झुलसाती गरमी से राहत पाने के लिए बरसात के मौसम का हम सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस रोमांटिक मौसम का मजा वाकई अनोखा है, लेकिन इस मौसम में बारिश की वजह से आप को सेहत, फिटनैस, कपड़ों के स्टाइल, त्वचा और केशों की समस्याओं से भी दोचार होना पड़ता है. इन समस्याओं से बचने के लिए पेश हैं, विशेषज्ञों के बताए खास टिप्स:
बरसात और फिटनैस
बरसात का मौसम सुहावना और आनंदमयी होता है, मगर बारिश की वजह से फिटनैस के शौकीनों की जौगिंग, लौंग वाक और ऐक्सरसाइज वगैरह पर जैसे बंदिशें लग जाती हैं. लेकिन इस मौसम में व्यायाम को छुट्टी न दे कर और भी सख्ती से व्यायाम के टाइमटेबल को फौलो करने की जरूरत होता है.
बारिश की वजह से हम बाहर ऐक्सरसाइज करने या जिम जाने के लिए आनाकानी करते हैं. कभीकभी तो लोग घर में अपने मन से टीवी पर फिटनैस प्रोग्राम देख कर ऐक्सरसाइज करते हैं. लेकिन गलत ऐक्सराइज करने से मसल्स पेन हो सकता है. इसलिए जिम जाना ही सर्वोत्तम विकल्प है क्योंकि जिम में हम सही ढंग से ऐक्सरसाइज कर सकते हैं.
अगर प्रतिदिन जिम नहीं जा सकते तो भी हफ्ते में कम से कम 5 दिन तो नियमित रूप से जाना ही चाहिए. ऐक्सरसाइज के बाद समुचित मात्रा में प्रोटीन लेना भी जरूरी होता है. आज की दौड़धूप भरी जिंदगी में अगर फिट रहना है तो फिटनैस और डाइट का सही तालमेल बहुत जरूरी है.
अगर वेट बढ़ रहा है तो जिम में ऐक्सरसाइज के साथ योगा, पावर योगा या साल्सा डांस कर के बढ़ता वेट कंट्रोल में रख सकते हैं. आज केवल सैलिब्रिटी ही नहीं आम आदमी के लिए भी जिम जाना जैसे एक जरूरत बन गया है. ऐक्सरसाइज से बौडी टोनिंग होती है और वेट कंट्रोल में रहता है.
आज के युवकयुवतियों को लगता है कि जिम में कार्डिओ कर के हम अपनी बौडी शेप में ला सकते हैं, मगर बौडी शेप के लिए संतुलित डाइट, ऐक्सरसाइज और आराम की जरूरत होती है. आप बारिश की मौसम में इन सभी चीजों का ध्यान रखेंगे तो बरसात का मौसम और भी सुहावना हो जाएगा.
– लीना मोगरे, फिटनैस इंस्टिट्यूट की संचालक
कौटन एक सर्वोत्तम विकल्प
बरसात के मौसम में तरोताजा रहने के लिए कपड़ों का चयन सतर्कता से करना जरूरी होता है. इस वक्त तापमान में अधिक नमी रहती है और यह नमी कौटन के कपड़े ही सोखते हैं. इसलिए इस मौसम में कौटन के कपड़ों का चयन सर्वोत्तम है. आजकल मार्केट में बारिश के मौसम के लिए लाइट कौटन के विविध विकल्प मौजूद हैं. आप गरमी के मौसम में लाइट कलर के कपड़ों का चयन करती हैं, लेकिन बरसात के मौसम में डार्क कलर के कपड़ों का चयन कर सकती हैं.
बरसात के मौसम में चारों तरफ कीचड़, पानी और गंदगी होती है. फिर भी हमें बस या टे्रन में सफर तो करना पड़ता है. डार्क कलर के कपड़ों पर कीचड़ और मिट्टी के दाग दिखते नहीं हैं, जो इस मौसम में कपड़ों पर अकसर लग जाते हैं. कौटन के साथ आप सिंथैटिक कपड़ों का भी चयन कर सकती हैं क्योंकि सिंथैटिक कपड़े भीगने पर जल्दी सूखते हैं. बारिश में डैनिम और वूलन कपड़ों का इस्तेमाल बिलकुल न करें. उन्हें सुखाने में भी बहुत वक्त लगता है और नमी की बदबू उन से आती रहती है.
बरसात में अगर किसी प्रोग्राम या शादी के अवसर पर साड़ी पहननी हो तो फ्लोरल प्रिंट और डिजाइनर वर्क की सिंथैटिक साड़ी पहन सकती हैं. ज्वैलरी भी लाइट वेटेड और रंग न छोड़ने वाली पहनें. बरसात में कपड़ों के साथ मेकअप पर भी विशेष ध्यान दें. पाउडर, कुमकुम की जगह वाटरपू्रफ मेकअप प्रोडक्ट इस्तेमाल करें. अगर छोटे केश हों तो उन्हें खुला छोड़ सकती हैं. केश लंबे हों तो एक चोटी बांध कर ऊपर फोल्ड कर सकती हैं.
– अनिता डोंगरे, फैशन डिजाइनर
त्वचा व बालों की देखभाल जरूरी
पहली बारिश में हर कोई भीगते हुए रिमझिम बरसात का लुत्फ उठाना चाहता है. लेकिन इस से तो दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि शुरुआती बारिश में ऐसिड ड्रीन अधिक होने के कारण त्वचा की समस्याएं हो जाती हैं.
इस मौसम में लोग समझते हैं कि धूप नहीं है तो फिर सनस्क्रीन लगाने की क्या जरूरत? लेकिन यह सच नहीं है. इस मौसम में सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. इसलिए आप सुबह सनस्क्रीन लगाएं और उस के 3-4 घंटे के बाद फिर सनस्क्रीन लगाएं.
कुछ लोगों का मानना है कि इस मौसम में त्वचा व बालों की देखभाल की खास जरूरत नहीं होती. लेकिन बारिश में धूप नहीं होती और ड्राईनैस महसूस कराने वाली ठंड भी नहीं होती, इस लिए कारण उन की अपेक्षा बरसात के मौसम में त्वचा व बालों में काफी बदलाव होते रहते हैं.
कभी त्वचा औयली हो जाती है तो कभी ड्राई. इस के अलावा त्वचा निस्तेज भी होने लगती है. पसीना व औयल की वजह से और चेहरे पर धूलमिट्टी की वजह से पिंपल्स और ब्लैकहैड्स की समस्या बढ़ जाती है. इस मौसम में त्वचा में चिपचिपाहट रहने के कारण कुछ लोग मौइश्चराइजर लगाने की जरूरत नहीं समझते लेकिन नैचुरल कौंप्लैक्शन कायम रखने के लिए स्किन केयर बहुत जरूरी है.
बारिश में क्लींजिंग भी बहुत जरूरी है. क्लींजिंग के बाद अल्कोहल फ्री टोनर का इस्तेमाल कीजिए. इस मौसम में नमी के कारण स्किन पोर्स अपने आप खुल जाते हैं. इस कारण धूलमिट्टी जमने से पिंपल्स की समस्या बढ़ जाती है. इसीलिए क्लींजिंग के बाद टोनिंग जरूरी है. इस से खुले पोर्स बंद होते हैं.
भले ही इस मौसम में सूरज बादलों में छिप जाए, लेकिन अल्ट्रावायलेट रेज तो सक्रिय रहती हैं. इस के लिए लाइटनिंग एजेंट और लैक्टिक ऐसिडयुक्त मौइश्चराइजर का इस्तेमाल कीजिए और सैलेड, वैजिटेबल सूप का अपने डाइट में समावेश कीजिए. स्किन नरिशमैंट के लिए पानी की जरूरत होती है, इसलिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीजिए. बारिश में ज्यादा प्यास नहीं लगती है, लेकिन शरीर में पानी की कमी न हो इस के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, यह बात ध्यान में रखिए.
– अनुजा, त्वचा विशेषज्ञ
बरसात के इस रोमांटिक मौसम का मजा तो है पर इसे और भी आनंददायक बनाने के लिए उपरोक्त सुझावों पर अमल करना भी जरूरी होगा ताकि किसी समस्या से दोचार न होना पड़े.