Winter Special: सर्दियों में फ्लू से जुड़ी ये बातें जानती हैं आप?

जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हम पर वायरस का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्‍या हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं.

फ्लू

सुबह की सर्द हवाएं, वातावरण में नमी और चारों तरफ छाई धुंध ये बताती है कि सर्दी ने दस्‍तक दे दी है. ये तो आप सभी जानते होंगे कि सर्दी आते ही हमारे रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता है. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी सेहत का किस तरह से ख्‍याल रख रहे हैं.

जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हमारे ऊपर वायरस का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्‍या हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं. इनसे जुड़ी कुछ बातें हैं जिन्‍हें जरूर जानना चाहिए.

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फ्लू वायरस

जब तक आपको सर्दी-जुकाम के लक्षण पता चलते हैं, हो सकता है एक दिन पहले ही इसके विषाणु (वायरस) आपके शरीर में फैल चुके हों. और ये वायरल आने वाले सात दिनों तक फैलते रहते हैं.

फ्लू की शुरूआत

सर्दी-जुकाम वाले मौसम आमतौर पर अक्‍टूबर के आखिरी सप्‍ताह से ही शुरू हो जाते हैं जो कि दिसंबर में काफी बढ़ जाते हैं. ये जनवरी में यह स्थिति शीर्ष पर होती है. इसके बाद फरवरी के आखिरी दिनों में यह समाप्‍त होने लगती है.

फ्लू संक्रमण

शोध के मुताबिक, फ्लू वायरस ठंड और शुष्‍क मौसम में पनपते हैं. जबकि गर्म मौसम में फ्लू का संक्रमण दर उच्च आर्द्रता और बारिश के साथ जुड़ जाते हैं. यानी मौजूद रहते हैं.

नेजल स्‍प्रे

नेजल स्‍प्रे को लंबे समय तक प्रयोग में नही लाया जा सकता है क्‍योंकि इसकी प्रभावशीलता ज्‍यादा समय तक नही होती है.

एंटीवायरल दवाएं

कुछ एंटीवायरल दवाएं हैं जो बच्‍चों और बड़ों को दी जा सकती है बशर्ते डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें.

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Monsoon Special: बरसात में होने वाले फ्लू से बचने के उपाय खोज रही हैं आप?

गर्मी का मौसम लगभग जा चुका है और अब तो मौसम मिनट-मिनट में बदलने भी लगा है. हम जुलाई के महीने में कदम रख चुके हैं, तो जाहिर सी बात है कि आप मौनसून की पहली बारिश का भी बड़े मन से इंतजार कर रही होगीं. कहीं कहीं तो लोग इसका आनंद ले चुके हैं.लेकिन इस दौरान आपको अपनी सेहत को ले कर थोड़ा चौकन्‍ना भी रहना होगा क्‍योंकि इस मौसम में ठंड और फ्लू बड़ी तेजी के साथ फैलते हैं. बरसात के मौसम के साथ फ्लू का भी साथ में आना कोई नई बात नहीं है.

फ्लू एक अच्‍छे खासे इंसान को भी बिस्‍तर पर ला कर पटक देती है. इसलिये आपको कुछ जरुरी सावधानियां रखनी चाहिये. यहां पर हम ने कुछ आसान से नुस्‍खे दिये हुए हैं, जिसे आजमा कर आप बरसात के मौसम में होने वाले फ्लू से खुद को और अपने परिवार को बचा सकती हैं.

1. हाथों को धोएं

हाथों को खाना खाने से पहले जरुर धोना चाहिये. अगर आप किसी जगह पर साबुन का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं, तो सेनिटाइजर का प्रयोग करें.

2. अपने मुंह को बाहर हमेशा ढंक कर रखें

चाहे आपका दोस्‍त बीमार हो या फिर आप खुद, अपने चेहरे को रुमाल से या किसी कपड़े से ढंक कर रखें. इससे बीमारी एक दूसरे तक नहीं पहुंचेगी.

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3. ठंडे खाद्य पदार्थ ना खाएं

इन दिनों आइस क्रीम, गोला, कोल्‍ड ड्रिंक या फिर कोई अन्‍या ठंडा खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें. इस मौसम में वाइरल इंफेक्‍शन तुरंत फैलता है.

4. स्‍वस्‍थ भोजन खाएं

यदि आप इन दिनों स्‍वस्‍थ भोजन खाएंगी जिसमें हरी सब्‍जियां, प्रोटीन युक्‍त आहार, ताजे फल और साबुत अनाज शामिल रहेगा, तो आपका इम्‍यून सिस्‍टम और ज्‍यादा मजबूत बनेगा. इससे आप बुखार, कम और अन्‍य इंफेक्‍शन से डट कर मुकाबला कर सकते हैं.

5. खूब पानी पियें

पानी एक सस्‍ता इलाज है जिससे आप फ्लू से बच सकती हैं. रिसर्च से पता चला है कि जो लोग लगभग 3 गिलास पानी पीते हैं उन्‍हें दर्द भरे गले और नाक जाम होने की शिकायत उन लोगों की तुलना में ज्‍यादा होती है जो दिनभर में 8 गिलास पानी पीते हैं.

6. गरम चाय पियें

बरसात के समय आपको कम से कम एक कप चाय जरुर पीनी चाहिये. अच्‍छा होगा कि आप चाय में अदरक और इलायची भी डाल लें तो. पर चाय के आदि मत बनियेगा. यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करती है.

7. तनाव से दूर रहें

तनाव लेने से स्‍वास्‍थ्‍य को हानि पहुंच सकती है. इससे आपको फ्लू और भी तेजी से जकड़ लेगा. स्‍ट्रेस लेने से इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने लगता है और आपके ठीक होने के चांस कम हो सकते हैं.

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8. धूम्रपान छोडें

स्‍मोकिंग करने से तो वैसे भी कई समस्‍याएं हो जाती हैं. लेकिन इससे खास कर के सांस संबन्‍धि समस्‍या जैसे ब्रोंकाइटिस होने की समस्‍या सबसे ज्‍यादा रहती है. यह इम्‍यून सिस्‍टम को भी कमजोर बना देता है.

फ्लू से बचने के लिए महिलाएं कंट्रोल रखें एस्ट्रोजन लेवल

सर्दियों की शुरुआत होने से कई सारे सांस से सम्बंधित वायरस, खांसी और कफ होता है. लेकिन इस की सर्दी पिछली सर्दियों से अलग है क्योंकि इस समय हम कोरोनावायरस महामारी का सामना कर रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि सर्दियों में कोविड 19 के केसेस और ज्यादा बढ़ेंगे. हम फ्लू जैसे लक्षण को बिल्कुल भी नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं. अगर इन लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया तो इससे गंभीर समस्या हो सकती है.

फ्लू  इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाली बहुत ज्यादा संक्रामक सांस से सम्बंधित बीमारी है. इससे गंभीर स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती है और ज्यादा गंभीर होने पर हॉस्पिटल में भी भर्ती होना पड़ सकता है. इन समस्याओं में निमोनिया और कभी-कभी मौत तक भी हो जाती है. भारत में फ्लू की एक्टिविटी प्रायः नवम्बर से शुरू होती है और दिसंबर से फ़रवरी तक यह चरम पर होती है और मौसम के अनुसार मार्च के अंत तक भी रह सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी)  के अनुसार 2018-2019 फ्लू के मौसम के दौरान अनुमानित 35.5 मिलियन लोग फ्लू से इन्फेक्ट हुए. जिसके परिणामस्वरूप लगभग 34,000 मौतें हुईं.

फ्लू वायरस इन्फेक्ट करता है और सेल में प्रवेश करके और होस्ट सेल अंदर खुद की कॉपीज बनाकर बीमारी का कारण बनता है. संक्रमित सेल्स से निकलने पर वायरस शरीर में फैल सकता है और फिर यह इसी तरह से लोगों के बीच में भी फ़ैल जाता है. एक वायरस कितनी बार इन्फेक्ट कर सकता है, यह उसकी गंभीरता को दर्शाता है. कम बार इन्फेक्ट करने वाले  वायरस का अर्थ है कि इन्फ्केकटेड व्यक्ति में बीमारी कम हो सकती है या बीमारी के किसी और व्यक्ति में फैलने की संभावना भी कम हो सकती है.

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महिलाओं को फ्लू से बचाने में एस्ट्रोजन की भूमिका

एक नई स्टडी में पता चला है कि महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन महिलाओं को फ्लू से बचाता है.

एस्ट्रोजेन में एचआईवी, इबोला और हेपेटाइटिस वायरस के खिलाफ लड़ने में एंटीवायरल गुण होते हैं. इस स्टडी में प्राइमरी सेल्स (प्राथमिक कोशिकाएं) सीधे मरीजों से अलग हो जाती हैं, जिससे रिसर्चर यह पता लगाने में सक्षम हो जाते हैं कि एस्ट्रोजेन का सेक्स स्पेसिफिक प्रभाव क्या होता है.

यह पहली स्टडी थी जिसमे एस्ट्रोजन रिसेप्टर की पहचान की गयी. एस्ट्रोजन रिसेप्टर एस्ट्रोजेन के एंटीवायरल प्रभावों के लिए जिम्मेदार होती है. रिसर्चर को  एस्ट्रोजेन के इस संरक्षित एंटीवायरल प्रभाव की मध्यस्थता करने वाले तंत्र को समझने मदद मिली. यह  देखा गया है कि कुछ प्रकार के

बर्थ कंट्रोल (जन्म नियंत्रण) या  मेनोपाज के बाद की महिलाओं को प्रीमेनोपॉज़ल हार्मोन रिप्लेसमेंट  पर मौसमी इन्फ्लूएंजा महामारी के दौरान बेहतर रूप से संरक्षित किया जाता है. चिकित्सीय एस्ट्रोजेन जो इनफर्टिलिटी और मेनोपाज के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं, वे भी फ्लू के खिलाफ रक्षा कर सकते हैं.

प्राकृतिक तरीके से एस्ट्रोजन के लेवल को कैसे बढ़ाएं

एस्ट्रोजन लेवल को प्राकृतिक रूप से बढ़ाना संभव है, इसके लिए डाईट में बस कुछ बदलाव करने की जरुरत है. कई ऐसी जड़ी बूटियां और सप्लीमेंट है जिसे आप ट्राई कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रखें कि अभी भी जड़ी बूटियों से पड़ने वाले प्रभाव के बारें में रिसर्च बहुत कम हुई है. इसलिए यह बढ़िया रहेगा कि उनका सेवन करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह ले लें.

सबसे पहले अगर आपका कम एस्ट्रोजेन लेवल आपको परेशानी पहुंचा रहा है या मेनोपाज के लक्षण, हॉट फ्लैशेस, इंसोमेनिया, मूड चेंजेज या योनि में रूखापन दिखा रहा है तो अपन डाक्टर से बात करें. एक फंकशनल मेडिसिन या नेचुरोपेथिक डाक्टर भी कंडीशन को चेक करके मदद कर सकता है .

एक गिलास रेड वाइन या लाल अंगूर का जूस डिनर में खाने से एस्ट्रोजेन का ब्लड लेवल बढ़ता है, इसलिए रोज एक गिलास रेड वाइन पीने से आप अपने एस्ट्रोजेन लेवल को बढ़ा सकते हैं. हालांकि वाइन में एक्टिव कम्पाउंड, रेस्वेराट्रोल अंगूर के जूस, अंगूर, किशमिश, और यहां तक कि मूंगफली  में भी मौजूद होता है. इसलिए अगर आप शराब नहीं पीना चाहते हैं तो तब भी आप इन चीजों से अपने एस्ट्रोजन लेवल को बढ़ा सकते है.

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हल्दी से अपना भोजन को स्वादिष्ट बनायें.

हल्दी में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है, इसलिए जब भी खाना बनायें इसे उसमे डाले या अतिरिक्त फाइटोएस्ट्रोजन बूस्ट के लिए तैयार हुए खाद्य पदार्थों पर छिड़कें. यहां तक कि एक रेसिपी में 1/2 चम्मच (2.5 ग्राम) डालने से भी फाइटोएस्ट्रोजेन में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

 डॉ मनीषा रंजन, कंसल्टेंट आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा से बातचीत पर आधारित

Bollywood Dietitian से जानें जुकाम, खांसी और फ्लू को दूर भगाने के 7 घरेलू उपाय

कोरोना वायरस महामारी भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में फैल चुकी हैं. दिन-प्रति दिन इस महामारी से जूझने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में इस वायरस से बचने के लिए इम्युनिटी को स्ट्रांग रखना व इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए हैलदी डाइट बहुत  ज़रूरी है, जो इस हालात में खांसी, जुकाम और फ्लू से हमें बचा सके.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए अभी हाल ही में सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट व डाइटीशियन रुजुता दिवेकर ने सर्दी-खांसी और फ्लू से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताए हैं.

न्यूट्रिशनिस्ट व डाइटीशियन रुजुता दिवेकर ने पोस्ट में लिखा है कि हमारे किचन व दादी मां के टाइम-टेस्ट्ड ज्ञान को फिर से रोशनी में आने के लिए किसी महामारी की जरूरत नहीं है.  इन चीजों को एक्सप्लोर करें, खुद भी खाएं और आने वाले जेनरेशन को भी इन चीजों को खाने के लिए प्रोत्साहित करें,  ठीक उसी तरह जैसे बचपन में आपकी दादी-नानी आपको प्यार से खिलाया करती थीं.

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आइए जानते हैं रुजुता दिवेकर के क्या हैं 7 उपाय, जिसको  आप अपनी डाइट में शामिल कर सकती है-

1. घी, सूखी अदरक या  सोंठ, हल्दी, गुड़ को एक समान मात्रा में मिलाकर सुबह और रात में खाएं.

2. ब्रेक फ़ास्ट में रागी की खिचड़ी और डोसा का सेवन करें.

3. मीड मॉर्निंग में काजू और गुड़ का सेवन करें.

4. लंच में मूंग दाल के साथ हर रोज चावल और घी को अपनी डाइट में शामिल करें.

5. इवनिंग स्नैक में गुड़, पोहा और दूध या फिर, टोस्ट के साथ अंडा अथवा घर में जमाई हुई दही के साथ पोहा खाएं.

6.  डिनर में दाल खिचड़ी, या फिर चावल के साथ फिश और घी खाएं.

7. इसके अलावा, नींबू, लेमन ग्रास और शहद से बनी चाय पिएं. आप चाहें तो केसर, अदरक और बादाम युक्त कश्मीरी कहवा का सेवन दिन में किसी भी समय कर सकते हैं.

बॉलीवुड में सलेब्स की फिटनेस को फिट करने के लिए रुजुता दिवेकर एक जाना – पहचाना नाम है जो  करीना, करिश्मा, अर्जुन कपूर, अनिल कपूर, सोनम कपूर, आलिया और तमाम फ़िल्मी हस्तियों की डाइटीशियन गाइड  हैं.  लेकिन  रुजुता को असली पहचान बेबो यानी करीना कपूर को जीरो साइज़ फिगर के बाद मिली. करीना के जीरो फिगर का श्रेय रुजुता दिवेकर को भी जाता है. रुजुता मानती हैं कि यदि उनकी ज़िंदगी में करीना कपूर न होतीं तो वे आज इतना बड़ा नाम न होतीं.

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