जब लत बन जाएं गैजेट्स

गैजेट्स का गुलाम होना ठीक नहीं क्योंकि अगर आप इन के गुलाम हो गए तो इन के खराब होने पर आप एक दिन भी इन के बिना नहीं बिता पाएंगे और आप को इन के बिना जिंदगी नीरस व अधूरीअधूरी सी लगने लगेगी. इसलिए आज तक आप ने जो किया सो किया, लेकिन अब अपनी जिंदगी में गैजेट्स को उतनी ही अहमियत दें, जितनी देने की जरूरत है. भूल कर भी खुद को इन का गुलाम न बनने दें.

आइए, जानते हैं कैसे इन से दूरी बनाएं:

आज किसी को फोन नहीं करेंगे

हर समय बस मोबाइल से चिपके रहने से हमारी आदत पूरी तरह बिगड़ गई है. बस जरा सा खाली समय मिला नहीं कि फोन में कभी गूगल पर कुछ देखने लग जाते हैं, तो कभी सोशल मीडिया पर फोन से अपने फोटोज अपलोड करते हैं, तो कभी दूसरों की डाली गईं पोस्ट्स में इतना इंटरैस्ट दिखाने लगते हैं जैसे इस से जरूरी और कोई काम ही नहीं है.

ऐसे में आप मन में ठान लें कि हर हफ्ते संडे को हम अपने मोबाइल से किसी को भी फोन नहीं करेंगे और न ही इस का इस्तेमाल सैल्फी लेने, फोटो अपलोड करने में करेंगे. जब तक बहुत जरूरी न होगा, हम आज के दिन फोन को हाथ नहीं लगाएंगे. अगर आप मन में ऐसा संकल्प ले लेंगे और 1-2 महीनों तक इस पर अमल भी करेंगे तो आप आराम से गैजेट्स से दूरी बना पाएंगे.

आज पूरा दिन टीवी से छुट्टी

आज रिलैक्स डे है, आज औफिस की छुट्टी है, आज कोई काम नहीं है तो इस का मतलब यह नहीं कि आप आज पूरा दिन बस टीवी पर ही नजरें गड़ाए बैठे रहें. आप का ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर सब टीवी के सामने ही हो रहा है और टीवी के सामने बैठेबैठे कब सुबह से शाम हो गई पता ही नहीं चला.

ऐसा आप के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश लोगों के साथ होता है कि फ्री टाइम का मतलब वाचिंग टीवी और फुल डे फ्री का मतलब तो फुल डे टीवी के साथ टाइम स्पैंड होता है. घर के बाकी लोग चाहे कुछ भी कहते रहें, लेकिन आप को टीवी से फुरसत मिले तब न.

अगर आप के साथ भी ऐसा ही है तो हफ्ते में 1 दिन या 15 दिन में एक दिन टीवी से ब्रेक जरूर लें.

आज गाड़ी की छुट्टी

चाहे पास की मार्केट जाना हो या फिर 2 गलियां छोड़ कर फ्रैंड से मिलने, हर काम के लिए हम गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, जिस से जहां हमारी चलने की आदत छूटती जा रही है, वहीं हम खुद के खर्चों को भी बढ़ाते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप खुद को गाड़ी के ही सहारे नहीं चलाना चाहते या फिर खुद के खर्चों को जानबूझ कर नहीं बढ़ाना चाहते तो हफ्ते में 1 दिन बिना गाड़ी घर के व खुद से जुड़े काम करें. इस से एक तो आप की गाड़ी पर से निर्भरता खत्म होगी और दूसरा आप अपने कामों के लिए खुद के शरीर को चलाना सीखेंगे.

आज औनलाइन सामान नहीं मंगवाएंगे

आज डेली नीड्स के हर सामान के लिए हम औनलाइन स्टोर्स पर निर्भर हो गए हैं. कोई सामान खत्म हुआ नहीं कि झट से और्डर कर के मंगवा लिया, जिस से न तो हम ग्रोसरी पर होने वाले खर्च को कंट्रोल कर पाते हैं और दूसरे हमारी आदत भी खराब होती जाती है. औनलाइन सामान मंगवाने पर हम दुकानदार से अब सामान के लिए मोलभाव भी नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक कि कुछ खाने का मन किया तो झट से और्डर कर के मंगवा लेते हैं. लेकिन जान लें कि ये औनलाइन स्टोर्स हमें घर बैठे कुछ ही मिनटों में सामान देने के कारण हमें आलसी बना रहे हैं.

ऐसे में अगर आप को अपनी इस लत को छोड़ना है तो आप हफ्ते में एक दिन औनलाइन कोई भी सामान नहीं मंगवाने का संकल्प लें. उस दिन यदि आप को किसी सामान की जरूरत पड़ी तो आप दुकान पर जाएं. दुकानदार से आप मोलभाव कर के सामान लें, जो बजट को कंट्रोल करने का तो काम करेगा ही, साथ ही आप उस दिन सिर्फ जरूरी चीजें ही लाएंगे, जो बचत के साथसाथ आप की औनलाइन और्डर करने की हैबिट को भी बदलने का काम करेगा.

गैजेट्स के इस्तेमाल से हेल्थ को नुकसान पहुंच रहा है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं और मेरे पति दोनों सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं. गैजेट्स हमारे जीवन के अभिन्न हिस्सा बन गए हैं. जानना चाहता हूं कि क्या गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से स्पाइन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं?

जवाब-

गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल आजकल स्पाइन से संबंधित समस्याओं का सब से प्रमुख कारण बन कर उभर रहा है. इन के इस्तेमाल के दौरान सही पोस्चर न रखना इस खतरे को और बढ़ा देता है क्योंकि इस से मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें. इन पर काम करते समय अपना पोस्चर ठीक रखें. हर 2 घंटे के बाद एक ब्रेक लें. कुछ मिनट औफिस या घर में इधरउधर चहलकदमी कर लें, थोड़ी सी स्ट्रैचिंग कर लें. इस से आप की मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिलेगा. सप्ताह में 1 बार डिजिटल डिटौक्स जरूर करें. इस दौरान गैजेट्स का इस्तेमाल बिलकुल न करें.

सवाल-

मुझे स्लिप डिस्क है. डाक्टर ने सर्जरी कराने की सलाह दी है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या नौनसर्जिकल उपायों से इसे ठीक नहीं किया जा सकता है?

जवाब-

वैसे तो स्लिप डिस्क के 90% मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है, केवल 10% मामले जो गंभीर होते हैं उन्हीं में सर्जरी कराना जरूरी होता है. अगर डाक्टर ने आप को सर्जरी की सलाह दी है तो इस का मतलब है कि आप की समस्या गंभीर है. आप सर्जरी कराने को ले कर असमंजस की स्थिति में हैं तो एक और डाक्टर की राय भी ले लें. स्लिप डिस्क का उपचार इस पर निर्भर होता है कि समस्या किस स्तर पर है और डिस्क में कितनी खराबी आ गई है. सर्जरी से पहले दवाइयों और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है.

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सवाल-

मुझे स्पांडिलाइटिस है, लेकिन समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या कुछ घरेलु उपाय हैं जिन से आराम मिल सकता है?

जवाब-

अगर स्पौंडिलाइटिस की समस्या मामूली है तो घरेलू उपायों से आराम मिल सकता है. इस के लिए हीट और कोल्ड थेरैपी बहुत कारगर है. इस से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द और कड़ापन दूर होता है. जहां भी आप को दर्द हो रहा हो हीटिंग पैड्स लगाएं. आप हौट शावर भी ले सकती हैं. सूजन को कम करने के लिए सूजे हुए स्थान पर बर्फ लगाएं. इस से सूजन भी कम होगी और दर्द से भी आराम मिलेगा. इस के अलावा सूजन, दर्द और कड़ापन कम करने के लिए नौनस्टेरौयड ऐंटीइनफ्लैमेटरी ड्रग्स भी ली जा सकती हैं. फिजिकल थेरैपी भी इस के उपचार का एक महत्त्वपूर्ण भाग है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Entertainment: गैजेट्स बनाम परिवार

आज किशोर अपनों से ज्यादा गैजेट्स के इतने अधिक आदी हो गए हैं कि उन्हें उन के बगैर एक पल भी रहना गवारा नहीं, भले ही अपनों से दूर रहना पड़े या फिर उन की नाराजगी झेलनी पड़े. अब तो आलम यह है कि किशोर सुबह उठते ही भले ही मम्मीपापा, दादादादी, बहनभाई से गुडमौर्निंग न कहें पर स्मार्टफोन पर सभी दोस्तों को विशेज का मैसेज भेजे बिना चैन नहीं लेते.

यह व्याकुलता अगर अपनों के लिए हो तो अच्छी लगती है, लेकिन जब यह वर्चुअल दुनिया के प्रति होती है जो स्थायी नहीं तो ऐक्चुएलिटी में सही नहीं होती. इसलिए समय रहते गैजेट्स के सीमित इस्तेमाल को सीख लेना ही समझदारी होगी.

गैजेट्स परिवार की जगह नहीं ले सकते

स्मार्टफोन से नहीं अपनों से संतुष्टि

आज स्मार्टफोन किशोरों पर इतना अधिक हावी हो गया है कि भले ही वे घर से निकलते वक्त लंच रखना भूल जाएं, लेकिन स्मार्टफोन रखना नहीं भूलते, क्योंकि उन्हें उस पर घंटों चैट जो करनी होती है ताकि पलपल की न्यूज मिलती रहे और उन की खबर भी औरों तक पहुंचती रहे. इस के लिए ऐडवांस में ही नैट पैक डलवा लेते हैं ताकि एक घंटे का भी ब्रेक न लगे.

भले ही किशोर गैजेट्स से हर समय जुड़े रहते हैं, लेकिन इन से उन्हें संतुष्टि नहीं मिल पाती जबकि अपनों संग अगर हम आराम से आधा घंटा भी बात कर लें, उन की सुनें अपने मन की कहें तो भले ही हम पूरा दिन भी उन से दूर रहें तब भी हम संतुष्ट रहते हैं, क्योंकि उन की कही प्यार भरी बातें हमारे मन में पूरे दिन गूंजती जो रहती हैं.

गैजेट्स भावनाहीन, अपनों से जुड़ीं भावनाएं

चाहे आज अपनों से जुड़ने के लिए ढेरों ऐप्स जैसे वाइबर, स्काइप, व्हाट्सऐप, फेसबुक मौजूद हैं जिन के माध्यम से जब हमारा मन करता है हम दूर बैठे अपने किसी फ्रैंड या रिश्तेदार से बात करते हैं. दुखी होते हैं तो अपना दर्द इमोटिकोन्स के माध्यम से दूसरों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

भले ही हम ने अपनी खुशी या दर्द इमोटिकोन्स से शेयर कर लिया, लेकिन इस से देखने वाले के मन में वे भाव पैदा नहीं होते जो हमारे अपने हमारी दर्द भरी आवाज को सुन कर या फिर हमारी आंखों की गहराई में झांक कर महसूस कर पाते हैं. उन्हें सामने देख कर हम में दोगुना उत्साह बढ़ जाता है, जो गैजेट्स से हरगिज संभव नहीं.

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इंटरनैट अविश्वसनीय, अपने विश्वसनीय

भले ही हम ने इंटरनैट को गुरु मान लिया है, क्योंकि उस के माध्यम से हमें गूगल पर सारी जानकारी मिल जाती है लेकिन उस पर बिखरी जानकारी इतनी होती है कि उस में से सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है, जबकि अपनों से मिली जानकारी भले ही थोड़ी देर से हासिल हो लेकिन विश्वसनीय होती है. इसलिए इंटरनैट के मायाजाल से खुद को दूर रख कर अपने बंद दिमाग के ताले खोलें और कुछ क्रिएटिव सोच कर नया करने की कोशिश करें.

गैजेट से नहीं अपनों से ऐंटरटेनमैंट

अगर आप के किसी अपने का बर्थडे है और आप उस के इस दिन को खास बनाने के लिए अपने फोन से उसे कार्ड, विशेज पहुंचा रहे हैं तो भले ही आप खुद ऐसा कर के संतुष्ट हो जाएं, लेकिन जिसे विशेज भेजी हैं वह इस से कतई संतुष्ट नहीं होगा, जबकि अगर यह बर्थडे वह अपने परिवार संग मनाएगा तो उसे भरपूर मजा आएगा, क्योंकि न सिर्फ गिफ्ट्स मिलेंगे बल्कि ऐंटरटेनमैंट भी होगा व स्पैशल अटैंशन भी मिलेगी.

गैजेट में वन वे जबकि परिवार में टू वे कम्युनिकेशन

जब भी हम फेसबुक या व्हाट्सऐप पर किसी को मैसेज भेजते हैं तो जरूरी नहीं कि उस वक्त रिप्लाई आए ही और अगर आया भी तो थंब सिंबल या स्माइली बना कर भेज दी जबकि आप उस मैसेज पर खुल कर बात करने के मूड में होते हैं. ऐसे में आप सामने वाले को जबरदस्ती बात करने के लिए मजबूर भी नहीं कर पाएंगे.

परिवार में हम जब किसी टौपिक पर चर्चा करते हैं तो हमें उस पर गुड फीडबैक मिलती रहती है, जिस से हमें कम्युनिकेट करने में अच्छा लगता है और सामने होने के कारण फेस ऐक्सप्रैशंस से भी रूबरू हो जाते हैं.

गैजेट्स से बेचैनी, अपनों से करीबी का एहसास

गैजेट्स से थोड़ा दूर रहना भी हमें गवारा नहीं होता, हम बेचैन होने लगते हैं और हमारा सारा ध्यान उसी पर ही केंद्रित रहता है तभी तो जैसे ही हमारे हाथ में स्मार्टफोन आता है तो हमारे चेहरे की मायूसी खुशी में बदल जाती है और हम ऐसे रिऐक्ट करते हैं जैसे हमारा अपना कोई हम से बिछुड़ गया हो.

यहां तक कि फोन की बैटरी खत्म होने पर या उस में कोई प्रौब्लम आने पर हम फोन ठीक करवाने का विकल्प होने के बावजूद अपने पेरैंट्स से जिद कर के नया फोन ले लेते हैं. इस से साफ जाहिर है कि हम गैजेट्स से एक पल भी दूर नहीं रहना चाहते, उन से दूरी हम में बेचैनी पैदा करती है.

हैल्थ रिस्क जबकि परिवार संग फिट ही फिट

हरदम गैजेट्स पर व्यस्त रहने से जहां आंखों पर असर पड़ता है वहीं कानों में लीड लगाने से हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. यहां तक कि एक सर्वे से पता चला है कि अधिक समय तक स्मार्टफोन और लैपटौप पर बिजी रहने वाले किशोर तनावग्रस्त भी रहने लगते हैं.

जबकि परिवार के साथ यदि हम समय बिताते हैं तो उस से स्ट्रैस फ्री रहने के साथसाथ हमें ज्ञानवर्धक जानकारियां भी मिलती रहती हैं, जो हमारे भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध होती हैं.

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भारी खर्च जबकि परिवार संग मुफ्त टौक

आज यदि हमें गैजेट्स के जरिए अपना ऐंटरटेनमैंट करना है तो उस के लिए रिचार्ज करवाना पड़ेगा या फिर नैट पैक डलवाना पड़ेगा, जिस का भार हमारी जेब पर पड़ेगा.

जबकि परिवार में बैठ कर अगर हम अंत्याक्षरी खेलें या फिर अपनी बातों से एकदूसरे को गुदगुदाएं तो उस के लिए पैसे नहीं बल्कि अपनों का साथ चाहिए, जिस से हम खुद को काफी रीफ्रैश भी महसूस करेंगे.

इसलिए समय रहते पलभर की खुशी देने वाले गैजेट्स से दूरी बना लें वरना ये एडिक्शन आप को कहीं का नहीं छोड़ेगा साथ ही यह भी मान कर चलें कि जो मजा परिवार संग है वह गैजेट्स संग नहीं.

बच्चों को गैजेट्स दें, मगर कंट्रोल भी जरूरी

हाईटेक होते ज़माने में जहां हर चीज़ मोबाइल एप्स पर उपलब्ध होती जा रही है तो वहीँ कोविड 19 में बच्चों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ गया है. बच्चों की एक्टीविटीज और पढ़ाई भी अब ऑनलाइन हो रही है. ऐसे में बच्चों को मोबाइल या दूसरे गैजेट्स से दूर रखना संभव नहीं.

आज के समय में देखा जाए तो 2 साल के बच्चे भी टच स्क्रीन फोन चलाना, स्वाइप करना, लॉक खोलना और कैमरे पर फोटो खींचना जानते हैं. एक नए रिसर्च (82 सवालों के आधार पर) के अनुसार, 87% अभिभावक प्रतिदिन औसतन 15 मिनट अपने बच्चों को स्मार्टफोन खेलने के लिए देते हैं.
62% अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चों के लिए ऐप्स डाउनलोड करते हैं. हर 10 में से 9 अभिभावकों के मुताबिक़ उन के छोटी उम्र के बच्चे भी फोन स्वाइप करना जानते हैं. 10 में से 5 ने बताया कि उन के बच्चे फोन को अनलॉक कर सकते हैं जबकि कुछ अभिभावकों ने माना कि उन के बच्चे फोन के अन्य फीचर भी ढूंढ़ते हैं.

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गैजेट के अधिक इस्तेमाल से सेहत पर असर

माइकल कोहेन ग्रुप द्वारा किए गए रिसर्च से पता चलता है कि टीनएजर्स गैजेट्स से खेलना ज़्यादा पसंद करते हैं. गैजेट्स ले कर दिन भर बैठे रहने के कारण उन में मोटापे की समस्या बढ़ रही है. साथ ही आईपैड, लैपटॉप, मोबाइल आदि पर बिज़ी रहने के कारण वे समय पर सो भी नहीं पाते जिस से उन्हें शारीरिक यानी स्वास्थ्य समस्याओं से दोचार होना पड़ता है. शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी गैजेट्स उन्हें नुक्सान पहुंचा सकते हैं. मोबाइल हो या कंप्यूटर, इन में जिस तरह के कंटेंट वे देखते हैं उस का सीधा असर उन के दिमाग और सोच पर पड़ता है.

सिर्फ शारीरिक मानसिक परेशानियां ही नहीं बल्कि गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल की आदत उन्हें किसी संभावित खतरे की तरफ भी धकेल सकती है. ऐसा ही एक खतरा है साइबर बुलिंग. चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY ) द्वारा दिल्ली एनसीआर के 630 किशोरों पर किये गए सर्वे में पाया गया कि करीब 9. 2 % ने साइबर बुलिंग का अनुभव किया और उन में आधे से ज्यादा ने यह बात अपने पेरेंट्स या टीचर से भी शेयर नहीं की.

फरवरी 2020 में ऑनलाइन स्टडी और इंटरनेट एडिक्शन नाम से किये गए अध्ययन में पाया गया कि बच्चा जितना ज्यादा इंटरनेट और गैजेट्स का प्रयोग करता है इस तरह की संभावनाएं उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती हैं. 2. 2 % किशोर (13 -18 साल) जिन्होंने 3 घंटे से ज्यादा समय तक इंटरनेट का प्रयोग किया वे ऑनलाइन बुलिंग के शिकार बने तो वहीँ 28 % किशोर जिन्होंने 4 घंटे से अधिक का समय इंटरनेट पर बिताया उन्हें साइबर बुलिंग सहना पड़ा.

गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल करने वाले किशोर कई बार साइबर अपराधों में खुद भी लिप्त हो जाते हैं. उन्हें दूसरों से बदला लेने का यह सहज और आसान जरिया नजर आता है जहाँ उन की पहचान भी छिपी रह सकती है.

मुंबई में रहने वाले दिव्य को अपने क्लास की एक लड़की सुधि ने कभी झगड़े में उल्टासीधा कह दिया था. इस का बदला लेने के लिए दिव्य ने साइबर वर्ल्ड का सहारा लिया. उस ने सुधि के नाम पर एक फर्जी फेसबुक पेज बनाया और उस पर सुधि की तसवीरें लगाते हुए कुछ ऐसे खतरनाक और वल्गर पोस्ट डालने शुरू किए कि कमेंट बॉक्स में गंदेगंदे मैसेज आने लगे. सुधि को इस बारे में कुछ पता नहीं था. स्कूल के बच्चे सुधि को ले कर कानाफूसी करने लगे और उस से कतराने लगे. सुधि समझ ही नहीं पाई कि क्या हुआ है. यहाँ तक कि उस की पक्की सहेली ने भी उस से बातें करनी बंद कर दीं. सुधि द्वारा बारबार पूछे जाने पर सहेली ने एक दिन उसे सारे पोस्ट दिखाए. सुधि दंग रह गई. उसे समझ नहीं आया कि उसे इस तरह कौन बदनाम कर सकता है. दरअसल वह साइबर बुलिंग का शिकार हो गई थी. उस का फ्रेंड सर्कल ख़त्म हो गया. अब वह गुमसुम रहने लगी. उस ने बाहर जाना छोड़ दिया और तनाव का शिकार हो गयी. हालत इतनी खराब हो गई कि उस के पेरेंट्स ने उसे नए स्कूल में डाला और महीनों काउंसिलिंग भी कराई. तब जा कर वह नार्मल हो सकी. इस तरह दिव्य ने अपनी नासमझी और बदले की भावना में सुधि का बहुत बड़ा नुकसान कर दिया था.

इप्सोस के साल 2014 के एक सर्वे के मुताबिक़ भारत साइबर बुलिंग के मामले में 254 देशों की सूची में सब से ऊपर था. सर्वे में शामिल देश के 32 फीसदी पैरेंट्स ने कहा कि उन के बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हुए हैं. समय के साथ अब हालात और खराब हो चुके हैं.

साइबर बुलिंग के तहत किसी के बारे में अफवाह उड़ाना, धमकी देना, सेक्सुअल कमेंट, व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करना या हेट स्पीच आदि आते हैं. जो लोग इस के शिकार होते हैं उन में आत्मविश्वास कम हो जाता है और कई बार वे आत्महत्या भी कर लेते हैं.

जाहिर है बच्चों के लिए चुनौतियां सिर्फ ब्लू ह्वेल जैसे खेल ही नहीं है. चैट रूम के जरिये कई बार बच्चों के लिए ज्यादा खतरे आते हैं. टीनएजर दोस्त बनाने के लिए चैट रूम में आते हैं और अनजान लोगों से दोस्ती करते हैं. इस तरीके में सब से बड़ा खतरा यह है कि सामने वाला अगर बुलिंग पर उतर आये तो वेबसाइट पर पहचान जाहिर न करने जैसे क्लॉज का सहारा ले कर बच्चे को परेशान करना शुरू कर देता है.

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बच्चे दूसरों की देखादेखी अपनी स्टाइलिश तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर देते हैं. इस से कई बार उन के मन में कम्पटीशन या इन्फीरियरिटी कॉम्प्लेक्स की भावना भी घर कर जाती है.

बच्चे के सामने ऑनलाइन स्कैम भी एक बड़ा खतरा है. मेल और पोस्ट द्वारा करोड़ों के ईनाम जीतने का लालच बच्चों को आकर्षित कर सकता है. इस में वे बैंक एकाउंट या व्यक्तिगत जानकारी शेयर कर देते हैं जो बाद में मुसीबत का कारण बन सकता है.

आज कल 18 साल से कम के किशोर खुद की पहचान बनाने के लिए सोशल मीडिया को चुनते हैं. उन के मन के अंदर का घमंड, अहम का भाव सोशल मीडिया के जरिए दूसरे पर निकालते हैं. वहां कोई रोकटोक नहीं होता. ऐसे में वह स्वतंत्र हो कर जो करना है वह करते हैं. इस वजह से कई बार उन की जिंदगी बर्बाद भी हो जाती है.

इसलिए बेहतर है कि जितना हो सके बच्चे की ऑनलाइन गतिविधियों पर हर वक्त नजर रखें. साथ ही पहले से ही बच्चे से इस बारे में चर्चा करें और उसे समझाएं कि किस तरह के खतरे हो सकते हैं. आज के समय में बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना संभव नहीं, मगर इन के इस्तेमाल की समय सीमा ज़रूर तय कर सकते हैं.

क्या हो समय सीमा

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की स्टडी के मुताबिक़ 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी तरह के स्क्रीन से दूर रखना चाहिए. 3 से 5 वर्ष के बच्चे एक घंटा और टीनएजर बच्चों को पढ़ाई के अलावा केवल 30 मिनट प्रतिदिन तक गैजेट इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए.

अभिभावक की जिम्मेदारी

बच्चों को ख़ुश करने की बजाय उन की भलाई के बारे में सोचें. उन्हें अनुशासन में रख कर ही गैजेट की लत से बचाया जा सकता है.

अपने बच्चों को टीवी, कंप्यूटर या फोन का उपयोग ऑनलाइन स्टडी के अलावा 30 मिनट से अधिक न करने दें. दूसरी बातों में उन का ध्यान उलझाएं.

जब बात इनाम देने की हो तो हमेशा कोशिश करें कि उन्हें गैजेट की बजाय कुछ और उपयोगी वस्तु दें.
बच्चों को किताबें पढ़ने को प्रेरित करें. थोड़ा समय लाइब्रेरी में बिताने को कहें. नईनई ज्ञानवर्धक, रोचक और शिक्षप्रद कहानियों की पुस्तकें ला कर दें.

कोशिश करें कि बच्चा जब टीवी, कंप्यूटर पर व्यस्त हो तो आप उस के साथ रहें ताकि यह देख सकें कि वह स्क्रीन पर क्या देख रहा है.

बच्चों को शांत रखने के लिए उन्हें मोबाइल गेम खेलने को प्रोत्साहित करने के बजाय उसे बाहर जा कर दोस्तों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें. बाहर खुले मैदान में दौड़नेभागने वाले खेल खेलने से वे शारीरिक रूप से भी फिट रहेंगे.

टच-पैड की बजाय बच्चे को कोई पेट (पालतू जानवर) ला कर दें.

उन्हें समाज और प्रकृति से जोड़े.

हफ्ते में 5 दिन क्लास के बाद शनिवार और रविवार को बच्चों को आर्ट्स एंड क्राफ्ट में इन्वॉल्व कर सकते हैं.

बच्चों को अन्य खेलों के प्रति प्रेरित कर सकते हैं, जैसे साइकिल चलाना, कैरम बोर्ड खेलना, चेस खेलना आदि.

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बच्चों को कभी भी उन का पर्सनल फोन न दें.

उन्हें समझाएं कि एक घंटे मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल करने के बाद ब्रेक ले.

बच्चों को अंधेरे में फोन नहीं चलाना चाहिए. इस से उन की आंखों पर सीधा असर पड़ता है. खास तौर पर बच्चे लेट कर फोन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने से मना करें.

20 गैजेट्स एंड टूल्स बनाएं आपकी लाइफ बैटर

टैक्नोलौजी के इस जमाने में हाईटैक होना बहुत जरूरी है. फिर चाहे गैजेट्स घर के हों या पर्सनल केयर के जीवन में यकीनन बदलाव लाते हैं. इन गैजेट्स और टूल्स की मदद से आप अपने लाइफस्टाइल को अपग्रेड और इंम्प्रूव कर सकते हैं:

1. स्मार्ट डोर/विंडो सैंसर

यह वाईफाई से चलने वाला सैंसर है, जो आप के घर की सेफ्टी के लिए अच्छा औप्शन है. इस का बिल्टइन मैगनेट दरवाजों और खिड़कियों पर होने वाली दस्तक की जानकारी आप को आप के फोन पर देता है. आप इस सैंसर को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं.

2. 11 इन 1 सर्वाइवल किट

यह स्टेनलैस स्टील से बना टूल है. इस के क्रैडिट कार्ड साइज के टूल को 11 अलगअलग कामों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इस का ओपनर, चाकू, स्केल आदि के रूप में यूज किया जाता है. इसे आप अपने वालेट में भी कैरी कर सकते हैं.

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3. ट्रैकिंग अलार्म

यह गैजेट उन के लिए उपयुक्त है जो अकसर अपनी चाबियां या वालेट आदि को यहांवहां रख कर भूल जाते हैं. यह ब्लूटूथ कनैक्टर डिवाइस है, जो फोन से कनैक्ट हो जाता है. इस की रेंज 50 मीटर है. जिन चीजों से यह डिवाइस कनैक्टेड होगा यदि वे आप को न मिल रही हों तो आप इस का बटन दबा कर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं.

4. बैग सीलिंग क्लिप्स

इन क्लिप्स की शेप बाल बांधने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बनाना क्लिप्स जैसी होती है. ये क्लिप्स इन खुले पैकेट्स को एअरटाइट सील कर देती हैं. इन का इस्तेमाल आसान है. इन्हें दूधदही के पैकेट्स, स्नैक्स, प्लास्टिक या पेपर पैकेट्स को सील करने में यूज कर सकते हैं.

5. माइक्रोफाइबर क्लीनिंग ग्लव्ज

हम घर पर डस्टिंग के लिए कपड़ा यूज करते हैं, लेकिन वह 1-2 स्ट्रोक में ही गंदा हो जाता है और फिर छोटे कोनों तक भी नहीं पहुंचता, जिस से सफाई करने में परेशानी होती है. कपड़े से बिलकुल विपरीत ये ग्लव्ज माइक्रोफाइबर से बने होते हैं. आप इन्हें पहन कर कार, टेबल, लैपटोप, किचन, पेंटिंग्स आदि की सफाई कर सकते हैं.

6. हैंड ब्लैंडर

यह हैंड ब्लैंडर बिना बिजली के हाथों से ही चलाया जा सकता है. आप को बस इस का हैंडल दबाना है और यह चल पड़ेगा. इस से बिजली की तो बचत होती ही है, साथ ही हैंड मूवमैंट भी होती रहती है. इस से आप दही फेंट सकते हैं, शेक, जूस और डिशेज का घोल तैयार कर सकते हैं.

7. फ्लैक्सिबल लैंप एलईडी लाइट

यह छोटा लैंप या कहें एलईडी लाइट इस तरह से तैयार की गई है कि इसे आप अपने कंफर्ट के हिसाब से एडजस्ट कर सकते हैं. इसे चार्ज करना आसान है. इसे आप रूम में, टेबल पर या ट्रैवल करते समय भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

8. स्मार्ट थर्मोस्टेट

स्मार्ट थर्मोस्टेट ऐसा डिवाइस है, जिसे आप घर की किसी भी वाल पर लगा सकते हैं और वौइस ओवर से कंट्रोल कर सकते हैं. यह कमरे का तापमान आप की सुविधानुसार करता है. इसे वाईफाई के जरीए फोन से भी कनैक्ट किया जा सकता है.

9. प्लास्टिक हैंड ग्रिप

जिन घरों में बच्चे, बूढ़े या कोई ऐसा व्यक्ति हो जिस का नहाते वक्त गिरने या फिसल जाने का डर हो तो उस के लिए यह पर्फैक्ट टूल है. इस हैंड ग्रिप हैंडल की ग्रिप इतनी स्ट्रौंग है कि इसे दीवार या दरवाजे पर लगा कर व्यक्ति आराम से खड़ा हो सकता है. जब तक इस के बटन को अनलौक न किया जाए तब तक यह दीवार से चिपका रहता है. दीवार पर न कोई छेद करना पड़ता है और न ही स्कू्र लगाने पड़ते हैं, साथ ही यह रियूजेबल और वाटरप्रूफ  भी है.

10. पेस्ट कंट्रोल रिपेलैंट डिवाइस

अल्ट्रासोनिक टैक्नोलौजी वाला यह डिवाइस मच्छरों, मक्खियों, कौकरोचों, मकडि़यों, छिपकलियों, चींटियों और चूहों आदि को मारने के बजाय उन्हें भगा देता है. इस का कवरेज एरिया 80 से 120 स्क्वेयर मीटर है. इसे घर के अंदर इस्तेमाल किया जाता है. यह नौनटौक्सिक और ईकोफ्रैंडली है. इस की बड़ी खासीयत यह है कि यह आप के पैट्स को किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होने देता.

11. स्मार्ट रिस्ट बैंड

इस समय मार्केट में कई अलगअलग ब्रैंड्स के रिस्ट बैंड उपलब्ध हैं. यह रिस्ट बैंड असल में एक घड़ी ही है, लेकिन यह समय दिखाने के साथसाथ और भी कई तरह से इस्तेमाल की जाती है. आप दिन में कितना चले, आप का हार्ट रेट, फोन से कनैक्टिविटी, टच स्क्रीन, कौल ऐंड एसएमएस नोटिफिकेशन अलर्ट आदि इस के फीचर हैं. यह बैटरी से चलता है और इस की बैटरी लाइफ  करीब 20 दिन होती है.

12. स्मार्ट स्पीकर

गूगल होम, अमेजन ईको डौट आदि स्मार्ट स्पीकर्स हैं, जो आप के घर को स्मार्ट होम बनाते हैं. यह स्पीकर आप की आवाज सुन कर ऐक्टिव हो जाता है और आप की लाइट, पंखे, एसी जैसे इलैक्ट्रौनिक डिवाइसेज को कमांड मिलने पर औन या औफ  करता है. आप इस में गाने भी सुन सकते हैं, मौसम की अपडेट या न्यूज भी सुन सकते हैं.

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13. ह्यूमीडिफायर

कमरे, कार या औफिस में इस का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह फ्रैश एअर रिलीज करता है, जिस से आसपास का वातावरण साफ  व खुशबूदार होता है. इस में पानी भरिए और कुछ बूंदें अरोमा औयल की डालिए. यह रूमफ्रैशनर का भी काम करता है. इसे चार्ज करना आसान है. इस में एलईडी नाइट लाइट भी लगी होती है.

14. इमरजैंसी हैमर

कार में सफर करने वाले व्यक्ति को कभी भी किसी भी तरह की दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वह हर घटना के लिए पहले से ही तैयार रहे. यह टूल हथौड़े, सीट बैल्ट कटर और औटोमैटिक ग्लास फायरिंग बुलेट का काम करता है. इस टूल की खासीयत यह भी है कि यह इस्तेमाल में आसान है.

15. फ्लैक्सिबल नोजल फौर टैप

आप बरतन धोते समय देखते होंगे कि पानी की धार तेज हो तो पानी सीधा मुंह पर आता है या पानी यहांवहां फैलने लगता है और यदि पानी की धार कम हो तो सफाई ठीक से नहीं होती. यह नोजल फ्लैक्सिबल है, जिस से बरतनों पर पानी सही तरह तो गिरता ही है, साथ ही पूरे सिंक की सफाई भी अच्छी तरह हो जाती है.

16. ग्रिप यूनिवर्सल सौकेट ऐडैप्टर

बाकी सभी टूल्स से अलग यह टूल किसी भी सौकेट के पेच कस सकता है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी शेप पर अच्छी तरह फिट बैठता है. आप इसे अपने पास रखते हैं तो आप को किसी और पेचकश जैसे टूल की जरूरत नहीं पड़ती.

17. स्टील हैंड ओडोर रिमूवर

लहसुन, प्याज, मछली या फिर अंडे खाने के बाद हाथों से जो गंध आती है उसे यह स्टेनलैस स्टील से बना टूल खत्म कर देता है. जिस तरह आप हाथों पर साबुन मलते हैं बिलकुल उसी तरह इसे भी यूज करना है. यह कैरी करना भी ईजी है. आप इसे अपनी पौकेट में रख कर भी ले जा सकते हैं.

18. ऐपिलेटर

ऐपिलेटर का इस्तेमाल हेयर रिमूव करने के लिए किया जाता है. पुरुष व महिलाएं दोनों इसे यूज कर सकते हैं. डिफरैंट बौडी पार्ट्स के लिए यह एक अच्छा औप्शन है. यह वैक्सिंग की ही तरह बालों को खींच कर निकालता है. इसे बैटरी से चार्ज किया जाता है.

19. गारमैंट स्टीमर

जिन कपड़ों को आप साधारण आयरन से प्रैस नहीं कर सकते उन के लिए यह स्ट्रीमर पर्फैक्ट है. यह किसी भी एंगल से स्टीम दे सकता है और गद्दों, टंगे परदों, तकियों आदि के लिए उपयुक्त है. यह लाइट वेट होने के साथसाथ कौंपैक्ट भी है यानी यह ज्यादा जगह नहीं घेरता. आप ब्रैंड्स की आपस में तुलना कर भी अपनी सुविधानुसार इसे खरीद सकते हैं.

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20. मैग्नेटिक मोबाइल होल्डर

यह छोटी सी मैग्नेटिक डिस्क आप के फोन को गिरने से रोक उसे होल्ड करती है. आप इसे किचन में काम करते समय पास रख सकते हैं या कार में सफर करते समय यूज कर सकते हैं ताकि हिलनेडुलने या झटका लगने पर फोन की ग्रिप लूज न हो और वह गिरे न.

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