मेरी मां को बच्चेदानी का सर्विक्स कैंसर हुआ था, क्या मुझे भी होने का रिस्क है?

सवाल

मैं 32 साल की महिला हूं. मेरी मां को बच्चेदानी का सर्विक्स कैंसर हुआ था, जिस से वे दुनिया से चल बसीं. क्या मुझे भी यह कैंसर होने का रिस्क है? अपने बचाव के लिए मैं क्याक्या उपाय कर सकती हूं?

जवाब-

यह सच है कि कुछ खासखास कैंसरों जैसे ब्रैस्ट कैंसर में मां या बहन को कैंसर होने पर स्त्री में उस कैंसर के होने का रिस्क बढ़ जाता है, पर यह जोखिम सरविक्स कैंसर के साथ नहीं देखा गया. अब तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिस से सरविक्स कैंसर की उपज में जेनेटिक कारकों के होने की पुष्टि होती हो. अत: मां को हुए रोग को ले कर आप अनावश्यक ही यह चिंता न रखें कि कहीं आप को भी यह रोग तो नहीं हो जाएगा. बचाव के लिए अच्छा यह होगा कि आप अपने पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें. यदि कभी योनि से असामान्य खून आए तो उसे नजरअंदाज न करें और तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से सलाह लें.

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जानें क्या है सर्वाइकल कैंसर और इसके लक्षण

महिलाओं में गर्भाश्य के मुख को सर्विक्स कहा जाता है, जिसकी जांच योनी के ज़रिए की जाती है. अगर सर्विक्स में असामान्य या प्री-कैंसेरियस कोशिकाएं विकसित होने लगें तो सर्वाइकल कैंसर हो जाता है. मनुष्य की सर्विक्स में दो भाग होते हैं- एक्टोसर्विक्स जो गुलाबी रंग को होता है और स्क्वैमस कोशिकाओं से ढका होता है. दूसरा- एंडोसर्विक्स जो सरवाईकल कैनाल है और यह कॉलमनर कोशिकाओं से बना होता है. जिस जगह पर एंडोसर्विक्स और एक्टोसर्विक्स मिलते हैं उसे ट्रांसफोर्मेशन ज़ोन कहा जाता है, यहं असामान्य एवं प्री-कैंसेरियस कोशिकाएं विकसित होने की संभावना अधिक होती है.

एचपीवी सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण

सर्वाइकल कैंसर के 70-80 फीसदी मामलों में इसका कारण एचपीवी यानि हृुमन पैपीलोमा वायरस होता है. 100 विभिन्न प्रकार के एचपीवी हैं, इनमें से ज़्यादातर के कारण सर्वाइकल कैंसर की संभावना नहीं होती. हालांकि एचपीवी-16 और एचपीवी-18 के कारण कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, अगर किसी महिला को एचपीवी इन्फेक्शन हो, तो उसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उसमें सर्वाइकल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.

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पैप टेस्ट का महत्व

प्रीकैंसेरियस सर्वाइकल कोशिकाओं के कारण स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए पैप एवं एचपीवी टेस्ट के द्वारा नियमित जांच कराना जरूरी है. इस तरह की जांच से प्री-कैंसेरियस कोशिकाओं का जल्दी निदान हो जाता है और सर्वाइकल कैंसर होने से रोका जा सकता है.

लक्षण

अडवान्स्ड सर्वाइकल कैंसर के कुछ संभावी लक्षण हैं:

पीरियड्स के बीच अनियमित ब्लीडिंग, यौन संबंध के बाद ब्लीडिंग, मेनोपॉज़ के बाद ब्लीडिंग, पेल्विक जांच के बाद ब्लीडिंग

श्रोणी में दर्द, जो माहवारी की वजह से न हो

असामान्य या हैवी डिस्चर्ज, जो बहुत पतला, बहुत गाढ़ा हो या जिसमें बदबू आए

पेशाब के दौरान दर्द और बार-बार पेशाब आना

ये लक्षण किसी अन्य स्थिति के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से जांच कराएं.

कारण

निम्नलिखित कारकों से सर्वाइकल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है

अगल लड़कियां जल्दी सेक्स शुरू कर दें

10 साल से अधिक समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से उन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की संभावना चार गुना बढ़ जाती है जो एचपीवी पॉज़िटिव हैं.

जिनकी बीमारियों से लड़ने की ताकत कमज़ोर हो.

जिन महिलाओं के एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों.

जिन महिलाओं में यौन संचारी रोग यानि एसटीडी का निदान हो.

टैस्ट

पैनीनिकोलाओ टेस्ट (पैप स्मीयर) सर्वाइकल कैंसर की जांच का आधुनिक तरीका है, जो महिलाओं की नियमित जांच प्रक्रिया में शामिल किया जाता है. इसके लिए डॉक्टर महिला के सर्विक्स से कोशिकाएं लेता है और माइक्रोस्कोप में इनकी जांच करता है. अगर इस जांच में कुछ असामान्य पाया जाता है और बायोप्सी के लिए सर्वाइकल टिश्यू लेकर आगे जांच की जाती है.

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एक और तरीका है कोल्पोस्कोपी जिसमें डॉक्टर एक हानिरहित डाई या एसिटिक एसिड से सर्विक्स को स्टेन करत है जिससे असामान्य कोशिकाएं आसानी से दिख जाती हैं. इसके बाद कोलपोस्कोप की मदद से असामान्य कोशिकाओं की जांच की जाती है, जिसमें सर्विक्स का आकार 8 से 15 गुना दिखाई देता है.

एक और तरीका है लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सीज़न प्रोसीजर (एलईईपी) जिसमें डॉक्टर वायर के इलेक्ट्रिाईड लूप की मद से सर्विक्स में सैम्पल टिश्यू लेकर बायोप्सी करता है.

लम्बे समय तक एचपीवी इन्फेक्शन होने से कोशिकाएं कैंसर के ट्यूमर में बदल सकती हैं. नियमित रूप से पैप स्मीयर के द्वारा सर्वाइकल कैंसर की जांच की जा सकती है. इससे समय पर निदान कर इलाज किया जा सकता है.

डॉ संचिता दूबे, कन्सलटेन्ट, ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनेकोलोजी, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें

महत्त्वपूर्ण तथ्य

सरल शब्दों में समझें तो अगर दुनिया के विकसित देशों में 100 में से एक महिला को जिंदगी में सर्वाइकल कैंसर होता है तो भारत में 53 महिलाओं में से एक को यह बीमारी होती है यानी भारतीय दृष्टिकोण में करीब आधे का फर्क है.

अन्य कारण

  • छोटी उम्र में संभोग करना.
  • एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाना.
  • ऐक्टिव और पैसिव स्मोकिंग.
  • लगातार गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल.
  • इम्यूनिटी कम होना.
  • बंद यूरेटर.

किडनी

  • भारतीय महिलाएं माहवारी से जुड़ी बातों पर आज भी खुल कर बात करने से बचती हैं. शायद इसलिए भारतीय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सब से आम कैंसर बन कर उभर रहा है.
  • कैसे होता है सर्विक्स गर्भाशय का भाग है, जिस में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण की वजह से होता है.
  • यह संक्रमण आमतौर पर यौन संबंधों के बाद होता है और इस बीमारी में असामान्य ढंग से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं.
  • इस वजह से योनि में खून आना, बंद होना और संबंधों के बाद खून आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

लक्षण

आमतौर पर शुरुआत में इस के लक्षण उभर कर सामने नहीं आते, लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस के लक्षणों की पहचान की जा सकती है:

  • नियमित माहवारी के बीच रक्तस्राव होना, संभोग के बाद रक्तस्राव होना.
  • पानी जैसे बदबूदार पदार्थ का भारी डिस्चार्ज होना.
  • जब कैंसर के सैल्स फैलने लगते हैं तो पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है.
  • संभोग के दौरान पैल्विक में दर्द महसूस होना.
  • असामान्य, भारी रक्तस्राव होना.
  • वजन कम होना, थकान महसूस होना और एनीमिया की समस्या होना भी लक्षण हो सकते हैं.

कंट्रोल करने की वैक्सीन व टैस्ट

वैसे तो शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन इसे रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिस से तकरीबन 70 फीसदी तक बचा जा सकता है.

नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जाए तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान की जा सकती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए आमतौर पर पैप स्मीयर टैस्ट किया जाता है. इस टैस्ट में प्री कैंसर सैल्स की जांच की जाती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए नई तकनीकों में लगातार विकास किया जा रहा है. इस में लिक्विड बेस्ड साइटोलोजी (एलबीसी) जांच बेहद कारगर साबित हुई है.

एलबीसी तकनीकों के ऐडवांस इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में सुधार  आया है.

इलाज

अगर सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाता है तो बचने की संभावना 85% तक होती है.

वैसे सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है. आमतौर पर सर्जरी के द्वारा गर्भाशय निकाल दिया जाता है और अगर बीमारी बिलकुल ऐडवांस स्टेज पर होती है तो कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी भी दी जाती है.

बचाव है जरूरी

डाक्टर से सलाह ले कर ऐंटीसर्वाइकल कैंसर के टीके लगवाएं.

महिलाओं को खासतौर से व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जननांगों की साफसफाई बहुत महत्त्वपूर्ण है.

माहवारी में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करना चाहिए.

समय पर डाक्टर से संपर्क करना कैंसर के इलाज का सब से अहम कदम है, इसलिए शारीरिक बदलावों को नजरअंदाज न करें.

-डा. अंजलि मिश्रा, लाइफलाइन लैबोरेटरी

तो 2070 तक इस कैंसर से मुक्त हो जाएगा भारत

देश की महिलाओं में पिछले कुछ वर्षों में कार्विकल  कैंसर की शिकायत तेजी से बढ़ी है. पर हाल ही में एक स्टडी में जो बातें सामने आई हैं वो देश की महिलाओं के लिए राहत लाई है. लैसेंट के एक अध्ययन में ये स्पष्ट हुआ कि अगले 60 वर्षों में भारत कार्विकल कैंसर से मुक्त हो जाएगा.

अध्ययन में कहा गया कि भारत ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण और गर्भाशय ग्रीवा की जांच को अधिक सुगम बनाकर 2079 तक गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की समस्या से निजात पा लेगा. इसके अलावा अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि अगर भारत 2020 तक इसके रोकथाम के प्रयासों में तेजी रखता है तो आने वाले 50 वर्षों में असके करीब एक करोड़ से अधिक मामलों को रोका जाना संभव होगा.

इस अध्ययन के अनुसार भारत, वियतनाम और फिलिपीन जैसे विकासशील राष्ट्रों में 2070 से 2079 तक कार्विकल कैंसर पर काबू पाया जा सकता है. वहीं एक और अध्ययन में पाया गया है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से 181 में से 149 देशों में वर्ष 2100 तक निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा अमेरिका, फिनलैंड, ब्रिटेन जैसे विकसित राष्ट्र इस बीमारी को आने वाले 25 से 40 सालों में काबू कर सकते हैं.

आपको बता दें कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर महिलाओं को होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है. वर्ष 2018 में इसके करीब 5,70,000 नए मामलों का पता चला था.

महिलाओं को होता है कैंसर का ज्यादा खतरा, जानिए क्यों

देश में असमय मौत होने वाले कारणों में कैंसर प्रमुख कारण है. 2016 में तरीब 14 लाख कैंसर के मामले दर्ज किए गए हैं. आपको बता दें कि इन आंकडों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. वहीं इंडियन काउंसिल औफ मेडिकल रिसर्च ने साल 2020 तक कैंसर के 17 लाख नए मामलों के दर्ज होने की आशंका जताई है, जिनमें 8 लाख लोगों के लिए जान का खतरा कहीं ज्यादा है.

महिलाओं को होने वाले कैंसर में स्तन, सर्वाइकल, फेफड़े के मामले प्रमुख हैं. एक वेबसाइट के मुताबिक देश में हम मिनट एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. आपको बता दें कि महिलाओं को हर तरह के कैंसरों में स्तन का कैंसर सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत होता है.

जानकारों की माने तो महिलाओं में स्तन कैंसर होने के प्रमुख कारण मोटापा, वसा युक्त भोजन, देर से शादी, अपर्याप्त स्तनपान हैं.

बड़े पद पर बैठी एक हेल्थ एक्सपर्ट ने एक आर्टिकल में लिखा कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक कैंसर होने का कारण खान-पान पर ध्यान ना देना है. इसके अलावा वायु प्रदूषण का भी महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि इन दोनों कारणों का शिकार पुरुष भी हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में महिलाएं देर से इलाज कराती हैं जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसके अलावा भारत में मासिक धर्म के दौरान महिलाएं साफ-सफाई का ख्याल नहीं रख पातीं जिसकी वजह से भी स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं.

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