फादर्स डे हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है इसके मनाने का उद्देश्य पिता को मान देना है. हालांकि यह परंपरा विदेशों से आया है, जहां अधिकतर वैवाहिक रिश्ते टूटने पर पिता बच्चे की परवरिश करते है, लेकिन आजकल हमारे देश में भी इसकी संख्या बढ़ी है. फादर्स डे को सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि बौलीवुड सेलेब्स भी सेलिब्रेट करते हैं. तो चलिए इस मौके पर इन सेलेब्स से ही जानते हैं उनके पिता के बारे में कुछ खास बातें…
- दीपिका पादुकोण…
एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण अपने पिता प्रकाश पादुकोण के बहुत करीब है. जब उन्होंने अभिनय क्षेत्र में कदम रखा था तो उन्होंने सबसे पहले अपनी राय पिता को बताई थी और उन्होंने उसे उसकी परमिशन दी थी. वह कहती है कि मेरे पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया है और आज किसी भी सेलिब्रेशन को मैं उनके साथ साझा करना पसंद करती हूं, उन्होंने मुझे हमेशा किसी भी काम को सौ प्रतिशत कमिटमेंट करने की सलाह दी है. मेरी जिंदगी में उनकी बहुत अहमियत है.
- आलिया भट्ट…
आलिया भट्ट अपने पिता महेश भट्ट के बहुत नजदीक है. वह कहती है कि फिल्मों में आने के बाद उनके और मेरे रिश्ते काफी गहरे हुए है. मेरे पिता बहुत ही साधारण जिंदगी जीना पसंद करते है. उन्हें मैंने हमेशा चप्पलों के साथ चलते हुए देखा है. मैंने उन्हें सबसे पहले एक शू प्रेजेंट किया था,जिसे उन्होंने सम्हाल कर रखा है. मैं हर दिन उनके साथ बिताना पसंद करती हूँ. वे मेरे आदर्श हैं.
- अक्षय कुमार…
अक्षय कुमार के पिता हरि ओम भाटिया आर्मी औफिसर थे. उनके साथ उन्होंने बहुत अच्छा समय बिताया. वे कहते है कि मेरे अनुशासित जीवन का राज मेरे पिता है, जिन्होंने बचपन से मुझे इसकी ट्रेनिंग दी. वे मेरे आदर्श है. उन्हें हर तरह के मनोरंजक फिल्में पसंद थी. वे स्ट्रिक्ट पिता थे ,पर हर तरह के काम को प्रोत्साहन देते थे. मुझे याद आता है कि मेरी फिल्म ‘वक्त- द रेस अगेंस्ट टाइम’ के समय शूटिंग करना मेरे लिए बहुत कठिन था ,क्योंकि अभिनय और रियल लाइफ दोनों एक साथ चल रहे थे. फिल्म में अमिताभ बच्चन को कैंसर से लड़ते हुए दिखाया गया था जब कि रियल लाइफ में भी मेरे पिता भी कैंसर से जूझ रहे थे. ये फिल्म मैंने उनको समर्पित की है.
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- शाहिद कपूर
शाहिद कपूर की मां एक्ट्रेस नीलिमा अज़ीम, एक्टर पंकज कपूर से तब अलग हुए जब वह बहुत छोटे थे. वे कहते है कि मेरे पिता बहुत ही अच्छे पिता है. ये मैंने तब जाना जब मैं पिता बना. ये सही है कि जब मैं सिर्फ 2 साल का था, तब मेरे माता-पिता अलग हो गए थे. मुझे उस समय की कोई बात याद नहीं. जब मैं 17-18 साल का हुआ, तब मेरे और पिता के बीच में नजदीकियां बढ़ी. वह मेरे जीवन में बहुत अहमियत रखते है. मैं अपने पिता और मेरे बच्चों को साथ देखना पसंद करता हूं. वह मुझे बहुत ख़ुशी देती है.
- कृष्णा भारद्वाज
कृष्णा कहते है कि मैं रांची से हूं और मेरे पिता का नाम डौ. अनिकेत भारद्वाज है. मेरे अंदर अभिनय की प्रतिभा को मैंने अपने पिता में भी देखा है. वे एक एक्टर,राइटर और डायरेक्टर है. हिंदी की ट्रेनिंग मुझे बचपन से ही मिली है, इसलिए मैं तेनाली राम की भूमिका अच्छी तरह से निभा पा रहा हूं, क्योंकि इसमें शुद्ध हिंदी बोलना पड़ रहा है. इस बार मैं पिता से दूर हूं,पर हमेशा उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है.
एडिट बाय- निशा राय
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