माता पिता और बच्चों का रिश्ता वैसे ही बहुत ख़ास होता है .बच्चों का जुड़ाव सबसे ज़्यादा माता पिता के साथ होता है इसलिए अमूमन वो भावनात्मक रूप से उनसे बेहद जुड़े होते हैं और अपने जीवन से संबंधित हर निर्णय उनकी सहमति से लेना चाहते हैं .
जहाँ तक हम भारतीय समाज की बात करें तो भारतीय अभिभावक अपने बच्चे के हर फैसले में अपना अधिकार सर्वोपरि रखते हैं ,उन्हें अपने बच्चों के लिए जो उचित लगता है उसके हित में दिखाई देता है बच्चों को वो वही करने की सलाह देते हैं फिर चाहे बात शिक्षा के क्षेत्र में विषय के चुनाव की हो ,कैरियर से संबंधित हो, विदेश जाने की हो, विवाह करने या न करने का निर्णय हो अथवा जीवनसाथी के चुनाव की बात ही क्यों न हो इन अब में अभिभावकों का निर्णय ही अधिकाँश मामलों में अंतिम होता है.ऐसा नहीं है कि बदलते समय और परिवेश के अनुसार लोगों की सोच में बदलाव नहीं आया है बच्चों को काफी बातों में स्वतंत्रता मिली है फिर भी अभी भी इस बदलाव का प्रतिशत बहुत कम है. ऐसे में बच्चों को ये जान लेना ज़रूरी है कि माता पिता हमेशा ही उनका हित चाहते हैं और उनके बारे में उनसे भी बेहतर जानते हैं .उनसे ज़्यादा जानने का मतलब है कि वो बच्चों को उनके सच के साथ पहचानते हैं ऐसे में बच्चों के सामने ये बहुत बड़ी चुनौती है कि वो अपने माता पिता को से अपने मन की बात कैसे मनवाएँ .इसके लिए कुछ तरीके कारगर हो सकते हैं.
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जब बात हो जीवनसाथी के चुनाव की हमारे देश में विवाह के बहुत मायने हैं विवाह जीवन का सबसे बड़ा फैसला माना जाता है और अमूमन हर भारतीय माता पिता अपने बच्चे के जन्म के साथ ही उसके विवाह के सपने संजोने लगते हैं ऐसे में जब तक बच्चे की उम्र विवाह योग्य होती है तब तक माता पिता के जज़्बात और अरमान उसके विवाह को लेकर बन चुके होते हैं ऐसे में जब विवाह की बात आती है तो बच्चों के जीवनसाथी का चुनाव माता पिता ही करना चाहते हैं इसे वो अपना अधिकार मानते हैं पर मुश्किल तब शुरू होती है जब बच्चे अपनी पसंद का जीवनसाथी चाहते हैं या वो किसी को पसंद कर लेते हैं और यदि वो लड़का या लड़की सजातीय या सधर्मी नहीं है तब तो भूचाल सा आ जाता है. वैसे तो लव मेरिज का प्रतिशत बढ़ा है पर आज भी इसकी मान्यता कम ही है.हमारे देश के कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहाँ लव मैरिज करने पर ऑनर किलिंग कर दी जाती है .ऐसे में अपनी पसंद की शादी करने के लिए माता पिता को राजी करना भी टेढ़ी खीर है.यदि आपने जिसे चुना है उसकी जाति आपसे अलग है तो समझाना और भी मुश्किल है .चूँकि अगर जाति अलग हैं तो खान पान रहन सहन में काफी अंतर आता है इसलिए माता पिता नही चाहते कि बच्चे अंतर्जातीय विवाह करें.पर फिर भी उन्हें मनाया जा सकता है अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो.
1. समझाएँ कि शादी पूरे जीवन की बात है आप ये समझाने का प्रयास करें कि ये एक दिन की बात नहीं है पूरे जीवन का प्रश्न है और यदि आप ही खुश नहीं रह पाए तो बाकी सबको कैसे खुश रख पाएँगे.
2. शादी कैसी भी हो चुनोतियाँ उसका हिस्सा हैं आप ये बताने का प्रयास करें कि इस से कोई फर्क़ नही पड़ता कि शादी अंतर्जातीय है ,आपकी पसंद की है या आपके माता पिता की पसंद की पर हर रिश्ते को निभाने के लिए प्रयास करने ही होते हैं जो पूरी तरह आप पर निर्भर करते हैं.उन्हें उदाहरण देकर बताएँ कि उनके इतने वर्षों के साथ में क्या उनके रिश्ते ने उतार चढ़ाव नहीं देखे.
3. लोग क्या सोचते हैं इस से कुछ नहीं बदलता उन्हें ये समझाएँ कि लोग क्या कहते हैं इस से आप को या उनको फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि ये रिश्ता पूरी तरह से दो लोगों का रिश्ता है .जब अच्छा बुरा समय आएगा तो आप सबको मिलकर काटना है लोगों को नहीं.
4. कुछ अपनों को अपने पक्ष में लें आपके कुछ क़रीबियों (जिनकी बात आपके माता पिता के लिए मायने रखती है )को विश्वास में लें जिस से वो आपके पक्ष को और अच्छे से समझा सकें.
5. माता पिता का विश्वास जीतें आपको उनका विश्वास जीतना होगा.उन्हें बताना होगा कि उन्हें आपके जीवनसाथी से जो उम्मीदें आपके लिए अपने लिए और परिवार के लिए हैं वो उस पर अवश्य खरा उतरेगा और उनकी मान्यताओं का उसी तरह सम्मान रखेगा जिस तरह उनकी पसंद से लाया गया व्यक्ति रखेगा.आजकल ग्लोबलाइजेशन का ज़माना है जिसमें सभी जातियों और प्रान्तों का खानपान एक जैसा ही है इसलिए इन बातों से आपके रिश्ते में कोई फर्क़ पड़ने वाला नहीं फिर जब रिश्ते में परस्पर प्रेम और विश्वास होता है एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान होता है तो ये बातें उसके आगे बहुत छोटी हैं.
6. उदाहरण तैयार रखें पहले से अपने परिवार में अपने पसंद से अंतर्जातीय विवाह करने वाले ऐसे लोगों को ढूंढ कर रख लें जिनके विवाह सफल हैं.माता पिता को बताइए कि कैसे वो लोग भी तो सफल हैं आपको भी कोई परेशानी नहीं आएगी.
7. उसे अपने माता पिता से मिलवाएँ कोई अच्छा समय देखकर उसे घर बुलाएँ और ऐसी योजना बनाएँ कि वो माता पिता के साथ एक अच्छा समय बिता पाए जिस से वो लोग उसे देख समझ सकें और उसके प्रति पूर्वाग्रहों से ग्रसित अपनी धारणाएँ और दृष्टिकोण बदल सकें.उनपर जल्दबाज़ी में कोई दबाव बनाने का प्रयास न करें बल्कि उन्हें अहसास कराएँ कि उनकी सहमति आपके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है.लेकिन अपने प्यार को छोड़ना आपके लिए उतना ही दुःखद है इसलिए आप उनसे उम्मीद रखते हैं कि वो आपकी भावनाओं को समझें.
8. यदि धर्म हों अलग अलग- यदि जिसे आपने पसंद किया है उसका धर्म अलग है तो चुनोती बहुत बड़ी होती है क्योंकि इस तरह की शादियों को हमारे समाज में आज भी स्वीकार्यता मुश्किल से मिलती है ऐसे में कोई भी माता पिता इस तरह की शादी के लिए तैयार नहीं होते .पर ऐसे में आप हिम्मत मत हारिये बल्कि समझाइए और प्रयत्न जारी रखिये उन्हें बताइए कि घर दो लोगों से मिलकर बनता है धर्म से कोई फर्क़ नही पड़ता जैसे दो लोग एक दूसरे की दूसरी अलग बातों का सम्मान करते हैं वैसे ही एक दूसरे के धर्मो का सम्मान भी कर सकते हैं और रजिस्टर्ड मैरिज करने पर अब ये भी संभव है कि दोनों को अपना धर्म नही बदलना पड़ेगा और भविष्य में जो संतान होगी वो बालिग होने पर अपना धर्म चुनने को स्वतंत्र होगी कि माता का धर्म अपनाए या पिता का इस से कोई भी परेशानी नहीं होना चाहिए किसी को .एक सफल विवाह में एक जाति या एक धर्म होने से ज्यादा विचारों का एक होना मायने रखता है और विवाह प्रेम की नींव पर टिके होते हैं यदि विवाह की नींव ही समझौते पर है तो वो ज़्यादा लंबा नहीं चल पाएगा इस तरह समझाने पर वो लोग आपकी बात अवश्य समझेंगे .उन्हें अपने ऐसे दूसरे दोस्तों से मिलाइए जिन्होंने ऐसी शादी की है और खुशहाल जीवन बिता रहे हैं इस से उनकी राय बदलने में आपको मदद मिलेगी.
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9. उनके प्यार को समझने का प्रयास करें और सोचें कि वो आपका भला चाहते हैं और आपके अच्छे बुरे वक़्त में कोई हो न हो वो हमेशा खड़े रहते हैं इसलिए जो आपने सोचा है उसको तथ्यों के साथ उनके सामने रखें और उन्हें बताएँ कि उनकी सलाह आपके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है पर यदि फिर भी अंत में आपकी और उनकी राय अलग अलग दिशा में जाये तो आप जल्दबाजी न करते हुए बात को वहीं छोड़ दें और कुछ दिन बाद नए सिरे से बात को शुरू करें.
10.आपका कहने का तरीका बहुत मायने रखता है आप अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखें और आपने जिसे भी चुना है उसकी सारी खूबियों के बारे में आप अच्छे से जानते हैं उन खूबियों के बारे में उन्हें बताएँ.
11. कुछ समय उनके साथ बिताएं जो सिर्फ़ आपका और उनका होकई बार बात कहने के लिए सही समय का चुनाव करना ज़रूरी होता है इसके लिए उनके साथ उनके समय में शामिल हों जिस से आपकी आपस की बॉन्डिंग मजबूत हो और वो आपकी बात समझ पाएँ.
12. उन्हें अहसास कराएँ कि वो सबसे महत्वपूर्ण हैं उन्हें बताएँ कि उनकी सलाह आपके लिए बहुत मायने रखती है.उन्होंने जो भी आपके लिए सोचा है वो निश्चित ही सबसे अच्छा होगा पर उसी तरह उन्हें भी आप पर भरोसा करना चाहिए कि आप जो भी करेंगे बहुत अच्छा होगा और ये भरोसा आप ही को क़ायम करना होगा.
आप उन्हें समझाइए कि आपको हर कदम पर उनका साथ चाहिये इस तरह समझाने पर वो जरूर ही आपकी बात पर अपनी सहमति देंगे और साथ भी ,बस किसी भी बात में उनको राजी करने के लिए उग्रता या उतावलापन न दिखाएँ उनको पूरा समय लेकर सोचने दें बस अपने सारे सकारात्मक पहलू अच्छे से समझा दें फिर देखिए वो आपकी बात जरूर समझेंगे.
उम्मीद है इस तरह से बात करने पर बात बन ही जाएगी.तो देर मत कीजिये और मना लीजिए अपने अपनों को.