पटना के कदमकुआं मोहल्ले की रागिनी पटेल बताती हैं कि एक रात अचानक उन की सास की तबीयत खराब हो गई, तो उन के इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए. उसी दौरान उन के बेटे की स्कूल की फीस भी जमा करनी थी. उन के पति परेशान हो उठे. अस्पताल और दवा के खर्चे के साथसाथ 12 हजार स्कूल फीस जमा करना मुमकिन नहीं था. रागिनी बताती हैं कि पति को परेशान देख कर वे भी परेशान हो उठीं. उन के पति ने कहा कि इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए हैं. अब स्कूल फीस कहां से जमा होगी? अगर स्कूल फीस जमा नहीं की गई तो बेटे को इम्तिहान में बैठने नहीं दिया जाएगा. अत: किसी दोस्त से कर्ज लेना पड़ेगा. जब पति ने कर्ज लेने की बात कही तो रागिनी ने अपनी अलमारी खोली और 12 हजार पति के हाथों पर रख दिए. पति ने जब हैरत से पूछा कि इतने रुपए कहां से आए तो रागिनी ने बताया कि घर के खर्च से थोडे़थोड़े रुपए बचा कर जमा किए थे. यह सुन पति ने उन की ओर गर्व से देखा. रागिनी कहती हैं कि पति से छिपा कर की गई बचत इमरजैंसी में काम आती है.
इसी तरह रांची की पूनम दयाल बताती हैं कि उन की बेटी रोशनी की तबीयत अचानक खराब हो गई. उस समय घर में दो-ढाई हजार रुपए ही थे. उन के पति भी शहर से बाहर थे. पूनम के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. वे पड़ोसियों से कुछ रुपए उधार लेने की सोचने लगीं. तभी अचानक उन्हें अपने गुल्लक की याद आई, जिस में वे पति से छिपा कर थोड़ेथोड़े रुपए डालती रहती थीं. उन्होंने गुल्लक तोड़ा तो उस में करीब क्व6 हजार निकले. पूनम ने अपनी बेटी का अच्छी तरह इलाज कराया. जब पति लौटे तो उन्होंने हैरानी से पूछा कि तुम्हारे पास पैसे कहां से आए? हर महीने जितने रुपए देता हूं वे तो खर्च ही हो जाते होंगे. तब पूनम ने बताया कि हर महीने के खर्च के दिए पैसे से वे कुछ बचा लेती थीं. यह सुन पति ने उन्हें गले से लगा लिया.
कैसे डालें बचत की आदत
फाइनैंस कंपनी चलाने वाले अशोक मोदी कहते हैं कि छोटी बचत से बड़ी परेशानी से निबटा जा सकता है. हमारे आसपास इस की कई मिसालें मिल जाती हैं. पुराने जमाने में गुल्लक का इस्तेमाल इसी के लिए किया जाता था. हमें अपने बच्चों में भी बचत करने की आदत डालनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें जो भी जेबखर्च मिलता है उस का 5 से 10% गुल्लक में डालने की आदत डालें. भारतीय समाज में मिडल और लोअर मिडल महिलाएं अपने पति से छिपा कर अच्छीखासी रकम जमा कर लेती हैं. वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो पारिवारिक खर्चों के बढ़ते बोझ का हवाला देते रोती रहती हैं कि आज महंगाई के जमाने में बचत करना मुमकिन ही नहीं है. जब घर का खर्च ही ठीक से नहीं चलता है तो ऐसे में बचत की बात सोचना ही बेकार है. किराने का सामान, दूध, गैस, बच्चों की स्कूल की फीस, मकान का किराया आदि के बाद हाथ में कुछ बचता ही नहीं है. बचत कहां से करें? ऐसी सोच वाली महिलाओं के लिए एक बड़ी कंपनी के फाइनैंस मैनेजर रजनीश सिन्हा कहते हैं कि बचत करने की आदत और सोच से ही बचत की जा सकती है. हर महीने के तयशुदा खर्चे के बाद एक मिडल क्लास फैमिली के हाथ में सच में कुछ नहीं बचता, पर रोज 10-20 या हर महीने क्व500 से क्व5,000 रुपए तक की बचत की ही जा सकती है.
वक्त पर सहारा
कई महिलाएं परिवार के तमाम खर्चों के बाद भी कुछ न कुछ बचत कर ही लेती हैं. खर्च का कोई अंत नहीं है. हर महीने कोई न कोई नया खर्च आ जाता है. इस के बाद भी बचत करने की सोच हो तो कुछ न कुछ बचत की ही जा सकती है, जो मौकेबेमौके काम दे जाती है. जिन महिलाओं को बचत करने की आदत है वे किसी न किसी तरह पति से छिपा कर कुछ बचत कर ही लेती हैं. हर औरत को कुछ न कुछ बचत करने की आदत डालनी ही चाहिए. औरत ही क्यों मर्द और बच्चों को भी बचत करने की आदत डाल लेनी चाहिए. मिडल और लोअर मिडल क्लास के लोगों के लिए यह बहुत ही जरूरी है. छोटीछोटी बचत कर के बड़ी रकम जमा कर अचानक आई किसी परेशानी के समय किसी के आगे हाथ फैलाने से बचा जा सकता है. इस के अलावा अपने किसी शौक या फिर जरूरत का कोई सामान आसानी से खरीदा जा सकता है.