डाक्टर ने मुझे स्पाइनल स्ट्रोक के लिए सर्जरी कराने की सलाह दी है, क्या ये सही रास्ता है?

सवाल

मेरी उम्र 58 साल है. मुझे कुछ दिनों पहले स्पाइनल स्ट्रोक आया था. डाक्टर ने सर्जरी कराने की सलाह दी है. कृपया बताएं कि स्पाइनल स्ट्रोक के लिए कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं?

जवाब

स्पाइनल कार्ड की ओर रक्त की आपूर्ति बाधित होना स्पाइनल स्ट्रोक कहलाता है. इस के कारण नर्व इंपल्स भेजने में परेशानी होती हैं. स्पाइनल स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है और इस के लिए तुरंत उपचार की जरूरत होती है. दवाइयां सूजन को कम करती हैं. रक्त को पतला करने, रक्तदाब कम करने और कोलैस्ट्रौल को नियंत्रित करने के लिए भी दवाइयां दी जाती हैं. लेकिन समस्या गंभीर होने पर सर्जरी कराना जरूरी हो जाता है. मिनिमली इनवेसिव सर्जरी तकनीक ने सर्जरी को बहुत आसान बना दिया है. इस में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में परेशानियां कम होती हैं और अस्पताल में ज्यादा रुकने की जरूरत भी नहीं होती है.

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32 साल का अंकित पीठ के दर्द से बुरी तरह परेशान था. उस की पीठ का मूवमैंट पूरी तरह रुक सा गया था. रैस्ट करने और दवा लेने के बाद भी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था. 6 हफ्ते पहले जब उस की पीठ में दर्द शुरू हुआ था, तभी से असामान्य तरीके से उस का वजन भी घटता जा रहा था.

अंकित ने डाक्टर से अपौइंटमैंट लिया. एक्स रे से कुछ पता नहीं चला, तो ब्लड टैस्ट कराने को कहा गया. अतिरिक्त जांच के लिए एमआरआई कराया गया, तो पता चला कि अंकित की रीढ़ की हड्डी में इन्फैक्शन हो गया है और डिस्क स्पेस व उस के आसपास की कोशिकाओं में मवाद भर गया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत स्पाइनल ब्रेसेस लगवाने की सलाह दी गई और प्रभावित हिस्से की सीटी गाइडेड बायोप्सी की गई. 6 हफ्ते के लिए ऐंटीबायोटिक खाने, बैड रैस्ट करने और स्पाइनल ब्रेसेस के साथ मूवमैंट की सलाह दी गई.

हालांकि नियमित चैकअप के दौरान यह भी नोट किया गया कि उस की रीढ़ की हड्डी सिकुड़ रही है और उसी की वजह से मरीज की टांगों, ब्लैडर और आंतों पर भी असर पड़ रहा था. इस से नजात पाने के लिए तुरंत सर्जिकल ट्रीटमैंट की जरूरत थी. न्यूरोलौजिकल कंप्रैशन को दूर करने और साथ ही पेडिकल स्क्रू और रौड्स की मदद से स्पाइन को स्थिर बनाए रखने के लिए अंकित की सर्जरी की गई. इस का मकसद दर्द को दूर करना, मरीज को विकलांग होने से बचाने और रीढ़ की हड्डी के आकार को और ज्यादा विकृत होने से रोकना भी था. सर्जरी के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ. उस का दर्र्द भी पूरी तरह दूर हो गया.

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