11 बेबी मसाज टिप्स: मालिश के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल

सर्दियों में छोटे बच्चों की स्किन रूखी हो जाती है, ऐसे में उन की स्किन को मुलायम रखने के लिए तेल से मालिश की जा सकती है. रूखेपन के साथ ही यह किसी संक्रमण से भी बचाती है. नवजातों की मालिश के लिए औलिव औयल भी अच्छा माना जाता है. इस से बच्चों की स्किन सौफ्ट होती है.

अधिकतर देखा गया है कि जन्म के बाद से ही बच्चे की तेल मालिश को ले कर आसपास की सभी महिलाएं व्यस्त हो जाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परंपरागत तरीके से की गई तेल मालिश से बच्चे की हड्डियां मजबूत होंगी, ग्रोथ जल्दी होगी और वह जल्दी चलना सीखेगा, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिन में तेल मालिश करते समय बच्चे को चोट पहुंच जाती है.

सही मसाज बच्चे को आराम देती है, लेकिन कैसे, क्या है सही मसाज? इस बारे में नवी मुंबई की ‘स्पर्श चाइल्ड केयर क्लीनिक’ की बाल रोग विशेषज्ञ डा. शिल्पा आरोस्कर कहती हैं कि न्यू बोर्न बेबीज की मसाज करना एक कल्चरल ट्रैडिशन है, जबकि इस का कोई साइंटिफिक लाभ आज तक देखने को नहीं मिला है.

मसलन हड्डियों या मसल्स का मजबूत होना या जल्दी ग्रोथ होना. यह केवल बेबी को आराम पहुंचाती है और उसे एक अच्छी नींद लेने में सहयक होती है. ये बातें बच्चे की मसाज से पहले न्यू मौम्स को जान लेना आवश्यक है:

  •  बच्चे को मालिश फीड कराने के तुरंत बाद या जब शिशु नींद में हो तब न करें, जब बच्चा जाग रहा हो तब मालिश करें ताकि उसे मसाज से अच्छा अनुभव हो.
  •  कोकोनट औयल और विटामिन औयल मसाज के लिए सब से अच्छे औयल माने जाते हैं. सरसों के तेल या अन्य किसी तेल की मालिश से बचना चाहिए क्योंकि इस से बच्चे की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाने का खतरा होता है, जिस से बच्चे को रैशेज हो सकते हैं.
  •  अधिकतर महिलाएं बच्चे की मालिश के लिए मेड सर्वेंट रखती हैं, जिन के अधिक प्रैशर से मालिश करने से बच्चे को फ्रैक्चर,सूजन या जगहजगह खून जमने का खतरा रहता है.
  •  मसाज के समय कभी कान, नाक एरिया में तेल का प्रयोग न करें.
  • बेबी की मसाज मां, दादी, नानी के हाथों से होनी अच्छी मानी जाती है, जिस में प्यार और टच थेरैपी होने की वजह से बच्चे की सेहत और ग्रोथ में सुधार जल्दी होता है और यह वैज्ञानिक रूप से पू्रव भी हो चुका है.
  •  ‘इंटरनैशनल एसोसिएशन औफ इन्फैंट मसाज’ के अनुसार मालिश से बच्चे के शरीर का ब्लड सर्कुलेशन और पाचनक्रिया अच्छी हो जाती है, उसे गैस, ऐंठन, कब्ज आदि समस्याओं से राहत मिलती है.
  • दिन में एक बार मालिश करना बच्चे के लिए काफी होता है.
  •  1 साल की उम्र के बाद बच्चे की मालिश करने से कुछ खास फर्क उस में दिखाई नहीं पड़ता है क्योंकि इस समय बच्चा प्लेफुल हो जाता है और उसे मालिश से अधिक लाभ नहीं होता. न्यू मौम्स को यह सम?ाना जरूरी है कि तेल मालिश एक इंडियन ट्रैडिशन ही है, जिसे दिन में एक बार कभी भी किया जाना सही होता है.
  •  मालिश करते समय हाथों और उंगलियों का आराम से इस्तेमाल करना चाहिए. बहुत प्यार से बच्चे के पैरों को अपनी हथेली पर रखें और उंगलियों से जांघ से ले कर पैरों तक लाते हुए मालिश करें. कुछ मिनट तक इसी तरह मालिश करें.
  •  हलकी स्ट्रैचिंग मसाज फायदेमंद रहती है. टांगों को थोड़ा स्ट्रैच करें, दोनों तलवों को एकसाथ मिलाएं और फिर जमीन से छूएं. इस प्रक्रिया से बच्चे की मांसपेशियों को आराम मिलेगा.
  •  फुट मसाज से शरीर को बहुत आराम और रिलैक्सेशन मिलता है और इस से दिमाग को भी सुकून महसूस होता है. बच्चों की फुट मसाज करने से उन्हें नींद अच्छी आती है. फुट मसाज करते समय अपने अंगूठे से तलवों पर कुछ पौइंट्स पर हलका दबाव बनाएं. इस से शरीर का स्ट्रैस रिलीज हो जाता है.

बच्चों के आपसी झगड़े को कंट्रोल करने के 7 टिप्स

रश्मि अपने बच्चों के परस्पर होने वाले झगड़े से हरदम इतनी परेशान रहती है कि कभी कभी वह गुस्से में कहने लगती है कि उसने दो बच्चे पैदा करके ही जीवन की बहुत बड़ी गल्ती की है. रश्मि ही नही प्रत्येक घर में आजकल अभिभावक बच्चों के रोज रोज होने वाले झगड़ों से परेशान हैं. एक तो वैसे भी कोरोना के कारण सभी स्कूल लंबे समय से बंद हैं ऊपर से लॉक डाउन के कारण बच्चे भी घरों में कैद रहने को मजबूर हैं. वास्तव में देखा जाए तो बच्चों का परस्पर झगड़ना उनके समुचित विकास की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. परन्तु अक्सर घर के कामकाज में उलझी रहने वाली माताएं परेशान होकर अपना भी आपा खो देतीं हैं जिससे समस्या गम्भीर रूप धारण कर लेती है. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिनका प्रयोग करके आप बच्चों के झगड़े को आराम से निबटा सकतीं हैं-

1-बच्चों के कार्य, व्यवहार और पढ़ाई की बाहरी या घर के ही दूसरे बच्चे से कभी तुलना न करें क्योंकि प्रत्येक बच्चे का अपना पृथक व्यक्तित्व होता है.

2-बच्चे किसी भी उम्र के क्यों न हों आप उनसे उनकी उम्र के अनुसार घर के कार्य अवश्य करवाएं इससे वे व्यस्त भी रहेंगे और कार्य करना भी सीखेंगे.

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3-बच्चा यदि आपसे कुछ कहे तो उसे ध्यान से सुनें फिर समझाएं बीच में टोककर उसे शान्त कराने का प्रयास न करें.

4-टी. वी और खिलौने बच्चों में झगड़े का प्रमुख कारण होते हैं, इसलिए उनके बीच में  खिलौनों का बंटवारा कर दें और टी वी देखने का समय निर्धारित कर दें.

5-वे चाहे जितना भी लड़ें झगड़ें परन्तु आप अपना आपा खोकर हाथ उठाने या चीखने चिल्लाने की गल्ती न करें अन्यथा आपको देखकर वे भी परस्पर वैसा ही व्यवहार करेंगे.

6-किसी अतिथि अथवा दूसरे बच्चों के सामने  अपने बच्चे को डांटने से बचें….बाद में उसे प्यार से समझाने का प्रयास करें.

7-आप स्वयम भी आपसे में न झगड़कर बच्चों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें क्योंकि अनेकों रिसर्च में यह सिद्ध हो चुका है कि बच्चे अपने माता पिता का अनुकरण करते हैं.

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