सवाल–
मेरे पति की उम्र 32 और मेरी 30 साल है. बेटा 3 साल का और बेटी 6 साल की है. अब हम आगे और संतान के इच्छुक नहीं है. क्या हम में से किसी एक का परिवार नियोजन औपरेशन करा लेना ठीक होगा? क्या उन का औपरेशन कराना अधिक सही रहेगा?
जवाब-
यदि पतिपत्नी यह मन बना लें कि उन का परिवार पूरा है और उन्हें आगे संतान की इच्छा नहीं है तो दोनों में से किसी एक का परिवार नियोजन औपरेशन करा लेना समझदारी वाला फैसला है.
यह औपरेशन स्त्रीपुरुष दोनों में ही आसानी से किया जा सकता है. अगर पतिपत्नी यह मन बना लें कि औपरेशन पत्नी को करवाना है तो इस का सब से अच्छा समय बच्चे को जन्म देने के 48 घंटों के भीतर है. उस समय औपरेशन कराना आसान होता है और स्त्री को आराम भी आसानी से मिल जाता है. यदि किसी स्त्री को सीजेरियन की जरूरत पड़ती है, तो उसी सीटिंग में यह औपरेशन भी किया जा सकता है.
मगर आप चूंकि मां बनने के दौर से गुजर चुकी हैं, इसलिए यदि आप के पति इस औपरेशन के लिए राजी हैं, तो यह निर्णय बेहतर होगा. स्त्री की तुलना में पुरुष में यह औपरेशन अधिक सुगमता से किया जा सकता है.
परिवार नियोजन औपरेशन करने के कई तरीके हैं. हर विधि के पीछे मूल लक्ष्य यही रहता है कि औपरेशन के बाद स्त्रीपुरुष के संतान बीज आपस में न मिल सकें. इसी दृष्टि से स्त्री में डिंबवाही नलियों को और पुरुष में शुक्राणुवाही नलियों पर या तो छल्ला कस कर या शल्यकर्म से काट कर अवरोधित कर दिया जाता है ताकि डिंब और शुक्राणु के मेलमिलाप की स्थिति न बन सके. स्त्री में यह औपरेशन ट्यूबेक्टोमी और पुरुष में यह वैसेक्टोमी के नाम से जाना जाता है.
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ट्यूबेक्टोमी के औपरेशन में पेट के निचले भाग में दोनों ओर आधेआधे इंच का चीरा लगाया जाता है. इस लैप्रोस्कोपिक स्टरलाइजेशन में दूरबीन जैसे विशेष यंत्र से डाक्टर श्रोणिगुहा के भीतर डिंबवाही नलियों को ढूंढ़ कर उन पर छल्ला कस देते हैं. इस ट्यूबेक्टोमी के 2-3 दिनों बाद ही स्त्री सामान्य दिनचर्या में लौट आती है.
वैसेक्टोमी के औपरेशन में जांघ के थोड़ा ऊपर, बिलकुल छोटा सा गेहूं के दाने जितना चीरा लगा कर शुक्राणुवाही नली को बंद कर दिया जाता है. औपरेशन लोकल ऐनेस्थीसिया में ही किया जा सकता है. अगले 15 दिनों तक पुरुष को मात्र यह सावधानी बरतनी होती है कि न वजन उठाए और न साइकिल चलाए.
परिवार नियोजन औपरेशन कराने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि यह युक्ति एक अनपलट उपाय है. कभी बाद में मन बदले और पतिपत्नी फिर से बच्चा करने का मन बनाएं तो यह काम आसान नहीं है. हालांकि तकनीकी स्तर पर अवरोधित शुक्राणुवाही नलियों या डिंबवाही नलियों को फिर से खोलने के लिए रिकेनलाइजेशन औपरेशन किया जा सकता है, पर दुनिया के अच्छे से अच्छे केंद्रों में इस औपरेशन में 20-30% मामलों में ही सफलता मिल पाती है. अत: परिवार नियोजन औपरेशन कराने का निर्णय तभी लेना उचित होता है जब या तो बच्चे थोड़े बड़े हो जाएं या मन बिलकुल स्पष्ट हो कि आगे जैसी भी स्थितियां बनें फिर बच्चा नहीं करेंगे.
कुछ लोग यह सोचते हैं कि परिवार नियोजन औपरेशन कराने के बाद पुरुष की ताकत और स्त्री का नारीत्व ढल जाता है. यह सोच बिलकुल गलत और निराधार है. सचाई यह है कि इस औपरेशन के बाद शरीर का हर अंग लगभग पहले जैसे ही काम करता रहता है. न तो जनन अंगों के आकार में, न ही उन की क्षमता में कोई कमी आती है.
यदि पुरुष यह औपरेशन करवाता है तो औपरेशन के बाद उस की अंडग्रंथियां पहले की ही तरह काम करती रहती हैं. उन में सैक्स हारमोन शुक्राणु का निर्माण पहले जैसा ही होता रहता है. यौन सामर्थ्य भी पहले जैसी रहती है और स्खलन के समय वीर्य का भी उत्सर्जन होता है. फर्क सिर्फ इतना होता है कि अब वीर्य में शुक्राणु नहीं होते.
इसी प्रकार यदि स्त्री यह औपरेशन करवाती है तो उस की डिंबग्रंथियां भी पहले की ही तरह हर मासिकचक्र में सैक्स हारमोन का निर्माण करती हैं. उन में पहले की ही तरह डिंब के पकने और छूटने की भी पूरी तैयारी होती है और मासिकचक्र पूरा होने पर गर्भाशय से रज का भी त्याग होता है. अंतर सिर्फ इतना होता है कि अब डिंब अवरोधित डिंबवाली नली के इस ओर ही रह जाता है, आगे नहीं बढ़ पाता जो उस का शुक्राणु से मिलन हो सके.
औपरेशन करवाने के बाद न तो स्त्री की कामेच्छा, न पुरुष की यौन सामर्थ्य पर कोई बुरा असर पड़ता है. हां, जीवन आगे के लिए परिवार नियोजन विधियों से अवश्य मुक्त हो जाता है. यदि स्त्री यह औपरेशन करवाती है तो औपरेशन के तुरंत बाद प्रजनन के दायित्व से मुक्त हो जाती है और यदि पुरुष औपरेशन करवाए तो यह बात उस पर लागू नहीं होती. औपरेशन के अगले 3 महीनों तक उसे या उस की यौनसंगिनी को कोई न कोई मनपसंद गर्भनिरोधक विधि अपनानी जरूरी है. जब
3 महीने बाद वीर्य जांच से यह सिद्ध हो जाए कि वीर्य में शुक्राणु आने बंद हो गए हैं तभी वह अपनेआप को परिवार नियोजन विधियों से मुक्त मान सकता है.
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