तलाक का दर्द किसी को भी तोड़ सकता है भले ही वह साधारण मध्यमवर्गीय इंसान हो या सुपरस्टार. हाल ही में सैफ अली खान ने भी अपने तलाक का दर्द बयां किया था. 2004 में तलाक के बाद वे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे. पत्नी अमृता ने सालों तक उन्हें बच्चों से दूर रखा था. बकौल सैफ तलाक दुनिया की सब से बुरी चीज़ है. तलाक हर लिहाज से बुरा होता है. खास कर तब जब आप की फैमिली में बच्चे हों. सैफ के मुताबिक कुछ चीजें कभी ठीक नहीं हो सकतीं हैं. तलाक और उस के बाद का समय उन के जीवन का काफी बुरा दौर था. उस दौरान वे मानसिक रूप से बहुत परेशान रहे थे .
इसी तरह कुछ समय पहले बिग बॉस 13 की कंटेस्टेंट रही रश्मि देसाई जो टीवी इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं ने भी तलाक के दर्द को बयां किया था. उन्होंने स्वीकारा कि पति नंदीश संधू के साथ तलाक के दौरान वह डिप्रेशन का शिकार हो गईं थीं. बकौल रश्मि वह समय उन के लिए बहुत तनावपूर्ण था. वह तलाक के लिए तैयार नहीं थी और अपने रिश्ते को बचाने की लाख कोशिशें भी की लेकिन नाकामयाब रहीं. परिस्थितियां और खराब होने लगीं और आखिरकार दोनों को रिश्ता खत्म करना पड़ा. ऐसी भी खबरें थीं कि नंदीश ने रश्मि देसाई संग मारपीट की थी. रश्मि और नंदीश को अलग हुए चार साल से ज्यादा समय हो चुका है.
भदौड़ (बरनाला) में रहने वाली नवदीप कौर की ससुराल में किसी बात को ले कर पति से लड़ाई हो गई थी. इस के बाद वह मायके आ गई और पुलिस को शिकायत की. बाद में पंचायत में समझौता हो गया. समझौते के अनुसार दो दिन बाद नवदीप को लेने उस के पति को आना था. लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी वह नहीं आया बल्कि उस ने तलाक का नोटिस भेज दिया. इस से नवदीप गहरे डिप्रेशन में आ गई और कई दिनों तक बेहोश रही. उस का इलाज चलता रहा और इलाज के दौरान ही उस ने दम तोड़ दिया. पुलिस ने ससुराल पक्ष के 5 लोगों पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज किया.
हरियाणा के अंबाला जिले में कर्ज में डूबने और पत्नी से तलाक होने पर 35 वर्षीय मनीष डिप्रेशन में आ गया. वह काफी परेशान रहने लगा और अंत में एक दिन घर की छत पर बने कमरे में पंखे से लटक कर उस ने अपनी जान दे दी.
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दरअसल तलाक इंसान को अंदर से तोड़ देता है. वह परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता खो बैठता है. खुद को बहुत अकेला और असहाय महसूस करने लगता है. ऐसे में कुछ लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं तो कुछ खुद को दूसरों से काटने लगते हैं. वे घंटो अकेले बैठ कर यह सोचते रहते हैं कि उन के साथ ऐसा क्यों हो रहा है. जब जवाब नहीं मिलता तो वे इन सब का जिम्मेदार खुद को मानने लगते हैं. ऐसे में जिन लोगों को परिवार और दोस्तों का सपोर्ट मिलता है वे इस तकलीफ़ से उबर जाते हैं पर कुछ लोग अकेले पड़ जाते हैं और इस दर्द को सह नहीं पाते.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है तलाक
तलाक से गुजरना बेहद चुनौतीपूर्ण है और अब एक नए अध्ययन से भी पता चलता है कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों का हाल ही में तलाक हुआ है वे अन्य लोगों की तुलना में कहीं अधिक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं.
अध्ययन के लिए तलाक लेने वाले 1,856 लोगों से उन की पृष्ठभूमि, स्वास्थ्य और तलाक से संबंधित तरहतरह के सवाल पूछे गए. इस अध्ययन से पता चला कि हाल में हुआ तलाक व्यक्ति के भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है और यह प्रभाव नकारात्मक होता है.
दरअसल तलाक एक लंबी प्रक्रिया है. कई देशों में यह प्रावधान भी है कि तलाक के लिए आवेदन करने से पहले पतिपत्नी को कुछ समय दिया जाता है ताकि हमेशा के लिए अलग होने से पहले वे अपने फैसले पर पुनर्विचार कर लें. इस की अवधि विभिन्न देशों में अलगअलग है. तलाक न केवल दो रिश्तों को तोड़ता है बल्कि तलाक लेने की प्रक्रिया के दौरान एकदूसरे पर जिस तरह आरोपों का दौर चलता है वह दो दिलों को भी तोड़ देता है. आप जिस जीवनसाथी को कभी दिल से चाहते थे वही जब रिश्ता खराब होने पर तलाक के समय आप पर कीचड़ उछाले या प्यार को शर्मिंदा करे तो इंसान अंदर से बुरी तरह टूट जाता है. तलाक के बाद इंसान के दिल और दिमाग की हालत कुछ ऐसी हो जाती है—-
अविश्वास – किसी के साथ रिश्ता टूटने का असर दिल के साथ दिमाग पर भी पड़ता है. व्यक्ति का जब अपने जीवनसाथी पर से विश्वास टूटता है तो फिर दोबारा किसी पर आसानी से विश्वास जम नहीं पाता. इंसान सब को संदेह की नजरों से देखने लगता है. उस का सामाजिक दायरा भी घटने लगता है. वह अपने चारों तरफ एक अनजान लकीर खींच लेता है.
आत्मसम्मान पर चोट – जब आप को प्यार और समर्पण के बदले अपमान और परायापन मिले, जिन की ख़ुशी के लिए अपनी परवाह नहीं की उन्ही के द्वारा जब आप के ऊपर तरहतरह के इल्जाम लगाए जाएं, कोर्ट कचहरी में आप के रिश्ते और प्यार का मजाक बनाया जाए, लांछन लगाए जाएं तो आप के आत्मसम्मान के परखच्चे उड़ जाते हैं. आप दिमागी तौर पर काफी टूट जाते हैं. वापस नार्मल होने में काफी समय लगता है. आप के अंदर नकारात्मकता आ जाती है.
धोखा खाने का अहसास – कई बार तलाक की वजह जीवनसाथी का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी होता है. जीवनसाथी द्वारा धोखा दिया जाना इंसान के दिल में गहरा दर्द पैदा करता है. किसी और से शादी की इच्छा में इंसान अपने वर्तमान जीवनसाथी के फीलिंग्स की कद्र भी नहीं करता. ऐसे में तलाक के बाद भी धोखा दिए जाने का दर्द दिल से नहीं जाता और यह दर्द डिप्रेशन की वजह भी बन जाता है.
अपने प्यार का अपमान – जब आप अपने रिश्ते को 100 प्रतिशत देते हैं मगर बदले में आप को धोखा और अपमान मिलता है तो इंसान अंदर से टूट जाता है और यह टूटन हजारों बीमारियों की वजह बनता है. स्वस्थ रहने के लिए मन में एक उत्साह और प्यार का होना जरुरी है. मगर जब प्यार ही न बचे तो शरीर पर सीधा असर पड़ता ही है.
मानसिक संताप – दिल का गम इंसान को गहरा मानसिक संताप देता है. शादी सफल रहे तो इंसान हर तकलीफ हंसतेहंसते झेल लेता है मगर जब घर ही टूट जाए तो कोई खुद को खुश कैसे रख सकता है. इंसान को रहरह कर पुराने दिन याद आते हैं. वह तलाक की वजह समझने के लिए बारबार जिंदगी के तकलीफ भरे पन्नो को पलटता है जिस से मन का संताप गहरा होता जाता है. तलाक वैसे भी एक लंबी प्रक्रिया है और इस से संताप भी लंबे समय तक इंसान को घेरे रहता है और व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार होने लगता है.
अकेलापन – जीवनसाथी यानी जीवन भर का साथी. मगर जब यही साथ बीच में छूट जाए तो दिल में अकेलेपन का घाव पैदा होता है. जीवन में लोग तो बहुत होते हैं मगर सब की अपनी दुनिया होती है, अपनी प्राथमिकताएं होती हैं. शादी के बाद असली साथ जीवनसाथी का ही होता है और यह साथ छूट जाए तो अकेलेपन का दर्द इंसान की सेहत पर सीधा असर डालता है.
नकारात्मक सोच – तलाक के दौरान और उस के बाद न चाहते हुए भी इंसान के मन में नकारात्मकता भर जाती है. वह खुद को अजीब स्थिति में पाता है और इस की वजह उस का जीवनसाथी होता है. वह जीवनसाथी और तलाक की वजह बने लोगों के प्रति घृणा की भावना से भर उठता है. एक क्रोध और एक नफरत की आग इंसान को अंदर से जलाने लगती है और दिनोंदिन उस का स्वास्थ्य गिरने लगता है.
बच्चों पर असर
माता पिता के बीच हुए अलगाव का असर सब से ज्यादा उन के बच्चों पर ही होता है और कई बार यह प्रभाव बड़ा विध्वंसक होता है. छोटे बच्चों में मातापिता के प्रति खीज, गुस्सा और शक आने लगता है. छोटे बच्चों में भी एक डर समा जाता है. वे अपनी मां से चिपके रहना चाहते हैं. पीछेपीछे लगे रहना, चिपक कर सोना जैसी हरकतें करने लगते हैं जो पहले नहीं करते थे.
एक शोध में पाया गया है कि अपेक्षाकृत छोटे बच्चों की शिक्षा और उन की मानसिक स्थिति पर इस का अधिक असर पड़ता है. कनाडा के अल्बर्टा और मानितोबा विश्वविद्यालय की ओर से किए गए शोध में चेतावनी दी गई है कि दंपतियों को तलाक का निर्णय लेते समय अपने बच्चों की शिक्षा और उन के जीवन पर प्रभाव के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
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स्वास्थ्य पर भी बुरा असर
तलाक का असर आप के बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. द प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस नाम की एक स्टडी के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य का बुरा असर बच्चों की युवावस्था पर भी पड़ सकता है. रिपोर्ट के अनुसार परिवार में अगर शुरुआत में झगड़े हो तो बच्चों के इम्यून सिस्टम पर भी इस का बुरा असर पड़ता है.
कई बार रिश्ते में कड़वाहट और तलाक की नौबत आने के बावजूद महिलाएं तलाक लेने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं और तलाक के बाद सहज नहीं रह पातीं क्योंकि हमारे देश में लड़की अगर तलाक ले ले तो इसे जीवन की बड़ी असफलता समझा जाता है. समाज तलाकशुदा होने के बाद महिला को शादीशुदा होने जितना सम्मान नहीं दे पाता. तलाक के बाद महिला मातापिता पर बोझ समझी जाती है. डिवोर्सी का टैग उस के नाम से जुड़ जाता है और तलाक के बाद दुख-परेशानियां खत्म हो जाएं ऐसा भी नहीं है. यही वजह है कि समाज के तानों से बचने के लिए महिलाएं अक्सर शादी में खुश न हो तो भी उसे निभाती जाती हैं और यदि मजबूरी में तलाक लेना ही पड़ा तो यह सोच कर मानसिक रूप से परेशान रहती हैं कि अब ज़माना क्या कहेगा.
रिश्तों में घुटन हो तो बेहतर है अलग हो जाना
समाज की सोच कर खुद को तकलीफ में रखना उचित नहीं. यदि किसी महिला को शादीशुदा जिंदगी में रोज अपमानित किया जा रहा हो, दहेज़ के लिए प्रताड़ित किया जा रहा हो, घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा हो या पति बेवफाई कर रहा हो तो सब सहने के बजाय अच्छा है अलग हो जाना.
जरूरी है कि ऐसे में महिलाएं घुटघुट कर जीने के बजाए अपने जीवन के लिए कठोर फैसला लें. तलाक के बाद भी इस का जिम्मेदार खुद को नहीं समझें. तलाक का फैसला एक बहुत बड़ा फैसला होता है लेकिन उसे यह सोच कर स्वीकार करना चाहिए कि खराब रिश्ते में घुटने से अच्छा रिश्ता तोड़ कर खुली हवा में सांस लेना है.
तलाक लेने के बाद कुछ लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं तो कुछ खुद को संभाल नहीं पाते. ऐसे में कोई और आप की मदद नहीं कर सकता. आप को खुद को मजबूत बनाना होगा और जीवन में आगे बढ़ने के नए रास्ते तलाशने होंगे कुछ इस तरह,
तलाक से लें ये सबक
1. अपने तलाक से आप सब से बड़ी सीख यह ले सकते हैं कि किसी एक इंसान के आप के जीवन में नहीं होने से दुनिया खत्म नहीं हो जाती.
2. जिंदगी में हमेशा अपना एक सर्कल बना कर रखना चाहिए जिस में सिर्फ ऐसे लोग हों जिन से बात कर के और जिन के साथ रह कर खुशी मिले. जिन का साथ सुख में भी हो और दुख में भी.
3. तलाक के बाद यह सबक लीजिए कि जिस रिश्ते से तकलीफ मिले उस से जुड़ी सारी यादों को मिटा देना चाहिए. अपने पार्टनर से जुड़ी हर याद जैसे शादी की फोटोग्राफ्स, वीडियो मेमोरी, डिजीटल मेमोरी, गिफ्ट्स आदि सबकुछ नष्ट कर दें.
4 . खुद को कोसना छोड़ दें. अपनी गलती मान लेना अच्छी बात है लेकिन दूसरे की गलती को नजरअंदाज कर के खुद को दोषी मानना गलत है. जो हुआ उसे स्वीकार करें और आगे बढ़ जाएं.
5 . खुद को हमेशा प्राथमिकता दें. अपने लिए हमेशा समय होना चाहिए. शादी के बाद लड़कियां खुद को बिल्कुल ही भूल जाते हैं पर यह गलत है. क्योंकि इस से आप का ही नुकसान होता है.
6 . तलाक के बाद भी खुश रहना नहीं छोड़ें. खुश रहना आप का हक है जिसे आप से कोई नहीं छीन सकता.
7 . चीजों और परिस्थितियों से भागना छोड़ दें. परिस्थितियों से भाग कर हम सिर्फ और सिर्फ अपना ही नुकसान करते हैं.
8 . सब से खास बात यह है कि तलाक को प्रतिष्ठा से जोड़ कर न देखें. खुद को छोड़ा हुआ मान कर हीनभावना कतई न पालें.
लाइफ को फिर से पटरी पर लाएं
करियर पर फोकस करें
अगर आप तलाक से पहले पूरी तरह अपने पार्टनर पर निर्भर थे तो अब समझ लें की आप के आत्मनिर्भर बनने का समय आ गया है. सब से पहले अपने करियर पर फोकस करें ताकि अपने खर्चे और अपनी जिम्मेदारियां खुद उठा सकें. आप के पास यह बेहतरीन मौका है खुद से कुछ करने का जो आप को पसंद हो.
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अपनों को पहचानें
जब बुरा वक्त आता ही तभी असली दोस्तों और अपनों की पहचान होती है. ऐसे समय में जब आप अकेले हैं और आप को इमोशनल सपॉर्ट की जरूरत है तो उन लोगों के साथ समय बिताएं जो सच में आप का भला चाहते हैं. इन के साथ बात कर आप को नए रास्ते दिखेंगे, आप का मनोबल बढ़ेगा और कठिन समय को पार कर आगे निकल जाने का हौसला मिलेगा.
बच्चों का रखें ध्यान
अगर आप के बच्चे हैं और तलाक के बाद वे आपके साथ रह रहे हैं तो जाहिर सी बात है अब आप को अकेले ही उन का ध्यान रखना है. इस का मतलब है कि आप की जिम्मेदारी अब और बढ़ जाएगी लेकिन इस वजह से परेशान और स्ट्रेस्ड होने की जरूरत नहीं. इस चैलेंज को स्वीकार करें और अच्छी तरह से निभाएं तभी आप के बच्चे आप को रोल मॉडल के तौर पर देखेंगे.
गुजरे कल को भूल जाएं और आज के लिए प्लान बनाएं.
अक्सर तलाक के बाद लोग मुड़ मुड़ कर अपना अतीत देखते हैं. पुरानी बातें याद करते हैं और दुखी होते हैं. उन लम्हों की यादों में गुम रहते हैं जब पार्टनर आप के बहुत करीब था या फिर वे लम्हे जब उस ने आप का दिल तोड़ा , बेइज्जती की. इन सब बातों से कुछ हासिल नहीं होता सिवा इस के कि आप कमजोर पड़ते हैं. कुछ लोग तो अपने एक्स पार्टनर का सोशल मीडिया पर या कहीं बाहर पीछा भी करते हैं. ऐसा कदापि न करें. बीते कल को भूल कर आज और आने वाले कल की प्लानिंग करें और खुद को मशगूल रखें. खाली न बैठें.
जीवन को फिर से मौका दें
कभीकभी जिंदगी आप को दूसरा मौका देती है. उस मौके को चूकें नहीं बल्कि हाथ बढ़ा कर अपना बना लें. तलाकशुदा होने का मतलब यह नहीं कि आप को अब हमेशा अकेला ही रहना होगा. यदि कोई शख्स आप की जिंदगी में आता है जिस के साथ आप फिर से हंसनेखिलखिलाने लगती हैं तो उसे हमेशा के लिए अपना बनाने की बात पर विचार जरूर करें.