही बाकी खुले हुए हिस्सों में बेबी सेफ सनस्क्रीन लगाना बेहतर रहेगा.
जब बच्चा बड़ा हो जाए तो उसे कुछ समय के लिए धूप में ले जाया जा सकता है. इस से विटामिन डी मिलता है.
कौटन के कपड़े पहनाएं
बच्चों को गरमी से रैशेज बहुत आसानी से हो जाते हैं क्योंकि उन की स्किन फोल्ड्स में पसीना बहुत ज्यादा आता है. इसलिए बच्चों को जितना हो सके कौटन के कपड़े पहनाने चाहिए. ये सौफ्ट, पसीना सोखने वाले और काफी कंफर्टेबल होते हैं. सिंथैटिक कपड़ों से बच्चों को ऐलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं.
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मसाज जरूरी
यह बहुत जरूरी है कि आप नियमित रूप से बच्चे की मालिश करें. मालिश से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और इस से आप के बच्चे की स्किन बेहतर बनेगी. बच्चों की मालिश के लिए नारियल, सरसों, बादाम या जैतून के तेल को चुन सकती हैं. इस से उन की स्किन को पोषण मिलेगा और स्किन हाइड्रेट और मौइस्चराइज रहेगी.
मालिश से पहले तेल को कुनकुना कर लें. बच्चे की मसाज करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कमरे का तापमान 280 सी से 320 सी के बीच होना चाहिए. हलके गरम कमरे में ही बच्चे की मसाज करें और ज्यादा से ज्यादा 5 से 7 मिनट तक ही करें.
साफसफाई पर दें ध्यान
अपने बच्चे को नियमित अंतराल पर वेट वाइप्स से साफ करें. उसे रोजाना नहलाने के बजाए आल्टरनेटिव दिनों में नहलाएं. स्पौंज बाथ ज्यादा दें.
अगर बच्चा बहुत ही छोटा है तो उसे हफ्ते में 3 बार केवल स्पौंज बाथ दें और 4 बार नौर्मल बाथ. स्पौंज बाथ देने के लिए एक स्पौंज या बहुत ही मुलायम कपड़े को कुनकुने पानी में भिगो लें. इस के बाद बहुत ही हलके हाथों से बेबी के पूरे शरीर को पोंछ लें.
नहलाने के लिए एक जैंटल कैमिकल फ्री क्लींजर या बेबी बौडी वाश चुनें जो स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में मदद करता हो. रोजाना सफाई करने से आप के बच्चे को किसी तरह का इन्फैक्शन आदि नहीं होता खासकर जाड़े में अधिक कपड़े पहनने की वजह से पसीने के कारण बच्चे की स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं. नहाने से बंद हुए छिद्रों को खोलने में मदद मिलती है. बौडी के पोर खुलने से बच्चा फ्रैश महसूस करेगा. सर्दियों में बच्चे को 5 मिनट से ज्यादा न नहलाएं.
ज्यादा गरम पानी से न नहलाएं
कई बार माताएं यह गलती करती हैं कि ठंड के मौसम में शिशु को सर्दीजुकाम के खतरे से बचाने के लिए बहुत गरम पानी से नहला देती हैं. मगर याद रखें कि गरम पानी शिशु की स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए सादे पानी में थोड़ा सा गरम पानी मिला कर शिशु को नहलाएं.
सौफ्ट टौवेल ही यूज करें
नहलाने के बाद बेबी की स्किन को बहुत ही सौफ्ट टौवेल से पोंछ लें. यह जरूर ध्यान रखें कि आप जिस भी टौवेल का यूज करें वह मुलायम होने के साथसाथ साफ भी हो. एक बात का और ध्यान रखना चाहिए कि उस के कपड़े माइल्ड डिटर्जैंट से ही धोने चाहिए. वयस्कों के डिटर्जैंट में कई हानिकारक कैमिकल्स होते हैं जो बच्चे के कपड़ों पर रह सकते हैं. इस से बच्चे की स्किन पर इरिटेशन या रैशेज हो सकते हैं.
स्किन को 2 बार लोशन से मौइस्चराइज करें
नहलाने और स्किन को टौवेल से पोंछने के बाद बच्चे की स्किन को मौइस्चराइज करने की जरूरत होती है. बेबी की स्किन बहुत जल्दी ड्राई हो जाती है. इसलिए उसे लगातार हाइड्रेट रखने की जरूरत होती है. बेबी की स्किन पर दिन में 2 बार मौइस्चराइज, बेबी क्रीम या मिल्क लोशन अप्लाई किया जा सकता है.
एक बार नहाने के तुरंत बाद और दूसरी बार शाम के समय. यहां यह ध्यान रखने की जरूरत है कि मौइस्चराइजर अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए. इस में मुख्य रूप से पानी के अलावा प्रोपिलीन ग्लाइकोल होना चाहिए. प्रोपिलीन बच्चे की नाजुक स्किन को मुलायम और नर्म बनाए रखता है.
डायपर रैशेज का रखें ध्यान
छोटे बच्चे को डायपर से जल्दी रैशेज हो जाते हैं क्योंकि उस की स्किन बहुत कोमल और संवेदनशील होती है. इसलिए अपने बच्चे को कस कर या बहुत लंबे समय तक डायपर पहना कर न रखें. डायपर से अगर रैशेज हो भी गए हों तो उसे खुला रहने दें और बेबी पाउडर लगाएं.
इस से बच्चे को आराम मिलेगा. बहुत देर तक उसे गीले डायपर में न रहने दें. रैशेज वाली जगह पर नारियल का तेल भी लगा सकती हैं. यह फंगल इन्फैक्शन होने से रोकता है और बच्चे की स्किन को राहत पहुंचाता है. बच्चे के लिए ऐसे डायपर का चुनाव करें जो सौफ्ट और ज्यादा सोखने वाला हो.
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सही उत्पाद करें इस्तेमाल
शिशु की स्किन बड़ों से बहुत अलग होती है, इसलिए उस की स्किन की जरूरतें भी अलग होती हैं. अगर आप शिशु की स्किन पर बड़ों के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पादों का इस्तेमाल करेंगी तो उस की स्किन को नुकसान पहुंच
सकता है. बाजार में बच्चों के लिए अलग से साबुन, क्रीम, पाउडर और मौइस्चराइजर उपलब्ध होते हैं, जिन का इस्तेमाल आप शिशु के लिए कर सकती हैं.
बच्चे के नाखूनों का भी रखें ध्यान
बच्चे के नाखूनों को छोटा रखना भी जरूरी है. कई बार बच्चा अपने नाखूनों से ही खुद को चोट पहुंचा लेता है, साथ ही इन में मैल भरने से इन्फैक्शन का भी खतरा रहता है क्योंकि बच्चा अकसर अपने हाथों को मुंह में डालता रहता है. बच्चे के नाखून बढ़ते भी बहुत जल्दी हैं. उन्हें काटने के लिए नेल क्लीपर पर का इस्तेमाल करें और बेहद सावधानी से इन्हें काटें.