romantic story in hindi
romantic story in hindi
लेखक- अरुण गौड़
नैना के एक दोस्त की बर्थडे पार्टी थी. उस का मन नहीं था लेकिन फिर भी जाना तो था. वह देररात तक दोस्तों के साथ रही. वैसे पार्टी फंक्शन में वह एकदो पैग ही पीती थी लेकिन आज उस ने कुछ ज्यादा ही पी ली. अकसर लोग गम या खुशी में इतनी शराब पीते हैं. लेकिन नैना ने तो आज उलझन में इतनी शराब पी थी. शायद, अभी वह खुद को होश में नहीं रखना चाहती थी. वह लेटनाइट घर पहुंची और ऐसे ही जा कर बिस्तर पर सो गई. इस दुनिया, अकेलेपन, चाहत, उलझन इन सब से दूर खयालों की दुनिया में वह घूमती रही. सुबह आंख खुली, तो उसे एहसास हुआ कि उठने में काफी देर हो गई थी. रात के हैंगऔवर की वजह से उस का सिर थोड़ा सा भारी था. मन नहीं कर रहा था बिस्तर से उठने का. लेकिन औफिस में एक मीटिंग थी, जिस में शिरकत जरूरी था उसे, इसलिए वह तैयार हो कर औफिस चली गई.
औफिस में वह बारबार अपना फोन चैक कर रही थी. नईनई उम्र में लड़का या लड़की की लाइफ में कोई आता है तो एक उतावलापन रहता है. लेकिन यह तो टीनएजर के लिए था. नैना तो चालीस पार कर चुकी थी, उस को ऐसा उतावलापन क्यों हो रहा था, वह समझ नहीं पा रही थी.
वह एक पल रोहन को भुलाना चाहती थी, तो दूसरे पल उसे पाना चाहती थी. पिछले 4 दिनों से उस के साथ यह ही हो रहा था. इस कशमकश में वह बेचारी फंस चुकी थी. मीटिंग हो गई थी. तभी संध्या की कौल आई, “हैलो, नैना कैसी हो?”
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नैना बोली, “मैं ठीक हूं, तुम बताओ.”
“अरे यार, कल तुझ से साड़ी ली थी, वह लौटानी थी,” संध्या ने कहा.
“कोई नहीं, आराम से दे देना. अभी तो मैं औफिस में हूं,” नैना ने उसे टालते हुए कहा.
“मैं सोच रही थी कि शाम को रोहन के हाथ भेज देती लेकिन तू कहती है तो ठीक है बाद में ले जाना,” संध्या ने कहा और कौल काट दी.
कौल कटने से पहले संध्या ने जो कहा था उसे सुन कर नैना थम सी गई. उस ने बिना देर किए कौल मिलाई.
“हैलो संध्या, अरे यार, मैं भूल गई थी, मुझे कल एक फंक्शन में जाना है, तो सोचती हूं कि यह साड़ी ही पहन जाऊंगी. एक काम करो, तुम भेज दो रोहन के हाथ.”
“अच्छा, अभी तो रोहन नहीं है, तुम्हें जल्दी है तो मैं खुद देने आ जाती हूं.”
“नहींनहीं, कोई जल्दी नहीं है, आराम से भेज देना. वैसे भी, मैं शाम तक ही घर पहुंचूंगी,” नैना ने कहा.
“ठीक है तो शाम को रोहन ट्यूशन से आ जाएगा, तो मैं उसे भेज दूंगी,” संध्या ने कहा.
कौल कट चुकी थी. नैना के मन में सुबह से जमी उदासी गायब हो गई थी. उस की आंखों में एक नई चमक थी. उस ने आंखें बंद कीं और धीरे से कहा, ‘ऐ शाम, जल्दी आ जा तू.’
नैना शाम का इंतजार किए बिना ही औफिस से निकल गई थी. उसे घर पहुंचने की जल्दी थी जैसे आज उसे अपना घर किसी के लिए सजाना है.
घर पहुंच कर वह सोचने लगी कि रोहन आएगा तो उस से क्या कहेगी, कैसे उसे अपनी चाहत वह बताएगी. वह जानती थी कि रोहन के मन में क्या है, रोहन अपनी चाहत उस के सामने बता भी चुका था लेकिन फिर भी न जाने क्यों नैना का दिल घबरा रहा था. लेकिन हां, आज वह अपनी चाहत पूरी करना चाहती थी. वह सोच रही थी कि काश, उसे कुछ कहना ही न पड़े और रोहन खुद ही उस की चाहत को समझ जाए.
शाम हो चुकी थी. रोहन पहले भी कई बार उस के घर आ चुका था. लेकिन आज नैना ने घर को सलीके से ठीक किया था, जैसे रोहन पहली बार उस के घर आ रहा है. साइड में रखा सारेगामा कारवा वाला रेडियो औन था जिस पर गाना आ रहा था, ‘पहलापहला प्यार है, पहलीपहली बार है…’ नैना के लिए कुछ भी पहली बार नहीं था, फिर भी उसे लग रहा था जैसे सबकुछ पहली बार है और पहली बार ही वह किसी से मिल रही है…
यहां तक तो सब ठीक था लेकिन नैना अब भी नहीं सोच पा रही थी कि वह रोहन को कैसे अपने दिल की बात बताएगी, सालों से अपनी प्यास को पूरा करेगी. वह मन ही मन बहुत से आइडियाज ला रही थी, लेकिन कोई भी उसे जंच नहीं रहा था. फिर वह बिस्तर पर लेट गई. कुछ पल बाद उसे किसी के सीढ़ियां चढ़ने की आवाजें सुनाई दीं. उसे लगा कि जैसे रोहन आ रहा है. वह उठ गई और तभी उस के मन में एक विचार आया. उस ने अपने गेट का लौक खोल दिया और खुद बाथरूम में चली गई नहाने…
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उस का अंदाजा सही था. रोहन ही आया था. उस ने बाहर से घंटी बजाई. नैना ने पूछा, “कौन है?”
“नैनाजी, मैं हूं, रोहन,” रोहन ने कहा.
“अच्छा, रोहन आ गए तुम. अंदर आ जाओ, लौक खुला हुआ है. बैठो, मैं अभी आती हूं,” नैना ने बाथरूम से ही कहा.
“ओके मैम,” रोहन ने कहा और उस का इंतजार करने लगा. शायद उस के मन में भी कुछ चल रहा था क्योंकि वह तो पहले ही नैना को पाने के लिए पागल था लेकिन अब वह अपनी चाहत को मन में दबाए हुए था.
थोड़ी देर बाद नैना बाथरूम से निकली. गीले बाल, हलका गीला सा बदन और उस पर एक टौवल जिस से शरीर का थोड़ा सा हिस्सा ही ढका हुआ था. काफीकुछ तो रोहन की आंखों के सामने था. रोहन तो पहले ही नैना को पाने के लिए पागल था, ऐसा नजारा देख कर उस की धड़कनें बढ़ रही थीं, जो उस के चेहरे से साफ दिख भी रहा था.
“अरे रोहन, क्या हुआ, चेहरा क्यों लाल हो रहा है तुम्हारा,” नैना ने पूछा.
“कुछ नहीं नैनाजी, वह गरमी थी न बाहर, शायद इसलिए,” रोहन ने कहा.
नैना समझ रही थी कि यह बाहर की गरमी थी या अंदर की जिस की वजह से रोहन का चेहरा लाल हो रहा था.
“मैम, मैं आप की साड़ी लाया था, मम्मी ने भेजी है,” रोहन ने कहा.
“हां, पता है साड़ी लाए हो, लेकिन यह मैममैम क्या लगा रखा है, तुम तो मुझे नैना भी कह सकते हो,” नैना ने रोहन की तरफ देखते हुए कहा.
“सौरी मैम, उस रात गलती से कह दिया था,” रोहन ने कहा.
“अच्छा, अब कह दिया तो डर क्यों रहे हो,” नैना ने आईने में देखते हुए कहा.
“जी, नैनाजी,” रोहन ने दबी आवाज में कहा.
नैना समझ गई कि उस रात के वाकए के बाद रोहन डर गया है. वह लगातार चोर नजरों से पीछे से उस के गीले बदन को देख रहा था. वह चाहता तो बहुतकुछ है लेकिन कह कुछ नहीं पा रहा है.
आखिर अब नैना से नहीं रहा जा रहा था. उस ने खुद पहल करने का फैसला किया. आईने के सामने खड़े हुए ही उस ने कहा, “रोहन, एक मिनट इधर आना, जरा देखना कि मेरी कमर पर कुछ है क्या, कुछ चुभ रहा है?”
रोहन तो कब से उसे छूने के लिए तड़प रहा था. वह खड़ा होना चाहता था, लेकिन उस ने एक अनजाने डर के कारण खुद को रोके रखा.
नैना ने फिर कहा, “अरे यार, देखो न, प्लीज.”
इस बार रोहन खुद को नहीं रोक पाया और नैना के पीछे जा कर खड़ा हो गया. उस ने अपना हाथ उठाया और नैना के कंधे पर रखा. हाथ रखते ही उसे लगा जैसे उस का हाथ कांप रहा है. वहीं रोहन के टच करने से नैना भी कांपने लगी थी. उस की आंखें बंद हो चुकी थीं. उसे लगा जैसे सालों से सूखी धरती पर बारिश की पहली बूंद पड़ी है, जिस से उस की गरमी कम होने की जगह और ज्यादा बढ़ जाती है. उस सूखी धरती की चाहत थी एक झमाझम बारिश की. इस के लिए वह मन ही मन तैयार थी. तभी रोहन ने कहा, “मैम, यहां…”
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“नहीं, हलका सा नीचे,” नैना ने बिना आंखें खोले ही कहा.
रोहन का हाथ उस की कमर के थोड़ा नीचे गया. वह भी जवान हो चुका था, इसलिए इतने आमंत्रण को समझ रहा था. उस का हाथ थोड़ा और नीचे जाने लगा. नैना का टौवल बस जैसेतैसे ही रुका हुआ था, वह तो बस जरा से इशारे के साथ खुलने को तैयार था. नैना आंखें बद कर के रोहन के स्पर्श को महसूस कर रही थी. रोहन थोड़ा आगे बढ़ा. उस के होंठ नैना के कंधे के पास आ गए थे. और उस के हाथ आगे सीने की तरफ आने को मचल रहे थे. नैना इस के लिए तैयार थी ही.
रोहन के हाथ उस के बदन पर आगे उसे टच करने ही वाले थे और उस के होंठ नैना के कंधों को चूमने ही वाले थे कि तभी नैना ने आंखें खोलीं. उस की आंखों में बसी प्यास पर अचानक से कुछ और हावी हो गया था, वह क्या कर रही है…एक बच्चा है वह, शायद उस का बच्चा, उस की आंखों और दिल में अचानक से ममता के एक अपनेपन ने कब्जा कर लिया.
कुछ होने से पहले ही नैना ने एक झटके से रोहन को पीछे धकेल दिया, “पागल हो तुम, क्या कर रहे हो?” अचानक से नैना के इस तरह के बिहैव से रोहन घबरा गया. उस के दिल में कुछ पाने की जगह एक डर ने जगह ले ली, शायद उस रात वाले डर ने. “सारी मैम,” रोहन ने डरते हुए कहा और फ़ौरन ही वहां से चला गया.
नैना बेसुध सी बिस्तर पर गिर गई. उस की आंखों में आंसू आने लगे, जैसे वह एक बहुत बड़ा गुनाह करने वाली थी.
रोहन को उस रात नींद नही आई. उस ने लगातार नैना को सौरी के मैसेज किए. वह बेचारा इस सब के लिए खुद को जिम्मेदार मान रहा था, अपनी गलती मान रहा था.
नैना ने उस का कोई रिप्लाई नहीं दिया. बस, चुपचाप उस के मैसेजेज को देखती रही जब तक रोहन औफलाइन हो कर सो नहीं गया.
अगले दिन नैना अपने औफिस गई और वहां से जल्दी वापस आ गई. उस ने आ कर अपना फोन देखा. उस में फिर से रोहन के मैसेज थे. वह बारबार उस गलती के लिए सौरी बोल रहा था जो उस ने की भी नहीं थी.
नैना उस का हाल समझती थी शायद, अभी तक इसीलिए उस ने उस का कोई रिप्लाई नहीं दिया था.
अब घर आ कर उस ने रिप्लाई किया-
“डियर रोहन,
“तुम बहुत अच्छे लड़के हो, जो भी हुआ, उस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है. इस उम्र में अकसर ऐसा हो जाता है. गलती मेरी है, मैं ही शायद बहक रही थी. लेकिन फिर मैं ने देखा कि तुम बच्चे हो, शायद मेरे बच्चे जैसे. मुझे अपनी भूल का एहसास है. तुम्हें सौरी बोलने और डरने की जरूरत नहीं है. मैं खुद इस सब के लिए तुम से सौरी बोलती हूं.
“कल जो हुआ उस के चलते मैं तुम से और तुम्हें देख कर शायद खुद से नजरें नहीं मिला पाऊंगी. इसलिए मैं अब यहां रहना नहीं चाहती. मैं ने कंपनी को बोल दिया है कि मेरा ट्रांसफर दूसरे शहर में कर दिया जाए और वह इस के लिए राजी भी है.
“मैं आज ही यह शहर छोड़ कर जा रही हूं. हो सके तो एक बार मुझ से मिल लो, मैं तुम्हें गले लगाना चाहती हूं एक बच्चे की तरह, अपने बच्चे की तरह. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी क्योंकि जब भी तुम्हारे सामने आऊंगी, तो न तुम मुझ से नजरें मिला सकोगे और न मैं तुम्हारी आंखों में आंखें डाल पाऊंगी.
“इसलिए, मैं तुम्हारा नंबर ब्लौक कर रही हूं. हो सके, तो तुम भी ब्लौक कर देना. तुम्हारी नादानी और अपनी बेवकूफी के चैप्टर को यही बंद करते हैं.
“बाय, हमेशा अपना खयाल रखना, स्वीट बौय.”
नैना का मैसेज पढ़ कर रोहन की जान में जान आ गई. डर की जगह उस के चेहरे पर हलकी सी मुसकान छाने लगी. वह खुद एक बार नैना से मिलना चाहता था, लेकिन वह जानता था कि नैना सही कह रही थी कि वे दोनों सामने होने पर नजरें नहीं मिला सकेंगे. रोहन को भी अपनी नादानी का इल्म था, उस ने नैना की बात मानी. फ़ौरन ही उस ने नैना का नंबर, उस की फोटो सब डिलीट कर दिए. और इस अनजाने जैसे प्यार के चैप्टर को हमेशा के लिए बंद कर दिया.
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लेखक- अरुण गौड़
नैना शादी के बाद से अकेली थी. लेकिन ऐसा नहीं कि उस की लाइफ में कोई आया नहीं. शादी के बाद उस की लाइफ में कृष्ण, वरुण और 4 वर्षों पहले तुषार आया था. उन से नैना के संबध तो थे जो शारीरिक तक पहुंचे लेकिन दिल तक नहीं. उन्होंने भी नैना को अपना बनाना चाहा लेकिन नैना सिर्फ अपनी ही बनी रही. कृष्ण ने तो शादी का प्रस्ताव भी दिया लेकिन नैना एक बार शादी कर के खुद को बांध चुकी थी. अब वह फिर से ऐसी गलती नहीं करना चाहती थी. वरुण भी उसे ले कर सीरियस था लेकिन नैना बस नौर्मल थी. हां, तुषार जरूर उस के साथ टाइमपास कर रहा था लेकिन उसे पता नहीं था कि नैना भी बस टाइमपास ही कर रही है. जैसे ही दोनों का वह टाइम पास हुआ, दोनों अलग हो गए.
पता नहीं क्यों तब से नैना ने किसी को अपनी लाइफ में आने की इजाजत ही नहीं दी. लेकिन इस बार यह दरवाजा रोहन के लिए हलका सा खुल चुका था. लेकिन मन में अभी भी संशय बना हुआ था कि रोहन, यार अगर संध्या को पता चल गया तो वह क्या सोचेगी… लोग क्या सोचेंगे…
इसी संशय के बीच झूलती हुई नैना का वह दिन कट चुका था. आज उस ने कई बार अपना फोन चैक किया लेकिन रोहन का एक भी मैसेज नहीं था. उस के दिल में हलकी सी बेचैनी थी. वह अपने घर पहुंची. आज उस की जिंदगी में कुछ अलग सा, कुछ नया सा हो रहा था. वह रोहन को मैसेज कर चुकी थी. लेकिन फिर उस का कोई रिप्लाई नहीं आया. आज उसे अपने अंदर कुछ बेचैनी महसूस हो रही थी. रात के 10 बज चुके थे. उस ने अपनी बेचैनी को कम करने के लिए नहाने का इरादा किया. वह काफी देर तक बाथटब में लेटी नहाती रही. लेकिन उसे पानी से ठंडक नहीं मिल रही थी. वह नहा कर बाहर आई. अपने शरीर पर टौवल ढके हुए आईने के सामने थी. उस ने खुद को देखा, और कहा, ‘हां नैना, कुछ तो बात है तुझ में.’ उस ने अपने बाल सुलझाए और ऐसे ही आ कर बिस्तर पर लेट गई. फोन उठाया और व्हाटसऐप चैक किया. सभी के मैसेज थे लेकिन रोहन का कोई मैसेज न था. उस ने रोहन की डीपी खोली और उसे देखने लगी. न जाने उसे क्या हुआ कि उस ने रोहन की डीपी को चूम लिया. उसे लगा कि रोहन उस के पास है. उस का नशा उस पर छा रहा था. वह अंगड़ाइयां लेने लगी. उस का टौवल खुल चुका था. और उस का खुद पर अब कोई काबू न था. उस का हाथ शरीर पर घूमते हुए नीचे की तरफ जा रहा था. वह आज खुद को रोक न पाई. वह रोहन को अपनी आगोश में इमेजिन कर के खुद को तृप्त करने लगी. एक अरसे के बाद आज उसे ऐसा नशा हुआ था. और कुछ समय बाद यह नशा अपने चरम पर पहुच कर शांत हो गया. नैना को सुकून सा मिल रहा था. और इस सूकन में खलल डाले बिना वह ऐसे ही सो गई.
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सुबह नैना की आंखें खुलीं. खुद की ऐसी अस्तवयस्त हालत देख कर उसे हंसी आने लगी. उस ने आईना देखा और खुद को देख कर मुसकरा कर बोली, ‘पागल…’ लेकिन यह पागलपन नैना के ऊपर लगातार हावी होता जा रहा था. वह रोहन से मिलना चाहती थी. लेकिन अभी कल ही तो उस के घर गई थी. आज फिर से वहां जाने का कोई बहाना नहीं था उस के पास. वह अपना दिल मसोस कर रह गई. लेकिन शायद कुदरत उस की निराशा को समझ रही थी, सो उस ने उसे रोहन के घर जाने का एक मौका दे दिया. संध्या का कौल आया, “हैलो नैना, अरे यार, एक काम था तुझ से.”
नैना बोली, “बोलो, क्या काम था?”
संध्या बोली, “अरे यार, मुझे आज एक फंक्शन में जाना है. कोई नई साड़ी है नहीं. जो हैं उन्हें मैं पहले ही पहन कर जा चुकी हूं. क्या तू मुझे अपनी औरेंज साड़ी दे सकती है, मैं कल ही उसे लौटा दूंगी?”
नैना ने कहा, “हांहां, क्यों नहीं, बिलकुल दे सकती हूं. कब है फंक्शन?”
संध्या ने कहा, “फंक्शन तो आज दिन में ही है, इसलिए साड़ी आज ही चाहिए थी.”
नैना बोली, “ठीक है, मैं तुम्हारे घर की तरफ ही आ रही थी, कुछ काम था, मैं ही साड़ी ले आऊंगी.”
संध्या बोली, “थैंक यू डियर, जल्दी आ जाना, मैं वेट कर रही हूं तुम्हारा.” और संध्या ने कौल काट दी.
नैना को बहाना मिल गया रोहन से मिलने का, उसे देखने का. वह जल्दी से तैयार हुई, औरेंज साड़ी ली और अपनी कार से चल दी संध्या के घर, नहीं रोहन के घर. अब संध्या तो उस के लिए एक बहाना है.
आज वह संध्या को साड़ी देने ही उस के घर आई थी. संध्या उस से बातें कर रही थी. लेकिन उस का ध्यान संध्या पर नहीं था. वह तो महसूस कर रही थी कि रोहन कहीं न कहीं से चोरीछिपे उसे देख रहा है. वह रोहन की ख्वाहिश पूरी करने के लिए तैयार थी और इस तरह बैठी थी कि रोहन उसे देखे तो देखता ही रहे. उस के खास अंगों से उस की नजर हटे ही न.
उस की चाय खत्म हो चुकी थी लेकिन तब भी रोहन उसे नहीं दिखा. वह खुद संध्या से पूछ नहीं सकती थी कि रोहन कहां है. लेकिन वह बिना जाने रह भी तो नहीं सकती थी. तभी संध्या ने कहा, “अच्छा, मैं साड़ी पहन कर दिखाती हूं कि कैसी लगती हूं.” और वह साड़ी चेंज करने लगी.
नैना को एक बहाना मिल गया था और इस बहाने को लपके हुए वह बोली, “अरे, यहीं चेंज करोगी क्या, कोई आ गया तो, रोहन भी घर पर होगा, वह भी आ सकता है.”
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“अरे नहीं, कोई नहीं आएगा. रोहन भी यहां नहीं है. कल रात उस के दोस्त के यहां पार्टी थी, वहीं गया हुआ है. अभी कौल किया था, तो बोला कि थोड़ा लेट आएगा,” संध्या ने कहा.
“ओह,” नैना के मुंह से निकला. जिस के लिए वह आई थी, जिस की नजरों से काफी देर से खुद को देख रही थी वह तो यहां था ही नहीं. नैना के मन में हलकी सी उदासी आ गई. अब उसे यहां रुकने का कोई फायदा नहीं था. वह सोफे से खड़ी हुई और बोली, “ओके संध्या, मुझे कहीं जाना है, तुम अपनी पार्टी एंजौय करो.”
“ओके, काम है तो जाओ, मैं कल साड़ी पहुंचवा दूंगी तुम्हें,” संध्या ने कहा.
“कोई नहीं यार, आराम से पहुंचा देना, कोई जल्दी नहीं है,” नैना ने कहा और वह अपने औफिस चली गई.
नैना सुबह किस मूड से उठी थी, लेकिन रोहन को न पा कर उस का मूड दिनभर खराब ही रहा.
आगे पढ़ें- नैना ने तो आज उलझन में…
लेखक- अरुण गौड़
रोहन ने एक नशे में यह सब कह तो दिया लेकिन नैना का गुस्से से भरा रिऐक्शन देख कर उस का सारा नशा उड़ गया. अब उसे लगा कि नैना को पाने के चक्कर में उस की दोस्ती भी खत्म हो गई, और हो सकता है कि वे मम्मी को यह सब बोल दें. क्या बेवकूफी कर दी उस ने. उस ने एकदो बार सोचा कि वह कौल कर के नैना से माफी मांग ले, लेकिन इस सब के बाद उस की हिम्मत न हुई कि वह कौल करे. उस का मन बहुत परेशान था. परेशानी में वह इधरउधर करवट बदलता रहा. पर पूरी रात उसे नींद न आई. वह रातभर अपनी इस बेवकूफी पर खुद पर गुस्सा करता रहा.
अगले दिन वह घर पर ही था. रात की घटना को ले कर उस का मन परेशान था. वह उदास सा अपने कमरे में पड़ा था. तभी उसे घर में किसी के आने की आवाज सुनाई दी. उस ने ध्यान से देखा, ये तो नैना हैं. ओह्ह गौड, ये रात वाली बात मम्मी को बोलने आई होंगी. इन के फोन में मेरे मैसेज भी होंगे. अब क्या होगा… सोच कर रोहन घबराने लगा.
खुद को कैसे भी कर के बचाने के इरादे से वह बाहर आया. नैना ने उसे देखा. लेकिन रोहन की हिम्मत न हुई कि वह उस से नजर मिला सके. उस ने नजरें चुरा लीं.
“अरे रोहन, नैना आंटी आई हैं, तुम ने हैलो भी नहीं बोला उन्हें,” रोहन की मम्मी ने कहा.
आंटी, ओह मेरी मम्मा, मेरे लिए ये आंटी नहीं हैं, रोहन ने मन में यह सोचा लेकिन कुछ कहा नहीं. बस, नजरें नीचे किए हुए ही बोला, “हैलो.”
“हैलो रोहन, कैसे हो,” नैना ने चेहरे पर गंभीरता ओढ़े हुए कहा.
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“जी, ठीक हूं,” रोहन ने कहा और उस ने डरी सी आंखों से नैना को उस के मोबाइल की तरफ इशारा किया और अपने रूम में चला गया. रूम में जाते ही रोहन ने मैसेज टाइप किया, “सौरी नैनाजी, मुझ से गलती हो गई. प्लीज, मम्मी से मत कहना. आज के बाद ऐसा कभी नहीं होगा. आप ने मुझे अपना दोस्त कहा था, प्लीज एक बार मुझे दोस्त समझ कर माफ कर दो.”
अगले ही पल नैना के फोन पर मैसेज था. उस ने मैसेज पढ़ा और कुछ पल में ही उस के चेहरे पर गंभीरता की जगह मुसकान आ गई. रोहन उस की मुसकान देख रहा था, लेकिन आज उसे नैना की मुसकान से ज्यादा उस के रिप्लाई का इंतजार था. नैना ने कोई रिप्लाई नहीं किया. बस, वह संध्या के साथ बैठ कर बातें करती रही.
रोहन के कान लगातार उन की बातों पर लगे थे. लेकिन नैना ने उस के बारे में कुछ नहीं कहा. और थोड़ी देर गपशप करने के बाद वह वापस अपने घर चली गई. हमेशा नैना के आने का इंतजार करने वाले रोहन ने आज उस के जाने पर थोड़ी राहत की सांस ली.
नैना गुस्से से भरी रोहन के घर गई थी लेकिन मन में हलकी सी मुसकान ले कर वापस आई. सच तो यह है कि वह सोच कर गई थी कि कल रात जो हुआ, वह पूरा तो नहीं लेकिन थोड़ाबहुत तो रोहन की मम्मी को बताएगी ताकि वह उसे डांटे और उस के बिगड़ते कदमों को कुछ लगाम लगे. लेकिन रोहन की मुरझाई शक्ल, आंखों में डर और उस का इस तरह मैसेज कर के माफी मांगना… नैना का सारा गुस्सा खत्म हो गया. उसे लगा कि वह बच्चा है, यह सब बचपना है, एक बच्चे की तरह डर रहा है वह. इसलिए उस ने इस बचपने को खुद ही माफ कर दिया.
नैना ने रोहन की पिछले एक महीने की चैट पढ़ी. उसे महसूस हुआ कि रोहन की हर बात, हर तारीफ में उस के मन में क्या है, यह दिख रहा था. बस, मैं ही अनजान थी. और शायद उस के साथ मैं भी अपने पुराने समय का लुत्फ ले रही थी.
शाम को नैना बाथरूम से नहा कर बहार आई. वह टौवल में आईने के सामने खड़ी थी. अचानक से उसे रोहन की रात वाली पंक्तिया याद आईं जो रोहन ने उस की तारीफ में लिखी थीं. नैना आईने में खुद को देखने लगी, और बोली, ‘क्या सच में इतनी हसीन हूं मैं, एक एक जवान लड़का मेरे लिए शायरी करता है, मुझे अपनी आगोश में लेना चाहता है… कुछ तो बात है नैना तुझ में,’ उस ने खुद से कहा और खिलखिला कर हंसने लगी.
वह आ कर बैड पर लेट गई. उस ने रोहन की खिलखिलाती मुसकान वाली पिक देखी और फिर आंखें बंद कर के उस का उदास चेहरा याद किया. उसे लगा कि एक मुसकराते लड़के के चेहरे पर उस ने बिना मतलब उदासी के रंग भर दिए हैं. चलो, उसे फिर से खुश करते हैं.
नैना ने रोहन को अनब्लौक कर दिया और उसे मैसेज दिया, “हैलो रोहन.”
रोहन ने कोई रिप्लाई नहीं दिया, वह औनलाइन भी नहीं था.
नैना ने फिर कहा, “हैलो, कहां हो रोहन?”
लेकिन फिर कोई रिप्लाई नहीं था. नैना को लगा कि शायद कहीं बिजी होगा, इसलिए औनलाइन नहीं है, फ्री हो कर औनलाइन आ जाएगा. नैना अपना काम करने लगी. थोड़ी देर बाद उस ने फिर से मोबाइल चैक किया. रोहन अभी तक औनलाइन नहीं था. नैना अपने दोस्तों से बातें करने लगी. बीचबीच में वह रोहन का अकाउंट भी चैक करती रही. लेकिन रोहन आज औनलाइन ही नहीं आया.
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अब नैना को थोड़ा खालीपन सा महसूस होने लगा. उस का मन चाह रहा था किसी से भी बात करने का. उस का मन किया कि रोहन को कौल करें. लेकिन फिर उस के बढ़ते हाथ रुक जाते थे. अपने अलावा किसी और के लिए न सोचने वाली नैना को पता नहीं क्या हो रहा था. वह बेचैन सी होने लगी.
आधी रात यानी 12 बजे के आसपास का समय था. आखिर उस ने रोहन को कौल किया. कौलरिंग जा रही थी. लेकिन रोहन ने कौल रिसीव नहीं की. नैना ने फिर से ट्राई किया. लेकिन फिर ऐसा ही हुआ. आखिर में उस ने अपना फोन साइड में रख दिया. अब वह न जाने क्याक्या सोचने लगी और न जाने कब उस की आंखें लग गईं, उसे पता ही न चला.
अगले दिन वह सुबह अपना काम खत्म कर के तैयार हुई. अधिकतर दोस्तों के यहां वह फौर्मल कपड़ों में जाती थी. लेकिन आज उस ने कुछ अगल कपड़े पहने. ब्लैक शौर्ट मिडी जो उस के घुटनों तक थी और पूरी तरह बाडीफिट थी, को पहना. उस ड्रैस में वह बहुत हौट लगती थी. ऐसा लगता कि वह ड्रैस उस के लिए ही बनी है. उस के बाल खुले थे, क्योंकि उसे याद था एक बार रोहन ने कहा था, ‘मैम, आप खुलेबालों में ज्यादा अच्छी लगती हैं.’
आगे पढ़े- आज फिर से नैना को देख कर…
लेखक- अरुण गौड़
उस ने रात बहुत मुश्किल से काटी थी, इसलिए उस ने अब वक्त जाया करना सही नहीं समझ, अपनी कार ले कर वह रोहन के घर चल दी. वह न जाने कितनी बार उस घर गई थी. लेकिन आज पहली बार रोहन से मिलने के लिए जा रही थी.
आज फिर से नैना को देख कर संध्या सरप्राइज्ड थी क्योंकि कल ही तो वह घर आई थी. अधिकतर वह हफ्ते में एकदो बार ही आती थी. लेकिन इस तरह से अगले ही दिन आना आज पहली बार था. इसलिए संध्या का आश्चर्यचकित होना बनता था. खैर, नैना आई तो किसी और काम से थी लेकिन वह संध्या को तो यह नहीं बता सकती थी, सो बोली, “अरे यार, आज औफिस की छुट्टी थी और घर पर मन नहीं लग रहा था, इसलिए तेरे पास आ गई. चल, चाय तो पिला.”
“हां, क्यों नहीं. चल किचन में, साथ में चाय भी बन जाएगी और गपें भी मार लेंगे,” संध्या ने खुश होते हुए कहा.
वे दोनों किचन में चली गईं और बातें करने लगीं. लेकिन नैना का मन बातों में नहीं, कहीं और था. उस की नजरें बारबार रोहन को ढूंढ रही थीं. लेकिन वह उसे कहीं दिख नहीं रहा था. आखिर उस ने संध्या से पूछ ही लिया, “तुम्हारे पतिदेव आए नहीं अभी तक औफिस टूर से?”
“नहीं, अभी नहीं, कौल आया था, शायद परसों तक आएंगे,” संध्या ने कहा.
“और रोहन भी नहीं दिख रहा, कहीं गया है क्या?” नैना ने घूमफिर कर अपने काम की बात पूछी.
“नहीं, गया तो कहीं नहीं है. आज भी छुट्टी है उस की. उस के पापा घर पर नहीं हैं तो आज पंक्षी बन रहा है. रात को दोस्तों के साथ घूमने गया था, देर से वापस आया और अभी तक सो रहा है. अभी चाय ले कर जाती हूं, फिर जगाती हूं उसे,” संध्या ने कहा.
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“अरे रुको, तुम अपना काम निबटाओ, मैं रोहन को चाय दे आती हूं. वैसे, तुम तो रोज जगाती हो उसे, आज मैं जाती हूं चाय ले कर, देखती हूं मुझे देख कर कैसे सरप्राइज होता है,” नैना ने संध्या को रोक कर कहा.
“हां, ठीक है, तुम ही जा कर जगा लो उसे. मैं इतने में बाकी काम खत्म करती हूं,” संध्या ने कहा और चाय का कप नैना को थमा दिया.
नैना रोहन के कमरे मे गई. वह निश्चिन्त सो रहा था. रूम की लाइट औन होने पर उस ने अपनी आंखों पर हाथ धर लिया और बोला, “मम्मी, अभी नहीं उठना मुझे, प्लीज थोड़ी देर और सोने दो.”
“अच्छा, नहीं उठना तो सोते रहो, लेकिन कोई तुम से मिलने आया है, फिर उसे ऐसे ही जाना पड़ेगा,” नैना ने चाय का कप साइड में रखते हुए कहा.
नैना की आवाज सुनते ही रोहन की नींद उड़ गई. उस ने जल्दी से आंखें खोलीं. उस के सामने नैना थी, बाल खुले हुए, चेहरे पर मुसकान लिए. उसे देखते ही रोहन एकदम खड़ा हो गया और बोला, “नैनाजी, सौरी, मैम आप, यहां!”
“हां मैं, तुम्हारी मम्मी के पास आई थी, पता चला जनाब अभी तक सो रहे हैं तो सोचा कि आप को जगा दूं,” नैना ने रोहन की तरफ मुसकरा कर कहा.
रोहन, जो खुद के बाल और आलस से भरे चेहरे को ठीक करने की कोशिश कर रहा था, नैना से नजरें नहीं मिला पा रहा था.
“बहुत देर हो गई है डियर, अब उठ भी जाओ,” नैना ने कहा.
“हां, जी, उठ गया,” रोहन ने नजरें चुराते हुए कहा.
“दोस्तों के साथ इतना भी बिजी मत हुआ करो कि फोन भी चैक नहीं करते, कोई कौल या मैसेज भी करता होगा आप को,” नैना ने फोन की तरफ इशारा करते हुए कहा.
रोहन ने कुछ नहीं कहा. वह चुपचाप बैठा रहा.
“और तुम फ्रैश हो कर बहार आ जाओ, थोड़ी सी बातें हम से भी कर लेना,” नैना ने कहा और वह रूम से बाहर को चल दी.
नैना की कमर रोहन की तरफ थी. रोहन की नजरें ऊपर उठ चुकी थीं. उस बाडीफिट शौर्ट में नैना पीछे से बहुत हौट दिख रही थी. रोहन की नजरें उस के खास अंग पर थीं. नैना यह जानती थी कि रोहन के लिए ही तो वह यह ड्रैस पहन कर आई थी.
नैना बाहर आ कर सोफे पर बैठ गई और संध्या से बातें करने लगी लेकिन उस की नजरें रोहन के दरवाजे पर थीं. कुछ देर बाद रोहन बाहर आया. नैना उस के इंतजार में ही बैठी थी. उस के पैर एकदूसरे के ऊपर थे, इसलिए उस की शौर्ट मिडी थोड़ी और शौर्ट हो गई थी. उस की भरी हुई जांघें साफ दिख रही थीं. नैना का ध्यान रोहन पर था लेकिन उस ने नजरें उस से हटा रखी थीं क्योंकि वह जानती थी अगर रोहन को वह देखेगी तो वह उस की तरफ नहीं देख पाएगा.
रोहन उसे देख रहा था. नजरें उस पर जम चुकी थीं. नैना को यह पता था. फिर उस ने अचानक से रोहन की तरफ देखा. उस की नजरों को पकड़ लिया और मुसकराई, “आओ रोहन, उठ गए. बहुत लेट!”
“जी, जी हां, कल थोड़ा लेट सोया था. बस, इसलिए लेट हो गया,” रोहन ने कहा.
“अच्छा, तुम आंटी के पास बैठो, मैं दो मिनट में किचन से आई,” संध्या ने कहा और चली गई.
रोहन नैना के सामने बैठा था, नजरें नीची थीं उस की.
नैना ने उस का हाथ थामा और बोली, “क्या हुआ रोहन?”
“सौरी मैम उस रात के लिए, प्लीज, मम्मी से कुछ मत कहना.”
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“पागल हो तुम, ऐसा कुछ नहीं है यार. तुम दोस्त हो मेरे. और दोस्तों की बात दोस्तों के बीच ही रहनी चाहिए, समझे. अच्छा, यह बताओ मैं कैसी लग रही हूं?” संध्या ने रोहन की आंखों में देखते हुए पूछा.
“हमेशा की तरह बहुत खूबसूरत,” रोहन ने कहा.
“अरे यार, फौर्मल लाइन मत बोलो, वो बताओ जो मुझे देख कर तुम्हारे दिल में पहला खयाल आता है?”
नैना की बातों से रोहन अब नौर्मल हो चुका था. वह बोला, “मैं बताऊं, आप नाराज मत होना.”
“ओके, पक्का, नहीं नाराज होऊंगी. अब बोलो.”
“आप एकदम ‘सैक्स बम’ लग रही हो,” रोहन ने मुसकराते हुए कहा.
“ओह शैतान, झूठी तारीफ,” नैना ने हंस कर कहा.
“अरे, बहुत खिलखिलाने की आवाज आ रही है. क्या बात चल रही है आंटी-बेटे में,” संध्या ने आ कर कहा.
आंटी-बेटा… रोहन और नैना ने एकदूसरे की तरह देख कर सोचा और नैना ने धीरे से कहा, ‘बेस्ट फ्रैंड्स में…’ और दोनों हंसने लगे.
“अच्छा, मैं चलती हूं. मुझे कहीं जाना है, टाइम हो गया है,” नैना ने कहा और रोहन को बाय कर के चल दी. अपनी कार में बैठी नैना न जाने क्यों मुसकरा रही थी, उसे खुद भी मालूम नहीं था कि यह पागलपन वह क्यों कर के आई है.
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लेखक- अरुण गौड़
नैना बातें तो सामने बैठी अपनी दोस्त संध्या से कर रही थी लेकिन उस का ध्यान कहीं और था. वह जानती थी कि किसी की आंखें लगातार उसे देख रही हैं, उस के बदन पर घूम रही हैं. वह यह जान कर भी अंजान बन रही थी क्योंकि वे आंखें रोहन की थीं. रोहन उस की फ्रैंड संध्या का बेटा था.
उम्र और रिश्तों की बात की जाए और अगर नैना की भी फैमिली होती तो उस का बेटा भी आज लगभग रोहन का हमउम्र ही होता. लेकिन यहां बात उम्र और रिश्तों की नहीं थी. यहां बात थी चाहत की. रोहन अपनी मम्मी की सहेली नैना को बहुत पंसद करता था. जवानी में प्रवेश करने की उम्र में मैच्योर लेडी की तरफ झुकाव आज की पीढ़ी में आम है. रोहन इसी पीढ़ी का लडका था. सो, वह अपने नएनए आवारा हुए मन को काबू में न रख सका. अब इसे चाहत समझें या जवानी का भटकाव. जो भी था, बहरहाल, रोहन नैना की तरफ झुक रहा था. जबकि, नैना के मन में ऐसा कुछ था या नहीं, यह वह खुद भी नहीं जानती थी.
नैना, लगभग 40 साल की एक सफल लेकिन सिंगल महिला, की जिंदगी में सफलता तो थी लेकिन प्यार नहीं. उस की जिंदगी में प्यार की उम्मीदों के साथ परिवार वालों ने सात फेरों के बंधन में उसे जिस से बांधा था, उस ने उस की जिंदगी को खुशियों से भरने की जगह, बस, बंधनों से बांध दिया था.
नैना आजादखयाल की पढ़ीलिखी लड़की थी. कुछ समय तक तो सामाज, इज्जत, रिश्तों के दबाव में उस ने अपने आजादखयालों को दबाए रखा लेकिन वक्त के साथसाथ बंधन और बढ़ते गए.
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नैना ज्यादा समय तक बंधन सहन न कर पाई और उस ने सामाजिक प्रतिष्ठा को ठुकरा कर अपनी आजादी चुनी. आज वह आजाद है और सफल भी. सफलता के साथ प्रतिष्ठा, इज्जत खुद ही चल कर आ जाती है, यह उस ने साबित कर दिया था क्योंकि जो परिवार वाले अपने पति से रिश्ता तोड़ने के कारण शुरू में उस से बोलने से कतराते थे, आज खुशीखुशी उसे फिर से अपना बताते हैं.
नैना 40 वर्ष की उम्र के आसपास थी. उम्र के नंबर के हिसाब से तो जवानी उसे अलविदा कह चुकी थी, लेकिन वास्तविकता देखें तो जवानी शायद उसे छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं चाहती थी. जब उस के साथ की लगभग सभी महिलाएं बुढ़ापे में प्रवेश कर चुकी थीं तब भी नैना अपनी खूबसूरती और यौवन को बनाए हुई थी. उस का भरा हुआ शरीर, बेदाग सा चेहरा, उभरे हुए स्तन, सपाट सी कमर और थोड़े भारी निंतम्ब मिल कर एक ऐसा यौवन तैयार करते थे कि हमउम्र पुरुष तो दूर, एक नया लड़का भी उस के लिए आंहें भरने लगे.
उस का ड्रैसिंग सैंस भी गजब का था. जब भी वह किसी शादी या फंकशन में जाती, तो हरेक नजर का उस पर ठहरना एक नियम सा बन जाता. कुछ नजरें दूर से ही उसे देख कर अपने अरमानों के पंख लगा लेती थीं तो कुछ पास आ कर नजदीक से उस के श्रृंगार के रस का रसपान करने की कोशिश करती थीं. ऐसी थी नैना के रूप की दीवानगी. रोहन भी शायद इसी दीवानगी का शिकार हो गया था, तभी तो उस की आंखें लगातार उस में कुछ ढूंढती रहती थीं. 19 साल का रोहन स्कूलिंग की पढ़ाई पूरी कर कालेज में गया ही था. नईनई जवानी थी. उम्र का यह मोड़ मन में न जाने कैसेकैसे खयाल ले आता है. शायद इसी जवानी के बहकावे में आ कर वह नैना की तरफ बह रहा था.
नैना, जिसे वह कुछ समय पहले तक आंटी कहता था, आज उस के लिए स्वपनसुंदरी बन चुकी थी. न जाने कितनी ही रातें उस ने नैना की डीपी वाली फोटो देख कर खुद को उस की आगोश में महसूस किया था.
नैना, जो रोहन के लिए आंटी थी, उसे एक बच्चे की तरह ही ट्रीट करती थी. जबकि रोहन उस के नजदीक होना चाहता था लेकिन उस में अपनी तरफ से पहल करने की हिम्मत न थी, इसलिए उसे फौर्मल बैटन से आगे बढ़ने का मौका न मिला. लेकिन फिर दोनों के बीच में आया व्हाटसऐप.
यह व्हाटसऐप बहुत कमीनी चीज है, आसपास न हो कर भी हमें फील होता है कि हम साथ ही हैं. और इसी फीलिंग में जब बातों का दौर शुरू होता है तो पता ही नहीं चलता कि बातों ही बातों में इस ने रिश्तों को कहां से कहां पहुंचा दिया. शुरूशुरु में थोड़े डर, थोड़ी झिझक के साथ हायहैलो हुआ, फिर नौर्मल गुडमौर्निंग, गुडनाइट का खेल चला, और फिर फनी जोक्स आए. रोहन 10 जोक्स भेजता, तब नैना एकदो जोक्स भेजती. फिर आया थोड़ा बोल्ड जोक्स. बोल्ड जोक समझते हो न, जिसे आम भाषा में नौनवेज जोक कहते हैं. रोहन ने बहुत हिम्मत कर के फनी सा नौनवेज जोक भेजा और थोड़ी देर बाद ही मैसेज भेज दिया, “सौरी, गलती से आप को सैंड हो गया है, मैं अपने फ्रैंड्स को भेज रहा था. प्लीज, आप यह न पढ़ें, सौरी.”
रोहन नैना की जिंदगी में अपने लिए एक दरवाजा खोलना चाहता था – खुलेपन का – इसलिए उस ने यह मैसेज भेजा था…और कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए, नैना गुस्सा न हो जाए, इसलिए खुद के बचाव में उस ने ‘गलती से चला गया’ वाला भी मैसेज भेज दिया. दिमाग के साथ चल रहा था रोहन.
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नैना तो सिंगल थी लेकिन उस की फ्रैंडलिस्ट काफी बड़ी थी. उस के लिए ऐसा मैसेज कोई नई बात न थी. वह खुद अपने दोस्तों को इस से भी बोल्ड जोक्स भेजती थी और कभीकभी वीडियो भी. वह जानती थी कि रोहन नई उम्र का लड़का है, सभी ऐसे मैसेज भेजते हैं अपने दोस्तों को, इसलिए उस ने कह दिया- “कोई नहीं रोहन, परेशान मत हो बच्चे. आगे से ध्यान रखना.”
“बच्चा… मैम, मैं बच्चा नहीं हूं. अब मैं जवान हो गया हूं. प्लीज, अब तो बच्चों जैसा ट्रीट मत करो,” रोहन ने मैसेज किया.
“ओके मेरे जवान मुंडे,” नैना ने हंस कर जवाब दिया.
“मैम, थैंक यू, आप नाराज नहीं हुईं. मैं तो डर गया था कि आप आज मुझ पर खूब गुस्सा करने वाली हो. लेकिन आप बाकी महिलाओं की तरह पुराने खयालों की नहीं हैं, बहुत फौरवर्ड हैं, बहुत इंटैलिजैंट हैं. क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी?” रोहन ने थोड़ी सी तारीफ के साथ अपनी मम्मी की दोस्त की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ाया.
“मैं, अरे यार, मैं तो तुम्हारी मम्मी की दोस्त हूं. अगर उन्हें पता चला तो शायद नाराज हो जाएं वो,” नैना ने कहा.
“नहीं, नहीं. उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा, आई प्रौमिस. अब बताओ, लेट्स फ्रैंड?”
“रोहन, तुम बहुत छोटे हो, तुम से दोस्ती करूंगी तो… अरे यार, मैं ने कभी बच्चों से दोस्ती नहीं की है,” नैना ने थोड़ी हिचक के साथ मैसेज किया.
“‘मैम, मैं ने अभी कहा था न कि बच्चा नहीं हूं मैं, कालेज में आ गया हूं. और हमारी जनरेशन से दोस्ती नहीं की है तो अब कर लो, इस में क्या है. लाइफ में कभीकभी कुछ नया भी करना चाहिए,” रोहन ने थोड़ा कौन्फिडैन्स दिखाते हुए कहा.
“हम्म, कह तो तुम सही रहो हो, ओके, लेट्स फैंड. अब खुश मेरे लिटिल फ्रैंड,” नैना ने कहा.
“खुश नहीं, बहुत खुश,” रोहन ने एक स्माइल के साथ जवाब दिया. और उस दिन से 2 अलगअगल पीढ़ियों की दोस्ती का चैप्टर शुरू हो गया.
बातें चलती रहीं. नजदीकियां बढ़ती रहीं. नैना के मन में दोस्ती थी, बाकी कुछ नहीं. लेकिन रोहन के मन में तो बहुतकुछ चल रहा था.
नैना जब भी रोहन के घर आती तो रोहन उस दिन पूरा तैयार हो कर बैठ जाता था और छिपछिप कर चोर नजरों से नैना को देखता था.
एक दिन… नैना ने व्हाटसऐप डीपी पर अपनी एक कोलाज जिस में फ्रंट और बैक दोनों साइड से शो कर रही नई तसवीर लगाई थी साड़ी में. स्टाइल में साड़ी बांधी हुई थी उस ने. कमर पर काफी नीचे की तरफ. और ब्लाउज भी थोड़ा ऊपर था. उस पर काफी बड़ा गला और बैक साइड में फुल बैकलैस. इस अंदाज में काफी हौट दिख रही थी वह. अपने बिस्तर पर लेटा हुआ रोहन तो एकटक उसे देखता ही रहा. उसे नैना के इस अंदाज का नशा सा होने लगा था.
नैना का नशा तो रोहन को बहुत समय से था लेकिन आज कुछ ज्यादा हो रहा था. और आज वह अपने अरमानों को सीने में दबा कर नहीं रख सका था. उस ने नैना को मैसेज किया, “नाइस पिक.”
नैना ने रिप्लाई दिया, “थैंक यू.”
“मैं कुछ और कहूं इस पिक के बारे में…” रोहन ने कहा.
“हां, कहो न,” नैना ने कहा.
“इश्क टपका है बादलों से
मेरे खूबसूरत इश्क
अब तू भी आ जा
मेरी आगोश में समा जा,” रोहन ने कहा.
“वाऊ, शायरी बढ़िया है. लेकिन इस का मतलब क्या है शायर साहब,” नैना ने हंसते हुए पूछा.
“‘आप इस पिक में बहुत हौट लग रही हो. काश, आप इस समय मेरे पास होतीं, तो आप को अपनी बांहों में भर लेता,” रोहन ने अपने अरमान नैना के सामने रखते हुए कहा.
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“क्या…क्या कह रहे हो तुम, पता है न किस से बात कर रहे हो तुम,” नैना ने कहा.
“मैं मजाक नहीं कर रहा, नैनाजी. सच में. अगर ऐसी ड्रैस में आप मेरे पास होतीं, तो…मैं खुद पर कंट्रोल न कर पाता,” रोहन ने हिम्मत कर फिर से अपने दिल की बात कही.
“आर यू मैड, तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? आज के बाद मुझ से बात मत करना. मैं तुम्हें एक दोस्त समझती थी और तुम यह सोचते हो मेरे बारे में!” नैना ने कहा और गुस्से में पहले अपनी पिक हटाई और फिर रोहन को ब्लौक कर दिया.
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