लॉक डाउन में जहां देश में सब कुछ ठप सा है, वहीं 1 अप्रैल 2020 से देश के कुछ पब्लिक सेक्टर बैंकों का वजूद खत्म होने जा रहा है यानी ये बैंक अब अपनी पहचान हमेशाहमेशा के लिए खो देंगे.
जी हां, 1 अप्रैल, 2020 से देश के तमाम ग्राहकों का बैंक बदलने वाला है, जो देश के वित्तीय क्षेत्र का सब से बड़ा मर्ज होगा.
इन मर्ज बैंकों में इलाहाबाद बैंक, सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्र बैंक, कारपोरेशन बैंक वगैरह आते हैं.
रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इलाहाबाद बैंक की सभी शाखाएं 1 अप्रैल, 2020 से इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी, वहीं इलाहाबाद बैंक के खाताधारक और जमाकर्ता सभी इंडियन बैंक के ग्राहक के तौर पर माने जाएंगे.
आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक की सभी शाखाएं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा के तौर पर काम करेंगी. इन बैंकों के ग्राहक, खाताधारक और जमाकर्ता सभी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक माने जाएंगे.
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ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सभी ब्रांच पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी में मर्ज हो जाएंगी. इस का मतलब यह है कि इन दोनों बैंकों के ग्राहक अब पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक माने जाएंगे.
सिंडिकेट बैंक कैनरा बैंक में मर्ज हो रहा है. सिंडिकेट बैंक के सभी ग्राहक अब कैनरा बैंक के खाताधारक माने जाएंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के महाविलय की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने को प्रतिबद्ध है. सरकार का फोकस बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने पर है. कर्ज बांटने में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि मर्ज होने के बाद सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घट कर 12 रह जाएगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकारी बैंक चीफ रिस्क अफसर की नियुक्ति करेंगे, वहीं वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व में एसबीआई में जो भी बैंक मर्ज हुए, उस के कारण कोई छंटनी नहीं हुई और सेवा स्थिति पहले से बेहतर हुई है.
इस से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी बैंकों को मर्ज किया था. सब से पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उस के 5 सहयोगी बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के अलावा महिला बैंक को मर्ज किया गया.
1 अप्रैल 2017 से स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों का मर्ज प्रभावी हो गया, वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का मर्ज हुआ.
बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक देश का तीसरा सब से बड़ा बैंक माना जाता रहा है, इस से पहले एसबीआई यानी स्टेट बैंक इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा आते हैं.
वैसे, बैंक के विलय की योजना सब से पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों के विलय का फैसला हर बैंक का निदेशक मंडल पहले ही ले चुका है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीते साल अगस्त में बैंकों के मेगा मर्जरी का ऐलान किया था.
वहीं बैंक यूनियनों का मानना है कि बैंकिंग सेक्टर्स की समस्याओं का समाधान बैंकों के विलय से नहीं होगा. उन्होंने सरकार के इस कदम का विरोध किया है.
भले ही ये बैंकें अब दूसरी बैंकों में मर्ज हो रही हैं, फिलहाल अभी किसी भी बैंक के कर्मचारियों को निकालने की कोई योजना नहीं है. कहने का मतलब यह है कि ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है.