बावरी छोरीः आहाना कुमरा का शानदार अभिनय

रेटिंगः तीन स्टार

 निर्माताः अजय जी राय, मोहित छाबरा व सुदीप्तो सरकार

निर्देशकः अखिलेश जायसवाल

कलाकारः आहाना कुमरा, निक्की वालिया, रूमाना मोला, विक्रम कोचर, सागर आर्या, रालेन गूडी, दक्ष त्यागी, हेमंत पाटिल, सोहेला कपूर

अवधिः एक घंटा 22 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ

‘‘मस्तराम’’जैसी ईरोटिक फिल्म के निर्देशक अखिलेश जायसवाल ने रिश्तों की एक नई समझ को विकसित करने वाली फिल्म ‘बावरी छोरी’’लेकर आए हैं, जिसमें ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का‘ व ‘खुदा हाफिज‘जैसी कई फिल्मों और ‘सैंडविच फॉरएवर‘ जैसी कई वेब सीरीज में अपने अभिनय का प्रदर्शन कर शोहरत बटोर चुकी अदाकारा आहना कुमरा एक नए व जोशीले अवतार में हैं. इस फिल्म को ईरोज नाउ पर देखा जा सकता है.

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कहानीः

यह कहानी है पंजाब की राधिका(आहाना कुमरा)नामक एक आधुनिक नारी की,  जिसका पति अभिषेक (सागर आर्या)शादी के बाद राधिका के गहने आदि लेकर लंदन चला गया था. मगर चार वर्ष बीत गए और वह वापस नही आता है. चार वर्ष तक इंतजार करने के बाद अभिषेक के संपर्क में रहने वाले लोगों के पते लेकर राधिका अकेले ही लंदन पहुंचती है. उसका मकसद अभिषेक की तलाश कर उसके शरीर के छोटे छोटे टुकड़े कर उसका आचार बनाकर सुअर को खिला देना है. लंदन एअरपोर्ट पर राधिका को लेने राधिका का पुराना दोस्त आनंद(विक्रम कोचर )आता है, मगर राधिका उसके साथ नहीं जाती है. वह एक माल में जाकर लंबा चाकू खरीदकर अपने बैग में रखकर अभिषेक की तलाश में निकल पड़ती है. उसके साथ कई तरह की अजीबोरीब घटनाएं घटती हैं. उसका बैग भी चोरी हो जाता है. पर उसे  सरोज(निक्की वालिया)के घर में शरण मिलती है. पर उसे कुछ खास नही मिलता है. अचानक उसे अभिषेक का एक सुराग मिलता है, तो वह सरोज के घर से निकल पड़ती है. रास्ते में उसकी मुलाकात सदैव शराब में डूबी रहने वाली अकेली लड़की एना से होती हैं. एना(रूमाना मोला)उसे लेकर पहले अपनी नानी(सुहेला कपूर)के घर जाती है. पर कुछ देर में ही नानी की मौत हो जाती है. उसके बाद दोनों अखिलेष की खोज में निकल पड़ते हैं. अखिलेश मिलता है और पता चलता है कि उसकी पत्नी(रालेन गूडी)व लगभग दस वर्ष का बेटा(दक्ष त्यागी)है. तब वह उसके शरीर के टुकडे़ करने का इरादा त्याग कर राधिका उसे माफ कर देती है.

लेखन व निर्देशनः

इस फिल्म से अखिलेश जायसवाल ने साबित कर दिखाया कि वह एक बेहतरीन निर्देशक हैं. उन्हे मानवीय संवेदनाओं और नए मानवीय रिश्तों की अच्छी समझ है. कहानी काफी अच्छी चुनी है. इस कहानी के साथ आज की लड़कियां रिलेट भी कर सकती है. मगर इसकी पटकथा व लंदन में  राधिका की जो यात्रा है, वह कुछ गड़बड़ है. इस पर लेखक व निर्देशक ने ठीक से शोध कार्य नही किया है. कई जगह पर यह फिल्म कंगना रानौट की फिल्म ‘क्वीन’की नकल लगती है. कुछ दृश्य अति बनावटी नजर आते हैं. बीच बीच में निर्देशक भूल जाते हैं कि उनकी हीरोईन राधिका लंदन क्यों आयी है? रूमाना मोला के ऐना के किरदार को लेखक व निर्देशक सही ढंग से विकसित नही कर पाए. ऐना सिर्फ कैरीकेचर बनकर रह गयी है.

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अभिनयः

पूरी फिल्म आहाना कुमरा के ही कंधों पर है.  इस फिल्म में अपने उत्कृष्ट अभिनय से राधिका के किरदार को उकेर कर आहाना कुमरा ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर किसी भी किरदार को आत्मसात करने की क्षमता के साथ पूरी कहानी को अकेले ही आगे ले जाने में भी सक्षम हैं. उनके चेहरे पर सदैव जीवंतता नजर आती है. नानी के अति छोटे किरदार मे सोहेला कपूर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. ऐना के किरदार में रूमाना मोला भी आकर्षित करती हैं. विक्रम कोचर का अभिनय भी यादगार है. लंबे समय बाद अभिनय में वापसी करने वाली निक्की वालिया भी अपने अभिनय से मोह लेती हैं.

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