सीरियल ‘बागले की दुनिया’ में राधिका बागले की भूमिका से चर्चित हुई अभिनेत्री भारती आचरेकर से कोई अपरिचित नहीं. अब वह कलर्स टीवी की सीरियल ‘नाटी पिंकी की लम्बी लव स्टोरी’ में दादी की भूमिका निभा रही हैं. कैसे उन्होंने अपनी लम्बी जर्नी तय की है, आइये जाने उन्ही से,
सवाल- इस शो में आपको क्या खास लगा?
इस शो में मैं दादी की भूमिका निभा रही हूँ. ये एक साधारण नाटी लड़की की कहानी है,क्योंकि समाज में ऐसी किसी भी कमतर लड़की को कैसे मजाक उड़ाया जाता है, उसकी शादी एक समस्या होती होती है आदि कई संवेदनशील मुद्दों को दिखाने की कोशिश की गयी है. इसके अलावा इसमें मेरी भूमिका अहम है और कहानी के साथ-साथ चलती है. धारावाहिक ‘सुमित संभाल लेगा’ के बाद मैंने कोई काम नहीं किया, क्योंकि सही काम मिल नहीं रहा था. इसमें मुख्य चरित्र पिंकी का दादी के साथ बहुत अच्छी दोस्ती है, जो मुझे अच्छी लगी.
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सवाल-क्या आपने अपने आसपास कभी ऐसी घटनाएं देखी है, जहां शारीरिक रूप से कुछ कम होने पर उसका मजाक उड़ाया जाता हो?
ये मैंने बहुत देखा है, जो मोटे होते है उन्हें लोग बहुत कुछ कहते है, उनका मजाक उड़ाया जाता है. उसपर फिल्में भी बहुत बनी है. वह दिमाग में सभी की होती है और ये एक मेंटल ब्लाक होता है, जो किसी की खामी को कहने से परहेज नहीं करती. इसमें भी खासकर लड़कियों को ये अधिक सहना पड़ता है. लडको के लिए कम होता है.
सवाल-आप ने एक लम्बी पारी अभिनय की पूरी की है, कैसे आई? अभी क्या महसूस कर रही है? इस बारें में बताएं.
मैंने 17 साल की उम्र से अभिनय शुरू किया और 25 साल तक थिएटर में काम करती रही. उस समय सोशल मीडिया और चैनेल्स भी नहीं थे. सिर्फ नाटकों में काम करती रही. साथ ही मैंने संगीत में ग्रेजुएट किया है. इसके बाद टीवी आई तो उसमें काम करना शुरू किया. फिर फिल्मों में काम मिलने लगा उसे किया, लेकिन फिल्मों में महिला चरित्र कलाकारों को अधिक काम नहीं मिलती थी, जबकि पुरुषों को अधिक महत्व दिया जाता था. ऐसे में टीवी और थिएटर में काम करने से संतुष्टि मिलती थी. अभी भी मैं नाटकों में काम करती हूँ. इसके अलावा 10 साल तक टीवी की प्रोड्यूसर भी बनी जो मैंने चैनल की तरफ से किया. बाद में मैंने खुद भी प्रोड्यूस की पर अधिक सफल नहीं रही.
सवाल-पहले की कहानी और आज की कहानियों में कितना अंतर पाती है?
बहुत अंतर है. मैं तो बागले की दुनिया की बात कहती हूँ जब लोगों के पास मनोरंजन के इतने साधन नहीं थे, जिससे लोगों में सिम्प्लिसिटी थी, जो आज नहीं है. मीडिया भी साधारण थी. अभी वेस्टर्न इन्फ्लुएंस आ गया है. इतने चैनेल आ गए है. लोगों की सोच और आदतें भी बदल गयी है. उन्हें आज हर चीज ‘लार्जर देन लाइफ’ चाहिए. वे कुछ अलग देखना चाहते है. आज लोगो की जिंदगी बहुत जद्दोजहद की है और जब वे घर आते है तो जो चीज उनके घर में नहीं है उसे देखना चाहते है. बागले की दुनिया उनके घर में होती है इसलिए वे उसे देखना नहीं चाहते.
सवाल-इतने सालों में आपको किसने अधिक प्रेरित किया?
ये बताना थोडा मुश्किल है, क्योंकि मैंने बहुत सारे बड़े-बड़े कलाकारों के साथ नाटकों में काम किया है, जिसमें अमोल पालेकर, डॉ. श्रीराम लागू, आदि सभी कलाकारों के साथ काम करते हुए मार्ग दर्शन मिले. आज के कलाकारों को तो ऐसे गुरु मिलना भी मुश्किल हो चुका है. ऐसे नहीं है, जिससे उन्हें कुछ सीखने का मौका मिले. वे करें तो करें क्या. उन्हें तो रेस में जाना है. यही चल रही है. बागले की दुनिया और मराठी नाटक ‘हमीदा बाईची कोठी’ को मैं आज भी मिस करती हूँ.
सवाल-संगीत में आपने शिक्षा ली है, क्या उस दिशा में कुछ किया? क्या कोई मलाल रह गया है?
उस समय संगीत में इतना पैसा नहीं था, जिससे की घर चले. आज अच्छा हो गया है. एक्टिंग अच्छी चल रही है. इस लिए उसमें कुछ नहीं कर पायी और मलाल रह गया है. मेरी माँ माणिक वर्मा गायिका थी और उन्होंने पद्मश्री भी प्राप्त की थी इसलिए परिवार में कला का माहौल हमेशा रहा और माता-पिता ने सहयोग भी दिया है. अभी मेरा एक बेटा है, जो विदेश में रहता है और दूसरे क्षेत्र में काम करता है. मुझे याद आता है, जब मैंने 34 साल की उम्र में अपने पति को खो दिया था.मेरा बेटा उस समय 9 साल का था और मुझे कमाने की जरुरत थी. ऐसे में संगीत के क्षेत्र में कोई पैसा नहीं मिल रहा था. अभिनय ने मेरा साथ दिया.
सवाल-नई जेनरेशन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
कभी-कभी मुश्किल उनके साथ काम करने की होती है. उनकी सोच मुझसे बहुत अलग है. मैं उसमें दखल नहीं देती. मैंने जो अपने जीवन में सीखा है, वह बहुत अलग है. अगर मैंने कभी किसी को कुछ कहा भी है तो कई बार उन्हें अच्छा नहीं लगता और मुझे पता चल जाता है, लेकिन कुछ लड़के लड़कियां है जो मुझसे सीखना चाहते है और मैं उन्हें सिखाती भी हूँ. इसके अलावा आज प्रतियोगिता अधिक है, जबकि हमारे समय में कलाकारों की संख्या कम थी. इसलिए उन्हें उस रेस में पड़ना पड़ता है और उन्हें आगे निकलने की होड़ लगी रहती है.
सवाल-आपकी फिटनेस का राज क्या है?
मैं हमेशा खुश रहना पसंद करती हूँ. इसके अलावा काम करते रहना चाहती हूँ. काम न मिलने पर मैं दुखी हो जाती हूँ.
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सवाल-खाली समय में क्या करती है?
मुझे खाना बनाने का शौक है. इसके अलावा फिल्में देखना, घूमना, नाटक देखना, बहनों के साथ मिलना आदि कई चीजे करती हूँ. मुझे अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण और करीना कपूर की फिल्में बहुत पसंद है.
सवाल-गृहशोभा की महिलाओं के लिए क्या मेसेज देना चाहती है?
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते है. उसमें हमेशा सकारात्मक सोच बनाए रखने की जरुरत होती है. इसके अलावा हर महिला को आत्मनिर्भर होने की जरुरत है. इससे आत्मशक्ति बहुत बढती है और वे खुश रहती है. चौके चूल्हे में उसे गवाने की जरुरत नहीं होती.