दिल में भी होता है शार्ट सर्किट

दिल में जोरो से धक धक होने लगे तो खुद को धक धक गर्ल या बॉय समझने की भूल मत कर बैठना. संभव है कि आपके दिल में करंट का ओवरफ्लो हो रहा हो. यानि शार्ट सर्किट.  क्या आप जानते हैं  कि  हमारे दिल में भी शार्ट सर्किट होता है. अगर नहीं तो हम आज आपको दिल से जुडी ऐसी  बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे मेडिकल टर्म में पीएसवीटी या पैरोसाइमल सुपर वेंट्रिकुलर टेकिकार्डियो कहते हैं.

जाने क्या है पीएसवीटी

नार्मल व्यक्ति के  दिल की  धड़कन 72 -100 प्रति मिनट होती है लेकिन जब दिल में शार्ट सर्किट होता है तो  पीड़ित कि धड़कन 180 -250  प्रति मिनट  तक पहुंच जाती है. जब दिल में  करेंट ओवरफ्लो होता है तो धड़कन तिगुनी बढ़ जाती है.  यह दिल कि गड़बडी के कारण होता है. हमारे दिल में चार चेम्बर्स होते है व दिल में कई नसे होती हैं. इनमे कुछ नसे ऐसी भी होती हैं जिनके ऊपर कवरिंग नहीं होती. जब ऐसी दो नसे आपस में मिलती हैं तो शार्ट सर्किट हो जाता है.

लक्षण

धड़कन का  तेज होना.

शरीर पीला व ठंडा होन.

सांस तेज व एवं बेहोश होना.

असामान्य ब्लड प्रेशर की समस्या होना.

 इलाज

इलेक्ट्रो फिजियोलोजिकल स्टडी के जरिए  शार्टसर्किट वाले प्वाइंट को पकड़ा जाता है।जिसके लिए  पैर के रास्ते से तीन तार दिल तक पहुंचाए जाते है. इसके बाद दिल के अंदर हुए शॉर्ट सर्किट का पता लगाया जाता है। पता चलने पर फिर चौथा तार दिल तक पहुंचाया जाता है और दिल में शाट सर्किट वाले इन तारों पर करीब 350 किलोहर्ट्ज की तरंग छोड़कर इसे फ्यूज कर दिया जाता  है. लेकिन कई बार वो नसे  जो  आपस में मिलकर करंट का ओवरफ्लो करती है यदि वो दिल की दीवारों  को बिलकुल छू रही होती है तो उन्हें फ्यूज करने का रिस्क होता है। ऐसे में मरीज़ को पेसमेकर लगाने की जरूरत भी पड़ सकती है इस िस्थति का पता इलेक्ट्रो फिजियोलाजी स्टडी  करते समय ही चल पाता  है.

कारण

दिल में छेद, मानसिक तनाव व चाय, एल्कोहल व काफी का  ज्यादा सेवन.

जंक फूड का  अधिक सेवन.

खांसी, जुकाम समेत तमाम रोगों की दवाएं धड़कन खराब करती हैं.

हीमोग्लोबिन कम होना.

अनुवांशिक होना.

 बचाव

रक्त का संचार ठीक रखें इसलिए नियमित रूप से व्यायाम करें.

हाई कोलेस्ट्रॉल वाली चीजों से करें परहेज.

तनाव को रखें खुद से दूर .

लापरवाही से बचे

यह समस्या बार बार हो रही है तो इससे दिल कि मासपेशियां कमजोर हो जाती हैं व  दिल फैलने लगता है. जिससे करंट नए रास्तों के जरिए फ्लो होकर धड़कन तेज कर देता है. ऐसे में जान जाने का खतरा होता है. अधिकतर दिल से संबंधित यह समस्या महिलाओं  में ज्यादा देखी जाती है.

विशेषज्ञ – नारायणा हॉस्पिटल ,गुरुग्राम

डॉ विवेक चतुर्वेदी  ,सीनियर कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट

जानें क्या है सडन कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर 

दो हृदय विकार मौत का कारण बन सकते हैं, और वे हैं – हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट. इन दोनों समस्याओं को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति देखी जाती है और कई बार इन्हें एक ही समस्या मान लिया जाता है. लेकिन ये दो स्वास्थ्य समस्याएं एक-दूसरे से पूरी तरह से कैसे  अलग हैं. बता रहे हैं …डॉ राकेश कुमार जायसवाल – निदेशक और एचओडी कार्डियोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली, कार्डिएक साइंसेज. इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी.

हार्ट अटैक क्या है?

दो कोरोनरी धमनियां – बाई कोरोनरी धमनी, दाईं कोरोनरी धमनी और उसकी सहायक धमनी हृदय को रक्त पहुंचाती हैं. जब इन ब्रांच में से कोई ब्लॉक हो जाती है तो हृदय की मांसपेशियों के लिए रक्त प्रवाह रुक जाता है. इस वजह से हार्ट अटैक होता है. हार्ट जिस हिस्से को ब्लॉक्ड धमनी द्वारा रक्त की आपूर्ति की गई हो और उसे जल्द अनब्लॉक्ड नहीं किया जाए तो उस हिस्से को नुकसान होने लगता है. उपचार नहीं होने पर यह नुकसान बढ़ जाता है.

हार्ट अटैक से तुरंत गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं. हालांकि कई बार, हार्ट अटैक से पहले लक्षण दिखने में कई घंटे, दिन या सप्ताह भी लग जाते हैं. कार्डियक अरेस्ट के विपरीत, हार्ट अटैक के दौरान दिल सामान्य रूप से धड़कता रहता है. महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग हो सकते हैं.

सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है?

सडन कार्डियक अरेस्ट अचानक और बार बार होता है. इसमें दिल में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी की वजह से धड़कन अनियमित हो जाती है. जब दिल की रक्त पम्प करने की क्षमता प्रभावित होती है तो वह मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य अंगों तक रक्त पहुंचाने में सक्षम नहीं रहता है. व्यक्ति कुछ ही सेकंड में होश खो बैठता है और उसकी नाड़ी काम करना बंद कर देती है. यदि ऐसे में व्यक्ति का सही से उपचार न हो पाए तो उसकी कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है.

कौन से कारण हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं?

हार्ट अटैक के मुख्य कारण हैंः

  1. धूम्रपान करना
  2. शराब पीना
  3. अधिक उम्र
  4. अस्वस्थ खानपान की आदत
  5. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  6. खराब कार्यशैली
  7. मोटापा

 कौन से कारण कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देते हैं?

कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैंः

  1. इलेक्ट्रिक सेल में असंतुलन
  2. कमजोर दिल
  3. हृदय की मांसपेशियों से संबंधित समस्याएं, जैसे कार्डियोमायोपैथी
  4. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन- शरीर के पोटेशियम स्तर में अचानक कमी या वृद्धि
  5. छाती को अचानक झटका
  6. बेहद तेज या धीमी गति
  7. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  8. हार्ट अटैक के बाद, अपर्याप्त रक्त प्रवाह से भी सडन कार्डियक अरेस्ट की समस्या बढ़ सकती है. यह एक ऐसी चिकित्सकीय समस्या है, जिसमें शरीर का प्रवाह और ऑक्सीजन में कमी आ जाती है.

हम ‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ शब्दों का इस्तेमाल अब इस भरोसे के साथ कर सकते हैं कि हम इनके बीच मुख्य अंतर को समझ गए हैं. जहां जिंदगी का आनंद उठाना, नए अवसर तलाशना और अमूल्य यादें बनाना महत्वपूर्ण है, वहीं आपको अपने दिल का भी खयाल रखना चाहिए और हार्ट-हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. लंबी जिंदगी के लिए, इससे निःसंदेह ही हृदय संबंधित रोगों को रोकने में मदद मिलेगी.

क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है.

पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

खान पान-

आजकल के युवाओं का खान पान सही नहीं है. अधिकतर उनके पास समय की कमी होने से जंक फूड उनकी पहली पसंद है जिसके कारण शरीर मे बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे जाकर हार्ट अटैक में बदल सकता है.इसी कारण लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि एक बहुत बड़ी समस्या है.

नशा

आजकल बढ़ते तनाव के चलते युवाओं में नशा करने की लत लग जाती है जो कि हार्ट के लिए सही नहीं है.जो भी दिन में 10 सिगरेट या उस से ज्यादा पीता है उसमें हार्ट अटैक होने की सम्भावना सामान्य से ज्यादा होती है.तम्बाकू का सेवन सेहत के लिए सही नहीं है ये रक्त शिराओं में जाने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह काट देता है जिस से हार्ट तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.कुछ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं जिस से धमनियाँ जल्दी सिकुड़ने लगती हैं और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है.

बचाव के तरीके-

यदि आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन मे थोड़ा अनुशासन लाना होगा . सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करना चाहिए.खान पान में बदलाव करना चाहिए  बहुत अधिक तेल वाला खाना और जंक फूड पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. समय पर सोना और समय पर जागना चाहिए 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है.मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए.इस तरह हम अपने हृदय का खयाल रकह सकते हैं.

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जब अपने होते है, अचानक दूर

40 साल के हंसमुख और विनम्र अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक सिवियर हार्ट अटैक से मौत पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए एक सदमा है और हो भी न क्यों? फिटनेस फ्रीक सिद्धार्थ ने कभी वर्कआउट को मिस नहीं किया, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर बॉडी फिट है तो माइंड भी फिट है.ये बात सही है, लेकिन कई बार अधिक वर्कआउट भी शरीर के लिए घातक होता है, क्योंकि सिद्धार्थ स्ट्रेस में कभी नहीं दिखे, उनका काम इंडस्ट्री में कुछ न कुछ नियमित चलता था. फिर चाहे वह टीवी शो, फिल्म,रियलिटी शो या ओटीटी हर जगह वे अच्छे काम और हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे और सबसे अच्छी बात वे अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते थे और माँ के बहुत करीब थे. खाली समय में वे अपने परिवार के साथ रहना अधिक पसंद करते थे, ऐसे होनहार, स्पोर्ट्स पर्सन, जिन्दादिली इंसान का अचानक गुजर जाना सबके लिए एक हादसे के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता.

ऐसे जिंदादिल 40 वर्षीय बिग बॉस 13 विनर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक हार्ट एटैक से गुजर जाने की वजह पूछे जाने पर मुंबई के चेंबूर की जेन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. नारायण गडकर कहते है कि आज के यूथ 20, 30 और 40 की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हो जाते है और इसकी वजह उनका स्ट्रेसफुल लाइफ का होना है, जिसमें कम वेतन, नौकरी न रहना, वित्तीय कमी का होना, पर्सनल प्रॉब्लम आदि कई है, लेकिन अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का सीवियर हार्ट एटैक की वजह पता नहीं है, लेकिन कुछ वजह निम्न हो सकते है,

• अचानक हार्ट एटैक की वजह स्ट्रेस, कोमॉर्बिडीटीस जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, आर्टरीज का हेल्दी न होना, जिसमें अनजाने में आर्टरीज में प्लाक का जमा हो जाना, धूम्रपान की वजह से खून की धमनियों का पतला हो जाना आदि कई है. हाई कोलेस्ट्रोल के होने पर भी हार्ट की समस्या हो जाती है. खासकर फिट युवा पीढ़ी कुछ लक्षण होने पर भी उसे इग्नोर करती है और समय पर उसका इलाज नहीं करवाती.

• कई बार यूथ व्यायाम भी अपनी शरीर की अवस्था को न समझते हुए करते है, जिसका प्रभाव शरीर पर अधिक पड़ जाता है. किसी भी फिटनेस रूटीन को अपनाने से पहले सम्बंधित डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है. उस एक्सरसाइज को अवॉयड करें, जिससे हार्ट पर अधिक दबाव महसूस होता हो.

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• 6 पैक और टोंड बॉडी के लिए यूथ सप्लीमेंट का सहारा भी लेते है, जो कई बार उनके लिए समस्या बन जाती है. डॉक्टर नारायण आगे कहते है कि कुछ सप्लीमेंट्स हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के अलावा कुछ हार्ट रिलेटेड लक्षण मसलन अचानक घबराहट का होना और लीवर की समस्या होना आदि है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रकार की सप्लीमेंट्स न लें.

• हार्ट एटैक की समस्या को पता लगाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि फिट इंसान डॉक्टर के चक्कर लगाना नहीं चाहते और सीने की दर्द को एसिडिटी समझ कर उसकी दवाई लेते है, जिससे उन्हें बचाना मुश्किल होता है. इस बारें में डॉ. नारायण का कहना है कि चेस्ट में हेवीनेस का होना,चेस्ट पेन, सांस लेने में तकलीफ, अचानक बहुत अधिक पसीना आना,हल्का सिरदर्द, चक्कर आना आदि है, ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ, ताकि इलाज में देर न हो.

ये सही है कि हार्ट एटैक की समस्या यूथ में आजकल अधिक है, डॉक्टर्स मानते है कि अधिकतर पेशेंट तब उनके पास आते है, जब बहुत देर हो जाती है और वे उन्हें बचाने के लिए कुछ कर नहीं पाते. डॉ. गडकर कहते है कि आज के हालात को देखते हुए धूम्रपान और शराब सबसे पहले छोड़ने की जरुरत है.अगर आपको इन सब चीजों की लत है तो उसे छुड़ाने वाली संस्थाओं से संपर्क करें और उनकी सेशन को ज्वाइन करें. संतुलित भोजन जिसमें कई प्रकार के नट्स, बैरिज, सीड्स, फ्रेश फ्रूट्स, सब्जियां, दालें आदि होना आवश्यक है. कम तेल, नमक और शुगर का प्रयोग अपने भोजन में करें. जंक, ऑयली, स्पाइसी और डिब्बे बंद फ़ूड को हमेशा अवॉयड करें. अधिक मात्र में पानी पियें, कार्बोनेटेड ड्रिंक को एक बड़ा NO कहना सीखें,व्यायाम नियमित करें, पर सघन एक्सरसाइज करने से बचें. अपना वजन उम्र और सेहत के हिसाब से संतुलित रखे. समय-समय पर कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर को चेक करवाएं, तनाव से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इससे भी हार्ट एटैक की संभावना बढती है. खुद को हमेशा शांत रखें या मैडिटेशन करें.

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