एजुकेशन लोन लेने से पहले जरूर ध्यान रखें ये 7 बातें

ऐजुकेशन लोन को देश में या विदेश में पढ़ाई की लागत को कवर करने का सब से अच्छा तरीका माना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कई बैंक देश में या विदेश में पढ़ाई के लिए सस्ती दर पर भी लोन मुहैया करा देते हैं.

अपने बच्चे की हायर ऐजुकेशन के लिए पेरैंट्स म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. कुछ लोग फिक्स्ड डिपौजिट तो कुछ यूलिप का सहारा भी लेते हैं. इन सब के बाद भी यदि पढ़ाई के लिए रकम कम पड़ती है तो ऐसे में ऐजुकेशन लोन से काफी मदद मिल जाती है. यह लोन जरूरत और उपलब्ध रकम के बीच की खाई को भरता है.

एक अध्ययन के अनुसार हिंदुस्तान में पढ़ाई का खर्च सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. इस समय अगर पढ़ाई का खर्च 2.5 लाख रुपये है तो 15 साल बाद एमबीए करने में 20 लाख रुपये खर्च होंगे. अगर पेरैंट्स अभी से 15 सालों तक हर महीने 2000 रुपये का निवेश करते हैं और इस पर औसत रिटर्न 12 फीसदी मान लें तो वे करीब 9.5 लाख रुपये ही जोड़ पाएंगे.

ऐजुकेशन लोन में क्या कवर होता है

इस में कोर्स की बेसिक फीस और कालेज के दूसरे खर्च जैसे रहने, ऐग्जाम और अन्य खर्चे कवर होते हैं. पढ़ाई करने वाला छात्र मेन उधारकर्ता होता है. उस के पेरैंट्स या भाईबहन कोबौरोअर हो सकते हैं. भारत में पढ़ाई या उच्च शिक्षा के लिए अथवा विदेश जाने वाले छात्र लोन ले सकते हैं. दोनों जगह पढ़ाई के लिए लोन की रकम अलग हो सकती है और यह बैंक पर भी निर्भर करता है.

लोन के तहत किस तरह के कोर्स

लोन ले कर फुलटाइम, पार्टटाइम या वोकेशनल कोर्स किए जा सकते हैं. इस के अलावा इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट, मैडिकल, होटल मैनेजमैंट और आर्किटैक्चर आदि में ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए लोन लिया जा सकता है.

योग्यता और कागजी जरूरत

लोन के लिए आवेदन करने वाले का भारतीय नागरिक होना जरूरी है. इस के साथ ही भारत या विदेश में किसी वैध संस्था से मान्यताप्राप्त कालेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन तय हो चुका हो तभी लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदक का 12वीं कक्षा की परीक्षा पास कर चुका होना जरूरी है.

कुछ बैंक हालांकि एडमिशन तय होने से पहले भी लोन दे देते हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक ऐजुकेशन लोन के लिए उम्र की अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन कुछ बैंकों ने सीमा तय कर रखी है.

बैंक इस के लिए हालांकि आवेदक से संस्थान का एडमिशन लैटर, फीस स्ट्रक्चर, 10वीं, 12वीं और ग्रैजुएशन की मार्कशीट मांग सकते हैं. इस के अलावा कोऐप्लिकैंट की सैलरी स्लिप या आयकर रिटर्न (आईटीआर) की कौपी मांगी जा सकती है.

लोन की फाइनैंसिंग

लोन की जरूरत के हिसाब से बैंक 100 फीसदी तक फाइनैंस कर सकते हैं. अभी क्व4 लाख तक के लोन के लिए किसी मार्जिन मनी की जरूरत नहीं है. भारत में पढ़ाई करने के लिए लोन की रकम का 5 फीसदी और विदेश में पढ़ाई के लिए 15 फीसदी मार्जिन मनी की जरूरत होती है.

7.5 लाख रुपये से अधिक के लोन के लिए बैंक कुछ गिरवी रखने के लिए बोल सकते हैं. एक बार लोन ऐप्लिकेशन स्वीकार हो जाने पर बैंक सीधे कालेज/यूनिवर्सिटी को फीस स्ट्रक्चर के हिसाब से पेमैंट कर देते हैं.

ब्याज दर

बैंक इस समय लोन पर एमसीएलआर और अतिरिक्त स्प्रैड के हिसाब से ब्याज वसूलते हैं. एडिशनल स्प्रैड इस समय 1.35 फीसदी से ले कर 3 फीसदी तक हो सकता है.

रीपेमैंट

लोन को छात्र चुकाता है. आमतौर पर कोर्स खत्म होने के 6 महीने बाद रीपेमैंट शुरू हो जाती है. कई बार बैंक 6 महीने की मोहलत भी देते हैं. यह मोहलत जौब पाने के 6 महीने भी हो सकती है या कोर्स खत्म होने के बाद एक साल की हो सकती है.

5 से 7 साल में यह लोन चुकाना होता है. कई बार बैंक इसे आगे बढ़ा सकते हैं. कोर्स की अवधि के दौरान लोन पर ब्याज सामान्य ही होता है और ईएमआई के रूप में यह ब्याज चुकाना होता है ताकि कोर्स पूरा होने के बाद छात्र पर ज्यादा बोझ न पड़े.

इनकम टैक्स में छूट

आयकर कानून की धारा 80-ई के तहत लोन के ब्याज के रूप में चुकाई गई रकम पर छूट मिलती है. यह छूट किसी व्यक्ति को खुद, बच्चों या कानूनी मातापिता द्वारा बच्चे की शिक्षा के लिए लिए गए लोन के चुकाए गए ब्याज पर मिलती है. लोन के कुल ब्याज को आप अपनी कर योग्य आय में से घटा सकते हैं. यह छूट 8 सालों तक ली जा सकती है.

एक्टिंग की दुनिया में कैसे जाऊं, क्या ये सही होगा?

सवाल-

क्या आप मुझे बता सकते हैं कि सीरियल में काम करने के लिए क्या करना होता है? मेरा टीवी सीरियल में काम करने का बहुत मन है. यदि मैं इस के लिए मुंबई जाती हूं तो वहां रहने की क्या व्यवस्था होगी? वहां सब कुछ अजनबी सा तो नहीं लगेगा?

जवाब-

यह क्षेत्र जितना चकाचौंध भरा और आकर्षक दिखता है इस में भाग लेना उतना ही जद्दोजेहद भरा है. इस के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है. आजकल महानगरों में ऐक्टिंग सीखने के लिए बाकायदा ऐक्टिंग स्कूल खुल गए हैं, जहां युवाओं को सीरियल और फिल्म संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण लेने के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि अभिनय के क्षेत्र में आप को सफलता मिलेगी ही. इस के अलावा नए शहर में रहने, खानेपीने आदि की व्यवस्था करना भी आसान नहीं है. इन सब कठिनाइयों के बावजूद अगर आप इस क्षेत्र में जाना चाहती हैं, तो इंटरनैट से उस महानगर की जहां आप को जाना है, विस्तृत जानकारी ले कर अपने घर के किसी बड़े सदस्य को साथ ले कर ही वहां जाएं.

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थियेटर से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता उपेन चौहान उत्तर प्रदेश के नॉएडा के है. उन्होंने नाटकों में काम करने के साथ-साथ कई विज्ञापनों, टीवी धारावाहिकों और वेब सीरीज में काम किया है. उपेन स्पष्टभाषी और खुश मिजाज इंसान है, इसलिए उन्हें कभी तनाव नहीं होता. वे वर्तमान में जीते है और पीछे की बात कभी नहीं सोचते. उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता का सहयोग है, जिन्होंने हमेशा उनके काम की सराहना की. उनकी वेब सीरीज ‘भौकाल’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके काम की बहुत प्रसंशा मिल रही है. इस कामयाबी से वे खुश है और  अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइये जाने उनकी कहानी.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

छोड़ दें ये 5 आदतें अगर चाहती हैं ज्यादा सैलरी

ये बात सच है कि सैलरी चाहे जितनी भी क्यों न मिले, हमेशा कम ही लगती है. लेकिन अगर आपको यह वाकई लगता है कि आपकी प्रोडक्ट‍िविटी कम होने के कारण आपकी सैलरी नहीं बढ़ पा रही है तो हम यहां आपको बता रहे हैं कि किस तरह आप अपनी कुछ आदतों से तौबा कर अपनी प्रोडक्ट‍िविटी बढ़ा सकती हैं और अच्छा सैलरी पैकेज पा सकती हैं…

इनसे खत्म होती है ‘क्रीएटिविटी’

बुरी आदतों पर ‘सेल्फ कंट्रोल’ होना बहुत ज़रूरी है वरना वो आपकी ‘क्रीएटिविटी’ को खत्म कर देती हैं और साथ ही आपके परफॉर्मेंस को दबा देती हैं. मिनेसोटा की एक यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के दौरान ये पाया कि जिन लोगों में सेल्फ-कंट्रोल होता है वो उन लोगों के मुकाबले ज्यादा खुश रहते हैं जिनमें नहीं होता. इसलिए सेल्फ कंट्रोल बढ़ाएं और इन आदतों छोड़ दें…

छोड़ दीजिए ये 5 बुरी आदतें..

1. बेड पर फोन, टैबलेट या लैपटॉप इस्तेमाल करना

रात में सोते समय बेड पर फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल करना आपके लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है. फोन या लैपटॉप से निकलने वाले ‘वेवलेंग्थ ब्लुलाईट’ नींद, मूड, और एनर्जी को काफी नुकसान पहुचाते हैं, जो आपकी उत्पादकता को सीधे-सीधे प्रभावित करती हैं.

2. हमेशा इंटरनेट सर्फिंग

किसी भी काम में एकाग्रता बनाने के लिए हमें लगभग 15 मिनट लगते हैं. लेकिन जब आप ये एकाग्रता बना लेती हैं तो आपका दिमाग ‘फोकस’ करने कि क्षमता को हासिल कर लेता है. लेकिन लगातार ‘नेट-सर्फिंग’ हमारे इस एकाग्रता को अस्तव्यस्त करता है और दिमाग को अशांत कर देता है.

3. मुश्किल कामों को टालना

जब आप सुबह उठती हैं तो आपका दिमाग फ्रेश रहता है. उस वक्त आपको दिन का सबसे कठिन काम कर लेना चाहिए. क्योंकि सुबह आप एनर्जी से भरी होती हैं. अगर आप उस काम को शाम तक के लिए टालती रहेंगी तो आप उसे अच्छी तरह नहीं कर पाएंगी, क्योंकि तब तक आप थक चुकी होंगी.

4. अलार्म को ‘स्नूज’ न करें

जब आप रात में अलार्म लगा कर सोती हैं, तो कहीं न कहीं आपका दिमाग खुद को पहले से ही तैयार लेता है कि आपको सुबह कितने बजे उठना है. इसलिए आप कभी-कभी अलार्म बजने के ठीक पहले उठ जाती हैं. लेकिन जब आप ‘स्नूज’ बटन दबा के दोबारा सो जाती हैं और देर से थके और मदहोश से उठती हैं, तब तक आपके दिमाग की सजगता खो जाती है.

5.मल्टीटास्किंग’ होना हानिकारक

‘मल्टीटास्किंग’ होना आपकी प्रोडक्टिविटी को पूरी तरह से खत्म कर देता है. स्टैंनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग ‘मल्टीटास्किंग’ होते हैं वो कम ‘प्रोडक्टिव’ होते हैं. एक समय पर एक ही काम करने वाले लोग ज्यादा प्रोडक्ट‍िव होते हैं. इसलिए एक समय में एक ही काम करें. काम का बोझ ज्यादा हो या कम, एक-एक कर पूरा करें.

जाहिर है आप प्रोडक्ट‍िव होंगी तो आपकी सैलरी पर भी इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा.

बहुत जरूरी है प्रोफैशनल होना

सफल प्रोफैशनल वह है जो अपनी जौब के प्रति वफादार हो और अपने सहयोगियों की टीम को साथ ले कर चले. जौब हासिल करने व कैरियर में कामयाब होने के लिए सिर्फ अच्छी एजुकेशन ही काफी नहीं है, बल्कि इस के लिए आप का प्रोफैशनल होना भी बहुत जरूरी है, ताकि आप खुद को अपनी जौब के लिए योग्य साबित कर सकें.

महेश और सुरेश दोनों एक ही कंपनी में, एक ही पद पर कार्यरत थे. महेश जहां प्रगति की सीढि़यां चढ़ता गया वहीं सुरेश की पदोन्नति नहीं हुई. उसे अपने पुराने पद पर ही बना रहना पड़ा. महेश की कामयाबी के पीछे उस का बेहतर प्रोफैशनल होना था. किसे कहते हैं बेहतर प्रोफैशनल? आइए जानते हैं.

– बेहतर प्रोफैशनल वही हो सकता है जिस में सभी क्लालिटीज हों. समय पर औफिस आना और समय पर काम पूरा करना एक अच्छे प्रोफैशनल की निशानी है.

– जो विषम परिस्थितियों में भी घबराता न हो. अपना काम सही ढंग से करता हो. हर परिस्थिति में दूसरों की बातें सुनता हो और किसी को नीचा दिखाए बिना अपनी बात सामने रखता हो.

– प्रोफैशनल वह है जो भारत में फैल रही धर्म और जाति के चक्कर में हेट कौंसपिरैंसी का हिस्सा न बने और हरेक को बराबर की जगह दे, बराबर का मौका दे.

– अच्छा प्रोफैशनल वह है जो चुनावों में तो भाग ले पर न अंधपूजन में लगे और न पूजा पर्यटन का शिकार बने.

– जो अपने कार्यों को सूचीबद्ध तरीके से करता हो. औफिस में अपना समय ठीक तरह से मैनेज करता हो और दूसरों को भी इस ओर प्रेरित करता हो.

– जो दबाव में भी अपना मानसिक संतुलन न खोता हो. साथ ही, अपने काम की समयसीमा का भी ध्यान रखता हो तथा टालमटोल की आदत से बचता हो.

– जो अपनी जिम्मेदारियां और कंपनी के नियमकायदे की जानकारी रखता हो. अनुशासन में रह कर खुद भी व अपने सहयोगियों को भी अनुशासन की सीख देता हो. कंपनी व अपनी प्रगति के लिए प्रयत्नशील हो.

– जो अच्छे या बुरे दोनों हालात में काम करना जानता हो. अपनी जिम्मेदारियां सम?ाता हो.

– जो अच्छेबुरे सभी को साथ ले कर चलता हो. सभी के हितों की बात करते हुए आगे बढ़ता हो. अपना गुस्सा दूसरों पर न निकालता हो और सभी के कामों में सा?ोदारी करता हो.

– जो दूसरों की समस्याएं सुनता हो और उन्हें निबटाने में विशेष रुचि लेता हो. सभी की बातों को तवज्जुह देता हो. एक प्रोफैशनल द्वारा दूसरे सहयोगियों की बात सुनने का मतलब है कि अगर दूसरों से अच्छा आइडिया मिलता है, तो वह उसे स्वीकार करते हुए अमल में लाए.

– प्रोफैशनल के लिए प्रगति का मार्ग सदैव खुला रहता है. वह अपने मकसद में कामयाब होता है. कभी भी काम की कठिनाइयों से घबराता नहीं. वह काम को सरल करने की कोशिश में रहता है.

– जो अपनी कार्यकुशलता व व्यवहार से दूसरों को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता हो. नएनए विचार सब को देता हो और उन्हें काम करने के लिए प्रेरित करता हो.

आप भी यदि अपनी जौब में कामयाब होना चाहते हैं तो एक अच्छे प्रोफैशनल की तरह काम करने की आदत डालें क्योंकि बिना इस के प्रगति संभव नहीं है.    –

बुटीक बिजनैस से जुड़ी 9 बातें

क्याआप मात्र 5 हजार में बड़ी पार्टी के लिए स्वयं को तैयार कर सकती हैं? यदि आप का जवाब हां है तो मतलब आप क्रिएटिव हैं ध्यान रहे, फैशन का मतलब यह नहीं होता कि आप ने अपनी ड्रैस कितनी महंगी तैयार की है. सही माने में डिजाइनिंग का मतलब यही होता है कि अपनी क्रिएटिविटी से आप ने कम लागत में कितनी आकर्षक ड्रैस तैयार की है.

इसलिए बुटीक बिजनैस में आने से पहले स्वयं पर यह टैस्ट कर के देखें. जैसे अपनी पुरानी साड़ी का डिजाइनर सूट बनाएं. अकसर महिलाएं अपनी महंगी ब्राइडल ड्रैस को सारी जिंदगी ऐसे ही पड़े रहने देती हैं, जबकि अपनी क्रिएटिविटी से उस की आकर्षक ड्रैस बनाई जा सकती है. इस के साथसाथ बिजनैस शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातें भी जान लें:

1. मूलभूत जरूरतें:

बुटीक की शुरुआत करने से पहले कुछ महत्त्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करना आवश्यक होता है. इन में से एक है बुटीक खोलने की जगह. शुरुआत में यह छोटी सी जगह से भी शुरू किया जा सकता है. पार्लर के साथ, घर के कमरे या गैरेज में. छोटी दुकान किराए पर ले कर भी शुरू किया जा सकता है.

बुटीक में टेलर मास्टर का चुनाव सोचसमझ कर करना चाहिए. उस से सिलाई मास्टर हो या फिर कढ़ाई वाला सुनिश्चित कर लें कि उसे खाके बनाने आने चाहिए यदि वे खाके बनाने नहीं जानते होंगे तो आप को इस के लिए अलग से कोई मास्टर रखना पड़ेगा और आप की लागत बढ़ जाएगी.

बुटीक में अच्छी कंपनी की सिलाई व ओवरलौक मशीनें रखें. अगर टेलर मास्टर के पास सही सिलाई मशीन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो खुद खरीद कर दें. इसी तरह बढि़या टेप, सीजर्स, ट्रेसिंग व्हील, नीडल्स, पैटर्न मेकिंग टूल्स, कटिंग पैड, कटिंग टेबल, प्रौपर लाइटिंग का इंतजाम रखें ताकि टेलर मास्टर टिक कर काम करे.

2. शुरुआती दौर:

बिजनैस की शुरुआत में कम लागत वाले कपड़े बाजार से लाएं. इस के अलावा अपने बुटीक को लोकप्रिय बनाने के लिए सस्ते व उपयोगी उपायों का प्रयोग करें जैसे अपने बैग्स पर नाम छपाएं, अपने बुटीक का लोगो बनाएं पर इसे स्वयं डिजाइन करें. विजिटिंग कार्ड छपाएं, लोकल अखबार में विज्ञापन दें. बुटीक के नाम के पैंफलेट्स व बैनर बनाएं. ग्राहकों व जगह के अनुसार ही सिलाई निर्धारित करें. फेसबुक, व्हाट्सऐप्स पर अपने कपड़ों की डिजाइनों के फोटो पोस्ट करें.

3. क्षेत्र की जानकारी:

बुटीक की शुरुआत करने से पहले बेसिक कोर्स करना अच्छा रहता है. बाकी सारी जानकारी अनुभव से प्राप्त हो जाती है. जैसेजैसे काम करती जाएंगी आप अपने क्षेत्र में निपुण होती जाएंगी. नईनई जगहों की वेशभूषा की जानकारी लें और स्वयं कागज पर ड्रैस डिजाइन करें. इंटरनैट से सिर्फ डिजाइन का अंदाजा लिया जा सकता है परंतु अपनी प्रतिभा को मौलिक रूप में कागज पर उतारें और उसे बनाएं तभी आप अच्छी डिजाइनर बन सकेंगी.

4. गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं:

बुटीक चाहे नया हो या फिर पुराना गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए. अच्छी क्वालिटी का फैब्रिक इस्तेमाल करें, पक्की तरह सिलाई करें. कार्य के प्रति ईमानदार रहेंगी तो आप की साख मजबूत बनेगी. मार्केट में अपने बुटीक का एक स्टैंडर्ड मैंटेन करें ताकि मोलभाव की सिरदर्दी न रहे.

5. आप का व्यवहार:

ग्राहकों के प्रति आप का व्यवहार कैसा है इस पर बुटीक का लाभ बहुत निर्भर करता है. उन पर अपनी पसंद को थोपें नहीं व अपने गाहकों की शारीरिक कमजोरियों को छिपाने वाले डिजाइन व उन के बजट के अनुसार उन्हें सलाह दें.

6. आप का काम:

आप के कार्य में विश्वास झलकना आवश्यक है. जल्दबाजी में ग्राहक से कुछ भी सिलने का वादा न करें और वही तारीख दें जिस पर आप कार्य कर सकती हों. अगर किसी को समय दिया है तो चाहे देर रात तक काम क्यों न करना पड़ें, काम पूरा कर के ही हटें.

7. कैसे कमाएं अधिकतम लाभ:

अपने बुटीक में स्कूल यूनिफौर्म भी सिल सकती हैं. इस से अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है, इस के साथसाथ दुकानदारों को अपने कपड़े सप्लाई कर के और किसी ब्रैंड से जुड़ कर उस के लिए कपड़े बना कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है.

8. ग्राहक से खुलें:

आप को किसी की भी पूरी बौडी का पूरा अंदाजा होना चाहिए और इस तरह का कौन्फिडैंस पैदा करें कि ग्राहक महिला अपने कपड़े बिना हैजिटेशन के आप के सामने उतार दे और आप उस के शरीर का पूरा अंदाजा हो जाए. अपनी ड्रैसों को धार्मिक रूप न दें क्योंकि वे आप के ग्राहक काट सकती हैं. ऐसी ड्रैसेज तैयार करें कि हर वर्ग की महिलाएं आप के पास खुल कर आएं.

9. पढ़ें:

इस बिजनैस में सफल होने के लिए घर में फैशन व दूसरी पत्रिकाएं रखें ताकि जो भी आप के पास आए वह अगर बैठा हो तो कुछ बिजी रह सके.

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विदेश में पढ़ाई से पहले जानें 7 बातें

बीते 2 सालों में कोरोना ने पूरी दुनिया में कुहराम मचाया है और इस महामारी की दोहरी मार झेली विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों ने. कई छात्रों को अपने देश वापस आने के लिए पहले विदेशी नियमों की मुश्किलों से गुजरना पड़ा और फिर बाद में अपने देश आ कर क्वारंटाइन के सख्त नियमों से. आप के बच्चे के लिए विदेश में पढ़ाई करना मुश्किल न हो इस के लिए इन बातों का ध्यान जरूर रखें:

1. करें पूरी रिसर्च

जिस देश में बच्चा पढ़ने जा रहा है उस देश के रहनसहन के तौरतरीकों और नियमों के बारे में पूरी जानकारी जमा करें. इस के लिए सिर्फ गूगल के भरोसे न रहें बल्कि ऐसे किसी बच्चे से मिलने की कोशिश करें जो पहले वहां रह कर पढ़ाई कर चुका हो. वहां करंसी ऐक्सचेंज करने के क्या नियम हैं यह भी जरूर पता करें. जिस यूनिवर्सिटी में बच्चा पढ़ने जा रहा है वह रहने और खाने की क्या सुविधा देती है यह भी जानना जरूरी है. सब से जरूरी बात यह कि वहां का मौसम कैसा रहता है और आप के बच्चे को किसी खास मौसम से कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं, यह जानकारी भी रखें.

2. पेपर वर्क

पासपोर्ट के साथसाथ वे सभी पेपर्स संभाल कर रख लें जो आप को विदेश में पढ़ाई की अनुमति देते हैं. उस देश में अपना बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए जरूरी प्रूफ्स का पहले से पता कर लें और उन्हें भी संभाल कर रख लें. अपने हैल्थ इंश्योरैंस से जुड़े पेपर्स साथ रखें और यदि वे विदेश में मान्य नहीं हैं तो उन्हें कैसे अपडेट कराना है यह जानकारी भी आप को होनी चाहिए. एटीएम इत्यादि इंटरनैशनल ट्रांजैक्शन के लिए पहले ही मान्य करवा लें.

3. बैग पैक

आस्ट्रेलिया, अमेरिका, जरमनी और रूस जैसे देशों में विंटर सीजन भारत के विंटर सीजन से बिलकुल अलग होता है. यदि इन देशों में जा रहे हैं तो पहले से रिसर्च करने के बाद ही कपड़े तैयार करें. इलैक्ट्रौनिक उपकरणों को चार्ज करने वाले अडौप्टर इत्यादि के बारे में भी पता कर लें क्योंकि हर देश में स्विच पौइंट्स का पैटर्न अलगअलग होता है. जिस देश में जा रहे हैं वहां की ट्रैवल गाइड अपने साथ जरूर रखें.

4. विदेश में रहने की तैयारी

हर देश सांस्कृतिक रूप से अलग होता है. भाषा, पहनावा और कुछ नियम ऐसे होते हैं जिन्हें ले कर वहां के लोग सैंसिटिव होते हैं. सही रहेगा यदि आप उस देश की भाषा को सीख लें. हर देश में सिर्फ अंगरेजी बोलने से काम नहीं चलेगा. विदेश जाने से पहले अपने ट्रैवल डाक्टर से जरूरी दवाओं की प्रिस्क्रिप्शन जरूर ले लें. विदेश में रहना और आसान बनाना है तो वहां के इतिहास और राजनीति के बारे में भी थोड़ी जानकारी जमा कर लें.

5. विदेश पहुंचने पर

विदेश पहुंचने पर 24 घंटों के अंदर अपना रजिस्ट्रेशन जरूर करवा लें. वैसे तो हर देश में इस के नियम अलग हैं, मगर यदि आप भारतीय दूतावास में अपना पंजीकरण करा लेंगे तो आगे आप को बहुत सुविधा होगी. बीते 2 सालों में कोरोना या रूसयूक्रेन युद्ध के चलते उन छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिन की जानकारी दूतावास के पास नहीं थी.

6. पढ़ाई भी कमाई भी

वैसे यह कल्चर भारत में कम देखने को मिलता है, लेकिन विदेशों में यह बहुत है. यदि आप का शिक्षण संस्थान अनुमति दे तो आप पढ़ने के साथसाथ कुछ पैसा भी कमा सकते हैं जो आप की आगे की पढ़ाई में काम आ सकता है. कुछ देशों में इस के लिए लोकल परमिशन लेनी पड़ती है तो कहीं वर्क परमिट की जरूरत होती है. ऐक्स्ट्रा पैसा रहेगा तो युद्ध और महामारी की स्थिति में आप के बेहद काम आएगा.

7. इंटरनैशनल स्टूडैंट आइडैंटिटी कार्ड

इस कार्ड के सफर के दौरान कई फायदे हैं. लोकल ट्रैवलिंग के साथसाथ कुछ शौपिंग सैंटर्स पर भी इस कार्ड से डिस्काउंट पा सकते हैं. इसे पाने के लिए आईएसआईसी की वैबसाइट विजिट करें. कुछ पू्रफ अपलोड करने के बाद यहां से इसे औनलाइन भी बनवाया जा सकता है. कुछ देशों में इस कार्ड का इस्तेमाल कर के आप फूडिंग और लौजिंग में भी डिस्काउंट पा सकते हैं.

इन सब बातों के साथसाथ सब से जरूरी है खुद को विदेश में रहने के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना. वहां शुरुआती कुछ दिनों तक आप को हर काम में अपनी सहायता खुद ही करनी होगी, इसलिए मानसिक रूप से खुद को पहले से तैयार रखें.

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क्यों जरूरी है करियर काउंसलिंग

मीनू के पेरैंट्स उसे डाक्टर बनाना चाहते थे. पेरैंट्स के कहने पर उस ने मैडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी की, पर उस का स्कोर सही न होने की वजह से कहीं एडमिशन नहीं मिला. उस के पेरैंट्स उस से फिर मैडिकल प्रवेश की तैयारी करने को कहने लगे. लेकिन मीनू ने साफ मना कर दिया और अब वह बीएससी फाइनल में है और अच्छा स्कोर कर रही है. उस की साइंटिस्ट बनने की इच्छा है.

पेरैंट्स कुछ चाहते हैं, जबकि बच्चों की इच्छा कुछ और होती है. बिना मन के किसी भी विषय में बच्चा सफल नहीं होता है. इसलिए 12वीं कक्षा के बाद कैरियर काउंसलिंग करवा लेनी चाहिए ताकि बच्चे की इच्छा का पता चल सकें मगर कुछ हठी पेरैंट्स का जवाब बहुत अलग होता है. मसलन, कैरियर काउंसलिंग क्या है? उसे करवाना क्यों जरूरी है? पहले तो हम ने कभी नहीं करवाई? क्या हमारी बेटी पढ़ाई में कमजोर है? हम जानते हैं कि उसे क्या पढ़ना है आदि. ऐसे हठधर्मी पेरैंट्स को समझना बहुत मुश्किल होता है.

अर्ली कैरियर काउंसलिंग है जरूरी

इस बारें में पिछले 30 सालों से छात्रों की काउंसलिंग कर रहे कैरियर काउंसलर एवं डाइरैक्टर डा. अजित वरवंडकर, जिन्हें इस काम के लिए राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है. कहते हैं, ‘‘मैं बच्चों की काउंसलिंग 10वीं कक्षा से शुरू करता हूं क्योंकि कैरियर प्लानिंग का सही समय 10वीं कक्षा ही होती है.

‘‘इस कक्षा के बाद ही छात्र विषय का चुनाव करते हैं, जिस में ह्यूमिनिटीस, कौमर्स, साइंस आदि होते है. अगर कोई बच्चा डाक्टरी या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता हो और उस ने कोई दूसरा विषय ले लिया तो उसे आगे चल कर मुश्किल होगी. इसलिए इस की प्लानिंग पहले से करने पर बच्चे को सही गाइडेंस मिलती है.’’

बच्चे के 12वीं कक्षा में आने पर यह समझ लेना चाहिए कि उस ने अपने स्ट्रीम का चुनाव कर लिया है. बड़ेबड़े कैरियर औप्शन 6-7 ही होते है, जिन में डाक्टर, इंजीनियर, चार्टेड अकाउंटैंट, मैडिसिन, ला आदि हैं, लेकिन आज इंडिया में

5 हजार से अधिक कैरियर औप्शन हैं, जिन्हें वे जानते नहीं हैं, इसलिए बच्चों को परेशान होने की जरूरत नहीं.

उन्हें केवल यह पता होना चाहिए कि उन के लिए कौन सा कैरियर औप्शन सही है, जिस में वे अधिक खुश रह सकते हैं. बच्चों का वैज्ञानिक रूप से 3 बातों को ध्यान में रखते हुए कैरियर औप्शन का चुनाव करना ठीक रहता है-व्यक्तित्व, कार्यकुशलता, व्यावसायिक रुचि.

नौकरियों की नहीं कमी

व्यावसायिक रुचि के बारे में 1958 में जौन हौलैंड सोशल साइकोलौजिस्ट ने सब से पहले परिचय करवाया था. उन के अनुसार व्यक्ति उस काम को चुनता है, जिस में उस के जैसे वातावरण और काम करने वाले हों, तो उन की योग्यता और क्षमता का विकास जल्दी होगा और वे अपनी किसी भी समस्या को खुल कर कोलिंग से कहने में समर्थ होते है.

डा. अजित वरवंडकर का कहना है कि इन 3 चीजों को मिला कर कैरियर चुनना सब से अच्छा होता है. इस के अलावा 12वीं कक्षा के बाद अपने हुनर को पहचानने और उस के अनुसार पढ़ाई या वोकेशनल ट्रेनिंग भी ली जा सकती है.

हर किसी को इंजीनियर बनने की जरूरत नहीं क्योंकि हर साल हमारे देश में 17% से भी ज्यादा इंजीनियर बन रहे हैं, जबकि केवल डेढ़ लाख बच्चों को ही उस में जौब मिलती है. बाकी या तो पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे हैं या फिर लाइन बदल कर कोई दूसरा काम कर रहे हैं. इसलिए बच्चा अपने हुनर को पहले से पहचान कर पायलट, एनिमेशन ऐक्सपर्ट, रिसर्च आदि कुछ भी अपनी इच्छा के अनुसार कर सकती है, लेकिन इस की जानकारी बहुत कम बच्चों और उन के पेरैंट्स को होती है, जो कैरियर काउंसलिंग से आसानी से मिल सकती है.

इनफौर्मैशन टैक्नोलौजी में बदलाव

डा. अजित कहते हैं कि कोविड के बाद इनफौर्मेशन टैक्नोलौजी में जितना बदलाव पिछले 2 सालों में आया है, उतना कोविड न होने पर 10 सालों में भी नहीं आता. आईटी इंडस्ट्री में बच्चों को बहुत रोजगार मिला है. आगे की सारी जौब डिजिटल टैक्नोलौजी के साथ तेजी से ग्रो करेंगी. इस में जौब डिजिटल टैक्नोलौजी, डेटा ऐनालिटिक और आर्टिफिशियल इंटैलीजैंट एनेबल्ड होंगे.

अब डाक्टर्स को भी डिजिटल टैक्नोलौजी पर ही काम करना पड़ेगा. अभी 60 से 70% सर्जरी रोबोट्स कर रहे हैं, इसलिए 12वीं कक्षा पास करने वाले बच्चों के लिए मेरा सुझव है कि वे अपनी 2-3 तरीके की स्किल्स को तैयार करें, जिस में सब से जरूरी है, डाटा ऐनालिटिक्स औरबेसिक कोडिंग की स्किल्स का भी होना. मसलन, कार चलने वाले को टायर बदलना आना चाहिए.

इस के अलावा किसी भी क्षेत्र में जाने पर प्रोग्रामिंग आना चाहिए क्योंकि यही हमारा भविष्य होगा. कम्युनिकेशन भी अच्छा होना चाहिए ताकि आप की बातचीत को समझने में किसी को समस्या न हो. साथ ही बच्चे की अपने विषय पर कमांड होनी भी जरूरी है.

स्किल डैवलपमैंट है जरूरी

अजित कहते हैं कि ऐसे बहुत सारे बच्चे हमारे देश में हैं, जिन के पास वित्तीय क्षमता बहुत कम है. उन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से स्किल डैवलपमैंट की कई सुविधाए मिलती हैं. उस के अंदर भी बहुत सारे कोर्सेज चलते हैं और कोर्सेज करने की वजह से स्टाइपैंड भी मिलता है. इसलिए थोड़ा जागरूक हो कर सरकार के रोजगार विभाग में जाएं और पता लगाएं कहां क्या हो रहा है. इस में एक बात तय है कि बिना कुछ किए आप आगे नहीं बढ़ सकते. स्किल डैवलप तो करना ही पड़ेगा.

क्षेत्र के हिसाब से चुनें स्किल्स

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि अलगअलग शहरों में अलगअलग तरीके के जौब पैटर्न होते है. ऐसे में बच्चे का अपने आसपास के वातावरण को देखते हुए स्किल डैवलपमैंट करना सही रहता है. गांव कृषि प्रधान हैं, इसलिए वहां के छात्रों को कृषि से संबंधित जानकारी, खदानों में काम करने के लिए उन से जुड़ी जानकारी होने की अधिक जरूरत होती है. छोटे शहरों में रिटेल नैटवर्किंग, डिस्ट्रीब्यूशन आदि होते हैं.

इस के अलावा यह भी देखना जरूरी है कि किस क्षेत्र में किस तरह के उद्योग का विकास हो रहा है. मसलन, खनिज, बिजली, मनोरंजन इंडस्ट्री आदि में नियुक्तियों को देखते हुए अपनी योग्यता को बढ़ाना चाहिए ताकि जौब मिलने में आसानी हो. इस के लिए बच्चों का अपने क्षेत्र के बारे में जानकारी लेते रहना जरूरी है और यह उन्हें अच्छी पत्रपत्रिकाएं पढ़ते रहने से मिलती रहेगी.

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कैसे करें सही एजुकेशन प्लानिंग

हर मातापिता की यह ख्वाहिश होती है कि उन के बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले, जिस के लिए वे जीवनभर मेहनत करते हैं. लेकिन इस सब के बावजूद कई बार पेरैंट्स को पैसे की कमी के कारण बच्चे की पढ़ाई के साथ समझता करना पड़ता है. वे चाह कर भी उसे अच्छे व नामी स्कूल व कालेज में एडमिशन नहीं दिलवा पाते हैं, जिस के कारण उन के बच्चे को कैरियर औरिएंटेड ऐजुकेशन नहीं मिल पाती है.

मगर ऐसे में पेरैंट्स को यह समझना होगा कि जिस तरह से पेड़ एक दिन में फल नहीं देने लगता, बल्कि उस के लिए काफी पहले से बीजारोपण करना पड़ता है, ठीक उसी तरह बच्चे को अगर ऐजुकेशन का फल देना है तो आप समय रहते बच्चे के लिए सही ऐजुकेशन प्लानिंग करें.

आइए, जानते हैं इस के बारे में स्वास्तिका निधि के पोर्ट फोलियो इंटरप्राइजेज के ओनर सुभाशिष से-

म्यूचुअल फंड में इन्वैस्ट

अगर आज बच्चे का नर्सरी में एडमिशन करवाना है, तो वह इतना आसान नहीं है क्योंकि इस एडमिशन को करवाने के लिए लाखों चढ़ावा चढ़ाने के बाद भी पेरैंट्स को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में अगर पेरैंट्स दाखिले के समय ही पैसे जुटाने में जुटें या फिर कुछ महीने पहले तो या तो इस के लिए उन्हें किसी से कर्ज लेना पड़ेगा या फिर अपनी सेविंग तोड़नी पड़ेगी, जो उन की फ्यूचर प्लानिंग को हिला कर रख सकता है. लेकिन अगर समझदारी से काम लिया तो बच्चे का अच्छे स्कूल में एडमिशन भी हो जाएगा और साथ ही पैसों के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ेगा.

स्नेहा और रोहित दोनों ही आईटी कंपनी में काम करते हैं. अच्छीखासी सैलरी है. उस के बावजूद जैसे ही उन के घर में नन्ही परी ने कदम रखा तो उन्होंने कुछ ही महीने के बाद म्यूचुअल फंड में क्व10 हजार महीना जमा करना शुरू कर दिया, जिस से वे 3 साल में साढ़े तीन लाख रुपए के करीब जमा कर पाए और जब बच्चे के एडमिशन का समय आया तो उन के पास उसे अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए अच्छीखासी रकम जमा हो गई थी.

इस कारण न तो उन्हें उस समय परेशान होना पड़ा और न ही बच्चे के एडमिशन के साथ कोई समझता करना पड़ा. यह थी स्नेहा और रोहित की स्मार्ट प्लानिंग.

इस तरह की प्लानिंग आप भी कर के अपने बच्चे की ऐजुकेशन के बढ़ते भार से खुद को बचा सकते हैं. आप लौंग टर्म इंवेस्टमैंट के लिए डैब्ट म्यूचुअल फंड्स में भी इंवैस्ट कर सकते हैं. इन में रिस्क इक्विलिटी म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम होता है.

न्यू चिल्ड्रन मनी बैक प्लान

आज के पेरैंट्स अलगअलग पौलिसीज में इंवेस्ट तो करते हैं, लेकिन अगर यह इंवेस्टमैंट बच्चे की शिक्षा के लिहाज से सही न हो तो यह ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं होती है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देने व उस का भविष्य संवारना चाहते हैं तो उस के लिए एलआईसी की न्यू चिल्ड्रन मनी बैक प्लान लें. यह आप पर कम बोझ डाले बिना उस के लिए काफी काम की साबित होगा.

यह पौलिसी 25 साल के लिए होती है. इस की खास बात यह है कि बच्चे के लिए पौलिसी लेने की उम्र सीमा 0 से 12 साल तक है और इस में पौलिसी की मैच्योरिटी की राशि किस्तों में मिलती है यानी जब आप का बच्चा 18 साल का होता है तो 20%, 20 साल का होने पर और 20% और 22 साल का होने पर और 20% रकम दी जाती है और बची हुई 40% राशि पौलिसी के खत्म होने पर बोनस सहित दी जाती है. इस राशि का सालाना प्रीमियम भी ज्यादा नहीं होता, लेकिन इस के जरीए आप के बच्चे की शिक्षा के लिए अच्छीखासी रकम मिल जाती है.

सुकन्या समृद्धि योजना

यह केंद्र सरकार की ऐसी योजना है, जिस में आप छोटी रकम इंवेस्ट कर के भविष्य में बच्ची की पढ़ाई के लिए अच्छीखासी रकम जमा कर सकते हैं. यह योजना आमतौर पर उन पेरैंट्स के लिए ज्यादा लाभकारी है, जिन की आमदनी ज्यादा नहीं है और जो छोटीछोटी बजट ही कर सकते हैं. ध्यान रखें कि यह योजना लड़कियों के लिए है.

लेकिन इस योजना का लाभ आप तभी उठा सकते हैं जब आप अपनी बेटी के जन्म लेने के 10 साल के भीतरभीतर इस योजना में ऐनरोल कर लें. इस के लिए अकाउंट खोलने के लिए भारीभरकम रकम की जरूरत नहीं होती है बल्कि 250 रुपए ही काफी हैं.

इस में आप सालाना डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा जमा नहीं करवा सकते. यदि आप साल के 10 हजार रुपए इस में जमा करते हैं तो आप को योजना के तहत अंत में 4 लाख रुपए तक मिल जाएंगे. ज्यादा पैसे जमा करने पर ज्यादा लाभ मिलेगा. बच्ची जब 18 साल की हो जाए तो वह इस राशि का इस्तेमाल पढ़ाई में कर रही है, इस का प्रमाण दे कर पेरैंट्स जमा राशि को निकाल सकते हैं.

इस तरह यह योजना पेरैंट्स को बच्चों की शिक्षा में मदद करने में अहम रोल निभा रही है. अभी बचत भले ही छोटी हो रही है, लेकिन लौंग टर्म के बाद आप को रकम लाखों में मिलेगी. यह पूरी तरह से टैक्स फ्री है.

फिक्स्ड डिपौजिट

पेरैंट्स में एफडी यानी फिक्स्ड डिपौजिट सेविंग का बहुत ही पौपुलर माध्यम है क्योंकि इस में गारंटी रिटर्न मिलने के साथसाथ रिस्क भी न के बराबर ही होता है और आप आसानी से अपनी इंवेस्टमैंट को विदड्रा भी कर सकते हैं. अलगअलग बैंक में अलगअलग तरह की फिक्स्ड डिपौजिट प्लान होती है. यह आप देख लें कि किस बैंक में खाता खुलवाने से लौंग टर्म में आप को ज्यादा फायदा होगा.

लेकिन बच्चे को इस का लाभ एफडी पूरी होने या फिर 18 वर्ष के बाद ही मिल पाएगा. इस से जमा रकम को पेरैंट्स अपने बच्चे के पसंद के कोर्स, एडमिशन व हायर ऐजुकेशन में लगा सकते हैं.

स्मार्ट चैंप इंश्योरैंस प्लान

एसबीआई की स्मार्ट चैंप इंश्योरैंस प्लान नाम से ही स्मार्ट नहीं है, बल्कि यह सच में बच्चों की पढ़ाई में स्मार्ट रोल निभा रही है. यह पेरैंट्स की बच्चों की शिक्षा संबंधित चिंता को दूर करने में मददगार है. इस में पेरैंट्स लंबी अवधि के लिए पैसा लगा कर उन की शिक्षा के लिए अच्छीखासी रकम जमा कर सकते हैं और इस का प्रीमियम भी अपनी सुविधा के अनुसार सालाना, मासिक, त्रिमाही किसी भी तरह से भर सकते हैं.

लेकिन शर्त यह होती है कि पौलिसी लेने वाले की उम्र 21 से 50 के बीच होनी चाहिए और बच्चे की 0 से 13 वर्ष के बीच. लेकिन स्कीम बच्चे के 21 साल के होने पर ही मैच्योर होती है, जिसे आप बच्चे की हायर ऐजुकेशन, उस की फीस बगैरा पे करने में लगा सकते हैं. इस पौलिसी का फायदा यह भी है कि कोई दुर्घटना होने पर आप के परिवार को संकट से निबटने के लिए एकमुश्त राशि भी मिल जाती है. साथ ही यह स्कीम लेने से आप को टैक्स में भी छूट मिलती है.

पीपीएफ

पीपीएफ में पैसे इंवैस्ट करने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं. लेकिन अगर आप इस में अपने बच्चे की ऐजुकेशन के लिए इंवैस्ट कर रहे हैं, तो आप का यह निर्णय बिलकुल सही है क्योंकि सिर्फ इंवैस्ट करने से काम नहीं चलता बल्कि सही समय पर सही स्कीम में इंवैस्ट करना भी बहुत जरूरी होता है.

यह स्कीम 15 साल की होती है और बैंकों के मुकाबले इस का इंटरैस्ट रेट भी काफी ज्यादा होता है. यहां तक कि आप सैक्शन 80सी के तहत इस में डेढ़ लाख तक टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. इस में आप अकाउंट 500 रुपए से खुलवा सकते हैं और सलाना खाते में डेढ़ लाख तक जमा कर सकते हैं. आप को इस स्कीम में इंवैस्ट करने का फायदा यह है कि स्कीम के मैच्योर होने पर आप को जितना ज्यादा जमा करेंगे, उतनी ज्यादा आप को रकम मिल जाएगी, जो आप के बच्चे की ऐजुकेशन में मदद कर उसे अच्छी शिक्षा दिलवाने में सहायक है.

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शादी के बाद ऐसे बनाएं कैरियर

भारत की बात करें तो यहां आज भी काफी महिलाओं को शादी के कारण अपनी पढ़ाई, अपने कैरियर को बीच में ही ड्रौप करना पड़ता है क्योंकि कभी पेरैंट्स उन्हें शादी में इतना खर्च आएगा यह कह कर उन के सपनों को उड़ने से पहले ही उन के पंख काट देते हैं तो कभी यह कह कर उन के कैरियर को बीच में ही छुड़वा देते हैं कि ये सब शादी के बाद करना और जब शादी के बाद वे अपने अधूरे सपने या कैरियर को पूरा करने की बात कहती हैं तो परिवार उन्हें यह कह कर चुप करवा देता है कि अब घरपरिवार ही तुम्हारी जिम्मेदारी है.

ऐसे में बेचारी लड़की कर ही क्या सकती है. बस बेबस हो कर रह जाती है. लेकिन इस बीच परिवार ये ताने कसे बिना रह नहीं पाता कि तुम करती ही क्या हो, कमाता तो हमार बेटा ही है. ऐसे में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपनी लड़ाई आप को खुद लड़ने की जरूरत है ताकि आप खुद को आत्मनिर्भर बना सकें.

सीरियल ‘अनुपमा’ में रूपाली गांगुली जो अनुपमा का किरदार निभा रही है, उसे डांस का बहुत शौक था. वह स्टेज परफौरर्मैंस करने के साथ खुद की अकादमी भी खोलना चाहती थी. उसे शादी के बाद अपने हुनर को दिखाने के लिए विदेश जाने का भी मौका मिला, लेकिन पति, सास की सपोर्ट न मिलने के कारण उसे अपने इस हुनर को मसालों के डब्बों में ही बंद कर के रखना पड़ा और बाद में यह भी सुनने को मिला कि तुम करती ही क्या हो.

मगर जब अनुपमा को समझ आया कि घरपरिवार के साथसाथ कैरियर, पैसा, नाम कितना जरूरी है तो उस ने बच्चों के सैटल होते ही अपनी हिम्मत के दम पर छोटे से सैटअप के साथ अपनी डांस अकादमी खोली और आज उसे विदेशों में भी स्टेज परफौर्मैंस करने के कौंट्रैक्ट मिल रहे हैं.

भले ही यह वर्चुअल कहानी है, लेकिन हकीकत में भी ऐसी अनेक कहानियां आप को मिल जाएंगी, जो आप को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी.

तो आइए जानते हैं आप अपने अधूरे कैरियर को कैसे पूरा करें. हर व्यक्ति के अपने सपने, अपने कैरियर एरिया होते हैं. इसे वे अपने इंटरैस्ट के हिसाब से चुनती व पूरा करती हैं. ऐसे में अगर आप का भी शादी के कारण कैरियर या डिगरी अधूरी रह गई है तो उसे जरूर पूरा करें क्योंकि आज पुरुष व महिला दोनों को बराबरी के राइट व अपने मुताबिक जीने का अधिकार है.

अपनी अधूरी डिगरी को पूरा करें

हो सकता है कि आप अपनी रुचि का प्रोफैशनल कोर्स कर रही हों, लेकिन पेरैंट्स के शादी के प्रैशर के कारण आप को अपने उस कोर्स को बीच में ही छोड़ना पड़ गया हो, जिस के कारण आप काफी परेशान भी रही होंगी. लेकिन अब मौका है कि आप अपनी उस अधूरी डिगरी को पूरा करें. हो सकता है कि घर से सपोर्ट न मिले और अब ससुराल वाले यह कह कर

फिर मना करें कि तुम्हारी पढ़ाई के कारण घर बिखर जाएगा.

तब आप उन्हें समझाएं कि अब सिर्फ बाहर जा कर ही कोर्स नहीं होता बल्कि आजकल अधिकांश कोर्सेज को औनलाइन घर बैठे भी करने की सुविधा है. इस से घर भी देख लूंगी और अपना कोर्स भी पूरा कर पाऊंगी और इस कोर्स के बाद अगर अच्छीखासी नौकरी मिल गई तो फिर तो डबल इनकम से बच्चों के और बेहतर कैरियर में भी सहायता मिलेगी. फिर अब तो बच्चे भी बड़े व समझदार हो गए हैं. अब मुझे भी खुद आत्मनिर्भर बनना है ताकि छोटीछोटी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ न पसारने पड़ें. अपने बच्चों के लिए कुछ करना है.

यकीन मानिए आप का इस तरह से खुद के बारे में सोचना आप को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगा. इस से आप का अधूरा सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही आप का कौन्फिडैंस भी बढ़ेगा.

टीचिंग में रुचि

आप की शुरू से ही टीचर बनने की इच्छा थी. लेकिन परिवार में पैसों की तंगी की वजह से आप अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं. लेकिन अब जब परिवार संपन्न है और किसी तरह की कोई दिक्कत भी नहीं है तो आप अपनी इस कैरियर इच्छा को जरूर पूरा करें.

इस के लिए आप ऐसे कोर्सेज सर्च करें जो औनलाइन व औफलाइन दोनों सुविधाएं हों और जिन में ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिकल नौलेज दी जाती हो, साथ ही कोर्स खत्म होने के बाद आप को उन्हीं की तरफ से प्लेसमैंट भी मिल जाए. इस से फायदा यह होगा कि आप का टीचिंग कोर्स भी हो जाएगा और आप को जौब भी मिल जाएगी. भले ही शुरुआत में सैलरी थोड़ी कम मिले, लेकिन यह कदम आप के आगे बढ़ने में काफी अहम रोल निभाएगा.

टैलेंट को पहचानें

हर व्यक्ति में कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है, बस उसे पहचान कर निखारने की जरूरत होती है. ऐसे में आप में जो भी टैलेंट है जैसे ट्यूशन पढ़ाने का, अलगअलग तरह की डिशेज बनाने का शौक है, अच्छी स्टिचिंग कर लेती हों, अच्छी ड्राइंग बनाने का शौक है तो आप अपने अंदर छिपे इस टैलेंट को अपने अंदर ही समेट कर न रखें बल्कि शादी के बाद उस में अपना कैरियर बनाएं.

आप इस के लिए या फिर इस में कोर्स कर के और अपनी स्किल्स को निखार सकती हैं या फिर आप अगर इन की अच्छीखासी जानकार हैं तो शुरुआत में छोटे स्तर पर बिजनैस शुरू करें, फिर जैसेजैसे डिमांड बढ़े आप अपने इस हुनर से अपने बिजनैस को बड़े स्तर पर ले जा सकती हैं, जिस से आप पैसा व नाम दोनों कमा सकती हैं और आप का टैलेंट भी बरबाद नहीं जाएगा.

स्टार्टअप की शुरुआत

आज जिस तरह से स्टार्टअप का क्रेज बढ़ता जा रहा है, वह अपनेआप में एक बड़ा बदलाव है. ऐसे में अगर आप को भी मार्केटिंग की अच्छीखासी जानकारी है, नएनए आइडियाज आप के दिमाग में आते रहते हैं, जो काफी काम के साबित हो सकते हैं, तो आप बिजनैस की और अच्छी जानकारी लेने के लिए कोर्स कर सकती हैं या फिर अगर आप ने इस का कोर्स पहले ही किया हुआ है तो आप और लोगों को इस से जोड़ कर अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकती हैं. अगर आप के आइडियाज काम आ गए फिर तो इन के जरीए आप अपनी अच्छीखासी पहचान बना सकती हैं.

एचआर जौब

आप को कौरपोरेट कंपनीज में काम करने का शौक है और इस के लिए आप ने ह्यूमन रिसोर्स में एमबीए भी कर लिया, लेकिन जब इस में जौब की बारी आई तो घर वालों ने आप की शादी तय कर दी, जिस के कारण आप की डिगरी रखी की रखी रह गई.

अकसर कैरियर को ले कर जो सपने हम ने संजोए होते हैं, अगर वे पूरे नहीं होते तो हमारे अरमानों पर पानी फिर जाता है. ऐसे में अब जब आप शादी के बाद खुद के लिए समय निकाल पा रही हैं या फिर चीजें मैनेज कर पा रही हैं तो एचआर जौब कर के अपने कैरियर को पटरी पर लाएं या फिर इस में और एडवांस्ड कोर्स कर के खुद को और अपडेट कर के अच्छी नौकरी हासिल करें.

बता दें कि एक तो इस जौब के टाइमिंग काफी सूट करने वाले होते हैं, साथ ही यह जौब काफी सम्मानीय भी होती है. इस तरह आप जौब कर के अपने एचआर बनने के सपने को साकार कर सकती हैं.

फ्रीलांस वर्क

अगर आप को पढ़नेलिखने का शुरू से ही बहुत शौक रहा है, लेकिन आप परिवार की मजबूरियों व शादी हो जाने के कारण अपने इस जनून को पूरा नहीं कर पाई हैं, तो अभी भी देर नहीं हुई है क्योंकि आज कंटैंट राइटिंग के लिए ढेरों फ्रीलांस वर्क करने का औप्शन है, जिस में आप अपनी लेखन की कला को दिखा कर अच्छाखासा पैसा कमा सकती हैं.

एक बार आप के लेखन ने गति पकड़ ली, फिर तो यकीन मानिए आप के पास अवसरों की कमी नहीं रह जाएगी. इस से आप का शादी व बाकी मजबूरियों के चलते अधूरा सपना भी पूरा हो जाएगा और आप खुद को आत्मनिर्भर भी बना पाएंगी. बस जरूरत है अपने

अधूरे सपने, कैरियर, डिगरी को पूरे जज्बे के साथ पूरा करने की.

एयरहोस्टेस जौब

एयरहोस्टेस की जौब को काफी ग्लैमरस जौब माना जाता है. इस के लिए अच्छी पर्सनैलिटी होने के साथसाथ बौडी लैंग्वेज पर अच्छी कमांड होना भी बहुत जरूरी होता है. ऐसे में अगर आप ने शादी से पहले एयरहोस्टेस का कोर्स तो कर लिया, लेकिन जैसे ही जौब की बारी आई तो परिवार वालों ने कहीं रिश्ता तय कर दिया, जिस के कारण आप की इस फील्ड में जौब करने की ख्वाहिश धरी की धरी रह गई.

लेकिन अब जब चीजें सैटल हैं और आप की उम्र भी अभी ज्यादा नहीं है तो फिर एयरहोस्टेस बन कर अपने सपनों को ऊंचाइयों तक पहुंचाएं. अच्छीखासी सैलरी व माननीय जौब न सिर्फ आप के सपने को पूरा करेगी बल्कि आप भी घर में बराबर का सहयोग दे पाएंगी, जो आज के समय की जरूरत है.

दहेज जमा न कर लड़की को पढ़ाएं

आज भी हमारे देश में आप को अनेक परिवार ऐसे मिल जाएंगे, जो अपनी लड़की की शादी के लिए दहेज तो जमा करते हैं, लेकिन बेटी अगर अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के बारे में उन से बात करती है तो वे यह कह कर टाल देते हैं कि तुम्हारी शादी के लिए पैसा जमा करें या फिर तुम्हें पढ़ाएं. तुम्हें तो वैसे भी दूसरे घर जाना है तो पढ़लिख कर क्या करोगी.

ऐसे में दहेज लड़कियों के आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा बन कर खड़ा हुआ है, जबकि पेरैंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप अपनी लड़की को इतना शिक्षित कर दोगे तो आप को शादी में दहेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. वह जरूरत पड़ने पर किसी पर निर्भर नहीं रहेगी बल्कि खुद को व अपनों को भी पाल लेगी. इसलिए दहेज  जमा करने से ज्यादा अपनी लड़की को पढ़ाने पर ध्यान दें.

सक्सैसफुल स्टोरी

मैं इंदौर की रहने वाली थी. मेरी शादी दिल्ली में हुई. पति रमेश की जौब काफी अच्छी है. शादी के 2 साल बाद ही मैं एक बेटे की मां बन गई, जिस कारण मुझे अच्छीखासी आईटी की जौब छोड़नी पड़ी. आखिर होता भी यही है कि पत्नी को ही परिवार व बच्चों की खातिर अपने कैरियर को छोड़ना पड़ता है. दुख बहुत हुआ, लेकिन मजबूर थी कुछ कर नहीं सकती थी. धीरेधीरे 5-6 साल बीत गए. मेरा प्रोफैशनल कैरियर किचन व घर तक ही सीमित हो कर रह गया. मुझे हर चीज के लिए पति पर निर्भर रहना पड़ता था जो मुझे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था. फिर एक दिन मैं ने फैसला लिया कि अब मैं दोबारा से कैरियर में कमबैक करूंगी.

शुरू में परिवार में किसी की भी सपोर्ट नहीं मिली, लेकिन जब मैं कैरियर से समझौता नहीं करने के मूड पर अड़ गई तो मुझे जौब करने की परमिशन भी मिल गई. आज मैं फैमिली, बच्चे व जौब सब को अच्छे से हैंडल कर रही हूं. मुझे कैरियर में भी काफी ऊंचाइयां मिल रही हैं. कहने का मतलब यह है कि अगर आप चीजों को मैनेज करना सीख गए और कुछ करने की ठान ली, फिर तो आप को उड़ने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन अगर आप ने अपने सपनों के आगे घुटने टेक दिए, फिर तो आप के पास आगे पछताने के कुछ नहीं बचेगा.

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Nail Art: आमदनी का खूबसूरत जरिया

कहते हैं कि खूबसूरत और मजबूत नाखून अच्छी सेहत की निशानी होते हैं, इसलिए ये शरीर के बहुत जरूरी अंग माने जाते हैं. युवा महिलाओं में तो इन्हीं नाखूनों यानी नेल्स की एक अलग ही सतरंगी दुनिया होती है जो उन की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. तभी तो महिलाएं अपने नेल्स के साथ खूब ऐक्सपैरिमैंट भी करती रहती हैं.

यही वजह है कि अब साधारण नेल पौलिश की जगह नेल आर्ट ने ले ली है और ब्यूटीपार्लर में बाकायदा महिला अथवा पुरुष नेल आर्टिस्ट या टैक्नीशियन होते हैं जो किसी फंक्शन या महिला की उम्र के मुताबिक नेल्स को शेप और स्टाइल देते हैं और उन में दिलकश रंग भी भरते हैं.

क्या है नेल आर्ट

अब सवाल उठता है कि नेल आर्ट क्या है? क्या इसे कोई भी कर सकता है या इस के लिए कोई प्रोफैशनल डिप्लोमा या कोर्स आदि भी किया जाता है? इन सवालों के जवाब फरीदाबाद, हरियाणा की नेल टैक्नीशियन अर्चना सिंह ने दिए, जिन्होंने औराने इंटरनैशनल ऐकैडमी, लाजपतनगर, नई दिल्ली से नेल आर्ट में डिप्लोमा किया है जिसे प्रोफैशनल भाषा में ‘डीएन डिप्लोमा इन नेल टैक्नोलौजी’ कहा जाता है. इस डिप्लोमा कोर्स की अवधि 45 दिनों की होती है.

अर्चना सिंह ने अपना यह कोर्स पूरा करने के बाद नई दिल्ली के साकेत में स्थित सलैक्ट सिटी वाक मौल में एक आउटलेट ‘नेल ऐंड मोर’ में 1 महीने की ट्रेनिंग की थी और उस के बाद लगभग 6 महीने तक वहीं पर इंटर्नशिप भी की थी.

अपनी ट्रेनिंग और इंटर्नशिप पूरी करने के बाद अर्चना सिंह ने 6 महीने तक एक सैलून में काम किया था और वहां काफीकुछ सीखने के आधार पर वे अब फ्रीलांसिंग के साथसाथ ‘ड्यूड्स ऐंड डौल्स’ में भी बतौर एक नेल टैक्नीशियन काम कर रही हैं.

अर्चना सिंह ने बताया, ‘‘हमारी सोसाइटी में जब मेकअप या ग्रूमिंग की बात की जाती है तो महिलाएं सिर्फ अपने चेहरे, बालों या फिजिकल लुक के बारे में ही सोचती हैं या उस पर ध्यान देती हैं जोकि बिलकुल सही है. लेकिन आमतौर पर ज्यादातर महिलाएं अपने हाथों और पैरों के बारे में न तो बहुत ज्यादा सोचती हैं और न ही उन के लिए किसी तरह की मेकअप सर्विस का इस्तेमाल करती हैं.

‘‘वे अकसर इस बात पर ध्यान नहीं देतीं कि हमारे हाथों की स्किन की संरचना इस प्रकार की है कि अगर इन पर ध्यान न दिया जाए तो ये ही सब से पहले हमें बूढ़ा करना शुरू करते हैं और वहां की स्किन पर झुर्रियां पड़ जाती हैं.

‘‘नेल आर्ट अपने हाथों को सजाने और उन्हें बेहतर तरीके से प्रेजैंट करने का एक बहुत खूबसूरत तरीका है. मैं तो यही कहूंगी की नेल आर्ट बेसिकली सैल्फकेयर है.

‘‘नेल आर्ट के साथ बहुत सी चीजें जुड़ी हैं, जिन में सब से पहले आता है ‘नेल केयर’ और ‘नेल केयर’ की सर्विसेज आप को ‘मैनीक्योर’ और ‘पैडीक्योर’ से मिल सकती हैं. उस के बाद नैचुरल नेल्स को भी सजा सकती हैं. इस के लिए मार्केट में बहुत से प्रोडक्ट्स मिल जाते हैं जैसेकि नेल पेंट्स या फिर आप किसी पेशेवर नेल सैलून में जा कर अपने नेल्स पर नेल आर्ट या नेल ऐक्सटैंशन भी करवा सकती हैं.’’

ट्रैंड में है

वैसे तो काफी समय से महिलाएं अपने नेल्स पर नेल पौलिश लगाती आ रही हैं, पर नेल आर्ट ने इस बाजार को और बड़ा बना दिया है. इस से दिमाग में एक सवाल जरूर उठता है कि नेल आर्ट कैसे ट्रैंड में आया है?

अर्चना सिंह ने बताया, ‘‘अगर हम कुछ समय पहले की बात करें तो तब नेल आर्ट महिलाओं में बहुत ज्यादा पौपुलर नहीं था, लेकिन समय के साथसाथ उन में अपनी सैल्फकेयर को ले कर जागरूकता आ रही है और अब वे नेल आर्ट की तरफ आकर्षित हो रही हैं.

‘‘नेल आर्ट उन महिलाओं के लिए बहुत सहायक साबित हो रहा है, जिन के नैचुरल नेल्स में कुछ दिक्कतें होती हैं. ये समस्याएं उन की नेल्स की ग्रोथ या फिर उन के नेल्स के दिखने से जुड़ी हो सकती हैं. लेकिन नेल आर्ट इंडस्ट्री में लगातार और बहुआयामी इनोवेशन आने से आज मार्केट में बहुत सारे साधन मौजूद हैं, जिन के इस्तेमाल से महिलाओं के नेल्स लंबे समय तक मैंटेन रहते हैं.’’

नेल आर्ट का अभी कौन सा ट्रैंड चल रहा है? इस सवाल के जवाब में अर्चना सिंह ने बताया, ‘‘आज के समय में नेल आर्ट इंडस्ट्री ने काफी तरक्की कर ली है और आज मार्केट में कस्टमर को बहुत सारे प्रोडक्ट्स और सर्विस मिल जाती है.

‘‘वर्तमान में नेल इंडस्ट्री में ‘ऐक्रिलिक’ और ‘जैल’ नेल्स का बहुत ज्यादा ट्रैंड है. ये दोनों अलगअलग प्रकार के कंपोजिट होते हैं जिन से नेल्स का बेस तैयार किया जाता है. अगर आप को लेम नाखून पसंद हैं, लेकिन आप के नाखून कुदरती कुछ कम लंबे हैं तो आप ‘नेल ऐक्सटैंशन’ करवा कर मनमुताबिक नाखून पा सकती हैं.

‘‘अगर कोई महिला किसी प्रोफैशनल नेल टैक्नीशियन या आर्टिस्ट से किसी भी तरह की सर्विस लेती है तो 3 से 4 हफ्तों तक उस के नेल्स बिलकुल अच्छी तरह से मैंटेंड रहेंगे और उसे बारबार अपने नेल आर्टिस्ट के पास चक्कर नहीं लगाने पड़ेगे.’’

कितना खर्चा आता है

अब सवाल यह है कि नेल आर्ट पर कितना खर्चा आता है?

अर्चना सिंह ने बताया, ‘‘नेल आर्ट में बहुत तरह की सर्विस दी जाती हैं और बहुत ही अलगअलग तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी किया जाता है. प्रोडक्ट्स की क्वालिटी भी कई तरह की होती है और मार्केट में कई रेंज में उपलब्ध हैं.

‘‘अगर आप एक प्रोफैशनल नेल टैक्नीशियन से नेल आर्ट से जुड़ी कोई सर्विस लेती हैं जैसेकि नेल ऐक्सटैंशन, जैल पौलिश तो इस का खर्चा करीब ₹12 सौ से ₹15 सौ तक आना चाहिए (यह अनुमानित खर्चा है. यह निर्भर करता है कि आप किस तरह का प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे हैं).’’

चूंकि नेल आर्ट का चलन बहुत ज्यादा बढ़ रहा है तो बहुत सी लड़कियां इस में अपना कैरियर बनाना चाहती हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि वे नेल टैक्नीशियन कैसे बन सकती हैं और इस प्रोफैशन का आगे स्कोप क्या है?

ग्रूमिंग का अभिप्राय

अर्चना सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘नेल आर्ट आज के समय में ग्रूमिंग का अभिप्राय बन चुका है और यह एयरलाइंस इंडस्ट्री में एयर होस्टेस और कैबिन क्रू, होटल इंडस्ट्री, कौरपोरेट सैक्टर इत्यादि में काफी ट्रैंडी है. इस के साथसाथ नेल आर्ट शादीविवाह समारोह या घर के दूसरे कार्यक्रमों के समय कराया जाता है.

‘‘नेल टैक्नोलौजी एक कौस्मैटोलौजी का हिस्सा है. आज के समय में आप कौस्मैटोलौजी ऐकेडमी को अपनी पढ़ाई के एक विषय के तौर पर चुन सकती हैं, जो कई स्कूल और कालेज में उपलब्ध विषय है. कई कालेजों में तो इसे आप अपने मेन सब्जैक्ट की तरह भी चुन सकती हैं. बहुत सारे प्रोफैशनल और अनुभवी नेल आर्टिस्ट अपना नेल आर्ट स्कूल भी चलाते हैं. आप उन से भी यह काम सीख सकती हैं.

‘‘नेल आर्टिस्ट या टैक्नीशियन बनने के लिए सब से पहले एक ट्रेनिंग की जरूरत होती है. एक प्रोफैशनल सर्टिफाइड नेल टैक्नीशियन कोर्स की फीस ₹50 हजार से ले कर ₹80 हजार के बीच हो सकती है. यह जगह के आधार पर कम या ज्यादा भी हो सकती है.

‘‘नेल आर्ट के काम में शुरुआत में एक नेल टैक्नीशियन को करीब ₹12 हजार से ₹15 हजार तक की मासिक सैलरी मिल सकती है. 2-4 वर्ष के अनुभव के बाद यह सैलरी ₹18 हजार से ₹30 हजार तक जा सकती है और भविष्य में इस पेशे में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं.’’

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