जब सहेली हो सैक्सी

आजकल के युवाओं में सैक्सी दिखने का ट्रैंड हिट है. वे सोचते हैं कि जो शौर्ट कपड़े पहनते हैं, स्लिमट्रिम होते हैं वे ही सैक्सी हैं और जो सैक्सी हैं वे ही इंटैलिजैंट हैं. इस कारण सब उसी से दोस्ती करना पसंद करते हैं. यही नहीं कुछ युवा तो सैक्सी लुक के पीछे इस कदर पागल हो जाते हैं कि वे अपनी खुद की पर्सनैलिटी ही भूल जाते हैं और इस चक्कर में सामने वाले से नफरत भी करने लगते हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि जलन के बजाय आप को अपनी पर्सनैलिटी में स्मार्टनैस लाने की जरूरत है.

आइए, जानते हैं कि दोस्त के सैक्सी होने पर हम करते क्या हैं जबकि हमें करना क्या चाहिए:

हम क्या करते हैं

जलन की भावना: जब हमारी दोस्त हम से कही ज्यादा सैक्सी दिखती है, खुद को सेक्सी बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती है, जिस कारण हर लड़का उस का दीवाना होने लगता है तो हमारे मन में उस के लिए जलन की भावना पैदा होने लगती है. इस कारण हमें उस की सही बात भी गलत लगती है, हम उस से अच्छा रिलेशन होने के बावजूद उस से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं, उस के बारे में दूसरों से गलत बात कहने में भी नहीं कतराते हैं क्योंकि हमें लगता है कि उस के ज्यादा सैक्सी होने की वजह से लड़के हमें नजरअंदाज करने लगे हैं, जो जरा भी गवारा नहीं होता है.

धीरेधीरे यही जलन की भावना दोनों के रिश्ते में दरार डालने के साथसाथ एकदूसरे का दुश्मन तक बना डालती है.

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हर बात लगती है गलत: लड़कों ने रिया के सैक्सी लुक की तारीफ क्या करनी शुरू कर दी कि अब तो प्रिया की आंखों में रिया इस कदर खटकने लगी कि उस की सही बात भी गलत लगने लगी क्योंकि प्रिया से उस का सैक्सी लुक जो बरदाश्त नहीं हो रहा था.

एक बार जब रिया ने उस के ऐग्जाम्स के लिए उसे सलाह दी तो उस ने मन में ईर्ष्या के कारण उस की बात को गलत ठहरा कर नहीं माना, जिस का नतीजा उस के लिए गंभीर साबित हुआ क्योंकि जब हमारे मन में किसी के लिए ईर्ष्या का भाव आने लगता है खासकर के लड़कियों में एकदूसरे के लुक को लेकर तो वे उसे किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं कर पाती हैं. उस की हर बात को सही जानते हुए भी गलत ठहरा कर खुद को सुकून पहुंचाने की कोशिश करती हैं, जो सही नहीं होता है.

करैक्टर को करते हैं जज: जब कोई लड़की खुद को सैक्सी दिखाने लगती है तो उस की फ्रैंड्स उस की तारीफ करने के बजाय उस के लुक से जलने लगती हैं. फिर इस जलन को व्यक्त करने के लिए वे दूसरे लोगों के सामने यह कहने से भी नहीं कतरातीं कि यार यह अपने सैक्सी लुक से लड़कों को अट्रैक्ट करने की कोशिश कर रही है, तभी तो आजकल इस का चालचलन इतना बदल सा गया है.

इस का करैक्टर ही खराब है, इसलिए हमें भी इस से दोस्ती नहीं रखनी चाहिए. ये लड़कों को अपना दीवाना बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. दोस्त की जबान पर ये शब्द अपनी फ्रैंड के सैक्सी लुक के कारण मन में पैदा हुई जलन के कारण ही आए हैं. उस के कारण फ्रैंड उसे करेक्टरलैस भी लगने लगी है.

पीठ पीछे बुराई

यार वह कैसे कपड़े पहनती है, बालों का स्टाइल तो देखो, चाल भी किसी हीरोइन से कम नहीं है, लड़कों को अपने आगेपीछे घुमाने के लिए चेहरे पर हमेशा मेकअप ही थोपे रखती है ताकि अपने सैक्सी लुक से सब की तारीफ बटोर कर बौयफ्रैंड की लाइन मार सके. चाहे इस का कितना ही सैक्सी लुक क्यों न हो, लेकिन बोलने की जरा भी अक्ल नहीं है. कुछ आताजाता है नहीं, तभी तो अपने सैक्सी लुक से ही फेम कमाने की कोशिश कर रही है.

अपने फ्रैंड के सैक्सी लुक को देख कर लड़कियां जलन के मारे पीठ पीछे उसे नीचा दिखाने के लिए उस की झठी बुराई करने में भी पीछे नहीं रहती हैं. इस से उन के मन की भड़ास जो दूर होती है, जबकि ऐसा कर के वे खुद की नजरों में ही गिरती हैं.

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मजाक बनाने में भी पीछे नहीं

स्नेहा बहुत ही सैक्सी व अट्रैक्टिव लग रही थी. जैसे ही उस ने फ्रैंड्स के बीच ऐंट्री मारी तो सब की नजरें उस पर ही टिकी रह गईं. लड़कों के मुंह से वाउ, वाट ए लुक, तुम जैसा सैक्सी कोई नहीं जैसे शब्दों को सुन कर प्रियांशा के दिल में मानो इतने कांटे चुभे कि इसे शब्दों में भी बयां नहीं किया जा सकता. उसे गवारा नहीं हो रहा था कि सब का ध्यान  स्नेहा ने अपने सैक्सी लुक से अपनी ओर खींच लिया.

इस कारण उस ने अपने इस गुब्बार को मन में नहीं रखा और कुछ ही देर में उस की किसी बात का इतना मजाक बनाना शुरू कि स्नेहा की आंखों से आंसू नहीं रुके. उस का मजाक बनाने में कर दिया स्नेहा ने अपने बाकी फ्रैंड्स को भी शामिल कर लिया जो बिलकुल ठीक नहीं था.

यंगिस्तान: कही आप यूज तो नहीं हो रहे है!  

लॉक डाउन का समय चल रहा है , दिल दिमाग में नए -पुराने यादों के बीच महानता को ले कर संघर्ष चल रहा है. वही इस बदलते ज़माने के साथ रिश्ते नाते, दोस्ती और प्यार में आ रहे बदलाव का भी मूल्यांकन हो रहा है. इन सबके बीच कई बातें उभर कर सामने आ रही है. गिरती मानसिकता और बढ़ता स्वार्थ यंगिस्तान के एक बड़े समूह को मानसिक पतन को ओर अग्रसर कर रहा है. अपने पास खर्च के पैसे नही होते , लेकिन अगर उनके सबसे नजदीक साथी या उनका प्यार किसी चीज की मांग करे तो वह हर कीमत पर उसे पूरा करने में लग जाते है.

अपने मोबाईल में बैलेंस नहीं होता, लेकिन उनका रिचार्ज की उन्हें चिंता होती है. घरवालो को कभी फईनेसली मदद करे ना करे, लेकिन अपने खास दोस्त और प्यार के लिए पैसा जुटा कर उन्हें देना इनके लिए कोई बड़ा काम नही है . यंगिस्तान का एक बड़ा तबका भावनाओ में डूबा हुआ,आधुनिक रिश्ते नाते और प्यार में यह समझ ही नही पा रहा है ,कि कहा किसने उनका जम कर यूज किया. तो आइये 09 विन्दु के माध्यम से समझते है कही आप को कोई यूज तो नहीं कर रहा है.

1. किसी को आर्थिक रूप से दो या तीन बार सहायता करना बुरा नहीं है और वह भी ऐसा खास को जिसे आप पसंद करते हैं, जिसके साथ आपके मजबूत रोमांटिक संबंध हैं या जिसे आप अपने लिए सबसे खास सबसे अलग मानते है.लेकिन इस तरह की सहायता की भी सीमा होती है. अगर आप सीमा को नही समझ पा रहे है, और हर मांग को अपना खास मान कर पूरा करते जा रहे है, तो यह आपके लिए भारी पड़ सकता है.

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2. सहायता किसी भी आर्थिक मदद के रूप में हो सकती है.अगर आपका साथी बार-बार और बहुत कम अंतराल में आपसे पैसों की डिमांड करता है और वह उन पैसों को वापस लौटाता भी नहीं है तो इसकी पूरी संभावना है कि वह पैसों के लिए आपको यूज कर रहा है. ऐसे में आप उसके मांग पर धीरे धीरे पैसे या सामान देना बंद कर दें, फिर देखें कि क्या वह तब भी आपके साथ है या नही ?

3. अगर आपका खास दोस्त या आपका प्यार आपसे हर बार मोबाईल बिल या रिचार्ज का बात कर आपका इमोशनल कर रही हो या कर रहा हो तो आप सावधान रहिए, हो सकता है आपका एक दो बार का मदद उसे आप पर निर्भर ना बना दे.

4. कभी कभी ऐसा भी होता है कि आप अपने उस खास के पार्टी में जाते है और जाने से पहले भी प्रेशर होता है एक महँगी गिफ्ट का ,तो उस समय आपका वह महंगा नही जरुरी लगता है लेकिन यही गिफ्ट  उसे आपके महंगे गिफ्टो कि आदत डालती है.इस तरह अगर आप इमोशन में डूबते उनके हर मांग को पूरा करते जायेगे तो आप एक साकेट दे रहे हाई कि आप खुद यूज होने के लिए तैयार है.

5. समाजशास्त्री डाँ प्रीति आरोड़ा का कहना है कि अधिकतर युवाओ कोइस बात का अहसास ही नहीं होता कि अपने फायदे और केवल टाइम पास के लिए उनका खास दोस्त, उनका पार्टनर या ब्वॉयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड उनका यूज कर रहे होते है. सच्चाईतो यह है कि चाहे महिला हो या पुरुष, कोई भी किसी की स्वार्थपूर्ति के लिए यूज नहीं होना चाहता. लेकिन आज के युवाओ के बीच पनपी आधुनिक रिश्तो से एक दुसरे का समय पर उपयोग करने की प्रणाली बन गई है. यह अदृश्य प्रणाली हर साल ना जाने कितने युवाओ को सुनहरे रिश्ते और प्यार के बदले में धोका का जख्म दे रही है.

6. जब कोई केवल सेक्सुअल पर्पज के लिए किसी को यूज करता है तो उसमें पैसा, मौज-मस्ती और थोड़ी देर का साथ शामिल होता है. हालांकि यह बात आम है कि जब खुद के यूज होने की सच्चाई सामने आती है, तो लोग यूज करने वाले से किनारा काट लेते हैं, उससे विश्वास उठ जाता है.

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7. युवाओ को जन संचार की शिक्षा देने वाले संदीप दुबे का कहना है किअपनी आवश्यकताओं और स्वार्थ की पूर्ति के लिए साथी का मिसयूज करना कोई नई बात नहीं है. लेकिन आधुनिक दौर में यह बढ़ा है. जब यह सच्चाई जब सामने आती है तो बहुत दुख पहुंचाती है.

8. वही अपने खास प्यार के हाथो यूज होने के बाद इंजीनियरिंग छात्र सुनील कहते है कि पहले मैं इन बातो को नही मनाता था, लेकिन अब मनाता हूँ और किसी पर विश्वास करने से पहले दस दफा सोचता हूँ. जबकि 25 साल की सीमा का कहना है, कि यूज करने की बात तभी दमंग में आती है, जब हमारे रिश्तो में स्वार्थ  छिपा होता है और यूज होने के बाद किसी भी इंसान को जीवन का सबसे बड़ा दुःख होता है .

9. अगर आपको थोड़ा भी शक है कि आपको इस्तेमाल किया जा रहा है, तो आप जिस व्यक्ति के साथ रिलेशन में हैं, उसके साथ ज्यादा अलर्ट और ऑब्जव्रेट बने, साथ ही साथ उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां भी एकत्र करें. अगर आप फिर भी यूज होती हैं, तो जितनी जल्दी संभव हो, उस संबंध को तोड़ दें.

जानें कैसे पहचानें मतलबी दोस्त

रमा उत्तर भारत से मुंबई में नईनई आई थी. वह एक ब्यूटीपार्लर में गई तो वहां उसे एक दूसरी महिला भी अपने नंबर का इंतार करती मिली. रमा की साफ हिंदी सुन कर उस महिला ने बात शुरू की, ‘‘आप भी नौर्थ इडियन हैं?’’

रमा ने कहा, ‘‘जी, आप भी?’’

‘‘हां, मेरा नाम अंजू है, मैं दिल्ली से हूं. आप कहां से हैं?’’

‘‘मेरठ से.’’

दोनों में बातें शुरू हो गईं. अंजू ने बहुत सारी बातें शुरू कीं, बताया कि वह घर में ही सूट बेचने के लिए रखती है. उसे कुछ काम करना पसंद है, ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं है, नौकरी तो मिल नहीं सकती, तो इस काम को वह ऐंजौय करती है और उस का काम अच्छा चलता है.

अंजू ने वहीं बैठेबैठे रमा से उस का फोन नंबर और घर का पता लिया जो रमा ने खुशीखुशी दे दिया. वह भी खुश थी कि आते ही अपने एरिया की हिंदी बोलने वाली एक फ्रैंड बन गई. दूसरे दिन ही अंजू को अपने घर आया देख रमा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

रमा ने अपनी फैमिली से भी अंजू को मिलवाया. दोनों ने एकसाथ बैठ कर खाना खाते हुए बहुत सी बातें कीं. इतने कम समय में दोनों एकदूसरे से खूब मिक्स हो गए.

कुछ दिनों बाद अंजू ने रमा के परिवार को भी घर बुलाया. सब एकदूसरे से मिल कर खुश ही हुए. कुछ महीने यों ही एकदूसरे से मिलतेजुलते बीत गए.

स्वार्थ की दोस्ती

रमा ने अपनी सोसाइटी में ही एक किट्टी ग्रुप जौइन कर लिया था. अंजू को पता चला तो कहने लगी, ‘‘जब तुम्हारी किट्टी पार्टी का नंबर आएगा, मैं अपने कुछ सूट, ड्रैसेज बेचने के लिए ले आऊंगी, हो सकता है कोई कुछ खरीद ले.’’

रमा ने ‘‘ठीक है,’’ कह दिया. जब रमा के घर पार्टी में सोसाइटी की 10 और महिलाएं आईं तो अंजू अपना बड़ा सा बैग खोल कर ड्रैसेज दिखाने लगी. कुछ महिलाओं को यह पसंद नहीं आया. एक ने साफ कहा, ‘‘भई, पार्टी को बिजनैस से दूर ही रखें इतने में तो हम एक गेम और खेल लेते.’’

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किसी ने कुछ नहीं खरीदा, पसंद अलगअलग थी, किसी ने यह भी कहा, ‘‘इन  10 कपड़ों में से क्यों लें… भई, दुकान पर बहुत चौइस रहती है, वहीं खरीदेंगे न.’’

उठ जाता है भरोसा

रमा को जरूरत के समय ही खरीदने की आदत थी. अभी उस के पास बहुत कपड़े थे, फैशन आताजाता रहता है, वह ले ले कर कपड़े रखने के पक्ष में नहीं रहती थी, तो भी उस ने जल्द ही अंजू की खुशी के लिए कुछ कपड़े उस से ले ही लिए.

इस के बाद अंजू कभी भी अपने कपड़ों का बड़ा बैग लिए हर दूसरे दिन असमय आ जाती. कभी रमा अपने बच्चों को पढ़ा रही होती, कभी आराम कर रही होती और अंजू हर बार उस से यही उम्मीद करती कि रमा उस से कुछ खरीद ले, पर कितना खरीदा जा सकता था.

एक दिन अंजू ने कहा, ‘‘एक काम करो, मुझे अपना यह ड्राइंगरूम दिन भर के लिए दे दो, मैं यहां अपना सामान सजा लेती हूं और तुम्हारी सोसाइटी बड़ी है, तुम्हारा ड्राइंगरूम भी काफी बड़ा है, लोगों से कह कर मेरे काम का यहां प्रचार कर देते हैं.’’

रमा ने विनम्र स्वर में समझूया, ‘‘यह तो बहुत मुश्किल है, अंजू, बच्चों को मैं ही पढ़ाती हूं, लोग दिनभर आतेजाते रहेंगे कपड़े देखने तो बहुत डिस्टर्ब होगा और फिर कई बार कोई मेहमान भी तो आ ही जाता है, यह तो बहुत परेशानी हो जाएगी.’’

अंजू को रमा की बात पर इतना गुस्सा आया कि उस ने तेज आवाज में कहा, ‘‘तुम तो मेरे किसी काम की नहीं. सोचा था मेरा काम बढ़वाओगी, मैं नए लोगों से मिलूंगीजुलूंगी तो कुछ काम आगे बढ़ेगा पर तुम तो किसी काम की नहीं.’’

यह सुन कर रमा को तेज झूटका लगा. बोली, ‘‘तुम ने मेरे साथ दोस्ती काम सोच कर की थी?’’

‘‘हां, और क्या, मुझे तो नए कौंटैक्ट्स बनाने होते हैं, मैं अपना कपड़े बेचने का काम बहुत आगे बढ़ाना चाहती हूं. खैर छोड़ो, तुम अपनी घरगृहस्थी संभालो,’’ कह कर अंजू चली गई. उसी समय दोनों की दोस्ती खत्म हो गई.

रमा को आज 15 सालों के बाद भी अपना यह दुख ताजा लगता है. वह बताती है, ‘‘मैं कई दिन तक शौक में रही, कहां मैं सोच रही थी मुझे मुंबई आते ही कितनी अच्छी दोस्त मिल गई है. यह तो मुझे बाद में समझू आया कि पार्लर से ही मेरे साथ दोस्ती अपने स्वार्थ के लिए की गई थी, पता नहीं कैसे लोग दोस्ती जैसे रिश्ते को स्वार्थ पर टिका देते हैं. उस के बाद कई दिनों तक मैं किसी से खुल कर नहीं मिल नहीं पाई. सब से भरोसा सा उठ गया था.’’

रमा और अंजू का यह उदाहरण काल्पनिक नहीं है, यह एक सच्ची घटना है. इस लेख में सभी उदाहरण सत्य हैं. हां, बस नाम ही काल्पनिक हैं. देख कर दुख होता है कि दुनिया के सब से प्यारे रिश्ते दोस्ती को लोग कैसे अपने स्वार्थ और चालाकियों से यूज करते हैं और इस में उन्हें कोई गिल्ट भी नहीं होता.

सीमाएं क्या हों

यह तो थी आम घरेलू महिलाओं की बात जिन के बारे में अकसर सोच लिया जाता है कि आम महिलाएं तो ये सब करती ही हैं. ऐसा नहीं है कि तथाकथित बुद्धिजीवी महिलाएं बहुत उदार और इन सब बातों से परे होती हैं. ऐसा बिलकुल नहीं है. आम महिलाओं के बारे में तो आप सुनतेपढ़ते ही रहते होंगे. आज कुछ उदाहरण और देखिए जिन्हें दोस्ती में सारी सीमारेखाएं पार करने में जरा हिचक नहीं होती.

एक लेखिका है अंजलि, पुणे में रहती हैं. सब की हैल्प करने को हमेशा तैयार. काफी जगह उन की रचनाएं प्रकाशित होतीं देख एक लेखिका भूमि ने अंजलि से दोस्ती की. फेसबुक पर उन की दोस्त बनी. भूमि अंजलि को खूब फोन करती, उस से रचनाएं भेजने के सारे कौंटैक्ट्स पूछे. सारी ईमेल आईडी जानीं, लेखन के क्षेत्र में जितनी जानकारी जुटानी थी, जुटा ली. जब लगा कि जितना पूछा था, पूछ लिया, उस के बाद अंजलि से बात करना बंद कर दिया. उसे फेसबुक से अनफ्रैंड कर दिया और जब भी कोई अंजलि के बारे में बात करता, तो कहती कि कौन अंजलि, मैं तो किसी अंजलि को जानती ही नहीं. मतलब निकलते ही अंजलि को हर जगह से ब्लौक कर दिया.

अंजलि को जब पता चला कि भूमि तो उस से जानपहचान ही अस्वीकार कर रही है तो उस ने कई लोगों को भूमि की कौल हिस्ट्री दिखाई, उस क व्हाट्सऐप चैट भी दिखाए. अंजलि कहती रह गई कि भूमि उस की दोस्त थी पर भूमि ने अपना मतलब निकाल कर पलट कर भी नहीं देखा. इस का प्रभाव अंजलि पर यह पड़ा कि हर बार सब की हैल्प करने वाली अंजलि अब किसी की भी हैल्प करने से पहले सौ बार सोचती. भूमि का ध्यान आता तो हर शख्स झूठा, स्वार्थी लगता.

दोस्ती का मुखौटा

स्वार्थी और चालाक लोग दोस्ती का मुखौटा पहने हुए आप के वे दुश्मन हैं, जो दीमक की तरह आप को अंदर ही अंदर खाते रहते हैं और आप को पता भी नहीं चलता. ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना बेहतर है, जो दोस्ती के नाम पर स्वार्थी हों, सच्ची दोस्ती में कहीं भी स्वार्थ और चालाकियों को जगह नहीं होती.

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सच्चे दोस्त की पहचान करना बहुत जरूरी होता है और सच्चे दोस्त की पहचान कर के उस के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाना एक प्रकार की अनूठी कला है. ऐसा नहीं कि उम्र और शिक्षा स्वार्थी इंसान होने या न होने पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं. पड़ोस में एक आंटी हैं, भरापूरा घर है पर पड़ोस की अन्य अपनी उम्र की लड़कियों को बेटाबेटा कह कर काम निकालने में जैसे उन्होंने कोई डिगरी हासिल की है.

जैसे ही किसी को सब्जी लेने जाते देखती हैं, फौरन आवाज लगा कर अपना थैला पकड़ा देती हैं कि. बेटा जरा मेरे लिए भी सब्जी ला देना. किसी को कहीं आतेजाते देखेंगी तो कहेंगीं, जरा मुझे भी ड्रौप कर देना. उन के घर में सब हैं. पर बाद में बड़ी शान से यह भी कहती हैं कि मुझे तो अपना काम निकलवाना आता है. मैं कुछ कहूं तो मेरी उम्र देख कर कोई मना ही नहीं करता. बुढ़ापे को मजे से यूज करती हूं.

अब मूर्ख वही बनते रह जाते हैं जो इन की उम्र का लिहाज करते हैं, कोई महिला बच्चे को गोद में ले कर सब्जी लेने जा रही होती है तो वह इन का भी थैला संभाल रही होती है. पासपड़ोस की युवा महिलाएं जिन्हें ये अपना दोस्त कहती हैं कि उम्र देख कर कोई जवाब नहीं देती तो यह आराम से बताती घूमती हैं कि इन के तो सब काम आराम से होते हैं.

इन के परिवार वाले भी अकसर यह कहते सुने गए हैं कि मां, आप का तो काम कोई भी कर देगा, आप में इतना टैलेंट है.

प्यारा रिश्ता

दोस्ती बहुत ही प्यारा रिश्ता है. इसे स्वार्थ और चालाकियों की भेंट न चढ़ने दें. अच्छा दोस्त बनें. इस रिश्ते को प्यार से, सचाई से निभाएं. अच्छे दोस्त बन कर, अच्छा दोस्त पा कर मन को असीम खुशी मिलती है. अपने दोस्त की फीलिंग्स को कभी हर्ट न करें. इस रिश्ते में नफानुकसान न सोचें. दोस्त के लिए दिल में करुणा और सम्मान रखें.

दोस्ती का रिश्ता विश्वास के आधार पर ही टिका होता है. एक सच्चा दोस्त कभी भी अपने दोस्त से न तो झूठ बोलेगा और न ही उस के साथ किसी प्रकार का छलकपट करेगा और यह सच्चे दोस्त की निशानी है. सच्चा मित्र किसी बहुमूल्य रत्न से कम नहीं होता. स्वार्थ की भावना से दोस्ती न करें, स्वार्थी मित्र संकट के समय साथ छोड़ देते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बना कर रखें. सच्ची दोस्ती में कहीं भी चालाकी और स्वार्थ की भावना नहीं होती. ईर्ष्याद्वेष रखने वालों से दूर रहें. ऐसे दोस्त या मित्र जो सामने तो मीठीमीठी बातें करते हैं लेकिन पीठ पीछे बुराई करती हों, उन से दोस्ती न करें. ऐसे लोग कभी भी आप का मन दुखा सकते हैं.

क्योंकि रिश्ते अनमोल होते हैं…

क्या कभी आपने सोचा है कि जो लोग हर मुश्किल घड़ी में हमारा साथ देते हैं हम उन्हें कितना समय दे पाते हैं. क्या अपने जीवन में हम उनकी अहमियत को समझते हैं अगर हां तो कितना…हमें शायद ये लगता है कि ये तो हमारे अपने हैं कहां जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे वो कब और कैसे हमसे दूर होते जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता. हमें ऐसा लगता है कि हम इनके लिए ही तो दिन रात मेहनत करते हैं काम करते हैं. शायद इसी बहाने के साथ हम एक ऐसी दुनिया की तरफ भागने लगते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं.

हम क्यों भाग रहे हैं किसके लिए भाग रहे हैं कभी गौर से सोचते भी नहीं. रोज सुबह के बाद दिन, महीने और फिर साल…बस यूं ही गुजरते रहते हैं. जबकि असल में जिंदगी का मतलब भीड़ में भागना नहीं है. हां ये सच है कि हमारे लिए काम और सक्सेस दोनों जरूरी. इसके लिए हेल्दी कंपटीशन की भावना हमारे अंदर होनी चाहिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम हमेशा काम को प्राथमिकता दें और परिवार को भूल जाएं. भई, जीवन में सब कुछ जरूरी है इसलिए काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. आखिर, काम के नाम पर हमेशा आपके अपनों को ही कंप्रमाइज क्यों करना पड़े.

लॉकडाउन ने दी सबक

लॉकडाउन ने सबको परिवार की अहमियत हो सिखा ही दी. साथ ही हम सभी को यह सबक भी दिया कि जिंदगी में भले एक दोस्त हो लेकिन वह सच्चा हो. सिर्फ दिखावे के लिए सोशल मीडिया पर भीड़ बढ़ाने वाले रिश्तों से कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि रियल लाइफ में कितने लोग आपका साथ देते हैं इससे फर्क पड़ता है.

रिलेशनशिप बॉन्डिंग क्यों जरूरी है

डॉक्टर नेहा गुप्ता (मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव) का कहना है कि, अगर अपने लोगों से बॉडिंग स्ट्रांग होती है तो हम मेंटली फिट रहते हैं और हमारी इम्यूनिटी भी स्ट्रांग होती है. आज के समय में रिश्ते लाइक और कमेंट में उलझ कर रह गए हैं. ऐसे में हमारे अहम रिश्ते दम तोड़ते जा रहे हैं और हम वर्चुअल दुनिया में ही खुशियां मना रहे हैं, जबकि यह झूठी और बनावटी दुनिया है.

बाद में पछताने से बेहतर है कि कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अपने अनमोल रिश्तों को जीवन भर के लिए अपना बना लें. फिर चाहे वे आपके परिवार के सदस्य हों, दोस्त हों या ऑफिस के सहकर्मी. याद रखिए रिश्ते तोड़ना आसान हैं लेकिन इसके बाद के परिणामों का भुगतना मुश्किल होता है.

रिश्तों को मजबूत बनाने के टिप्स

माफी मांगने या माफ करने में न हिचकिचाएं

एक-दूसरे पर विश्‍वास करना सीखें

खुलकर बात करें चाहे वे माता-पिता हों या बच्चे

नोक-झोंक प्यार का हिस्सा हैं इन्हें दिल पर न लें

रिश्ते तोड़ने का ख्याल मन से निकाल दें

सहकर्मी के साथ मजबूत रिश्ते बनाने के टिप्स

खुद पहल करते हुए बातचीत शुरू करें और काम के अलावा भी एक-दूसरे को जानने की कोशिश करें.
अगर ऑफिस में कोई आपसे रिश्ता न रखना चाहे तो नकारात्मक राय न बनाएं और सिर्फ ऑफिस संबंधी कामों में ही उसकी मदद करें.

सहकर्मियों में कॉमन इंट्रेस्ट तलाशें इससे दोस्ती करने में काफी आसानी होती है.

कलीग्स से रिलेशन स्ट्रांग करने के लिए अपनी बड़े या छोटे पद को भूलकर सबसे एक समान फ्रेंडली व्यवहार करें.

जब भी किसी सहकर्मी को आपकी जरूरत पड़े तो बिना हिचकिचाए उसकी मदद करें.

पर्सलन और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करना है जरूरी

परिवार के सदस्यों, दोस्तों की अक्सर यही शिकायत रहती है कि हम उन्हें समय नहीं देते. जबकि हमें जब भी उनकी जरूरत होती है वे हमारे साथ होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम घर और काम को बैलेंस करके नहीं चलते हैं.

समय को बर्बाद न करें

काम के समय को पर्सनल चीजों में न गवाएं वरना ऑफिस का काम आपके लिए बोझ बन जाएगा और तय समय में पूरा भी नहीं हो पाएगा. अगर ऑफिस के समय ही काम खत्म हो जाएगा तभी आप बिना किसी टेंशन के अपनी दूसरी जिम्मेदारियों को निभा पाएंगे.

जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ेगा भारी

अगर आपको अपनी क्षमता पता है और संकोच के कारण काम के लिए मना नहीं कर पा रहे हैं तो इस आदत को बदल दीजिए. आप अपने सीनियर्स से विनम्रता के साथ कह सकते हैं कि पहले आप जो काम कर रहे हैं उसे खत्म करने के बाद नए काम को पूरा कर पाएंगे.

महत्त्व के हिसाब से प्राथमिकता तय करें

अगर आप अपनी वर्क लाइफ को बैलेंस करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी प्राथमिकता तय करें. आपको रोज बहुत से काम करने होते हैं लेकिन आपको यह पता होता है कि कौन सा काम ज्यादा जरूरी है और किस काम को थोड़े समय के लिए टाला जा सकता है. इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और काम भी हो जाएगा.

क्या आप की दोस्ती खतरे में है

संभव है कि किन्हीं कारणों से आप की दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गई हो. आप के दोस्त के बरताव में आप कुछ बदलाव महसूस कर सकते हैं या आप में उस की दिलचस्पी अब न रही हो या कम हो गई हो. कुछ संकेतों से आप पता लगा सकते हैं कि अब यह दोस्ती ज्यादा दिन निभने वाली नहीं है और बेहतर है कि इस दोस्ती को भूल जाएं.

1. दोस्ती एकतरफा रह गई है

दोस्ती नौर्मल हो, प्लुटोनिक या रोमांटिक, किसी तरह की भी दोस्ती एकतरफा नहीं निभ सकती है. अगर आप का पार्टनर आप की दोस्ती का उत्तर नहीं दे रहा है तो इस का मतलब है कि उस की दिलचस्पी आप में नहीं रही. इस दोस्त को गुड बाय कहें.

2. आप के राज को राज न रखता हो

आप अपने फ्रैंड पर पूरा भरोसा कर उस से सभी बातें शेयर करते हों और उस से यह अपेक्षा करते हों कि वह आप के राज को किसी और को नहीं बताए पर यदि वह आप के राज को राज न रहने दे तो ऐसी दोस्ती से तोबा करें.

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3. विश्वासघात

विश्वास मित्रता का स्तंभ है. कभी दोस्त की छोटीमोटी विश्वासघात की घटनाओं से आप आहत हो सकते हैं पर उसे विश्वास प्राप्त करने का एक और मौका दे सकते हैं. पर यदि वह जानबूझ कर चोरी करे, आप के निकटतम संबंधी या प्रेमी या प्रेमिका के मन में आप के विरुद्ध झूठी बातों से घृणा पैदा करे तो समझ लें अब और नहीं, बस, बहुत हुआ.

4. लंबी जुदाई

कभी आप घनिष्ठ मित्र रहे होंगे. ट्रांसफर या किसी अन्य कारण से आप का दोस्त बहुत दूर चला गया है और संभव है कि आप दोनों में पहले वाली समानता न रही हो. आप के प्रयास के बावजूद आप को समुचित उत्तर न मिले तो समझ लें अब वह आप में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे अलविदा कहने का समय आ गया है.

5. अगर वह आप के न कहने से आक्रामक हो

कभी ऐसा भी मौका आ सकता है जब आप उस की किसी बात या मांग से सहमत न हों और उसे ठुकरा दें. जैसे किसी झूठे मुकदमे में आप को अपने पक्ष से सहमत होने को कहे या झूठी गवाही देने को कहे और आप न कह दें. ऐसे में अगर वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आक्रामक रुख अपनाता है तो समझ लें कि इस दोस्ती से ब्रेक का समय आ गया है.

6. आपसी भावनाओं का सम्मान

मित्रता बनी रहे. इस के लिए जरूरी है कि दोनों भावनाओं का सम्मान करें. अगर आप की भावनाओं का सम्मान दूसरा मित्र न करे या आप की भावनाओं का निरादर कर लोगों के बीच उस का मजाक बनाए या अवांछित सीन पैदा करे तो समझ लें कि अब यह दोस्ती निभने वाली नहीं है.

7. जब आप की चिंता की अनदेखी करे

दोस्ती में जरूरी है कि दोनों एकदूसरे की चिंताओं या समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और उन के समाधान में अपने पार्टनर की सहायता करें. अगर आप की मित्रता में ऐसी बात नहीं है तो फिर यह अच्छा संकेत नहीं है.

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8. आप को नीचा दिखाने की कोशिश न हो 

कभी अन्य लोगों के बीच अगर आप का दोस्त आप को नीचा दिखा कर आप में हीनभावना पैदा करे या करने की कोशिश करे तो यह दोस्त दोस्ती के लायक नहीं रहा.

9. दोस्त से मिल कर कहीं आप नाखुश तो नहीं हैं

अकसर आप दोस्तों से मिल कर खुश होते हैं. अगर किसी दोस्त से मिलने के बाद आप प्रसन्न न हों और बारबार दुखी हो कर लौटते हैं, तो कट इट आउट.

दोस्ती में दरार डालती हैं ये 5 बातें

दुनिया में दोस्ती का रिश्ता सबसे अनोखा और पक्का माना जाता है, क्योंकि इंसान अपने अनुसार ही अपने दोस्त का चुनाव करता है. दोस्त ही एक ऐसा शख्स होता है जिससे हम अपने जीवन की सभी बातें शेयर करते हैं और वह हर कदम पर हमारा साथ देता है.

लेकिन कभीकभार कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं कि यह दोस्ती के रिश्ते बुनियाद डगमगाने लगती है और हम अपने जीवन में बहुत बड़ा नुकसान कर बैठते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपकी दोस्ती के रिश्ते में कभी दरार ना आए, तो इन बातों को कभी ना आने दे अपनी दोस्ती के बीच में.

अपने काम खुद करें

बहुत से लोग अपने छोटे-छोटे काम के लिए दोस्तों को कहते हैं, जिसका दोस्ती पर बुरा असर पड़ता है. कोशिश करें की अपने सभी काम खुद करें दोस्तों पर बिल्कुल निर्भर न रहें. अगर आप ज्यादा मुश्किल में है तो अपने दोस्त को मदद के लिए आवाज लगाएं.

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भरोसा कायम रखें

रिश्ते में भरोसा हो तो लंबे समय तक दोस्ती कायम रहती हैं. यूं समझें कि दोस्ती केवल विश्वास पर ही टिकी होती हैं इसलिए कभी भी अपने दोस्त का भरोसा न तोड़े, ताकि आपकी दोस्ती का प्यारा रिश्ता हमेशा के लिए मजबूत बना रहें.

धन का लेन-देन

पैसा ऐसी चीज है जो गहरे से गहरे रिश्ते में दरार डाल देता है. इसलिए पैसों को कभी अपनी दोस्ती के बीच न आने दें. आपकी दोस्ती चाहे कितनी भी गहरी है लेकिन पैसों के लेन-देन को लेकर हमेशा सावधानी बरतें. बेहतर होगा कि दोस्तों के बीच कभी लेन-देन न करें. अगर जरूर पड़ने पर दोस्त की मदद ले भी रहे है तो उसके मांगने से पहले ही पैसा लौटा दें.

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कभी इग्नोर न करें

कभी-कभी काम या अन्य कई जिम्मेदारियों में हम इतने बिजी हो जाते है कि अपने सबसे अच्छे दोस्त को भी इग्नोर करने लग जाते हैं, जिससे दोस्ती के रिश्ते में धीरे-धीरे दरार आने लगती है. लाख बिजी होने के बावजूद भी अपने दोस्त को अनदेखा न करें. थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन उसके साथ टाइम जरूर स्पेंड करें.

बेहतर होने का घमंड

घमंड ऐसी चीज है जो बड़ों-बड़ों को अकेला रहने के लिए मजबूर कर देता है. इसलिए अपनी दोस्ती के बीच घमंड नाम की चीज बिल्कुल न आने दें. अपने दोस्त को कभी इस बात का एहसास न दिलाएं कि आप उससे बेहतर हैं.

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