उस का यह व्यवहार करण को बहुत बुरा लगा. दिल को चोट लगी थी.
अब नैना अकसर अभिनव के साथ बाहर निकलने लगी. उसे किसी की परवा न थी. वह अपने दिल की बात सुन रही थी. अभिनव करण की अपेक्षा काफी विनम्र और अंडरस्टैंडिंग नेचर का था. वैसे भी, नया नया प्यार था, सो, वह नैना को बहुत खास महसूस करा था. उस की छोटीछोटी ख़ुशियों का खयाल रखता. नैना को अब जिंदगी से कोई शिकायत नहीं थी.
एक दिन वह अभिनव के साथ किसी क्लब में थी. वहीं करण अपनी बीवी के साथ पहुंचा. नैना को पति के बजाय किसी और पुरुष के साथ देख कर उस का खून खौल उठा. यदि नैना अपने पति के साथ होती तो उसे बुरा नहीं लगता, मगर वह किसी और के साथ थी. नैना ने भी करण को देख लिया था, मगर उसे इग्नोर कर वह अभिनव की आंखों में देखती रही. करण से यह सब सहन नहीं हो रहा था. वह उस दमघोटू माहौल से दूर जाना चाहता था. उस ने अपनी बीवी से तबीयत ठीक न होने का बहाना बनाया और घर वापस लौट आया. आ कर एक कमरे में बंद हो गया. उस का दिल टूट गया था. भले ही नैना उस की बीवी नहीं थी पर वह उसे बीवी से ज्यादा प्यार करता था. नैना ऐसा कैसे कर सकती है, यह सोचसोच कर करण का सिर फट रहा था. एक बार फिर से उस ने नैना को फोन लगाया.
इस बार भी नैना ने फोन पिक नहीं किया, तो करण ने उसे व्हाट्सऐप किया, ‘यार, तुम ऐसा कैसे कर सकती हो? इतनी आसानी से मेरी जगह किसी और को कैसे दे सकती हो?’
थोड़ी देर बाद नैना का जवाब आया, ‘मैं ने पहले भी लैटर में लिखा था करण, अब मैं आगे बढ़ चुकी हूं. मैं ने मूव औन कर लिया है और तुम्हें भी ऐसा करने की पूरी आजादी है.’
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‘पर हमारा प्यार, हमारा वह रिश्ता क्या कोई माने नहीं रखता? तुम मुझे ऐसे छोड़ कैसे सकती हो?’
‘मिस्टर करण, आप ने मुझ से शादी नहीं की है. इसलिए मुझ पर पतियों वाली मिल्कियत न जमाओ. तुम्हारे पास मेरे लिए वक्त नहीं रहा. इतने महीनों से लगातार मुझे इग्नोर कर रहे हो. यह तो मेरी बेवकूफी थी कि मैं फिर भी प्यार की उम्मीद करती रही. देखो करण, तुम्हारे लिए हमेशा से तुम्हारा परिवार अधिक महत्त्वपूर्ण रहा है. तुम ने हमेशा मुझ से ऊपर अपने घरवालों की इच्छा और जरूरतों को रखा. पहले अपने पिता के कारण मुझ से शादी नहीं की. अब बीवीबच्चों के चलते तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं. तुम ने कभी भी मेरी परवा नहीं की. ऐसे में भला इस तरह के सवाल करने का हक तुम्हें किस ने दिया?’
नैना का रूखा जवाब उसे अंदर तक आहत कर गया. कहीं न कहीं वह नैना को दिल से चाहता था. इसलिए, शादी के बावजूद उसे अपना बना कर रखा था. पर आज उस के दिल का वह कोना रो रहा था. वह पूरी रात बेचैन रहा. बीवी ने कारण पूछा, तो टाल गया. अगले दिन औफिस के काम में उस का बिलकुल भी मन नहीं लगा, तो उस ने नैना को जवाब देने की सोचा.
उस ने नैना के मेल का जवाब लिखना शुरू किया- ‘नैना, तुम मुझे कभी नहीं समझ पाईं. मेरे प्यार को भी महसूस नहीं कर पाईं. याद है जब कई वर्षों बाद दोबारा तुम्हें औफिस में अपनी कलीग के रूप में देखा था, तो मैं कैसे रो पड़ा था. तुम्हें गले से लगा लिया था. दिल किया था कि तुम्हें खुद में ऐसे समेट लूं कि तुम कभी भी दूर न जा सको. पर मैं गलत था. तभी तो तुम ने मेरी कोई परवा नहीं की और ऐसे अचानक ब्रेकअप कर लिया. तुम ने किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया. मुझे तुम से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी.
‘तुम्हें शायद हमारी वे मुलाक़ातें याद नहीं जब केवल तुम मेरे साथ थीं और कोई नहीं था. बीवी से औफिस ट्रिप का बहाना बना कर मैं तुम्हें कश्मीर ले कर गया. हम ने धरती के उस बेहद खूबसूरत स्थल पर 5 दिन बिताए. कितने मनोरम पल थे वे. तुम्हें कहांकहां नहीं घुमाया. तुम एक इशारा करती थीं और वह चीज तुम्हारे लिए उसी पल खरीद कर लाता था. तुम्हारी हर ख़्वाहिश, हर तमन्ना और हर उम्मीद पूरी की. अब जब परिस्थितियां बदल रही हैं, मैं ने थोड़ी दूरी बनाई, जो जरूरी थी, तो तुम ने एकदम से मेरा साथ छोड़ दिया. मेरी दुनिया से पूरी तरह निकल गईं. प्यार में ऐसा भी कभी होता है क्या? 20 सालों का प्यार ऐसे अचानक बिलकुल खत्म किया जा सकता है? यदि तुम्हें लगता है कि ऐसा किया जा सकता है और तुम मेरे बगैर खुश रह सकती हो, तो ठीक है. ऐसा ही करते हैं. हम अब पूरी तरह ब्रेकअप ही कर लेते हैं.’
नैना के पास करण का यह मेल पहुंचा. उस ने मेल में लिखे एकएक शब्द को महसूस किया. सारी यादें ताजा हो गईं. नैना की आंखों से आंसू बह निकले. बहुत देर तक वह उस मेल को बारबार पढ़ती रही और रोती रही.
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कुछ देर बाद उस ने अपना चेहरा धोया, कपड़े बदले और फिर से चेहरे पर मुसकान सजा कर अभिनव को फोन लगाया, “अभिनव, आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझे कहीं ऐसी जगह ले जाओ जहां मुझे दुनिया की कोई तकलीफ़, कोई दर्द, कोई याद मेरे पास न फटके. बस, केवल मैं होऊं, तुम्हारा प्यार हो और एक सुकून हो.”
“जैसी आज्ञा मैडम,” अभिनव ने जवाब दिया.
नैना का चेहरा संतोष और सही फैसले की मजबूती से चमक उठा. उस की जिंदगी में अब करण कहीं नहीं था.
‘कितने प्यार से लिखा था तुम ने कि नैना, यदि तुम मेरी जिंदगी में नहीं आई होतीं तो शायद मैं समझ नहीं पाता कि प्यार क्या होता है. तुम्हारे आते ही हवाएं महकने लगती हैं. दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. बातें जबां पर आ कर अटक जाती हैं. सबकुछ भूल जाता हूं, बस, तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. क्या तुम्हें नहीं लगता कि हमें प्यार हो गया है? अगर हां, तो मुसकरा दो. और अगर न, तो यह कागज कहीं दबा दो या नष्ट कर दो.
‘मैं ने तुम्हारा यह खत पढ़ा और मेरी सांसें तेज चलने लगी थीं. चाह कर भी मैं तुम्हारी तरफ देख नहीं पा रही थी. पलकें झुका कर वहीं बैठी रही. तुम घबरा रहे थे कि कहीं मेरा जवाब न तो नहीं. तभी मैं ने पलकें उठाईं और मुसकरा कर तुम्हारी तरफ देखा. तुम प्यार से मेरी तरफ ही रहे थे. मुझे बहुत शर्म आई और मैं वहां से उठ कर भाग गई. फिर पूरे दिन तुम मेरे पीछे पड़े रहे. तुम वे 3 जादुई शब्द सुनना चाहते थे. शाम हो रही थी. सूरज बादलों की आगोश में खो चला था. तभी मैं ने तुम्हारी बांहों में समाते हुए कह दिया था कि हां करण, मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं. उस दिन हम दोनों को लगा था कि हमारी जिंदगी अब संपूर्ण हो गई है. एकदूसरे का साथ हमारे जीवन की सब से बड़ी खुशी है.
‘कालेज के वे 2 साल हमारे अरमानों को पंख लगा गए थे. हम दोनों एक रोमानी दुनिया में विचरण करते रहते. मैं तुम्हारे साथ अपना सुनहरा भविष्य देखने लगी थी. पर मैं गलत थी, करण. जल्दी ही मुझे पता चल गया कि तुम्हारे लिए हमारे उन मीठे सपनों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण अपने पिता के वचन की लाज रखना और उन की रूढ़िवादी सोच को पोषित करना है.
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‘तुम ने कितनी सहजता से आ कर कह दिया था कि यार नैना, मैं अपने पिता के खिलाफ नहीं जा सकता. मुझे उन की पसंद की लड़की से शादी करनी पड़ेगी. पिताजी ने बचपन में ही मेरी सगाई कर दी थी और यह बात मुझे मालूम नहीं थी.
‘इधर फाइनल ईयर के एग्जाम थे और उधर तुम्हारी शादी. उस दिन मैं बहुत रोई थी. मगर फिर परिस्थितियों से समझौता कर लिया था. मैं ने तुम्हारी यादों से दूर होने के लिए वह कालेज छोड़ दिया. मैं ने तय किया था कि अब तुम से कभी नहीं मिलूंगी. फिर मैं ने एमबीए की पढ़ाई की और एक मल्टीनैशनल कंपनी जौइन की. वहीं राज से मेरी मुलाकात हुई. हम दोनों दोस्त बन गए. इसी दौरान उस की मां ने मुझे देखा और अपनी बहू बनाने का फैसला कर लिया. मैं ने भी सहमति दे दी. बाद में पता चला कि राज ने यह शादी केवल मां के लिए की थी. वह मुझे प्यार नहीं करता था. वह काफी अग्रेसिव नेचर का था. हम अकसर झगड़ते, मगर फिर 2 दोस्तों की तरह पैचअप कर लेते.
‘वह प्यार जो मुझे तुम से मिला था, राज कभी भी नहीं दे सका. यही वजह है कि वक्त ने जब हमें फिर से औफिस कलीग के रूप में मिलाया तो मैं खुद को तुम्हारे करीब आने से नहीं रोक सकी. तुम ने भी तो कहा था कि मुझ से ज्यादा तुम ने कभी किसी को भी नहीं चाहा. हम फिर से दो शरीर एक प्राण बन गए. जिंदगी फिर से खूबसूरत और रोमानी हो गई. कालेजलाइफ की तरह हम जमाने से छिपतेछिपाते मिलने लगे. कभी राज बिज़नैस टूर पर जाता, तो मैं तुम्हें अपने घर बुला लेती और कभी तुम्हारी पत्नी प्रिया बच्चों को ले कर मायके जाती, तो तुम मुझे अपने घर बुला लेते. कई दफा क्लाइंट मीटिंग के नाम पर हम औफिस से भी साथ निकलने लगे थे.
‘वे दिन कितने सुहाने थे. मैं ने अपनी बिटिया को होस्टल भेज दिया था क्योंकि मैं तुम्हारे और मेरे बीच किसी को भी नहीं आने देना चाहती थी. मगर तुम ने हमेशा की तरह हमारे बीच अपने परिवार को आने दिया. अब तुम मुझ से मिलना नहीं चाहते, तो ठीक है करण, मैं भी ज़बरदस्ती तुम्हारे पीछे नहीं पड़ूंगी. बहुत सोचने के बाद मैं ने भी मूव औन करने का फैसला ले लिया है.’
नैना बहुत देर तक अपना लिखा हुआ मेल पढ़ती रही. दिमाग शांत था. दिल की भावनाएं मर चुकी थीं. उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने अतीत का गला घोँट कर सुकून के चंद लमहे पा लेना चाहती है.
अभी वह सोच ही रही थी कि मेल सेंड करे या नहीं, तब तक उस के व्हाट्सऐप पर अभिनव का मैसेज आया, ‘यार, क्या आज बाहर कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम बनाएं? ‘
अभिनव उस का पड़ोसी था. एक तरफ जहां करण उसे इग्नोर कर रहा था तो दूसरी तरफ उस का नया पड़ोसी अभिनव उस की नज़दीकी चाहने लगा था. दरअसल, अभिनव तलाकशुदा था और स्कूल के समय में नैना का सहपाठी भी था. उसे नैना के पारिवारिक जीवन में व्याप्त उदासीनता की खबर थी. ऐसे में उस के और अपने जीवन के ख़ालीपन को वह एकदूसरे का साथ दे कर भरना चाहता था. नैना ने उसे करण के साथ रिश्ते की खबर भी नहीं लगने दी थी. कहीं न कहीं वह भी अभिनव की तरफ आकर्षित होने लगी थी. करण की बेपरवाही से उपजे दर्द ने अभिनव के लिए रास्ता साफ कर दिया था.
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ऊहापोह की धुंध किनारे कर उस ने सेंड बटन पर क्लिक कर दिया और मुसकरा उठी. ऐसा लगा जैसे दिल पर सौ मन भारी रखा पत्थर हट गया हो और अब वह खुल कर सांस लेने को आजाद हो. फिर उस ने ‘ओके’ के साथ अभिनव को एक प्यारी सी स्माइली भेज दी. अब उस के मन में कोई उलझन नहीं थी. उस ने अपनी जिंदगी के आगे के सफर का रास्ता तय कर लिया था.
इधर जब करण को यह मेल मिला तो वह चौंक पड़ा. नैना के इस कदम ने उस के अंदर एक अजीब सी कसक पैदा कर दी थी. उस ने नहीं सोचा था कि नैना इस तरह अचानक रिश्ता बिलकुल ही खत्म कर देगी. आखिर वह भी नैना से प्यार करता था. उस ने तुरंत नैना को फोन लगाया. मगर उस ने फोन उठाया नहीं, एक छोटा सा मैसेज कर दिया, ‘मैं आगे बढ़ चुकी हूं, करण. अब मुझे भूल जाओ.’
आगे पढ़ें- उस का यह व्यवहार…
नैना करण से अंतिम बार करीब 2 महीने पहले मिली थी. उस के बाद तो वह हमेशा कोई न कोई बहाना बना देता. वह मुलाकात भी अजीब सी रही थी. इसी वजह से आज नैना ने ठान लिया था कि वह किसी भी हाल में करण से मिल कर ही जाएगी.
एक घंटे से वह वृंदावन रैस्टोरैंट में करण का इंतजार कर रही थी. हमेशा की तरह वह सही समय पर पहुंच गई थी. यह रैस्टोरैंट शहर से हट कर मगर बहुत खूबसूरत और शांत सा था. नैना और करण अकसर यहीं मिला करते थे. आजकल करण उस के प्रति लापरवाह सा हो गया था. तभी तो वह अब तक नहीं आया था.
थक कर नैना ने उसे फ़ोन लगाया, “क्या हुआ करण, मैं कब से इंतज़ार कर रही हूं यहां.”
“ओके,” कह कर करण ने जल्दी से फोन काट दिया.
थोड़ी देर बाद उस का शौर्ट मैसेज आया, “यार, बेटा साथ में है. इसे कुछ दिलाना था. बेटे को घर भेज कर सीधा वहीं आ रहा हूं.”
इस के करीब 20-25 मिनट बाद करण वहां पहुंचा. नैना नाराज़ थी.
करण ने सफाई दी, “यार, अब हमारा मिलना कठिन होने लगा है. बच्चे बड़े हो रहे हैं. उन्हें चकमा दे कर आना आसान नहीं होता. बीवी भी नजर रखती है.”
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“बीवी तो पहले भी नजर रखती थी न, करण. यह तो कोई बात नहीं हुई. जहां तक बच्चों का सवाल है, तो उन्हें बोर्डिंग स्कूल या होस्टल भेज दो या फिर उन से कह दिया करो कि औफिस के काम से जा रहा हूं.”
“यार, संडे औफिस कहां होता है और फिर वे बड़े हो रहे हैं. उन के इतने दोस्त हैं. किसी ने कहीं हमें साथ देख लिया, तो बेकार शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी.”
“यह तो बड़ी अच्छी बात कही तुम ने, प्यार करना शर्मिंदगी कब से हो गई?”
“तुम नहीं समझोगी, नैना.”
“हां, यह तो बिलकुल सच है. न मैं आज तक तुम्हें समझ सकी और न तुम्हारे प्यार को. अगर राज मुझ से सही माने में प्यार करने वाला पति होता तो मैं शादी के बाद तुम से रिश्ता रखती ही नहीं. मगर उसे अपने बिज़नैस के अलावा किसी से प्यार नहीं. एक तुम थे और 20 साल पुराना हमारा प्यार था. पर तुम्हें भी अब मेरे लिए समय निकालना कठिन हो रहा है. तुम मुझ से बचने की कोशिश करने लगे हो,” नैना रोंआसी हो कर बोली.
“ऐसा नहीं है, नैना. बस, वक्त और परिस्थितियां बदल रही हैं. वरना, भला मैं तुम से बचने की कोशिश क्या कभी कर सकता हूं?”
“बात जो भी हो करण, पर मैं तुम से दूर नहीं रह सकती. मैं तुम से कितना प्यार करती हूं, यह तुम भी जानते हो न.”
“मैं क्या प्यार नहीं करता. तुम्हारे पिछले बर्थडे पर भी मैं ने सोने की अंगूठी गिफ्ट की थी. उस से पहले भी याद है हमारी लास्ट मुलाकात जब हम मार्केट गए थे और वहां तुम्हें एक ड्रैस पसंद आ गई थी. तुम्हारी आंखों में उस ड्रैस की इच्छा देखते ही मैं ने उसे तुरंत पैक करवा लिया था. तुम मेरे लिए बहुत खास हो नैना और आज से नहीं, हमेशा से. बस, बात यही है कि तुम मुझे समझ नहीं पाती हो. पिछले साल अक्टूबर में शालू ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया था. मैं ने लाख बहाने बनाए, मगर उस के दिल में यह बात बैठ गई है कि हम दोनों का चक्कर है. उस के शक पर उस की सहेली ने भी मुहर लगा दी क्योंकि उस ने भी मुझे तुम्हारे साथ देख लिया था. इसलिए कह रहा हूं कि अब हमें थोड़ी दूरी बना लेनी चाहिए, नैना.”
उस रात नैना बहुत उदास थी. करण का व्यवहार उसे अंदर तक आहत कर गया था. अब वह अपनी जिंदगी से जुड़े इस अध्याय के संदर्भ में एक फैसला लेना चाहती थी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. आजकल अकसर ऐसी बातें होने लगी. एक साल से करन उस से मिलने से कतराता रहा है. कभी कोई बहाना बना देता है, तो कभी कोई समस्या. उन की लास्ट मीटिंग 2 महीने पहले हुई थी और फिर आज. वह फैसला लेना चाहती थी कि अब उसे अपने दिलोदिमाग में करण की दखलंदाजी बंद कर देनी चाहिए या जैसा चल रहा है उसी में खुश रहे.
अपनी आंखें बंद कर बिस्तर पर औंधी लेटी नैना बहुत देर तक सोचती रही. हर बार उस के दिल में एक ही बात आ रही थी कि करण अब उस से प्यार नहीं करता. उस का अपना परिवार है, परिवार की जिम्मेदारियां हैं और वह उसी में व्यस्त रहता है. अब वह उस से मिलने को पहली सी चाहत नहीं रखता. फिर ज़बरदस्ती उसे इस रिश्ते को ढोने को मजबूर क्यों किया जाए. आखिर उस की भी सैल्फ रिस्पैक्ट है.
बस, फिर क्या था, नैना एक मेल लिखने बैठ गई. मेल की शुरुआत उस ने उन दिनों की यादों से की जब वह नईनई कालेज गई थी और वहीं फ्रेशर पार्टी के दिन उस की मुलाकात करण से हुई थी. करण उस से सीनियर बैच में था.
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उस ने लिखना शुरू किया- ‘ मुझे आज भी याद है वह दिन जब कालेज फ्रेशर पार्टी के दौरान मैं सब से अलग हट कर दूर खड़ी थी. शायद मैं कंफर्टेबल महसूस नहीं कर रही थी. तब तुम मेरे करीब आए थे मुझे चीयर अप करने. तुम ने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया. उस माहौल में कंफर्टेबल फील कराया. उस दिन हमारी दोस्ती हो गई.
‘तुम मेरी बहुत केयर करने लगे थे. तुम्हारी नजरें हमेशा मुझे ढूंढती रहती थीं. यही बात मुझे सब से ज्यादा पसंद थी. हम अकसर साथ समय बिताने लगे. मुझे महसूस होने लगा जैसे मैं तुम से प्यार करने लगी हूं. मैं यह बात तुम से कहना चाहती थी, मगर कह नहीं पा रही थी. तब एक दिन तुम ने मुझे एक खत दे कर अचंभे में डाल दिया.
आगे पढ़ें- उस दिन हम दोनों को लगा था कि…