साल 2007 में टीवी शो ‘श्रद्धा’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाले एक्टर बरुन सोबती दिल्ली के है. सीरियल ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ उनकी चर्चित शो रहा, जिसमें उन्होंने एक गुस्सैल बिजनेसमैन की भूमिका निभाई थी. इस शो ने उनकी जिंदगी बदल दी और वे घर-घर में पहचाने जाने लगे. काम के दौरान ही उन्होंने अपनी प्रेमिका पश्मीन मनचंदा से शादी की. आज वे अपने कैरियर से खुश है और कलाकारों के इस दौर को सबसे अधिक बेहतर मानते है. वहीं वेब सीरीज ‘असुर –वेलकम टू योर डार्क साइड’ वूटसेलेक्ट पर रिलीज हो चुकी है. उनसे बातचीत हुई, पेश है खास अंश.
सवाल-असुरवेब सीरीज क्या कहने की कोशिश कर रही है?
असुर वेब सीरीज एक तरह की मायथोलॉजिकल कहानी पर आधारितहै, जिसेआज के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर लिखी गयी है. इसमें ये बताने की कोशिश की गयी है कि सीरियल किलर के अपराध को फोरेंसिक एक्सपर्ट किस तरह से अंजामकी कहानी तक पहुंचाते है.
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सवाल- इस तरह को करते वक़्त आप किस तरह की तैयारियांखुद करते है?
मैं ऐसी कहानियां पढने और देखने में रूचि रखता हूं. मुझे जब पहली बार इस कहानी को कही गयी,तो मैंने देखा है कि भारत में इस तरह की कहानियां उपर-उपर से दिखाया जाता है. ये रीयलिस्टिक शो है, जिसमें मुझे उस किलर की तरह दिखनाऔर सोचना था, जो मुशिकल था. मैंने एक दिन बाथरूम में बैठकर सोचा भी था कि क्या ये कहानी मैं सही तरह से कर पाऊंगा? लेकिन मेरी इस और की रूचि ने मुझे इस किरदार को करने में अहम् भूमिका निभाई.
सवाल- ऐसी कहानी को दिखाना और देखना दोनों ही हमारे समाज और परिवार के लिए घातकहोते है, क्योंकि कई बार ऐसी फिल्मों को देखकर अपराधी दिमाग अपराध करता है, आप इस बारें में क्या सोच रखते है?
ऐसी कहानी खतरनाक होती है, लेकिन ये अलग तरह की है, जहाँ एक काम किसी एक के लिए अपराध या आसुरी प्रवृत्ति वाली है, वही वह दूसरे के लिए अच्छा है. एक व्यक्ति के दिमाग में किसी भी घटना को लेकर क्या चलता रहता है उसके सही और गलत फैसले को दिखाया गया है, जो मेरे हिसाब से गलत नहीं. सीरियल किलर को समाज ने ही बनाया होता है. इसलिए लोगों को सही बातों को आज समझकर उसके अच्छी पहलू को अपनाना जरुरी है.
सवाल- ये सही है कि सीरियल किलर का जन्म समाज और परिवार में ही होता है, लेकिन ऐसा क्या होता होगा कि लोग अपने सही रास्ते से भटक कर गलत रास्ता अपना लेते है? किस प्रकार का प्रेशर उन्हें रहता है? इस बारें में आप क्या कहना कहते है?
ये बहुत सही बात है, क्योंकि हर इंसान इतना समझ सकता है कि क्या सही क्या गलत है और इसमें भगवान् की मर्ज़ी कुछ नहीं होती. अगर कोई भी गलत काम करने वाला व्यक्ति एक बार भी इस बारें में सोचे तो उसे पता लगेगा कि वह क्या कर रहा है, क्योंकि मारकाट से दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी, जिसमें उसके लव्ड वन भी नहीं बच सकेंगे. अच्छाई और बुराई वाली फाइट हर दिन व्यक्ति को अपने अंदर करनी पड़ती है. इसके अलावा पेरेंट्स की परवरिश भी बहुत माइने रखती है, जो जन्म के साथ उन्हें मिलती रहती है.
सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा आपको कैसे मिली? परिवार का सहयोग कितना रहा?
मेरे परिवार वालों ने कभी मुझे किसी काम से रोका नहीं, अगर वे ऐसा करते तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता. मैंने 17 साल की उम्र सेकाम करना शुरू कर दियाथा, इसलिए मैंने बहुत कम उम्र से ही सारे निर्णय खुद लेता रहा. दिल्ली से मुंबई भी तब आ गया था. बचपन से ही मध्यम वर्गीय परिवार की तरह ही हीरो टाइप इमेज मेरे अंदर रहता था और जब इसको पंख मिले तो उड़ना आसान हो गया. मुझे आमिर खान की फिल्में बहुत पसंद थी. अगरमैं एक्टर न बनता, तो फुटबॉल का कोच बनता, क्योंकि मुझे स्पोर्ट्स बहुत पसंद है.
सवाल- कोई शो जिसने आपकी जिंदगी को बदल दी हो?
एक शो ‘बात हमारी पक्की’ के बाद से लोगों को लगने लगा था कि मैं एक्टिंग कर लेता हूं.मेरी जिंदगी को उसी ने बदला है. मैं किसी भी नकारात्मक बात को अपनी जिंदगी में आने नहीं देता. मुझे लगता है कि जब व्यक्ति अपनी बात को किसी को सही तरह से समझा नहीं पाता तभी झगडे होते है.
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सवाल- एक्टिंग के अलावा क्या करना पसंद करते है?
मैं घूमना-पसंद करता हूं, पर अभी मेरी एक महीने की बेटी है, इसलिए उसके साथ समय बिताता हूं, अधिक घूम नहीं सकता. इसके अलावा एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं उसे प्रोड्यूस करने की इच्छा है.