4 Tips: किचन के पौल्यूशन से भी बचना जरूरी

अगर आप यह सोच रही हैं कि आप घर में रहती हैं, इसलिए आप प्रदूषण से दूर हैं तो यह आप की भूल है, क्योंकि लंदन के रोफील्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के अनुसार, किचन में धुएं की सही निकासी न होने पर आप के घर में बाहर से तीन गुना ज्यादा प्रदूषण होता है और यह ज्यादातर इलैक्ट्रिक बर्नर से ही होता है. इस प्रदूषण से आप को गले में खराश, सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

भारतीय मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. लेकिन जहां इन से खाने का जायका बढ़ जाता है, वहीं किचन में तेलमसालों वाला खाना बनाते समय काफी धुआं भी होता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होता है.

महिलाओं का काफी समय किचन में ही बीतता है. ऐसे में उन के स्वास्थ्य के लिए कोई ऐसा उपकरण जो किचन में मौजूद धुएं को पलभर में बाहर कर किचन को प्रदूषणमुक्त कर दे तो वह है चिमनी.

पहले भारतीय घर बड़े होते थे और रसोईघर आमतौर पर खुले में बनाया जाता था ताकि रसोई का धुआं घर में न फैले, मगर जैसेजैसे आबादी बढ़ रही है परिवार फ्लैटों में सिमटने लगे हैं, जिन में हवा और रोशनी की कमी होती और लोग स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के शिकार होते हैं. इन से बचने के लिए बेहतर वैंटिलेशन के साथ ही सही ढंग से इलैक्ट्रिक उपकरणों को साफ करने की भी जरूरत है ताकि घर के भीतर प्रदूषण न हो.

1. किचन में प्रदूषण के कारण

अब किचन सिर्फ गैस तक ही सीमित नहीं रही है. अब पुरानी किचन मौड्युलर किचन में बदलती जा रही है, जिस में टोस्टर, माइक्रोवेव ओवन व अन्य ढेरों चीजें रखी जाती है. लेकिन जहां ये इलैक्ट्रौनिक उपकरण समय की बचत करते हैं वहीं इन से प्रदूषण भी फैलता है, जो बाहर के प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है. आइए, जानते हैं इस बारे में:

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2. टोस्टर

सभी इलैक्ट्रिक बर्नर भाप से पैदा होने वाली डस्ट से सूक्ष्मकण उत्पन्न करते हैं, जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं. जब हम लंबे समय तक टोस्टर का इस्तेमाल नहीं करते हैं और फिर जब करते हैं तब उस में जमी गंदगी भाप के रूप में सूक्ष्मकणों में बदल कर प्रदूषण का कारण बनती है, जिस से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

3. माइक्रोवेव

इंगलैंड की ‘यूनिवर्सिटी औफ मैनचेस्टर’ के शोधकर्ताओं के अनुसार, माइक्रोवेव ओवन कार्बन डाई औक्साइड की अत्यधिक मात्रा का उत्सर्जन करता है जो कार से भी ज्यादा खतरनाक प्रदूषण फैलाने का काम करता है.

रोटी मेकर: रोटी मेकर भले ही झट से गरमगरम रोटियां तैयार कर दे, लेकिन क्या आप जानती हैं कि यह भी आप के घर को प्रदूषित कर रहा है? अगर आप के घर में इस से निकलने वाले धुएं को बाहर निकालने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, तो इस का इस्तेमाल संभल कर करें.

4. कैसे करें बचाव

– धुएं और गंदगी को किचन से बाहर निकालने के लिए घर में सही वैंटिलेशन होने के साथसाथ चिमनी की भी व्यवस्था करें ताकि घर में प्रदूषण न फैले.

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– चिमनी पर जमी गंदगी को हटाने के लिए फिल्टर्स व उस के फे्रम्स को थोड़ेथोड़े दिनों बाद साफ करती रहें.

– जब भी टोस्टर, माइक्रोवेव के बाद कौफी या टी मेकर का इस्तेमाल करें तो उस की साफसफाई का खास खयाल रखें, क्योंकि इन उपकरणों पर गंदगी जमा होने पर प्रदूषण का खतरा ज्यादा रहता है.

– एक बार में एक ही इलैक्ट्रिक उपकरण का उपयोग करने की कोशिश करें.

बड़े काम के हैं ये 6 किचन एप्लायंसेज

लेखक -पूजा भारद्वाज

आजकल बाजार में ऐसे विभिन्न किचन एप्लायंसेज मौजूद हैं, जो काम को आसान बनाते हैं और आप का समय बचाते हैं जिस से आप अपने परिवार के साथ समय बिता सकती हैं. तो इस बार दीवाली पर ऐप्लायंसिस शौपिंग से पहले एक नजर इन ऐप्लायंसिस पर डालें:

1. स्लो कुकर में बने खाना टेस्टी

महिलाओं के लिए स्लो कुकर एक वरदान है, जो बहुत ही सुविधाजनक तरीके से खाना तैयार करता है. आजकल बाजार में सिंगल, डबल व ट्रिपल स्लो कुकर मौजूद हैं. ट्रिपल स्लो कुकर में आप एक ही समय में एकसाथ 3 डिशेज बना सकती हैं और अपना काफी समय बचा सकती हैं. अगर समय की बात करें तो इस में खाना बनने में करीब 4 से 10 घंटे लगते हैं, मगर इस धीमी प्रक्रिया से खाने का स्वाद बढ़ जाता है. एलपीजी की तुलना में इलैक्ट्रिक स्लो कुकर कहीं अधिक सुरक्षित होते हैं. इन्हें ऐसे डिजाइन किया गया है कि आप हर तरीके का खाना बना सकती हैं.

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स्लो कुकर आप की कुकिंग की सारी जरूरतों को पूरा करता है. यह वर्सेटाइल है और इस में बहुत से फीचर्स हैं और यह पोर्टेबल है. इसे संभालना बहुत ही आसान है. इसे मल्टीफंक्शनल यूज के लिए डिजाइन किया गया है, जो यह दर्शाता है कि इस में लंबे समय तक चलने की क्षमता है और इस में करीब 4.54 लिटर की क्षमता है. इसे स्टील,

एबीएस ऐंड सिरैमिक से बनाया गया है. इस में ऐडजस्टेबल नोब होती है, जिस से तापमान को निंयत्रित किया जाता है.

2. जूसर बनाए काम आसान

जूसर एक परफैक्ट किचन ऐप्लायंस है, लेकिन आप के पास किस तरह का जूसर होना चाहिए यह कई बातों पर निर्भर करता है जैसेकि आप उस का कितना इस्तेमाल करेंगी. वैसे बाजार में 2 प्रकार के जूसर मौजूद हैं- पहला सैंट्रिफ्यूगल और दूसरा मैस्टिकेटिंग जूसर, जिन्हें कोल्ड प्रैश और स्लो जूसर के नाम से भी जाना जाता है. इन दोनों में बस फर्क इतना है कि इन के जूस निकालने का तरीका अलग है. सैंट्रिफ्यूगल जूसर जहां बहुत ही कौमन जूसर है और अधिक किफायती भी है, वहीं मैस्टिकेटिंग जूसर सैंट्रिफ्यूगल जूसर की तुलना में अधिक कुशल भी है और महंगा भी. अगर आप अपने लिए जूसर खरीदना चाह रही हैं, तो आप को बता दें कि जूसर की डिजाइन जितनी सिंपल होगी वह उतना ही बेहतर होगा, क्योंकि उस के फीचर्स जितने पेचीदा होंगे आप को उतनी ही दिक्कत होगी.

जूसर खरीदते समय उस की स्पीड पर खासतौर पर ध्यान दें, साथ ही क्लीनिंग टाइम, फीडिंग ट्यूब, प्लप कंटेनर, सेफ्टी स्विच, ड्रिप स्टौप पौड आदि पर भी ध्यान देना न भूलें ताकि आप जब भी इस का इस्तेमाल करें, तो यह आप का काम बढ़ाए नहीं, बल्कि आसान बनाए.

3. ब्लैंडिग हुई ईजी

हैंड ब्लैंडर मिनटों में ब्लैंड, व्हिस्क और चर्न करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है. आप को जब भी स्मूदी, शेक और सूप बनाना होता है, तो हैंड ब्लैंडर सब से पहले याद आता है, जो झट से आप का काम निबटा देता है. इस की सब से खास बात यह है कि यह वैरिएबल स्पीड कंट्रोल के साथ आता है.

आप अलगअलग फूड को ब्लैंड करते हुए स्विच के जरीए आसानी से इस की स्पीड को कंट्रोल कर सकती हैं. जहां हैंड ब्लैंडर की स्टेनलैस स्टील की बौडी इस का टिकाऊपन बढ़ाती है, वहीं दूसरी ओर इसे गरम और ठंडे फूड को ब्लैंड करने के लिए भी बेहतरीन ऐप्लायंस बनाती है. इस में 400 पावर तक की मोटर का इस्तेमाल किया जाता है, जो चौपिंग, ब्लैंडिंग और सलाद ड्रैसिंग को ईजी बनाती है. फिर छोटे होने की वजह से इन्हें रखने में आसानी भी होती है.

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4. कैटल मिनटों में उबाले पानी

यह इलैक्ट्रिक कैटल बहुत ही हैंडी किचन ऐप्लायंस है और नएनए फीचर्स के साथ इस के विभिन्न विकल्प बाजार में मौजूद हैं. आजकल कोर्डलैस कैटल खूब यूज की जा रही है, जिस के साथ एक अलग बेस यूनिट आता है. अगर बात इन की कपैसिटी की करें, तो एक औसत कैटल में 1.4 से 1.8 लिटर तक पानी आ सकता है.

ये कैटल्स लगभग 2.1 किलोवाट से 2.9 किलोवाट की पावर रेंज में आते हैं, हालांकि उच्च वाट क्षमता वाली कैटल्स अधिक शक्तिशाली होती हैं और जल्दी पानी उबालते हैं. इस के 360 डिग्री बेस के जरीए आप इसे किसी भी तरीके से रख सकती हैं. इस में मौजूद कंसील्ड ऐलिमैंट के कारण इसे साफ करना भी आसान होता है. इस का बौयल प्रोटैक्शन कैटल में कम पानी होने पर सचेत कर देता है. कुछ ऐसी कैटल्स भी हैं, जो ऐडजस्टेबल टैंपरेचर के साथ आ रही हैं.

5. अब राइस पकें जल्दी

राइस कुकर एक ऐसा किचन ऐप्लायंस है, जो न केवल सुविधाजनक है, बल्कि सुरक्षित, हलका और पोर्टेबल भी है. आप को बाजार में स्टीमर और बिना स्टीमर के राइस कुकर मिलेंगे, जो आप के लिए फटाफट राइस बना देंगे. अगर इन कुकरों के साइज की बात करें, तो ये स्माल, मीडियम, लार्ज और जंबो साइज में बाजार में मौजूद हैं. कुछ राइस कुकर में नौनस्टिक इनर पौट भी मौजूद होता है, जिस में फ्राई भी किया जा सकता है.

यह साफ करने में भी आसान होता है. इस पर पारदर्शी ढक्कन होता है. कुछ के साथ आप को एक स्टीमिंग बास्केट भी मिलती है जो इडली, आलू, मक्का, सब्जियां स्टीम करने का काम करती है. वैसे इन स्टीमिंग बास्केट्स का उपयोग स्ट्रेनर/कोलैंडर के रूप में भी किया जा सकता है. कुछ के साथ मैटल ट्रे भी उपलब्ध होती है.

इंसुलेटेड हैंडल इस का बेहतरीन सेफ्टी फीचर है, जिसे पकड़ कर कुकर को किसी भी दिशा में घुमा सकती हैं. इस के मैन्यू में मल्टी कुकिंग औप्शन मौजूद हैं. कुल मिला कर राइस कुकर आप के लिए एक फायदे का सौदा है, क्योंकि यह आप का समय और ऊर्जा दोनों ही बचाता है और कुकिंग को आसान बनाता है.

6. फूड प्रोसैसर करे एकसाथ करे कई काम

फूड प्रोसैसर को रसोई के हलके कामों को करने के लिए डिजाइन किया गया जैसेकि स्लाइसिंग, चौपिंग, ब्लैंडिंग, प्यूरीइंग आदि. फूड प्रोसैसर की मोटर इतनी पावरफुल होती है कि यह मिनटों में इस तरह के कामों को निबटा देता है. अगर आप फूड प्रोसैसर ले रही हैं, तो कम से कम 600 वाट वाली मोटर लगा फूड प्रोसैसर ही खरीदें. इस के अलावा इस की कपैसिटी और वजन पर भी ध्यान दें, साथ ही इस के साथ आने वाले बाउल व ब्लेड साइज पर भी जरूर ध्यान दें.

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जब खरीदें किचन चिमनी

भारतीय व्यंजनों में तड़के का ज्यादा इस्तेमाल होता है. इस के अलावा फ्राई करना, ग्रिल करना, खाने में मसालों का प्रयोग भी होता रहता है. ऐसी स्थिति में एक सही चिमनी ही रसोई से धुआं और गंध आसानी से निकाल सकती है.

आजकल बाजार में कई तरह की चिमनियां बिकती हैं, जिन में से सही चिमनी का चयन करना मुश्किल होता है. इस बारे में मुंबई की ‘मेग्लियो’ शॉप के चिमनी डीलर लक्ष्मण पुरोहित, जो एक दशक से भी अधिक समय से चिमनी बेच रहे हैं, उनका कहना है कि चिमनी की बनावट में पहले से काफी सुधार आया है. इस के 2 विकल्प ग्राहकों को ज्यादा आकर्षित करते हैं. इन विकल्पों की खूबियां इस प्रकार हैं.

– पहले विकल्प में धुआं बाहर फेंकने के लिए पाइप का प्रयोग किया जाता है.

– दूसरे में चिमनी को डक्ट से जोड़ने की जरूरत नहीं होती. इस के अंदर लगा कार्बन फिल्टर धुआं, तेल और गंध सोख लेता है और शुद्ध हवा को वापस रसोईघर में छोड़ता है. इस में समस्या यह आती है कि कार्बन में तेल जल्दी चिपक जाता है और इसे जल्दी-जल्दी साफ करना पड़ता है.

दोनों तरह की चिमनियां प्रयोग में लाई जा सकती हैं, लेकिन डक्ट वाली चिमनी ज्यादा अच्छी होती है. इस में भी अगर डक्ट की पाइप ज्यादा मुड़ी या काफी लंबी हो, तो चिमनी से हवा बाहर निकलने में समय लगता है. डक्ट के लिए जगह की जरूरत होती है, इसलिए अगर आप के किचन में जगह है, तो डक्ट वाली चिमनी लगाएं. जगह की कमी हो, तो कार्बन फिल्टर वाली चिमनी सही रहेगी.

आधुनिक चिमनी

पहले चिमनी का आकार अलग होता था. ज्यादातर चिमनियां पुश बटन और डायरेक्ट बटन द्वारा चलती थीं. आजकल बाजार में डिजिटल गैस सैंसर वाली चिमनी भी आने लगी है, जिस में यदि गैस किसी कारणवश लीक करती है, तो चिमनी ऑटोमैटिक चालू हो जाती है और गैस के निकल जाने के बाद बंद भी हो जाती है. यह चिमनी आजकल ज्यादा प्रयोग में लाई जा रही है.

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चिमनी की सक्शन पावर का ध्यान

इस के अलावा चिमनी की सक्शन पावर का भी ध्यान रखें, क्योंकि यह जितना ज्यादा होती है, रसोई उतनी ही गंध और धुएं रहित होती है. यह क्षमता चिमनी में 500 मीटर क्यूबिक प्रति घंटा से 1,200 मीटर क्यूबिक प्रति घंटा होती है. इस में 900 मीटर क्यूबिक प्रति घंटा से 1,000 मीटर प्रति घंटा सक्शन पावर वाली चिमनी है.

किचन का आकार

चिमनी लगाने की प्रक्रिया में किचन के आकार की बड़ी भूमिका है. यदि किचन बड़ा है, तो ज्यादा सक्शन पावर वाली चिमनी लगाना ठीक रहता है. एक अनुमान के अनुसार किचन की चिमनी को 1 घंटे में 10 गुना शुद्ध हवा से भरने की जरूरत होती है. इसलिए चिमनी चुनने से पहले किचन की वॉल्यूम को 10 से गुणा करने के बाद जो क्षेत्रफल आए, उतनी ही सक्शन पावर वाली चिमनी किचन में लगाना सही होता है. इसे गैस चूल्हे से ढाई फीट की ऊंचाई पर लगाना ठीक रहता है.

यह भी ध्यान रखें

1 साल से 5 साल के अलावा लाइफटाइम गारंटी वाली चिमनी भी मिलती है. चिमनी की कीमत भी उस की वारंटी पर निर्भर होती है. चिमनी की कीमत कुछ हजार से ले कर लाखों तक होती है, जिसे ग्राहक अपने बजट के हिसाब से खरीदता है. एक अच्छी चिमनी 10 से 15 साल आसानी से काम कर सकती है.

चिमनी की देखभाल

– वैसे तो चिमनी की सफाई उस की उपयोगिता के आधार पर की जाती है, लेकिन यदि आप साधारण खाना बनाती हैं, तो 15 दिन बाद उस के फिल्टर को डिटर्जैंट मिले गरम पानी से अच्छी तरह धो कर, सुखा कर लगा दें. इस से फिल्टर की जाली साफ हो जाती है.

– चिमनी अगर अधिक चिपचिपी हो गई है और डिटर्जेंट पानी से साफ नहीं हो रही है, तो सोडियम हाइड्रो ऑक्साइड या कास्टिक सोडे से धोएं.

– कुछ फिल्टर ऐसे भी होते है जिन्हें धोया नहीं जा सकता. ऐसे में 4 से 5 महीने बाद उसे बदलना पड़ता है.

– कभी भी हार्श डिटर्जेंट से फिल्टर को न धोएं.

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