लॉकडाउन इफेक्ट: ‘आपरेशन थिएटर’ से दिखने लगे ‘ब्यूटी पार्लर‘

कोरोना संक्रमण के दौर में जीवन पूरी तरह से बदला दिख रहा है. सब से बडा बदलाव उन जगहों में दिख रहा है, जो बोल्ड और ब्यूटीफुल सैक्टर माना जाता था. ब्यूटी पार्लर लोगों को सुंदर बनाने का काम करते थे. यहां घुसते ही फैशन और स्टाइल का ट्रेंड दिखता था. नेल से ले कर बालों तक की खूबसूरती को यहां निखारा और संवारा जाता था. महिलाएं सब से अधिक समय यहां व्यतीत करना पसंद करती थीं. किसी भी पार्टी में जाने से पहले ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी होता था.

लौकडाउन के 3 माह बाद जब ब्यूटी पार्लर को अनलौक किया गया, तब पार्लर नए रंग में रंगे नजर आए. यह पार्लर कम और आपरेशन थिएटर अधिक नजर आ रहे थे.

पहले अनलौक में गाइडलाइन के तहत पार्लर में केवल हेयर कटिंग की अनुमति दी गई.

लखनऊ के बादशाहनगर स्थित लैक्मे के सैलून में घुसते ही सब से पहले ब्यूटी पार्लर आने वाले को सेनेटाइज होना होता है. उस का टैंपरेचर लेना होता है. इस का पूरा अलग रिकार्ड रखना होता है.

इस पार्लर के अंदर हर तरह का स्टाफ पूरी तरह से सुरक्षा से लैस था. पैरों में पहने गए जूतों को प्लास्टिक से कवर किया गया था. पार्लर की ड्रेस के ऊपर पीपी किट पहनी गई थी. चेहरे पर मास्क था और सिर को भी कवर किया गया था. इस के अलावा पूरे पार्लर को खोलने के पहले सेनेटाइज करना होता है.

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यहां की ओनर अनामिका राय बताती हैं,”कस्टमर से ले कर वर्कर तक के प्रयोग करने के लिए पर्सनल किट का प्रयोग किया जाता है. ज्यादातर चीजें डिस्पोजेबल हैं. जो एक बार ही प्रयोग हो रही हैं.”

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 5,000 से अधिक लोग ब्यूटी पार्लर के कारोबार में जुडे हैं. 15 करोड़ रुपए का हर माह का यह कारोबार आंका जाता है. 50 से अधिक बड़े ब्यूटी सैलून हैं और छोटे सैलून की संख्या 3 से 4 हजार के बीच है. सब से ज्यादा संख्या महिलाओं की है.

एक शहर का यह हाल है. इस से पूरे देश में इस कारोबार का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस संख्या के बल पर ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां भी टिकी हैं. इन से मिलने वाले विज्ञापनों पर मीडिया भी टिकी होती है. ऐसे में ब्यूटी के बिजनेस के कमजोर पड़ने से पूरा कारोबार प्रभावित हो रहा है.

कोरोना संक्रमण में मास्क पहनने और सोशल डिसटेंसिंग बनाने की वजह से इस कारोबार को सब से अधिक नुकसान हो रहा है.

बढ़ गया खर्च का बोझ:

कोरोना से निबटने के लिए ब्यूटी पार्लर ने जो इंतजाम किए हैं, उस पर ही करीब एक पार्लर पर  20 से 25 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्च आ रहा है. इस को हेयर कटिंग से इस खर्च का निकलना पूरी तरह से असंभव है. ऐसे में ब्यूटी पार्लरों पर सब से अधिक कोरोना का संकट छाया हुआ है.

ब्यूटी पार्लर खुलने के बाद भी कस्टमर का आना पहले की तरह शुरू नहीं हुआ है. पार्लर के प्रति कस्टमर की सोच में अलग से भी बदलाव होने लगा है.

अनामिका राय कहती हैं कि पहले लोग पार्टी में आनेजाने के लिए ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी समझते थे. अब सोशल मीटिंग बंद होने से यह परेशानी बढ़ती जा रही है. कम कस्टमर आने से पार्लर का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. लौकडाउन में वेडिंग सीजन भी प्रभावित हुआ, जिस की वजह से पार्लर का बिजनेस पूरी तरह से प्रभावित हुआ.

ब्यूटी पार्लर खुल भले ही गए हों, पर अभी भी लोगों मे इस का कोेई क्रेज नहीं है. उच्च वर्ग को यहां जाने से डर लग रहा है और मध्यम वर्ग के पास पैसा कम हो गया है. ऐसे में उस के लिए पार्लर जाना मुश्किल होता जा रहा है. वेडिंग सीजन भी कोरोना के प्रभाव में रहा, जिस से पार्लर का बिजनेस प्रभावित हो गया. ऐसे में लग रहा है कि ब्यूटी पार्लर में कस्टमर की रौनक वापस आने में अभी समय लगेगा. केवल पार्लर खोलने से ही यह बिजनेस नहीं बढ़ेगा. ऐसे में इस कारोबार को बचाने के लिए सरकार को बिजली के बिल में छूट, जीएसटी में रियायत देने जैसे काम करने चाहिए, तभी इस कारोबार को बचाया जा सकता है.

भारी पड़ रहा बोझ:

ब्यूटी पार्लर का कारोबार कुछ समय पहले तक बहुत लाभ का समझा जाता था. लौकडाउन में 3 माह तक बंद रहने से इस की चमक पूरी तरह से फीकी पड़  गई है. कोरोना संकट के समय में नएनए नियम बनने, कस्टमर के ना आने से यह कारोबार अपनी चमक खोता जा रहा है. सोशल मीडिया का प्रभाव भी इस कारोबार पर पड़ रहा है.

‘परपल इन’ की ब्यूटी एक्सपर्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं कि ‘आजकल लोगों ने खुद से ही हेयर कटिंग शुरू कर दी है. यूट्यूब से सीख कर सभी अपने काम भर का मेकअप कर ले रही हैं. बाजार में मेकअप के रेडीमेड प्रोडक्ट्स भी आ रहे हैं. ऐसे में ब्यूटी का यह कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. सब से ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है, जो नएनए इस कारोबार में आए हैं.

‘इस साल ब्यूटी का कारोबार सब से ज्यादा प्रभावित हो रहा है. चेहरे पर मास्क पहनना भी इस की बडी वजह बन रहा है. जब चेहरा दिखाना ही नहीं तो उस को चमकाने में लाभ कैसा?

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प्रोडक्ट्स में बदलाव:

कोरोना के प्रभाव को कम करने और लोगों में सुरक्षा की भावना को जगाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने नए रंगरूप में प्रोडक्ट्स तैयार करने शुरू कर दिए हैं. अब ब्यूटी प्रोडक्ट्स पाउच में बनने लगे हैं, जिस से यह पर्सनल किट की तरह बन जाए. एक बार प्रयोग करने के बाद यह बचे नहीं.

अनामिका राय ने बताया कि अब पर्सनल किट की तरह से प्रोडक्ट्स तैयार होने शुरू हो गए हैं. इस का लाभ यह होगा कि हाईजीन को बनाए रखना सरल हो जाएगा. तौलिया की जगह पर एक बार यूज होने वाले टौवल का प्रयोग किया जा रहा है. मेकअप के लिए जिन चीजों को दोबारा प्रयोग किया जाता है, उन को भी सब से पहले सेेेनेटाइज किया जाता है, जिस से संक्रमण का खतरा किसी भी तरह से ना हो. ऐसे में अब ब्यूटी पार्लर पूरी तरह से बदले नजर आएंगे.

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