REVIEW: जानें कैसी है वेब सीरीज ‘ब्लडी ब्रदर्स’

रेटिंगः  दो स्टार

निर्माताः समीर नायर,  दीपक सहगल, समीर गोगाटे

निर्देशकः शाद अली

कलाकारः जयदीप अहलावत, मो. जीशान अयूब, असरानी, श्रुति सेठ,  जीतेंद्र जोशी , सतीश कौशिक, माया अलघ, सारवरी देशपांडे, इंद्रनील सेनगुप्ता , प्रेशा भारती, निपुन धर्माधिकारी, अरविंद कुपलीकर, टीना देसाई, मुग्धा गोड़से व अन्य.

अवधिः लगभग तीन घंटे 45 मिनट,  32 से 49 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 पर 18 मार्च से स्ट्रीम

2019 की चर्चित ब्रिटिश डार्क कौमेडी वेब सीरीज ‘‘गिल्ट’’का हिंदी रीमेक ‘‘ब्लडी ब्रदर्स’’ भाईचारे, रिश्ते, अविश्वास के साथ रिश्तों में आती दरार, प्रेम, लालच, वासना और अपराध मिश्रित एक बोर करने वाली कथा है. जो कि 18 मार्च से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

कहानी शुरू होती है उटी में सखी (सारवरी देशपांडे) की शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी से, जिसमें सखी का पूर्व प्रेमी व किताब की दुकान चलाने वाले दलजीत ग्रोवर (मो.  जीशान अयूब)के साथ उसका बड़ा भाई व वकील जगजीत ग्रोवर (जयदीप अहलवात) जो पेशे से वकील है,  और दूसरे तमाम लोग मौजूद हैं. सभी जमकर शराब पीते हैं. फिर जगजीत और दलजीत दोनोे भाई जगजीत की कार से निकलते हैं, मगर कार दलजीत चला रहा होता है. शराब के नशे में उनकी कार एक बूढ़े इंसान साम्युअल अल्वारेज (असरानी) को टक्कर मार देती है. दोनों भाई कार से उतर कर साम्युअल को उनके घर के अंदर ले जाते हंै. दलजीत अपनी पर्स सैम्युअल के घर मंे ही भूल जाते हैं. पर जगजीत वहां पर मौजूद कागज से यह जान जाता है कि सैम्युअल कैंसर के मरीज थे. दोनों भाई वहां से चले जाते हैं. मगर दलजीत इस हादसे को नही भूल पाता. उसे लगता है कि कभी भी उसके गले में फंदा लग सकता है. पर जगजीत उसे आश्वस्त करता रहता है कि सब कुछ ठीक होगा. दूसरे दिन दोनों भाई फिर से साम्युअल के घर के पास जाते हैं, तो देखते हैं कि पुलिस साम्युअल की मृतदेह को एम्बूलेंस मंे डालकर ले जा रही है. दूसरे दिन अखबार में खबर छप जाती है कि सैम्युअल की मौत कैंसर की बीमारी से स्वाभाविक मौत हो गयी. पर दलजीत के पास साम्युअल के वकील जयंत मेहरा (नरेंद्र सचर) का फोन आता है कि उनका पर्स सैम्युअल के घर पर है, जाकर ले आएं. साम्युअल की प्रेअर मीटिंग के वक्त दलजीत व जगजीत दोनो जाते हैं, जहां उनकी मुलाकात साम्युअल की भतीजी सोफी (टीना देसाई )से होती है, जो मंुबई से आयी है. सोफी की मदद करने के बहाने दोनो भाइयों का साम्युअल के घर आना जाना शुरू होता है. इधर तान्या ( मुग्धा गोड़से ) के जिम में कसरत कसरत करते करते जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर ( श्रुति सेठ ) तान्या के साथ घूमना शुरू करती है. तान्या लेसबियन है और वह प्रिया ग्रोवर से प्यार करने लगती है. पर प्रिया को तान्या से रिश्ते बनाने की इच्छा नही है. मगर एक दिन अपने पति की व्यस्तता के चलते अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए तान्या के पास जाती है. दोनों के बीच समलैंगिक संबंध बनते हैं.  इधर जगजीत व दलजीत खुद को साम्युअल की मौत मामले में निर्दोष बचाए रखने के लिए चालेे चलते हैं. जगजीत अपने दोस्त व जासूस दुश्यंत (जीतेंद्र जोशी ) को लेकर सोफी के पास जाते हैं. उधर साम्युअल ने अपना बंगला पड़ोसी शीला डेविड (माया अलघ)  के नाम और अपनी किताबें अपनी भतीजी सोफी के नाम लिख रखी हैं. शीला डेविड ने इस तरह से सीसीटी लगवा रखा है कि सड़क व साम्युअल के घर की हर घटना नजर आती है. इसी का सहारा लेकर शीला डेविड मुंह बंद रखने के लिए जगजीत से पचास लाख रूपए लेती है. उधर दुश्यंत की जांच से खुद पर आंच आती देख जगजीत उसके साथ इस तरह से पेश आता है कि उनके बीच रिश्ते में खटास आ जाती है. फिर दुश्यतं अपने तरीके से जासूसी करना जारी रखता है. तो पता चलता है कि  जगजीत तो अपरोक्ष रूप से माफिया डॉन हांडा (सतीश कौशिक)के लिए काम करता है. हांडा की तीन सौ कंपनियां दलजीत की किताबों की दुकान के पते पर रजिस्टर्ड है. यहां से कहानी कई मोड़ लेती हैं. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. पता चलता है कि तान्या,  हांडा के इशारे पर काम कर रही है. शीला डेविड और हांडा एक ही हैं. सोफी से दलजीत को प्यार हो गया, पर वह असली सोफी नही है. वह तो शीला की ही मोहरा है. जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर, जगजीत को घर से निकाल देती है, जगजीत और दलजीत के बीच खाई बढ़ जाती है. दुश्यंत , शीला व दलजीत एक साथ खड़े नजर आते हैं. जगजीत को पुलिस ले जाती है,

लेखन व निर्देशनः

पटकथा काफी सुस्त और कमजोर है. लिखावट अति बचकानी है. लेखक के ज्ञान का अंदाजा इसी बात से किया जा सकता है कि सीरीज के मुख्य पात्र जगजीत जो कि जाने माने वकील हैं, उन्हें यह नही पता कि दुर्घटना के बाद मृत इंसान को उसके घर छोड़ते हुए उसके घर के सामानों पर भी अपने हाथ व पैरी के निशाने नही छोड़ना चाहिए. इता नही नही दलजीत या जगजीत के चेहरे पर कभी पसीना नही आता. इतना ही नही वेब सीरीज में बेवजह लेस्बियन प्रेम कहानी ठॅूंसना तो नियम सा बन गया है. इसमें भी प्रिया व तान्या के बीच की लेस्बियन प्रेम कहानी व संबंध जबरन ठॅूसे हुए ही नजर आते हैं.

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लेखक व निर्देशक को खुद नही पता कि उन्हे किस किरदार से क्या करवाना है?सभी किरदार कैरीकेचर के अलावा कुछ नही. कहानी वर्तमान व अतीत के बीच हिचकोले लेते हुए चलती है. पहले पांच एपीसोड तक दर्शक उटी की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं. कहानी में जो भी मोड़ आते हैं, जो भी खुलासे होते हैं, वह सब छठे एपीसोड में ही हैं. रोमांच का घोर अभाव है. लेखक ने भ्रमित करने वाली कहानी को उलझाने के अलावा कुछ नही किया. अपराध कथा में अचानक डॉन वाला एंगल ठूंसने की क्या जरुरत थी, यह तो लेखक व निर्देशक ही जाने.

अभिनयः

जब किरदार सही ढंग से न लिखे गए हों और पटकथा में दमखम न हो तो बेहतरीन कलाकार भी अपने अभिनय में कुछ खास नही कर पाता. फिर भी जयदीप अहलवात और मोहम्मद जीशान अयूब की मेहनत नजर आती है. अपराध के सरगना हांडा के छोटे किरदार में सतीश कौशिक अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जीतेंद्र जोशी, टीना देसाई, माया अलघ, श्रुतिज सेठ का अभिनय प्रभावशाली नही है.

बेटी की वजह से जीवन में खुशियां आयी हैं- अंगद बेदी

मशहूर पूर्व क्रिकेटर व गेंदबाज बिशन सिंह बेदी के बेटे अंगद बेदी बौलीवुड के चर्चित अभिनेता हैं. उन्होने अभिनेत्री नेहा धूपिया संग विवाह रचाया था और उनकी लगभग दो वर्ष की उम्र की बेटी मैहर है. जहां तक कैरियर का सवाल है, तो अंगद बेदी को फिल्म ‘पिंक’से बतौर अभिनेता पहचान व शोहरत मिली. उसके बाद वह ‘डिअर जिंदगी’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘सूरमा’, ‘द जोया फैक्टरी’और ‘गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल’जैसी फिल्मों के अलावा ‘इनसाइड एज’ व ‘द वर्डिक्ट’ जैसी वेब सीरीज में धमाल मचा चुके हैं. 12 नवंबर से ‘आल्ट बालाजी’ और ‘जी 5’ पर एक साथ प्रसारित हो रही वेब सीरीज ‘मुम भई’ को लेकर चर्चा मैं हैं, जिसमें उन्होने इनकाउंटर स्पेशलिस्ट का किरदार निभाया है.

प्रस्तुत है अंगद बेदी के साथ फोन पर हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

कलाकार के तौर पर लॉक डाउन का आपके उपर कितना असर हुआ?

-इसका असर सिर्फ हम कलाकारांे पर ही नहीं, हर इंसान पर हुआ. कितने लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा. कितने लोग भूखे मरे,  कितने लोगों ने अपनी नौकरी गवाई. कितने लोगों को तनख्वाह नहीं मिली. हमारे देश की अर्थव्यवस्था नगेटिव हो गई और ऐसा तो हर देश में विदेश में सभी जगह हुआ है. मुझे लगता है कि कोरोना व लॉक डाउन में लोगों ने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव हासिल किया. अब हमें एक दूसरे की मदद करनी पड़ेगी. एक दूसरे के प्रति थोड़ा सा कंसर्ड दिखाना पड़ेगा. एक दूसरे को सहानुभूति देनी पड़ेगी. हमारे माता पिता ने हमें बचपन में जो शिक्षा दी थी कि एक दूसरे की मदद करो, वह सारी चीजें अब हमें याद आ गयीं. क्योंकि आज के समय में इंसान बहुत ज्यादा सेल्फिश हो गया है. सिर्फ अपने बारे में सोचता है. यह हमारे कर्म का फल ही है. जो हमने कर्म हमने किए हैं, उसी का फल अब हमें मिल रहा है.

कोरोना के समय के अनुभवों के बाद आपने क्या बदलाव करने के बारे में सोचा है?

-बदलाव क्या है?मैं स्पोर्ट्स और अनुशासित पृष्ठभूमि से आया हूं. उसी दायरे में रहता हूं, जिस ने मुझे सिखाया बहुत कुछ सिखाया है कि किस तरह से शांत रहना चाहिए. इंसान की कद्र करना सिखाया है. अपने परिवार की कद्र करना सिखाया है.  अपने बुजुर्गों की कद्र करना सिखाया है. अपने घर वालों, माता-पिता, अपने दोस्तों की कद्र करना सीखा है. जो सारी चीजें हमें सिखाई गयी थीं, वह आज वापस सब चीजें कर रहे हैं. मुझे ऐसा लगता है कि सीखने में तो यही होता है कि बहुत बड़ी जिंदगी मिली है. अगर आपको इतनी ज्यादा लोकप्रियता, इतनी ज्यादा पैसे मिले हैं, लोग आपकी वाह वाह करेंगे. पर कोरोना में कहां कहां है पैसा?अमीर इंसान भी रुका हुआ है और गरीब से गरीब इंसान भी रुका हुआ है. आज सभी एक समान स्तर पर आ गए हैं.

अब तक आपने जो मुकाम बनाया है, उससे कितना खुश हैं?

-वास्तव में मैने पांच वर्ष कठिनसंघर्ष किया. फिर‘पिंक’से अपना करियर बनाने में कामयाबी हासिल की. मुझे एहसास हुआ कि अंततः यदि आप दीर्घायु चाहते हैं,  तो आपको एक अच्छा अभिनेता बनना होगा. व्यावसायिक सफलता या स्टारडम का पीछा करना एक गलत खेल होगा. मेरा उद्देश्य हमेशा अपने आप को एक अभिनेता के रूप में स्थापित करना था. इस मकसद में कामयाब होने के मकसद से मैंने अपने कौशल को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की. मेरे लिए संघर्ष बहुत मायने रखता है.

क्या कोरोना महामारी के बीच शूटिंग की. यह कितना तनावपूर्ण था, क्योंकि आपके घर में एक छोटी बेटी भी थी?

-जी हां! यह बहुत कठिन था. हमेशा एक डर होता है कि आप घर में पत्नी और बच्चे हैं. लेकिन हम कलाकार हैं, हमें बाहर जाकर काम तो करना ही पड़ता है. मैं ही क्यों प्रति दिन की आय आप पर निर्भर हर इंसान जोखिम उठाकर काम कर रहा है. पर मैं बहुत सतर्क था और अपनी बेटी से दूर रहा जब तक मैं शूटिंग कर रहा था.

वेब सीरीज‘‘मुम भाई’’के बारे में ऐसा क्या था कि आपने इसे करने के लिए हामी भर दी?

-यह एकता कपूर का प्रोडक्शन है, उनके साथ ‘द वर्डिक्ट’के बाद मेरी दूसरी वेब सीरीज है. वह अच्छे कार्यक्रम बनाती हैं. इसके अलावा यह दलित व्यक्ति भास्कर शेट्टी की कहानी है. अपूर्व लाखिया और लेखकों की उनकी टीम ने पटकथा पर अच्छा काम किया है, जो इस आदमी के उत्थान को चित्रित करती है. इसके अलावा मेरे सामने इस वेब सीरीज को अपने कंधे पर ले जाने की सबसे बड़ी चुनौती थी. यह भास्कर शेट्टी की यात्रा का चित्रण करती है, जो शहर के भाई बन जाते हैं. डॉंन नही बल्कि पुलिस विभाग का इनकाउंटर स्पेशलिस्ट होते हुए भी लोग उसे ‘भाई’कह कर बुलाते हैं.

किरदार को लेकर क्या कहेंगें?

-जिन लोगों ने अब तक इस वेब सीरीज को देख लिया होगा, उनकी समझ में आ गया होगा कि यह वास्तव में एक आम व साधारण लड़का है, जिसके पास खुद के लिए बड़ी आकांक्षाएं हैं. भास्कर पुलिस अधिकारी बनने का शौक रखते है और मेहनत से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन जाता है. खुद की खोज करते हुए वह सिनेमा से भी मोहित हो जाते हैं. वह दावा करते हैं कि एक दिन उस पर एक फिल्म बनाई जाएगी. वह अति महत्वाकांक्षी है.

वह असली नायक है, जो देश हित में सराहनीय काम कर रहे हैं. उनमें से अधिकांश को कई बाधाओं और बाधाओं को दूर करना होता है. मेरा उन लोगों के लिए यह एक अलग तरह का सम्मान है, जिन्होंने अपना जीवन लाइन पर लगा दिया. इसलिए मैं उन किरदारों को चुनने की कोशिश करता हूं जिनमें मैं उस आनंद को महसूस कर सकता हूं. यही बात ‘मुम भाई’ में भी हुई,  जहाँ भास्कर को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ा कि आखिरकार वह अधिकारी बन ही गया जिसकी वह हमेशा से ख्वाहिश रखता था.

सिकंदर खेर के साथ आपकी केमिस्ट्री की भी काफी चर्चा है?

-सिकंदर खेर के साथ काम करना बहुत सुखद अनुभव रहा. वह वास्तव में अपनी यात्रा को महत्व देते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं.  इसके अलावा वह बहुत प्रतिभाशाली व अच्छे कलाकार हैं. हम एक दूसरे के संघर्ष को बेहतर समझते हैं. हमने इसी तरह के उतार, चढ़ाव और वापसी भी देखी है.

आप स्पोर्ट्स पर्सन रहे हैं. आपने क्रिकेट काफी खेला है और अब आप कलाकार बन गए हैं?

– जी नहीं!मैं क्रिकेटर से अभिनेता नहीं बना हूं. मैं अभिनेता ही था और अभिनेता  ही हूं. लेकिन मैं एक स्पोर्ट्स के घराने से हूं. लेकिन मैंने बहुत ही कम यानीकि 16 वर्ष की उम्र तक क्रिकेट खेला हूं. यह महज अपनी खुशी के लिए खेलता था.

पढ़ने का शौक है या नहीं?

-पढ़ता हूं.

किस तरह की चीजें पढ़ना पसंद है?

-मैं खेल जगत से जुड़ी किताबे पढ़ता हूं. लोगों की औटोबायोग्राफी पढ़ता हूं. मैंने काफी चीजें पढ़ी हैं. बचपन से ही पढ़ने का शौक रहा है. मेरे पिताजी की अपनी खुद की लाइब्रेरी थी, जिसमें मैं स्पोर्ट्स पर आधारित किताबे व अन्य साहित्य  पढ़ता था. लोगों की कहानियां पढ़ता था कि वह किस तरह से आगे बढ़े.  मुझे लोगों की उन्नति की राह जानने में बड़ी उत्सुकता थी. मैंने सुनील गावस्कर की किताब पढ़ी. अमिताभ बच्चन जी की किताब पढ़ी, जो कि उन्होने स्वयं मुझे अपनी भेंट की थी.  प्रिंसेस डायना की जीवनी पढ़ी. टीवी पर भी काफी डॉक्यूमेंट्री देखता हूं.  मैंने अभी माइकल जॉर्डन की देखी थी, जो मुझे बहुत पसंद आई.

आपके दिमाग में कोई ऐसा खिलाड़ी है, जिसका किरदार आप पर्दे पर निभाना चाहते हैं?

-पर्दे पर निभाना तो काफी आसान है. मुझे लगता है कि सौरव गांगुलीकी जिंदगी काफी रोचक है, मुझे नहीं पता मुझे उन पर आधारित फिल्म में अभिनय करने का मौका मिलेगा या नहीं?लेकिन मैं उनकी बायोपिक को परदे पर देखना चाहूंगा. युवराज सिंह,  विश्वनाथ आनंद की जिंदगी को भी परदे पर देखना चाहूंूगा. उन्होंने बहुत ही ज्यादा नाम कमाया है. यह वह नाम हैं, जिन्हें पर्दे पर देख कर मजा आ सकता है.

आपके पिताजी की ऐसी कौन सी सलाह थी, जिसने आपको बहुत ज्यादा बदला?

-सच कहूं, तो उन्होंने मुझे एक बात बहुत अच्छी सिखाई कि अपने काम में सच्चाई लाओ, इमानदारी लाओ और वह आपके काम में दिखनी चाहिए.  अगर आप अपने काम में अच्छे व सच्चे रहोगे, तो सब कुछ सही होगा. और आप आगे बढ़ोगे. तो मैं पूरी कोशिश करता हूं कि मैं जिस क्षेत्र में में भी काम करूं, मैं अपने हर संवाद को पूरी सच्चाई पूरी इमानदारी से बोलता हूं.

कभी कुछ लिखने की इच्छा नहीं होती?

-अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है,  जिस दिन इच्छा होगी, उस दिन कुछ लिख भी लेंगे. आयुष्मान खुराना बहुत अच्छा लिखते हैं. वह कविताएं भी बहुत अच्छी लिखते हैं.

आपकी उनसे कभी बात हुई?

-मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूं. वह मेरे काफी करीबी दोस्त हैं. हमारे काफी अच्छे पारिवारिक संबंध हैं.

सोशल मीडिया पर क्या लिखना पसंद करते हैं?

-देखिए, जो मेरे लिए रोचक होता है,  वह मैं हमेशा से लिखता आया हूं.  मुझे विश्व की खबरें, क्रिकेट से जुड़ी खबरें फॉलो करना पसंद है. मैं बॉलीवुड को भी फॉलो करता हूं. ट्वीटर पर भी मैं काफी लोगों को फॉलो करता हूं.  उनके विचारों को पसंद करता हूं.  लोग इंस्टाग्राम पर क्या डालते हैं,  वह भी मुझे देखना पसंद है. वह किस तरह से अपने जीवन की बातें कैसे इंस्टाग्राम पर व्यक्त करते हैं, वह मुझे पसंद है.

आपकी रूचि राजनीति में भी है. इस समय देश की जो सामाजिक और राजनीतिक स्थिति है, उसको लेकर आप क्या सोचते हैं? किस तरह के सुधार की जरूरत है?

-मैं कोई राजनेता नही हूं. लेकिन मैं जिस तरह से देखता हूं, तो यही सोचता हूं कि जब मेरी बच्ची बड़ी होगी?तो क्या मैं यही चाहूंगा कि वह इस तरह के माहौल में बड़ी है? यह बात हमारे हमेशा मेरे दिमाग में एक प्रश्न चिन्ह की तरह घूमता रहता है कि कहां से हम किस चीज को अपनी सुविधा के लिए उपयोग करते हैं?फिर चाहे वह मीडिया हो या कोई पॉलीटिकल पार्टी हो. जो कुछ कर रहे हैं, वह बिल्कुल भी सही नहीं है. हमें एक दूसरे के प्रति लगाव की भावना लानी चाहिए. हम लोग जितना मैनीप्युलेशन करते हैं, वह नहीं होना चाहिए. लोग मैनीप्युलेशन के बिना भी अच्छा काम कर सकते हैं.

आपकी बेटी अभी बहुत छोटी है. आप उसे कितना समय देते हैं और उसमें आपको क्या खास बात नजर आती है?

-मैं उसे पूरा समय देता हूं. मैं और मेरी पत्नी नेहा धूपिया में से कोई ना कोई हमेशा उसके साथ रहता है.  उसकी वजह से ही हमारी जिंदगी में खुशियां हैं, उसकी वजह से ही हमारी जिंदगी में भगवान की कृपा हुई है. चाहे फिर वह निजी जिंदगी हो या काम हर जगह खुशियां आई हैं. प्रोफेशनली मेरी जिंदगी में तरक्की हुई है और यह सब कुछ मेरी बच्ची का आशीर्वाद है.

मनोरंजन हर युग में सबको पसंद आता है – टीना आहूजा

पंजाबी फिल्म ‘सेकंड हैण्ड हसबैंड’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री टीना आहूजा मुंबई की है. वह नामचीन कलाकार गोविंदा की बेटी है और पिता की वसूलों का सम्मान करती है. टीना ने फैशन डिजाईनिंग में स्नातक की है और अभिनय की बारीकियों को सीखने के लिए फिल्म इंस्टिट्यूट ऑफ़ लंदन गयीं. उन्हें हर फिल्म में मनोरंजन का होना पसंद है. अभी उनकी शार्ट फिल्म ड्राइविंग मी क्रेजी जी5 पर रिलीज हो चुकी है, जिसमें उसके अभिनय की तारीफ़ मिल रही है. टीना अपनी इस कामयाबी से बहुत खुश है. उनसे बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-फिल्म की सफलता से आप कैसा महसूस कर रही है

इस फिल्म में मेरी भूमिका एक यंग गर्ल की है, जो संपन्न परिवार से है और एप में खुद को एनरोल कर अच्छा समय बिताती है. एप के जरिये वह किसी से मिलती है, फिर क्या-क्या होता है, उस बारें में कहानी कही गई है. मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरा काम सबको पसंद आ रहा है. किसी फिल्म के लिए जब आप मेहनत करते है और वह फिल्म अच्छी बनती है, तो मेहनत साकार लगता है.

सवाल-ये फिल्म ऑनलाइन डेटिंग पर बनी है, आप इसे पार्टनर की खोज के लिए कितना अच्छा मानती है, क्या आपने कभी ऑनलाइन डेटिंग की है?

मैंने कभी इस एप का प्रयोग नहीं किया है. मैंने देखा है कि ऐसे बहुत से एप है, जिसमें यूथ प्यार की खोज में खुद को एनरोल करते है और शादी तक पहुँच जाते है. कुछ यूथ का अनुभव अच्छा रहता है, तो कुछ का ख़राब अनुभव होता है. मुझे लगता है कि आप कितने लकी है, उसपर ये आधारित है, जिससे आपको एक अच्छा जीवन साथी मिल जाय.

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सवाल-क्या आपकी भूमिका से आप खुद को रिलेट कर पाती है?

कुछ चीजो से मैं खुद को रिलेट कर सकती हूं कुछ से नहीं, क्योंकि मैंने डेटिंग एप कभी यूज़ नहीं किया है और न ही इस एप को यूज़ करने का मुझमें कॉन्फिडेंस है. किसी भी अनजान व्यक्ति से मिलकर बातचीत करना मुझसे नहीं हो सकता.

सवाल-आपके पिता गोविंदा की कौन सी सीख आप अपने जीवन में उतारती है और वे कैसे पिता है?

वे एक स्वीट और सपोर्टिव पिता है. उन्होंने हमेशा सिखाया है कि जो भी काम करों, मेहनत, इमानदारी, लगन और दिल से करों. इससे काम करने में भी मज़ा आता है. मुझे उनकी ये बात बहुत अच्छी लगी और इसे मैंने अपने जीवन की सीख माना है.

सवाल-किसी भी फिल्म को करने से पहले, क्या आप अपने पिता से चर्चा करती है?

चर्चा मैं अवश्य करती हूं. वे मेरी राय जानने की कोशिश करते है. अगर मुझे अच्छा लगता है, तो ही मैं उसे करती हूं, क्योंकि ऐसा करने पर फिल्म सफल हो या न हो कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि ये आपकी चॉइस है.

सवाल-क्या कभी गोविंदा के अभिनय हुनर से आपकी तुलना की गई?

ऐसा मुझे कभी सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि दर्शकों ने मेरे काम की तुलना पिता के काम से कभी नहीं किया. सबने मेरे काम की तारीफें की है. इसके अलावा मैं अपने पिता के साथ उनका काम करती हूं, इसलिए अगर कोई कुछ कहे, तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.

सवाल-क्या बचपन से आपने अभिनय के बारें में सोचा है

मुझे पहले फैशन इंडस्ट्री में जाना था, लेकिन पिता को फैशन का ये क्षेत्र पसंद नहीं था. उन्हें मेरा डिज़ाइनर बनना पसंद नहीं था. फिर मैंने उसे छोड़कर अभिनय की तरफ मुड़ी और इसकी प्रशिक्षण लेने लन्दन गयी.

सवाल-आप एक अभिनेत्री के अलावा फैशन की जानकारी भी रखती है, ऐसे में फिल्मों में आपके कपड़ो की डिजाईनिग क्या आप करती है?

मेरे कपड़ों की डिजाईनिंग मैं नहीं करती, पर पिता के फिल्मों और स्पेशल एपियरेंसेस की स्टाइलिंग मैं करती हूं. एक विज्ञापन में भी मैंने स्टाइलिंग की है, जिसे लोगों ने काफी सराहा है.

सवाल-क्या कोई ड्रीम है ?

मेरा ड्रीम खुद को आगे अच्छे एक्टिंग के लिए तैयार करना है.

सवाल-पिता की कौन-कौन सी फिल्में आपको बहुत अधिक पसंद है

मुझे पिता की सभी फिल्में पसंद है. उन्होंने हर तरह की फिल्में की और सफल रहे. फिर चाहे वह फिल्म स्वर्ग, दुल्हे राजा, भागमभाग, किलबिल आदि सारी फिल्में अच्छी लगती है. मैं अपने पिता की सबसे बड़ी फैन हूं. मेरे पिता एक डांसर भी रहे है, मैंने भी डांस सीखा है, पर अभी किसी को पता नहीं है. मैं किसी फिल्म या म्यूजिक वीडियो के द्वारा अपने इस हुनर को दर्शकों तक लाना चाहती हूं. मेरे घरवाले कहते है कि मैं अपने पिता की तरह डांस करती हूं.

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सवाल-फिल्मों की कहानियों में आजकल मनोरंजन से अधिक रियलिटी है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

मेरे हिसाब से हर चीज का एक वक़्त होता है और हर चीज की एक मांग होती है. अभी की डिमांड एक्शन और रियलिटी है, लेकिन मनोरंजन हर युग में सबको पसंद आता है. वह जाना नहीं चाहिए, क्योंकि आज लोगों में तनाव और डिप्रेशन बहुत है. मनोरंजन ही उन्हें अच्छा महसूस करवाती है. कलाकार को समय के हिसाब से चलना जरुरी है, लेकिन सबमें खुशियाँ बांटने की कोशिश हमेशा करनी चाहिए. मुझे मनोरंजक फिल्में खासकर रोमांटिक और रोमांटिक कॉमेडी फिल्में पसंद है.

सवाल-अभिनय के अलावा क्या करती है?

मैं एक्टिंग के अलावा पिता के साथ काम करती हूं और उनका व्यवसाय भी सम्हालती हूं. इसके अलावा मेरा खुद का फ़ूड का एक ब्रांड हेल्दी क्रश है, जिसके लिए काम करती हूं. अगर मौका मिला तो मैं फिल्म प्रोड्यूस करना पसंद करुँगी. इसके अलावा मुझे फैशन और स्टाइल बहुत पसंद है.

सवाल-क्या किसी डिज़ाइनर को आप फोलो करती है?

मुझे कई डिज़ाइनर्स के काम पसंद है. मुझे डिज़ाइनर सब्यसाची, अकी नरूला, मनीष अरोड़ा, ऋतू कुमार, अनीता डोंगरे आदि सभी के स्टाइल सेन्स बहुत अच्छे लगते है.

सवाल-पिता की किस फिल्म का आप रीमेक देखना चाहती है?

मैं पिता की किसी भी फिल्म का रीमेक नहीं देखना चाहती, क्योंकि जो ओरिजिनल फिल्म है, उसे ही दर्शकों ने पसंद किया है. उसकी छेड़खानी मुझे अच्छा नहीं लगता.

सवाल-बचपन की कोई शरारतें जो आपने की हो?

मैने बहुत शरारत की है. मुझे याद है जब मैं 8वीं कक्षा में थी स्कूल से सुबह निकल कर पाली हिल जाती थी और वहां पर मेरी दोस्त के पिता के रेस्तरा में चाय, समोसा और जलेबी खाती थी और चुपके से रेसेस में स्कूल में घुस जाती थी.

सवाल-कोई मेसेज जो आप देना चाहे?

खुद पर विश्वास रखना और खुद से प्यार करना बहुत जरुरी है, क्योंकि लड़कियां और महिलाएं दूसरों के बारें में अधिक सोचती है. अपने आप पर ध्यान नहीं देती. अगर आप खुश है, तो आपका परिवार भी खुश रहेगा.

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