जुड़ सकता है टूटा दिल

कभी किसी के प्यार या बिछोह में दिल टूटता है, तो कभी कोई विश्वासघात कर दिल तोड़ जाता है. किसी बेहद करीबी व्यक्ति की अचानक मृत्यु की खबर भी दिल तोड़ जाती है.

दिल से जुड़ी कोई बुरी खबर जब भी अचानक मिलती है, तो दिल की मांसपेशियां कुछ देर के लिए शिथिल हो जाती हैं. अचानक कोई खुशखबरी मिलने पर भी ऐसा ही होता है. इस के लक्षण कुछकुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे मैडिकल की भाषा में ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ कहा जाता है. सीने, गरदन व बाएं हाथ में दर्द और सांस फूलना आदि इस के लक्षण होते हैं, लेकिन कई बार यह समझने में दिक्कत आती है कि समस्या क्या है.

डाक्टरों के अनुसार कई बार पेशैंट को हार्ट अटैक का केस मान कर लाया जाता है, लेकिन जब ईसीजी और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तो पता चलता है कि दिल का बायां हिस्सा काम नहीं कर रहा. जबकि न तो दिल की धमनी में कोई रुकावट है और न ही ब्लड सर्कुलेशन में प्रौब्लम. सिर्फ बाएं हिस्से की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं जोकि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की वजह से होता है.

दिल का टूटना फिल्मी बात लगती है, लेकिन यह सच है कि चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि दिल टूटता है. मैडिकल साइंस में इसे ‘ताकोत्सुबो कार्डियोपैथी’ कहते हैं. ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की शिकार 90% महिलाएं 50 से 70 वर्ष के बीच की होती हैं. डाक्टर के अनुसार महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ऐस्ट्रोजन हारमोन के स्तर में गिरावट आ जाती है. तब कोई अति दुखद और सुखद घटना घटने पर उन का ओटोनौमस नर्वस सिस्टम अधिक सक्रिय हो उठता है. इस से शरीर में बहुत अधिक मात्रा में स्ट्रैस हारमोन का स्राव हो उठता है और इसी के कारण हृदय की मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि पुरुषों का दिल पत्थर का होता है. अब वैज्ञानिक तौर पर यह बात साबित हो गई है कि पुरुषों के अंदर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मौजूद होता है. इस सिंड्रोम की मौजूदगी के चलते उन का दिल टूटने पर संभाले नहीं संभलता. पुरुषों में यह खतरा महिलाओं की तुलना में 6 गुना ज्यादा पाया गया है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता

ब्रिटिश शोधकर्ताओं के अनुसार पति या पत्नी की मृत्यु हो जाने पर 1 साल के भीतर उस के जीवनसाथी की भी मृत्यु हो जाने का खतरा बना रहता है, क्योंकि उस का दिल टूट जाता है. यह प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा पड़ता है, जिन की शादी को काफी लंबा वक्त हो चुका होता है. लेकिन एक अच्छी बात यह है कि वियोग के 1 साल बाद मौत का खतरा घट जाता है. जापान के शोधकर्ताओं ने ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का सब से पहली बार उल्लेख 1990 के शुरुआती दौर में किया था. प्रमुख शोधकर्ता डाक्टर रिचर्ड रेगनांटे ने कहा कि चोट खाए लोगों को संभालना और उन की पहचान करना हृदयरोग विशेषज्ञों और डाक्टरों के लिए मुश्किल हो सकता है. यह अध्ययन अमेरिकी जर्नल औफ कार्डियोलौजी में प्रकाशित हुआ है.

इस में यह भी कहा गया है कि टूटे दिल के लक्षण गरमियों और वसंत ऋतु में अधिक उभर कर सामने आते हैं, जबकि हृदयाघात अमूमन जाड़ों में होता है. इस अवस्था में रोगी को आईसीयू में कड़ी निगरानी में रखा जाता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि डाक्टर को पता हो कि यह ब्रोकन हार्ट का मामला है ताकि वह हृदयाघात के लिए उपचार शुरू न कर दे. ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. हृदय के बाएं हिस्से की मांसपेशियों में आई शिथिलता धीरेधीरे कुछ दिनों या कभीकभी कुछ सप्ताह में दूर हो जाती है. इस घटना के कारण मांसपेशी को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता.

क्या करें

कहा जाता है खुशी बांटने से बढ़ती है और दुख बांटने से कम होता है. अपनी भावनाएं किसी के साथ शेयर करें. इस से मन में हलकापन महसूस होता है. अगर मन किसी बात से दुखी है तो रो कर अपना मन हलका करें. दर्द का गुबार आंसू बन कर बह जाएगा. तनाव की स्थिति में शौपिंग पर निकल जाएं या दोस्तों और परिवार वालों के साथ ऐंजौय करें. अगर डिप्रैशन ज्यादा महसूस हो रहा हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें.

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प्यार की गरमाहट में न हो कमी

बड़े प्यार से 2 साथी मिल कर अपना जीवनसफर शुरू करते हैं. सब अच्छा चल रहा होता है. फिर भी कहीं न कहीं कुछ उदासी सी भरने लगती है. अगर मस्ती और दीवानगी जरा भी कम हो रही हो, तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे में घबराने की नहीं, थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है. सब से खास बात यह है कि बदलाव दोनों की तरफ से ही आता है, पर दोनों में से एक भी चौकन्ना रह कर प्रेम के इजहार में पीछे न रहे, कोई मौका न छोड़े. ऐसा करने से प्रेम की सरिता पुन: धाराप्रवाह बहने लगेगी. 1-2 दिनों के लिए कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है, ऐसा कर के मिठास को वापस लाया जा सकता है. खास अवसर की प्रतीक्षा किए बगैर कुछ अनूठा प्रयोग कर डालिए. कोई पसंदीदा डिश बनाइए या फिर साथी के पसंद के मित्रों को घर पर आमंत्रित कर लीजिए. सब कुछ नयानया लगने लगेगा. कोई छोटीमोटी शरारत भी गजब ढा सकती है. जैसे जानबूझ कर सब्जी में नमक न डालना, उन का जरूरी गैजेट खुद छिपाना, फिर खुद ही ढूंढ़ कर दे देना आदि. पुराना मजेदार किस्सा सुनाना भी बहुत असर करेगा. बस भावनाएं आहत न हों, इस का ध्यान रखना जरूरी है. साथी के पर्स या बैग में मस्ती भरी चिट्ठी लिख कर डाल दीजिए या फिर मजेदार एसएमएस कीजिए. बचपना भी बुरा नहीं है. संबंधों में ताजगी लाने के लिए यह दवा जैसा काम करेगा.

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