अगर परेशान करे जांघों का फैट

रूपा टेढ़ीटेढ़ी चल रही है. अपनी इस चाल पर उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है. यह तब और बढ़ जाती है जब सामने वालों की हंसती आंखें उसे देखती हैं. कोईकोई तो मुसकरा कर पूछ ही लेता है कि क्या हो गया? तो वह कुछ कह नहीं पाती. शेफाली चलते हुए एकांत पाते ही जांघों के बीच साड़ी व पेटीकोट दबा लेती है. कुछ देर उसे राहत मिलती है पर हर समय वह ऐसा नहीं कर पाती, तो इस राहत से वंचित रह जाती है. वह कहती है कि मैं कुछ भी काम कर रही होऊं पर मेरा ध्यान बंट जाता है और रगड़ खाती जांघों पर ही केंद्रित रहता है. मेरी कार्यक्षमता इस से बहुत प्रभावित हो रही है. मूड भी खराब रहता है.

सुभाष बाथरूम में जा कर जांघों के बीच पाउडर लगाता है. उस से पहले जांघों को सूती कपड़े से पोंछता है. वह कहता है कि इस से मैं कई बार खुद को अपनी ही नजरों में गिरा हुआ महसूस करता हूं. इस तरह की स्थितियां हमारे या हमारे आसपास के कई लोगों में दिखती हैं. उन की जांघें छिल जाती हैं. तनमन दोनों पर ऐसा असर पड़ता है कि बीमार जैसी स्थिति हो जाती है. जांघों की इस रगड़ पर ध्यान न दिया जाए, तो कभीकभी बड़ेबड़े घाव हो जाते हैं, यानी स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है. इस का निदान हर भुक्तभोगी चाहता है.

कारण क्या है

स्किन स्पैशलिस्ट डा. प्रमिला कहती हैं कि ऐसा मोटापे के कारण होता है. मोटापा जांघों पर भी होता है. अत: फ्रिक्शन यानी आपस में जांघों के टकराव से यह स्थिति होती है. अच्छा है कि इस का स्थायी निदान किया जाए और वह है खुद को ओवरवेट न होने दिया जाए. यदि ऐसा है तो वजन कम किया जाए. इस में सही खानपान और व्यायाम जल्दी तथा अच्छी भूमिका निभा सकता है. सावित्री इतनी मोटी भी नहीं है और उस की जांघें आपस में टकराती भी नहीं हैं तो फिर उसे यह समस्या क्यों है? इस पर डा. प्रमिला कहती हैं कि कभीकभी गलत पोस्चर में सोने के कारण भी ऐसा होता है. शरीर का वजन जहां पड़ना चाहिए वहां न पड़ कर कूल्हों से जांघों पर आ जाता है. जांघें नर्म और चर्बीली होती हैं, इस वजह से टकराने लगती हैं. अपना पोस्चर सही रख कर भी इस समस्या से बचा जा सकता है.

डा. पूनम बाली इस के चिकित्सकीय पक्ष की दृष्टि से कहती हैं कि जांघों में फैट ज्यादा जमा होता है. उन के आपस में टकराने से स्किन का प्रोटैक्टिव फंक्शन खत्म हो जाता है. इस से रैशेज हो जाते हैं तथा स्किन डार्क हो जाती है. यह सब देखने या अच्छा न लगने के स्तर पर ही नहीं है, बल्कि भुक्तभोगी को अच्छाखासा दर्द भी होता है. कई लोग तो रो पड़ते हैं. कई चिंता, तनाव से घिर जाते हैं. नहाने के बाद त्वचा को अच्छी तरह पोंछ कर ऐंटीसैप्टिक पाउडर लगाने से इस समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है. पर बेहतर इलाज जांघों का वजन कम करना ही है. वे युवा जो लुक को ले कर कांशस हैं तथा उन का जीवनसाथी उन की छिली हुई जांघें देख कर क्या महसूस करेगा, यह सोचते हैं वे इस के लिए स्किन लाइट करने का लोशन डाक्टर के परामर्श से इस्तेमाल कर सकते हैं. स्किन टाइटनिंग क्रीम भी काफी उपयोगी व मददगार है. पर यह सब किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना न किया जाए वरना परेशानी कम होने के बजाय बढ़ सकती है. यानी यहां ऐलर्जी हो सकती है व इन्फैक्शन और बढ़ सकता है. इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल के सीनियर कंसल्टैंट व डर्मैटोलौजिस्ट डा. देवेंद्र मोहन कहते हैं कि जांघों का एरिया काफी इन्फैक्शन प्रोन एरिया है. इस के आसपास यौनांग, मूत्राशय, मलद्वार आदि होने के कारण यहां संक्रमण ज्यादा तथा जल्दी होता है. जांघों के लगने की समस्या गरमी व बारिश में ज्यादा होती है. अत: उस वक्त साफसफाई का पूरा ध्यान रखना जरूरी है. इस एरिया को सूखा रखा जाए और डाक्टर की सलाह से ऐंटीफंगल का इस्तेमाल किया जाए. रुचिका कहती हैं कि मैं ने जांघों की ऐक्सरसाइज कर के डेढ़ महीने में ही इस समस्या से नजात पा ली.

मोहन कहता है कि मैं ने पैरों की ऐक्सरसाइज कर के शुरू में ही इस समस्या को काबू कर लिया. फिर वह क्रम ऐसा बढ़ा कि जांघों के साथसाथ शरीर का वजन भी नियंत्रित हो गया.

घरेलू नुसखे

कुछ घरेलू नुसखे ऐसे हैं जिन्हें अपना कर इस समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है:

इस एरिया में रात को सोने से पहले सरसों का तेल या हलदी लगाई जा सकती है. नीबू में पानी मिला कर लगाना भी राहत देता है. संतरे व किन्नू का रस भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फलों की क्रीम भी अप्लाई की जा सकती है. ऐलोवेरा का रस भी रामबाण नुसखा है. नायलौन की या ऐसी ही दूसरी इनरवियर से बचें जो गीलापन न सोखती हो. देवेंद्र मोहन इस समस्या का एक और कारण बताते हैं. वे कहते हैं कि कभीकभी डायबिटीज के कारण भी यह समस्या हो सकती है. ऐसी स्थिति में इसे त्वचा की बीमारी मान कर ही न बैठ जाना चाहिए. अंदरूनी जांच भी करवानी चाहिए. समय पर किसी भी स्थिति को काबू किया जा सकता है. भारी जांघें समस्या खड़ी कर सकती हैं, यह ध्यान में रखने पर उन्हें हलका रखने की अपनेआप ही तलब होने लगती है. वाकिंग में तेजी ला कर या जिन को इस की आदत नहीं है, वे वाकिंग शुरू कर के भी इस समस्या के हल की ओर बढ़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें- इन 6 लक्षणों को महिलाएं न करें इग्नोर

इन नेचुरल टिप्स से पाएं गर्दन के फैट से छुटकारा

जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे हमारी गर्दन का भार भी बढ़ने लगता है और एक समय ऐसा आता है जब हमारी गर्दन हमारे चेहरे से अधिक बड़ी या मोटी लगती है. ऐसी स्थिति में आपके चेहरे की सारी शेप ही बिगड़ जाती है और वह थोड़ा भद्दा दिखने लगता है. अगर आपके साथ भी यह दिक्कत है तो आप एक्सरसाइज के द्वारा और डाइट के द्वारा अपनी गर्दन का फैट प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं. आज हम केवल डाइट के कारण आप कैसे अपनी गर्दन के फैट को कम कर सकते हैं, इस विषय पर चर्चा करेंगे. लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं कि गर्दन फैट के बढ़ने के क्या क्या मुख्य कारण होते हैं.

गर्दन फैट जमा होने के कारण

मोटापा : जो लोग ओवर वेट होते हैं उनकी गर्दन का फैट बढ़ने के चांस अधिक होते हैं इसलिए उनके शरीर के साथ साथ उनकी गर्दन भी मोटी होती है.

कुछ मेडिकल स्थितियां : हार्मोन्स के अनियमित होने के कारण या थायराइड जैसी समस्याओं के कारण मोटापा बढ़ सकता है और इस कारण से गर्दन का फैट भी बढ़ सकता है.

हृदय संबंधी समस्या : जिन लोगों को हृदय संबंधी समस्या हैं उन्हें गर्दन का फैट अधिक होने की समस्या हो सकती है.

उम्र : जिन लोगों की उम्र अधिक हो जाती है उन्हें जवान लोगों के मुकाबले मोटी गर्दन की अधिक समस्या झेलनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- फर्टिलिटी और जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है तनाव? जानें यहां

गर्दन का फैट कम करने की कुछ डाइट टिप्स

ग्रीन टी : ग्रीन टी में कुछ ऐसे पोली फेनोल्स होते हैं जिनमें एंटी ऑक्सिडेंट होते है. यह वजन कम करने में और गर्दन के फैट को कम करने में लाभदायक माने जाते हैं. आप ग्रीन टी बैग्स को पानी के साथ उबाल कर उसे छान कर उसमें शहद एड करके पी सकते हैं.

नारियल का तेल : इसमें कुछ फैटी एसिड्स होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं. इससे आपको बिना चाहा फैट कम करने में मदद मिलती है. आप हर रोज सुबह एक चम्मच एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल पी सकते हैं और अगर चाहें तो इससे अपनी गर्दन पर मसाज भी कर सकते हैं.

खरबूजा : खरबूजे में कैलोरीज़ और फैट की मात्रा बहुत कम होती है. इसमें बहुत से मिनरल और विटामिन होते हैं. यह आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते हैं और आपकी वजन कम करने में भी मदद करते है. इसलिए दिन में ताजे ताजे खरबूज की स्लाइस खाते रहें.

नींबू का रस : नींबू के रस में बहुत सी एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं. यह एंटी ऑक्सिडेंट बॉडी के मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव करते हैं और आपका वजन कम करने में भी मदद करता है. इसके लिए आप सुबह सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में नींबू निचोड़ कर उसमें शहद एड करके पी सकते हैं.

अलसी : अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए या तो आप अलसी के बीज खा लें या फिर उसके पाउडर को पानी में मिला कर के पी सकते हैं.

मूली : मूली विटामिन ए और फाइबर का एक अच्छा स्रोत होती हैं. इनकी पचाने में अधिक समय लगता है इसलिए यह आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देती हैं. इसलिए मूली आपका वजन कम करने में मदद कर सकती है. आप इसे सलाद को तरह खा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- म्युकर माइकोसिस देश में अधिक होने की खास वजह क्या है? जाने यहां

एलो वेरा : एलो वेरा बॉडी फैट और वजन को कम करने में बहुत लाभदायक माना जाता है. इससे नेक फैट कम होने में भी सहायता मिल सकती है. आप रोजाना सुबह उठ कर ताजा एलो जूस पी सकते हैं.

उपरलिखित सभी तरीके गर्दन का वजन कम करने में लाभदायक हैं. इनके अलावा आप अधिक से अधिक पानी पिए, ज्यादा कैलोरीज़ वाला खाना न खाएं और हर रोज थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी करते रहें. अगर आपके सारे शरीर का थोड़ा बहुत वर्कआउट होगा तो आपके सभी अंगों का वजन कम होने में मदद मिलेगी. आप सूरज मुखी के बीजों का और लाल शिमला मिर्च का प्रयोग भी कर सकते है.

होम मेड और क्लीन फूड है फिटनेस का राज– डौ.रिया बैनर्जी अंकोला

इन्टरनेट से लेकर हर जगह मोटापे को कम करने के नुस्खे उपलब्ध होते है, लेकिन ये कितना सही है इसकी जानकारी किसी को नहीं होती और किये गए उपाय कारगर नहीं होते. असल में मोटापा पिछले कई सालों से समस्या बनी हुई है, इसमें सबसे अधिक समस्या किशोरावस्था की मोटापा है, जो आज की लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ चुकी है. घर पर बना हुआ खाना, हर दृष्टि से अच्छा और सेहतमंद रहने का जरिया है. इस बारें में प्रसिद्द पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, एडोलेसेंट एक्सपर्ट और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ.रिया बैनर्जी अंकोला बताती है कि पिछले 6 से 7 सालों से यूथ को बहुत सारी समस्याएं है. वे लैपटॉप पर घंटो बैठे रहते है. कही खेलने या घूमने नहीं जाते. शारीरिक रूप से वे बहुत कम एक्टिव है. खासकर मेट्रो में डाइट फूड  के नाम पर जो बिक रहा है. उसे वे बिना सोचे समझे खरीद लेते है. लेकिन वह आपके लिए सही है या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती. वे मानसिक तनाव और मोटापे के शिकार है. जिसका सम्बन्ध उनकी जीवन चर्या और भोजन है. आपको घर के खाने पर अधिक जोर देने की जरुरत है . ओट्स आज आया है, पहले लोग दलिया खाते थे, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा था. इतना ही नहीं आज के यूथ क्विक फूड  और रेडी तो ईट फूड  अधिक खाते है, जिसमें प्रिजरवेटीव होता है,जिसका असर स्वास्थ्य पर बाद में पड़ता है. प्रोसेस्ड फूड  कभी सही नहीं होता. मैंने खुद अपना 60 किलो वजन 2 साल में कम किया है. मेरा वजन भी तनाव की वजह से बढ़ा था.

ये भी पढ़ें- छेड़खानी या रेप कभी भी मजे के लिए नहीं होती – सबा खान

इसके आगे डॉ.रिया कहती है कि आयल की बात करें, तो प्रोसेस्ड और रिफाइंड आयल कभी भी सही नहीं होता. पहले बादाम तेल, सरसों का तेल, तिल का तेल, नारियल का तेल आदि प्रयोग होता था, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है. खाने पीने का ध्यान खुद को ही हमेशा रखना पड़ता है. एक्टर हो या डौक्टर सभी को अपने डाइट का ध्यान देना पड़ता है. लोग 25 दिन ट्रेवल कर भी अपनी सेहत का ध्यान रखते है. ये सेल्फ मोटिवेशन की वजह से ही हो पाता है. आजकल इन्टरनेट पर बहुत सारी जानकारियां होती है और लोग उसका सहारा लेते है, पर किसी के लिये वह ठीक रहता है तो किसी के लिए नहीं,क्योंकि हर व्यक्ति की बॉडी टाइप अलग होती है. किसी को कुछ डाइट सही रहता है, तो किसी को कुछ और सूट करता है. इसलिए एक्सपर्ट की राय लेना सबसे सही होता है. सबकी मेटाबोलिज्म और हेल्थ प्रॉब्लम भी अलग होती है और अपने हिसाब से भोजन करने से व्यक्ति हमेशा सेहत मंद रहता है. इसके अलावा कुछ लोग घी खाने को उचित समझते है, पर क्या आपका शरीर घी के लिए तैयार है? इसे देखने की जरुरत होती है, क्योंकि आपका कोलेस्ट्राल लेवल क्या है, उसमें घी कहाँ तक जरुरी है, इसकी जानकारी व्यक्ति को होनी चाहिए. लोगों में खान-पान को लेकर जागरूकता की कमी है और उन्हें पता नहीं होता है कि उनके शरीर को चाहिए क्या?

त्योहारों को सेलिब्रेट करना सभी को पसंद होता है और इस अवसर पर मिठाइयां और अच्छे-अच्छे पकवान भी खाने को मिल जाते है. ऐसे में तबियत बिगड़ जाने की भी सम्भावना बढ़ जाती है. ऐसे मौके पर सही खान-पान की तरफ ध्यान देने की जरुरत अधिक होती है डॉ. रिया हंसती हुई कहती है कि मैं इलाज से अधिक प्रिवेंशन पर विश्वास करती हूँ और उसी दिशा में काम करती हूँ. अगर व्यक्ति बीमार हो भी गया है, तो उसे प्रिवेंशन के द्वारा कंट्रोल कर सकते है. इसमें मैं लाइफस्टाइल चेंज पर अधिक ध्यान देती हूँ, जिसमें खाना 70 प्रतिशत मैटर करता है. पिछले 10 से 15 साल में मैंने देखा है कि लोग मेरे पास गलत जानकारी के साथ आते है. असल में दिवाली या किसी भी त्यौहार के दौरान लोग अपने रिश्तेदारों से मिलते है और खुश होते है, पर ऐसे समय में अगर कोई व्यक्ति घर में ऐसा है, जिसे कुछ चीजो से परहेज करनी है, या उसकी कोई खास इलाज हो रहा है, तो उसके डाइट का ध्यान रखना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे. मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है कि वे मधुमेह के रोगी है और दिवाली पर इतना खा लिया कि उन्हें अगले दिन हार्ट एटैक आ गया. ऐसी खुशियाँ कभी न मनाये, ताकि इसका गलत असर आप पर हो.

ये भी पढ़ें- अकेले रहती हूं. हां मैं एक लड़की हूं.

5 हेल्दी टिप्स फौर फिटनेस एंड वेट लौस

  • अपने चौइस से डेली वर्कआउट करें,
  • अधिक से अधिक पानी का सेवन करें,
  • खाने में फ्रेश सब्जियों का प्रयोग अधिक से अधिक करें,जिसमें केवल सलाद नहीं, लोकल फूड खाएं,
  • समय से पेट भर भोजन करें, बीच-बीच में स्नैक्स न लें, ताकि आपका इन्सुलिन लेवल ट्रिगर न हो, तीन बार भोजन पूरे दिन में करने की कोशिश करें, भूख लगने पर ही भोजन करें,
  • नींद 7 से 8 घंटा पूरी करें, क्योंकि नींद में भी फैट बर्न होता है,

फैट्स में छिपा दिल की सेहत का राज  

वसा का नाम सुनते ही हम यह सोचते हैं कि ये तो हमारी हैल्थ के लिए अच्छी नहीं होती हैं . क्योंकि हम अब तक यही सुनते आए हैं कि वसा दिल के  दौरे, उच्च कोलेस्टरोल और यहां तक की वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होती है. लेकिन शोध बताते हैं कि सभी वसा एक जैसी नहीं होती. कुछ वसा ख़राब होती है तो  कुछ अच्छी वसा मधुमेह,  उच्च कोलेस्टरोल व उच्च रक्तचाप से बचाती है. कह सकते हैं कि स्वस्थ वसा हमें हिरदे रोग और ख़राब आहार और जीवन शैली  की आदतों  से जुड़ी अन्य स्वास्थ समस्याओं के बढ़ते जोखिम से बचा सकती हैं. आइए जानते हैं इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट प्रीति त्यागी से.

भारत में दिल की बीमारियों के आंकड़े चिंताजनक है. पुरुषों और महिलाएं के साथसाथ अब बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी भी दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रही है, जो काफी चिंताजनक है.  अधिक से अधिक युवा भारतीय कोरोनरी धमनी की बीमारी से पीड़ित हैं. भारत को पहले से ही दुनिया  की मधुमेह राजधानी के रूप में देखा जाता है. हर साल बढ़ते रोगियों के कारण जल्द ही भारत को विश्व की कोरोनरी हिरडीए रोग राजधानी भी कहा जाएगा.

वर्तमान अध्धयन के अनुसार, भारत में जल्द ही दुनिया के मुकाबले में हिरडीए रोगों की संख्या सबसे अधिक होगी. इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, शहरो में रहने वाली आबादी को गांवों में रहने वाले लोगों की तुलना में दिल के दौरे का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है.

ह्रदय रोगों के प्रमुख कारण

युवा भारतीयों में दिल की बीमारियों के बढ़ते प्रसार के पीछे प्रमुख कारण ख़राब जीवन शैली और आहार है.  जिसके लिए ये चीज़ें जिम्मेदार हैं.
– जंक और पैकेट खादय पदार्थों की बढ़ती खपत
– हर समय तनाव में रहना
– धूमपान व शराब का सेवन
– फल व सब्ज़ियों को अपने खानपान से गायब कर देना

ये भी पढ़ें- #coronavirus: WHO ने चेतावनी देते हुए एक और खतरनाक लक्षण के बारे मे बताया, पढ़ें पूरी खबर

क्या मूल कारण सूजन है

आपको बता दें कि ये चीज़ें धीरे धीरे आपके शरीर में सूजन की स्तिथि पैदा कर देती है, जो दिल की बीमारी का मुख्य कारण बनता है. पारंपरिक चिकित्सा से हमें ज्ञात होगा कि यह सभी उच्च संतृप्त वसा वाले आहार या अनुवांशिक या दोनों के संयोजन से सम्बंधित हैं . लेकिन इसके आलावा भी बहुत कुछ है. दुर्भाग्य से, बहुत कम डाक्टर ख़राब पाचन के बीच संबंध बताते  हैं , जिसे हम सूजन पैदा होने के लिए जिम्मेदार मानते हैं. और यही हिरडीए रोगों के बढ़ने का कारण बनता है. दवाइओं से इसे कंट्रोल करने के साथ साथ हमें  भी कुछ प्रयास  करने जरूरी हैं, तभी हम इसे कंट्रोल कर पाएंगे.

धूमपान और मोटापे से बचना एक अच्छी शुरूआत है. लेलिन हमारे पेट में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया भी मदद कर सकते हैं. क्योंकि आपकी आंत की मौलिक भूमिका इम्यून प्रणाली पर निर्भर करती है. बता  दें  कि आपकी प्रतिरक्षा का लगभग 80 परसेंट आपकी आंत में निहित है.

my22bmi के अनुसार, कुछ आसान से उपाय बताए जा रहे है, जो आप अच्छे आंत स्वस्थ को सुनिश्चिंत करने के लिए कर सकते हैं. जो आपके समग्र स्वस्थ में सुधार लाने का काम करेगा.

आपको बता दें कि स्वस्थ वसा केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं है, बल्कि ये शरीर के संपूर्ण विकास में अहम भूमिका निभाता है. लेकिन हम वजन बढ़ने के डर से सबसे पहले वसा को ही अपनी डाइट से हटाते हैं. जबकि ये सही नहीं है. क्योंकि सभी फैट्स ख़राब नहीं होते। कुछ फैट्स हमारी हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं ,जिसमें डाइटरी फैट्स मुख्य  हैं.

क्या हैं डाइटरी फैट्स

डाइटरी फैट्स हमें पशु व पौधों से प्राप्त होता है. आपको बता दें कि डाइटरी फैट फैटी एसिड से बना है और फैटी एसिड 2 तरह के होते हैं, सैचुरेटेड एंड un सैचुरेटेड. हम unsaturated फैट को हैल्थी मानते हैं.

सैचुरेटेड  vs   unsaturated फैट

 सैचुरेटेड फैट्स  –

सैचुरेटेड फैट्स स्वस्था के लिए अच्छे नहीं होते, क्योंकि ये बैड कैलोस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे हिर्दय संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.

 unsaturated फैट –

unsaturated फैट आपके शरीर के लिए बेस्ट है. यह कमरे के तापमान पर तरल होते हैं और ज्यादातर सब्ज़ियों व मछली से प्राप्त किया जाता है. इसलिए आपके लिए सही प्रकार के वसा का संतुलन बनाए रखना बहुत जरुरी है.

हैल्दी रहने के लिए इन्हें शामिल करना न भूलें –

-ओमेगा 3  फैटी एसिड एक  प्रकार की वसा है. जिसे आप हैल्दी फैट या पोली अन सैचुरेटिड फैट भी कह सकते हैं. जो हारमोन्स का निर्माण करने के साथसाथ शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करती है.इसके लिए आप नट्स, अलसी, सूरजमुखी के बीज, शलगम, सेलमन फिश, सोयाबीन आदि से आप भरपूर्ण मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड ले सकते हैं.

– फलों और सब्ज़ियों से भरपूर्ण आहार लेने से मधुमेह, दिल की बीमारियों व कैंसर का खतरा कम होता है.  क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंट्स और फॉयतोकेमिकल का अच्छा स्रोत होते है. जो शरीर में सूजन को भी कम करने का काम करते हैं.

– एक ही तरह का आटा खाने से बचें. क्योकि ये पेट में सूजन पैदा करने का काम करता है. इसलिए हैल्थी रहने के लिए 2 – 3 तरह के आटे को जैसे रागी, जवार, बाजरा आदि को मिलाकर आटा तैयार करें।

– शरीर में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करने के लिए डाइट लेने के साथ साथ सुप्प्लिमेंट भी लें. क्योंकि इसकी कमी से ऊर्जा का स्तर धीमा होने के साथ चयापचय को  भी धीमा कर देता है, और इससे शरीर में वसा के संचयों बढ़ावा मिलता है. इसके लिए आप फिश, अंडा, सब्ज़ियों व दूध व दूध से बनी चीज़ों को अपनी डाइट में शामिल करें.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: जिस्म पर भी हमलावर रोग प्रतिरोधक क्षमता

–  विटामिन डी युक्त फ़ूड भी भरपूर्ण मात्रा में लें.  क्योंकि इसकी कमी मोटापे को बढ़ावा देने का काम करती है.

–  नट्स में भरपूर्ण मात्रा में प्रोटीन और वसा होता है, जो स्वास्थय के लिए काफी फायदेमंद होता है. साथ ही इससे हिरडीए से जुडी समस्याओं का भी खतरा कम होता है. क्योंकि यह ब्लडप्रेसर और कोलेस्ट्रोल को कम करने का काम करता है. इसलिए अपनी डाइट में गुड फैट्स को जरूर शामिल करें.

फैट्स में छिपा सेहत का राज

स्वस्थ रह कर स्वादिष्ठ खाने का आनंद लेना है तो अपनी डाइट में सुपरफूड शामिल करना न भूलें.

Grihshobha यांनी वर पोस्ट केले सोमवार, ४ मे, २०२०

 

फिट हैं तो हिट हैं

लेखक- पारुल श्री

‘‘आज भी सुबह नहीं उठ पाई मैं. मुझ से यह ऐक्सरसाइज और डाइटिंग नहीं होगी. मैं मोटी ही ठीक हूं,’’ 23 साल की रिचा ने मुंह बनाते हुए अपनी दोस्त नगमा से कहा.  ‘‘हां, बस रोज अपने आलस के कारण सोती रहना और फिर मेरी बौडी देख कर जलना,’’ जौगिंग से आई नगमा ने रिचा को डांटते हुए कहा. हर सुबह रिचा का यही रोना होता कि कल से पक्का सुबह जल्दी उठ कर जौगिंग करने जाएगी और ऐक्सरसाइज करेगी. लेकिन वह दिन कभी आया ही नहीं.

नगमा जहां फिटनैस को ले कर पूरी तरह चौकस रहा करती थी, वहीं रिचा के पास बहानों की कमी नहीं थी. उसे ऐसा लगता था कि बस कोई जादू की छड़ी घुमाए और वह दुबलीपतली व स्मार्ट हो जाए. न उसे अपनी पसंद का खाना छोड़ना पड़े और न ही सुबह की नींद खराब हो.

रिचा जैसा हाल आज तकरीबन हर लड़की का है और केवल लड़की ही क्यों, लड़कों का भी यही हाल है. सैक्सी वैल टोंड बौडी की चाहत तो सभी को है लेकिन उस के लिए मेहनत करने को कोई तैयार नहीं है.

लड़कों को वरुण धवन और रितिक रोशन जैसे सिक्स पैक एब्स तो  चाहिए, लेकिन जिम में पसीना बहाने में आफत आती है. कभी सही डाइट न मिल पाने की मजबूरी, तो कभी नौकरी और पढ़ाई से समय न मिल पाने का रोना.

ये भी पढ़ें- जानें प्रेग्नेंसी के दौरान करने वाली इन एक्सरसाइज के बारे में

अक्सर लोग पैसा कमाने और अच्छे लाइफस्टाइल के चक्कर में भूल जाते हैं कि जब उन का शरीर ही फिट नहीं रहेगा तो क्या फायदा पैसे और लग्जरी लाइफ का.  जिंदगी में हर छोटीबड़ी बात को तवज्जुह देते लोग अपने शरीर को ही तवज्जुह देना भूल जाते हैं. कहीं आप भी तो इसी लाइन में नहीं खड़े हैं? अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं, अब भी देर नहीं हुई है, अब भी हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना मुश्किल नहीं है.

  1. दिमाग के लिए भी जरूरी है अच्छी डाइट

केवल शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क पर भी अच्छी डाइट का गहरा प्रभाव पड़ता है. आप यदि फिट होंगे तभी आप का दिमाग भी फिट होगा. आप का दिमाग आप की हरेक हरकत पर ध्यान रखता है. आप के सोचने, सांस लेने, काम करने और यहां तक कि आप के खाने तक का हिसाब होता है आप के दिमाग के पास. इसलिए आप जो कुछ भी खाते हैं उस का सीधा असर आप के दिमाग की संरचना और कार्य पर पड़ता है. और फिर, इस से आप का मूड भी प्रभावित होता है.

कह सकते हैं कि एक हैल्दी डाइट से मानसिक स्थिति पर ठीक वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसा कि अच्छे ईंधन का प्रभाव गाड़ी के इंजन पर होता है. सही पोषण वाला भोजन हमारे शरीर ही नहीं, हमारे दिमाग की सेहत का भी खयाल रखता है. विटामिन, मिनरल्स और एंटीऔक्सिडैंट तत्त्वों से भरपूर आहार हमारे दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है.

  1. आहार निश्चित करें

बर्गर, पिज्जा, फ्रैंच फ्राइज, चौकलेट्स, आइसक्रीम, यम्मी केक… क्यों आ गया न मुंह में पानी. लेकिन, पेट आप का है तो इस का मतलब यह नहीं कि जो जी में आया, खाते गए. इसलिए जरा अपनी मनमानियां कम करें. इन यम्मी और टेस्टी फास्टफूड को खाने की मात्रा और दिन निश्चित करें. जब आप भूख छोड़ कर स्वाद के लिए खाते हैं तो आप के शरीर का मोटापा बढ़ता है.

फोर्टिस ला फेम्मे हौस्पिटल की डाक्टर नीना बहल का कहना है, ‘‘एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचें. बारबार लेकिन थोड़ाथोड़ा खाएं. इस से शरीर को उचित ऊर्जा मिलेगी.  अगर आप पूरे दिन के खाने में अधिक समय का अंतराल रखते हैं तो आप के शरीर का बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स कम हो जाता है. बौडी मास इंडैक्स एक ऐसा मापदंड है जिस से पता चलता है कि आप के शरीर के अनुपात में शरीर की चरबी कितनी अधिक है.

बौडी मास इंडैक्स बताता है कि शरीर की लंबाई की तुलना में कितना वजन उचित है. इसलिए, पूरे दिन के खाने में अधिक गैप रखना आप की फिटनैस पर बुरा असर डाल सकता है. पूरे दिन कुछ न खा कर एक ही बार रात में 4,000 कैलोरी वाले आहार लेना भी नुकसानदेह साबित होता है. फिजिकल ऐक्टिविटी कम होने के बाद जब हम हाई कैलोरी की चीजें खाते हैं तो वह फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगता है.

  1. आसान है हैल्दी डाइट

डाइट पर जाने का मतलब यह नहीं है कि आप खुद को भूखा रखें. ध्यान रखें, शरीर का खयाल रखना है, उसे भूखा रख कर सताना नहीं है. इसलिए ऐसी डाइट लें जिस से आप को कमजोरी या भूख न लगे.

-अपनी डाइट में मौसमी फलों को शामिल करें. अगर सलाद खाना है तो उस में  अलग रंगों वाले फलों और सब्जियों को रखें.

-नाश्ते में पनीर, सैंडविच के साथ ताजा जूस लें या मिलीजुली सब्जियों वाला परांठा खाएं. आप 2 इडली के साथ सांभर भी ले सकते हैं.

-अगर आप अंडा खाते हैं, तो एक से दो अंडे के साथ एक गिलास दूध लें या 2 अंडे के साथ ब्रैडऔमलेट खाएं. ब्रैड के साथ पीनट बटर भी ले सकते हैं.

नाश्ते में आप नमकीन या मीठा दलिया, ओट्स, पोहा या उपमा भी शामिल कर सकते हैं. इस से आप के नाश्ते में विविधता आएगी और आप बोर नहीं होंगे. रोजरोज सादा या आलू का परांठा खाने से बचें. इस की जगह आप पनीर या मिक्स वैजिटेबल वाला परांठा खा सकते हैं.

-नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच 4 से 5 घंटे का अंतराल होता है. इस बीच बिलकुल भूखे न रहें. एक सेब या ड्राई फ्रूट्स या स्प्राउट्स (अंकुरित मूंग या सोयाबीन) ले सकते हैं.

ये भी पढ़ें- गरबा स्पैशल 2019: फेस्टिवल की थकान को दूर करने के लिए बेस्ट है ये फूड

-दोपहर के खाने में 2 चपाती के साथ हरी सब्जी, दाल, दही एक भरपूर आहार का स्रोत होता है. हरी सब्जी में मौसमी सब्जियों का सेवन कर सकते हैं.

शाम के स्नैक्स में भुने चने, मूंगफली, मखाने या ड्राई फ्रूट्स के साथ ग्रीन टी लें. ग्रीन टी मंु कैलोरी नहीं होती, इसलिए इसे दूध की चाय की जगह लेना बेहतर होता है.

-रात के खाने में आप 2 चपाती या एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल और सब्जी, सलाद खा सकते हैं.  अगर आप मांसाहारी हैं तो चिकन या मछली भी खा सकते हैं. रैड मीट का सेवन सप्ताह के केवल एक दिन करें. अगर आप का मन मीठा खाने का होता है तो किशमिश खाएं.

-ज्यादा तली चीजें लेने से परहेज करें और साल्ट यानी जिन फूड प्रोडक्ट्स में सोडियम की मात्रा अधिक है उसे कम से कम लें. कोशिश करें कि कम से कम दिन में 4 से 5 वक्त का आहार लें. एक सेब भी एक वक्त के आहार में आता है. पूरे दिन के 3 भरपूर और 3 हलके आहार लें.

  1. एब्स बनाने के लिए

जिम में पसीने बहाने और थकाने वाली कसरत करने भर से एब्स नहीं आते. उस के लिए सही मात्रा में सही आहार भी लेना जरूरी है.  लक्ष्मीनगर में लाइफलाइन युनिसैक्स जिम के ट्रेनर टीटू त्यागी बताते हैं, ‘‘जिम में एब्स के लिए वर्कआउट करने से 20-25 प्रतिशत फायदा ही होता है. एब्स बनाने के लिए मसल्स को ऊर्जा देने और शरीर में जमा फैट को बर्न करने के लिए उचित और भरपूर आहार लेना जरूरी है.

50-60 प्रतिशत काम केवल हैल्दी डाइट ही कर सकती है, जिस में कार्ब्स और फाइबर वाले आहार के साथ उबले और भुने हुए आहार भी शामिल होने चाहिए. उस के साथ ही 20 प्रतिशत काम शरीर को मिले आराम से हो जाता है जिस के लिए कम से कम 6-7 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है.’’

सिक्स पैक एब्स के लिए मुख्यतौर पर पुशअप, सिटअप, क्रंचेस, प्लैंक्स, स्क्वैट्स आदि किया जा सकता है. कुछ आसान एक्सरसाइजेस हैं जिन्हें आप कर सकते हैं.

  1. पुशअप

पुशअप से शरीर का ऊपरी भाग मजबूत होता है. इस से मुख्यतया छाती मजबूत और चौड़ी होती है. कंधे, बांह, कमर और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

ये भी पढ़ें- गरबा स्पेशल 2019: हेल्थ का ख्याल रखना है जरूरी

पुशअप कैसे करें

-जमीन पर घुटनों के बल लेट जाएं.

-अपनी हथेलियों और उंगलियों को जमीन पर रख कर शरीर को ऊपर की तरफ उठाएं.

-शरीर ऊपर उठाते समय हाथों को बिलकुल सीधा रखें.

-ध्यान रखें कि आप के हिप्स नीचे की तरफ न आएं.

-इस मुद्रा में एक मिनट तक बने रहें, फिर शरीर को नीचे की तरफ लाएं.

-इस प्रक्रिया को 10 से 12 बार दोहराएं.

क्या आपको लगने लगा है मोटापा बोझ

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर की रहने वाली वर्निका शुक्ला खुद को उत्तर प्रदेश की पहली प्लस साइज मौडल बताती हैं. उन्होंने नैशनल लैवल की कई सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीती हैं. वे मौडलिंग करती हैं और साथ ही सिंगल मदर्स के लिए ‘मर्दानी द शेरो’ संस्था भी चलाती हैं. वे टीचर हैं. वे इतने काम करती हैं कि उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि प्लस साइज सुंदर नहीं होता. वर्निका शुक्ला कहती हैं, ‘‘भारत में औरतों की 36-24-36 फिगर को परफैक्ट माना जाता है, जबकि यहां ज्यादातर लोगों को महिलाओं की कर्वी बौडी शेप अच्छी लगती है. विद्या बालन जैसी अभिनेत्री प्लस साइज के बावजूद सफलता के मानदंड स्थापित कर चुकी हैं.’’

प्लस साइज को ले कर फैशन की दुनिया बदल चुकी है. वर्निका बताती हैं कि अब फैशन वीक में प्लस साइज का अलग राउंड होता है. फैशन के तमाम स्टोर ऐसे हैं, जिन में प्लस साइज के कपड़े मिलते हैं. ऐसे कपड़ों के लिए प्लस साइज मौडलिंग की जरूरत होती है. ऐसे में अब प्लस साइज को ले कर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब इस की पहचान बन रही है.

साइज नहीं सोच बदलिए

समाज में तमाम तरह के लोग रहते हैं. इन में बहुत सारे ऐसे होते हैं जो मोटे होने के बाद भी अपना काम सही तरह से करते हुए ऐक्टिव रहते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो उतने मोटे तो नहीं होते हैं पर परेशान रहते हैं. अपने मोटापे को कम करने में ही लगे रहते हैं.

ये भी पढ़ें- धर्म के नाम पर लूट की छूट

साइको थेरैपिस्ट नेहा आनंद मानती हैं, ‘‘मोटापा भी अपनेआप में एक मनोवैज्ञानिक परेशानी है. अगर आप यह सोच कर बैठ गए कि आप मोटे हैं और कोई काम नहीं कर सकते तो सच में आप कोई भी काम नहीं कर पाएंगे. अपना मोटापा आप को बोझ लगने लगेगा. अगर आप अपना खानपान सही रख रहे हैं और एक्सरसाइज कर के शरीर को फिट रख रहे हैं, तो मोटापा कभी आप की राह में रोड़ा नहीं बन सकता है.’’

यह जान लेना बहुत जरूरी है कि फैट शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह बौडी के बायोलौजिकल फंक्शन में खास रोल अदा करता है. फैट की एक फाइन लाइन होती है. अगर मोटापे की फाइन लाइन पेट के आसपास क्रौस कर जाती है तो खतरा बढ़ जाता है. लड़कियों को अपनी वेस्ट लाइन 35 इंच से कम और लड़कों को 40 इंच से कम रखनी चाहिए.

डाइट से करें फैट कंट्रोल

पेट भरने के लिए खाना न खाएं. खाना खाते समय इस बात का खयाल रखें कि वह ऐसा हो, जिस से शरीर को अच्छी मात्रा में कैलोरी मिल सके. कुछ खाद्यपदार्थ ऐसे होते हैं कि उन के खाने से पेट भर जाता है पर कैलोरी सही मात्रा में नहीं मिलती. केवल फैट बढ़ता है. जितनी कैलोरी खाने के जरीए आप ले रहे हैं उसे बर्न करने के लिए भी उतनी मेहनत करनी चाहिए. एक शरीर को 1600 कैलोरी की जरूरत होती है. यदि काम कम करते हों तो 1000 से 1200 के बीच कैलोरी लेनी चाहिए. अखरोट, बादाम, मस्टर्ड औयल और दालों में फैट को कम करने वाले पदार्थ पाए जाते हैं.

फ्राइड आइटम्स की जगह भुने स्प्राउट्स लें. इन से पेट भी भर जाता है और बौडी को पौष्टिक आहार भी मिल जाता है. डाइट शैड्यूल को प्लान करते समय लिक्विड आइटम्स को भी प्लान करें. नारियल पानी और मौसमी के जूस का ज्यादा प्रयोग करने से फैट नहीं बढ़ता है. फैट को कम करने के लिए किसी स्लिमिंग सैंटर जाने के बजाय कुछ एक्सरसाइज करें. मोटापा शरीर से मिलने और खर्च होने वाली कैलोरी के बीच असंतुलन से बढ़ता है. इस के अलावा जब ज्यादा फैट वाले आहार का प्रयोग किया जाता है तो भी मोटापा बढ़ता है.

एक्सरसाइज न करने और बैठेबैठे काम करने वालों में भी यह परेशानी बढ़ती है. कुछ लोग मानसिक तनाव में भी ज्यादा भोजन करने लगते हैं. इस से भी मोटापा बढ़ जाता है. किशोरावस्था में होने वाला मोटापा बड़ा होने पर बना रहता है. महिलाओं में कुछ शारीरिक बदलाव होने पर मोटापा बढ़ता है. गर्भावस्था के समय भी मोटापा बढ़ती है. बौडी का अपेक्षित वजन बौडी की लंबाई के हिसाब से होना चाहिए, जिस से उस की शारीरिक बनावट अच्छी लगे. बौडी मास शरीर के वजन को नापने का सब से सही उपाय है. बौडी मास इनडैक्स (बीएमआई) को नापने के लिए लंबाई को दोगुना कर के वजन किलोग्राम से भाग दे कर निकाला जाता है.

ये भी पढ़ें- गलती तो भारी पड़ने वाली है

सैक्स में बाधक नहीं मोटापा

ज्यादातर लोगों का मानना है कि मोटापा सैक्स में बाधक होता है. सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण वैवाहिक जीवन में भी दरार पड़ जाती है. जिन लोगों में मोटापा उन की पर्सनैलिटी को खराब नहीं करता लोग उन के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें सैक्स करने में परेशानी नहीं आती. अगर कोई साथी मोटा है तो दूसरे को उसे सैक्स के लिए तैयार करने का प्रयास करना चाहिए. सैक्स के दौरान उन क्रियाओं को अपनाना चाहिए, जिन से मोटापा सैक्स में बाधा न डाल सके. मोटापे में शरीर जल्दी थक जाता है.

मोटापे की शिकार महिलाओं और पुरुषों की अलगअलग परेशानियां होती हैं. मोटापे को सहज भाव में ले कर सैक्स क्रियाओं में बदलाव कर के उस का मजा लिया जा सकता है. मोटापे के शिकार व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी को सैक्स में संतुष्ट नहीं कर पा रहा. इसलिए उसे अपने मन में यह हीनभावना न रख अपने साथी की जरूरतों को समझ उस का साथ देना चाहिए.

तनमन से रहें फिट

मोटापे के लिए अपने ही पुराने समय से तुलना करना सही नहीं होता है. अकसर लोग अपने पहले के फोटो देखते हुए कहते हैं कि पहले मैं ऐसा था. मैं दुबलापतला था तो कितना आकर्षक लगता था. इस सोच से मोटापा डिप्रैशन के लिए मददगार हो जाता है. हम हर समय मोटापे के बारे में ही सोचते रहते हैं. यह सोच अच्छी नहीं है कि जब मैं 20 साल का था तो दुबलापतला और आकर्षक था. अब शायद मैं उतना आकर्षक नहीं दिख सकूंगा.

शारीरिक आकर्षण ही सबकुछ नहीं

नेहा आनंद कहती हैं, ‘‘शारीरिक आकर्षण ही जरूरी नहीं होता है. आदमी अपने को तब ज्यादा परेशान महसूस करता है जब उसे मोटे की जगह बेवकूफ समझा जाए. बाहरी सुंदरता को ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए. आदमी में अनुशासन, परिश्रम और काम के प्रति ईमानदारी की भावना उसे आकर्षक बनाती है.’’

120 किलोग्राम वजन के दिवाकर का कहना है, ‘‘मेरे मोटापे को देख कर डाक्टर कहता है कि डायबिटीज और ब्लडप्रैशर से दूर रहने के लिए मुझे 6 माह में 20-25 किलोग्राम वजन कम करना चाहिए. इस के बाद भी मुझे लगता है कि मैं अभी भी 5 पीस वाला पिज्जा 3-4 घंटे में खा सकता हूं. मेरा मानना है कि लाइफ बहुत छोटी है. इसे अपनी तरह से जीना चाहिए. अपनी मनपसंद चीजों को खाना छोड़ कर पागलों की तरह दुबला होने का प्रयास नहीं करना चाहिए. आप जैसे हैं वैसे ही खुश रहना सीखें.’’

ये भी पढ़ें- टेन्शन के बिना काम करना ही है मेरी इनर स्ट्रेंथ– जीबा कोहली

दूसरों से तुलना कर के अपने को कभी असहज न करें. कुछ लोग असहज महसूस करते हुए नशे का शिकार हो जाते हैं. समाज से अपने का अलग कर लेते हैं. उम्र बढ़ने के साथ यह असहजता कम हो जाती है, क्योंकि व्यक्ति को लगता है कि बूढ़ा होने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ता है. उलटे उसे यह लगने लगता है कि वह और भी ज्यादा परिपक्व हो गया है. वह अपनेआप को माहौल में पूरी तरह से ढाल चुका होता है.

बिजी लाइफस्टाइल में ये 4 टिप्स आपको रखेंगी सेहतमंद

हेल्थ एक्सपर्ट्स और रिसर्च संस्थाओं की माने तो स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट, यानी रोजाना लगभग 30 मिनट एक्सरसाइज करना जरूरी है. अगर आपके पास सच में जिम जाने का समय नहीं है, तो आप कुछ बातों को अपनाकर फिट रह सकते हैं इन टिप्स से आपका फुल बौडी वर्कआउट भी हो जाएगा और आपको अलग से समय भी नहीं निकलना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- जाने क्यूं हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट

20 मिनट वौक, रखे स्वस्थ

खाना खाने के बाद बैठकर आराम करने या लेटकर फेसबुक और सोशल मीडिया चेक करने से बेहतर है कि आप 20 मिनट पैदल चलें. खाने के बाद थोड़ी देर पैदल चलने से आपके पेट में एक्सट्रा फैट नहीं जमा होता है, जिससे आप मोटापे से बचे रहते हैं. पैदल चलने से आपका खाना अच्छी तरह पचता है और आपका मेटाबौलिज्म अच्छा रहता है. रोजाना 20 मिनट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग सिर्फ मसल्स बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि हड्डियों कों मजबूत बनाने के लिए भी की जाती है. इससे आपके शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. साथ ही टीवी देखते समय यदि आप लिफ्ट वेट करेंगे तो ये फायदेमंद होगा.

लिफ्ट का उपयोग करें…

घर, औफिस, शौपिंग मौल और मेट्रो स्टेशन में आप लिफ्ट का प्रयोग करते रहते हैं, पर अगर आप सीढ़ियों का प्रयोग करेंगे तो काफी फायदेमंद होगा. सीढ़ी चढ़ने से आपके पूरे शरीर का अच्छा वर्कआउट होता है. चढ़ने समय आपका हृदय ज्यादा तेज खून पंप करने लगता है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक औक्सीजन और पोषक तत्वों का सर्कुलेशन बढ़ जाता है.

ये भी पढ़ें- 3 टिप्स: क्या आप जानते हैं कद्दू के बीज के ये फायदे…

20 मिनट जल्दी उठने से रहेंगी सेहत दुरुस्त

सुबह जल्दी उठना आपके लिए कई तरह से सेहतमंद होता है. जल्दी उठकर आप थोड़ी एक्सरसाइज या मौर्निंग वौक कर सकते हैं, जिससे आपके शरीर को विटामिन डी और ताजी औक्सीजन मिल जाती हैं. इसके अलावा जल्दी उठकर दिन की शुरुआत करने से आप अपने दिन भर के कामों को अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 5 टिप्स: क्या आप जानते हैं काफल के ये फायदे

स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है खेल

स्वस्थ रहने का सबसे आसान तरीका है कि जब भी आप दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना चाहें, तो खाने-पीने की जगह कोई खेल जैसे- टेबल टेनिस, बैडमिंटन आदि खेल सकते हैं या उनके साथ एक छोटी सी वौक पर जा सकते हैं, जहां वौक करते हुए आप बातचीत भी कर सकते हैं. जो आपके रिलेशनशिप को भी स्ट्रोंग रखेंगी. तो इन टिप्स को अपनाकर हेल्दी रखे अपनी सेहत और रिलेशनशिप.

 

मोटापे से पाएं निजात

वजन कम करना अपनेआप में एक चैंलेंज है. यदि आप खानेपीने के मामले में जितनी कैलोरीज ले रही हैं, उतनी ही बर्न नहीं करती तो आप का वजन बढ़ना तय है. असल में बची हुई कैलोरीज हमारे शरीर में फैट के रूप में इकट्ठी होती है.

खानपान : शरीर का वजन बढ़ने में सब से बड़ा हाथ खानपान का है अगर हमारे खानेपीने में कैलोरी की मात्रा अधिक होगी तो वजन भी उतनी ही तेजी से बढ़ेगा. ज्यादा तलाभूना फूड, फास्डफू्ड, कोलड्रिंक आदि ऐसी चीजों का सेवन करने से हमारे शरीर में ज्यादा कैलोरी इकट्ठी हो जाती है.

हां अगर आप इस बात का ध्यान रखें की आप के शरीर को हर रोज कितनी कैलोरी की आवश्यकता है और आप उतनी ही कैलोरी लें रही है तो आप का वजन नहीं बढ़ेगा. और अगर आप की दिनचर्या में रोज फिजीकल एक्टीविटी कम और मैनटली ज्यादा होती है यानी कि आप कुर्सी पर बैठी रहती हैं तो वजन बढ़ेगा ही. इसलिए आप अपनी दिनचर्या में फिजीकल एक्टीविटी शामिल करें जैसे की लिफ्ट की जगह सीढि़यों का प्रयोग करें. कोई खेल जैसे बैडमिंटन आदि खेलें.

अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपना वजन कंट्रोल में रख सकती हैं.

  • हर रोज 45 मिनट टहलिए. हर रोज 30 मिनट टहलने से आप का वजन नहीं बढेंगा परंतु अगर आप अपना वजन कम करना चाहती हैं तो 45 मिनट टहलना चाहिए.
  • अपने खाने में टमाटर, लौकी, खीरा आदि अधिक शामिल करें.
  • चायकौफी बनाने के लिए स्कीम मिल्क इस्तेमाल करें. जिस में कि कैल्शियम ज्यादा और कैलोरीज कम होती है.
  • बाहर का खाना खाने से बचे. बाहर के खाने में ज्यादा हाई फैट और हाई कैलोरीज होती है.
  • धीरेधीरे खाएं. जब भूख लगे तभी खाए.
  • जूस पीने की जगह फल खाएं. फल आप की भूख को कम करेगा और आप कम खाएंगी.
  • ज्यादा से ज्यादा चलें, आसपास पैदल जाएं. मेट्रो स्टेशन से औफिस अगर 10-15 मिनट की दूरी है तो पैदल ही जाने की कोशिश करें.
  • नींबू और शहद का प्रयोग करें, रोज सुबह हल्के गुनगुने पानी के साथ नींबू शहद लें.
  • जितनी भूख है उस से कम खाएं. जबरदस्ती पेट न भरे.
  • भरपूर नींद लें. जब हम सोते हैं तो शरीर रिलैक्स मोड में रहता है. जो लोग पूरी नींद नहीं लेते है उन की बौड़ी का सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है, हारमोंस डिसबैंलंस हो जाते हैं, इस का असर शरीर पर पड़ता है और मोटापा बढ़ता है.

वजन कम करने के लिए आप को थोड़ा धैर्य रखना होगा, और आप वजन कम करने के लिए जो कुछ भी कर रही हैं उस पर यकीन रखना होगा.

ज्यादा प्रदूषण के कारण बढ़ रही है बच्चों में मोटापे की परेशानी

हाल ही में हुई एक शोध की माने तो अधिक वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले बच्चे दूसरे बच्चों की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं. कारण है कि वो अधिक जंक फूड खाते हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चे अधिक जंक फूड का सेवन करते हैं. वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चों में हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन 34 फीसदी तक बढ़ जाता है. स्टडी में ये भी पाया गया कि ऐसे वातावरण में बच्चे घर का खाना खाने से ज्यादा बाहर का खाना पसंद करते हैं.

हालांकि बच्चों की आदत में इस बदलाव के पीछे के कारण का ठीक ठीक पता नहीं लगाया जा सका है. पर जानकारों की माने तो इसका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है. जानकारों का मानना है कि प्रदूषण से शरीर को खाने से मिलने वाली एनर्जी और ब्लड शुगर पर प्रभाव पड़ता है और भूख भी कम लगती है.

शोधकर्ताओं की माने को वायु प्रदूषण के स्तर में कमी कर के मोटापे के इस परेशानी को कम किया जा सकता है. अमेरिका में हुए इस शोध में करीब 3100 बच्चों को शामिल किया गया था. इन सभी बच्चों में वायु प्रदूषण से उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम पर होने वाले प्रभाव की जांच की गई.

स्टडी में शामिल बच्चों से उनकी खान पान की आदतों के बारे में जानकारी ली गई. वो कब और क्या खाते हैं इस आधार पर इस स्टडी के निष्कर्ष पर पहुंचा गया है. आपको बता दें कि इस शोध में स्टडी में शामिल सभी लोगों के घर के आसपास में मौजूद बिजली संयंत्रों में और गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण की मात्रा की जांच की गई थी.

इस जांच में पाया गया कि प्रदूषण के  अधिक स्तर वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों ने हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं. स्टडी के नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले बच्चे 34 फीसदी ज्यादा ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं.

अदरक की मदद से करें कमर और जांघों की फैट कम

अदरक में कई गुण होते हैं. खाने का स्वाद बढ़ाने से लिए व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए अदरक काफी फायदेमंद और लाभकारी है. दाल का स्वाद बढ़ाना हो या ठंढ में चाय में गर्मी लानी हो, अदरक काफी कारगर होता है. इसके अलावा खांसी, कफ में ये काफी फायदेमंद है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अदरक से आप वजन कैसे कम कर सकेंगी. इसके अलावा आप इसका प्रयोग हिप्स, वेस्ट और थाइज पर जमा फैट बर्न करने में कर सकती हैं.

कैसे बनाएं ये रेसिपी

1.5 लीटर पानी में आप 3 से 4 टुकड़े अदरक के डाल लें. इसके बाद इसे हल्के आंच पर उबाल लें. करीब 15 मीनट तक पानी उबालने के बाद आप उसे हल्का ठंडा होने दें. अब इस पानी का सेवन कर आप अपना वजन कम कर सकेंगी.

गुणकारी है अदरक

आपको बता दें कि अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. इसकी वजह से जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत मिलती है. यह गठिया और पुराने औस्टियोआर्थराइटिस जैसे रोगों के लिए अत्यधिक प्रभावी है.

कोलेस्ट्रौल को घटाने में है लाभकारी

अदरक में ऐसे कई गुण होते हैं जिस वजह से यह कोलेस्ट्रैल लेवल को भी कम करता है. आपको बता दें कि कोलेस्ट्रौल बढ़ने से कैंसर और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. अदरक का पानी पीने से सीरम और लीवर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है. इसके अलावा इससे ब्लड प्रेशर भी समान्य रहता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें