बदलती दिनचर्या, वातावरण, खानपान वगैरह के कारण हर्निया की बीमारी तेजी से फैल रही है. जब शरीर के किसी भाग में उभार आए, असहनीय दर्द हो और यह दर्द रुकरुक कर अचानक हो तो ये हर्निया के आम लक्षण हैं. सही समय पर इलाज न करवाने पर इस की गंभीरता बढ़ जाती है. इसलिए अगर आप को भी खुद में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं ताकि स्थिति गंभीर न हो.आइए, इस संबंध में विस्तार से जानते हैं ‘एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज’ के डाइरैक्टर सर्जन डा. वेद प्रकाश से:
क्या है हर्निया
हर्निया आमतौर पर तब होता है जब पेरिटोनियम जो मांसपेशियों से बनी दीवार होती है, उस में कमजोरी आ जाती है, जिस से पेट के अंदरूनी भाग अपने नियत स्थान पर न रह कर उभार के रूप में दिखने लगते हैं. यही स्थिति हर्निया कहलाती है.
कैसे–कैसे हर्नियाफीमोरल हर्निया: यह हर्निया आमतौर पर महिलाओं को होता है खासकर प्रैगनैंट व मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को. यह तब होता है जब आंत धमनी को ऊपर जांघ में ले जाने वाली नली में प्रवेश करती है.
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इसैंशियल हर्निया: इस प्रकार के हर्निया में पेट की सर्जरी होने वाले भाग की दीवार पर अधिक भार पड़ने से मांसपेशियों में बहुत अधिक खिंचाव आता है, जिस से वह भाग उभर जाता है.
नाभि हर्निया:
इस हर्निया में पेट की सब से कमजोर मांसपेशियां नाभि के माध्यम से उभार के रूप में प्रकट होती हैं. यह आमतौर पर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं और उन महिलाओं को होता है, जिन के बहुत बच्चे होते हैं, क्योंकि बारबार सर्जरी वगैरह के कारण उन की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.इंगुइनल हर्निया: इंगुइनल हर्निया में आंत या ब्लैडर पेट की दीवार के जरीए बाहर की तरफ उभरता है या फिर पेट और जांघ के बीच का भाग इंगुइनल नली में होता है. यह अकसर उस भाग में कमजोरी के कारण होता है.
महिलाएं सब से ज्यादा प्रभावित क्यों:
महिलाओं में ऐब्डौमिनल हर्निया बहुत आम है, क्योंकि प्रैगनैंसी के दौरान महिलाओं की ऐंटीरीअर ऐब्डौमिनल वौल मसल्स पर खिंचाव जो बढ़ता है. सर्जरी वाली जगह पर सब से ज्यादा हर्निया के विकसित होने के चांसेज होते हैं, क्योंकि उस जगह पर खिंचाव सब से अधिक पड़ता है. मोटापा महिलाओं में हर्निया का सब से बड़ा कारण है.स्टेजस औफ हर्निया
रिड्यूसिबल हर्निया:
इस में लेटने पर गांठ कई बार गायब हो जाती है, लेकिन खांसने, छींकने की स्थिति में दिखाई देती है. अगर गांठ का साइज बहुत बड़ा नहीं होता है तो इसे कंट्रोल या कम किया जा सकता है.
इररिड्यूसिबल हर्निया: इस में किसी भी स्थिति में गांठ दिखनी बंद नहीं होती है.
ओब्स्ट्रक्शन हर्निया: जब आंतों पर प्रैशर पड़ने के कारण वह फट जाए, जिस से मोशन में भी दिक्कत होती है तो उसे ओब्स्ट्रक्शन हर्निया कहते हैं. इस स्थिति में मरीज की तुरंत सर्जरी की जाती है.
स्ट्रैंग्युलेटेड हर्निया: जब आंत में रक्त की सप्लाई बंद हो जाती है तो ऐसी स्थिति को स्ट्रैंग्युलेटेड हर्निया कहते हैं. इस स्थिति में भी मरीज की तुरंत सर्जरी की जाती है.
कैसे होता है ट्रीटमैंट
अगर स्थिति कंट्रोल में है तब तो उसे दवा के जरीए कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन अगर हर्निया का साइज काफी बड़ा होने के साथसाथ काफी दर्द भी महसूस होता है तो सर्जरी की ही सलाह दी जाती है. सर्जरी 2 तरह से की जाती है-
लैप्रोस्कोपिक व ओपन सर्जरी.
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लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में हर्निया को ठीक करने के लिए छोटा सा कट दे कर छोटे से कैमरे व लघु निर्मित शल्य चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किया जाता है.ओपन सर्जरी में कट बड़ा होता है, जिसे ठीक होने में काफी समय लगता है. मरीज 1-2 हफ्ते तक सामान्य रूप से घूमने में असमर्थ होता है.
किन बातों का रखें ध्यान–
दवा समय पर खाएं ताकि रिकवरी जल्दी हो सके.- सर्जरी के बाद डाक्टर की सलाह पर ही बाथ लें.- सर्जनी के 5-6 दिनों बाद शौर्ट वौक करें ताकि पैरों में ब्लड क्लोर्ट्स न पड़े और ब्लड सर्कुलेशन सही हो.- भारी सामान न उठाएं- नियमित चैकअप करवाती रहें.- हैल्दी डाइट लेने के साथसाथ पानी भी खूब पीएं.
क्या हैं हर्निया के लक्षण
हम अकसर लापरवाही के कारण लक्षण दिखने पर भी उन्हें अनदेखा कर देते हैं, जो बाद में हमारे समक्ष गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं. इसलिए जब भी आप को ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डाक्टर से मिलें ताकि समय पर सही इलाज हो सके:- खांसने, छींकने या फिर सामान उठाने पर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस करना.- पेट में भारीपन महसूस करना.- उलटी व कब्ज की समस्या.- सूजन वाली जगह पर दर्द होना.