लेखक- विनय कुमार पाठक
‘‘मुझेयही एसयूवी लेने का मन है. आखिर गाड़ी लो तो एसयूवी. इस में रोड का बेहतर व्यू होता है. आदमी आराम से बैठ सकता है. सेडान में तो काफी नीचे बैठना पड़ता है. थोड़ा माइलेज भले ही कम रहता है पर ड्राइव करने का मजा इस में ही होता है,’’ संदीप ने शोरूम में लगी गाड़ी की ओर देखते हुए कहा.
‘‘बिलकुल सही कहा सर,’’ सेल्स ऐग्जीक्यूटिव ने दांत निपोरते हुए कहा. उस की आंखों में संदीप के प्रति परमभक्ति नजर आ रही थी. आती भी क्यों नहीं आखिर गाड़ी बिकेगी तो उसे कमीशन का लाभ होना ही है.
जूही को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई. वह अपने पति संदीप को सेडान लेने के लिए कह रही थी जबकि संदीप एसयूवी लेने की जिद पर अड़ा था. वहां उस ने कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा. वह कहना तो बहुत कुछ चाह रही थी पर सब के सामने तमाशा नहीं खड़ा करना चाह रही थी. अत: इतना ही कहा, ‘‘ठीक है, थोड़ा और विचार कर लेते हैं.’’
संदीप पूरा मन बना चुका था एसयूवी बुक करने का. टैस्ट ड्राइव करने के बाद तो उस का मन बिलकुल पक्का हो आया था. जूही के जवाब से उस का मन क्षुब्ध हो उठा. वह शोरूम से बाहर तो आ गया पर मन ही मन गुस्सा था जूही पर. उधर जूही भी गुस्से में थी कि उस की पसंद का खयाल रखे बिना संदीप अपनी ही रट लगाए हुए है. पर उसे यह अंदाज नहीं था कि अभी संदीप भी क्षुब्ध है.
‘‘क्यों बारबार एसयूवी की रट लगाए हुए हो. तुम्हें पता है कि मैं भी गाड़ी ड्राइव करना चाहती हूं. एसयूवी मुझे बड़ी गाड़ी लगती है और साड़ी पहन कर तो बहुत ही कठिन काम लगेगा मुझे एसयूवी ड्राइव करना,’’ बाहर आते ही वह बिफर पड़ी.
‘‘तुम्हें तो मेरी पसंद की हर चीज नापसंद होती है और कौन कहता है तुम्हें साड़ी पहन कर ड्राइव करने के लिए. और भी कपड़े होते हैं पहनने के लिए?’’
सामान्य तौर पर संदीप जूही पर नाराज नहीं होता था पर अभी उस का मूड बिलकुल औफ था. कहां वह मन बनाए हुए था कि एसयूवी से
ही बाहर निकलेगा कहां जूही उसे खरीखोटी सुना रही थी.
बात बढ़तेबढ़ते काफी बढ़ गई. कुछ इतनी कि आपस में बोलचाल बंद हो गई.
जूही को महसूस हुआ कि शायद मामला बिगड़ गया है. कैसे इसे सुधारा जाए वह सोच रही थी.
उस दिन रात को संदीप लैपटौप बंद कर बैडरूम में आया. कमरे में लाइट औन थी. जूही बिस्तर पर चुपचाप लेटी हुई थी.
‘‘हो गया काम?’’ उस ने सहमते हुए पूछा.
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‘‘हां. वैसा भी कोई काम नहीं था. बस समय बिताने के लिए कुछकुछ कर रहा था,’’ संदीप ने अनमना हो जवाब दिया.
आदतन उस ने अपनी बनियान उतारी और तकिए के नीचे रख दी.
‘‘बत्ती बंद कर दूं या जलने दूं?’’ उस ने रूखे स्वर में पूछा.
‘‘बंद कर दो,’’ जूही ने उदास स्वर में कहा.
बत्ती बंद कर संदीप जूही की बगल में लेट गया. उस का बैडरूम सोसाइटी के पार्क के सामने पड़ता था. पार्क में रातभर बत्तियां जलती रहती थीं. अत: झीनीझीनी रोशनी आती रहती थी. उस रोशनी में उस ने बगल में लेटी जूही को देखा. हलकी रोशनी में उस का शरीर काफी आकर्षक लग रहा था. उस का शरीर आकर्षक तो था ही पर अभी कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रहा था और इस का कारण यह था कि विगत 1 सप्ताह से संदीप ने जूही के साथ सैक्स का आनंद नहीं लिया था और अभी वह इस की आवश्यकता महसूस कर रहा था. पर आज गाड़ी को ले कर जो विवाद हुआ था उस के कारण वह पहल करने के मूड में कतई नहीं था. पर जूही मतभेद को दूर करना चाहती थी. उसे लगा कि वह तो कभीकभार ही गाड़ी चलाती है. ज्यादातर संदीप ही गाड़ी चलाता है और जिस दिन गाड़ी चलाने की इच्छा होगी उस दिन साड़ी न पहन कोई और ड्रैस पहन लेगी और क्या. पहले 1-2 दिन अटपटा लगेगा धीरेधीरे अभ्यास हो जाने पर एसयूवी उसी सहजता से चला पाएगी जैसे अभी सेडान या अन्य छोटी गाड़ी चलाती है.
तिरछी निगाहों से संदीप ने जूही के पूरे शरीर का मुआयना किया. कल्पना में वह उस के साथ की सैक्स क्रियाओं को याद करने लगा. काफी सहयोग करती थी जूही इस मामले में. 12 वर्षों के दांपत्य जीवन में शायद ही कोई मौका हो जब उस ने उसे मना किया हो. पर एक बात उसे खटकती थी कि पहल हमेशा उसे ही करनी पड़ती है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि जूही ने पहल कर के उसे कभी किस भी किया हो. हां, उस की पहल के बाद वह पूरा सहयोग करती थी.
संदीप की शारीरिक आवश्यकता ऐसी थी कि उसे प्राय: हर दूसरे दिन सैक्स की इच्छा होती थी. अगर 2-4 दिनों का अंतर हो भी जाए तो चल सकता था. पर आज 1 सप्ताह हो गए था. न जाने क्यों उस की इच्छा होती थी कि जूही पहल करे. वह उस के शरीर पर चुंबन अंकित करे, उस के शरीर से लिपटे. पर जूही ऐसा नहीं करती थी और आज तो वह बिलकुल भी पहल करने के मूड में नहीं था.
सैक्स के बारे में सोच कर संदीप के शरीर में रोमांच हो आया. उस ने अपने शरीर में तनाव महसूस किया. तनाव तो वह 2-3 दिनों से महसूस कर रहा था. पर वह चाह रहा था कि जूही पहल करे. बीचबीच में जूही गृहस्थी की बातें कर रही थी. उसे लगा इस तरह की बातों से शायद संदीप की नाराजगी दूर हो जाएगी. पर अभी संदीप को इन बातों से खीज ही हो रही थी. अत: वह लेटा हुआ चुपचाप हांहूं कर रहा था.
मगर आज संदीप को ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा. जूही ने उस के करीब आ कर पूछा, ‘‘नाराज हो?’’
संदीप कुछ नहीं बोला. जूही ने करवट बदल उस के चेहरे पर चुंबन अंकित कर दिया और बोली, ‘‘अरे बाबा एसयूवी ही ले लेना, नाराज क्यों हो रहे हो?’’
संदीप पिघल गया और खुद को रोक नहीं पाया. जब खुद को रोक नहीं पाया तो उस ने अपना हाथ जूही के शरीर पर रख दिया. जूही उस के करीब आ गई. उस ने जूही के गाल पर चुंबन अंकित कर दिया और बोला, ‘‘जो तुम कहोगी वही गाड़ी आएगी.’’
जूही भी उस के शरीर पर हाथ फेरने लगी. इस तरह संदीप 1 सप्ताह के बाद सैक्स का
आनंद मिला. आज जूही संदीप की नाराजगी को दूर करना चाहती थी. अत: सैक्सी बातें भी कर रही थी.
क्रिया समाप्त होते ही वह निढाल हो कर
सो गया. आज उस के मन से यह मलाल जाता रहा कि जूही कभी पहल क्यों नहीं करती. इस से वह समझ नहीं पाता था कि जूही की क्या आवश्यकता है. क्या उस का हर दूसरे दिन सैक्स करना उसे अच्छा नहीं लगता? क्या वह उस
का साथ सिर्फ इसलिए देती है कि वह उस का पति है.
दूसरे दिन जब वह औफिस पहुंचा तो उस के सहकर्मी, बल्कि सहकर्मी से ज्यादा
दोस्त अनूप ने टोका, ‘‘आज तो बड़े फ्रैश लग रहे हो. क्या बात है?’’
‘‘वही बात है और क्या. फुल सैटिसफैक्शन?’’ उस ने मुसकराते हुए अनूप
से कहा.
दोनों स्कूल और कालेज में साथ पढ़े थे, वर्षों की दोस्ती थी. अत: हर तरह की बातें
होती थीं.
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‘‘आज पहली बार उधर से पहल हुई तो मजा आ गया,’’ संदीप की आवाज में बड़ा
उत्साह था.
‘‘क्या बात करते हो मेरे मामले में तो उधर से ही पहल होती है. मैं तो जल्दी सोने का अभ्यस्त हूं जबकि दीपा टीवी देख कर देर से सोती है. जब भी बिस्तर पर आती है मुझे जगाती है. अगर मैं जग गया तो गेम शुरू होता है. अगर नहीं जगा तो गेम कैंसल हो जाता है,’’ अनूप ने हंसते हुए कहा.
‘‘इस बारे में तो कल पहली बार खुल कर हम पतिपत्नी ने कल अपनी इच्छा और आवश्यकता के बारे में बातें कीं. इस के पहले ऐसा नहीं हुआ था. पहले तो मैं ही बोलता था,’’ संदीप ने कहा.
‘‘पर यह कमाल हुआ कैसे? तुम तो
बताते थे कि भाभीजी इस मामले में बहुत
शरमाती हैं?’’ अनूप ने आश्चर्य व्यक्त करते
हुए कहा.
‘‘हां, इस बारे में कोई विशेष बात तो होती नहीं थी. कल गाड़ी लेने की बात को ले कर हम में अनबन हो गई थी. मैं बिलकुल एक ओर चुपचाप था. जूही ने शायद मुझे मनाने के लिए पहल की,’’ संदीप ने अनूप से एसयूवी और सेडान का चक्कर बताया.
‘‘यार, एसयूवी तो बड़ी यूजफुल निकाली तुम्हारे लिए,’’ अनूप ने ठहाका लगाते हुए कहा.
‘‘हां यार. पर अब घर आएगी सेडान ही,’’ संदीप ने कहा और अपने डैस्कटौप पर व्यस्त हो गया.
काम के बीचबीच में संदीप के मन में एक विचार कभीकभी कौंध जाता था कि घटनाएं भी अजीब मोड़ ले लेती हैं. एक घटना ने जूही के व्यवहार को बदल दिया जो उसे बड़ा अच्छा लगा.
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