बच्चे को बचाएं Allergy से

बच्चों में विभिन्न प्रकार की ऐलर्जी होने की प्रवृत्ति होती है और ऐलर्जी उत्पन्न करने वाले कारण कई होते हैं. जैसे- धूल के कण, पालतू जानवर की रूसी और कुछ भोज्य पदार्थ. कुछ बच्चों को कौस्मैटिक्स मिलाए जाने वाले सौंदर्य प्रसाधनों, कपड़े धोने वाले साबुन, घर में इस्तेमाल होने वाले क्लीनर्स से भी ऐलर्जी हो जाती है. ऐलर्जी अकसर जींस के कारण भी पनपती है. लेकिन आप अगर इस के उपचार का पहले से पता लगा लें तो इस की रोकथाम कर सकती हैं.

ऐलर्जी के लक्षण

लगातार छींकें आना, नाक बहना, नाक में खुजली होना, नाक का बंद होना, कफ वाली खांसी, सांस लेने में परेशानी और आंखों में होने वाली कंजंक्टिवाइटिस. अगर बच्चे की सांस फूलती है या सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ होने लगे तो वह श्वास रोग का शिकार हो सकता है.

ऐलर्जी का इलाज

यदि बच्चे में 1 हफ्ते से अधिक समय तक ये लक्षण नजर आएं अथवा साल में किसी एक खास समय में लक्षण दिखाई दें तो डाक्टर की सलाह लें. डाक्टर आप से इन लक्षणों के बारे में कुछ प्रश्न पूछेगा और उन के जवाब पर बच्चे के शारीरिक परीक्षण के आधार पर उसे दवाएं देगा. अगर जरूरत पड़े तो ऐलर्जी के विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श व दवा लेने के लिए कहेगा या रेफर करेगा.

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ऐलर्जी की तकलीफ का वास्तव में कोई इलाज नहीं है. लेकिन इस के लक्षण को कम कर के आराम मिल सकता है. मातापिता को अपने बच्चों को ऐलर्जी से मुकाबला करने के लिए शिक्षित करना होगा और उन के शिक्षकों, परिवार के सदस्यों, भाईबहन, दोस्तों आदि को इन के लक्षणों से अवगत करा कर निबटने की अनिवार्य जानकारी देनी होगी.

ऐलर्जी से बचाव

अपने बच्चों के कमरे से पालतू जानवर को दूर रखें और ऐसे कौस्मैटिक्स वगैरह को भी दूर रखें, जिन से ऐलर्जी की संभावना हो. कालीन को हटाएं जिस से मिट्टी न जमा हो. ज्यादा भारी परदे न टांगें जिन में धूल जमा हो. तकिया के सिरों को ठीक से सिल कर रखें. जब पराग का मौसम हो तो अपने कमरे की खिड़कियां बंद रखें. बाथरूम को साफ और सूखा रखें और उन्हें ऐसे खाद्यपदार्थ न दें जिन से उन्हें ऐलर्जी होती हो.

-डा. अरविंद कुमार

 एचओडी, पीडिएट्रिक्स विभाग, फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग 

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बीमारी के कारण भी हो सकती है डबल चिन की प्रौब्लम, पढ़ें खबर

मोटापे से कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं. इससे शरीर के सारे अंग प्रभावित होते हैं. डबल चिन मोटापे के कारण होता है. इससे आपकी सुंदरता पर बुरा असर होता है. आम तौर पर लोग इसे पसंद नहीं करते और इससे छुटकारा पाने के लिए काफी मशक्कत करते हैं, पर परिणाम हमेशा सकारात्मक नहीं होता. इस खबर में हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे जिनके चलते डबल चिन की परेशानी होती है.

1. थायराइड

थायराइड डबल चिन का एक प्रमुख कारण है. आपको बता दे कि वजन बढ़ना हाइपोथायरायडिज्म सामान्य सूचक है. लेकिन क्या यह जानते हैं कि आपके जबड़े के बढ़ने का भी यही कारण हो सकता है? यदि आपके जबड़े की हड्डी के नीचे स्थित क्षेत्र में त्वचा समय के साथ फैट से भर जाती है, तो आपको डबल चिन की समस्या हो सकती है. थायराइड के बढ़ने से गर्दन में भी सूजन आ सकती है.

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2. कुशिंग सिंड्रोम

कुशिंग सिंड्रोम के प्रमुक लक्षम हैं उपरी शरीर का मोटा होना और गर्दन में फैट का जमा होना. इसमें लंबे समय तक कोर्टिसोल का अधिक उत्पादन होने लगता है जिसका परिणाम पिट्यूटरी एडेनोमा के रूप में दिखता है. अगर आप एडेनोमा से पीड़ित हैं, तो ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी जरूरी हो सकती है.

3. साइनस इंफेक्शन

क्रोनिक साइनसाइट के कारण लिंफ नोड्स बढ़ता है. इसके कारण आपके चेहरे और गर्दन पर मोटापा आ सकता है. इस तरह की पुरानी साइनसिसिस जो डबल चिन के लिए जिम्मेदार है उसमें एलर्जी रैनिटिस, अस्थमा, नाक की समस्याएं या स्यूनोसाइटिस शामिल हैं.

4. सलवेरी ग्लैंड इन्फ्लमेशन

कई बार लार ग्रंथी में इंफेक्शन की वजह से जबड़े वाले हिस्से में सूजन हो जाती है जिसके कारण डबल चिन हो जाती है. ओरल हाइजीन, लार की नली की समस्या, पानी में अपर्याप्त जल, पुरानी बीमारी और धूम्रपान इस सूजन के कुछ सामान्य कारण हैं.

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सुंदरता और स्वास्थ्य चाहिए तो दालचीनी का इस्तेमाल है फायदेमंद

देश की ज्यादातर रसोइयों में दालचीनी मसाले के तौर पर इस्तेमाल होता है. पर क्या आप इसके सेहत पर होने वाले फायदों के बारे में जानती हैं? आपको बता दें कि दालचीनी एक पेड़ की छाल होती है, जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में होता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेंट्री, संक्रामक विरोधी जैसे कई गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटी-औक्सीडेंट, मैंगनीज, फाइबर जैसी जरूरी तत्व भी होते हैं. कई तरह की बामारियों में शरीर को स्वस्थ रखने में ये बेहद कारगर है. इस खबर में हम आपको दालचीनी से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बताएंगे.

1. सर्दी जुकाम में है असरदार 

सर्दी जुकाम में भी ये काफी असरदार . दालचीनी के पाउडर को पानी में उबाल लें. अर्क को छान कर रख लें. फिर इस पानी में शहद मिला कर पिएं. जल्दी आपको आराम मिलेगा.

2. वजन कम करने के लिए है फायदेमंद

वजन कम करने के लिए दालचीनी को पानी में उबाल कर पानी को छान लें. उसमें नींबू का रस मिला कर पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर दिखेगा. गैस या पेट दर्द संबंधी समस्याओं में दालचीनी को शहद में मिला कर खाने से काफी राहत मिलती है.

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3. जोड़ों के दर्द में करें इस्तेमाल

जोड़ों के दर्द में दालचीनी एक बेहतर विकल्प है. पहले दालचीनी को पीस कर पाउडर बना लें. एक कप गर्म पानी में इस पाउडर और शहद को मिला कर पीने से दर्द में काफी आराम मिलता है.

4. हेयरफौल की परेशानी में करें इस्तेमाल

हेयरफौल की परेशानी में ये काफी फायदेमंद होता है. जैतून के तेल में शहद और दालचीनी का पेस्ट बना कर रख लें. नहाने से पहले 30 मिनट तक इसे लगा कर रखें, फिर बाल धो लें. बालों के झड़ने की समस्या में ये काफी फायदा पहुंचाएगा.

5. सुंदरता बरकरार रखने है फायदेमंद

सुंदरता बरकरार रखने में भी ये बेहद कारगर है. मुहांसों की परेशानी में दालचीनी को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से काफी फायदा मिलता है.

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महिलाओं को ओवरी के बारे में पता होनी चाहिए ये बातें

आम तौर पर देखा जाता है कि महिलाएं सेक्स या सेक्शुअल हेल्थ पर बात करने से कतराती हैं. जबकि उन्हें कई बातों के बारे में उन्हें जानने की जरूरत है. जानकारी के अभाव में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस खबर में हम आपको महिलाओं के ओवरी (अंडाशय) के बारे में कुछ जरूरी बातें बताएंगे. ओवरी से जुड़ी ये कुछ ज़रूरी बातें हैं जो आपको पता होनी चाहिए.

1. ओवरी के साइज में बदलाव होत रहता है

शरीर के अन्य अंग भले ही एक साइज पर आकर रुक जाते हों, पर ओवरी की साइज बदलती रहती है. ये बदलाव उम्र के साथ और पीरियड्स के दौरान होता है. आपको बता दें कि जब ये अंडा बना रही होती है तो ये आकार में बढ़ जाती है. इसमे करीब 5 सेंटीमीटर तक का बदलाव होता है.

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2. ओवरी को होता है स्ट्रेस

जिस समय आपकी ओवरीज अंडे बना रही होती हैं, उस वक्त को ओव्यूलेशन कहते हैं. और स्ट्रेस का इस पर बहुत असर पड़ता है. उस दौरान अगर आप वाकई बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में हैं, तो आपकी ओवरीज़ अंडे बनाना बंद कर देगी.

3. बर्थ कंट्रोल पिल से ओवरीज होती हैं प्रभावित

जानकारों की माने तो बर्थ कंट्रोल पिल्स ओवरीज़ पर सकारात्मक असर करती हैं. सुनने में ये भले ही अजीब लग रहा हो, पर ये सच है. हम बात कर रहे हैं गर्भनिरोधक गोलियों की. उनको लेने से ओवेरियन कैंसर होने का रिस्क काफी कम रहता है.

4. ओवेरियन सिस्ट अकसर अपने आप ठीक हो जाते हैं

बहुत सी औरतों के ओवरी में सिस्ट हो जाता है. ये कैविटी जैसी एक चीज है जिसमें पस भर जाता है. इसे ठीक करने के लिए कई तरह की दवाइयां और सर्जरी हैं. ओवरी के सिस्ट से घबराएं नहीं. ये तीन चार महीनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं.

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जानें क्या है सर्दियों में आवंले के 10 फायदे

आंवला काफी गुणकारी है और हर मौसम में इस का सेवन किया जाता है. लेकिन सर्दियों में आंवले के कुछ खास फायदे हैं. आंवले का सब से बड़ा गुण है कि इसे पकाने के बाद भी इस में मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता. आंवले में क्रोमियम अधिक मात्रा में होता है. आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ हो लेकिन इस के गुण कभी भी खत्म नहीं होते. यह खांसीजुकाम, त्वचा, नेत्र रोग और बालों के लिए काफी उपयोगी टौनिक है.

आंवले के फायदे

1. अगर आप मोटापा कम करना चाहती हैं तो सुबह खाली पेट शहद के साथ 5 आंवलों का रस एक गिलास कुनकुने पानी के साथ लें.

2. आप अगर एसीडिटी की समस्या से ग्रस्त हैं तो एक ग्राम आंवला पावडर और थोड़ी सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिला कर लें.

3. आंवला खाने से सर्दी के कारण होने वाली खांसीजुकाम से भी नजात पाई जा सकती है.

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4. आंवले के जूस में शहद मिला कर पीने से मोतियाबिंद की परेशानी में फायदा होता है.

5. आंवला हमारे पाचनतंत्र और किडनी को स्वस्थ रखता है.

6. आंवले के सेवन से बालों का झड़ना काफी हद तक रुक जाता है, यह बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है.

7. कब्ज दूर करने में भी आंवले का सेवन हितकर है. यह डायरिया जैसी बीमारी को दूर करने में काफी फायदेमंद है.

8. दिल को सेहतमंद बनाने के लिए सर्दियों में रोजाना आंवला खाने की आदत डालें. इस से आप के दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिस से दिल शरीर को साफ खून सप्लाई कर पाएगा और आप स्वस्थ रहेंगी.

9. आंवला डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है. दरअसल, यह क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सैल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हार्मोंस का काम शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है.

10. सर्दियों में सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा लेने से आप सालभर तंदुरुस्त बनी रहेंगी.

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बौडी पेन अब नहीं

बहन की शादी सिर पर और स्नेहा की कमर में अचानक दर्द उठ गया जिस से वह परेशान हो गई, क्योंकि एक तो वह दर्द से परेशान थी और दूसरा वह शादी जिस का उसे काफी समय से इंतजार था उसे भी ऐंजौय नहीं कर पा रही थी.

ऐसा सिर्फ स्नेहा के साथ ही नहीं बल्कि आज अधिकांश लोग बौडी पेन से परेशान हैं, क्योंकि वे आज की भागदौड़ भरी लाइफ में खुद की हैल्थ पर ध्यान जो नहीं दे रहे हैं और हलकाफुलका दर्द होने पर उसे इग्नोर कर देते हैं जिस से स्थिति और भयावह हो जाती है. ऐसी स्थिति में तुरंत रिलीफ के लिए जरूरी है हीट थेरैपी का इस्तेमाल करने की और उस के लिए डीप हीट रब पेन रिलीफ बैस्ट है.

1. जानें पेन के कारण:

आज के प्रतिस्पर्धा वाले समय में एकदूसरे से आगे निकलने की दौड़ में हम स्ट्रैस में अधिक रहने लगे हैं जिस से कम सोने के कारण हर समय थकेथके से रहते हैं जो मसल पेन का कारण बनता है.

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लेकिन कहते हैं न कि जब प्रौब्लम आती है तो उस का हल भी होता है और ऐसे में डीप हीट रब मिनटों में आप को हर तरह के बौडी पेन से रिलीफ पहुंचाने का काम करता है.

आप को बता दें कि डीप हीट  60 सालों से अधिक समय से खुद को साबित कर रहा है. यहां तक कि यह यूके का नं. 1 पेन रिलीफ ब्रैंड बन चुका है, जिस से आप इस की गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं.

2. कैसे करता है कार्य

‘डीप हीट रब’ हीट थैरेपी में मौजूद मिथाइल सैलिसिलेट (जो प्रोस्टाग्लैनडाइंस के उत्पादन को कम करता है जो जलन और दर्द का कारण बनता है) और मैंथोल जैसे तत्व दर्द से राहत पहुंचाने के साथसाथ सूजन को भी कम करते हैं. यह प्रभावित जगहों के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक कर हीलिंग प्रक्रिया में वृद्घि करने का काम करते हैं.

3. लगाना भी आसान

इसे लगाने में भी ज्यादा झंझट नहीं होता. बस प्रभावित जगह पर लगा कर छोड़ दें. लगाने के थोड़ी देर बाद आप खुद आराम महसूस करेंगी. आप इसे दिन में कई बार लगा सकते हैं.

4. सिर्फ यही क्यों

भले ही आज मार्केट में ढेरों पेन रिलीफ हों लेकिन जो बात डीप हीट पेन रिलीफ में है उस का जवाब नहीं. यह जोड़ों का दर्द, मोच और तनाव, मांसपेशी में दर्द, कमर के निचले भाग में दर्द की जड़ पर तुरंत असर कर आप को आराम पहुंचाने का काम करता है. क्योंकि इस में 5 आयुर्वेदिक औयल जो मिले हुए हैं. साथ ही यह चिपचिपा नहीं है जिस से कपड़ों पर दाग लगने की टैंशन भी नहीं है. साथ ही यह मसल्स में अंदर तक जा कर तुरंत आराम पहुंचाने का काम करता है. तो फिर अब दर्द को सहना नहीं, बल्कि डीप हीट से उसे आउट करना है.

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हैल्थ के लिए फायदेमंद है नैचुरल स्वीटनर

आप ही सोचिए अगर आप अपने फ्रैंड्स के बीच में बैठे हों और वहां अपने मोटापे के कारण आप अपनी मनचाही चीज नहीं खा पा रहे हैं तो आप को कितना बुरा लगेगा. ऐसी स्थिति में आप न फंसे इस के लिए जरूरी है शुरुआत से ही अपने वजन को कंट्रोल करने की और यह तभी संभव है जब आप अपनी डाइट में पौष्टिक तत्वों की मात्रा बढ़ाएं और वसा व शुगर की मात्रा को घटाएं.

वैसे तो आजकल मार्केट में सप्लिमैंट्स व आर्टिफिशियल सप्लिमैंट्स स्वीटनर्स की बाढ़ आई हुई है लेकिन जो बात स्टीवोकल नैचुरल स्वीटनर में है वो किसी और में नहीं. क्योंकि यह नैचुरल होने के साथसाथ सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है.

क्या है स्टीवीओकल

नैचुरल स्वीटनर है जिस में जीरो कैलोरी है. यह स्टीविया पौधे से बना होने के कारण नैचुरल है जो इस के फायदे को और बढ़ा देता है. साथ ही टैस्ट भी ऐसा जो आप को चीनी की कमी महसूस ही नहीं होने देता.

जहां चीनी डायबिटीज व मोटापे का कारण बनती है वहीं स्टीवीओकल इसे कंट्रोल कर आप को हैल्दी बनाए रखने का काम करती है जो सब से जरूरी है. क्योंकि अगर हैल्थ बिगड़ी तो उस का असर हमारी दिनचर्या पर पड़ेगा ही.

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नैचुरल स्वीटनर स्टीवीओकल बड़ा फायदेमंद

स्टीविया पौधे से बना होने के कारण यह नैचुरल होने के साथ काफी लाभकारी हो जाता है, जिसे आप अपनी मनपसंद स्वीट डिशेज में डाल कर उस के स्वाद को कई गुना बढ़ा सकते हैं, जिस से आप फिट भी रहते हैं और टेस्ट भी मिल जाता है.

कैसे हैं फायदेमंद

  • चीनी और अन्य आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के मुकाबले में नैचुरल स्वीटनर में जीरो कैलोरी होती है.
  • स्टीविया पत्तियों से बना होने के कारण यह पूरी तरह प्राकृतिक है.
  • डायबिटीज होने की स्थिति में ब्लड शुगर लैवल को कम करने में कारगर.
  • उच्च तापमान पर भी पकाने के लिए उपयुक्त.
  • इस में किसी तरह के आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल नहीं होने के कारण यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
  • टेस्ट भी बेहतर होने के कारण इसे ऐक्सैप्ट करना बहुत आसान.

स्टेविया क्या है

स्टेविया एक पौधा है जो उत्तर और दक्षिण अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय भागों में उगता है. इस में फाइबर, प्रोटीन, लोहा, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम, विटामिन ए व विटामिन सी होने के कारण यह काफी लाभकारी होता है. और जिस में भी इसे मिलाया जाता है उस के गुण कई गुना बढ़ जाते हैं.

आप को बता दें कि सब से पहले स्टीविया को 1971 में स्वीटनर के रूप में स्वीकृत किया गया था जब वहां पर एसपारटेम और सुक्रोज बैन हो गया था. विश्व में 2016 तक 5000 प्रोडक्ट्स में स्टीविया का इस्तेमाल होने लगा था. और अब तो 100 देशों में यह स्वीकृत हो गया है.

स्टीविया में रिबोडियोसाइड ए जो चीनी से 300 गुणा और स्टीवियोसाइड जो चीनी से 250 गुणा मीठा होता है.

क्यों स्टीवीओकल ही

इस में रिबोडियोसाइड ए होने के कारण यह चीनी से कहीं अधिक मीठा होता है जिस में जीरो कैलोरी होने के कारण यह डायबिटीज के मरीजों, मोटापे से ग्रसित लोगों व हैल्थ कौंशियस लोगों के लिए फायदेमंद है.

इसे गरम करने पर कोई विघटन नहीं होता.

इस के सेवन से गैस व डायरिया की समस्या उत्पन्न नहीं होती जो अकसर आर्टिफिशियल शुगर लेने से होती है.

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ये भी जानें

चीनी: ये नैचुरल होने के साथ इस में कैलोरीज बहुत ज्यादा होती हैं.

सुक्रोज: ये चीनी के क्लोरोनेशन से पैदा होता है जिस में कैलोरी नहीं होती.

एसपारटेम: ये सिंथेटिक और फेनिलामाइन और सिंथेटिक एसपारटी ऐसिड से मिल कर बनता है जिस में कैलोरी नहीं होती.

स्टीविया: ये नैचुरल होने के साथ इस में जीरो कैलोरी होती है, जो हमारे ब्लड शुगर लैवल को कंट्रोल कर हैल्दी लाइफस्टाइल रखने में मदद करता है. बच्चों से ले कर प्रैग्नैंट वूमन तक बिना डरे इस का इस्तेमाल कर सकती है. तो फिर सोचना क्या अपनी डाइट से शुगर को कट कर जीरा कैलोरी को अपनाएं.

बच्चे को चाय पिलाना अच्छा है या नहीं?

चाय एक बहुत साधारण पेय है. बहुत से लोगों में रोज सुबह शाम चाय पीने की आदत होती है. ऐसा माना जाता है कि चाय पीने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है. इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में और कमजोरी को दूर करने में बहुत कारगर होता है. जाहिर तौर पर चाय पीने के कई फायदे हैं. पर व्यस्क और बच्चों पर इसका असर बिल्कुल अलग अलग होता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि चाय बच्चे की सेहत को किस तरह से प्रभावित करता है.

कई जानकारों का मानना है कि व्यस्कों और बच्चों पर चाय का असर बिल्कुल अलग अलग होता है. अलबत्ता बच्चों की सेहत पर इसका नकारात्मक असर होता है. अगर आपका बच्चा ज्यादा चाय पीता है तो इसका असर उसके मांसपेशियों, मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है. शारीरिक विकास पर भी बुरा असर होता है.

जानकारों की माने तो बहुत अधिक चाय पीने वाले बच्चों में इन परेशानियों के होने का खतरा बढ़ जाता है:

  • कमजोर होती हैं हड्ड‍ियां
  • हड्ड‍ियों में दर्द रहता है, खासतौर पर पैरों में
  • व्यवहार में बदलाव होता है
  • मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

मोटापे से पाएं निजात

वजन कम करना अपनेआप में एक चैंलेंज है. यदि आप खानेपीने के मामले में जितनी कैलोरीज ले रही हैं, उतनी ही बर्न नहीं करती तो आप का वजन बढ़ना तय है. असल में बची हुई कैलोरीज हमारे शरीर में फैट के रूप में इकट्ठी होती है.

खानपान : शरीर का वजन बढ़ने में सब से बड़ा हाथ खानपान का है अगर हमारे खानेपीने में कैलोरी की मात्रा अधिक होगी तो वजन भी उतनी ही तेजी से बढ़ेगा. ज्यादा तलाभूना फूड, फास्डफू्ड, कोलड्रिंक आदि ऐसी चीजों का सेवन करने से हमारे शरीर में ज्यादा कैलोरी इकट्ठी हो जाती है.

हां अगर आप इस बात का ध्यान रखें की आप के शरीर को हर रोज कितनी कैलोरी की आवश्यकता है और आप उतनी ही कैलोरी लें रही है तो आप का वजन नहीं बढ़ेगा. और अगर आप की दिनचर्या में रोज फिजीकल एक्टीविटी कम और मैनटली ज्यादा होती है यानी कि आप कुर्सी पर बैठी रहती हैं तो वजन बढ़ेगा ही. इसलिए आप अपनी दिनचर्या में फिजीकल एक्टीविटी शामिल करें जैसे की लिफ्ट की जगह सीढि़यों का प्रयोग करें. कोई खेल जैसे बैडमिंटन आदि खेलें.

अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपना वजन कंट्रोल में रख सकती हैं.

  • हर रोज 45 मिनट टहलिए. हर रोज 30 मिनट टहलने से आप का वजन नहीं बढेंगा परंतु अगर आप अपना वजन कम करना चाहती हैं तो 45 मिनट टहलना चाहिए.
  • अपने खाने में टमाटर, लौकी, खीरा आदि अधिक शामिल करें.
  • चायकौफी बनाने के लिए स्कीम मिल्क इस्तेमाल करें. जिस में कि कैल्शियम ज्यादा और कैलोरीज कम होती है.
  • बाहर का खाना खाने से बचे. बाहर के खाने में ज्यादा हाई फैट और हाई कैलोरीज होती है.
  • धीरेधीरे खाएं. जब भूख लगे तभी खाए.
  • जूस पीने की जगह फल खाएं. फल आप की भूख को कम करेगा और आप कम खाएंगी.
  • ज्यादा से ज्यादा चलें, आसपास पैदल जाएं. मेट्रो स्टेशन से औफिस अगर 10-15 मिनट की दूरी है तो पैदल ही जाने की कोशिश करें.
  • नींबू और शहद का प्रयोग करें, रोज सुबह हल्के गुनगुने पानी के साथ नींबू शहद लें.
  • जितनी भूख है उस से कम खाएं. जबरदस्ती पेट न भरे.
  • भरपूर नींद लें. जब हम सोते हैं तो शरीर रिलैक्स मोड में रहता है. जो लोग पूरी नींद नहीं लेते है उन की बौड़ी का सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है, हारमोंस डिसबैंलंस हो जाते हैं, इस का असर शरीर पर पड़ता है और मोटापा बढ़ता है.

वजन कम करने के लिए आप को थोड़ा धैर्य रखना होगा, और आप वजन कम करने के लिए जो कुछ भी कर रही हैं उस पर यकीन रखना होगा.

चाहिए तेज तर्रार दिमाग वाले बच्चे, तो ये खबर आपके लिए है

प्रेग्नेंसी में बच्चे की सेहत का राज होता है प्रेग्नेंसी के दौरान मां की डाइट. गर्भावस्था में मां का खानपान किस तरह का है इसपर निर्भर करता है कि बच्चे का सेहत कैसा होने वाला है. अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा सेहतमंद रहे, मानसिक तौर पर तेज हो तो ये खबर आपके लिए है. बच्चों को मानसिक तौर पर स्मार्ट बनाने के लिए जरूरी है कि मांएं को पोषक खाद्य पदार्थों के साथ साथ विटामिंस की खुराक लेती रहें.

अमेरिका में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान जिन महिलाओं ने विटामिन सप्लिमेंट की खुराक लेती हैं उनके बच्चे, उन महिलाओं के बच्चों की तुलना में दिमागी तौर पर अधिक तेज तर्रार हैं जिनकी माएं गर्भावस्था के दौरान विटामिन सप्लिमेंट नहीं लेती थी.

आपको बता दें कि इस शोध को 9 से 12 साल के करीब 3000 बच्चों पर किया गया है. जानकारों की माने तो प्रेग्नेंसी के दौरान मां के खानपान का असर बच्चों के संज्ञानात्मक  क्षमताओं पर होता है. विटामिन के तत्व जो प्रेग्नेंसी में बच्चों की मानसिक क्षमताओं को सकारात्मक ढंग से प्रभावित करते हैं वो हैं फौलिक एसिड, रिबोफ्लेविन, नियासिन और विटामिन बी12, विटामिन सी और विटामिन डी. इन तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करने वाली माओं के बच्चों में सोचने, समझने की क्षमता अच्छी रहती है. शोधकर्ताओं के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान सिर्फ भोजन से इन सभी पोषक तत्वों की भरपूर और पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती. इसलिए भोजन के साथ-साथ विटामिन सप्ल‍िमेंट्स की खुराक भी जरूरी हैं.

आपको बता दें कि शुरुआती तीन साल के दौरान ही जो बच्चे ताजे फल, हरी सब्ज‍ियां, मछली और अनाज खाते हैं, उनका स्कूल में रिजल्ट बेहतर होता है. कई शोधों में ये बात स्प्ष्ट हुई है कि जिन बच्चों की डाइट अच्छी रहती है उनमे कौन्फिडेंस भी बेहतर होता है.

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