नवजात बच्चे की सही ग्रोथ के लिए मददगार है रागी

हर मां अपने बच्चे को कुछ ऐसा खिलाना चाहती है जिसमें प्रोटीन, कौर्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, फाइबर सरीखे तमाम जरूरी पोषक तत्व हो, जिसे खाकर बच्चे को संपूर्ण पोषण मिलें और बच्चा सेहतमंद रहे. अगर आप भी कुछ ऐसी ही खोज में हैं, तो रागी सबसे बेहतरीन विकल्प है, जिसे आप विभिन्न तरीकों से अपने बच्चे की डाइट में शामिल कर सकती हैं. शैली मेहरा (होममेकर) कहती हैं कि अपनी बेटी को उसके पहले आहार (दूध छूटने के बाद) से ही मैं ने रागी खिलाना शुरू कर दिया था क्योंकि मुझे मेरी दादी ने इसके उच्च पौष्टिक गुणों के बारे में बताया था और इसे अपनी बेटी को खिलाने के बाद मुझे उस के पोषण से जुड़ी कोई चिंता नहीं होती है.

बाल चिकित्सक डा. संजय निरंजन कहते हैं कि रागी कई लाभ और पौष्टिक गुणों के कारण एक अनोखा अनाज है. आप बच्चे को कई तरह से रागी खिला सकती हैं. रागी में महत्वपूर्ण अमीनो एसिड जैसे आइसोल्यूसिन, ल्यूसिन, मेथिओनीन एवं फिनाइल एलिनीन होते हैं जो स्टार्च वाले अन्य खा- पदार्थों जैसे चावल में नही होते हैं.

कैल्शियम से भरपूर

आपने डाक्टर को यह कहते सुना होगा कि बच्चों को कैल्शियम से भरपूर आहार देना चाहिए क्योंकि बढ़ते बच्चे को कैल्शियम की जरूरत होती है. कैल्शियम बच्चों की हडिड्यों व दांतों को मजबूत बनाने के साथ लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है, इसलिए बच्चे को ऐसा आहार देना जरूरी है, जो कैल्शियम से भरपूर हो और रागी उन्हीं में से एक है, जो बच्चों में हड्डी के फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने और हड्डियों की समस्याओं को दूर रखने में मदद करती है और बच्चों में कैल्शियम की कमी को पूरा करती है.

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आयरन की न होने दे कमी

बच्चे के लिए आयरन बहुत आवश्यक होता है क्योंकि आयरन की कमी से बच्चे में रक्तलपता रोग हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि दो साल की उम्र तक बच्चे को अधिक आयरन वाले आहार दें. वैसे कुछ ऐसे खा- पदार्थ होते हैं, जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करते हैं और रागी उन्ही में से एक है, क्योंकि इस के सेवन से शरीर में खून की कमी नहीं होती है. यह हीमोग्लोबिन के लेवल को भी बढ़ाने का काम करता है. इसे खाने से बच्चे में स्ट्रेस, डिप्रेशन, अनिद्रा की समस्या भी घट जाती है, इसमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट्स, ट्रिप्टोफेन और अमीनो एसिड प्राकृतिक रूप से तनाव से छुटकारा दिलाते हैं.

कब्ज से राहत दिलाए

छोटे बच्चों में कब्ज होते ही उन्हें पेट दर्द की समस्या हो जाती है. लेकिन बच्चों को रागी खिलाने से उन्हें कब्ज नहीं बनती है क्योंकि रागी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और फाइबरयुक्त आहार के सेवन से कब्ज और अपच में सहायता मिलती है.

भूख को करें कम

कई बार बिना भूख के भी बच्चे खाना मांगते हैं और मोटापे के शिकार हो जाते हैं. लेकिन रागी खाने से आपके बच्चे की बार-बार खाना मांगने की आदत छूट सकती है क्योंकि रागी में ट्राइपोफान एमिनो एसिड होता है, जो भूख को कम करता है और बच्चे के स्वास्य्ं को बेहतर बनाता है.

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ताकि बच्चा ले पूरी नींद

दूध पी लेने भर से बच्चे का पेट नहीं भरता है, बल्कि पेट भरने के लिए बच्चे को ठोस आहार खिलाना पड़ता है और रागी से बेहतर और सेहतमंद आहार भला क्या होगा, जिसे खाकर बच्चे का पेट भरे और बच्चा लंबे समय तक सोए.

इम्यूनिटी रहे मजबूत

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए, तो उसे रागी से बने आहार खिलाइए क्योंकि इसमें उच्च पोषक तत्व होते हैं, जो इम्यूनिटी मजबूत करते हैं और बच्चे को अंदर से मजबूत बनाते हैं.

रागी एक फायदे अनेक

रागी को अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि बिहार में रागी को मडुआ तो अंग्रेजी में इसे फिंगर मिलेट कहा जाता है, जिस तरह से इसके नाम अनेक एक उसी तरह से इसमें गुण भी अनेक है.

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– 6 महीने के बाद बच्चे को ठोस आहार खिलाना जरूरी होता है और आप अपने बच्चे को रागी से बना दलिया खिला सकती हैं क्योंकि यह शिशु के लिए लाभप्रद होता है, जो पौषक तत्वों से भरपूर होता है.

– जहां रागी शिशुओं की पाचन शक्ति को सही रखती है, वहीं इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन विकास में सहायक है.

– मां का दूध छूटने के बाद रागी से बनी खिचड़ी, हल्वा बच्चे को खिलाने के लिए अच्छे विकल्प हैं.

– दूध पिलाने वाली मां भी रागी को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं.

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