हिंदी: शर्म नहीं गर्व कीजिए

हिंदी मीडियम से भी लहराया जा सकता है परचम

ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो सरकारी स्कूलों में पढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं और नाम कमाते हैं. अरुण एस नायर एक ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और अपने दम पर डाक्टर और फिर यूपीएससी पास कर आईएएस अधिकारी बना. वह 55वीं रैंक ला कर आईएएस बने. वे केरल से संबंध रखते हैं. उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कीं.

महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस मनोज शर्मा की कहानी भी इस देश के हर युवा के लिए मिसाल है. 12वीं कक्षा फेल मनोज शर्मा की परिस्थिति ऐसी थी कि पढ़ाई जारी रखने के लिए औटो चलाया, भिखारियों के साथ सोया. उन्होंने गांव में शुरुआती पढ़ाईलिखाई हिंदी मीडियम से की थी, जिस की वजह से अंगरेजी बहुत कमजोर थी. हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले मनोज शर्मा से यूपीएससी के इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि आप को अंगरेजी नहीं आती तो फिर शासन कैसे चलाएंगे? मगर आज वे महाराष्ट्र के सफल और तेजतर्रार आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं.

उत्तराखंड के देहरादून शहर के एक परिवार की बेटी गुलिस्तां अंजुम ने सरकारी व हिंदी मीडियम स्कूलों से परहेज करने वाले तमाम लोगों की तब बोलती बंद कर दी जब उन्होंने उत्तराखंड न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की. उन्होंने 2017 में भी पीसीएस-जे की परीक्षा दी थी पर कुछ अंकों से रह गईं. लेकिन दूसररी बार फिर पूरी शिद्दत से परीक्षा की तैयारी की और सफल हुईं.

निशांत जैन ने सिविल सेवा परीक्षा 2014 में दी थी, जिस में उन्होंने 13वीं रैंक हासिल की थी. वे यूपीएससी परीक्षा में हिंदी के टौपर थे. निशांत बेहद साधारण बैकग्राउंड में पलेबढ़े. वे अपना खुद का खर्चा उठाने में यकीन रखते थे. ऐसे में उन्होंने 10वीं कक्षा के बाद कोई न कोई नौकरी करने का फैसला किया. एमए के बाद निशांत जैन ने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला लिया. उन की पोस्ट ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई थी. इसलिए उन्होंने यूपीएससी का सफर भी हिंदी मीडियम के साथ जारी रखने का प्लान बनाया. निशांत की हिंदी पर शुरू से ही कमांड रही. ऐसे में उन्होंने सोचा कि अगर यूपीएससी में भी अपने सवालों के जवाब प्रभावशाली तरीके से देने हैं तो हिंदी भाषा को ही मजबूत करना होगा. यूपीएससी 2014 की परीक्षा में उन्होंने 13 रैंक प्राप्त की. इस तरह एक हिंदी माध्यम का युवा आईएएस अफसर बन गया.

इसी तरह विस्थापित एक परिवार के बेटे अमन जुयाल ने सरकारी व हिंदी मीडियम स्कूलों से परहेज करने वाले तमाम लोगों को आईना दिखते हुए नीट व जीबी पंत विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के बाद एम्स एमबीबीएस प्रवेश रीक्षा में भी प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया.

‘‘कौ शिक मुझे नहीं लगता कि मैं इस इंटरव्यू में सफल हो पाऊंगा. सारे इंग्लिश मीडियम के कैंडिडेट्स भरे पड़े हैं जो फर्राटेदार इंग्लिश में बातें कर रहे हैं,’’ अमर ने थोड़ी घबराई हुई आवाज में कौशिक से कहा.

‘‘अगर तू ऐसा सोच रहा है तो मुझे यकीन है तू वाकई इंटरव्यू में फेल हो जाएगा,’’ कौशिक ने सहजता से जवाब दिया.

‘‘यह क्या यार तू तो मेरा मनोबल और गिरा रहा है.’’

‘‘तो क्या करूं, जब तूने खुद ही यह कहना शुरू कर दिया है कि तू सफल नहीं होगा तो यकीन मान कोई तुझे नहीं जिता सकता. अगर सफल होना है तो अपने मन और दिमाग को बता कि तुझे बस जीतना है. तब तुझे कोई नहीं हरा सकता. मगर जब पहले से ही तू घबराया हुआ अंदर जाएगा तो जाहिर है तुझ से छोटीछोटी गलतियां होंगी. तू याद की हुई बातें भी भूल जाएगा. इतना भ्रमित दिखेगा कि वे चाह कर भी तुझे अपौइंट नहीं कर पाएंगे. ऐसे में तू असफल होगा, मगर हिंदी मीडियम की वजह से नहीं बल्कि कौन्फिडैंस की कमी की वजह से,’’ कौशिक ने समझया.

‘‘सच यार तूने तो मेरी आंखें खोल दीं. अब देखना तेरा दोस्त कैसे जीत कर आता है,’’ अमर ने उत्साह से कहा. उस की आंखों में विश्वास भरी चमक खिल आई थी.

यह एक सच्चा वाकेआ है और अकसर हमारे आसपास हिंदी मीडियम में पढ़े ऐसे बहुत से अमर दिख जाएंगे जो जीतने के पहले ही हार जाते हैं, इंटरव्यू बोर्ड के सामने जाने से पहले ही असफल हो जाते हैं. दरअसल, वे घबरा जाते हैं और सब जानते हुए भी सही जवाब नहीं दे पाते. आत्मविश्वास की कमी की वजह से उन की जबान लड़खड़ाने लगती है. कई ऐसे भी मिलेंगे जो हिंदी मीडियम वाले होने के बावजूद इंग्लिश में जवाब देने का फैसला करते हैं ताकि सामने वालों पर अच्छा प्रभाव पड़े. मगर होता उलटा है. उन्हें इंग्लिश के सही शब्द नहीं मिल पाते और सब जानते हुए भी सैटिस्फैक्टरी रिस्पौंस नहीं दे पाते.

दरअसल, हिंदी मीडियम के युवाओं को हमेशा ऐसा लगता है कि इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले लोग बेहतर होते हैं. इस से उन के अंदर हीनभावना भर जाती है, आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है. लेकिन सच यह है कि कोई हिंदी भाषा में बेहतर होता है तो कोई इंग्लिश भाषा में. कोई फर्राटेदार अंगरेजी बोल लेता है तो कोई धाराप्रवाह हिंदी. भाषा तो दोनों ही हैं. जरूरत होती है सामने वाले के आगे अपनी बात सही तरह से प्रस्तुत करने की. माना कि किसी एक भाषा पर कमांड हासिल करना आवश्यक है, पर इस का मतलब यह तो नहीं कि हिंदी जानने वाले कमजोर हैं और इंग्लिश जानने वाले ज्ञानी हैं.

कुछ लोग यह सोचते हैं कि इंग्लिश मीडियम में पढ़ने से अच्छा रुतबा, कैरियर, ओहदा, पैसा और नौकरी मिलती है. पर ऐसे लोगों की कमी नहीं जिन्होंने भाषा को अहमियत न देते हुए कड़ी मेहनत से शोहरत के उस मुकाम को हासिल किया जहां तक पहुंचने की ज्यादातर लोग कल्पना भी नहीं कर पाते. इंसान के भीतर काबिलीयत होनी चाहिए, ज्ञान और आत्मविश्वास होना चाहिए. भले ही भाषा हिंदी ही क्यों न हो.

डिजिटल दुनिया में हिंदी सब से बड़ी भाषा

अगर हम आंकड़ों में हिंदी की बात करें तो 260 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है. 1 अरब, 30 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलने और समझने में सक्षम हैं. 2030 तक दुनिया का हर 5वां व्यक्ति हिंदी बोलेगा. सब से बड़ी बात यह कि जो कुछ साल पहले इंग्लिश इंटरनैट की सब से बड़ी भाषा थी अब हिंदी ने उसे बहुत पीछे छोड़ दिया है. गूगल सर्वेक्षण बताता है कि इंटरनैट पर डिजिटल दुनिया में हिंदी सब से बड़ी भाषा है.

हिंदी बोलने पर शर्म नहीं गर्व कीजिए

अगर आप इंग्लिश में कंफर्टेबल महसूस करते हैं तो आप इंग्लिश में ही बात करिए. इसे ही अपनी बातचीत की प्राथमिक भाषा रहने दीजिए. लेकिन जब कभी आप को हिंदी बोलने का मौका मिले या आप को इंग्लिश में बात करना न आता हो तो इस में शर्म न करें.

अब जरा भारत के कुछ नेताओं की ही बात कर लें. बहुत से नेता हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर के आए हैं. देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हों या वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के नीतीश कुमार हों, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव हों या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, ये सभी हिंदी मीडियम से पढ़ कर आए हैं पर देश की बागडोर संभाली. इन सभी नेताओं ने हर काम हिंदी भाषा में किया और हिंदी को ही तरजीह दी.

याद कीजिए 4 अक्तूबर, 1977 का वह दिन जब विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी पहुंचे थे. उन्होंने अपना भाषण हिंदी में दिया था. वैसे यह भाषण पहले इंग्लिश में लिखा गया था. लेकिन अटल ने उस का हिंदी अनुवाद पढ़ा था. उन के भाषण के बाद यूएन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. हिंदी की वजह से ही उन का यह भाषण ऐतिहासिक हो गया था.

इसी तरह मोदीजी भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर धाराप्रवाह हिंदी में भाषण देते हैं और विदेशी नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिला कर शिरकत करते हैं.

ज्ञान भाषा पर आधारित नहीं होता

कोई भी भाषा अपनी भावना व्यक्त करने का एक माध्यम भर है. यह किसी को अमीरगरीब नहीं बनाती. अरे यह तो आप के घर की भाषा है, आप के शहर और गांव की भाषा है. इसे बोलने में शर्म नहीं अपनापन महसूस होना चाहिए. हिंदी भाषा आप का स्टेटस छोटा नहीं दिखाती बल्कि आप के विद्वान होने का ऐलान करती है.

आप अपने आसपास नजर डालें तो यह महसूस करेंगे कि जो व्यक्ति इंग्लिश भाषा बोलने में सहज नहीं महसूस करता उसे कम पढ़ालिखा या कम समझदार माना जाता है. लेकिन याद रखें ज्ञान भाषा पर आधारित नहीं होता. ज्ञान तो आप की पढ़ाई, समझ और अनुभवों पर निर्भर करता है. हो सकता है कि कोई व्यक्ति इंग्लिश नहीं हिंदी में बोलता हो, लेकिन उस के पास बिजनैस, तकनीक या फिर किसी और क्षेत्र में ज्ञान का भंडार हो. यह भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति इंग्लिश न बोल पाता हो पर हिंदी भाषा में फिलौसफी से जुड़ी ऐसी बातों का रहस्य खोल सकता हो जो शायद देशविदेश के विद्वानों ने भी न खोला हो. किसी को उस की भाषा के आधार पर कम समझदार आंकना हमारी अपनी कमअक्ली को दर्शाता है.

हम ने इंग्लिश को हिंदी में इतना ज्यादा मिला दिया है कि शुद्ध हिंदी लिखना ही भूल गए हैं. हम आजकल हिंगलिश बोलने लगे हैं. यह न इंग्लिश है और न हिंदी. यह हर तरह से कमजोर लोगों की निशानी है. ऐसे लोग जिन्हें न खुद पर विश्वास है और न अपनी भाषा पर वे ही ऐसा जोड़तोड़ का रास्ता अपनाते हैं. इसी तरह आजकल व्हाट्सऐप पर ऐसी हिंदी लिखी जा रही है कि बेचारी हिंदी को ही शर्म आती होगी.

मातृभाषा की अहमियत समझें

याद रखें इंसान की कल्पनाशक्ति का विकास मातृभाषा में ही हो सकता है. हम जब इमोशनल या गुस्से में होते हैं तो हम मातृभाषा में ही बोलते हैं. जब धाराप्रवाह बोलने की जरूरत हो तो मातृभाषा में ही हम सहजता से बोल पाते हैं. जहां तक बात हिंदी की है तो इंग्लिश की तुलना में हिंदी इंसान को ज्यादा समृद्ध बना सकती है. हिंदी भारत में सब से ज्यादा बोली जाने वाली यानी राजभाषा है.

हमारे देश के 77% से ज्यादा लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं. हिंदी उन के कामकाज का भी हिस्सा है. इसलिए 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा घोषित किया और तब से संपूर्ण भारत में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है.

किसी भी राष्ट्र की पहचान उस की भाषा और संस्कृति से होती है. हमें दूसरों की भाषा सीखने का मौका मिले यह अच्छी बात है, लेकिन दूसरों की भाषा के चलते हमें अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो यह शर्म की बात है. हमें अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए.

शायद ही दुनिया में ‘हिंदी दिवस’ की तरह किसी और भाषा के नाम पर दिवस का आयोजन होती है क्योंकि पूरी दुनिया के लोगों को अपनी भाषा पर गर्व है. गर्व की बात है कि वे लोग सिर्फ बोलते ही नहीं बल्कि उसे व्यवहार में अपनाते भी हैं. लेकिन हम लोग हिंदी दिवस पर हिंदी हमारी मातृभाषा है, हमें हिंदी पर गर्व है जैसे रटेरटाए वाक्य बोल कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं. असलियत में हिंदी में बातचीत करने वालों को आज भी हेय दृष्टि से देखा जाता है. यदि कोई व्यक्ति 2-4 वाक्य फर्राटेदार अंगरेजी में बोलता है तो सब उसे बहुत होशियार समझते हैं.

आधुनिकता का भूत

हमारे यहां जब बच्चे का जन्म होता है तो घर के लोगों से हिंदी सुन कर बच्चा भी हिंदी बोलने और समझने लगता है. मगर आज की तथाकथित मौडर्न फैमिलीज में बच्चे को तुतलाना भी इंग्लिश में ही सिखाया जाता है. हर वक्त घर में पेरैंट्स उस के पीछे इंग्लिश के शब्द ले कर भागते रहते हैं ताकि गलती से भी वह हिंदी न सीख जाए. ऐसा लगता है जैसे हिंदी बोलने पर उस का भविष्य ही चौपट हो जाएगा.

जैसे ही बच्चे को स्कूल भेजने की बात आती हैं तो हिंदी मीडियम स्कूलों के हालात का रोना रोते हुए पेरैंट्स जल्दी से बच्चे को अंगरेजी स्कूल में भेजने के लिए हाथपैर मारने लगते हैं. इंग्लिश मीडियम वाले स्कूलों के बाहर इतनी लंबी लाइन रहती है कि लोग नर्सरी में एडमिशन के लिए भी लाखों खर्च करने से नहीं घबराते हैं. इतने रुपयों के सहारे इंग्लिश मीडियम में डाल कर वे बहुत खुश होते हैं. उन्हें लगता है जैसे बहुत बड़ी जंग जीत ली हो.

यहीं से बच्चे की रहीसही हिंदी भी कमजोर होने लगती है. यही वजह है कि इंग्लिश मीडियम में पढ़ालिखा नौजवान सब्जी वाले से हिसाबकिताब करते वक्त उन्यासी और नवासी का फर्क तक नहीं समझ पाता. आम बोलचाल के हिंदी के छोटेछोटे शब्द उस की समझ से परे होते हैं. भले ही अंगरेजी की तुलना में हिंदी इंसान को ज्यादा समृद्ध बना सकती है लेकिन जौब मार्केट में अंग्रेजी का दबदबा कायम होने की वजह से सब इंग्लिश के पीछे भागते हैं और जो नहीं भाग पाए वे खुद को बेकार समझते हैं. मगर हकीकत में बहुत से हिंदी मीडियम वाले ज्ञान के मामले में इंग्लिश मीडियम वालों से बहुत आगे रहते हैं. हिंदी भाषा में हर तरह की पाठ्यसामग्री या दूसरे विषयों पर जानकारी उपलब्ध है. इसलिए हिंदी भाषी होने की वजह से घबराना बेमानी है. हिंदी भाषा उच्च कोटि की भाषा है. इसे गंवारों की भाषा समझना बहुत बड़ी भूल है.

हिंदी में पढ़ कर छू ली बुलंदी

पेटीएम आज पूरे देश का सब से लोकप्रिय डिजिटल पेमैंट ऐप्लिकेशन बन चुका है. पर आप को जान कर आश्चर्य होगा कि पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर भारत के एक छोटे से शहर के बहुत ही साधारण परिवार से संबंधित हैं. उन्हें अंगरेजी का थोड़ा भी ज्ञान नहीं था परंतु इस के बावजूद इन्होंने पेटीएम जैसे ऐप्लिकेशन की खोज कर डाली.

इन्होंने एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल में दाखिला लिया था. पढ़ने में तेज होने के कारण अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई को मात्र 14 साल की उम्र में ही पूरा कर लिया था. पढ़ाई में तेज होने के कारण इन्हें दिल्ली कालेज औफ इंजीनियरिंग में दाखिला तो मिल गया था पर हिंदी मीडियम से अंगरेजी वातावरण में जाने के कारण पढ़ाई में बहुत दिक्कत आई. मगर इन्होंने हार नहीं मानी और अंगरेजी सीखने का प्रयत्न करते रहे. ये एक ही किताब को अंगरेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में खरीद लेते और फिर पढ़ने का प्रयास करते.

विजय शेखर शर्मा समय के अनुसार काम करते थे. उन्हें कब क्या करना है वे बखूबी जानते हैं. इसलिए जब स्मार्टफोन का प्रयोग बढ़ा और हर युवक के पास स्मार्टफोन पाया जाने लगा तो इन्होंने कैशलैस की सोची अर्थात मोबाइल से ही पैसे ट्रांसफर करना. ये पेटीएम यानी पे थ्र्रू मोबाइल के कांसैप्ट पर काम करना चाहते थे. मगर किसी ने इन का साथ नहीं दिया क्योंकि ये एकदम नया व्यापार था और बहुत मुश्किल लग रहा था.

फिर इन्होंने अपनी इक्विटी में से 1% यानी 2 मिलियन डौलर बेच कर पेटीएम की स्थापना की और आज पेटीएम की लोकप्रियता का कोई ठिकाना नहीं है. 2017 में इकौनोमिक टाइम्स द्वारा शेखर शर्मा को इंडिया के हौटैस्ट बिजनैस लीडर अंडर 40 के रूप में चुना.

विजय शेखर जैसे लोगों की जिंदगी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. हमें यह समझ आता है कि हिंदी या इंग्लिश माने नहीं रखता बल्कि आप की लगन, अलग सोच और कुछ करने का जज्बा सफलता के लिए जरूरी है.

‘फ्रेंडशिप डे’ पर अपने दोस्तों को दें ये ट्रेंडी गिफ्टस

दोस्ती हर किसी की लाइफ में एक अहम महत्व रखता है. माता-पिता के बिना जैसे लाइफ अधूरी होती है उसी तरह दोस्तों के साथ लाइफ के मजे लेना भी जरूरी है. इसीलिए साल में दोस्ती के लिए एक दिन मनाते हैं ‘फ्रेंडशिप डे’. इस दिन हर कोई अपनी लाइफ में मौजूद खास दोस्तों के लिए कुछ न कुछ करता है या गिफ्ट देता है, लेकिन दोस्त को गिफ्ट क्या दें ये भी जानना जरूरी हैं. लड़का हो या लड़की दोनों के लिए अलग-अलग गिफ्ट देना सही रहता है. आज हम आपको ट्रैंडी गिफ्ट्स के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप ‘फ्रेंडशिप डे’ पर अपने खास दोस्तों को देकर उनकी अपनी लाइफ में अहमियत के बारे में बता सकते है.

1. लड़कियों के लिए ज्वैलरी है खास

आजकल ज्वैलरी के मामले में लड़कियों को ट्रेंडी या हल्की ज्वैलरी पहनना ज्यादा पसंद आता है. अगर आप भी अपनी किसी लड़की दोस्त को कुछ गिफ्ट करना चाहते हैं तो ऐसी ज्वैलरी आपके लिए बेस्ट औप्शन रहेगा. हल्की होने की वजह से ये डेली लाइफस्टाइल में आसानी से पहना जा सकता है.

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2. परफ्यूम है ट्रेंडी गिफ्ट

डेली लाइफस्टाइल में आजकल लोगों को परफ्यूम की जरूरत ज्यादा पड़ती है. पार्टी हो या औफिस परफ्यूम लगाए बिना कोई नही निकलता. परफ्यूम एक ट्रेंडी गिफ्ट है जो लड़का हो या लड़की हर किसा को पसंद आता है.

3. लड़कियों को दें पर्स

 

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अगर आप अपनी किसी लड़की को कुछ ऐसा गिफ्ट देना चाहते हैं जो वह डेली इस्तेमाल करें तो बैग्स बेस्ट औप्शन रहेगा. ये ऐसा गिफ्ट है जिसे आपकी दोस्त रोजाना इस्तेमाल के साथ-साथ आपकी दोस्ती को याद रखेगी.

4. हेल्थ वौच रखेगा आपके दोस्त का ख्याल

 

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अगर आप भी अपने दोस्त की हेल्थ की फिक्र करते हैं तो हेल्थ वौच एक बेस्ट औप्शन है. हेल्थ वौच ट्रेंडी गिफ्ट है, जिससे आप अपने दोस्त के साथ जिंदगीभर बिना किसी बीमारी के बिता सकते हैं.

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5. ईयर फोन है बेस्ट औप्शन

आजकल हर कोई सफर हो या घर पर गाने सुनना हर किसी को पसंद आता है. इसीलिए हर किसी लाइफ में ईयरफोन जरूरी होता है. अगर आप भी अपने दोस्त को कुछ ट्रेंडी देना चाहते हैं तो ये गिफ्ट आपके लिए बेस्ट औप्शन होगा.

40 प्लस महिलाओं के लिए जरूरी हैं ये 6 टेस्ट

पुरुष हो या स्त्री सभी को अपने सेहत का ख्याल रखना चाहिए. पर देखा जाता है कि घर की जिम्मेदारियों में उलझ कर महिलाएं अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती. खास तौर पर जो महिलाएं 40 के पार की होती हैं, वो अपनी सेहत को ले कर काफी लापरवाह होती हैं. जबकि इसी दौरान जरूरी होता है कि आप अपने सेहत को ले कर ज्यादा सजग रहें. क्योंकि इस दौरान स्वास्थ्य की समस्याओं की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं. स्वास्थ्य के बारे में पता लगाने के लिए आपको समय रहते कुछ टेस्ट करवा लेनी चाहिए. ये टेस्ट आपके शरीर को स्वस्थ और हेल्दी रखने में मदद करती हैं और यदि किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो उसकी जानकारी भी दे देती है.

1. बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट

40 के बाद महिलाओं को ये टेस्ट कराते ही रहना चाहिए क्योंकि ये बीमारी हार्मोन एस्ट्रोजेन के घटते स्तर के कारण होती है. हड्डियों के सुरक्षा में हार्मोन एस्ट्रोजेन की भूमिका अहम होती है. इसलिए इस टेस्ट को कराते रहना जरूरी है.

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2. ब्लड प्रेशर

स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि समय समय पर आप बल्ड प्रेशर नापते रहें. ब्लड प्रेशर संबंधी परेशानी उम्र के किसी पड़ाव पर हो सकती है. सही डाइट, एक्सरसाइज और मेडिकेशन की मदद से आप अपने बल्ड प्रेशर को नियंत्रित रख सकती हैं.

3. थायरायड टेस्ट

आजकल महिलाओं में थायरायड की शिकायत तेज हुई है.  इसके कारण उनमें वजन का बढ़ना या घटना, बालों का झड़ना, नाखून के टूटने की शिकायत होती है. इसका कारण थायरायड है. यह ग्रंथि हार्मोन टी 3, टी 4 और टीएसएच को गुप्त करता है और शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होता है. इसलिए हर 5 सालों में आपको ये टेस्ट कराते रहना चाहिए.

4. ब्लड शुगर

असंतुलित आहार के कारण ब्लड शुगर का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि 40 की उम्र के बाद ब्लड शुगर टेस्ट कराया जाए. इसे हर साल करनाना चाहिए ताकि आप अपने ब्लड में शुगर की मात्रा से हमेशा अपडेट रह सकें.

5. पेल्विक टेस्ट

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा काफी अधिक रहता है. इस लिए जरूरी है कि 40 की उम्र के बाद आप स्त्री रोग विषेशज्ञ के संपर्क में रहें.

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6. लिपीड प्रोफाइल टेस्ट

ट्राइग्लिसराइड और बैड कोलेस्ट्रौन के स्तर की जांच के लिए ये टेस्ट जरूरी है. कोलेस्ट्रौल एक मोटा अणु है, जो उच्च स्तरों में उपस्थित होने से रक्त वाहिकाओं में जमा हो सकता है और आपके दिल, रक्त वाहिकाओं और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इसलिए हर 6 महीने पर इसकी जांच जरूर करवाएं.

क्यों खास हैं खिलौने

खिलौने बच्चों की सोचने की क्षमता बढ़ाने के साथसाथ उन्हें कुछ नया करने के लिए भी प्रेरित करते हैं. जानिए, कौनकौन से खिलौने कैसे हैं मददगार:

टैलीफोन गेम

बच्चा अपने खिलौने वाले टैलीफोन को अपने पास पा कर बेहद खुश होता है. उस के चेहरे की मुस्कुराहट से उस की खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह उस के लिए सिर्फ मनोरंजन का माध्यम ही नहीं, बल्कि वह इस के जरीए नंबर्स को पहचानने की भी कोशिश करता है और धीरेधीरे रिंग बजने का मतलब फोन उठाना और बात करना है, यह समझने लगता है. अपने खिलौने वाले फोन से झूठमूठ में अपने पेरैंट्स से बात करने की भी कोशिश करता है, जिस से उसे समझ आ जाता है कि फोन के माध्यम से वह किसी से भी बात कर सकता है.

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टी सैट

मां जब घर में मेहमानों के सामने चाय लाती है तो मां को ऐसा करता देख बच्चा भी यही सोचता है कि वह भी ऐसा कर पाता. ऐसे में टी सैट जहां बच्चों को नया खेल सिखाता हैं वहीं वे भी मां व घर के अन्य सदस्यों के लिए टी सैट में झूठमूठ की चाय बना कर परोसते हैं, जिस से खेलखेल में उन्हें मां के काम में हाथ बंटाना आता है.

मैडिकल किट

डाक्टरडाक्टर खेलना बच्चों को खूब पसंद आता हैं, क्योंकि जब उन के पेरैंट्स उन्हें बीमार होने पर डाक्टर के पास ले जाते हैं, तो डाक्टर उन का चैकअप कर के उन्हें दवा देने के साथसाथ इंजैक्शन भी लगाता है ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं. यह देख बच्चों के मन में भी ऐसा करने की इच्छा होती है. वे अपनी डौल को झूठमूठ में बीमार कर अपनी मैडिकल किट में से दवा देते हैं व इंजैक्शन लगाते हैं. वे इंजैक्शन लगाते समय यह भी एहसास कराने की कोशिश करते हैं कि इस से उसे दर्द नहीं होगा, बल्कि वह जल्दी ठीक हो जाएगी. यानी उन में इस के माध्यम से मैडिकल किट में रखी चीजों की समझ आ जाती है.

स्मार्टफोन

बच्चे कोई भी चीज जोरजबरदस्ती से सीखना पसंद नहीं करते, बल्कि वे अलग तरीके से सीखना चाहते हैं ताकि वे लर्न भी कर पाएं और उन्हें इस के साथसाथ फन भी मिले. ऐसे में वे स्मार्टफोन के जरीए नंबर्स के बारे में जानते हैं और उन में से निकलने वाली अलगअलग ध्वनि को भी पहचानने की कोशिश करते हैं, जो उन की कल्पनाशीलता को बढ़ाने का काम करती है.

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म्यूजिकल गेम्स

बच्चा जन्म के बाद सिर्फ मां के स्पर्श को पहचानता है, लेकिन धीरेधीरे परिवार के हर सदस्य के स्पर्श व उन की आवाजों को पहचानना शुरू कर देता है. ठीक ऐसे ही म्यूजिकल गेम्स से विभिन्न आवाजों की पहचान करना भी सीखता है. म्यूजिक सुन उस के चेहरे पर मुसकान आ जाती है. इस तरह खिलौने बच्चों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.

4 टिप्स: वौलपेपर के इस्तेमाल से सजाएं घर

घर को सजाना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन कैसे संजाएं ये बहुत मुश्किल काम लगता है. वही जब बात इंटीरियर की आती है, तो आप अपने घर को मौडर्न लुक में देखना पसंद करती हैं. पर अगर आप मौडर्न लुक देना चाहती हैं तो घर में कलर करवाने के बजाय आप वालपेपर लगवाएं तो यह घर की दीवारें को मौर्डर्न दिखाने के साथ खूबसूरत भी बनाएगा. आजकल वालपेपर काफी चलन में है और इसकी काफी डिमांड है. मार्केट में वालपेपर की ढेरों वैराइटी और रेंज मौजूद हैं. आइए, आपको बताते हैं वौलपेपर के इस्तेमाल के मौर्डर्न तरीकों के बारे में…

थीम के अकौर्डिंग चूज करें वौलपेपर

आजकल वालपेपर थीम के अकौर्डिंग इस्तेमाल हो रहा है. लोग हर कमरे को उसकी उपयोगिता और उसमें रहने वाले की पसंद के हिसाब से डिजाइन कर रहे हैं. ऐसे में दीवार कैसी हो, इस बात का पूरा खयाल रखना पड़ता है. अगर आप घर के कुछ हिस्सों को हाईलाइट करना चाहती हैं, तो सिर्फ उतनी ही जगह में वालपेपर लगवा सकती हैं. इससे वह कौर्नर या रूम डिफरैंट लगेगा. नए तरीके के वालपेपर को हाईलाइटर्स की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है.

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फोटोज की जगह वौलपेपर का है ट्रैंड

कुछ समय पहले तक दीवारें फोटोज से ही सजाई जाती थीं, लेकिन अब उन की जगह वालपेपर ने ले ली है. बच्चों के रूम के लिए टौम ऐंड जैरी, हैरी पौटर, बाइक्स और एनिमल प्रिंट का इस्तेमाल किया जाता है. इससे रूम खूबसूरत तो लगता ही है, बच्चों की क्रिएटिविटी भी बढ़ती है. युवाओं के कमरों के लिए फ्लोरल, टैक्सचर, स्टिकर्स, स्कैच, ट्राइएंगल और ऐब्सट्रैक्ट के साथ ही पिक्चर डिजाइन का वालपेपर सिलैक्ट कर सकती हैं. लड़कियां शिमर, फ्लोरल, रोज और ऐब्सट्रैक्ट वालपेपर ही पसंद करती हैं. कपल्स के लिए थीम बेस्ड, थ्री साइज वालपेपर के साथ डार्क शेड मिक्स ऐंड मैच किया जा सकता है. वालपेपर में आप मिक्स ऐंड मैच का फंडा अपना सकती हैं.

पार्टी या फंक्शन के हिसाब से रखें वौलपेपर

अगर आपके घर में कोई शादी या पार्टी  है तो आप गोल्डन या सिल्वर कलर का वालपेपर लगवा सकती हैं. इससे आपके घर का पूरा लुक पार्टीनुमा हो जाएगा. इसी तरह ब्राइड के रूम में भी रैड या पिंक कलर के वालपेपर में ग्लिटर व स्पार्कल का इस्तेमाल बैस्ट औप्शन रहेगा.

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वौटर प्रूफ वौलपेपर होगा आपके लिए बेस्ट

वालपेपर लगवाते समय अगर आपको लगता है कि आप उसे मेंटेन नहीं कर पाएंगी तो वाटरप्रूफ वालपेपर लगवाएं. इस की मैंटेनैंस पर खर्च भी बहुत कम आता है, क्योंकि यह वौशेबल होते हैं. अच्छी क्वालिटी का वालपेपर ही लगवाएं, क्योंकि यह 10 साल तक भी खराब नहीं होता.  घर में सीलन होने पर आप सोचेंगी कि वालपेपर लगाना मुश्किल होगा, लेकिन अब यह भी आसान हो गया है. इस में सब से पहले वाल को वाटरप्रूफ किया जाता है, फिर वालपेपर लगाया जाता हैं. अगर दीवार में बहुत नमी है, तो इंटीरियर डिजाइनर वहां पर वाटरपू्रफ प्लाईर् लगाने का सुझाव देते हैं. फिर उस प्लाई पर वालपेपर लगाया जाता है. बाजार में वालपेपर की रेडीमेड थीम्स भी मौजूद हैं. डैकोरेटिव पैटर्न, फैब्रिक बैक्ड विनाइल और नौन वुवन वालपेपर, जो नैचुरल फैब्रिक से तैयार होता है, मिल जाएगा.

बौडी पेन अब नहीं

बहन की शादी सिर पर और स्नेहा की कमर में अचानक दर्द उठ गया जिस से वह परेशान हो गई, क्योंकि एक तो वह दर्द से परेशान थी और दूसरा वह शादी जिस का उसे काफी समय से इंतजार था उसे भी ऐंजौय नहीं कर पा रही थी.

ऐसा सिर्फ स्नेहा के साथ ही नहीं बल्कि आज अधिकांश लोग बौडी पेन से परेशान हैं, क्योंकि वे आज की भागदौड़ भरी लाइफ में खुद की हैल्थ पर ध्यान जो नहीं दे रहे हैं और हलकाफुलका दर्द होने पर उसे इग्नोर कर देते हैं जिस से स्थिति और भयावह हो जाती है. ऐसी स्थिति में तुरंत रिलीफ के लिए जरूरी है हीट थेरैपी का इस्तेमाल करने की और उस के लिए डीप हीट रब पेन रिलीफ बैस्ट है.

1. जानें पेन के कारण:

आज के प्रतिस्पर्धा वाले समय में एकदूसरे से आगे निकलने की दौड़ में हम स्ट्रैस में अधिक रहने लगे हैं जिस से कम सोने के कारण हर समय थकेथके से रहते हैं जो मसल पेन का कारण बनता है.

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लेकिन कहते हैं न कि जब प्रौब्लम आती है तो उस का हल भी होता है और ऐसे में डीप हीट रब मिनटों में आप को हर तरह के बौडी पेन से रिलीफ पहुंचाने का काम करता है.

आप को बता दें कि डीप हीट  60 सालों से अधिक समय से खुद को साबित कर रहा है. यहां तक कि यह यूके का नं. 1 पेन रिलीफ ब्रैंड बन चुका है, जिस से आप इस की गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं.

2. कैसे करता है कार्य

‘डीप हीट रब’ हीट थैरेपी में मौजूद मिथाइल सैलिसिलेट (जो प्रोस्टाग्लैनडाइंस के उत्पादन को कम करता है जो जलन और दर्द का कारण बनता है) और मैंथोल जैसे तत्व दर्द से राहत पहुंचाने के साथसाथ सूजन को भी कम करते हैं. यह प्रभावित जगहों के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक कर हीलिंग प्रक्रिया में वृद्घि करने का काम करते हैं.

3. लगाना भी आसान

इसे लगाने में भी ज्यादा झंझट नहीं होता. बस प्रभावित जगह पर लगा कर छोड़ दें. लगाने के थोड़ी देर बाद आप खुद आराम महसूस करेंगी. आप इसे दिन में कई बार लगा सकते हैं.

4. सिर्फ यही क्यों

भले ही आज मार्केट में ढेरों पेन रिलीफ हों लेकिन जो बात डीप हीट पेन रिलीफ में है उस का जवाब नहीं. यह जोड़ों का दर्द, मोच और तनाव, मांसपेशी में दर्द, कमर के निचले भाग में दर्द की जड़ पर तुरंत असर कर आप को आराम पहुंचाने का काम करता है. क्योंकि इस में 5 आयुर्वेदिक औयल जो मिले हुए हैं. साथ ही यह चिपचिपा नहीं है जिस से कपड़ों पर दाग लगने की टैंशन भी नहीं है. साथ ही यह मसल्स में अंदर तक जा कर तुरंत आराम पहुंचाने का काम करता है. तो फिर अब दर्द को सहना नहीं, बल्कि डीप हीट से उसे आउट करना है.

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गरमी में फैशन न हो डाउन…

चिलचिलाती धूप, ये गरम हवाएं और ये गरमीअक्सर ही महिलाओं को मेकअप न करने और फैशन न करने पर मजबूर कर देती हैं. लड़कियां हमेशा सुन्दर और अलग दिखना चाहती हैं. गरमी में खुद को कैसे सुन्दर दिखाएं इस बात की सबसे ज्यादा टेंशन होती है उनको. लेकिन अब हम आपको बताएंगे कुछ टिप्स की इस भीषण गरमी में भी न हो आपका फैशन डाउन…..

पोनी टेल करें ट्राय

गरमी के मौसम में जितना हो बालों में जूड़ा बना कर रखें ऐसा नहीं है की आप सादा जूड़ा ही बनाए कई नए तरीके आ गए हैं स्टाइलिश जूड़ा बनाने के. आप चाहें तो हाई पोनी टेल भी कर सकती हैं. हाई पफ जूड़ा या हाई नार्मल जूड़ा भी आपके बालों के फैशन में चार चांद लगा देगा.

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लाइट मेकअप है ट्रेंडी

 

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Thrilled to be on board as the face of @boat.nirvana ?? I am a #boAthead! Lots of exciting stuff coming up #BoatxKiaraAdvani

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गरमी में जितना हो सके लाइट मेकअप करें ज्यादा डार्क मेकअप गरमियों में नहीं करना चाहिए. यदि संभव हो तो  लाइनर और लिप्सटिक का प्रयोग करें.वाटरप्रूफ मेकअप करें. लाइनर जितना पतला होगा उतना ही सुन्दर दिखेगा. नेल पेंट हल्के रंग के ही इस्तेमाल करें.

लाइट कलर गरमी के लिए रहेगा परफेक्ट

 

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कोशिश करें की कपड़े जितना हो सके हल्के रंग के पहने और हल्के भी हों. जीन्स अगर गरमी में कम पहने तो ज्यादा अच्छा रहेगा. जितना हो सके कौटन फैब्रिक और चिकन की कुर्तियां पहनें, बहुत चलन है इसका. आजकल फ्रौक की तरह दिखने वाली कुरती भी खूब चलन में हैं जो बिल्कुल अलग लुक देती हैं साथ जंप सूट का भी फैशन आजकल खूब चला है. आजकल प्रिंटेड कपड़ो का खूब चलन हैं, ज्यादातर युवतियां हल्के प्रिंटेड वाले कपड़े पहनती हैं. गरमी में शार्ट्स का खूब चलन है.. ये जितने आरामदायक होते हैं उतने ही ट्रेंडी भी होते हैं. जितना नेचुरल फेबरिक होगा उतना ही आपको आराम रहेगा… शार्ट स्कर्ट भी वियर कर सकते हैं जो क्लासी लुक देने के साथ ही आरामदायक भी होते हैं. भड़कीले रंग के कपड़ों को अवौयड करें.

ज्वैलरी का रखें खास ख्याल

अगर ज्वैलरी की बात करें तो जितना हो सके ज्वेलरी कम कैरी करें. इयरिंग्स छोटे पहनें, हांथों में एक नार्मल रिंग और घड़ी पहनें जो आपको ग्लैमरस लुक देगा. आजकल मार्केट में गरमी के हिसाब से बहुत से नए एक्सेसरीज आ जाते हैं जो ग्लैमरस दिखने में मददगार होते हैं.

हैट्स का है फैशन

 

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कई तरह के हैट मार्केट में आ जाते हैं जो फैशनेबल होने के साथ-साथ आपको इस चिलचिलाती धूप से भी बचाते हैं. अपनी ड्रेस से मैच करता हुआ हैट आप लगा सकती हैं.

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स्कार्फ ट्राय करना न भूलें

 

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?gelato date with the youngest sister ?‍??

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कई बार नए और सुंदर दिखने वाले स्कार्फ भी मार्केट में मिलते हैं जो फैशनेबल और ग्लैमरस लुक देते हैं. इसको आप गले में अलग-अलग तरीके से कैरी कर सकती हैं.

सनग्लासेस रहेगा परफेक्ट औप्शन

 

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कई तरह के चश्में मार्केट में उपल्बध होते हैं जिनकों वियर करने पर ग्लैमरेस के साथ-साथ आपकी आंखों की सुरक्षा भी होती है.इसमें आपर क्लासी दिख सकती हैं.

फुटवियर का रखें ध्यान

 

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ड्रेस से मैच करते हुए नए-नए तरीके के फुटवियर भी आपके लुक और सेक्सी बना देते हैं. हर मौसम में हर साल ट्रेंड के हिसाब से नए फुटवियर मार्केट में उपलब्ध होते हैं.

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हैंड बैग भी करें ट्राय

 

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Sweater weather is here! #AlmostDecember ❄️ picture credits @voompla

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नए-नए हैंड बैग भी आजकल खूब चलन में हैं जिसको लेने पर आपका लुक ग्लैमरस हो जाता है और लोगों को देखने में भी अच्छा लगता है. साथ ही क्लासी लुक भी देता है.

4 टिप्स: गरमी में ऐसे रखें अपने फ्रिज को हाइजीन फ्री

डेली भागदौड़ भरी लाइफ में सुबह-सुबह झाडू पोछा करने के अलावा हेल्थ की दृष्टि से हाइजीनिक का ख्याल रखना भी जरूरी होता है.  हाइजीनिक होम यानी वह घर जहां घर की खूबसूरती के साथ-साथ उस के बैक्टीरिया फ्री होने की जरूरत को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता हो और हाइजीन होम में फ्रिज भी एक ऐसी चीज है, जिसकी सफाई गरमी में सबसे ज्यादा जरूरी होती है. वैसे तो आज ज्यादातर घरों में फ्रौस्टफ्री फ्रिज ही रखे जाते हैं, लेकिन फ्रिज के कई नए-पुराने मौडल्स आज भी ऐसे हैं, जिन्हें समय-समय पर डीफ्रौस्ट करने की जरूरत महसूस की जाती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे, जिससे आप फ्रिज की सफाई के साथ-साथ हाइजीन का ख्याल भी रख पाएंगे.

1. डीफ्रौस्ट क्यों है जरूरी

कई नौन फ्रौस्टफ्री रैफ्रिजरेटर्स ऐसे हैं, जिन्हें कुछ दिनों तक औन रखने के बाद फ्रीजर एरिया में बर्फ का ढेर लग जाता है. ऐसे रैफ्रिजरेटर्स को यदि समय रहते डीफ्रौस्ट न कर लिया जाए, तो फ्रीजर में जमी बर्फ जल्दी ही फ्रिज एरिया में भी बर्फ का ढेर लगा देती है, जिस से फ्रिज को नुकसान पहुंच सकता है.

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-ऐसे रैफ्रिजरेटर्स को हफ्ते में कम से कम 1 बार डीफ्रौस्ट अवश्य करना चाहिए. समय पर यदि इसे डीफ्रौस्ट न किया जाए, तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. जैसे: द्य यदि पूरे फ्रिज में बर्फ जम गई तो उस के प्लास्टिक या अन्य पार्ट्स क्रैक हो सकते हैं.

-अगर आपके पास समय कम हो और फ्रिज की जल्दी सफाई करनी हो तो पहले उस में रखी खानेपीने की चीजें और ट्रे, आइसक्यूब टे्र, बौक्स व शैल्फ वगैरह पार्ट्स निकाल कर सुरक्षित रख दें. बर्फ जल्दी पिघलाने के लिए फ्रिज का दरवाजा खुला छोड़ सकते हैं. इससे बाहर की गरम हवा अंदर पहुंच कर उसे जल्दी डीफ्रौस्ट करने में मदद करेगी.

2. डिफ्रोस्ट के बाद हाइजीन का भी रखें ध्यान

-पूरी तरह से बर्फ के पिघल जाने के बाद आप फ्रिज की सफाई शुरू कर दें. फ्रिज के अंदर के भाग की सफाई के लिए आप किसी भी तरह का हार्ड या अमोनियाबेस्ड उत्पाद का इस्तेमाल न करें.

1 बाल्टी ठंडा पानी ले कर उस में बेकिंग सोडा और माइल्ड साबुन मिला लें. अब इसमें स्पंज डाल कर उस से फ्रिज व उस के सभी पार्ट्स की अच्छी तरह सफाई कर लें.

-आप चाहें तो सिंक या किसी बड़े बरतन में गरम पानी भर कर उस में डिटर्जेंट पाउडर मिला लें और एक ही बार में सारे पार्ट्स साफ कर लें. अब पानी से फ्रिज साफ कर लें ताकि डिटर्जेंट अच्छी तरह से निकल जाए. इस के बाद साफ कपड़े या पेपर टौवल से फ्रिज साफ कर 1 घंटे के लिए उस का दरवाजा खुला छोड़ दें ताकि फ्रिज अच्छी तरह सूख जाए. 1 घंटे बाद फ्रिज में सारा सामान वापस रख कर टैंपरेचर रीसेट कर दें. लीजिए, फ्रिज डीफ्रौस्ट भी हो गया और क्लीन भी.

3. डिफ्रोस्ट के बाद बदबू दूर रखने के लिए करें ये काम

-बदबू को दूर करने के लिए आप बेकिंग सोडा के सहित डिटर्जेंट वाले पानी में वैनिला एक्सट्रैक्ट भी मिला सकती हैं. आप चाहें तो कुछ समय के लिए फ्रिज में कौफी भी रख सकती हैं. इस से भी बदबू दूर हो जाएगी.

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-कौटन बौल या स्पंज में नीबू के रस की कुछ बूंदें डाल कर कुछ घंटों के लिए उसे फ्रिज में ही रहने दें. बदबू गायब हो जाएगी.

-इन दिनों बिजली की समस्या हर जगह बढ़ रही है. कई बार ऐसा होता है कि देर तक लाइट न आने की वजह से फ्रिज में रखे खाद्यपदार्थ से बदबू आने लगती है. इस बदबू को दूर करने के लिए आप टोमैटो जूस की मदद ले सकते हैं.

– ध्यान रहे कि इस जूस को तैयार करते हुए पानी का इस्तेमाल बिलकुल भी न किया गया हो. साफ कपड़े या स्पंज को इस टोमैटो जूस में डाल कर फ्रिज के अंदर के भाग को अच्छी तरह से साफ कर दें. अब एक बार फिर से डिटर्जेंट मिले गरम पानी से फ्रिज साफ कर के उसे सुखा लें.

-टोमैटो जूस की जगह यह बदबू दूर करने के लिए आप वेनेगर यानी सिरका भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

– फ्रैश मिंट यानी पुदीना का इस्तेमाल खाने से ले कर घर को खुशबू से महकाने तक के लिए किया जाता है. आप चाहें तो इसे फ्रिज महकाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. फ्रिज की सफाई के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान

कुछ ऐसे भी बैक्टीरिया हैं, जो खाने को दूषित तो करते हैं, लेकिन हमें बीमार नहीं बनाते. ऐसे बैक्टीरिया का प्रभाव सबसे ज्यादा फलों और सब्जियों पर रहता है. सेब पर इस का असर होते ही सेब मुलायम होने और सिकुड़ने लगता है जबकि गाजर सूखी और रंगहीन होने लगती है. ऐसे सेब, गाजर व अन्य फल ज्यादा दिनों तक फ्रिज में रखने की वजह से देखने में बेशक अच्छे न लग रहे हों, लेकिन उन्हें खाने से नुकसान नहीं होता. खाने की चीजों पर बैक्टीरिया के प्रभावों को रोकने के लिए निम्न बातें जरूरी हैं:

– खरीदारी के समय ध्यान रखें कि आप कीड़ेमकौड़े या दाग लगे हुए फल या सब्जियां तो नहीं खरीद रहे.

– फल व सब्जियां अच्छी क्वालिटी की ही खरीदें ताकि फ्रिज में उन्हें सहेजना आसान रहे.

– यदि अच्छी क्वालिटी की चीजें न मिल पा रही हों तो बेहतर होगा कि आप फ्रोजन फल व सब्जियां खरीद लें.

– ध्यान रखें कि फ्रिज में रखा गया कोई सामान खराब तो नहीं हो रहा. यदि ऐसा है तो तुरंत उसे निकाल फेंकें.

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– हफ्ते में 1 बार फ्रिज की सफाई अवश्य करें.

– फ्रिज में भी फल व सब्जियों को हफ्ते भर से ज्यादा न रखें.

– फ्रिज को कीड़ेमकोड़ों से सुरक्षित रखने के लिए फलों, सब्जियों और मीट के लिए अलग-अलग जगह तय कर दें और उन्हें वहीं रखें.

– मीट और सब्जियां काटने के लिए अलगअलग कटिंग बोर्ड्स व बरतन रखें. हर बार इस्तेमाल करने के बाद उन्हें साफ करना न भूलें.

– लकड़ी के बोर्ड्स का प्रयोग न करें.

– छिलकों को खाने में यूज करें या न करें, लेकिन स्क्रब ब्रश से फलों व सब्जियों की अच्छी तरह सफाई जरूर कर लें.

– घर से बाहर यदि आप सलाद ले रहे हैं तो बेहतर होगा कि उन्हें पानी से साफ कर लें, चाहे उस पर धुला हुआ ही क्यों न लिखा हो.

– खाने की कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें जब हम खरीद कर लाते हैं और तभी से उन में बैक्टीरिया के कुछ अंश होते हैं. इन में रौ मीट, फै्रश फिश, सी फूड सहित कुछ सब्जियां भी हैं. ऐसी चीजों को अधिक से अधिक तापमान पर अच्छी तरह पकाने के बाद ही उन के बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है.

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इन टिप्स को यूज करके आसानी से करें फर्नीचर की सफाई

गरमी हो चाहे सरदी घर की क्लीनिंग जरूरी होती है. दीवारों पर पेंटिंग के साथ ही लोग घर के फर्नीचर की सफाई कर उसे ब्रैंड न्यू लुक देने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस कोशिश में वे अकसर अपने फर्नीचर की सूरत बिगाड़ देते हैं. वहीं अगर फर्नीचर की सही तरीके से सफाई की जाए तो यह आपके घर को एक नया लुक देने का काम करते हैं. इसीलिए आज हम आपको कैसे घर के फर्नीचर की क्लीनिंग करें और साथ ही कैसे घर को नया लुक दें…

1. लैदर फर्नीचर को इस तरह चमकाएं

लैदर फर्नीचर दिखने में जितना अच्छा लगता है, उस की देखभाल करना उतना ही कठिन होता है. खास बात यह है कि लैदर फर्नीचर की उचित देखभाल न करने से वह जगहजगह से क्रैक हो जाता है.

फर्नीचर पर किसी तरह का तरल पदार्थ गिर जाए तो उसे तुरंत साफ कर दें क्योंकि लैदर पर किसी भी चीज का दाग चढ़ते देर नहीं लगती. यहां तक कि पानी की 2 बूंद से भी लैदर पर सफेद निशान बन जाते हैं. फर्नीचर को किसी भी तरह के तेल के संपर्क में न आने दें, क्योंकि इस से फर्नीचर की चमक तो खत्म होती ही है, साथ ही उस में दरारें भी पड़ने लगती हैं.

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फर्नीचर की रोज डस्टिंग करें जिस से वह लंबे समय तक सहीसलामत रहे. फर्नीचर को सूर्य की रोशनी और एअरकंडीशनर से दूर रखें. इस से फर्नीचर फेडिंग और क्रैकिंग से बचा रहेगा. फर्नीचर को कभी भी बेबी वाइप्स से साफ न करें, इस से उस की चमक चली जाती है.

2. वुडन फर्नीचर की सफाई में न करें लापरवाही

वुडन फर्नीचर की साफ-सफाई में अकसर लोग लापरवाही बरतते हैं जिस से वह खराब हो जाता है. ध्यान से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई सी चमक आ जाती है. महीने में एक बार अगर नीबू के रस से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई चमक आ जाती है. पुराने फर्नीचर को आप मिनरल औयल से पेंट कर के भी नया बना सकते हैं और अगर चाहें तो पानी में हलका सा बरतन धोने वाला साबुन मिला कर उस से फर्नीचर को साफ कर सकते हैं.

लकड़ी के फर्नीचर में अकसर वैक्स जम जाता है जिसे साफ करने के लिए सब से अच्छा विकल्प है कि उसे स्टील के स्क्रबर से रगड़ें और मुलायम कपड़े से पोंछ दें. कई बार बच्चे लकड़ी पर के्रयोन कलर्स लगा देते हैं. इन रंगों का वैक्स तो स्टील के स्क्रबर से रगड़ने से मिट जाता है लेकिन रंग नहीं जाता. ऐसे में बाजार में उपलब्ध ड्राई लौंडरी स्टार्च को पानी में मिला कर पेंटब्रश से दाग लगे हुए स्थान पर लगाएं और सूखने के बाद गीले कपड़े से पोंछ दें.

3. माइक्रोफाइबर फर्नीचर की सफाई से पहले पढ़ें नियम

माइक्रोफाइबर फर्नीचर को साफ करने से पहले उस पर लगे देखभाल के नियमों के टैग को देखना बेहद जरूरी है. क्योंकि कुछ टैग्स पर डब्लू लिखा होता है. यदि टैग पर डब्लू लिखा है तो इस का मतलब है कि उसे पानी से साफ किया जा सकता है और जिस पर नहीं लिखा है उस का मतलब है कि अगर फर्नीचर को पानी से धोया गया तो उस पर पानी का दाग पड़ सकता है. सब से सौफ्ट ब्रश से माइक्रोफाइबर फर्नीचर की पहले डस्ंिटग करें.

इस के बाद ठंडे पानी में साबुन घोलें और तौलिए से फर्नीचर की सफाई करें. ध्यान रखें कि तौलिए को अच्छे से निचोड़ कर ही फर्नीचर की सफाई करें ताकि ज्यादा पानी से फर्नीचर गीला न हो. तौलिए से पोंछने के बाद तुरंत साफ किए गए स्थान को हेयरड्रायर से सुखा दें.सुखाने के बाद उस स्थान पर हलका ब्रश चलाएं ताकि वह पहली जैसी स्थिति में आ सके.बेकिंग सोडा में पानी मिला कर गाढ़ा सा घोल बना लें. अब इस घोल को दाग लगे हुए स्थान पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर उसे हलके से पोंछ दें.फर्नीचर पर लगे दाग को पानी से साफ करने के स्थान पर बेबी वाइप्स से साफ करें. ध्यान रखें कि दाग लगे स्थान को ज्यादा रगड़ें नहीं.

यदि फर्नीचर पर ग्रीस जैसा जिद्दी दाग लग जाए तो उसे हटाने के लिए बरतन धोने वाला साबुन और पानी का घोल बनाएं और दाग वाले स्थान पर स्प्रे करें. कुछ देर बाद गीले कपडे़ से उस स्थान को पोंछ दें.

4. प्लास्टिक फर्नीचर भी सजा सकता है आपका घर

अक्सर देखा गया है कि जब बात प्लास्टिक के फर्नीचर को साफ करने की आती है तो उसे या तो स्टोररूम का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर कबाड़ में बेच दिया जाता है. लेकिन वास्तव में अगर प्लास्टिक के फर्नीचर की सही तरह से सफाई की जाए तो उसे भी चमकाया जा सकता है. ब्लीच और पानी बराबरबराबर मिला कर एक बोतल में भर लें और फर्नीचर पर लगे दागों पर स्प्रे करें. स्प्रे करने के बाद फर्नीचर को 5 से 10 मिनट के लिए धूप में रख दें.

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ट्यूब और टाइल क्लीनर से भी प्लास्टिक का फर्नीचर चमकाया जा सकता है. इस के लिए ज्यादा कुछ नहीं, बस दाग लगी जगह पर स्प्रे कर के 5 मिनट बाद पानी से धो दें. दाग साफ हो जाएंगे.

बरतन धोने वाला डिटरजैंट भी प्लास्टिक के फर्नीचर में लगे दाग को छुड़ाने में सहायक होता है. इस के लिए 1:4 के अनुपात में डिटरजैंट और पानी का घोल बना लें. इस घोल को फर्नीचर पर स्प्रे कर के 5 से 10 मिनट के लिए छोड़ दें. इस के बाद कपड़े से फर्नीचर को पोंछें. नई चमक आ जाएगी.

प्लास्टिक पर लगे हलके दागों को बेकिंग सोडा से भी धोया जा सकता है. इस के लिए स्पंज को बेकिंग सोडा में डिप कर के दाग वाली जगह पर गोलाई में रगड़ें. दाग हलका हो जाएगा.

नौन जैल टूथपेस्ट से प्लास्टिक फर्नीचर पर पड़े स्क्रैच मार्क्स हटाए जा सकते हैं.

यह सच है कि घर की रंगाई-पुताई तब तक अधूरी ही लगती है जब तक घर के फर्नीचर साफसुथरे न दिखें. उपरोक्त तरीकों से घर के सभी प्रकार के फर्नीचर को चमका लिया जाए तो दीवाली की खुशियों का मजा कहीं ज्यादा हो जाएगा.

मामूली जख्मों के लिए ट्राय करें ये होममेड टिप्स

रोजाना भागदौड़ में कईं बारे हमें हल्की खरोचें या चोटें आ जाती हैं, जिसके इलाज के लिए हम ज्यादातर डौक्टर के पास जाना जरूरी नही समझते. कईं बार ये चोटें कम समय में तो कई बार इन घावों को भरने में ज्यादा समय लगता है. वहीं कई बार गहरे घावों के लिए आपको दवाइयों की जरूरत पड़ती है. हम आपको बताएंगे ऐसे होममेड टिप्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप स्किन के घावों का आराम से इलाज कर सकती हैं.

1. सिरका है आम इलाज

आमतौर पर लोग सिरका लगाने से घबराते हैं, क्योकि इससे काफी जलन होती है. पर एक बार इसके इस्तेमाल से घाव काफी तेजी से भरने लगते हैं. पर ध्यान रहे कि इसके ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल आपकी स्किन को काफी जलन दे सकता है, इसलिए रूई में इसके एक दो बूंद घाव पर ही लगाएं.

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2. टी बैग का करें इस्तेमाल

चोट लगने से अगर खून तेजी से बहे तो उसको रोकने के लिए टी बैग काफी कारगर होता है. इससे घाव जल्दी भी भर जाता है. और आपको ज्यादा परेशानी का सामना भी नही करना पड़ता.

3. हल्‍दी पाउडर का इस्तेमाल है फायदेमंद

हल्दी एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है, जिसके इस्तेमाल से घाव में होने वाले इंफेक्शन फैलने के खतरे को रोका जा सकता है. चोट पर इसका तुरंत इस्तेमाल काफी असरदार होता है.

4. शहद का करें इस्तेमाल

कहीं भी स्किन छिल जाए तो उसे अच्छे से धो दें और उसपर शहद का लेप लगा लें. ये काफी असरदार होता है. इसके अलावा चोट से सूजन आने पर भी शहद काफी असरदार होता है.

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5. एलोवेरा का करें इस्तेमाल

आप अपने कटे और छिले को तुरंत ठीक करने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकती हैं. हरे एलोवेरा को तोड़ कर उसके बीच से जेली निकाल कर उसे अपने घाव पर लगाएं, आपको तुरंत राहत मिलेगी.

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