निटिंग टिप्स: बाजारी रैडीमेड स्वैटरों से बेहतर हैं हाथों से बुने स्वैटर

बाजारी रैडीमेड स्वैटरों से बेहतर हैं हाथों से बुने स्वैटर. बुनाई के लिए इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है:

बुनाई के टिप्स

  •  ऊन हमेशा अच्छी क्वालिटी का खरीदें.
  •  ऊन आवश्यकता से 1-2 गोले ज्यादा ही खरीदें ताकि ऊन के कम पड़ने की संभावना न रहे. वैसे भी बचा ऊन वापस हो जाता है.
  •  बुनाई से पहले खिंचाव की जांच करें. इस के लिए 10 फं. पर 10 सलाइयां बुन कर बुने भाग की लंबाईचौड़ाई नाप लें.
  •  ध्यान रहे गार्टर स्टिच व स्टाकिंग स्टिच की बुनाई का खिंचाव अलगअलग होता है. गार्टर स्टिच की बुनाई स्टाकिंग स्टिच की बुनाई की तुलना में चौड़ाई में अधिक फैलती है व लंबाई में कम बढ़ती है.
  • कुछ महिलाएं सीधी सलाई की तुलना में उलटी सलाई ढीली बुनती हैं. यदि यह समस्या आप के साथ भी है तो आप उलटी सलाई बुनते समय कम नंबर की सलाई काम में लें.
  •  बुनाई करते समय प्रत्येक सलाई का पहला फं. बिना बुने उतारें. इस से किनारों पर सफाई आएगी व सिलाई आसानी से होगी.
  •  ऊन का नया गोला सलाई के शुरू में जोड़ें, बीच में नहीं. ऐसा करने से स्वैटर अधिक सफाई से बनेगा.
  •  ऊन जोड़ने के लिए उन के सिरों को उधेड़ कर 8 या 10 अंगुल लंबाई तक आधेआधे ऊन के रेशों को निकाल कर दोनों ऊन के सिरों को आपस में मिला कर बट देना चाहिए. फिर इस बटे हुए ऊन से कुछ फं. बुन कर आगे बुनते जाना चाहिए. 4 ऊन के टुकड़ों को आपस में जोड़ने के लिए कभी गांठ नहीं लगानी चाहिए. गांठ लगाने से स्वैटर में सफाई नहीं आती.
  •  यदि आप एक से अधिक रंग का ऊन काम में ले रही हैं तो उन्हें पौलिथीन की अलगअलग थैलियों में रखें या फिर उन के लिए छेदों वाले प्लास्टिक बैग को काम में लें. एक छेद वाले प्लास्टिक बैग को काम में लें. एक छेद में से एक रंग का ऊन निकालें. इस से वह उलझेगा नहीं.
  •  यदि आप ने एक ही रंग का ऊन 2 बार अलगअलग डाई लाट से खरीदा है तो आप एक सलाई एक लाट के ऊन की व दूसरी सलाई दूसरे लाट के ऊन की बुनें.
  •  यदि बुनते समय कोई फं. गिर जाए तो उसे उठाने के लिए क्रोशिया हुक को काम में लें.
  •  सफेद ऊन से बुनाई करते समय हाथों पर टैलकम पाउडर लगा लें. इस से सफेद ऊन पर मैलापन नहीं आएगा.
  •  कभी भी गीले हाथों से बुनाई न करें वरना नहीं तो उस स्थान से बुने हुए स्वैटर का लचीलापन मारा जाएगा.
  •  सलाई अधूरी छोड़ कर बुनाई बंद न करें. ऐसा करने से बुनाई में सफाई नहीं आएगी.
  •  2 आस्तीनों व आगेपीछे के भागों की लंबाई नापते समय सलाइयां गिनना जरूरी है. ऐसे ही नाप लेने से दोनों भागों की लंबाई छोटीबड़ी हो सकती है.
  •  बारबार धुलने पर सिकुड़ जाते हैं. इससे बचने के लिए ऊन को 3-4 घंटे तक पानी में भिगो कर सुखा दें. ऐसा करने से ऊन को जितना सिकुड़ना होगा वह पहले ही सिकुड़ जाएगा.
  • ऊन लच्छों में खरीदा है तो उस के गोले ढीले बनाने चाहिए. कस कर लपेटा ऊन खिंचने के कारण पतला व खराब हो जाता है. 3-4 उंगलियां बीच में रख कर उन के ऊपर से ऊन लपेटिए. गोले का अच्छा आकार बनाने के लिए उंगलियों को बारबार निकाल कर जगह बदल कर रखना चाहिए.

निटिंग कला: क्यों कह दें गुडबाय

एक समय था जब कढ़ाईबुनाई महिलाओं के व्यक्तित्व का एक जरूरी हिस्सा हुआ करती थी. महिलाएं अपना चूल्हाचौका समेटने के बाद दोपहर में कुनकुनी धूप का सेवन करते हुए स्वैटर बुनने बैठ जाती थीं. गपशप तो होती ही थी साथ ही एकदूसरे से डिजाइन का आदानप्रदान भी हो जाता था. घर के हर सदस्य के लिए स्वैटर बुनना हर महिला का प्रिय शगल होता था. उस समय न टीवी था, न व्हाट्सऐप, न इंटरनैट और न ही फेसबुक.

टैक्नोलौजी का जितना असर समाज के अन्य पक्षों पर पड़ा है उतना ही निटिंग पर भी पड़ा है. लेकिन उन सब से अनभिज्ञ आज की युवा पीढ़ी ने निटिंग जैसी कला को गुडबाय कह दिया है. ‘कौन पहनता है हाथ से बुने स्वैटर’ या ‘यह ओल्ड फैशन ऐक्टिविटी है’ जैसे जुमलों ने महिलाओं को हाथ से स्वैटर बनाने की कला  को दूर कर दिया है. पर इन सब जुमलों के बावजूद मैं ने निटिंग के प्रति अपना दीवानापन नहीं छोड़ा. उस दुनिया से छिप कर बुनती रही जो इस कला को ओल्ड फैशन मानती है. कभी चारदीवारी के अंदर तो कभी रात के साए में स्वैटरों के नित नई डिजाइनें टटोलती रही.

विदेशों में क्रेज

आश्चर्य तो तब हुआ जब मैं ने जरमनी यात्रा के दौरान अपनी हवाई यात्रा में एक जरमन महिला को मोव कलर के दस्ताने बुनते देखा और फिर वहां मैट्रो ट्रेन में कुछ महिलाओं को निटिंग करते देखा. वहां एक स्टोर में जाने का मौका मिला तो पाया कि लोग किस कदर हैंडमेड स्वैटर पहनने के इच्छुक हैं.

स्टोर में पड़ी किताबों में से स्वैटर की डिजाइन ढूंढ़ कर लोग वहां बैठी महिलाओं को और्डर दे रहे थे. उन्हें वहां पड़ी ऐक्सैसरीज में से बटन, लेस और बीड्स को भी अपने स्वैटरों पर लगवाने के लिए चयन करते देखा. मु?ा यह जान कर अच्छा लगा कि यहां जैसे भौतिकवादी देश में भी लोग हैंडमेड चीजों के प्रति आकर्षित हैं.

हाल ही में अमेरिका की यात्रा की तो निटिंग संबंधी स्टोर देखना मेरे पर्यटन में शामिल था. बोस्टन शहर की ब्रौड वे गली में एक स्टोर है जिस का नाम है ‘गैदर हेयर.’ जैसा नाम वैसा ही पाया मैं ने. अंदर का नजारा कलापूर्ण तो था ही गैदर हेयर जैसा भी था. एक बड़ी गोल टेबल के गोल घेरे में आठ महिलाएं सलाइयां ले कर जुटी थीं. सब के हाथों में सलाइयां थीं और सब सीखनेसिखाने की दृष्टि से आई थीं.

सोफिया ने बताया कि वे अपने भाई के लिए टोपी बुन रही हैं. लारा अपने बेटे के लिए मोजे बुन रही थीं. उन महिलाएं में एक मांबेटी का भी जोड़ा था. उन से संवाद करने पर पता चला कि वे महीने के दूसरे मंगलवार और चौथे बृहस्पतिवार को यहां इकट्ठा होती हैं. यहां वे एकदूसरे से डिजाइन सीखतीसिखाती हैं और अपनी कला को निखारती हैं.

कुनकुनी धूप में बुनाई

उसी हाल के दूसरे कोने में 2 पुरुष और 1 महिला बैठे थे जो अपने तैयार स्वैटरों पर बटन लगाने की तैयारी कर रहे थे. एक कोने में चायकौफी और स्नैक्स का सामान पड़ा था जो उन महिलाओं के लिए ही था. स्टोर ढेर सारे कच्चे सामान के साथ सुंदर तरीके से सजा था जिस में ऊन, सलाइयां, क्रोशिया, धागे, सुइयां, बटन और तैयार आइटमों का खूबसूरत डिस्प्ले था. मैं आश्चर्यचकित थी यह सब देख कर. मु?ो अपने देश में बिताए वे दिन याद आ रहे थे जब मैं ने अपनी दादीनानी, बूआ और मौसी को घर के आंगन में कुनकुनी धूप में बैठे ये सब करते देखा था.

मगर अब मेरे देश से ये सब नजारे गायब हैं. युवतियों और महिलाओं के हाथ में मोबाइल है या कानों में स्पीकर. नैट यूजर लड़कियां यह भी नहीं जानतीं कि नैट सर्फ कर के भी हैंडमेड चीजों का खजाना ढूंढ़ा जा सकता है और उन्हें बनाने की कला भी सीखी जा सकती है. निटिंग जैसी कलाएं न तो आप को बोर होने देती हैं और न ही अकेलेपन का एहसास कराती हैं. आप के दिमाग के संतुलन को बनाए रखने में भी ये कलाएं बहुत कारगर सिद्ध होती हैं.

विदेशों में हाइपरटैंशन के मरीजों की परची पर डाक्टर द्वारा इलाज की सूची में दवाई के साथ ‘निटिंग’ भी लिखा जाता है यानी डाक्टर द्वारा सलाह दी जाती है कि यदि आप निटिंग करेंगी तो आप का बीपी संतुलित रहेगा. अमेरिका जैसे देश में जहां लोग भौतिक सुखसुविधा से संपन्न हैं, फिर भी निटिंग कला को खूबसूरती से बनाए हुए हैं.

बोस्टन स्थित विश्व की नंबर वन यूनिवर्सिटी में भी एक कक्ष ऐसा है जहां ऊन सिलाई, क्रोशिया (धागा) मशीन, सूई, बैल्ट बटन सब रखे हैं. जब विद्यार्थी पढ़ाई करतेकरते थक जाएं तो इस कक्ष में आ कर अपनी मनपसंद क्रिएटिविटी कर सकते हैं और अपने दिमाग को फिर से तरोताजा कर सकते हैं.

एक बार मेरी बेटी जो बोस्टन में एमआईटी में पढ़ाई कर रही है ने बेहद उत्साहित हो कर बताया, ‘‘मां, मैं एक सेमिनार में समय से कुछ पहले पहुंच गई तो वहां देखा कि लैक्चर देने वाली प्रोफैसर निटिंग कर रही है. शायद वह वार्मअप हो रही थी. मां आप की बहुत याद आई.’’

एक सुखद एहसास

मगर हमारे देश में अब निटिंग लुप्तप्राय हो रही है. यह केवल डिजाइनिंग के विद्यार्थियों के पाठयक्रमों तक सीमित रह गई है जो अपनी सेवाएं मशीनों को दे रहे हैं. न सही बड़ा स्वैटर या जर्सी छोटाछोटा ही कुछ बुनिए जैसे टोपी और मोजे ही सही. मेरी मां एक बार बहुत बीमार हो गईं. पलंग से उठना दूभर था. मैं ने उन के सामने ऊन व सलाइयां ला कर रख दीं.

मां ने न जाने कितने मोजों के जोड़े बुन दिए. फिर तो जो भी उन की कुशलमंगल पूछने आता उसे मोजों का जोड़ा उपहार में मिलता. मां के चेहरे की संतुष्टि और उपहार पाने वाले की खुशी देखते ही बनती थी. इस उपक्रम में मां अपनी बीमारी का दर्द भूल जाती थीं. निटिंग करने का सुख अलग ही है. एक बार निटिंग कर के तो देखिए इस सर्दी में.

बुनाई की एबीसीडी

लेखिका-सरिता वर्मा 

निटिंग का मौसम फिर से लौट आया है और इस बार अपने साथ बुनाई के नए ट्रैंड भी साथ लाया है. लेकिन बुनाई शुरू करने से पहले यदि कुछ बुनियादी बातों की जानकारी न हो तो कहीं बुनाई में सफाई नहीं आती तो कहीं किनारा सिकुड़ जाता है. ऐसा न हो, इस से बचने के लिए अगर आप बुनाई की बुनियादी तकनीकी बातें जान लेंगी तो जो भी बुनेंगी, जिस डिजाइन में बुनेंगी उस में जान आ जाएगी.

ऊन की किस्में

जानवरों के बालों से बनने वाला ऊन: प्योर वूल, अंगोरा, मोहार, सिल्क अलपाका.

सब्जियों से बनने वाला ऊन:  कौटन लाइनन.

मैन मेड वूल: नायलौन व एक्रीलिक ऊन कई फाइबर्स से बनता है.

ऊन में एक सिंगल धागे को प्लाई कहते हैं और कई प्लाई को आपस में ट्विस्ट कर के धागा बनता है. धागा जितना मोटा बनाना होता है, उतनी ही प्लाई का प्रयोग होता है.

ऊन खरीदते समय

– हमेशा अच्छी कंपनी का ऊन खरीदें.

– ऊन हमेशा दिन में खरीदें और शेडकार्ड देख कर रंग का चयन करें. रंगों की विशाल रेंज बाजार में मौजूद हैं.

– बच्चों के लिए नरममुलायम बेबी वूल खरीदें, ताकि त्वचा को नुकसान न हो.

– ऊन ज्यादा ही खरीदें ताकि स्वैटर बुनते वक्त वह कम न पड़े. ऊन कम पड़ने पर व दोबारा खरीदने पर रंग में फर्क आ सकता है.

– स्वैटर बनाने के लिए हमेशा अच्छी कंपनी की सलाई लें. मोटे ऊन के लिए मोटी सलाई व पतले ऊन के लिए पतली सलाई का प्रयोग करें.

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बौर्डर व डिजाइन

– 2 प्लाई महीन ऊन, 12 नंबर की सलाई,

11 नंबर की सलाई.

– 3 प्लाई बीच की, 11 नंबर की सलाई, 10 नंबर की सलाई.

– 4 प्लाई सामान्य, 10 नंबर की सलाई, 9 या 8 नंबर की सलाई.

– 6 प्लाई मोटी या डबल निट, 6 या 7 नंबर की सलाई.

बुनाई करने से पहले: बुनाई करने से पहले निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जिस के लिए स्वैटर बुनना है, उस की उम्र, पसंद व रंग का खयाल रख कर ही ऊन खरीदें.

– यदि स्वैटर बनाते समय सही सलाई का प्रयोग नहीं करेंगी तो स्वैटर अच्छा नहीं बनेगा.

– जब भी 2 रंगों के ऊन का प्रयोग करें, उन की मोटाई और किस्म एक समान होनी चाहिए.

– जब आप एकसाथ कई रंगों के ऊन का प्रयोग करें, तो बुनाई ढीले हाथों से करें.

– जब भी आप हलके रंग, जैसे सफेद, क्रीम या किसी भी ऊन का प्रयोग करें, हाथों में टैलकम पाउडर अवश्य लगा लें.

– स्वैटर हमेशा एक ही व्यक्ति द्वारा बुना जाना चाहिए क्योंकि हर किसी की बुनाई में फर्क होता है.

– जब भी बुनाई करें कभी भी आधी सलाई पर फंदे न छोड़ें, नहीं तो बुनाई में छेद आ जाते हैं. हमेशा सलाई पूरी कर के छोड़ें.

– अगर कोई फंदा गिर गया हो तो क्रौस हुक का प्रयोग करें.

– फंदा हमेशा डबल ऊन से ही डालें.

– हर सलाई शुरू करने से पहले पहला फंदा बिना बुनें उतारें. इस प्रकार स्वैटर के दोनों तरफ एक जाली सी बन जाएगी, जिस से स्वैटर सिलने में आसानी रहेगी.

– स्वैटर बनाते समय गांठ हमेशा किनारे पर लगाएं. इस से स्वैटर पीछे की तरफ साफ रहेगा.

– स्वैटर को एक फंदा सीधा, एक फंदा उलटा बुनते हुए बंद करें.

– स्वैटर की सिलाई हमेशा इकहरे ऊन से करें.

– अपने हाथ के खिंचाव को जांच लें. उसी हिसाब से सलाई का प्रयोग करें.

– सही नाप का स्वैटर बनाने के लिए सही फंदों का पता होना आवश्यक है. जो भी डिजाइन डालना चाहती हैं, उस का 4×4 इंच का चौकोर टुकड़ा बुनें. अगर नमूना साफ नजर आ रहा हो, तो 4 इंच लंबाई में बुनी हुई सलाइयों के अनुसार पूरा स्वैटर बन जाएगा.

सही डिजाइन का चुनाव: डिजाइन का चुनाव व्यक्ति की उम्र को देखते हुए करें. बच्चों के लिए और बड़ों के लिए डिजाइन अलगअलग होती हैं. साथ ही, समय के साथ डिजाइन का चुनाव करें. बहुत पुरानी डिजाइन का स्वैटर न बना कर नए डिजाइनों की तलाश करें. थोड़ी सी सूझबूझ और परिश्रम से आप नए और लेटैस्ट स्वैटर बना सकती हैं.

ऐसे भी कला का कोई अंत नहीं है. आप केबल, कढ़ाई ग्राफ का डिजाइन, बीड्स, सीक्वैंस, मोटिफ लगा कर डिजाइन को नए तरीके से सजा सकती हैं. बस एक बात का ध्यान रखें. बच्चों के स्वैटर हमेशा बेल, जानवर वाले डिजाइन, केबल या ग्राफ से बना कर उन्हें आकर्षक रूप प्रदान करें और बड़ों के स्वैटर में बहुत ज्यादा जाल वाले डिजाइन डालने से बचें. जब केबल डालें तो 10-12 फंदे ज्यादा लें, नहीं तो स्वैटर टाइट बनेगा.

स्वैटर पर कढ़ाई के लिए क्रौस स्टिच, लेजीडेजी, डंडी स्टिच (स्टैम स्टिच) भरवां आदि से कढ़ाई करें. कढ़ाई हमेशा हलके हाथों से करें. कढ़ाई करते समय स्वैटर के नीचे की तरफ कागज या पेपर फोम का इस्तेमाल करें.

इसी तरह स्वैटर पर बीड्स या नग, सीक्वैंस लगाते समय हमेशा बारीक सूई का इस्तेमाल करें. जब भी बीड्स या नग लगाएं, स्वैटर के रंग का धागा इस्तेमाल करें. अगर दूसरे रंग का धागा लगाएंगी तो धागा चमकेगा और स्वैटर की खूबसूरती खराब हो जाएगी.

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गला बनाने के लिए: स्वैटर बना कर गला बनाने के लिए एक तरफ का कंधा सिल कर दूसरी तरफ के फंदा धागे में डाल लें. सलाई पर गला बना कर पहले गले की पट्टी को सिल कर इन फंदा को आपस में जोड़ लें.

‘वी’ गले को 2 सलाइयों पर बनाने के लिए व ‘वी’ शेप देने के लिए जैसे सीधा तरफ से

3 फंदा का 1 करते हैं, वैसे ही उलटी तरफ से भी 3 फंदा का 1 करें. इस से गले में सफाई रहेगी.

– छोटे बच्चों के लिए गोल गले के व सामने से खुले स्वैटर बनाएं, जिस से बच्चों को उन्हें पहनने में आसानी हो.

– टीनएजर्स के लिए बोट नैक, वी नैक, कैमल नैक अच्छे लगते हैं.

– बड़ी उम्र वालों के लिए गोल या वी नैक बनाएं.

– सूट के नीचे पहने जाने वाले स्वैटर ‘वी’ नैक के बनाएं.

– महिलाओं के लिए गोल गले वाले या सामने से खुले स्वैटर सुविधाजनक होते हैं. जिन की गरदन लंबी हो, उन पर पोलोनैक (हाईनैक) अच्छी लगती है.

स्वैटर की सिलाई: सिलाई करते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जब भी सिलाई करें स्वैटर के दोनों पल्लों को पकड़ कर बखिया सिलाई से सिल लें.

– स्वैटर के दोनों पल्लों को आमनेसामने रख कर सूई से दोनों तरफ का 1-1 फंदा उठाते हुए जोड़ती चली जाएं.

– जब भी स्वैटर बनाएं उस का ऊन संभाल कर रख लें ताकि स्वैटर की सिलाई खुलने पर फिर से सिलने के काम आ सके.

इन बातों को जान कर स्वैटर की बुनाई की बुनियादी बातों से परिचित हो गई होंगी. अब आप जो भी स्वैटर बनाएंगी तारीफ जरूर पाएंगी, तो फिर देर किस बात की, झटपट शुरू हो जाइए.

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