फाइब्रोइड से गर्भाशय बचाने के उपचार

गर्भाशय फाइब्रोइड्ससुसाध्य (गैरकैंसर) ट्यूमर है, जो गर्भाश्य की मांसपेशीय परत पर अथवा उसके भीतर विकसति होता है.इसमें तंतुमय टिश्यू और चिकने मांसपेशी सेल्स होते है, जिनका पोषण रक्तवाहिनी के सघन नेटवर्क से होता है. फाइब्रोइड्स महिलाओं में होने वाला बहुत ही सामान्य सुसाध्य ट्यूमर है. अनुमान है कि 30 से 50 वर्ष के बीच की महिलाओं में करीब 25 से 35 प्रतिशत में फाइब्रोइड्स का इलाज सापेक्ष हो गया है. सामान्यतया जिस महिला में गर्भाशय फाइब्रोइड्स की समस्या है, उनमें एक से अधिक फाइब्रोइड्स है और वे बडे़ आकार के हो सकते है. कुछ मटर से बडे़ नहीं होते है, जबकि अन्य बढ़कर खरबूजे के आकार का हो सकते है.

लक्षण

एक महिला मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव, दर्दभरा मासिकधर्म, मासिकधर्म के दौरान रक्तस्राव और पीठशूल या पीठदर्द जैसे लक्षणों से इसका अनुभव करती है. अधिकतर मरीजों में रक्तस्राव इतना अधिक होगा किउनमें यह खून की कमी का कारण बन जाता है. खून की कमी से थकान,सिरदर्द हो सकता है.जब फाइब्रोइड्स आकार में बड़ा होता है, तब यह अन्य पेल्विक अंगो पर दबाव बनाने लगता है. इसके फलस्वरूप पेट के नीचले हिस्से में भारीपन, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब होने में कठिनाई और कब्ज महसूस हो सकता है. ये लक्षण किसी को हल्का, कम आकर्षक लग सकते है और चिड़चिड़ापन आगे चलकर कामेच्छा घटा सकती है और इसका असर लोगों की जिंदगी पर पड़ सकता है. ओबेस्ट्रिक्स एंड ग्यानकोलाजी जर्नल तथा वुमेन हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार गर्भाशय फाइब्रोइड से काफी भय एवं रूग्णता हो सकती है और वर्कप्लेस प्रदशर्न से समझौता करना पड़ सकता है.

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उपचार

आमतौर पर गर्भाशय फाइब्रॉएड के उपचार में लक्षणों से राहत देने के लिए फाइब्रोइड्स की निगरानी अथवा अनुशासित ध्यान से लेकर इनवैसिव सर्जिकल जैसे कि मायोमेक्टोमी और हिस्टेरेक्टोमी तक शामिल है. हिस्टेरेक्टोमी एक सर्जरी है, जो महिला का गर्भाशय एवं सरविक्स निकालने के लिए किया जाता है. ऐसा करने पर सभी मामलों में मासिक धर्म बंद हो जाता है और एक महिला बच्चा पैदा करने की क्षमता खो देती है.

मायोमेक्टोमी गर्भाशय को हटाए बिना गर्भाशय फाइब्रोइड्स को दूर करता है. हालांकि यह सभी तरह के फाइब्रोइड्स  के लिए अनुकूल नहीं है तथा फाइब्रॉइड्स फिर से होने की संभावना को यह दूर नहीं करता है. फाइब्रोइड्स के प्रबंधन में अपनी खामियों के कारण यह हिस्टेरेक्टोमी की तुलना में कम जाना जाता है.

यूटरीन फाइब्रोइड इम्बोलाइजेशन

यूटरीन फाइब्रोइड इम्बोलाइजेशन (यूएफई) एक नया छोटा इनवैसिव नान-सर्जिकल प्रक्रिया है, जो अनेक फाइब्रोइड्स लक्षणों को समाप्त करता है तथा फाइब्रोइड्स को रक्त प्रवाह रोककर सुरक्षित एवं प्रभावशाली ढंग से फाइब्रोइड्स के आकार को घटाता है, ऐसा करने से यह काफी सिकुड़ जाता है. एक यूएफई प्रकिया विशेषतौर पर प्रशिक्षित वैसकुलर इंटरवेंशनल रेडियोलाॅजिस्ट डाॅक्टर द्वारा की जाती है. इस प्रकिया में पेट एवं जांघ के बीच का हिस्सा अथवा कलाई में एक 1मिलीमीटर से कम छेद किया जाता है, इसी के माध्यम से कैथेटर नामक एक छोटी प्लास्टिक ट्यूब अंदर डाली जाती है. जिसे फाइब्रोइड्स को आपूर्ति करती रक्तधमनी में घुसाया जाता है. इसके बाद यह छोटा पार्टिकल्स फाइब्रोइड्स को रक्त आपूर्ति रोक देता है. यूएफई पूरे विश्व में अग्रणी स्वास्थ्य नियामकों द्वारा स्वीकृत है कि यह फाइब्रोइड्स के लिए एक सुरक्षित एवं प्रभावशाली गैर-सर्जिकल उपचार है, इसके साथ ही करीब 90 प्रतिशत महिलाओं ने दर्दभरे लक्षणों से तेजी राहत मिलने की जानकारी दी है.

यूएफई सुरक्षित है

सर्जरी की तुलना में यूएफई सुरक्षित है और यह एक छोटा इनवैसिव है, जिसमें जटिलताएं कम तथा डरने की कोई जरूरत नहीं है. इसमें किसी जनरल/स्पाइनल एनेस्थेसिया की आवश्यकता नहीं और यह स्थानीय एनेस्थेसिया के तहत किया जाता है. मरीज का उसी दिन यूएफई का उपयोग कर उपचार किया जाता है और सामान्यतया एक सप्ताह के अंदर वह अपने कार्य एवं दैनिक गतिविधियों की ओर लौट सकता है. यह महिला की मदद अपना गर्भाशय बनाए रखने में करता है, जो भविष्य में उनको गर्भवती होने की क्षमता सुनिश्चित करता है.

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यूटरीन फाइब्रोइड्स इम्बोलाइजेशन

हिस्टीरेक्टोमी अर्थात गर्भाशय निकालना भारत में दूसरा सर्वाधिक आम सर्जरी है, जबकि वास्तविकता यह है कि आधी आबादी (पुरूष) में गर्भाशय नहीं होता है. महिलाओं में हिस्टेरेक्टोमी कराने का अहम कारण फाइब्रोइड्स होते हैं, जो कि एक सुसाध्य ट्यूमर है. आमतौर पर जिस मरीज की हिस्टेरेक्टोमी की जाती है, सर्जरी कराने से उसे गायनेकोलॉजिकल समस्याओं से राहत मिलती है. यद्यपि वे इस बात से अनभिज्ञ है कि इस सर्जिकल उपचार के साथ काफी  जटिलताएं जुड़ी हुई है.  इसके कारण नई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि समय से पहले रजोनिवृत्ति शामिल हैं. हर वर्ष, लाखों युवा महिलाएं, जो प्रजनन उम्र की है, उनकी हिस्ट्रेक्टोमी सर्जरी फाइब्रॉयड्स के कारण की जाती है.  एक विकल्प जो पूरी तरह से गैर सर्जिकल है, जो महिला को उसका गर्भाशय बनाए रखने की आजादी देता है, यूटरीन फाइब्रोइड्स इम्बोलाइजेशन है और यह महिला स्वास्थ्य में सच में एक बड़ी उन्नति है.

डॉ. संतोष बी पाटिल

सलाहकार न्यूरो और वैस्कुलर इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट -वेन सेंटर

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