सावधान: शरीर के लिए नुकसानदायक है ज्‍यादा कैल्‍शियम

अच्छी सेहत और मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम लेना बहुत ही जरूरी है. अकसर लोग अतिरिक्त कैल्शियम के लिए अलग से दवा भी लेते हैं. लेकिन भले ही वह चाहे कैल्‍शियम हो या फिर कोई अन्‍य न्‍यूट्रियंट, मिनरल,विटामिन या प्रोटीन.

सेहत और उम्र के हिसाब से इसका ज्‍यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है. हमें इन पुरानी धारणाओं को बदलना होगा कि ज्‍यादा कैल्‍शियम खाने से हड्डी मजबूत होगी और हम स्‍वस्‍थ्‍य रहेंगे. यहां कुछ कारण दिये जा रहे हैं जो आपको बताएंगे कि आपको ज्‍यादा कैल्‍शियम का सेवन क्‍यूं नहीं करना चाहिये.

पुरुष को हर दिन कैल्शियम की 1000-1200mg की जरूरत होती है, वहीं पर महिला को 1200-1500mgमहिलाओं की जरूरत होती है और बच्चों को हर दिन कैल्शियम की 1300mg की जरूरत होती है. अधिकतम कैल्शियम 2500gm ले सकते हैं. चलिये देखते हैं, क्या होता है जब आप अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने लगते हैं तो.

1. अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने से चक्‍कर और उल्टी आने का कारण बन सकता है. इस प्रकार जब कभी भी आपको चक्कर आए तो समझ जाएं कि यह कई कारणों में से एक कैल्‍शियम का प्रभाव भी हो सकता है.

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2. अतिरिक्त कैल्शियम की मात्रा के प्रभाव में से एक प्रोस्‍ट्रेट कैंसर होने की भी संभावना होती है. इस प्रकार जो लोग इस बीमारी से लड़ रहें हैं उनको अपनी डाइट में कैल्‍शियम की मात्रा कम कर देनी चाहिये. साथ ही अगर आपके खानदान में भी इस तरह के कैंसर की समस्‍या है तो भी आपको अतिरिक्‍त कैल्‍किशयम पर रोक लगा देनी चाहिये.

3. ऐसा माना जाता है कि कैल्‍शियम लेने से आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी को दूर किया जाता है. लेकिन ज्‍यादा कैल्‍शियम आपकी हड्डियों के लिये अच्‍छा नहीं है,इसका उल्‍टा असर हो सकता है. ज्‍यादा कैल्‍शियम हड्डी को बिगाड़ देती हैं और उन्‍हें जल्‍द बूढा़ बना देती हैं.

4. अधिक कैल्‍शियम लेने से पेट संबधी बीमारी भी हो सकती है जैसे,कब्‍ज, भूख ना लगना और पेट के निचले भाग में दर्द आदि. हो सकता है कि इससे आपको बार-बार पेशाब भी आने लगे. हो सकता है कि शरीर में नमक की कमी हो जाए और आपकी बॉडी डीहाइड्रेट हो जाए.

5. ज्‍यादा कैल्‍शियम लेने से किडनी केद्वारा पेशाब से अधिक कैल्‍शियम की मात्रा गुजरती है, जो कि धीरे-धीरे किड़नियों में जमने लगता है और बाद में वही जा कर स्‍टोन बन जाता है. यह अधिक कैल्‍शियम खाने का सबसे बुरा नतीजा होता है.

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कैल्शियम की कमी से न्यू मौम्स में बैकपैन की समस्या

बहुत बार नई माताओं को शिकायत होती है कि बच्चों को डिलीवर करने के लिए लगाए गए एप्पीडुअरल इंजेक्शन से उन्हें लगातार पीठ में दर्द होता है. इस बारे में गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया होस्पिटल के स्पाइन स्पेशलिस्ट और कंसलटेंट डॉक्टर अरुण भनोट का कहना है कि महिलाओं में लेट प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण अकसर उन्हें बैक पैन की समस्या होती है. क्योंकि इंजेक्शन का असर तो कुछ घंटों व कुछ दिनों के बाद कम होकर बैकपेन खुद ब खुद ठीक हो जाता है.

प्रसव से पहले या प्रसव के दौरान लगाए जाने वाले एप्पीडुअरल इंजेक्शन जो मां को कम दर्द के साथ बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए पैन किलर मेडिसिन के रूप में लगाया जाता है. इससे कुछ महिलाओं को पीठ के निचले हिस्से में दिक्कत हो सकती है. इस जगह पर कैथेटर एप्पीडुअरल इंजेक्शन लगाने के कुछ घंटों व कुछ दिनों बाद तक दर्द रहता है. बता दें कि जब बच्चा अपनी मां के गर्भ में बढ़ता है , खासकर गर्भावस्ता के आखरी 3 महीनों के दौरान , उसे अपनी हड्डियों को विकसित करने के लिए कैल्शियम की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. यदि इस दौरान मां को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता है, तो बच्चा मां की हड्डियों से इसकी जरूरत को पूरा करता है. जब मां की हड्डियों से कैल्शियम बच्चे में जाने के बाद मां को पीठ में दर्द का अनुभव होता है. यहां तक कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं उनमें कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है.

ब्रेस्टफीडिंग वह समय होता है जब बच्चा दूध पीना शुरू करता है और अगर मां कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा नहीं लेती है तो उसमें कैल्शियम की कमी हो जाती है. इसलिए गर्भवस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद महिला के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लेना बहुत जरूरी होता है. आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को भोजन और सुप्प्लिमेंट से कैल्शियम मिलता है.

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाएं ज्यादा एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन करती हैं. बता दें कि एस्ट्रोजन वह हॉरमोन होता है, जो हड्डियों की रक्षा करता है और गर्भावस्था के दौरान बोन मास की जो हानि होती है वो आमतौर पर प्रसव के बाद या मां द्वारा अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग को बंद करने के बाद कई महीनों के अंदर रिस्टोर हो जाती है. डॉक्टर भनोट ने नई माताओं की काउंसलिंग के महत्व पर जोर दिया है. खासकर के उन महिलाओं को ज्यादा काउंसलिंग की जरूरत होती है जिनको ब्रेस्टफीडिंग करवाना है. क्योंकि ऐसी महिलाओं में लंबे समय तक बैठने से पीठ में खिचाव आ सकता है. गर्भावस्था के दौरान मां को हड्डियों के कमजोर होने और ओस्टोपोरोसिस का सबसे ज्यादा खतरा होता है. वृद्ध महिलाओं के विपरीत गर्भवती महिलाओं में बोन मास को ज्यादा हानि होती है . क्योंकि जो बच्चा उनके पेट में पल रहा होता है उसे अपनी हड्डियों के ढांचे के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है. इसके अलावा महिला को भी अपनी हड्डियों का निर्माण करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, और अगर पर्याप्त रूप से महिला को कैल्शियम मिलता है तो उन्हें ओस्टोपोरोसिस से बचने में मदद मिलती है.

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इसके अलावा कई महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के सही पोस्चर के बारे में पता नहीं होता है और गलत जानकारी के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. डाक्टर भनोट का कहना है कि नई माताओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के लिए सही पोस्चर की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे ब्रेस्टफीडिंग के लिए सही पोस्चर को अपनाकर पीठ दर्द से बच सकें. क्योंकि प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही उनके लिए बड़ा चैलेंज जो होती हैं.

जानते हैं गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हड्डियों को कैसे स्वस्थ रखें-

1 कैल्शियम रिच डाइट लें

गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को हर दिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए. गर्भवती युवा महिला को एक दिन में 1300 मिलीग्राम कैल्शियम लेना चाहिए. कैल्शियम कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दूध , दही, पनीर, पत्तेदार सब्जियों , टोफू, बादाम , मकई, संतरे के रस , अनाज और ब्रेड में भरपूर मात्रा में मिलता है. इसलिए ब्रेस्टफीडिंग और गर्भवती महिला को इन चीजों को जरूर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.

2 रेगुलर एक्सरसाइज करें

उन्हें नियमित रूप से वेट बियरिंग और रेज़िस्टेन्स जैसी एक्टिविटी करने के लिए डाक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है, क्योंकि इनसे मसल्स को स्ट्रैंथ मिलती है. वॉकिंग, सीढ़ियां चढ़ना और डांस करने के साथ साथ वेट लिफ्टिंग भी हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. लेकिन कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. ताकि मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें.

3 अपनाएं हैल्थी लाइफस्टाइल

हैल्थी लाइफस्टाइल को अपनाना बहुत जरूरी है. इसके लिए अच्छा खाएं व स्मोकिंग की हैबिट से दूर रहें. क्योंकि स्मोकिंग मां और बच्चे के लिए हानिकारक होती है. और हड्डियों के लिए भी अच्छी नहीं होती है. इसके अलावा ये हार्ट और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है. गर्भवती और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को शराब से भी दूरी बना कर रखनी चाहिए , क्योंकि ज्यादा शराब के सेवन से हड्डियां खराब होती हैं.

4 सफेद तिल है फायदेमंद

तिल के लड्डू तो सबको पसंद होते हैं , लेकिन क्या आप जानती हैं कि सफेद तिल न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है. इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं. अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है तो इसे सफेद तिल से पूरी करके हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है. तो हुआ न सफेद तिल फायदेमंद.

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5 सोयाबीन दे आपको मजबूती

क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन प्रोटीन और कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत होता है. एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि सोयाबीन के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलने के साथ साथ मेनोपोज़ के बाद भी महिलाओं की हड्डियां स्ट्रोंग बनती हैं. इसलिए जितना हो सके सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करें. तो फिर प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपनी डाइट में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाकर खुद का व अपने बच्चे का खास ध्यान रखें.

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