धारावाहिक मेरे डैड की दुल्हन में निया शर्मा की भूमिका निभाकर चर्चित हुई 24 वर्षीय अभिनेत्री अंजलि ततरारी का जन्म उत्तराखंड की पिथौरागढ़ में हुआ. जब वह केवल 4 साल की थी, उनके पिता की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी, इसके बाद उनकी माँ मोना ततरारी मुंबई आकर हिंदी और संस्कृत की अध्यापिका बनी और अंजलि की परवरिश की. अंजलि पढाई के साथ-साथ फैशन ब्लॉगर और कई विज्ञापनों में भी काम करती रही. इसके बाद उन्हें ऑडिशन के द्वारा अभिनय का मौका मिला. अभी अंजलि सोनी टीवी पर शो ‘सरगम की साढ़ेसाती’ में सरगम की मुख्य भूमिका निभा रही हैं, जिसमे इमोशन के साथ-साथ कॉमेडी भी है. अंजलि के लिए ये भूमिका किसी चुनौती से कम नहीं. चुलबुली और हंसमुख स्वभाव की अंजलि से बात करना रोचक था, आइये जाने क्या कहती है वह अपने बारें में.
सवाल-इस चरित्र ने आपको कैसे प्रेरित किया?
पहली वजह ये थी कि ये एक कॉमेडी शो है, मैंने पहले कभी किया नहीं है. बहुत कम अवसर होता है, जब किसी कलाकार को अलग-अलग भूमिका निभाने का मौका मिलता है. इसके अलावा ये शो एक प्रोग्रेसिव विचारों वाला है, जो मुझे पसंद है. साथ ही इसकी कांसेप्ट और कहानी दोनों फ्रेश है. साढ़ेसाती से यहाँ साढ़ेसात परिवार के सदस्यों से है.
सवाल-ये भूमिका आपसे अलग है, आपको कितनी तैयारी करनी पड़ी?
ये वास्तव में मुझसे अलग भूमिका है, क्योंकि रियल लाइफ में मैंने कभी भी इतने बड़े परिवार की जिम्मेदारी नहीं ली है, क्योंकि अभी मैं छोटी हूं. इसलिए मुझे पर्सनालिटी और रिलेशनशिप पर काम किया. इसमें दद्दू, ससुर, देवर, पति आदि सबके साथ एक अलग सम्बन्ध दिखाया गया है, जो मुश्किल रहा. इसके अलावा कॉमेडी में टाइमिंग और पेस का सही होना जरुरी होता है, जो मैं अनुभव के साथ ही अच्छा कर पा रही हूं. कुछ लोगों को लगता है कि कॉमेडी आसान है, लेकिन सबसे अधिक कठिन है. एक दृश्य को बार-बार रिटेक करने पर उसकी पंच लाइन के चले जाने का डर रहता है.
सवाल-उत्तराखंड से मुंबई कैसे आना हुआ?
काफी पर्सनल बातें है, जिसे मैं शेयर करने में कम्फ़र्टेबल नहीं हूं. पारिवारिक समस्या के चलते मुझे और मेरी माँ को मुंबई आना पड़ा, लेकिन अब लगता है कि अभिनय ही मेरी डेस्टिनी रही है, क्योंकि मुझे बचपन में डांस बहुत पसंद था. स्कूल की सारी एक्टिविटीज में मैं हमेशा भाग लेती थी. वहां रहकर मेरी क्रिएटिविटी का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता. मुंबई आने का कोई प्लान नहीं था. मुंबई में मैं अपने अंकल के पास आई और पढाई पूरी करती रही. सी ए की परीक्षा दी, पर मुझे ये सब करना पसंद नहीं था. मैंने ऑडिशन देना शुरू कर दिया. मुझे कैमरे के आगे ऑडिशन देने में भी बहुत मजा आता था और रिजेक्शन होने से भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था. तब मुझे लगा कि कैमरे के सामने मुझे रहना अच्छा लगता है और यही मेरे काम करने का फील्ड है.
सवाल-पहला ब्रेक कब और कैसे मिला?
मैंने अभिनय में कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, मुझे अपना प्रोफाइल बनाना भी नहीं आता था. सबसे पूछकर मैंने अपनी प्रोफाइल बनायीं है और हर रिजेक्शन से मैंने अभिनय सीखा है. शुरुआत मैंने कई बड़े-बड़े विज्ञापनों से किया है, लेकिन टीवी पर काम करने से जितना एक्सपोजर मिलता है, उतना किसी दूसरे माध्यम में नहीं मिलता. मैंने टीवी शो से पहले एक अच्छी वेब शो में भी काम किया है, लेकिन लोगों ने मुझे शो मेरी डैड की दुल्हन की निया के चरित्र से पहचानना शुरू किया. ये चरित्र मेरे दिल के पास हमेशा रहेगा, क्योंकि इसमें कई सारे इमोशन जुड़े हुए है. निया के चरित्र में मुझे एक दो दिन के बाद ग्लिसरीन प्रयोग करने की जरुरत नहीं पड़ी.
सवाल-मुख्य भूमिका होने पर कितना प्रेशर रहता है?
मुख्य भूमिका हो या आंशिक, मेरे काम में ईमानदारी और नर्वसनेस काम के प्रति हमेशा रहा है. ये जरुरी भी है, क्योंकि जिस काम के लिए दर्शक इतना प्यार देते है, शो को देखते है, उसे मैं हल्के में नहीं ले सकती.
सवाल-आपके यहाँ तक पहुँचने में परिवार का सहयोग कितना रहा?
मैं एक छोटे हिल स्टेशन पिथौरागढ़ से हूं, जहाँ किसी ने इस क्षेत्र को देखा नहीं है. उनके लिए मुझे हमेशा सहयोग देना बड़ी बात रही है. जब मैंने सी ए किया, तब वे सपोर्टिव थे और जब नहीं किया तब भी सहयोग दिया. मेरी माँ सिंगल पैरेंट होकर भी मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने दी. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है. जितनी कठिन उनकी जर्नी थी, उतनी ही सहज उन्होंने मेरी जर्नी बनाई है. आगे मैं उनके लिए एक स्मूथ जीवन बनाना चाहती हूं. माँ की सादगी और सबसे मेल-मिलाप बनाये रखने को मैं अपने जीवन में उतरना चाहती हूं.
सवाल-कितना संघर्ष रहा? क्या कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?
संघर्ष से ही मैंने एक्टिंग सीखा है, इसलिए मैं उसे संघर्ष से अधिक चुनौती और हार्ड वर्क कहना चाहती हूं. ये चुनौती हर क्षेत्र में होती है. शुरू में बहुत रिजेक्शन मिला है, क्योंकि मुझे कैमरे को फेस करना, लाइटिंग की जानकारी, अभिनय कुछ भी नहीं आता था, इसलिए मुझे संघर्ष को ग्रूमिंग मानती हूं.
ऐसे काफी लोग मनोरंजन की दुनिया में मिलते है, जिनका इरादा कुछ और होता है. शुरू-शुरू में कई बार लोग बुला लेते थे और घंटो कॉफ़ी हाउस में बैठकर फिल्म और शो के बारें में चर्चा करते थे. मुझे समझ में आ गया कि यहाँ समय नष्ट करने के वजाय कई घंटे लाइन में खड़े होकर ऑडिशन देने में ही भलाई है.
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सवाल-क्या हिंदी फिल्मों में आने की इच्छा रखती है?
मुझे फिल्मों से अधिक वेब सीरीज में काम करने की इच्छा है, लेकिन मैने अभी दो साल टीवी में रहने का निर्णय लिया है. टीवी में पैसे के अलावा प्रसिद्धी भी मिलती है. मैं अभी थोडा स्टाब्लिश होने के बाद आगे एक्स्प्लोर करुँगी. मुझे इरफ़ान खान के साथ काम करने की इच्छा थी, पर दुर्भाग्य से वे अब नहीं रहे. मुझे निर्देशक इम्तियाज अली के निर्देशन में फिल्म करने की बहुत मन है. उनकी सारी फिल्मे मैंने देखी है.
सवाल-क्या महिला दिवस पर कोई मेसेज देना चाहती है?
मैं यूथ को कहना चाहती हूं कि सभी लड़के और लड़कियां कोरोना से बचने के लिए दिए गए गाइड लाइन्स को फोलो करें, क्योंकि फिर से इसका संक्रमण बहुत बढ़ गया है. इसके अलावा अगर आपमें प्रतिभा है तो आपको किसी गॉडफादर की जरुरत नहीं, मैंने भी घंटो लाइन में खड़े होकर ऑडिशन दिया है और यहाँ पहुंची हूं. मेहनत और धीरज से ही आपको सबकुछ मिल सकता है.