सर्दियों में होने वाली परेशानियों का ये है आसान इलाज

सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, गले की खराश, जैसी समस्याएं आम हैं. खराश की समस्या को जल्दी ठीक करना जरूरी है, नहीं तो ये खांसी का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि सर्दी, खांसी, खराश जैसी समस्याओं का दवाइयों के बिना, घरेलू नुस्खों की मदद से कैसे इलाज कर सकते हैं.

इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. गले के इंफेक्शन और दर्द में अदरक काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप एक कप में गर्म पानी उबाल लें. उसमें शहद डाल कर मिलाएं और दिन में दो बार पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर समझ आएगा.

1. नमक पानी से करें गरारा

गले की खराश में नमक के पानी का गरारा काफी लाभकारी होता है. खराश के कारण गले में सूजन आ जाती है. गुनगुने पानी और नमक का गरारा करने से सूजन में काफी आराम मिलता है. इसे दिन में 3 बार करने से आपको जल्दी ही आराम मिलेगा.

2. मसाला चाय

लौंग, तुलसी और काली मिर्च को पानी में डाल कर उबाल लें. इसके बाद इसमें चायपत्ती डालकर चाय बना लें. सर्दियों में नियमित तौर पर इसका सेवन करें. आपको सर्दी संबंधित परेशानियां नहीं होंगी.

3. अदरक

अदरक को पानी में डाल कर उबाल  लें. थोड़ी देर तक उसे उबालें ताकि अदरक का अर्क पानी में आ जाए. इसके बाद पानी में शहद मिला कर पिएं. सर्दी से होने वली परेशानियों में आपको काफी आराम मिलेगा.

4. लहसुन

लहसुन इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है. इसलिए गले की खराश में लहसुन बेहद फायदेमंद है. उपचार के लिए गालों के दोनों तरफ लहसुन की एक-एक कली रखकर धीरे-धीरे चूसते रहें.

5. भाप लेना

सर्दियों में होने वाली परेशानियों में भाप लेना काफी कारगर होता है. किसी बड़े बर्तन में गुनगुना पानी कर लें और तौलिया से पानी और चेहरा ढक कर भाप लें. आराम मिलेगा.

Healthcare Tips: कोविड के इस मुश्किल समय में ख़ुद को कैसे सुरक्षित रखें?

त्योहारों का मौसम आ गया है और लोग छुट्टियों के मूड में आ चुके हैं. दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं, ऐसे में इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि इस त्योहार को सुरक्षित, स्वस्थ और जिम्मेदार तरीके से कैसे मनाया जाए.

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी प्रमुख तथा सीनियर कंसल्टेंट डॉ अरुणेश कुमार ने इस पर अपनी राय देते हुए कहा, “चूंकि दिवाली सभी कम्यूनिटी को एक साथ लाती है, लेकिन महामारी की तीसरी लहर की शुरुआत अभी भी एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है.  इसलिए स्वास्थ्य या सुरक्षा से समझौता किए बिना रोशनी का त्योहार मनाने के लिए उचित सावधानी और सावधानी बरतना ज़रूरी है.  दिवाली के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना या स्वास्थ्य पर नुक़सान से बचने के लिए कुछ सामान्य एहतियाती उपाय करना भी ज़रूरी है. ”

मैग्नेटो क्लीनटेक के सीईओ श्री हिमांशु अग्रवाल ने कहा, “दिवाली नजदीक आने से हमें प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी होने से सावधान रहना चाहिए, यह प्रदूषण घर के अंदर और बाहर दोनों जगह मौजूद है और इसलिए खुद को उसी के अनुसार तैयार करें.  वैसे देखा गया है कि मुख्य रूप से बाहरी स्थानों में प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हमारे घरों के अंदर प्रदूषण का स्तर 5 गुना ज्यादा हो सकता है और यह हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट और इम्यूनिटी सिस्टम के लिए खतरनाक है.  वर्तमान समय में वायु प्रदूषण और भी खतरनाक है क्योंकि इससे कोरोनावायरस फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.  दिवाली पर पटाखों से दूरी बनाए रखना नामुमकिन है, इसलिए  प्रदूषण रहित दिवाली उत्सव की वस्तुओं जैसे हरे और पर्यावरण के अनुकूल पटाखे और दीयों का विकल्प चुनना चाहिए.  चूंकि हम भी कुछ पटाखे घर के अंदर ही फोड़ते हैं, इसलिए हमें ऐसा करने से बचना चाहिए.  अपने घरों के अंदर धार्मिक गतिविधियों के लिए इको फ्रेंडली अगरबत्ती जलानी चाहिए.  जितना संभव हो सके घर में वेंटिलेशन में सुधार करना चाहिए.  हालांकि सबसे अच्छा विकल्प यह है कि अपने घरों में एक हाई क्वालिटी  वाला एयर प्यूरीफायर  उपकरण स्थापित किया जाए, जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दिवाली से संबंधित प्रदूषकों का खात्मा कर सकें, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर सके कि हम दिवाली के बाद अपने घरों में भी स्वस्थ शुद्ध हवा में सांस लेते रहें. ”

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हेल्थकेयर विशेषज्ञों दुवारा पूरे उत्साह के साथ दिवाली का आनंद लेने के लिए 8 महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं.

फिजिकल डिस्टेंसिग बनाए रखें

दिवाली का त्योहार न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है बल्कि यह लोगों के रिश्तों को मजबूत करने के लिए उन्हे एक साथ लाता है.  हालाँकि इस दिवाली, चाहे कोई भी मज़ा और उत्साह हो, फिजिकल डिस्टेंसिग बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोनावायरस की तीसरी लहर के खतरे को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.  फिजिकल डिस्टेंसिगदूरी कोविड-19 के फैलाव को कम करने में मदद करती है.  इसका मतलब है कि एक दूसरे से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर समय बिताने से बचना चाहिए.

मोमबत्ती या दीया जलाने से पहले सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बचें

मोमबत्ती या दीया जलाने के दौरान विशेष रूप से अल्कोहल वाला सैनिटाइज़र का उपयोग नहीं करना चाहिए.  सैनिटाइज़र बहुत ज्वलनशील होता हैं और तुरंत आग पकड़ सकते हैं जिससे गंभीर आग का खतरा हो सकता है.  मोमबत्ती या दीया जलाने से पहले हमेशा हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए.

मास्क लगाए रखें

कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए एहतियाती उपाय बरतने के अलावा दिवाली के दौरान मास्क का उपयोग करना बहुत जरूरी है.  पटाखों के जलने से निकलने वाला धुंआ सांस की समस्या से जूझ रहे मरीजों को गंभीर समस्या पैदा कर सकता है और घरघराहट, खांसी या आंखों में जलन जैसे सांस संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.

कपड़े ढंग से पहनें

दिवाली के दौरान लोग भव्य रूप से तैयार होते है, लेकिन सुरक्षित रूप से तैयार होना हमेशा महत्वपूर्ण होता है.  शिफॉन, जॉर्जेट, साटन और रेशमी कपड़े ऐसे ट्रेंडिंग कपड़े हैं जो त्योहारों के दौरान पहनना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन ऐसे रेशों में आग लगने की आशंका ज्यादा होती है.  इसके बजाय सूती रेशम, सूती या जूट के कपड़ों को पहनना ज्यादा बेहतर होता है.  दिवाली समारोह के दौरान ढीले-ढाले कपड़ों से भी बचना चाहिए.

पोषणयुक्त और स्वस्थ भोजन खाएं

दिवाली में अक्सर मिठाई, स्नैक्स और अन्य आकर्षक चीज़ें बहुत खाई जाती  है.  इन चीज़ों को बहुत ज्यादा खाने से पेट खराब हो सकता है, गैस बन सकती है और हार्ट बर्न हो सकता है.  इसलिए पेट पर अनावश्यक दबाव डाले बिना दिन भर में थोड़ा थोड़ा भोजन करना  अच्छा होता है.  स्वस्थ, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ, फल और मेवे खाएं.  खुद को हाइड्रेट और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए खूब पानी पिएं.  साथ ही नाश्ता और दोपहर का भोजन मिस न करें और हर तरह  की शारीरिक गतिविधि में भाग लें.

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पटाखे न जलाएं

भारत में दुनिया का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है और दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहर भारत के हैं.  दिवाली के दौरान किसी भी प्रकार के पटाखे या कचरा जलाने से स्थिति और ख़तरनाक हो जायेगी.  पटाखे फोड़ने से निकलने वाले कार्बन के कण पहले से मौजूद एलर्जी को बढ़ा सकते हैं.  इसके अलावा वाष्प के कण लंबे समय तक नथुने से चिपके रह सकते हैं जो एलर्जिक राइनाइटिस की संभावना को बढ़ा सकते हैं और यहां तक ​​कि अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के अटैक को भी बढ़ा सकते हैं.  साथ ही जश्न के नाम पर पटाखे फोड़ने से कोविड संक्रमित मरीजों की हालत और खराब हो सकती है.  प्रदूषण रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है और  कोरोनावायरस से भी सांस लेने में समस्या होती है.  कहा जाता है कि फेफड़ों के संक्रमण वाले लोगों में कोविड -19 के लिए प्री मोर्बिड कंडीशन होती है और उनके वायरस से संक्रमित होने की संभावना होती है.  इसलिए, इस कोविड में धुआं पैदा करने वाले पटाखों का फोड़ना विनाशकारी हो सकता है.

अपनी दवाओं को नियमित रूप से खाएं

दिवाली का त्यौहार अधिकांश परिवारों के लिए एक व्यस्त समय हो सकता है, यह महत्वपूर्ण है कि रोजमर्रा के कामों को न भूलें और समय पर दवाएं लेना याद रखें.  दवा खाने के लिए लोग अपने मोबाइल फोन पर रिमाइंडर भी सेट कर सकते हैं या रिमाइंडर नोट लिख सकते हैं और इसे बाथरूम के पीछे, सामने के दरवाजे या किसी अन्य जगह पर चिपका सकते हैं जहां यह ठीक से दिखाई दे.  अगर कोई व्यक्ति दवा लेना भूल जाता है, तो बेहतर होगा कि यथाशीघ्र दवा को खाएं  और तुरन्त अपने डॉक्टर से सलाह लें.

कोविड वैक्सीन लगवाएं

आपको चाहे कोविड हुआ हो या नहीं, आपको कोविड की वैक्सीन लगवानी बहुत ज़रूरी है.  इस बात के सबूत मिले हैं कि लोगों को पूरी तरह से टीका लगवाने से कोविड से बेहतर सुरक्षा मिलती है.  कोविड-19 की वैक्सीन किसी व्यक्ति को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाने में भी मदद करती हैं.  वैक्सीन  लगवाने से अन्य लोगों को भी सुरक्षा  हो सकती है.

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करें घर के ये काम, कम होगा वजन

मोटापा, ज्यादा वजन जैसी समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है. आलम ये है कि वजन कम करने के लिए लोग हजारों लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं. दवाइयों से लिए, एक्सर्साइज, खास खानपान और जिम में पसीना बहाने के लिए लोग तैयार हैं. पर क्या आपको पता है कि आप बिना जिम गए, बिना किसी स्पेशल डाइट के, घर के 6 काम कर के कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

पोछा लगा सकती हैं

घर में पोछा लगाना काफी मेहनत का काम है. इससे पैरों का अच्छे से वर्कआउट होता है. इस दौरान कमर में लगातार होने वाले मुवमेंट से फैट कम फैट पर काफी असर होता है. अगर आप रोज 20 मिनट पोछा लगाती हैं तो आप रोज 150 कैलोरी बर्न कर सकेंगी.

कपड़ा धोना

कपड़े धोने से शरीर का अच्छे से एक्सर्साइज होता है. अगर आप हाथ से कपड़े धोती हैं तो आपका 130 कैलोरी बर्न होगा.

खुद से धोएं बर्तन

बर्तन धोने से भी कैलोरी बर्न होती है. सेहत के लिए बेहतर होगा कि आप खुद बर्तन धोना शुरू कर दें, इससे आप करीब 125 कैलरीज बर्न कर सकेंगी.

खुद से बनाएं खाना

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद से खाना बनाना छोड़ चुके हैं. नौकरी पेशे के बीच से खाना बनाने के लिए समय निकाल पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है. पर कुकिंग के कई फायदे हैं, उनमें से एक वजन का कम करना भी शामिल है. खाना बनाने की प्रक्रिया में करीब 100 कैलोरीज बर्न होती हैं.

आटा गुंथे

आटा गुंथना एक मुश्किल और मेहनत वाला काम है. इसमें आपका जोर लगता है और शरीर से भी आप काफी मेहनत करती हैं. इस दौरान लगने वाली ताकत से आप शरीर की 50 कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

बिना डाइटिंग के ऐसे कम करें वजन

आजकल लोगों में मोटापे की समस्या आम हो गई है. जंक फूड, फास्ट फूड और असंतुलित आहार के कारण लोगों में ये समस्या तेजी से बढ़ रही है. समान्यत: लोगों को लगता है कि ज्यादा खाना खाने से वो मोटे हो रहे हैं, फिर पतला होने के लिए वो कम खाना खाते हैं, डाइटिंग करते हैं. पर आपके मोटापे की समस्या का ये हल नहीं है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि बिना डाइटिंग के, बिना कम खाना खाए आप कैसे अपना वजन कम कर सकेंगी.

वजन कम करने के ये हैं आसान तरीके

खाना चबा कर खाएं

आमतौर पर लोग खाना चबा कर नहीं खाते हैं. खाना चबाना उन्हें बेकार की चीज लगती है. पर अगर आप वजन घटाना चाहती हैं तो जरूरी है कि भोजन धीरेधीरे चबा कर खाएं.

लें प्रोटीन युक्त डाइट

आहार में प्रोटीन बेहद जरूरी होता है. इसमें अमीनो एसिड होता है जो हमारी मांसपेशियों को ताकत देता है और टिश्यू के लिए फायदेमंद होता है. इसके अलावा, ये भूख को कंट्रोल करता है, जिससे आप अगली डाइट में अधिक खाने से बच जाते हैं. प्रोटीन समृद्ध खाद्य पदार्थ अंडे, दूध, नट्स, चिकन और चीज डाइट में शामिल किए जाने चाहिए.

फाइबर युक्त डाइट

वजन घटाने में फाइबर अहम तत्व होता है. फाइबर युक्त भोजन लेने से लंबे समय तक आपको भूख नहीं लगती है. ये भूख कंट्रोल करने में काफी सहायक होता है. इसके अलावा पाचन के लिए भी फाइबर फायदेमंद होता है.

खूब पिएं पानी

वजन कम करने के लिए पानी काफी फायदेमंद है. कोशिश करें कि पूरे दिन पानी पेट में जाता रहे. इसके अलावा, भोजन से ठीक पहले पानी पीना, आपको कम कैलोरी लेने में मदद कर सकता है.

पर्याप्त नींद और स्‍ट्रेस

नींद पूरी ना होना या तनाव एपेटाइट रेगुलेटिंग हार्मोन्स के बीच असंतुलन पैदा होता है. जिसके कारण आप अधिक खाना खाते है. कोशिश करें कि दिन में छह से आठ घंटे सोने की कोशिश करें और अपने स्‍ट्रेस लेवल को कंट्रोल करें.

आपके चेहरे के ये बदलाव बताएंगे आपकी बीमारी, रहें सतर्क

चेहरा हमारी सेहत का आइना होता है. शरीर में किसी भी तरह की परेशानी हो, उसकी झलक चेहरे पर आ जाती है. किसी व्यक्ति को क्या परेशानी है उसके चेहरे को देख कर समझा जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे किसी वयक्ति के चेहरे से उसकी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

बालों का झड़ना:

changes on face may be cause of disease

लोगों में बालों के झड़ने की समस्या बेहद आम है. लेकिन ये ज्यादा हो तो सतर्क हो जाएं. सिर के बालों के साथ पलकें और आइब्रो भी झड़ने लगें तो इसे नजरअंदाज ना करें. जानकारों की माने तो ऐसा अत्यधिक तनाव या औटोइम्यून बीमारी के कारण होता है.

सूखे होंठ:

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होंठ का सूखापन दिखाता है कि आपके शरीर में पानी की कमी है या कहें तो आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है. अगर हर मौसम में आपको खुश्क होठों की शिकायत रहती है तो डायबिटीज और हाइपोथाइरौडिज्म की भी जांच कराएं.

चेहरे का पीला पड़ना:

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अगर आपके चेहरे की रंगत में बदलाव हो रहे हैं या कहें कि आपका चहरा पीला पड़ रहा है, तो ये आपके शरीर में खून की कमी का संकेत है. आपको अपनी डाइट में बदलाव करना होगा.

शरीर पर हो रहे लाल धब्बे:

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शरीर के किसी हिस्से पर लाल धब्बों का पड़ना इस बात का संकेत है कि आपको पेट संबंधित बीमारी है. ऐसे में जरूरी है कि आप पेट का चेकअप कराएं.

चेहरे पर बालों का आना:

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अक्सर महिलाओं में ये परेशानी देखी जाती है. उनकी ठुड्डी और होठों के उपर बाल उगने लगते हैं. ये आपके शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से होता है.

अब घर बैठे पता करें गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन

मां बनने का एहसास बेहद खास होता है. 9 महीने तक अपने एक अंग की तरह बच्चे को आप पालती हैं. उसका ख्याल रखती हैं. ये वक्त जच्चा और बच्चा दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस वक्त को और ज्यादा खास बनाने के लिए हम आपको एक खास जानकरी देने वाले हैं. अब महिलाएं अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की दिल की धड़कन घर बैठे ही नाप सकेंगी.

ब्रिटेन की एक युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस सेंसर की खोज की है. इस सेंसर की मदद से गर्भावस्था के दौरान जन्मजात विकारों का भी पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं और समयपूर्व प्रसव की आशंका के चलते होने वाली परेशानियों के तुरंत इलाज की जरूरत का पता लगाया जा सकता है.

ये तकनीक उन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद हैं जो गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, प्रीक्लैम्प्सिया और खून में शर्करा की अधिक मात्रा से पीड़ित होती हैं. इस तरह की परेशानियों से गुजर रही गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे के स्वास्थ्य पर नियमित तौर पर चिकित्सीय निगरानी की जरूरत होती है.

मौजूदा समय में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ रही गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे की धड़कन की जांच कराने के लिए अस्पताल जाना पड़ता है. लेकिन इस नई तकनीक से महिलाएं घर बैठे गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन नाप सकेंगी.

आयरन की शक्ति से जीवन को बनाएं स्वस्थ

अकसर देखा जाता है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को ले कर सतर्क नहीं रहतीं. कारण कभी प्रोफैशनल लाइफ में आगे बढ़ने की होड़ तो कभी घर के कामों को जल्दी निबटाने की जरूरत. सभी कामों को सही समय पर करने के चक्कर में वे अपना ध्यान रखना ही भूल जाती हैं. कभी इन का ब्रेकफास्ट स्किप होता है तो कभी लंच.

अगर ऐसा कभीकभी हो तो ठीक है लेकिन ऐसी रूटीन हमेशा फौलो करने पर कुछ दिनों में ही थकान महसूस होने लगती है. धीरेधीरे यह थकान कमजोरी का रूप ले लेती है. कई बार तो महिलाओं को यह समझ में ही नहीं आता कि ऐसा हो क्यों रहा है. उन्हें लगता है कि शायद ज्यादा काम करने की वजह से थकान हो गई है. यहीं पर महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण आप के शरीर में आयरन की कमी को दर्शाते हैं. अगर इस के बाद भी महिलाएं लापरवाही करती हैं तो उन के शरीर में खून की कमी हो जाती है और वे एनीमिक हो जाती हैं. और जब शरीर में खून की कमी हो जाती है तो छोटीछोटी बीमारियां भी उन्हें अपनी चपेट में ले लेती हैं.

आयरन की कमी के साइड इफैक्ट्स

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो महिलाओं का एनीमिया का शिकार होना आम बात है. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत की हर 3 महिलाओं में एक एनीमिया से ग्रसित होती है. आकड़ों के अनुसार एक और बात सामने आई है कि इन की उम्र 15 से 49 के बीच में होती है. साथ ही अगर कोई महिला एनीमिक है तो उस के बच्चे का एनीमिक होना स्वाभाविक है.

इस का कारण है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को ले कर लापरवाही करती हैं और सही डाइट नहीं लेती हैं जिस से उन्हें कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है. जरा सोचिए जहां तीन में एक महिला एनीमिक हो वहां फौलिक ऐसिड और आयरन सप्लिमैंट की कितनी जरूरत होगी.

इस मामले में वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं की शारीरिक बनावट पुरूषों की तुलना में कमजोर होती है. इसलिए पुरूषों की अपेक्षा इन्हें ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. यही वह समय है जब इन को अपने ऊपर ध्यान देने की जरूरत होती है.

इस मामले में मुंबई की डा. मीता बाली, जो कि एक क्रेनियो थेरैपिस्ट हैं, का कहना है कि ऐसा अकसर होता है कि पहले शादी फिर बच्चा वाली प्रक्रिया में महिलाएं खुद की बजाय पूरा ध्यान बच्चों और पति पर ही देती हैं. यानी वे अपना ध्यान रखना ही भूल जाती हैं. पूरा फोकस बच्चों और पति पर हो जाता है. वे प्रैग्नैंसी के दौरान आयरन की दवाइयां तो लेती हैं लेकिन बच्चा होने के बाद इस बात को भूल जाती हैं कि बच्चे के साथसाथ उन्हें अपना भी ध्यान रखना है. ऐसे में अगर महिलाएं डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट का सेवन करती हैं तो उन्हें इस तरह की समस्या नहीं झेलनी पड़ती. डा. मीता का कहना है कि कुछ महिलाओं का ध्यान तब खुद पर जाता है जब वे एनीमिक हो चुकी होती हैं. जब थकान महसूस होती है तब उन्हें समझ में आता है कि उन के शरीर में कोई परेशानी है. वे अपनी बात परिवार वालों के साथ शेयर नहीं करतीं और अकेले काम करती रहती हैं. साथ ही इस का जिम्मेदार भी वे परिवार के लोगों को ही मान बैठती हैं. डा. मीता का मानना है कि महिलाओं को अपनी परेशानियां घरवालों के साथ शेयर करनी चाहिए. ऐसा करने से वे बीमारी से भी बच जाएंगी और परिवार वाले उन के कामों में हाथ भी बटा सकेंगे. महिलाओं को परिवार का खयाल रखने के साथ ही थोड़ा समय खुद के लिए भी निकालना चाहिए और साल में एक बार अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि समय रहते यह पता लग जाए कि आप के शरीर में किन विटामिंस और मिनरल्स की कमी है. फिर आप उस हिसाब से सप्लिमैंट ले सकती हैं. ऐसा अगर आप छोटी उम्र से शुरू कर देती हैं तो 50 की उम्र में भी आप हैल्दी रह सकती हैं.

ऐसे नहीं होगी आयरन की कमी

अगर आप थोड़ा ध्यान खुद पर भी देंगी तो आप के शरीर में आयरन की कमी नहीं होगी. इस के लिए आप सब से पहले ऐसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें जिन में भरपूर मात्रा में आयरन हो. साथ ही डाक्टर की सलाह से आप आयरन की गोलियां भी ले सकती हैं. अकसर देखा जाता है कि लोग बीमारी से निबटने के लिए पूरी तरह से डाक्टर पर निर्भर हो जाते हैं और अपने स्तर पर कोशिश ही नहीं करते. आप भी शरीर में आयरन की भरपाई के लिए सिर्फ सप्लिमैंट पर निर्भर न हो कर नैचुरल चीजों का सेवन करें.

खाने में ऐसे पदार्थों को शामिल करें जिन को खाने से आयरन की कमी दूर हो सके. हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, चोकरयुक्त आटा, मल्टीग्रेन आटा, चुकंदर, अनार, काबुली चना, अंकुरित अनाज, राजमा, संतरे का रस, सोयाबीन, हरी मूंग व मसूर दाल, सूखे मेवे, गुड़, अंगूर, अमरूद, अंडा और दूध, मेथी, रैड मीट, सरसों का साग, पालक, चौराई, मछली आदि अपनी डाइट में शामिल करें. साथ ही सप्लिमैंट में आप आयरन की कमी को दूर करने के लिए डाक्टर की सलाह से रुद्ब1शद्दद्गठ्ठ का भी उपयोग कर सकतीं हैं. शायद आप को पता भी हो कि आयरन की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है. जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता है. ये लाल रक्त कोशिकाएं ही दिमाग को ऊर्जा प्रदान करने का काम करती हैं.

गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन और फौलिक ऐसिड की जरूरत ज्यादा होती है, क्योंकि फौलिक ऐसिड नई कोशिकाओं को विकसित करने का काम करता है. साथ ही गर्भ में जब बच्चा पल रहा होता है तो उस के विकास में सहायक होता है. इसी पर बच्चे का दिमाग और स्पाइनल कौर्ड का विकास भी निर्भर होता है. साथ ही लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और एनीमिया से बचे रहने के लिए शरीर में इस का होना जरूरी है. यही नहीं फौलिक ऐसिड से महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर का खतरा भी कम रहता है. आयरन और फौलिक ऐसिड की कमी को दूर करने के लिए जितनी हो सके उतनी मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें और फलों का सेवन करना चाहिए.

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो हमारा मैटाबोलिज्म ठीक से काम नहीं करता है. नतीजतन, हमारे शरीर को भरपूर ऊर्जा नहीं मिल पाती. महिलाओं के शरीर को जब भरपूर मात्रा में ऊर्जा नहीं मिलती तो उन्हें थकान महसूस होती है. लेकिन उन्हें लगता है कि यह कामकाज और भागदौड़ की वजह से थकान हो रही है. इस के बावजूद वे अपने शरीर पर ध्यान नहीं देतीं. और जब तक उन्हें पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है. जो महिलाएं घर और बाहर दोनों जगह काम करती हैं उन के अंदर आयरन की कमी बाकी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा पाई जाती है. क्योंकि कभीकभी उन्हें नाइट शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है. नाइट शिफ्ट में काम करने के बाद जब वे घर आती हैं तो दिन में भी घर का काम करना पड़ता है. इस कारण इन के शरीर को भरपूर मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता और शरीर कमजोर हो जाता है. महिलाएं सोचतीं हैं कि पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना आम बात है लेकिन ऐसा नहीं है. ज्यादा ब्लीडिंग के कारण महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है. ऐसे में अगर आप डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमैंट जैसे रुद्ब1शद्दद्गठ्ठ का प्रयोग करती हैं तो भी आप के अंदर आयरन की कमी नहीं होगी. इस के अलावा शाकाहारी महिलाओं में आयरन की कमी ज्यादा देखने को मिलती है. ऐसा नहीं है कि आयरन की कमी सिर्फ ज्यादा उम्र की महिलाओं में होती है या सिर्फ 40 से 50 उम्र की महिलाएं ही इस के लक्षण महसूस करती हैं. यंग महिलाएं भी थक जाती हैं और उन के अंदर भी आयरन की कमी हो सकती है.

आयरन की कमी को दूर करने के लिए इन चीजों को डाइट में करें शामिल

आयरन की कमी को दूर करने के लिए आप भी अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें जो इस के अच्छे स्रोत हैं. अपने खानपान में बदलाव ला कर भी आयरन की कमी को पूरा कर सकती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियां खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, यह आप ने न जाने कितनी बार सुना होगा लेकिन शायद ही इसे फौलो किया हो. तो अब इसे अपनी डाइट में शामिल करने का सही समय आ गया है. इसे खाने से आप को भरपूर मात्रा में आयरन मिलेगा. इस के अलावा बींस, मटर, इमली, फलियां, चुकंदर, ब्रोकली, टमाटर, मशरूम भी खाने चाहिए. इन में से कुछ चीजें तो हर सीजन में बाजार में आसानी से मिल जाती हें, तो इन का सेवन कर आप खुद को हैल्दी रख सकती हैं.

आयरन के अन्य स्रोत

आयरन की कमी को दूर करने के लिए फलों और सब्जियों के अलावा कुछ पदार्थ हैं जिन्हें डाइट में शामिल करने से आयरन की भरपाई शरीर में तेजी से होगी. जैसे चिकन, रैड मीट, काबुली चने, सोयाबीन और साबूत अनाज इत्यादि. साथ ही अंडे, ब्रैड, मूंगफली, टूना फिश, गुड़, कद्दू के बीज और पोहा खाने से आप के अंदर आयरन की कमी नहीं होगी.

कब करें आयरन सप्लिमैंट का सेवन

आयरन की मात्रा न कम होनी चाहिए न ज्यादा. अगर आप के शरीर में आयरन की कमी ज्यादा हो गई है तो आप को डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट जैसे लीवोजिन लेना चाहिए. साथ ही सप्लिमैंट के साइड इफैक्ट्स से बचने के लिए अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए.

आयरन की कमी से होगी यह परेशानी

महिलाएं सब से ज्यादा इस समस्या से जूझ रहीं हैं. भारत में हर तीन में से एक महिला इस की चपेट में है. अगर आप के शरीर में आयरन की कमी होगी तो थकान के साथ आप कई अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो सकती हैं. मसलन:

धड़कनों का तेज हो जाना

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो धड़कनें तेज हो जाती है क्योंकि, आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए दिल अधिक रक्त पंप करता है. इस कारण धड़कनें बढ़ जाती हैं. यही नहीं अगर आप के अंदर आयरन की कमी बहुत ज्यादा है तो हार्ट फेल होने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं.

एनीमिया

जिन महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी होती है वे जल्द ही एनीमिया की चपेट में आ जाती हैं. कारण है पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग और प्रैग्नैंसी. इस तरह की समस्या से बचने के लिए आयरन से भरपूर भोजन और सप्लिमैंट ले सकती हैं.

प्रैग्नैंसी में प्रौब्लम

जिन महिलाओं में प्रैग्नैंसी के समय आयरन की कमी होती है, उन के बच्चे पर इस का गहरा असर पड़ता है. उन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है. साथ ही समय के पहले ही डिलिवरी भी हो सकती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे आयरन सप्लिमैंट लेने के साथ खाने में भी ऐसी चीजों को शामिल करें जिन में आयरन की मात्रा भरपूर हो.

विटामिन सी है सहायक

अगर आप भी आयरन सप्लिमैंट लेती हैं तो इसे विटामिन सी के साथ लें. आप पहले विटामिन सी से भरपूर कोई फल या जूस पी लें. इस के बाद आयरन की सप्लिमैंट लें. ऐसा करने से आप का पेट ज्यादा ऐसिडिक हो जाएगा और ज्यादा से ज्यादा आयरन को अवशोषित करेगा. साथ ही आयरन सप्लिमैंट लेने के दौरान 1 घंटे पहले और बाद में चाय या कौफी का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये पेय पदार्थ शरीर में आयरन के अवशोषण की गति को धीमा कर देते हैं.

हैल्थ का आयरन कनैक्शन

महिलाओं की शारीरिक बनावट ऐसी है, जिस में उन्हें कई चक्रों से हो कर गुजरना पड़ता है. जैसे पीरियड्स, प्रैगनैंसी, फीडिंग आदि. साथ ही अगर जरूरी मिनरल्स न मिलें तो महिलाओं का शरीर कमजोर होता जाता है. क्योंकि, आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करता है और अगर आयरन की कमी हो जाए तो हीमोग्लोबिन ठीक से बन नहीं पाता है.

न करें इन बातों को इग्नोर

अकसर देखा जाता है कि महिलाएं अपनी हैल्थ को गंभीरता से नहीं लेतीं. छोटीछोटी बातों को इग्नोर कर देती हैं. अगर आप काम करते हुए थक जाती हैं या दफ्तर में अपने काम पर फोकस नहीं कर पातीं तो अपना ब्लड टैस्ट जरूर करवाएं. आयरन की कमी से आप का चेहरा पीला पड़ सकता है. क्योंकि हीमोग्लोबिन के कारण ही खून को लाल रंग मिलता है, जिस से आप के चेहरे पर निखार आता है और गुलाबी रंगत मिलती है. अगर आयरन हीमोग्लोबिन ही नहीं बनाएगा तो रंगत कहां से आएगी.

क्यों जरूरी है आयरन

शरीर में आयरन की कमी होने लगे तो कई बीमारियां घर करने लगती हैं. सब से पहले तो आयरन की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है और व्यक्ति एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो जाता है. हमारे शरीर में खून बनाने के लिए आयरन की जरूरत होती है. आयरन फेफड़ों और शरीर के बाकी हिस्सों में जरूरी आक्सीजन पहुंचाने का काम करता है. इस की कमी के कारण आप कई बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं. साथ ही आयरन आक्सीजन का उपयोग मांसपेशियों में करता है और उसे स्टोर करने का काम भी करता है ताकि आप का शरीर हैल्दी बना रहे.

ऐसे पहचानें आयरन की कमी

थकान: थोड़ा काम कर के अगर आप थक जाती हैं जैसे अगर आप सीढि़यां चढ़ रहीं हैं और थोड़ी ही देर में आप की सांस फूलने लगती है तो इस का मतलब आप के शरीर में आयरन की कमी हो सकती है. कई बार तो ऐसा होता है कि आप ने नींद पूरी की हो फिर भी आप को थकान महसूस होने लगती है, इस से जाहिर होता है कि आप के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो रही है. मतलब कि आप के शरीर में आयरन की कमी है.

पीरियड्स में असहनीय दर्द: अगर आप को मासिक चक्र के समय ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो आप के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है. इसलिए अगर आप को ऐसी समस्या है तो डाक्टर से जरूर मिलें और इस दौरान खाने में फल, सब्जी और दाल की मात्रा को बढ़ाएं.

सांस फूलना: अगर थोड़ाबहुत ही काम करते समय सांस फूलने लगे तो समझ लें कि आप के शरीर में अब आयरन की कमी होने लगी है. सामान्य तौर पर पुरूषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 13.5 से 17.5 और महिलाओं में 12.0 से 15.5 ग्राम प्रति डीएल होनी चाहिए. जबकि इस का आंकड़ा गर्भवती महिलाओं में 11 से 12 के बीच में ही रहता है.

धड़कनों का तेज होना: हीमोग्लोबिन शरीर में आक्सीजन को सही मात्रा में पहुंचाता है. लेकिन इस की जब कमी हो जाती है तो आक्सीजन दिल तक ठीक से पहुंच नहीं पाती जिस के कारण हमारी सांस फूलने लगती है और धड़कनें तेज हो जाती हैं.

टांगें हिलाना: अकसर हम देखते हैं कि कुछ महिलाएं अपनी टांगों को हिलाती रहती हैं. कुछ शोधों में सामने आया है कि जिन लोगों में आयरन की कमी होती है ऐसा करना उन की आदत होती है.

सिर दर्द: आक्सीजन का सिर्फ दिल ही नहीं दिमाग तक उचित मात्रा में पहुंचना भी जरूरी है. अगर आक्सीजन सही मात्रा में दिमाग तक नहीं पहुंचती है तो तेज सिर दर्द होता है जो किसी भी पेन किलर से जल्दी ठीक नहीं होता.

घबराहट होना: जब शरीर को आक्सजीन नहीं मिलती तो घबराहट होने लगती है. ऐसे में आयरन की गोलियां खानी चाहिए और संतरा लेना चाहिए. याद रहे विटामिन सी के बिना आयरन खून में अवशोषित नहीं होता.

प्रैगनैंसी में अजीब सी ललक: अकसर देखा जाता है कि जब महिलाएं प्रैगनैंट होती हैं तो अजीब सी चीजों की डिमांड करती हैं जैसे मिट्टी के बरतन खाना, आइस चबाना और चाक खाना. ऐसा शरीर में आयरन की कमी के कारण ही होता है.

बालों का झड़ना: महिलाएं अपने बालों को ले कर बहुत संजीदा रहती हैं. कोई भी महिला यह नहीं चाहेगी कि उसे बालों के झड़ने की समस्या हो. सभी महिलाएं चाहती हैं कि उन के बाल लंबे, घने, मुलायम और चमकदार रहें. लेकिन अगर शरीर में आयरन की कमी हो तो बालों के झड़ने की समस्या बढ़ जाती है. क्योंकि, ऐसे में शरीर को लगता है कि बाल और नाखून उतने जरूरी नहीं जितना दिल और दिमाग, और फिर प्राथमिकता के आधार पर वह काम करना शुरू कर देता है जिस से शरीर बाल और नाखून पर ध्यान देना बंद कर देता है.

अन्य लक्षण: आयरन की कमी के लक्षणों में कमजोरी और थकावट, चिड़चिड़ापन, आंखों के आगे अंधेरा, चक्कर, सिर दर्द, सांस लेने में समस्या, अनियमित पीरियड्स, बालों का झड़ना, नाखून का टूटना और चेहरे का पीला पड़ना आदि शामिल हैं.

आयरन की कमी को पूरा करने के उपाय

अगर आप के शरीर में आयरन की कमी का पता चले तो घबराएं नहीं. आप अपने डेली रूटीन में पौष्टिक और संतुलित भोजन को शामिल करें. साथ ही अपनी दिनचर्या भी संतुलित रखें. जरूरत पड़ने पर डाक्टर से संपर्क कर आयरन सप्लीमैंट जैसे लीवोजिन भी ले सकती हैं.

इस के साथसाथ अपनी डाइट में चोकरयुक्त आटा, मल्टीग्रेन आटा, चुकंदर, अनार, काबुली चना, अंकुरित अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, राजमा, संतरे का रस, सोयाबीन, हरी मूंग व मसूर दाल, सूखे मेवे, गुड़, अंगूर, अमरूद, अंडा और दूध, मेथी, रैड मीट, सरसों का साग, पालक, चौराई, मछली को शामिल करें.

गर्भावस्था में आयरन का महत्त्व

गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन लेना नियमित रूप से जरूरी है. अगर इस की कमी हुई तो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है. हीमोग्लोबिन की मात्रा भी घट जाती है जिस से मां और बच्चा दोनों को एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जब महिला प्रैगनैंट हो तो उसे पौष्टिक व आयरनयुक्त आहार दिया जाता है.

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